क्षत्रिय पोवार/पंवार महासंघ की स्थापना के दो वर्ष पूर्ण

 अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार/पंवार महासंघ का परिचय
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क्षत्रिय पोवार/पंवार महासंघ की स्थापना के दो वर्ष पूर्ण
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अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार/पंवार महासंघ का गठन ०९/०६/२०२० को हुआ था। आज इस संगठन को कार्य करते हुए दो वर्ष पूर्ण हो चुके है। इस संगठन ने क्षत्रिय पंवार(पोवार) समाज के सर्वांगीण विकास के लिए अपनी स्थापना से लेकर आज तक अनेक कार्य किये है।

संस्था का मुख्य उद्देश्य अपने समाज की पुरातन पहचान और संस्कृति के संरक्षण के साथ समाज के सर्वांगीण विकास में सहयोग करते हुए अपने देश के उन्नति मार्ग पर चलने साथ-साथ चलना है। पोवार समाज, सनातनी हिंदू है और अपने सभी सनातनी भाई बहनों के साथ इस पुरातन संस्कृति के संरक्षण करते हुए अपनी ऐतिहासिक और गौरवशाली पोवारी संस्कृति जिसे समाज ने अपने में समाहित किये हुए है, के साथ सदियों से सामंजस्य किये हुए है। क्षत्रिय पोवार/पंवार समाजोत्थान महासंघ भी इसी परंपरा का पालन करते हुए अपनी मूल पहचान को संरक्षित करते हुए समाज को हर क्षेत्र में उन्नति के शिखर पर ले जाने के लिए कृतसंकल्प है।

इस संगठन के गठन के अन्य उद्देश्य तथा कार्य निम्नलिखित है, जिसे धीरे-धीरे सभी समाजजनों के साथ मिलकर पूरा करना है।

    भारत में फैले ३६ कुल के पोवार/पंवार समाज जनों में संपर्क स्थापित कर एकता के सूत्र में बांधना तथा राष्ट्रीय स्तर पर एकता को मजबूत करना ।
     समाज के सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा करना।
    क्षत्रिय पोवार/पंवार समाज की सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक विकास सहित समग्र विकास में सहायता प्रदान करना।
    क्षत्रिय पोवार/पंवार समाज में बोली जानेवाली हमारी बोली "पोवारी" के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए कार्य करना ।
    पोवारी बोली के साहित्य को समृद्ध करना, आम जनमानस तक प्रचार प्रसार करना।  
    पोवार समाज की सांस्कृतिक रीति-रिवाजों एवं नैतिक मूल्यों की रक्षा करना।
    सामाजिक कुरीतियों का उन्मूलन करना, जनजागृति का प्रसार प्रचार करना।
    समाज के युवा एवं महिला वर्ग में शिक्षा का प्रचार करना एवं विविध योजनाओं तथा कौशल विकास पर मार्गदर्शन कर उनको संबल बनाना।
    किसानों की खुशाली हेतु कृषि विकास की विभिन्न योजनाएं कार्यक्रम क्रियान्वित करना ।
    समाज के सर्वांगीण विकास हेतु विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं संचालित करना।
    पोवारी लोककला और संस्कृति के संवर्धन के लिए विभिन्न पंवार बहुल स्थलों पर अधिवेशनों का आयोजन करना ।
    पोवार समाज की विलुप्त हो रही समृद्ध संस्कृति का संरक्षण करना।  
    समाज के ऐतिहासिक तथ्यों की खोज कर समाज के विभिन्न स्तरों पर स्थानीय संघटनो की मदद से प्रसार प्रचार करना।
    पोवार / पंवार समाज के युवक युवतियों में सामाजिक शिक्षा का प्रचार प्रसार कर उनको पोवारी संस्कारों से परिपूर्ण करना।
    समाज के उत्थान हेतु अधारभूत संरचनाओं का विकास करना।  
    समाज के हर वर्ग के कल्याण हेतु प्रशासन के सहयोग से विभिन्न कार्यक्रमों का क्रिन्यान्वयन करना।
    पोवार समाज के जातिनाम (पोवार/पंवार) के अपभ्रंश को रोकना तथा इसे स्थायित्व प्रदान करना.
    पोवार समाज मे नैतिक मूल्य समता भाव को प्रोत्साहन देना।
    पाश्चात्य संस्कृति से ह्रास होते मूल्यों को सहेजना।
    स्थानीय स्तर पर सामाजिक समितियों का गठन कर जनजागृति का प्रचार प्रसार करना।
    समाज के वरिष्ठ जनो का सत्कार कर मानसिक संबल प्रदान करना।
    समाज के विशिष्ट सेवा क्षेत्रो में कार्यरत समाजसेवीयो का आदर सत्कार कर प्रेरित करना।
    सामाजिक विकास हेतु साहित्यों के निर्माण एवं सरक्षण हेतु E_बुक, सॉफ्ट कॉपी, हार्ड कॉपी, पत्रिकाओं का प्रकाशन तथा web मीडिया द्वारा ऑनलाइन सेमिनारो का आयोजन करना।
    समाज के विद्यार्थियों की आर्थिक कठिनाई को दूर करने हेतु उपाययोजना करना जैसे शिष्यवृत्ती, पारितोषिक, सरकारी योजनाओं आदि से उनका उत्साह बढ़ाना।
    उच्च शिक्षा के लिए प्रयासरत आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों के लिए छात्रावास का निर्माण तथा संचालन।

