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जनता को राजा

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 जनता को राजा  हिंदवी स्वराज्य की बढाईस छत्रपती शिवबान् वा शान। पुरो विष्वमा रयत को राजा नहीं भयेव असो गुणवान।। किर्ति दसों दिशामा पसरिसे हरेक को हिरदामा से स्थान। पराक्रम का धडा लेती सब युद्ध नितीको होसे गुणगान।। दसों दिशाओं मा शिवप्रताप घबरायो मुघल को शासन। जनता को हित जपनोसाठी कर् साफ सुसज्य प्रशासन।। स्त्री शक्तिला देईन हमेशाच शिवाजी राजान् मान-सम्मान। शब्द कमी पडसेत करन् उनकी स्तुति अन गुणगान।। असो सुरप्रतापी राजाला से प्रथम हाथ जोड़के प्रणाम। आराध्य दैवत महाराष्ट्र को विष्वमा उच्चो करीसेस नाम।। ==================== उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरीत)   रामाटोला गोंदिया (देहू पुणे) ९६७३९६५३११

सामसुम

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 सामसुम ************ पप्पा, मम्मा अना मी बाकी भय गया गुम  किचन, हॉल, बेडरूम  बाकी सब सामसुम||धृ|| सूर्य काही दिस नही चंदा काही चोव नही घडिको टकटक तालपर सब परासेत यहा धुम||१|| पप्पा जासेत ड्युटीपर  मम्मा राबसे घरभर फुरसत नाहाय कोनीला एकलोच बजावूसु ढुमढुम||२|| मिठाई, खिलोना, कपडालत्ता येको अलावा नाहाय भत्ता नाहाय लोरी नही कहानी खिडकीलक देखूसु टुकटुक||३|| हॉटेल, पिक्चर, वनडे टूर  भया रातदिन मोबाइलमा चूर  सरी मजामस्ती, बातचित  आयेव कॉन्फरेंस ऑन झूम||४|| गेट टुगेदर, पार्टी, फंक्शन  हासीखुशीको नही चोव जंक्शन हायफाय फ्रेंड, कसा बनेत संगी? आपलो तालमा नाचुसू छुमछुम||५|| *********** ✍महेंद्रकुमार ईश्वरलाल पटले (ऋतुराज) ता. १९/०२/२०२२

माय भवानी विशाल से

माय भवानी विशाल से  ********** पढ़ो तो पन्ना धाय माय कहानी; मन मा बहुत आवसे  ख़्याल । विद्वुषी होती वा महाबलिदानी; ओकी तन मन काया विशाल।। बिरला असी भारतीय नर नारी; अनेकों मा होसे एक अवतार। कभी जन्मी अजन्मी वा पधारी; करनला येन सृष्टि को उध्दार।। जसी दुर्गा; लक्ष्मी नांव जीजाई; कर गई वा भव्य दिव्य चमत्कार। योगिनी तपस्विनी बन महामाई; होसे विरतामय उनकी जयकार।। कलयुग मा होय गई से तैयारी; एक अदम्य तीक्ष्ण क्षम्य प्रकार। अति शिघ्रतम आगमन वा न्यारी; कहलावसे वा सृष्टि की आधार।। वैष्णो देवी दर्शन करनला गयो; देखेव रस्ता मा मंदिर बेमिसाल। आहवान करत सुमरत रयो! पड़ी पूजारी की अचानक थाल।। भजन मंडली कई रस्ता मा मिली; गरजकन गायो वीरगाथा तत्काल। हृदय आत्मा मन रोम मा खिली; भक्तन को उद्देश्य होसे बहाल।। जय जय हो गढ़काली भवानी; तोरी जग मा से अमर कहानी। देश विदेश मा बनकन सुहानी; ब्रम्हाणी कल्याणी माय रुद्राणी।। एक समागम दुर्गा जी बनकन; समायकन माय पषाणी चट्टानी। अनेकों भेष सूरत ला पायकन; जय जय हो माय महा क्षत्राणी।। देवी गीतकार-रामचरण पटले महाकाली नगर नागपुर मोबाइल नं.८२०८४८८०२८

