पोवारी बोधकथा, भोजशाला
🏵️ पोवारी बोधकथा🏵️ 🚩 भोजशाला🚩 साहित्य मा सृजनशीलता को गुन रहवसे अना विचार मा चिरकाल वरी समाज ला रस्ता दिखावन की क्षमता। मालवाधीश महाराज भोजदेव यन तथ्य लक परिचित होता, एको लाई उनना आपरी आराध्य देवी माय वाग्देवी की स्तुति करिन। वाग्देवी, माय सरस्वती को एक नाव से अना ऋग्वेद अखिन अन्य कई पौराणिक ग्रंथ इनमा माय, विद्या की देवी को रूपमा पूज्य मानी गई से। महाराज भोजदेव सर्वगुन सम्पन्न राजा होतो अना उनना प्रजा को कल्याण लाई विद्या परा सबलक जियादा जोर देईन। यव कसेति की उनना माय वाग्देवी की एत्ति प्रार्थना करिन की माय न उनला आपरो दर्शन देयकन आशीर्वाद देईन। जेन जागा पर माय न राजाला दर्शन देईन वोना जागा परा उनना संस्कृत को प्रथम अना सबलोक मोठो महाविद्यालय की स्थापना करिन। उनना देश भर का लेखक अना विचारक गिनला धार आमंत्रित कर उनला उच्च कोटि का साहित्य सृजन को आग्रह करिन। वय खुद भी मोठा साहित्यकार होतिन अना आपरो जीवन मा अलग-अलग विधा परा चौरासी ग्रंथ की रचना करिन। उनको साहित्य सृजन को आधार, शोध अना विज्ञान सम्मत को संग आध्यात्मिक अना लोकहित साहित्य को सृजन करनो होतो। माय सरस्वती को आशीर्वाद लक य