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"झुंझुरका", पोवारी बाल ई मासिक पत्रिका, June 2022

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                                   "झुंझुरका", पोवारी बाल ई मासिक पत्रिका, June 2022 ********************************************* https://drive.google.com/file/d/1Z9qUxcALRb8yzkhsC-zlFr4m8XDeWyu1/view?usp=sharing "झुंझुरका", पोवारी बाल ई मासिक पत्रिका ⚜️🚩⚜️🚩⚜️🚩⚜️🚩⚜️🚩⚜️ क्षत्रिय पोवार(पंवार) समाज की मातृभाषा(मायबोली), पोवारी(पंवारी) में बच्चों की पत्रिका, "झुंझुरका" निश्चित ही नई पीढ़ी को अपनी पुरातन संस्कृति और भाषा से परिचित कराती है। छत्तीस कुल का पंवार(पोवार) समाज बालाघाट, गोंदिया, भंडारा और सिवनी जिलों में बसा है और पोवारी बोली ही समाज की मुख्य मातृभाषा है। इस भाषा के अस्तित्व को बचाये रखने और इसका नई पीढ़ी तक प्रचार-प्रसार के लिए इस मासिक e-पत्रिका, का योगदान सराहनीय है। अठारवीं सदी में पोवार(पंवार) समाज मालवा-राजपुताना से नगरधन-नागपुर होते हुए विशाल वैनगंगा क्षेत्र में आकर बसा है। इतने विशाल क्षेत्र में बसने के कारण पोवारी बोली में कुछ क्षेत्रवार विभिन्नता भी देखने में आती है पर मूल पोवारी बोली और संस्कृति का स्वरूप सब तरफ समान है। आज जरूरत है कि

झुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक पत्रिका,

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झुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक पत्रिका,   https://drive.google.com/file/d/1vcnVqghlB6gBx4GNxz95nW3LAP1AEX00/view?usp=sharing

झुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक पत्रिका, March 2022

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                                              झुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक पत्रिका ******************************************** https://drive.google.com/file/d/1h_JVIWAdYT0ZNEc8x9QPoLxiq0rGaNAA/view?usp=sharing

झुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक पत्रिका , April 2022

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                                                 झुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक पत्रिका ******************************************** https://drive.google.com/file/d/1a5O6fhaa0tbDRQrssVVXL342-j8kvFEv/view?usp=sharing

झुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक पत्रिका, December 2021

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                                                झुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक पत्रिका ******************************************** https://drive.google.com/file/d/1a5O6fhaa0tbDRQrssVVXL342-j8kvFEv/view?usp=sharing

झुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक पत्रिका , August 2021

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  झुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक पत्रिका ******************************************** https://drive.google.com/file/d/1ri45pcY_SWDG-SPo3D7EsA3bNSZ4Ci3l/preview?usp=sharing

झुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक पत्रिका , October 2021

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                                         झुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक पत्रिका ******************************************** https://drive.google.com/file/d/1OYobwnO8rTvD6QGRvE81x9rLSuRiEewB/view?usp=sharing  

झुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक पत्रिका, February 2022

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  झुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक पत्रिका, https://drive.google.com/file/d/1nxV9BNSLGklSXzkkGtBlujaSbVX5I-Fh/view?usp=sharing

झुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक पत्रिका, January 2022

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झुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक पत्रिका ******************************************** https://drive.google.com/file/d/1qOAd1XSX9BRNqL11oqrsF2I4GY670Dhh/view?usp=sharing  

"झुंझुरका", पोवारी बाल ई मासिक पत्रिका, November 2021

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                                                                                        "झुंझुरका", पोवारी बाल ई मासिक पत्रिका,  ********************************************* https://drive.google.com/file/d/1asViqUN6DddeO83axKH_9Ytg_YZe_lHv/view?usp=sharing

"झुंझुरका", पोवारी बाल ई मासिक पत्रिका, September 2021

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"झुंझुरका", पोवारी बाल ई मासिक पत्रिका,  ********************************************* https://drive.google.com/file/d/1qOAd1XSX9BRNqL11oqrsF2I4GY670Dhh/view?usp=sharing

झुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक पत्रिका, July 2021

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झुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक पत्रिका, July 2021  https://drive.google.com/file/d/1Z9qUxcALRb8yzkhsC-zlFr4m8XDeWyu1/preview?usp=sharing