पोवार(पंवार) समाज की मातृभाषा(मायबोली) पोवारी

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 अंतराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस: २१ फरवरी पोवार(पंवार) समाज की मातृभाषा(मायबोली) पोवारी छत्तीस कुर को पंवार समाज की मातृभाषा(मायबोली) पोवारी से। अज आमी हिंदी/मराठी भाषा इनको आपरो जीवन मा उपयोग कर रही सेजन परा पच्चीस तीस बरस को पहिले पासून आपरो पुरो समाज मा सप्पाई लोख पोवारीच मा बोलत होतिन। बालाघाट जिला की सुदूर बिरसा तहसील लक पोवार क्षेत्र को दूसरों कोंटा भंडारा जिला को लाखनी वरि तसच सिवनी जिला को ऊगली केवलारी लक गोंदिया जिला को सालेकसा क्षेत्र वरि सबझन पोवारी मा बोलत होतिन। आता भी सब आपरो पुरखा इन की धरोहर अना छत्तीस कुर को पंवार(पोवार) की मूल मातृभाषा पोवारी ल समझअ सेति परा बोलनमा चलन कम होय रही से।  समाजला अना सामाजिक संगठना इनला आता पोवारी को जतन अना प्रचार प्रसार मा जुटनो पढ़े। जेतरा भी समाज का कार्यक्रम होसेति उनमा पोवारी मा बोलनो अनिवार्य करनो पढ़े। संगठना का पदाधिकारी बनन की यव अनिवार्य शर्त होनो जरूरी से की उनला आपरी बोली अना संस्कृती को ज्ञान जरूरी रहे, त आपो आप आपरी भाषा संगठना/समिति को माध्यम लक घर-घर मा जाहे। २१ फरवरी ला अंतराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस रहवसे त आमी छत्तीस कुर को पंवार

होये समृद्ध पोवारी

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 🌷होये समृद्ध पोवारी🌷    (अष्टाक्षरी रचना) ••••••••••••••••••••••••••••••••••• मोरा पोवार पुरखा आया होता मालवालं | सब घरं पोवारीमा सुरू होती बोलचालं ||१|| खेड़ा पाड़ामा सप्पाई होता बोलत पोवारी | भाली, खाती ना बढ़ई गोंड रव्हंका गोवारी ||२|| मुख्य धंदा खेतीबाड़ी चक्र जीवनको चलं | शहरको चक्करमा बोली बोलनला खलंं ||३|| भयी मायबोली कम धीरु धीरु मोठोआंग | हिंदी मराठीमा लग्या बोलनला नहानांग ||४|| होत होती लुप्तप्राय मायबोली पोवारकी | होन बसी लिपीबध्द  आता संस्कृती धारकी ||५|| होये समृद्ध पोवारी आया दिन खुशालीका | भरे साहित्यलं ढोला  मायबोली पोवारीका ||६|| मोरो छत्तीस कुरकी होये खरी पयचान |  लिख कविता करू मी पोवारीको गुनगान ||७|| सबला अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवसकी अंतसलका शुभेच्छा💐 ••••••••••••••••••••••••••••••••••• ✍️ इंजि. गोवर्धन बिसेन "गोकुल"          गोंदिया (महाराष्ट्र).            मो. नं. ९४२२८३२९४१

Powari Kavita

 धीरू धीरू  चल जीन्दगी आबो, काही कर्ज चुकावनो से काही दर्द मिटावनो से, काही फर्ज निभावनो से,               तोरो संग चलता चलता               काही मोरो संग रूठ                       गया,काही छुट  गया                सबला हसावनो बाकी                 से     काही रिस्ता नाता टुट गया      काही जुडता जुडता छुट गया,      सबला जोडनो बाकी से      दुख दर्द मिटावनो बाकी से                काही मन की ईच्छा                 बाकी से,                 काही काम जरूरी                   बाकी से,जीन्दगी की                     येन पहेली  ला पुरो                   समझनो बाकी से,      जब जीवन यो थम जाहे     मग का खोनो का पावनो,      लेकिन यो मन बच्चा वानी से       येला समझावनो बाकी से, धीरू धीरू चल जीन्दगी, आबो काही कर्ज चुकावनो से, काही दर्द मिटावनो से, काही फर्ज चुकावनो से 🙏🙏🌹🌹 जै श्री राम सबला राम राम🙏🌹

