जगदेव पँवार री वात
करीब 250 साल पहले राजस्थान मा प्रचलित जगदेव पँवार की कहानी का काइ अंश अना वोको पोवारी अनुवाद --
जगदेव पँवार री वात---
_तिठै राजा बोल्यो, बेटीं चावड़ी, थारौ पीहर किसे नगर , नै किनरी बेटी छै, नै थारौ सासरो किसै नगर छै, सुसरा रो नाम खांप कासूं छै। तरै चावड़ी जाणियो कोई मोटो लायक दीसै छै, इण आगे कह्यौ चाहीजे । तरै कह्यौ, बापजी, पीहर तो नगर टोडे छै । राजा राजरी धीव' छू, वीजकॅबररी बहिन छू, सासरो धार नगररो धणी, जाति पंवार, राजा उदियादीत रे लोहड़ा बेटारी अंतउर" छू_।
पोवारी अनुवाद ----
_तबs राजा कसे, बेटीं चावड़ी, तोरो मायघर कौन नगर को आय । अनै कोनकी बेटी आस , तोरो सुसरोघर कौन नगर मा से, सुसरो को नाम , कुल का से । तबs चावड़ी न समझीस की कोणी मानवाईक दीसै से, इणको सामने कवनला होना। तब वोन कहिस, अजी, मोरो मायघर तो टोडेनगर से । राजराजा की बेटी आव, वीजकंवर की बहिन आव, सुसरो धार नगरको धणी से, जाति पंवार से , अनै राजा उदियादीत को नहानो बेटाकी घरवाली आव।_
(100 साल पुरानो पोवारी नमूना मा अना को जागा परा अनै से।)
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