"झुंझुरका", पोवारी बाल ई मासिक पत्रिका, June 2021

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"झुंझुरका", पोवारी बाल ई मासिक पत्रिका, June 2021 ********************************************  https://drive.google.com/file/d/1Z9qUxcALRb8yzkhsC-zlFr4m8XDeWyu1/ preview ?usp=sharing

पोवारी साहित्य सरिता, भाग-५२

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पोवारी साहित्य अना सांस्कृतिक उत्कर्ष द्वारा आयोजित:-पोवारी साहित्य सरिता भाग ५२ 💐🚩💐🚩💐🚩💐🚩💐🚩   आयोजक डॉ. हरगोविंद टेंभरे      मार्गदर्शक श्री. व्ही. बी.देशमुख 🚩🚩🏵️🕉️🏵️🕉️🏵️🕉️🏵️🕉️🚩🚩 ******************************************                                                                                    1. संघठन मा से शक्ति  संसार मा संघठन की शक्ति की महिमा सबला पता से । जो समाज जुड़के रव्हसे वोकि ताकत को सामने कोनतो बी प्रकार की दुष्टता काइ नही कर सक  । आमरो सामने आमरो सामाजिक अस्तित्व को दृष्टिकोणलक अनेक प्रकार की समस्या अजको समय मा मौजूद सेत । एक व्यक्ति काइ नही कर सकनको । या दूय चार बी काइ नही कर सकनका । आमला सबला एक साथ कार्य करनो पड़े । सबला एक साथ जुड़नलाइक पहले जरूरी से की सबमा विचारधारा की समानता रहे । विचारधारा मा भिन्नता नही होना । विचारधारा पक्की होना । विचारधारा इतनउतन बहकन लगी की समाज को नुकसान होसे । आमला असी विचारधारा पक्की करनो पड़े जो समाजहितमा रहे । अना विचारधारा तब पक्की होये जब लगातार चिंतन मनन होये । शिक्षीत लोगइनला सामने आवनो पड़े । उनला समय को

पोवार को बन आरसा

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 पोवारी बोली मा सरस छंद पर मोरी एक रचना ************************************ (लगावली - गागालगा, गागालगा) (मापनी - २२१२ २२१२, यति - ७,७) 🌷पोवार को बन आरसा🌷 पोवार की, कर बात तू संस्कार की, कर बात तू | देखाव जी, तू धार को पोवार की, अवकात तू ||१|| से बात या, आकार की पोवार को, संस्कार की | चल ठाट लक, पोवार तू या शान से, जी धार की ||२|| गड़कालिका, को भक्त तू आटावजो, खुद रक्त तू | पोवार को, उध्दारला साहित्य मा, बन सक्त तू ||३|| तू प्रार्थना, कर भोज की तू याद बी, कर ओज की | तू कल्पना, विस्तार कर तू बात कर, नव खोज की ||४|| रुतबा लका, देखाव तू पोवार का, बी भाव तू | संसारमा, बुद्धीलका पोवार ला, सीखाव तू ||५|| देखाव तू, तोरा असा बाना दिसे, विक्रम जसा | कर्तव्य को, रस्ता परा पोवार को, बन आरसा ||६|| ✍️इंजी. गोवर्धन बिसेन "गोकुल"        गोंदिया (महाराष्ट्र), **********************************    

Powarkheda Railway Satation

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आपलो कुल नाम जो से वु च लिखनो जरूरी से

 आपलो कुल नाम जो से वु च लिखनो जरूरी से आपलो कुल नाम जो से वु च लिखनो जरूरी से। अना जाती पोवार या पंवार लिखनला होना। कएक लोग आपलो कुलनाव सोडके पवार परमार लिखता चोवसेत । पवार परमार ये सरनेम SC ST वर्ग मा सेत। पर उनकी जाति पोवार या पंवार नही रव्ह। जाती दूसरी रव्हसे। मुन अगर जिनको इरादा आरक्षण प्राप्तिलाइक पवार परमार सरनेम लिखकर सरकारी सिस्टम ला धोका देनको से त् वय गलत सेत । जाती बदल नही होय सक। पुराणों रेकॉर्ड देखयव जासे । आमरो 36 कुल पोवार लोगईनला आपला कुल लुकावन की जरूरत नाहाय। आमरा कुल एनबेंड नहाती । आमरा कुल ज्यादातर प्रख्यात मुख्य कुल आत जिनको इतिहास मा उल्लेख मिलसे। जिनका कुल अजीब सेत जिनको उल्लेख नही मिल वय पवार सरनेम लिखके आपलो पुरखाईनकी असल पहचान छुपावन को काम करसेत। पर आमला जरूरत नाहाय ।

