Posts

हनुमान

 हनुमान पुंजिकस्थला स्वर्ग की अप्सरा रूपवान सुंदरी, चालमा चंचला ऋषी को संग करिस अभद्रता  वदेव ऋषि, श्राप देसु टुरी तोला पुंजिकस्थला घबराई बड़ी मनमा लेजो वानर जन्म जब पृथ्वीपरा तब तेजस्वी पुत्र हरे,  ताप तोरा ऋषिन उष्शाप देईस मंग अप्सरा वनमा केसरी अंजना को मिलाप रूद्रको ग्यारावो रूप वीर हनुमान सूर्य, अग्नि,सोनो को समान तेज वेद-वेदांगको मर्मज्ञ महाबुद्धिमान राम सीता को सफल करे काज विक्राल रूप धरके, जराईस लंका संजीवन बुटीलक लक्ष्मनकी रक्षा चहू ओर हनुमंता को बजेव डंका रुद्रावतार, पवनसुत केशरीनंदन संकटमोचन, जब नाम सुमिरत भूत पिशाच्च निकट नहीं आवत जो हनुमान चालीसा नित्य गावत   ✍️✍️सौ छाया सुरेंद्र पारधी

प्री-वेडींग - बिह्या को नवो दस्तूर - कुरीति का सुरीति?

 प्री-वेडींग - बिह्या को नवो दस्तूर - कुरीति का सुरीति? मी काही दिवस पयले नागपुर मा आपलोच रिस्तेदारी को एक बिह्या मा गयो होतो। बिह्या नागपुर पासुन १०-१२ किलोमिटर दूर मोठो रिसॉर्ट मा होतो। लगुन की बेरा गोधुली बेरा देई गई होती। मुहुन आमी दिवस बुडता घरलक कारलक निंघ्या अना  सात बजे पोहुच गया। लॉन मा मोठो पेंडालखाल्या खुर्चीइंकी एककं-मंघं-एक रांगं लगी होती। बिजली की रोशनाई अना लॉन की साजसज्जा मनमोहक होती।  पाहुनाइंको जमनो जसतस सुरु भयो होतो। साडे़-आठ नौ बजेवरी पाहुनाइंलक पेंडाल मा पाहुना जमन लग्या। मंग थंडो पानी, कोल्डड्रिंक, टोमेटो सुप अना स्टार्टर धरकन सेवाकर्मी एक-एक लाइन मा फिरन लग्या। सब जन गप्पागोष्टी अना खानोपिनो मा दंग होता। बाजूमाच आर्केस्ट्रा संच नाचगानोलक पाहुनाइंको मनोरंजन करत होतो।  बिह्या को स्टेज जवर बाजूला भल्लीमोठी स्क्रीन लगी होती।काही बेरा मा वोकं पर व्हिडिओ, टीजर्स फोटोशूटिंग सुरु भई। एक को बाद एक फोटो (छायाचित्र) सिलिमा- संगित संग धावन लग्या। मोला लगेव कोनी फिलम क हिरो हिरोइन को रोमांस का ए सिन रहेती। पाहुनाइंको मनोरंजन साति देखावत रहेति। मी सहजच आपलो नाती ला खबर लेयेव

पोवार समाज का नेता अन पोवार समाज

 🪴 पोवार समाज का नेता अन पोवार समाज *****************************        जागतिक लोकतंत्र की व्याख्या करीस त् असो कवनो मा आवसे की, जेको ज्यादा बहुमत ऊ राजा। पन भारत देश को लोकतंत्र की बात करिस त् वा बात बहुत मंग होय जासे।         येन भारत देश को लोकतंत्र मा लोकसभा की अगर बात होत रहे त्  महाराष्ट्र को भंडारा गोंदिया लोकसभा क्षेत्र मा पोवार समाज को नेतृत्व की बात होसे।   होत रहे त्  महाराष्ट्र को भंडारा गोंदिया लोकसभा क्षेत्र मा विधानसभा क्षेत्र की बात होत रहे त्  तिरोड़ा -गोरेगांव विधानसभा क्षेत्र कसभा क्षेत्र मा पोवार समाज को नेतृत्व की बात होसे की बात होसे। येन देश को लोकतंत्र मा लोकसभा की अगर बात होत रहे त् मध्यप्रदेश बलाघाट -सिवनी लोकसभा क्षेत्र मा पोवार समाज को नेतृत्व की बात होसे। बालाघाट, कटंगी विधानसभा क्षेत्र कसभा क्षेत्र मा पोवार समाज को नेतृत्व की बात होसे की बात होसे।  अजवरी को इतिहास से की, मध्यप्रदेश अन महाराष्ट्र को दुय सीट पर पोवार समाज को नेतृत्व राज कर। उन न का करीन नही करीन वा बात अलग से पन ओय लोग समाज ला नही भूल्या, समाज को नाव लौकिक करस्यानी झंडा उचो करीन।       पन

