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पंवार(पोवार) समाज में सुधारों का दौर

  पंवार(पोवार) समाज में सुधारों का दौर देश में पुर्नजागरण काल में हमारा पंवार समाज भी पीछे नही रहा और समाज में सुधारों का दौर 1880 के आसपास से शुरू हुआ। 1900 के आसपास हमारे पुरखों ने समाज की प्रथम ज्ञात संस्था, "पंवार जाति सुधारणी सभा" का गठन किया था। 1909 में बैहर के सिहारपाठ पहाड़ी पर ज़मीन खरीदकर श्रीराममंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया जो आज पंवार(पोवार) समाज का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है। पंवार जाति सुधारणी सभा ने समाज में मांस मदिरा के सेवन पर रोक लगाने के लिए कड़े नियम बनाये। आज जितने भी संगठन दिख रहें वे इन्ही पुरखों की प्रेरणा से बने हैं जिन्होंने हर विषम परिषथितिओ में अपने सनातनी क्षत्रिय वैभव को संरक्षित और संवर्धित किया। नमन हैं पंवार समाज के इन पुरखों को जो हमें मजबूत विरासत देकर गये। 🙏🙏🙏 क्षत्रिय पंवार(पोवार) समाजोत्थान संस्थान

पोवार(छत्तीस कुल पंवार) समाज के सही नामों से संस्थाओं की स्थापना

 पोवार(छत्तीस कुल पंवार) समाज के सही नामों से संस्थाओं की स्थापना 💐🙏💐🙏💐🙏💐🙏💐🙏💐 आज पवार प्रगतीशील मंच गोंदिया कि वार्षिक आमसभा मे मा.अध्यक्ष कि अनुमती से आने वाले अन्य विषय मे श्री किशोर भगत व अन्य सभासद द्वारा पोवार / पंवार इस विषय पर चर्चा कर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर संस्था का नाम पोवार प्रगतीशील मंच / पोवार सांस्कृतिक भवन ऐसा उल्लेख करने का निर्णय लिया गया। जैसा की विदित है की मालवा राजपुताना से आकर वैनगंगा क्षेत्र में बसें छत्तीस कुल के पोवारों के पुरातन नाम पोवार(Powar) और पंवार(Panwar) है तथा समाज की भाषा का साहित्यिक नाम पोवारी(Powari) है। हाल की वर्षो में कुछ भ्रम की स्थिति के कारण पोवार(छत्तीस कुल पंवार) समाज संस्थाओं के पंजीकरण के समय समाज का नाम पवार और भाषा का नाम पोवारी के स्थान पर उसकेअपभ्रंश पवारी से हो गये थे। समाजजनो के द्वारा यह निरंतर मांग की जाती रही है की समाज की संस्थाओं में मूल नाम ही रहें। इसी क्रम में पवार प्रगतिशील मंच गोंदिया का नाम पोवार से किया जाने का प्रस्ताव पारित किया जाना एक स्वागत योग्य कदम है। इसी प्रकार महासभा और रायपुर के पुराने संग

आदर्श शिक्षक पुरस्कार

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 आमरो प्रिय स्नेही सिंदिपार गावगा उपक्रमशील शिक्षक, *पोवारी कवी* बासरीवादक श्री.पालिकचंद बिसने सर इनला अज जि.प.भंडाराकरलक विशेष श्रेणीमाको *आदर्श शिक्षक पुरस्कार*   प्रदान करनोमा आयोव. सिंदिपार गावसाती अना आमरं  पोवार समाजसाती या बहुतच गौरवकी अना सन्मान की बात से. अष्टपैलू व्यक्तिमत्त्वका धनी पोवारी प्रेमी *श्री पालिकचंदजी बिसने* सर इनको हार्दिक अभिनंदन💐💐 🙏जय पोवारी, जय पोवार🙏💐💐 डॉ शेखराम परसराम येळेकर

क्षत्रिय पंवार पोवार समाज के संगठनों की बैठकों के लिए चर्चा के मुद्दे

 क्षत्रिय पंवार पोवार समाज के संगठनों की बैठकों के लिए चर्चा के मुद्दे 🚩🚩🚩 समाज के कार्यक्रमों में हमारे पंवार(पोवार) समाज के बहुआयामी विकास पर चर्चा होनी चाहिये। युवाओं के उत्थान के साथ उनमें समाज के सांस्कृतिक सनातनी मूल्यों का समावेश कैसे हो यह भी एक महत्वपूर्ण विषय होना चाहिए। समाज के वैभवशाली इतिहास और संस्कृति का संरक्षण और उसे मूल रूप में नई पीढ़ी तक पंहुचाना एक महत्वपुर्ण कार्य है।  हमें इस बात का गर्व होना चाहिए कि हमारे समाज की अपनी एक बोली, पोवारी(पंवारी) है जो धीरे धीरे लुप्त हो रही है, उसका संरक्षण और संवर्धन कैसे करें और और उसे सभी समाजजनों को कैसे सिखाये इस पर भी गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। समाज के पुरातन नाम पंवार और पोवार का संरक्षण भी एक मुद्दा है। कुछ लोग इसे मिटाना चाहते है इसे रोकना बहुत जरूरी है।  हमारी संस्कृति और सही इतिहास सभी तक पहुचना चाहिये ताकि सांस्कृतिक मूल्यों के पतन को रोका जा सके। हर गांव और शहर में समाज के सांस्कृतिक चेतना केंद्र हो जहां पर समाज की संस्कृति, इतिहास और समाजोत्थान पर चर्चा होना चाहिए ताकि हम आने वाली पीढ़ी को अपनी वैभवशाली पुरातन