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🌷शिव तत्व🌷

  श्रावण सोमवार पर पोवारी प्रस्तुती…….   (मनहरण घनाक्षरी)  (८,८,८,७ अंत्य गुरु) १) श्रावणको सोमवार, शिवको पूजाको वार  येनं दिनं उपासला, खूबच महत्व से ||१|| मंदिरमा होसे गर्दी, शिवभक्त हमदर्दी  करसेती अभिषेक, पिंडीमा शिवत्व से ||२|| बेलपाती पिंडीपर, जलधारा टाककर भेटे कृपा शंकरकी, भक्तीमा घनत्व से ||३|| हरं सोमवारं भक्त, जेव करे ब्रत सक्त होये इच्छा पूर्ण ओकी, श्रद्धामा गुढ़त्व से ||४|| °°°°°°° २) श्रावणमाच पार्वती, भेटनला शिव पती  करीतीस उपवास, तपस्यामा सत्व से ||१|| शिवला येनं कारणं, प्रिय महिना श्रावणं  करो रुद्र अभिषेक, शिवमा रुद्रत्व से ||२|| चंद्रदेव येनं दिनं, शिवको भक्तीमा लिनं भेटी होती मुक्ती ओला, शिवमा ममत्व से ||३|| येकोलाई सोमवार, सांगीसेव भक्तीसार ब्रह्मांडको गोलापर, भरी शिव तत्व से ||४|| © इंजी. गोवर्धन बिसेन "गोकुल"       गोंदिया (महाराष्ट्र) मो. ९४२२८३२९४१

पोवार को बन आरसा

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 पोवारी बोली मा सरस छंद पर मोरी एक रचना ************************************ (लगावली - गागालगा, गागालगा) (मापनी - २२१२ २२१२, यति - ७,७) 🌷पोवार को बन आरसा🌷 पोवार की, कर बात तू संस्कार की, कर बात तू | देखाव जी, तू धार को पोवार की, अवकात तू ||१|| से बात या, आकार की पोवार को, संस्कार की | चल ठाट लक, पोवार तू या शान से, जी धार की ||२|| गड़कालिका, को भक्त तू आटावजो, खुद रक्त तू | पोवार को, उध्दारला साहित्य मा, बन सक्त तू ||३|| तू प्रार्थना, कर भोज की तू याद बी, कर ओज की | तू कल्पना, विस्तार कर तू बात कर, नव खोज की ||४|| रुतबा लका, देखाव तू पोवार का, बी भाव तू | संसारमा, बुद्धीलका पोवार ला, सीखाव तू ||५|| देखाव तू, तोरा असा बाना दिसे, विक्रम जसा | कर्तव्य को, रस्ता परा पोवार को, बन आरसा ||६|| ✍️इंजी. गोवर्धन बिसेन "गोकुल"        गोंदिया (महाराष्ट्र), **********************************    

🌷पोवार को बन आरसा🌷

पोवारी बोली मा सरस छंद पर मोरी एक रचना (लगावली - गागालगा, गागालगा) (मापनी - २२१२ २२१२, यति - ७,७) 🌷पोवार को बन आरसा🌷 पोवार की, कर बात तू संस्कार की, कर बात तू | देखाव जी, तू धार को पोवार की, अवकात तू ||१|| से बात या, आकार की पोवार को, संस्कार की | चल ठाट लक, पोवार तू या शान से, जी धार की ||२|| गड़कालिका, को भक्त तू आटावजो, खुद रक्त तू | पोवार को, उध्दारला साहित्य मा, बन सक्त तू ||३|| तू प्रार्थना, कर भोज की तू याद बी, कर ओज की | तू कल्पना, विस्तार कर तू बात कर, नव खोज की ||४|| रुतबा लका, देखाव तू पोवार का, बी भाव तू | संसारमा, बुद्धीलका पोवार ला, सीखाव तू ||५|| देखाव तू, तोरा असा बाना दिसे, विक्रम जसा | कर्तव्य को, रस्ता परा पोवार को, बन आरसा ||६|| ✍️इंजी. गोवर्धन बिसेन "गोकुल"        गोंदिया (महाराष्ट्र),

