बटवारा

 बटवारा

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बचपनमा खेल्या कुद्या एकमा भाईभाई

बिह्या होयेपर बटवारा की नौबत आई

टूटतो घर देखकर माय मनमा रोई

बापको सपनको घरोंदा तुटनकी बेरा आई


रोज को घीसघीस लक चुल्हा बी बट्या

माया पिरत भरोसा का धागा बी तुट्या

लहानांगं होन बसी बाचाबाची लडाई

देवरानी जिठानी की काही पटच नही


बरतन कपडा लत्ता बट्या बिस्तर 

बटेव बिसरो जमीन आंगण घर

कथडी ना धुस्या की थप्पी लग गई

घरकी देहरी बी बाटनला कम पड गई


बहीन भाटवाला बुलाया बटवारामा

एकएक बहिण आई भाई हिस्सामा

माय बाप को बटवारा की बारी आई 

बहूबेटा की बोलती बंदच भय गई


बटवारा लक होसें अति नुकसान

एकोपा लक बढंसे कुटुंब की शान

टिकावो खून को रिश्ता की गहराई

बटवारा मा कोणी की नहाय भलाई



                            शारदा चौधरी 

                                 भंडारा

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