उपकार कविता का

 उपकार कविता का °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°° उपकार कविता का सेती खरा मोरोपर लिखणको बेरा मन मोरो आनंदीत कर. कभी रव्ह कल्पना को दुनियामा मस्त सैर नहीं कविता को रव्ह कोणसंग काही वैर. वास्तवता की भी रव्ह जोड काही कवितामा समाधान मिलसेच कविताला रचनोमा. लिखनला नवो काही अच्छो रमसे वू मन कविताका असा सेती मोरो पर खरा ऋण. कविताच देसे खरी लेखनीला मोरो धार शब्द न् शब्द को कर कविताच या शृंगार. जीवनमा मोरो सेत कविताका उपकार एकांतमा भी दसेच शब्दरूपी भी आधार. ==================== ✒️ उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरीत)  गोंदिया (श्रीक्षेत्र देहू पुणे) ९६७३९६५३११

राजा भोज को अरमान:---

  राजा भोज को अरमान:--- ******* राजा भोज सबला कह गयो ऐलान! हे मोरा बेटा तुम्ही;परम वीर समान। आपरो जाति की ठेवनो सदा शान! माय गढ़काली भवानी की या जो आन। राजा भोज कह गयो सत्य बखान! अखंडता ला बचावनो;ठेवनो ध्यान। एकता समता राखनो;येव मोरो अरमान! भूलनो नहीं हे मोरा सच्चा वीर विद्वान। ठोकर खूब खाई सेव; तलवार निशान! वैनगंगा तट धायेव;कहलायेव किसान। टकरावनो जरुर नहीं होवनो परेशान! जिद्दी से आपरी या खून की पहिचान। राजा भोज कह गयो नोको होनो हैरान! जब तक से जीवन;लड़नो युद्ध घमासान! देश या जाति साती;चाहे चली जाये प्राण। हक साती आपरो;चलाय देनो धनुष बाण! हे मोरा बेटा तुम्ही सब यदि सेव सच्चा महान। अनवरत निरन्तर सदैव चलावनो खानदान! हे मोरा बेटा तुम्हीं कूलवशं चलावनो विधान। नाम आयकनो सज्जनों तो होसे अभिमान! सरपंच; विधायक संसद बनसेव होसे गुमान। आपरा वरिष्ठ पदाधिकारी को करनो सम्मान! सम्राट राजा भोज को करत रव्हनो गुणगान। जय जय हो गढ़कालीका माता दी! अनेकों नाव वाली आदि इत्यादि!! देवी गीतकार-रामचरण पटले महाकाली नगर नागपुर (गांव-कटेरा ; तहसील-कटंगी;जिला बालाघाट म.प्र

"अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार (पंवार) महासंघ" को द्वितीय वर्षगाठ पर सब आबालवृद्ध पोवार बंधू भगिनीइनला हार्दिक बधाई

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 "अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार (पंवार) महासंघ" को द्वितीय वर्षगाठ पर सब आबालवृद्ध पोवार बंधू भगिनीइनला हार्दिक बधाई ********** निज तथा समाज का विशाल सपना लिए अडिग अग्रेसर हो समाज अपना लिए मंजिल चाहे दूर हो चाहे कोई फितूर हो शूलपथ प्रचुर हो सिल चकनाचूर हो बदगुमां नगण्य हो समाज अग्रगण्य हो सोचूं वो कर्मन्य हो पोवार धन्य धन्य हो अस्मिता की राह पर ना निती का उल्लंघ हो एक छत्र पोवार का विशाल महासंघ हो ****** ✍️प्रहरी ०९/०६/२०२२  