गाव जेवन आबं बी आवं से याद

 गाव जेवन आबं बी आवं से याद आम्बा की वा स्वादिष्ट चटनी आम्बा पन्हा संग भिगी सेवई आम्बा को रस संगमा घिवारी आम्बा रायतो की तिखी फोड़ी! कोहरो की लुस- लुसीत स्याक सुरन दे मटन को भरपूर स्वाद दार-बडी़ की से निरालीच बात खुलं-फोड़ींनको लेयो आस्वाद। गरम- गरम भात चून को साथ वोकोपर घीव, सोनो मा सुहाग बनी होती पाटोडी़ एक दिवस संग मा वोको होतो आंबा-रस। कालच खाया भानीभर कन्हुला रसा मा तरंगता कुरथा का दाना मन कहे खाव पर पोट ना जागा उनकी याद से अज भी ताज्जा। का तेल बड़ा अना का पान बड़ा  गुपत होता एक पर एक तोंडमा लाखोरी भाजी मा बोर- कुकसा चना चनोली पोपट बाल को रसा। केतरो सांगु गा मी जेवन की मजा बिह्या पंगतमा व्यंजन सुवारी बड़ा भटई को स्याक मा परी भर   रसा गरम भात खावो मोंगरा पर मोंगरा। -------डॉ ज्ञानेश्वर टेंभरे* २६-०४-२०२३

महाराष्ट्र मोरो महान

 महाराष्ट्र मोरो महान महाराष्ट्र से विश्व भर मा महान महाराष्ट्र से भारत देश की शान! हिंदू राष्ट्र जनक शिवाजी महान बाजीराव पेशवा घडे़ साम्राज्य! 'स्वातंत्र से जन्मसिद्ध अधिकार' सुन तिलक हुंकार अंग्रेज थर्राय! बीर सावरकर काटे कारो-पानी नहीं कोनी वोको समान सेनानी! मराठी भाषा महाराष्ट्र की पैचान या भूमि से छप्पन बोलींकी खान! मुंबई महानगरी दुनिया की शान आशिया खंड को मॅंचेस्टर जान! जगदेव पंवार न करिस यहां राज पोवार - पोवार से विदर्भ की शान!              

कायापालट

 🪴  कायापालट येन   जीनगी   मा  बात  रवसेत  नाना  प्रकार की। जो  समजसे  वोकी  गाड़ी चलसे मस्त संसार की। साधी बात त् समज जासेत एकदम झटकन भाऊ, कोनी वाकड़ी तिकड़ी कोनी अन्य बी आकार की। निरो  हुशार  रहेलक  काही  होय नही येन जग मा, जरूरत  रवसे  बुद्धि  ला बी विवेक को श्रृंगार की। बदल  जासेत  संगी  अन  होय  जासे कायापालट, कोनी कसेत कसो बदलेव अन बात से बिचार की। येतो  डुबो  काम  मा  की सफलता घर ढूंढत आये, मग  जरूरत  नहीं लगन की प्रचार अन प्रसार की। *************************************** ©®✍️ *एड. देवेंद्र चौधरी, तिरोडा (गोंदिया)*                     ता. ०१/०५/२०२३  ***************************************

