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कायापालट

 🪴  कायापालट येन   जीनगी   मा  बात  रवसेत  नाना  प्रकार की। जो  समजसे  वोकी  गाड़ी चलसे मस्त संसार की। साधी बात त् समज जासेत एकदम झटकन भाऊ, कोनी वाकड़ी तिकड़ी कोनी अन्य बी आकार की। निरो  हुशार  रहेलक  काही  होय नही येन जग मा, जरूरत  रवसे  बुद्धि  ला बी विवेक को श्रृंगार की। बदल  जासेत  संगी  अन  होय  जासे कायापालट, कोनी कसेत कसो बदलेव अन बात से बिचार की। येतो  डुबो  काम  मा  की सफलता घर ढूंढत आये, मग  जरूरत  नहीं लगन की प्रचार अन प्रसार की। *************************************** ©®✍️ *एड. देवेंद्र चौधरी, तिरोडा (गोंदिया)*                     ता. ०१/०५/२०२३  ***************************************

दस्तूर

           🪴                दस्तूर पयले   पतराली   रवत   परसा  को  पाना  की। अना तब बात होती सिरिफ दुय चार आना की। मांडो  को  दिवस  आय  जात होता घर पाउना, बड़ी  जोर  की  मैफिल भर  पोवारी  गाना की। रिवाज   को   संग  होता  आमरा  मस्त  दस्तूर, कला-कौशल  येतो की, बौछार  चल हाना की। जितस्यान आन जब नवरी ला नवरदेव घर मा, हारजीत  मा  वा  बात  रव  बाल को दाना की। निसर्ग  को  संग दस्तूर की संस्कृति  जुड़ी रव्ह, का  सांगू   बात  क्षत्रिय  पोवार  को  बाना की? ************************************** ©®✍️ *एड. देवेंद्र चौधरी, तिरोडा*                 ता. १०/०३/२०२३ **************************************

पोवारी को सत्व

 🪴       *पोवारी को सत्व*    *पोवारी  मा रिवाज़ को से बहुत बड़ो महत्व।*  *सेत सामाजिक कारण अन वैज्ञानिक तत्व।*  *सपायी  साजरा   सेत   पोवार  का  रिवाज़,*  *वोनच  कारण  गुंजसे  पोवार   को  घनत्व।*  *माय गड़कालिका बसी सब गांव आखर मा,*  *हर  तिहार मा  पूजा  करन  को  से दायित्व।*  *जय   पोवार   जय  धार  से  एकता को मंत्र,*  *चवरी  मा  बिराजी   से  पोवारी   को  सत्व।*  *सिखो  अनेक   भाषा आपरो व्यवहार सात,*  *पन  पोवारी  बोलस्यान  बचाओ  अस्तित्व।*  ************************************ ©®✍️ *एड. देवेंद्र चौधरी, तिरोडा*                 ता. २५/०३/२०२३  ************************************

🌸पोवारी कविताये 🌸

 🌸पोवारी कविताये 🌸 मी चली ढुंढन जीवन को सूर्य सौभाग्यवती बिसरोल् सजी देख विधवा दुखीमन ही मन पुटपुटाई अर्धो उमर मा सोडस्यानी गयात सांगो त मोरी का घोर चुक होती? जीवित रव्हताना दिनरात तुमला मी जिगर पर बसायस्यानी जगी तोरो जायेपर घर समाज न् सांग मोला काहे मंग वारा पर सोडिस? तोरो मंघ् मी रुढी को जाल फंसी मंगल करम कांड लक भयी दूरी तु रव्हता मी होती घर की लक्ष्मी सांग आता काहे भई अपसगुनी? मोला भी लगसे रंगी साड़ी पेहरु  सोनो चांदी को बिसरो लक नटू मस्तक पर कुकु भांग भी भरदू तु जाताच काहे यादभर मन धरु? मी जिंदा रयकन भी मरन भोगसु समाज की कुत्सित नजर सोसुसू सांग अहिल्या, सावित्री, सिंधुताई  अपमान ल् मिले का मोला मुक्ति? मी चिरफाडुन रुढी परम्परा ला जराय टाकुन अंधसरदा-इनला मी चली ढुंढन सूर्य भगवान ला अंधारो जीवन मा उजारो करन ला!        ***********-* सिखो हरहाल मा जिन तपन बरसावं से आग  सिखो आगला सेकनो। तुफां मचावं से कहर  सिखो  हवा मा उड़़नो। ढग त सेतिच बरसनो सिखो पानीमा भिगनो। पानी से बन्यो बरफ सिखो काश्मीर रवनो। कांटा सेती रस्ता भर सिखो दुःख ला सहनो। कदम कदम सेती गोटा सिखो ठेसलग संभलनो। तीर चुभे छ