क्षत्रिय पोवार/पंवार महासंघ की स्थापना के दो वर्ष पूर्ण

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 अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार/पंवार महासंघ का परिचय 🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸 क्षत्रिय पोवार/पंवार महासंघ की स्थापना के दो वर्ष पूर्ण 🏵️⚜️🏵️⚜️🏵️⚜️🏵️⚜️🏵️⚜️🏵️ अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार/पंवार महासंघ का गठन ०९/०६/२०२० को हुआ था। आज इस संगठन को कार्य करते हुए दो वर्ष पूर्ण हो चुके है। इस संगठन ने क्षत्रिय पंवार(पोवार) समाज के सर्वांगीण विकास के लिए अपनी स्थापना से लेकर आज तक अनेक कार्य किये है। संस्था का मुख्य उद्देश्य अपने समाज की पुरातन पहचान और संस्कृति के संरक्षण के साथ समाज के सर्वांगीण विकास में सहयोग करते हुए अपने देश के उन्नति मार्ग पर चलने साथ-साथ चलना है। पोवार समाज, सनातनी हिंदू है और अपने सभी सनातनी भाई बहनों के साथ इस पुरातन संस्कृति के संरक्षण करते हुए अपनी ऐतिहासिक और गौरवशाली पोवारी संस्कृति जिसे समाज ने अपने में समाहित किये हुए है, के साथ सदियों से सामंजस्य किये हुए है। क्षत्रिय पोवार/पंवार समाजोत्थान महासंघ भी इसी परंपरा का पालन करते हुए अपनी मूल पहचान को संरक्षित करते हुए समाज को हर क्षेत्र में उन्नति के शिखर पर ले जाने के लिए कृतसंकल्प है। इस संगठन के गठन के अन्य उद्दे

Mahasangh Sthapana Diwas

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क्षत्रिय पोवार महासंघ

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क्षत्रिय पोवार महासंघ ************************** नव जून पोवार साती क्रांती दिवस भयोव पोवार महासंघ को जनम दिवस   आयोव पोवार महासंघ की भयी स्थापना पोवारी जगावनको शंखनाद भयोव पोवारी चेतनाको माहोल पैदा भयोव पोवारी महासंघ को स्थापना दिवस आयोव आबं दिशा दिशामा बहरे पोवारी जगावो पोवार बचावो पोवारी पोवारला जगावनको संकल्प दिवस आयोव पोवार महासंघ को स्थापना दिवस आयोव ३६ कुरला जगावनको यव ध्येय महासंघ को समाजकी उन्नती यव संकल्प महासंघ को महासंघकी ललकार लका पोवार धन्य भयोव पोवार महासंघ को स्थापना दिवस आयोव *** डॉ. शेखराम परसराम येळेकर नागपूर ९ जुन २००२२   

अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार महासंघ को स्थापना दिवस को उपलक्ष्य मा---

 स्वजनों ला शुभकामना🌹    🌹#अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार महासंघ को  स्थापना दिवस को उपलक्ष्य मा---🌹 -------------------------------------------- 🔶♦️🔷🔶♦️🔷🔶♦️🔷        परम् हर्ष की बात से कि अज को ९ जून येव  दिवस, पोवार समाज को एकमेव राष्ट्रीय संगठन अर्थात "अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार/ पंवार महासंघ" को स्थापना दिवस आय.       सर्वविदित से कि पोवार समाज को राष्ट्रीय संगठन १९०५ पासून २००६ वरि  "राष्ट्रीय क्षत्रिय पंवार महासभा" येन् नावलक  क्रियाशील होतो. लेकिन  2006मा येन् संस्था को पंजीकृत दस्तावेजों  मा लक पंवार (पोवार) नाव  हटायेव गयेव  अना वोको स्थानपर "पवार" नाम प्रतिस्थापित  करेव गयेव. येन् क्षण पासून येव संगठन अनेक समुदायों को  विधिवत् प्रतिनिधित्व करन लगेव अना पोवार  समाज को एकमात्र राष्ट्रीय संगठन, असी आपली मूल पहचान को परित्याग कर देईस.         परिणामस्वरुप  पोवार समाज का जे उद्देश्य/हित दुर्लक्षित भया, वय निम्नलिखित सेती - 1. मातृभाषा पोवारी को संरक्षण -संवर्धन अना उन्नयन. 2.पोवार समाज की संस्कृति को संरक्षण अना संवर्धन. 3. मातृभाषा पोवारी व पोवा

🌹पोवार समाज की खूबसूरती🌹

 🌹#पोवार  समाज की खूबसूरती🌹 ------------------------------------------------ ( संदर्भ:- आचरण में  भारतीय संस्कृति ,मन में साहस और वाणी में पोवारी यही पोवार समाज की खूबसूरती है.) ------------------------------------------------ वैनगंगा  के आंचल में हैं  इनका वतन  l बड़े प्यार से करते हैं संस्कारों का जतन l हिन्दू जीवन दर्शन ही है  इनकी रगों में , राष्ट्रभक्ति  से  प्रेरित है  इनका जीवन  ll पोवारों के कंठ की झंकार हैं पोवारी l पोवारों की वाणी का श्रृंगार हैं पोवारी l पोवारी ये हैं पोवारों के मन की बहार, परस्पर संवाद का आधार है पोवारी ll पूर्वजों  ने छोड़ के मालवा का  वतन  l      थाम लिए वैनगंगा  मैया का आंचल l संघर्षमय  इतिहास  है  पूर्वजों  का, खुबसूरत है समाज का जन-जीवन ll -ओसीपटले रवि.12/06/2022. ------------------------------------------------ 🔷🔶🔷🔶🔷🔶🔷🔶🔷

