नूतन पंवार संघ नागपुर(पंवार युवक संगठन नागपुर

 नूतन पंवार संघ नागपुर(पंवार युवक संगठन नागपुर) 🚩🚩

क्षत्रिय पंवार(पोवार) समाज के पुराने संगठनों में से एक और नागपुर में ज्ञात सबसे पुराना संगठन नूतन पंवार संघ, नागपुर की स्थापना तात्कालिक छात्र नेता सर्व श्री तेजलाल जी टेम्भरे और उनके सहयोगियों के द्वारा सन 1931 में की गई थी। 

सन 1982 में डॉ ज्ञानेश्वर टेम्भरे,श्री ब्रिजलाल बिसेन, श्री बालाराम शरणागत और पंवार समाज के अन्य सहयोगियों ने साथ मिलकर, नूतन पंवार संघ को नवीन नाम, पंवार युवक संगठन नागपुर नाम दिया गया। इस संगठन ने पंवार(पोवार) समाज के सामाजिक और सांस्कृतिक उत्थान के लिए एक पत्रिका, " पंवार संदेश" की शूरुआत की थी।

 वैसे तो पंवार सबसे पहले ग्यारवीं- बारहवीं सदी में शासन करने मालवा से विदर्भ की प्राचीन राजधानी नगरधन आये थे और लगभग दो सौ वर्षों तक विदर्भ में उनके शासन होने का इतिहास मिलता है पर उसके बाद दूसरों वंश के राजाओं का विदर्भ पर नियंत्रण होने के बाद पोवारों के इधर होने के इतिहास नही मिले।

 देवगढ़ राजा ने मुगलों से लड़ने के लिए राजपूतों का सहयोग मांगा था और इधर आकर राजपूतों की सेना ने देवगढ़ नगरधन से मुगलों को खदेड़ दिया। पंवार राजपूतों की इस सेना में अनेक कुल के राजपूत थे और ज्ञात स्रोतों के अनुसार उस समय इनके छत्तीस कुल थे। ये छत्तीस कुल के पँवार मराठा काल तक नगरधन और नागपुर में रहे थे और अठारवीं सदी के मध्य में वैनगंगा क्षेत्र में स्थायी रूप से बस गए। 

ब्रिटिश काल में पोवारों का कई और अन्य क्षेत्रों में जाना हुआ और शिक्षा सहित रोजगार के लिए नागपुर में फिर से बसने लगें। आज भी नागपुर शहर में बहुत बड़ी संख्या में पोवारों कई बसाहट हैं। 

नूतन पंवार संघ, नागपुर और उसकी अनुसंगी संस्था, पंवार युवक संगठन नागपुर में नागपुर में पंवार(पोवार) समाज को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी तथा अपने  अपने इतिहास, संस्कृति, अपनी पोवारी बोली को संरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हम जहाँ भी जायें पर अपने इतिहास, संस्कृति, पहचान और भाषा को संरक्षित रखना हमारा प्रमुख कर्तव्य हैं ताकि हम आने वाली पीढियों को अपनी सांस्कृतिक विरासत मूल रूप से सौंप सकें। हमारी वैभवशाली पोवारी सँस्कृति,  पुरातन सनातनी संस्कृती का हिस्सा हैं और इसे बचाएं रखने से हम सभी संगठित और एकीकृत होंगें। यह एकता अपनी भारतीय संस्कृति को मजबूत रखने में समाज के योगदान के लिए आवश्यक हैं और साथ में अपनी ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित करने में भी। 


स्रोत: भोज पत्र, द्वारा अखिल भारतीय क्षत्रिय पँवार महासभा, 1986

क्षत्रिय पंवार(पोवार) समाजोत्थान संस्थान



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