🌷महाराष्ट्र दिन/कामगार दिन🌷

 पोवारी बोलीभाषा मे.... 🌷महाराष्ट्र दिन/कामगार दिन🌷       (अष्टाक्षरी काव्य) एकविस नोव्हेंबर  एकोणीस सौ छप्पन | स्थिती होती तनावकी चौक फ्लोरा फाउंटन ||१|| महाराष्ट्र मा मुंबई  जोडनकी वा कोसीस | राज्य पुनर-रचना आयोगनं नाकारीस ||२|| चिड्या मराठी मानुस  भयी निषेधकी चर्चा | कामगार को चौकमा जमा होसे मोठो मोर्चा ||३|| मोर्चा उधळन साती पुलिसको लाठीचार्ज | तरी दट्या रह्या वंज्या पुरो करशान फर्ज ||४|| मोरारजी देसाईको हुक्म होसे गोलीबार | एक सौ सय शहीद भय गया कामगार ||५|| बलीदान आयो काम एक मई साठ दिन | संग जुळेव मुंबई  यव महाराष्ट्र दिन ||६|| ✍ इंजी. गोवर्धन बिसेन "गोकुल"         गोंदिया (महाराष्ट्र) मो. ९४२२८३२९४१

माय, तोरो आशिर्वाद

 माय, तोरो आशिर्वाद     (मुक्तायन काव्य) मायसाती पुरेत एवढ़ा शब्द नाहात कहान | मायसाती का लिखू? मायपर लिख सकु एवढ़ो  मोरो व्यक्तित्व नाहाय महान ||१|| जीवन येव खेत आय तं माय म्हणजे बिहीर | माय म्हणजे का नोहोय? जीवन येव डोंगा आय तं माय म्हणजे नदीको तीर ||२|| माय म्हणजे भजनमा गुणगुणासे असी संतवाणी | मायको बारामा अनखी का सांगू? माय म्हणजे रेगिस्तानमा पिवो असो ठंडोगार पाणी ||३|| माय तू तपनमाकी सावली माय तू बरसातमाकी छतरी माय तू मोरोसाती का नाहास? माय तू थंडीमाकी शाल | माय तोरो आशीर्वाद लका मोरो जीवन से खुशहाल ||४|| ✍ इंजी. गोवर्धन बिसेन "गोकुल"        गोंदिया (महाराष्ट्र) मो. ९४२२८३२९४१

राजाभोज की महिमा

 राजाभोज की महिमा (वर्ण संख्या - १८, यती - १०)   पोवारवंशी राजाभोजकी, आयको तुमी कहानी  सरस्वतीको वरदपुत्र,  होतो बहुतच ज्ञानी ||१||   उज्जैनमा जनम भयेव, नवशे अस्सीको बेरा  सावित्रीको कुशलं पैदेव, राजा सिंधुलको शेरा ||२|| बीसको उमरमा बनेव, भोज मालवाको राजा  च्यारही दिशामा दुश्मनलं, घिरी होती तबं प्रजा ||३||   दक्षिण, पश्चिममा चालुक्य, वऱ्या तुर्क राजपूत  पुरबमा होतो कलचुरी, सब भया पराभूत ||४|| सरस्वती कृपालक भेटी, चौसट तऱ्हाकी सिध्दी चौऱ्यांशी ग्रंथको रचयिता, हुशार भोजकी बुध्दी ||५||   तपस्या अना साधनालका, वाग्देवी दर्शन देसे मंग भोजशालामा सुंदर, वोकी मुर्ती बनावसे ||६||   होता भोजको राजसभामा, मोठा पाचसौ विद्वान  बनावत रोबोटीक यंत्र, अना जहाज विमान ||७|| बेतवा नदीपर बांधीन,  खेतीलाई सरोवर  उज्जैनीको महाकालेश्वर, संस्कृतीकी धरोहर ||८||   केदारनाथ, रामेश्वरम, सोमनाथ ना मुण्डीर  करीस जीर्णोद्धार सबको, भोजपुरको मंदिर  ||९|| बनाईस हर नगरमा,  भवन कंठभरण  चलं राज भक्तीभावलका, कर वाग्देवी स्मरण ||१०||   ✍इंजि. गोवर्धन बिसेन "गोकुल" गोंदिया.        संपर्क – ९४२२८३२९४१

