राजा भोज को अरमान:---

 
राजा भोज को अरमान:---
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राजा भोज सबला कह गयो ऐलान!
हे मोरा बेटा तुम्ही;परम वीर समान।
आपरो जाति की ठेवनो सदा शान!
माय गढ़काली भवानी की या जो आन।

राजा भोज कह गयो सत्य बखान!
अखंडता ला बचावनो;ठेवनो ध्यान।
एकता समता राखनो;येव मोरो अरमान!
भूलनो नहीं हे मोरा सच्चा वीर विद्वान।

ठोकर खूब खाई सेव; तलवार निशान!
वैनगंगा तट धायेव;कहलायेव किसान।
टकरावनो जरुर नहीं होवनो परेशान!
जिद्दी से आपरी या खून की पहिचान।

राजा भोज कह गयो नोको होनो हैरान!
जब तक से जीवन;लड़नो युद्ध घमासान!
देश या जाति साती;चाहे चली जाये प्राण।

हक साती आपरो;चलाय देनो धनुष बाण!
हे मोरा बेटा तुम्ही सब यदि सेव सच्चा महान।
अनवरत निरन्तर सदैव चलावनो खानदान!
हे मोरा बेटा तुम्हीं कूलवशं चलावनो विधान।

नाम आयकनो सज्जनों तो होसे अभिमान!
सरपंच; विधायक संसद बनसेव होसे गुमान।
आपरा वरिष्ठ पदाधिकारी को करनो सम्मान!
सम्राट राजा भोज को करत रव्हनो गुणगान।

जय जय हो गढ़कालीका माता दी!
अनेकों नाव वाली आदि इत्यादि!!

देवी गीतकार-रामचरण पटले महाकाली नगर नागपुर
(गांव-कटेरा ; तहसील-कटंगी;जिला बालाघाट म.प्र

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