पंवार(पोवार) समाज की प्रतिष्ठा और वैभव

 पंवार(पोवार) समाज की प्रतिष्ठा और वैभव🚩🚩🚩 समाज का सर्वविकास🤝🤝 पोवारी सांस्कृतिक चेतना केंद्र🚩       नगरधन-वैनगंगा क्षेत्र में पंवारों को आकर बसने में लगभग 325 वर्ष हो चुके हैं और इन तीन शतकों में इस समाज ने इस क्षेत्र में विशेष पहचान बनाई हैं। मालवा राजपुताना से आये इन क्षत्रियों के पंवार(पोवार) संघ ने इस नवीन क्षेत्र के अनुरूप खुद को ढाल लिया लेकिन साथ में अपनी मूल राजपुताना पहचान को भी बनाये रखा है।         पोवार अपनी पोवारी संस्कृति और गरिमा के साथ जीवन व्यापन करते हैं और निरंतर विकास पथ पर अग्रसर हैं। शाह बुलन्द बख्त से लेकर ब्रिटिश काल तक इन क्षत्रियों की स्थानीय प्रशासन और सैन्य भागीदारी में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वैनगंगा क्षेत्र में बसने के बाद पंवारों ने खेती को अपना मूल व्यवसाय चुना और इन क्षेत्रों में उन्नत कृषि विकसित की।         देश की आजादी के बाद से समाज में खेती के अतिरिक्त नौकरी और अन्य व्यवसाय की तरफ झुकाव बढ़ता गया और आज सभी क्षेत्रों में पोवार भाई निरंतर तरक्की कर रहे है। जनसंख्या में बढ़ोतरी के साथ कृषि जोत का आकार छोटा होता गया और छोटी जोत तथा श्रमिक न मिलन

छत्तीस कुल को क्षत्रिय पोवार समुदाय

 छत्तीस कुल को क्षत्रिय पोवार समुदाय मोरो समस्त पोवार समाज को स्वजातिय जन-मानसला हिरदीलाल ठाकरे को सादर प्रणाम जय राजा भोज , सबला नतमस्तक विनंती से मोरी येन् महत्वपूर्ण लेख ला जरा गंभीरता लक बाचो , मालवा राजपुताना लक वैनगंगा क्षेत्र मा बस्या पंवार/पोवार क्षत्रिय साती ऐतिहासिक अना शासकीय दस्तावेज मा स्वीकृत नाव , जात को नाव पंवार अना पोवार व बोली को नाव पंवारी अना पोवारी , येको अतिरिक्त आमरो पोवार समाजमा दुसरा कोणी भी अन्य अपभ्रषित नाव नाहाय , पर सन २००६ मा बनी एक संस्था पवार क्षत्रिय माहा सभा अना येन् माहा सभा को नेतृत्व मा बनी राष्ट्रीय पवारी साहित्य कला संस्कृति मंडल , इनको माध्यम लक आमरो पोवार समाजमा आमरो जाति अना बोली को गलत प्रचार प्रसार होय रहीं से , भोयर पवार या एक स्वातंत्रय जात से अना भोयरी उनकी एक स्वातंत्रय बोली , पोवार पंवार या एक स्वातंत्रय जात से अना पोवारी पंवारी एक स्वातंत्रय बोली , आता आमरा माहा पुरूष येन् दुही अलग आलग जाति ला अना अलग आलग बोली ला एकच मा मिश्रित करके आपलोच छतिस कुल को पोवार पंवार समाजमा भ्रम फैलायकर आपलोच पोवार पंवार समज की संस्कृति अना संस्कार व आपलो प

