जनता को राजा
जनता को राजा
हिंदवी स्वराज्य की बढाईस
छत्रपती शिवबान् वा शान।
पुरो विष्वमा रयत को राजा
नहीं भयेव असो गुणवान।।
किर्ति दसों दिशामा पसरिसे
हरेक को हिरदामा से स्थान।
पराक्रम का धडा लेती सब
युद्ध नितीको होसे गुणगान।।
दसों दिशाओं मा शिवप्रताप
घबरायो मुघल को शासन।
जनता को हित जपनोसाठी
कर् साफ सुसज्य प्रशासन।।
स्त्री शक्तिला देईन हमेशाच
शिवाजी राजान् मान-सम्मान।
शब्द कमी पडसेत करन्
उनकी स्तुति अन गुणगान।।
असो सुरप्रतापी राजाला से
प्रथम हाथ जोड़के प्रणाम।
आराध्य दैवत महाराष्ट्र को
विष्वमा उच्चो करीसेस नाम।।
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उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरीत)
रामाटोला गोंदिया (देहू पुणे)
९६७३९६५३११
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