उपकार कविता का
उपकार कविता का
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उपकार कविता का
सेती खरा मोरोपर
लिखणको बेरा मन
मोरो आनंदीत कर.
कभी रव्ह कल्पना को
दुनियामा मस्त सैर
नहीं कविता को रव्ह
कोणसंग काही वैर.
वास्तवता की भी रव्ह
जोड काही कवितामा
समाधान मिलसेच
कविताला रचनोमा.
लिखनला नवो काही
अच्छो रमसे वू मन
कविताका असा सेती
मोरो पर खरा ऋण.
कविताच देसे खरी
लेखनीला मोरो धार
शब्द न् शब्द को कर
कविताच या शृंगार.
जीवनमा मोरो सेत
कविताका उपकार
एकांतमा भी दसेच
शब्दरूपी भी आधार.
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✒️ उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरीत)
गोंदिया (श्रीक्षेत्र देहू पुणे)
९६७३९६५३११
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