दस्तूर

           🪴                दस्तूर पयले   पतराली   रवत   परसा  को  पाना  की। अना तब बात होती सिरिफ दुय चार आना की। मांडो  को  दिवस  आय  जात होता घर पाउना, बड़ी  जोर  की  मैफिल भर  पोवारी  गाना की। रिवाज   को   संग  होता  आमरा  मस्त  दस्तूर, कला-कौशल  येतो की, बौछार  चल हाना की। जितस्यान आन जब नवरी ला नवरदेव घर मा, हारजीत  मा  वा  बात  रव  बाल को दाना की। निसर्ग  को  संग दस्तूर की संस्कृति  जुड़ी रव्ह, का  सांगू   बात  क्षत्रिय  पोवार  को  बाना की? ************************************** ©®✍️ *एड. देवेंद्र चौधरी, तिरोडा*                 ता. १०/०३/२०२३ **************************************

पोवारी को सत्व

 🪴       *पोवारी को सत्व*    *पोवारी  मा रिवाज़ को से बहुत बड़ो महत्व।*  *सेत सामाजिक कारण अन वैज्ञानिक तत्व।*  *सपायी  साजरा   सेत   पोवार  का  रिवाज़,*  *वोनच  कारण  गुंजसे  पोवार   को  घनत्व।*  *माय गड़कालिका बसी सब गांव आखर मा,*  *हर  तिहार मा  पूजा  करन  को  से दायित्व।*  *जय   पोवार   जय  धार  से  एकता को मंत्र,*  *चवरी  मा  बिराजी   से  पोवारी   को  सत्व।*  *सिखो  अनेक   भाषा आपरो व्यवहार सात,*  *पन  पोवारी  बोलस्यान  बचाओ  अस्तित्व।*  ************************************ ©®✍️ *एड. देवेंद्र चौधरी, तिरोडा*                 ता. २५/०३/२०२३  ************************************

🌸पोवारी कविताये 🌸

 🌸पोवारी कविताये 🌸 मी चली ढुंढन जीवन को सूर्य सौभाग्यवती बिसरोल् सजी देख विधवा दुखीमन ही मन पुटपुटाई अर्धो उमर मा सोडस्यानी गयात सांगो त मोरी का घोर चुक होती? जीवित रव्हताना दिनरात तुमला मी जिगर पर बसायस्यानी जगी तोरो जायेपर घर समाज न् सांग मोला काहे मंग वारा पर सोडिस? तोरो मंघ् मी रुढी को जाल फंसी मंगल करम कांड लक भयी दूरी तु रव्हता मी होती घर की लक्ष्मी सांग आता काहे भई अपसगुनी? मोला भी लगसे रंगी साड़ी पेहरु  सोनो चांदी को बिसरो लक नटू मस्तक पर कुकु भांग भी भरदू तु जाताच काहे यादभर मन धरु? मी जिंदा रयकन भी मरन भोगसु समाज की कुत्सित नजर सोसुसू सांग अहिल्या, सावित्री, सिंधुताई  अपमान ल् मिले का मोला मुक्ति? मी चिरफाडुन रुढी परम्परा ला जराय टाकुन अंधसरदा-इनला मी चली ढुंढन सूर्य भगवान ला अंधारो जीवन मा उजारो करन ला!        ***********-* सिखो हरहाल मा जिन तपन बरसावं से आग  सिखो आगला सेकनो। तुफां मचावं से कहर  सिखो  हवा मा उड़़नो। ढग त सेतिच बरसनो सिखो पानीमा भिगनो। पानी से बन्यो बरफ सिखो काश्मीर रवनो। कांटा सेती रस्ता भर सिखो दुःख ला सहनो। कदम कदम सेती गोटा सिखो ठेसलग संभलनो। तीर चुभे छ