🌷नवरात्रीका नवरुप🌷

 🌷नवरात्रीका नवरुप🌷       (अष्टाक्षरी रचना) भयी नवरात्री सुरू करो घटकी स्थापना | अज पयलो दिवस शैलपुत्री आराधना ||१|| शिव पती भेटनला घोर तपस्या करीस | मून ब्रह्मचारीणीको रुप दुसरो धरीस ||२|| रुप तिसरो देवीको चंद्रघंटा शांतीदायी | साधकला अनुभव आवं ध्वनी घंटाघाई ||३|| रुप चवथो कुष्मांडा ब्रह्मांडकी निरमाती | अष्टभुजा याच माय आयु बल स्वास्थ्यदाती ||४|| रुप पाचवो देवीको  स्कंधमाता सुखदायी | द्वार मोक्षका खोलसे च्यारभुजा वाली मायी ||५|| कात्यायन घरं जल्मी रुप साव्वो कात्यायनी | पाप नष्ट कर देसे च्यार फलकी दायनी ||६|| रुप सातवो धरीस महाकाली कालरात्री | नाश करं बुरी शक्ती ब्रह्मांडकी सिध्दिदात्री ||७|| रुप आठवो मायको महागौरी शक्ती नाम | शांत श्वेतांबर धारी पूर्ण करे रुक्या काम ||८|| रुप नौंवो सिध्दिदात्री सिध्दि देसे माई खुप | सिध्दिलक धरं शिव अर्द्धनारीश्वर रुप ||९|| नवरुप भवानीको करो ब्रत उपवास | मनोकामनाकी माय पूर्ती करे हमखास ||१०|| •••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• ✍ इंजी. गोवर्धन बिसेन "गोकुल"         गोंदिया (महाराष्ट्र), मो. ९४२२८३२९४१

🌷भोग चढ़ावो नवरात्रीमा🌷

 🌷भोग चढ़ावो नवरात्रीमा🌷       (दशाक्षरी रचना) पयलो दिन शैलपुत्रीला घीव गायको चढ़ावो भोग | दुर्गा मायको करे उपास भक्त वु रहे सदा निरोग ||१|| प्रसन्न होये ब्रह्मचारीणी दुसरो दिन साखर देवो | घरं सबकी बढ़े उमर ब्रत करके उपास ठेवो ||२|| करो उपास चढा़वो भोग तिसरो दिन दुधकी खीर | दुःख करे दूर चंद्रघंटा जीवन बिते आनंदशीर ||३|| कुष्मांडासाती चवथो दिन मालपुवाको चढ़ावो भोग | दुर्गा मायको उपासकका नाश होसेती सप्पाई रोग ||४|| पाचवो दिन स्कंदमाताला केरा चढ़ावो करो उपास | कार्तिकेयकी माता तुमला देये सिध्दि ना सेहत खास ||५|| शहद चढ़ावो साव्वो दिन कात्यायनीकी करो रे भक्ती | उपास करे वोनं भक्तकी बढ़ जासे आकर्षण शक्ती ||६|| गुड़ चढ़ावो सातवो दिन कालरात्रीको करो उपास | शोक संकट दूर होयेती भूत पिशाचको होये नाश ||७|| महागौरीको करो उपास अष्टमीला नारेन चढ़ावो | असंभव काम पूर्ण होये दुर्गा मायकी भक्ती बढ़ावो ||८|| नववो दिन तिरको भोग उपास पावसे सिध्दिदात्री | घटना अनहोनी टालसे अभय देसे या नवरात्री ||९|| भोग चढ़ावो नवरात्रीमा नियमलका करो उपास | करो समापन नवमीला बड़ो शुभ से चईत मास ||१०|| •••••••••••••••••••••••••••••••••••

🌷बिरबल की खिचड़ी🌷

 🌷बिरबल की खिचड़ी🌷      थंडीका दिवस होता. सम्राट अकबर न एक दिवस एक अजब घोषणा करीस. ओको महल को सामने को जलकुंड मा रातभर कोणी उभो रहे ओला शेंभर सोनो की मुद्रा बक्षीस मा भेटेत, अशी दवंडी देयेव जासे. वा आयेकशान एक गरीब माणूस असो साहस करन तयार होसे. वु रातभर ओन जलकुंड मा कुडकुडत उभो रव्हसे. सकाळी अकबर आवसे, तब भी वु आपलो जागापरच उभो रव्हसे. पर अकबर की नजर जलकुंड जवळ ठेयेव एक लहानसो दिवो पर जासे.      अकबर पहारेदार ला बिचारसे, "दिवो रातभर पेटत होतो का?" पहारेदार हो कसे. रातभर दिवो पेटत रहेव लक जलकुंड मा उभो रव्हने वालो माणुस ला गर्मी भेटी रहे असो अनुमान अकबर काहळसे. अना शेंभर सोनो की मुद्रा को बक्षीस  देता नही आवनको असो सांगसे. वु ‍गरीब माणूस बिचारो दु:खी होसे. ओला लगसे की आता बिरबलच आपलोला न्याय मिळाय देये. वु बिरबल कर जासे अना पुरी घटना सांगसे. बिरबल ओला कसे, 'तू आता घर जाय. मी देखुसु का करनको से त.'      दुसरो दिवसं दरबार भरसे. रोज टाईमपर आवनेवालो बिरबल अज आयेव नही, म्हणून अकबर सेवक ला बुलावन पठावसे. सेवक जायशान वापस आवसे अना बिरबल खिचडी शिजाय रही से असो सांगसे. बिरबल