पोवारी बिदाई गीत

 पोवारी बिदाई गीत बेटी तोरी बिदाई की, भयगयी तैयारी। कब तक बनी रव्हजो, माय बाप मी पियारी ॥  लाहन पनमाँ, पालन पोषण करी सेव मोठी होत लक, कागज पढ़ाई सेव ।। आता परायो घर की, बनजो नारी ॥ कब ॥  आब तक आमरी, अच्छी सेवा करिसेस। घर को काम काज, सब सिख लेईसेस॥  आता सुसरो घर की, करजो तैयारी ॥ कब ॥  सासू सुसरो की, अच्छी सेवा करजो। घर को काममा उनको सल्ला ले जो ॥  घर वालो की बनजो, आज्ञा कारी ॥ कब ॥  सासू सुसरोला, माय बाप समझजो। देवर ननन्द को, अच्छो ख्याल ठेवजो ॥  घरकी निमावजो, पूरी जिम्मेवारी ॥ कब ॥  नाहनांग को आँगन मा, तरकारी भाजी लगावजो।  मोठो आँगन मा, फुलवारी सजावजो॥ घरला मंदिर बनायकन, बनी रव्हजो पुजारी ॥ कब ॥  बेटी तोरो बिह्या अच्छो, ढंगलक करी सेव रीति रिवाज लक, कन्या दान करीसेव ॥  माय बापला नोको, भुलजो प्यारी ॥ कब ॥  सुसरो घर जायकन, मनला मोठो करजो। घर को कामकाज मा, हाथ बटावजो॥ आमरो यादमा नोको, बनजो दुरवारी ॥ कब ॥ सब कुटुम्ब परिवार, आशा कर सेजन। सुहागन बनी रव्हजो, आशिष देसेजन॥  यादमा आँसू नोको, बहावजो प्यारी ॥ कब ॥  भजन पूजनमा, अच्छो ख्याल राखजो।  परिवार संगमा, मनला रमावजो ॥ तोरो संगमा से, मंगल काम

माहेर की बाट

माहेर की बाट दिनांक:८:५:२०२२ ********* देखसे माहेर की बाट ###       ###       ### सुख शांती जन्म भरकी,माय देसे टुरीला भेट। आयी याद मायबाप की,देखसे माहेर की बाट।।टेक।। टुरी पोटीको उपजन,माय बाप को होसे घर। बित गयो लहानपण,जवान भया घर पर। समय बिहया को करन ,खोजन लग्या वधुवर। बाप करसे कन्यादान,माय करसे गरो भेट।।१।। राखी बांधन को त्योहार,बहीण जासे भाऊ घर। बसन देसे पाटपर, चंदन टीका माथापर। हासी खुशी से मनपर,हात पर देसे उपहार। छोड़ जासे माय को घर,डोरा आसु बहेव पाट।।२।। कुलर पंखा को हवा,चल रहिसे दिन रात। गरमी लगसे जोर की,बस्या हाय बाप करत। लाखतकाड़ को समय,खेती कामधंदा की बात। चिवड़ा लाड़ु डब्बा भर,माय घरको खाजो भेट।।३।। बाई को स्वर्ग वासपर,माहेर की रव्हसे बाट। साड़ी कोसारो आयोपर, अर्थी जासे मस्यान घाट। शोक सभा जग जाहिर, दुःख की पसरीसे लाट। पचलकड़ी नमस्कार,कर जासेती मन घट्ट।।४।। ++++++++++++++++++++ हेमंत पटले धामनगांव आमगाव ९२७२११६५०१

एक सबक

 एक सबक **** नहीं लगी ठोकर सफ़र मा तों,; मंजिल की अहमियत कसो जानो। अगर नहीं टकरायात ग़लती लक; तो सत्यता ला कसो पहिचानो।। वा ग़लती भी मोठो काम की; ज्या भूलवश ख्याति दिलाय जेसे। वा ख्याति भी मोठो नाव की; ज्या मंज़िल ला मिलाय देसे। ज़िंदगी को भरोसा नहीं; कब कोनको का?होय जाये। काही सांगता आव नही; कभी राजा रंक बन जाये।। दशा उरकूड़ा की बदल जासे; ईंन्शान देखकन विचार करसे! परिवर्तन तो पल मा होय जासे; हृदय गति संचार करत रव्हसे। अनुभूति या जीवन कहानी आय! प्रकृति माय जग जननी कहलाय। संस्कृति सोलह संस्कार करवाय! स्मृति मा सब रचनाकृति समाय।

हम पंवार क्षत्रिय वंशज राजा भोज के

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 हम पंवार क्षत्रिय वंशज राजा भोज के  हम पंवार क्षत्रिय वंशज है राजा भोज के। मानवता के रक्षक भी किस्से सुन लो ओज के।। दान, धर्म, दया, संस्कार का मोल हम जानते, स्वाभिमान को ही जीवन का हिस्सा मानते, सत्यवादी हम कलापुजारी झूठ को धिक्कारते। आडम्बर की जगह नहीं जो होते बस बोझ के।। गर्व हमें इस बात का नहीं कभी हम झुकते थे, वीर हमारे हरदम शेरों के जैसे लड़ते थे। फौलादी सीना हिम्मत और साहस के साथ में । आन बान और शान के किस्से मिलते हैं हर रोज के। मातृभूमि के रक्षक हम भारत मां के दुलारे, संकट उस पर जो आये जान भी अपनी वारे, पुरखों से जो सीख मिली है वही हमारी पूंजी है। आज युवा आदर्शों पे बढ़ते नवयुग नव खोज के।। प्रेम और वात्सल्य का अब वो अवलम्ब कहाँ,  भागीरथ के जैसा होता था वो तप बल कहाँ । आओ मिलकर हम सब शपथ उठाते है । शांतिदूत बन एक्य भाव से गुण लेकर के सरोज के।। अलका चौधरी, बालाघाट