स्वस्थ समाज के कर्णधार "सामाजिक संगठन"
स्वस्थ समाज के कर्णधार "सामाजिक संगठन" संहतिः श्रेयसी पुंसां स्वकुलैरल्पकैरपि । तुषेणापि परित्यक्ता न प्ररोहन्ति तण्डुलाः ॥ सभी सक्रिय समाज संगठन पदाधिकारियों से विनम्र निवेदन है कि सामाजिक संगठनों का राजनीतिक दुरुपयोग से दूरी बनाये रखनी चाहिए । साथ ही अपने निजी स्वार्थ के लिए उपयोग करना उचित नही हैं। समाजिक संगठनों की पहली प्राथमिकता समग्र समाजोत्थान ही रहना चाहिए । समाज की अपनी बोली, संस्कृति, रीति-रिवाज, रहन-सहन, खान-पान के तौर तरीके और ऐतिहासिक पहचान को सरंक्षण प्रदान करना हैं। देश में हर तरह के काम के लिए अनेक विभिन्न उद्देश्य को लेकर तरह-तरह के संगठन बने हुए है । अतः संगठन संवैधानिक नियमावली के अनुसार ही कार्य करें तो निश्चित ही संगठन अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफल होंगे। विशेष तौर पर पोवार/पंवार संगठनों के पदाधिकारियों से अपेक्षा है कि वे समाज की संस्कृति, बोली, इतिहास, रीति-रिवाज और सामाजिक परंपराओं के संरक्षण को प्राथमिकता प्रदान करें। समाज के ऐतिहासिक मूल नामों तथा अपनी विशिष्ट पहचान को यथावत रखे । संगठनों में जगह बनाकर अपने निजी सोच से समाज की पहचान को