🌷बनं कविता सुजान🌷

 विश्व कविता दिवस को उपलक्ष मा......👇 🌷बनं कविता सुजान🌷  (वर्ण संख्या - १६, यती - ८) काव्यशास्त्र व्याकरण, येकी नही मोला जान | लिखु  कल्पनाको  सार, बनं  कविता सुजान ||धृ|| मोरो कवितामा जुळ्या, शब्द शब्दकाच मोती | सुच्या यमक श्रृंगार, कृपा वाग्देवीकी होती || लेखनीला मिली धार, येकी नही मोला जान | लिखु कल्पनाको सार, बन कविता सुजान ||१|| मोरो कविताका सुर, जसी बोली कोयलकी | गुंज सबको कानमा, खणखण पायलकी || सारेगामा कसा आया, येकी नही मोला जान | लिखु कल्पनाको सार, बन कविता सुजान ||२|| पसरसे कवितामा, गंध धरनी मायको | देसे सुगंध मनला, घीव बखल सायको || कसी महक भरीसे, येकी नही मोला जान | लिखु कल्पनाको सार, बन कविता सुजान ||३|| पशु पक्षी रव्ह सेती, सदा निसर्ग को संग | असा साधासुधा सेती, मोरो कविताका रंग || कसो बनेव मी कवी, येकी नही मोला जान | लिखु कल्पनाको सार, बन कविता सुजान ||४|| ✍ इंजि. गोवर्धन बिसेन "गोकुल"          गोंदिया, मो. ९४२२८३२९४१

🌷करो पाणी को संचय🌷

 विश्व पाणी दिवस की सबला बहुत बहुत शुभकामना💐💐 🌷करो पाणी को संचय🌷  (वर्ण संख्या १६, यती ८, १६ पर) बात पताकी सांगुसू, आता आयको सुजान | रोको सबजन पाणी, येव अमृत समान ||धृ|| ऋतु गर्मीको आयेव, सुर्य ओकसे तपन | जीव तड़पं पाणीलं, बाट देखसे कफन || बहु किंमती से पाणी, येकी बेरा पयचान | रोको सबजन पाणी, येव अमृत समान ||१|| थेंब थेंबलं भरसे, मोठा सागर यहान | थेंब पाणीको प्यासोला, देसे जीवनको दान || बहु किंमती से पाणी, येला जीवन तू मान | रोको सबजन पाणी, येव अमृत समान ||२|| पाणी फेकसेस खूब, जबं धोवसेस आंग | नाश किंमती पाणीको, काहे करसेस सांग || बहु किंमती से पाणी, नोको करूस डंफान | रोको सबजन पाणी, येव अमृत समान ||३|| करं जगको पोषण, पाणी विष्णूको समान | पाणी येवच जीवन, पाणीलाच सृष्टी जान || बहु किंमती से पाणी, मानो वोको अहसान | रोको सबजन पाणी, येव अमृत समान ||४|| आट रह्या तरा अना, लगी बिहिरी आटन | नदी मैली भय गयी,  पाणी दूषित पिवन || बहु किंमती से पाणी, नोको बनूस नादान | रोको सबजन पाणी, येव अमृत समान ||५|| करो पाणीको संचय, आता मनमा तू ठान | निज स्वार्थ सोड़स्यान, बात येतरी तू मान || बहु किंमती से प

पोवारी बोली

पोवारी बोली आपलो पोवारी बोली को मान आपलो माय को बरोबरच से. नहान टुरा जब पयलो शब्द बोलसे तब वू आपलो माय को संपर्क मा रहेव लका आपलो माय को ओठ अना उच्चार देख अना आयेकस्यान खुद बी तोंडमा लका शब्द काहड़न को प्रयत्न करसे. अना येनच बोली ला आपली मायबोली किंवा मातृभाषा मुहून येकी ओरख होसे. इस्कुल मा भरती होन को बेरा गुरुजी मातृभाषा खबर लेसे, तब आमीनं मातृभाषा पोवारी सांगे पायजे. पर आपली अज्ञानता को कारण लका महाराष्ट्र मा मराठी अना मध्यप्रदेश मा हिंदी लिखी जासे. अना आपलो कागदपत्तर मा तसीच रव्हसे. आता पुढ़ असो नही भयेव पायजे. आपली मायबोली दुनिया मा गोड, दुधपर को साय सरिखी मखमली से. येनं मायबोली को संवर्धन साती आता युवा पिढीनं सामने आयेव पायजे.  मायबोली को मज्याक बनावत रहेत, जे कोनी बी आपलो मायबोली ला मनोरंजन को चक्कर मा आभासी जगत मा अधोपतन करत रहेत उनको भरजोर विरोध करेव पायजे.                                                                         ***********