🌷पोवार को बन आरसा🌷

पोवारी बोली मा सरस छंद पर मोरी एक रचना (लगावली - गागालगा, गागालगा) (मापनी - २२१२ २२१२, यति - ७,७) 🌷पोवार को बन आरसा🌷 पोवार की, कर बात तू संस्कार की, कर बात तू | देखाव जी, तू धार को पोवार की, अवकात तू ||१|| से बात या, आकार की पोवार को, संस्कार की | चल ठाट लक, पोवार तू या शान से, जी धार की ||२|| गड़कालिका, को भक्त तू आटावजो, खुद रक्त तू | पोवार को, उध्दारला साहित्य मा, बन सक्त तू ||३|| तू प्रार्थना, कर भोज की तू याद बी, कर ओज की | तू कल्पना, विस्तार कर तू बात कर, नव खोज की ||४|| रुतबा लका, देखाव तू पोवार का, बी भाव तू | संसारमा, बुद्धीलका पोवार ला, सीखाव तू ||५|| देखाव तू, तोरा असा बाना दिसे, विक्रम जसा | कर्तव्य को, रस्ता परा पोवार को, बन आरसा ||६|| ✍️इंजी. गोवर्धन बिसेन "गोकुल"        गोंदिया (महाराष्ट्र),

पोवार गौरव : श्री मनोज बोपचे

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 पोवार गौरव : श्री मनोज बोपचे ************************* संगीत अना गायन को क्षेत्रमा उभरतो सितारा श्री मनोज सुकराम जी बोपचे न आपरी प्रतिभालक यन क्षेत्रमा विशिष्ट पहिचान बनाइसेत। विविध कला को धनी श्री मनोज बोपचे, समाज का युवाइनको आदर्श आति अना उनला यव प्रेरणा भेटे की संगीत अना वाद्य यंत्र की विधामाभी उन्नत करियर बनाय सिकसेजन। समस्त क्षत्रिय पोवार(पंवार) कनलक श्री मनोज बोपचे जी ला लगत-लगत बधाई अना अनंत शुभकामना। 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 क्षत्रिय पोवार(पंवार) समाजोत्थान संस्थान, बालाघाट 🚩❄️🚩❄️🚩❄️🚩❄️🚩❄️🚩❄️🚩❄️🚩❄️🚩

पोवारी

पोवारी                                                 पंवार परमार पँवार पोवार कहलाने वाले चार देशो में बसे है ! और अनेक जातियों में धर्मो में समाहित हो चुके है ! कइयो की अपनी कोई भाषा नही है ! हम ३६ कुल वालो की जाती पंवार या पोवार है और हमारी बोली का नाम पोवारी है और वह विशिष्ट ! हमने अपनी बोली , जाती वही बनाकर रखी जो पहले से है ! पोवारी गुजराती , राजस्थानी , मालवी , बुन्देली , बघेली , संस्कृत , हिंदी , डिंगल , पिंगल , प्राकृत आदि भाषाओ का मिलाजुला स्वरुप है !       यह भाषा विशेषतः हमारे ३६ कुल के पूर्वजो ने समय व् स्थान के अनुसार संवर्धित की है ! वह अन्यो से साम्यता नही रख सकती क्योंकि हमारा इतिहास , स्थानान्तरण का समय , स्थान सब अन्यो से अलग है ! ग्वालियर के पास काफी पंवार है जो पंवारी बोलते है परन्तु वह भी हमसे थोड़ी अलग है ! इसके लिए आपको भारत का पहला भाषा सर्वे पढना होगा ! उसमे सब स्पष्ट रूप से लिखा है की पोवारी मालवा से पोवारो या प्रमारो की बोली है !      भाषा समय व् स्थान के साथ बदलती है ! इसका उदाहरण आप अपनी तीन चार पीढ़ी में ही समझ सकते है ! आज आपके बच्चे हिंगलिश बोलने लगे है !