पोवार पंवार समाजमा बदलाव जरूरी से

 ============================      पोवार पंवार समाजमा बदलाव जरूरी से ============================ लहरलक घबरायके कभी नौका पार नही होय,  कोशिश करके त देखलेव कभी  हार नही होय!!  जेव माणूस खुदला समाज शिरोमणि समज् से, वोको लक कभी समाज को ऊत्थान नही होय!! करु वदंन पोवार समाजला कसु  दिलकी बात !! आव्सेत आँसू डोरामा जी दिल रोवसे दिनरात!!  नतमस्तक वदंन करुसु पोवार पंवार समाजला, पोवारी मायबोली को संरक्षण करो गा दिनरात!! पोवार पंवार समाज को स्वाभिमान अमरच रहे, युवा पीढ़ी मा येवच एकनिष्ठ संकल्प जरुरी से ! जरा खंबिरता लक चलो क्रांतिकारी समाजभक्त , आब् पोवार पंवार समाजमा बदलाव जरूरी से ! समाज ऊत्थान करन साती कसो मान अपमान   एक कदम सामने बढाओ कोटी यज्ञ को समान! होये हमेशा जनजाग्ग्रुती पोवार पंवार समाजमा, आम्हीच करबी पोवारी पंवारी संस्कृति गुणगान! तरामा की बारू तु समुद्र मा जायकर देख जरा, वाहा जरा देख पाणी पोहणला मोठो बाहाव से !! सिर्फ अना सिर्फ पोहुसच नोको मंथन भी करले, वाहा देख जरा ज्ञानअमृतला भी मुक्तच भाव से !!                      !!  कवी  !!              श्री हिरदीलाल ठाकरे            भ्रमणध्वनी

स्वाभिमान है मुझे मेरे पोवार जाती का

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  स्वाभिमान है मुझे मेरे पोवार जाती का देश के लिए लड़ें वो देशभक्त सच्चा है , । समाजका हित वो समाज का बच्चा है। देश और समाज के   लिए ना लड़ सकें , उसका तो बस मरजाना ही अच्छा   है।   बुराईयां को देखकर भी आंख बंद करें , उसका तो अंधा हो जाना ही अच्छा है । सच्चाईयां सुनकर भी स्वीकार ना करें , उनका तो बहिष्कार करलेना अच्छा है ।।   पोवार समाज एकता कायम रखने हेतु , पोवारोउत्था बनो कहता बच्चा बच्चा है। छोड़ दो अधंकार और अधंविश्वास को , नही तो जिते जी मरजाना ही अच्छा है ।   पोवारी मायबोली तो विरासत है हमारी , संरक्षण तो हमार जन्मसिद्ध अधिकार । पोवारी संस्कृति   व   संस्कार ना धरो तो , समझलो अपना जीवन ही होगा बेकार ।।   भारत के पावन भूमि पर जन्म लिया हु , अभिगमन है भारत के पावन माती का । कुलश्रेष्ठ ब्रम्हनिष्ठ निष्ठावान समाज मेरा , स्वाभिमान है मुझे मेरे पोवार जाती का ।।   !!! कवी!!!                                                 श्री हिरदीलाल नेतरामजी ठाकरे नागपुर   पोवार समाज एकता मंच परिवार नागपुर  

