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पंवारी जीवन दर्शन

 पंवारी जीवन दर्शन आमि पंवार आजन जी। हव जी हमी पोवार बि आजन जी भूमसारे उठया बैल खाटया हेड़याँ, गोबर कचरा ना आई माई न सड़ा सारवण करिन जी नीम पिसोन्डी अना परसा की दातुन करया जी। नित्य करम ल बि निपटया जी। काहे का हामरा पुरखा लगत , साफ सफाई वाला पोवार होतीन जी। पानतुना मा ल निंगरा हेड़ के, चूल्हों मा काकी न पेटिस इष्तो। एतरो माच राजा काका , साटा बाड़ी कन ल आयो मोठ को काम उलसिर के मुलकी जोड़ी ला खिचतो। बघार्यो भात अना पीठ की रोटी पर, हमरो संग मॉरिस हाथ। मंघ भेली डाककन पेवर दूध की चाय न देइस साथ। असो मा च आयो हमरो कामदार पोट्या। वोन बी डपटिस भुज्यो पापड़ संग दूय बटकी पेज। डोरा लक इशारो मा मोला बी कव्ह, मोरो साटी अखि काई तरि त भेज। ढोर चरावन जंगला जाबिन, कव्ह न साहनो दादागो लक, का मोला बि त धाड़ त देखाहु मि पहाड़ की सेंडी पर लिजाय के कसिक होसे , बाब्बाजी की दहाड़। तब्ब मोला बी आभास भयो , गरिबी करावसे मेहमत हाड़तोड पोट्या ल बि आस होती , वोला बि मिल्हे हाथ रोटी संग सग्गो आम्बा की एक फोड़। खाईन पिइन सबन , धरिन काम धंधा की बाट। काइ कुई ल जिंदगी सरकsअ , चढ़ रही सेती सब उम्बरघाट। अक्खा तीज मा करसा भर्या, खाद क