♦️लिख रहया सेती जे पोवारी मा♦️

Image
 ♦️लिख रहया सेती जे पोवारी मा♦️ ------------------💜♥️💚--------------- लिख रहया सेती जे पोवारी मा स्वजनों उनको हौसला तुम्हीं बढ़ाओ l बंधुओं लिख सको अगर तुम्हीं मायबोली की सेवा को लाभ उठाओ ll लिख रहया सेती... मायबोली की से मोठी महिमा पोवारी को उत्कर्ष मा हाथ बढ़ाओ l लिख नहीं  सको अगर तुम्हीं त्  लिखने वालों कर पाठ ना फिराओं ll लिख रहया सेती... एक अनमोल नज़र तुम्हारी माय बोली को साहित्य पर घुमाओ l बड़ो अनमोल से समय त् एक लाईक देन ला हाथ बढ़ाओ ll लिख रहया सेती... जाग उठीं से भाषिक अस्मिता  वोन् अस्मिता कर तुम्हीं हाथ बढ़ाओ l होय रहीं से भाषिक क्रांति बंधुओं तुम्हीं पुण्य भागी बन जाओ ll लिख रहया सेती... लिख रहया सेती उनको पर धन दौलत तुम्हीं आपली ना लुटाओ l तुम्हारी मायबोली पोवारी ला केवल आपली शुभकामना दे जाओ ll लिख रहया सेती... 🔶इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले 🔷पोवारी भाषाविश्व नवी क्रांति अभियान, भारतवर्ष . ♦️शुक्र.5/5/2023. -----------------💚♥️💜---------------- *♦️लिख रहया सेती जे पोवारी मा♦️* ------------------💜♥️💚--------------- लिख रहया सेती जे पोवारी मा स्वजनों उनको हौसला तुम्ही

बदर बदर आयेव पाणी

 बदर बदर आयेव पाणी भर उन्हारो को दिवस मा डोरा सेत तपन देखस्यांनी देखता देखता बदलेव मौसम अना बदर बदर आयेव पाणी आया कारा घना बादर सुटेव तुफान सु सु वारा अभारमा चमकी बिजली बरसी पाणी की धारा झोंबन बसेव थंडो वारा भई सर्दी खोकला ताप कभी गर्मी तं कभी थंडी जमीन मारन बसी भाप आयेव कही वारगोटा मिट गई खेती बाडी अवकाली पाणीनं करीस उभो पीक की नासाडी मोहू भया ओला गीद झडया लिंबू आंबा टोरी छिन गयेव तोंड को घास जरी सुख उम्मीद की होरी जिनका रह्य बडी पापड  तपनकी देखन बस्या बाट पाणी नं करीस कबाडा सूर्य की उंगे कबं पहाट जमा की भयी एकच बात भूमी झाडला थोडो आधार वैशाख को खर तपन मा सुकेव रान भयेव हिरवोगार                     शारदा चौधरी                          भंडारा

अजी को पावन पुण्यतिथी निमित्त (दिनांक: ०३.०५.२०२३)

 अजी को पावन पुण्यतिथी निमित्त (दिनांक: ०३.०५.२०२३)  ************************** अजी तुमी सपनमा आवत जाव ************************ ** रोज आवंसे तुमरी आठवन जीवनको पुण्याईकी साठवन -१- कबाड कष्टाकी बांध्यात मोरी  किल्ला वानी कनखर हतोरी -२- मधुर शीतल तुमरो जीवन  मददगार दयावान अंतर्मन -३- आयी जब अंधारी कारी रात  हमेशा बन्यात दिवोकी बात -४- जबंभी पंघरके सोवूसू चादरमा ढुंढढुंढकर देखूसू अख्खो बादरमा -५- देखता देखता सोचूसू तुमरो बारामा  मंग दिसं सेव तुमी एक तारामा -६- आबंभी तुमरो चमचम उजारो  बनं जासे जीवनको सहारो -७- दिसं सेव हमेशा वानी हासरा    एतरोच तं पायजे आमला आसरा -८-  असोच तुमी चेहरा देखावत जाव अजी तुमी सपनमा आवत जाव -९- __________________________ डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे "प्रहरी"  उलवे, नवी मुंबई मो. ९८६९९९३९०७

