अज्ञातवास
अज्ञातवास अज्ञातवास शब्द आदिकाल लक्, पढ़नो ना सुननो मा आव: से। शब्द को सीधो सीधो अर्थ से अज्ञात जाग्हा मा अज्ञात मानुस को वास। आता येनच् शब्द को वर्तमान परिदृश्य मा पोवार आना पोवारी संग गहरो सम्बंध भय गई से। पोवार मुख्य धारा मा किसान आती, समय को साथ सुधार होना महती गरज रव्ह से। आर्थिक विकास ना वैश्विकरण को प्रभाव लक् सब गांव लक् शहर, शहर लक् प्रदेश, प्रदेश लक् विदेश प्रस्थान करीन्। असर असो भयो, जान वालों को त् अज्ञातवास भयो, पर घर: बापस आवनो पर, अज्ञातवासी भाऊ बहिन आप्ली माय बोली ला, अज्ञातवास देत् गईन्। या अज्ञातवास की श्रृंखला बढ़त गई आना माय बोली मावली घर: वापस नहीं आईं। माय बोली को अज्ञातवास मिटावन की जवाबदेही, आब नवा अज्ञातवासी ऊठाय रही सेती। पर यो अज्ञातवास घर गांव मा रवहन् वाला काहे नहीं मिटाय रही सेती। निवेदक यशवन्त तेजलाल कटरे शनिवार १०/०६/२०२३