मालवा राजपुताना से अठारवीं सदी में नगरधन होकर वैनगंगा क्षेत्र में बसे छत्तीस कुर के क्षत्रियों का संघ ही क्षत्रिय पोवार/पंवार महासंघ है। पोवार महासंघ के अध्यक्ष डॉ विशाल बिसेन के नेतृत्व में अपने कार्यदल के साथ और अनेक समाजजनो से सहयोग लेते हुए अपनी ऐतिहासिक विरासत को बचाते हुए समाजोत्थान हेतु पिछले दो साल में अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। देश-दुनिया में फैले समाजजनों के साथ संवाद हेतु इस पंवार महासंघ ने कई ऑनलाइन कार्यक्रम किये और युवाओं के उत्थान हेतु युवा चेतना कार्यक्रम चलायें। ऐसे कार्यक्रम न केवल समाजजन अपितु देश के सभी युवाओँ के लिए बहुत ही लाभप्रद रहे हैं।

समाज की मातृभाषा पोवारी को बचाने के लिए पोवार महासंघ के द्वारा निरंतर कार्य किया जा रहा है। महासंघ के द्वारा सम्राट विक्रमादित्य के राज्यारोहण और हिंदू नववर्ष के दिन को "पोवारी दिवस" के रूप में मनाने की शुरूवात की गयी। समाज के आदर्श महाराजा भोज के जन्मदिवस के दिन, प्रतिवर्ष "पोवारी साहित्य सम्मेलन" का आयोजन किया जा रहा है। हाल ही सम्पन्न हुए छत्तीस कुल के पोवारों के गोंदिया अधिवेशन में अपने उद्देश्यों के अनुरुप अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया और पोवार समाज के सही इतिहास तथा संस्कृति को जन जन तक पहुँचाने पर बल दिया गया।

कई लोगों ने समाज के इतिहास को लिखने का प्रयास किया लेकिन इतिहास की निजी मान्यता के अनुरूप  व्याख्या करने से विकृति आ जाती है इसीलिये इसे ऐतिहासिक साक्ष्यों के साथ समाज की मान्यताओं के अनुरूप ही लिखा जाना चाहिए। पंवार/पोवार महासंघ के माध्यम से यह प्रयास रहा है कि समाज का सही इतिहास सबके सामने रखा जाय।


हमारे पुरखे, क्षत्रियों का जत्था अठारवी सदी तक वैनगंगा क्षेत्र में पूरी तरह से बस चुका था जिसमें आज के जिले सिवनी, गोंदिया, बालाघाट और भंडारा आते है। इतने बड़े क्षेत्र में समाज का विस्तार होने के बावजूद सभी की साझा संस्कृति आज भी कायम है। क्षत्रिय पंवार/पोवार महासंघ का यही प्रयास है कि इस पोवारी संस्कृति को संरक्षित किया जाय और सहित्यकारों तथा इतिहास लेखन करने वाले स्वजातीय सदस्यों से विशेष अपेक्षा है कि वे अपनी कलम की ताकत से इस कार्य को करें और समृद्ध पोवारी साहित्य का निर्माण करें।

हमारे समाज के पुरातन पोवारी के गीतों में माज के प्राचीन वैभव के दर्शन होते हैं। आज कोई राजशाही तो नही रही किंतु समाज का गौरवशाली अतीत वर्तमान को उन्नत करने की प्रेरणा अवश्य देता है। इसी उद्देश्य से समाज के युवाओं की यह पहल की अपने गौरवशाली अतीत के प्रेरणा से वर्तमान को उन्नत बनाएंगे, बहुत ही कारगर साबित हो रही है। पोवार महासंघ निरंतर इसी दिशा में कार्यरत है।

आज इस बात की आवश्यकता है कि सभी समाजजनों को अपनी सामाजिक सांस्कृतिक पहचान को बनाये रखते हुए समाजोत्थान हेतु पूरे मनोयोग से सहयोग करना होगा जिससे क्षत्रिय पोवार/पंवार समाज के गौरवशाली अतीत को वर्तमान में भी बनाये रख सकते है और समाज निरंतर प्रगति के पथ पर चलता रहेगा।
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✍️ऋषि बिसेन
संरक्षक, अखिल भारतीय क्षत्रिय पंवार/पोवार महासंघ
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