Powari Asmita Sangharsh

समाज से वयोवर्द्ध लेखक, विचारक और सामाजिक कार्यकर्ता श्री ज्ञानेश्वर जी टेम्भरे के द्वारा पोवार समाज से पोवारी साहित्यकारों को पोवारी में साहित्यिक रचनायें देने के लिये आग्रह किया जा रहा है ताकि वे इन्हें पवारी साहित्य सरिता में डाल सके। हाल के दिनों में उन्होंने आपने दो स्वतंत्र बोलियां, पोवारी और भोयरी को मिलाकर पवारी लिखने और इनके स्वंतंत्र अस्तित्व को मिटाकर इतिहास और संस्कृति को दरकिनार करने का जो प्रयास किया वह उचित नही कहा जा सकता। पोवार/पंवार और भोयर समाज के ऐतिहासिक नामों को मिटाकर एक पवार नाम से लिखना अनुचित है। पोवार(पंवार) और उनकी बोली पोवारी की जगह पवार और पवारी लिखने से पोवार समाज की अस्मिता और पहचान समाप्त हो जाएगी। इस प्रकार नए शब्दों के समाज मे प्रचलन से हमारे पुरखों के ऐतिहासिक नाम समाप्त होंगे।  आदरणीय टेम्भरे सर और उनके समर्थकों से निवेदन है की समाज के पुरातन नामों को ही तवज्जो दे और इन्ही नामों से संस्थाओं के नाम को करे।  सन 1939 में भोयर समाज ने खुद को पवार और भोयरी को पवारी लिखना चालू किया था इसलिए 1951से भोयरी बोली के साथ इसके प्रतिस्थापन में पवारी शब्द आया न कि

क्षत्रिय पंवार पोवार समाज के संगठनों की बैठकों के लिए चर्चा के मुद्दे

 क्षत्रिय पंवार पोवार समाज के संगठनों की बैठकों के लिए चर्चा के मुद्दे 🚩🚩🚩 समाज के कार्यक्रमों में हमारे पंवार(पोवार) समाज के बहुआयामी विकास पर चर्चा होनी चाहिये। युवाओं के उत्थान के साथ उनमें समाज के सांस्कृतिक सनातनी मूल्यों का समावेश कैसे हो यह भी एक महत्वपूर्ण विषय होना चाहिए। समाज के वैभवशाली इतिहास और संस्कृति का संरक्षण और उसे मूल रूप में नई पीढ़ी तक पंहुचाना एक महत्वपुर्ण कार्य है।  हमें इस बात का गर्व होना चाहिए कि हमारे समाज की अपनी एक बोली, पोवारी(पंवारी) है जो धीरे धीरे लुप्त हो रही है, उसका संरक्षण और संवर्धन कैसे करें और और उसे सभी समाजजनों को कैसे सिखाये इस पर भी गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। समाज के पुरातन नाम पंवार और पोवार का संरक्षण भी एक मुद्दा है। कुछ लोग इसे मिटाना चाहते है इसे रोकना बहुत जरूरी है।  हमारी संस्कृति और सही इतिहास सभी तक पहुचना चाहिये ताकि सांस्कृतिक मूल्यों के पतन को रोका जा सके। हर गांव और शहर में समाज के सांस्कृतिक चेतना केंद्र हो जहां पर समाज की संस्कृति, इतिहास और समाजोत्थान पर चर्चा होना चाहिए ताकि हम आने वाली पीढ़ी को अपनी वैभवशाली पुरातन

पोवार(पंवार) गौरव : श्री हिरदीलाल जी ठाकरे

 पोवार(पंवार) गौरव : श्री हिरदीलाल जी ठाकरे समाज के लिए संघर्ष करता क्षत्रिय पोवार योद्धाओं का समूह पोवारी बोली के प्रसिद्ध कवि, लेखक, गायक और समाजसेवक श्री हिरदीलाल जी ठाकरे सदैव समाज की सेवा के लिए तत्पर रहते है। कोरोना संकट के समय उनका समाज के प्रति समर्पण किसी से छुपा नही है और इस भीषण संकट में खुद की जान की परवाह न करते हुए उन्होंने निरंतर कोरोना मरीजों का सहयोग किया। विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कोरोना मरीजों तक भोजन सहित आवश्यक सामग्री मरीजों तक समय पर पंहुचाया।  वर्तमान में वे नागपुर के पारडी क्षेत्र में निवास करते है और पोवार एकता मंच के अपने सहयोगियों के साथ समाज की सेवा के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं। ये सभी पोवार योद्धा समाज में सहयोग के साथ समाज के किसी सदस्य के साथ हुए किसी भी कोई भी अन्याय के विरुद्ध किसी भी तरह के संघर्ष के लिए तैयार रहते हैं। पोवार पंवार समाज के ऊपर में गलत टिप्पणियां करने वाली मंजू अवस्थी ने डी लिट की उपाधि 1995 में रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर से हासिल की थी  उन्होंने अपने शोधपत्र में पोवार समाज की महिलाओं के ऊपर अभद्र टिप्पणियां की है एवं पोवार समाज

