दस्तूर

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दस्तूर


पयले   पतराली   रवत   परसा  को  पाना  की।

अना तब बात होती सिरिफ दुय चार आना की।


मांडो  को  दिवस  आय  जात होता घर पाउना,

बड़ी  जोर  की  मैफिल भर  पोवारी  गाना की।


रिवाज   को   संग  होता  आमरा  मस्त  दस्तूर,

कला-कौशल  येतो की, बौछार  चल हाना की।


जितस्यान आन जब नवरी ला नवरदेव घर मा,

हारजीत  मा  वा  बात  रव  बाल को दाना की।


निसर्ग  को  संग दस्तूर की संस्कृति  जुड़ी रव्ह,

का  सांगू   बात  क्षत्रिय  पोवार  को  बाना की?

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©®✍️ *एड. देवेंद्र चौधरी, तिरोडा* 

               ता. १०/०३/२०२३

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