तिज

Image
 तिज अज वैशाख तृतीया दिन आयेव बाई तिज को सण मोहतुर करके आया धनी जोडलक करसा पूजबन बनासेव सेवई संग पना रांधेव बडा ना सुवारी फोडेव कुरोडी पापड करके ठेई सेव तयारी शेणको बेठरीपर मंडायके नवो करसामा भरो पाणी पाच आंबाको ठेवो घड सेंदूर कुकु लगाय स्यानी लेव माय बाप को नाव कागुर टाकन को घनी कुलदेवता ला सुमरके चवरीपर टाक देव बिरानी  पवित्र सण तिज लक तृप्त होये पित्तरंको मन सुख समृद्धी लाभन को देयेत आमला आशीर्वचन टुरी जवाई ना पुरो कुटुंब  मिलकर पंगतमा जेवबं  करके पुरानी बातचीत पुर्वजंइनला यादमा ठेवबं                     शारदा चौधरी                       भंडारा  

जगदेव पँवार री वात

  करीब 250 साल पहले राजस्थान मा प्रचलित जगदेव पँवार की कहानी का काइ अंश अना वोको पोवारी अनुवाद --  जगदेव पँवार री वात--- _तिठै राजा बोल्यो, बेटीं चावड़ी, थारौ पीहर किसे नगर , नै किनरी बेटी छै, नै थारौ सासरो किसै नगर छै, सुसरा रो नाम खांप कासूं छै। तरै चावड़ी जाणियो कोई मोटो लायक दीसै छै, इण आगे कह्यौ चाहीजे । तरै कह्यौ, बापजी, पीहर तो नगर टोडे छै । राजा राजरी धीव' छू, वीजकॅबररी बहिन छू, सासरो धार नगररो धणी, जाति पंवार, राजा उदियादीत रे लोहड़ा बेटारी अंतउर" छू_। पोवारी अनुवाद ---- _तबs राजा कसे, बेटीं चावड़ी, तोरो मायघर कौन नगर को आय । अनै कोनकी बेटी आस ,  तोरो सुसरोघर कौन नगर मा से, सुसरो को नाम , कुल  का से । तबs चावड़ी न समझीस की कोणी मानवाईक  दीसै से, इणको  सामने कवनला होना। तब वोन कहिस, अजी, मोरो मायघर तो  टोडेनगर से । राजराजा की बेटी आव, वीजकंवर की बहिन आव, सुसरो धार नगरको धणी से, जाति पंवार से , अनै राजा उदियादीत को नहानो बेटाकी घरवाली आव।_ (100 साल पुरानो पोवारी नमूना मा अना को जागा परा अनै से।)

पोवार(छत्तीस कुल पंवार) समाज संस्कृति अना इतिहास को तत्व

 पोवार(छत्तीस कुल पंवार) समाज संस्कृति अना इतिहास को तत्व *समाज को परिचय* पोवार(पंवार) समाज को इतिहास गौरवशाली आय। पोवार समाज वास्तव मा छत्तीस पुरातन क्षत्रिय इनको येक संघ आय। इतिहासकार अना समाज को भाट इनको अनुसार मालवा का प्रमार(पंवार) अना इनको नातेदार कुर इनको संघ च असल मा पोवार समाज से, जेला पोवार या छत्तीस कुल पंवार जाति कहयो जासे। *समाज को आदर्श:*       सम्राट विक्रमादित्य, सम्राट शालीवाहन, राजा  मुंज, राजा भोज, राजा उदियादित्य, राजा जगदेव, राजा लक्ष्मणदेव असो अनेकानेक पोवार योद्धा इनला समाज आपरो पुरखा, आपरो आदर्श मानसेती। *पोवारी संस्कृति सनातनी संस्कृति:*      पोवार, सनातन धरम का पालन करन वालों क्षत्रिय समाज आय अना देवघर हर पोवारी घर को प्रमुख पूजाघर आय अना यव मानता से की इतन् आपरो सप्पाई देवी-देवता इनको वास रवहसे अना संग मा आपरो पुरखा ओढ़ील इनकी पावन आत्मा को वास रहवसे। देवघर की चौरी की पवित्र माटी ला पुरातन काल लक पूज्य मानसेजन। नवो स्थान परा जान की स्थिति मा यन माटी ला विधि-विधान लक लेजायकन नवो घर मा देवघर की  बसावन को विधान से। *पोवार समाज को कुलदेव अना कुलदेवी:*     महाकाल म