नूतन पंवार संघ नागपुर(पंवार युवक संगठन नागपुर

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 नूतन पंवार संघ नागपुर(पंवार युवक संगठन नागपुर) 🚩🚩 क्षत्रिय पंवार(पोवार) समाज के पुराने संगठनों में से एक और नागपुर में ज्ञात सबसे पुराना संगठन नूतन पंवार संघ, नागपुर की स्थापना तात्कालिक छात्र नेता सर्व श्री तेजलाल जी टेम्भरे और उनके सहयोगियों के द्वारा सन 1931 में की गई थी।  सन 1982 में डॉ ज्ञानेश्वर टेम्भरे,श्री ब्रिजलाल बिसेन, श्री बालाराम शरणागत और पंवार समाज के अन्य सहयोगियों ने साथ मिलकर, नूतन पंवार संघ को नवीन नाम, पंवार युवक संगठन नागपुर नाम दिया गया। इस संगठन ने पंवार(पोवार) समाज के सामाजिक और सांस्कृतिक उत्थान के लिए एक पत्रिका, " पंवार संदेश" की शूरुआत की थी।  वैसे तो पंवार सबसे पहले ग्यारवीं- बारहवीं सदी में शासन करने मालवा से विदर्भ की प्राचीन राजधानी नगरधन आये थे और लगभग दो सौ वर्षों तक विदर्भ में उनके शासन होने का इतिहास मिलता है पर उसके बाद दूसरों वंश के राजाओं का विदर्भ पर नियंत्रण होने के बाद पोवारों के इधर होने के इतिहास नही मिले।  देवगढ़ राजा ने मुगलों से लड़ने के लिए राजपूतों का सहयोग मांगा था और इधर आकर राजपूतों की सेना ने देवगढ़ नगरधन से मुगलों को खदेड़

हिरदीलालजी ठाकरे

 ========================               हिरदीलालजी ठाकरे  ======================== हि : हिम्मत पायजे  ।  जनसेवा साती  ।।       सत्य धर्म साती  । पुढाकार,,,,,,,।।  र : रक्षण   करबी  ।  संस्कृति संस्कार।।      होये गां उद्धार  ।  जीवनको ,,,,,,,।। दि  :दिन रात सेवा ।  करो त्याग दान  ।।      मानव कल्याण ।  जन्मोजन्म ,,,,,,।।  ला :लाखों की दौलत । सोडो मोह माया।        जपो माहा माया ।  नमो नमो ,,,,,।। ल : लक्षय से एकच।  समाज ऊत्थान।।       जीवन समर्पण  ।  परहितार्थ ,,,,,,।। जी  : जीवनमा  ज्योति  । ह्रुदयमा आत्मा ।।        वाहा परमात्मा  । राज करे ,,,,,,,, ।। ठा  : ठाम से संकल्प  ।  एक तत्व नाम।।        भजो हरि नाम  ।  राम क्रष्ण ,,,,,,।। क  : कलम  हातमा  ।  कवीता लिखन।।        होये परिवर्तन  ।  समाजमा ,,,,,,।। रे  : रेख देख करो  ।  दिन दुखी साती।  ।।      ज्योत ल ज्योति  ।  जर जासे ,,,,,,।।                   !!! कवीयत्री!!!          कु  रक्षा हिरदीलालजी ठाकरे पोवार समाज एकता मंच परिवार नागपुर  =======================