बटवारा

 बटवारा ******************* बचपनमा खेल्या कुद्या एकमा भाईभाई बिह्या होयेपर बटवारा की नौबत आई टूटतो घर देखकर माय मनमा रोई बापको सपनको घरोंदा तुटनकी बेरा आई रोज को घीसघीस लक चुल्हा बी बट्या माया पिरत भरोसा का धागा बी तुट्या लहानांगं होन बसी बाचाबाची लडाई देवरानी जिठानी की काही पटच नही बरतन कपडा लत्ता बट्या बिस्तर  बटेव बिसरो जमीन आंगण घर कथडी ना धुस्या की थप्पी लग गई घरकी देहरी बी बाटनला कम पड गई बहीन भाटवाला बुलाया बटवारामा एकएक बहिण आई भाई हिस्सामा माय बाप को बटवारा की बारी आई  बहूबेटा की बोलती बंदच भय गई बटवारा लक होसें अति नुकसान एकोपा लक बढंसे कुटुंब की शान टिकावो खून को रिश्ता की गहराई बटवारा मा कोणी की नहाय भलाई                             शारदा चौधरी                                   भंडारा

गौरव दिवस : क्षत्रिय पोवार(पंवार) समाज से दो विद्यार्थियों की UPSC द्वारा सिविल सेवा परीक्षा(IAS/IPS Exam) में चयन

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 गौरव दिवस : क्षत्रिय पोवार(पंवार) समाज से दो विद्यार्थियों की UPSC द्वारा सिविल सेवा परीक्षा(IAS/IPS Exam) में चयन 💐💐💐💐💐💐💐💐💐 आज बहुत गर्व का विषय है पंवार(पोवार) समाज से दो होनहार युवाओँ का चयन UPSC द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में चयन हुआ है।  चिरंजीव राहुल देशमुख की रैंक 349 और चिरंजीव आदित्य पटले की रैंक 375 है। संभवतया दोनों को IAS या IPS मिल जाएगा।  राहुल देशमुख, झालीवाड़ा और आदित्य पटले गजपुर (जिला बालाघाट) के मूल निवासी है। यह पोवार समाज के लिए यह बहुत ही गौरव का पल है। इसके पहले समाज से 2015 में श्री अवध किशोर बिसेन IRS(IT), 2013 में सुश्री शीतला पटले का चयन IAS में, 2011 में श्री डॉ सौरभ पारधी का चयन IAS में, 2010 में श्री डॉ सौरभ पारधी IPS, श्री परिष देशमुख IPS, श्री ऋषि बिसेन IRS(IT) श्री ढालसिंह पटले DANIPS, 2009 में सुश्री डॉ किरण बिसेन IFS, 2008 में श्री डॉ दिनेश बिसेन IRS( I&CS), 2006 में श्री सुमित पटले( IOFS), 2001 में श्री पुष्पक अमुले IFS का चयन UPSC CSE से हो चुका है। पोवार समाज में प्रतिभाओं की कमी नही है, बस जरूरत है तो उसे तराशने की। समाज में हम

श्री नानिकरामजी टेभंरे

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 ========================           श्री नानिकरामजी टेभंरे ======================== श्री+ श्रीचरणोंमाच् । भाव् समर्पण ।।        करो गा अर्पण । आत्मज्योत।। ना + नामवंत बाळ । मोठो गुणवंत ।।         कृपा सखावंत । पाठी राखा ।। नि+निस्वार्थ भाव। निरोगी से काया।।         रहे माहामाया । कयवारी ।। क+ कर्म परोपकारी । धर्म मानवता ।।        धन्य जन्म दाता । माय बाप ।। रा+ रात्र दिन पुजा । माय बाप गुरु ।         मन मा सुमरु । गडकाली ।। म + मन मा संतुष्टि । भाव एकनिष्ठ ।।         कार्य ब्रम्हनिष्ठ । नमो नमो ।। जी+ जीवन आनंद । संस्कृति संस्कार।          होये गा उद्धार । जन्मों जन्म। टे+ टेको नोको तुम्ही । चलो निरंतर।        ज्ञान को समन्दर । गुरुराया । भं + भंडार ज्ञान को । गांव भजेपार ।         भया किर्तनकार । नानिकराम। रे + रेखा जीवनकी । कर्तुत्वनिष्ठ से।।          दैववादी होसे । पराधीन ।।                       कवी हिरदीलाल नेतरामजी ठाकरे नागपुर पोवार समाज एकता मंच पुर्व नागपुर ======================== =========================  श्री नानीकरामजी टेभंरे माहाराज ========================== माणूस लक मा