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पोवारी संस्कृति अना बिह्या को नेंग दस्तूर मा बदलाव

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 पोवारी संस्कृति अना बिह्या को नेंग दस्तूर मा बदलाव           नवरदेव(दूल्हा) अना नौरी(दुल्हन), बिह्या मा भगवान को रूप मा रव्हसेती, एको लाई बिह्या को संस्कार, रीति-रिवाज अना नेगदस्तूर लक पुरो होवनो चाहिसे। पोवार समाज, सनातनी धरम संस्कृति ला माननो वालो समाज को हिस्सा आय। बिह्या, हिन्दू जीवन को येक पवित्र संस्कार आय अना यन पावन संस्कार मा दारू, मुर्गा, अश्लीलता(प्री वेडिंग) की फोटो लेनो, फुहड़ता असी सामजिक कुरीति समाज मा मान्य नहाय।         अज़ आधुनिकता की होड़ मा नवी पीढ़ी आपरो जूनो संस्कार इनला भुलाय रही सेती अना आपरो पुरखा-ओढ़ील इनको मान सम्मान ला भी बिसराय रही सेत। यव कही लक कहीं वरी सही नहाय। बिह्या को गीत इनमा समाज को पुरो इतिहास अना नेंग-दस्तूर को बखान मिल जासे की आम्ही सभ्य-संस्कारी समाज को वारिस आजन येको लाई हमला आपरो बिह्या मा कोनी भी बाधिक जीनुस जसो दारू अना अश्लीलता लाई कोनी भी जाघा नहाय।            पहले पासून को यव रिवाज होतो की बिह्या मा लगुन, गोधूलि बेला मंजे श्याम मा लग जावत होती परा आता नाच गाना मा नशा को चढ़ावा को कारन लक लगुन ला रात होय जासे। दोस्त भाई इनको नाव पर दारू अना फु

🙏🏻पोवारी संस्कृति सनातनी संस्कृति🙏🏻

🚩पोवारी संस्कृति🚩  संस्कृति अना संस्कार आपरो पुरखा इनकी अमानत से। आपरो नाव, आपरी ओरख अना समुदाय को सांस्कृतिक ताना बाना ला बचाय कन राख़नों चाहिसे नही त आवनो वाली पीढ़ी येको लक दूर होय जाहे। संस्कृति अना पयचान रूपी धरोहर ला कोनी भी कीमत मा सोडन को नहाय, येला साबुत राखन को से। 🙏🏻पोवारी संस्कृति सनातनी संस्कृति🙏🏻 

पोवारी भाषा बचाओं अभियान

  पोवारी भाषा बचाओं अभियान   आपरी मातृभाषा को मूल नाव अना ओको स्वरूप ला कायम राखन लाई सब पोवार भाई बहिन इनला जीवन पर्यन्त कार्य करनो पढ़े। पोवार(पंवार) समाज की मायबोली पोवारी आता धीरू धीरू लक खतम होय रही से। आधुनिकता की होड़ मा समाजजन ना येला नाहनागन मा कोनी कोना मा लुकाय कन दूर चली गई सेती त कई लोख त आता येको मूल नाव ला मिटावन ला लग गई सेती, यव सबको लाई दुःखद बात से। संगठना इनको पदाधिकारी, शोधकरता, साहित्यकार इन लक त ज़ियादा आशा से की वय समाज की यन जूनी विरासत ला मूल स्वरूप मा निस्वार्थ भाव मा कायम राखकनमा पुरो मन लक काम करहेती। यन माय रूपी मायबोली को मान सम्मान ला वापिस आनहेती। 🙏🏻जय मायबोली पोवारी 🙏🏻

पोवार(३६ कुल पंवार) समाज के कुल

  पोवार(३६ कुल पंवार) समाज के कुल     पोवार(छत्तीस कुल पंवार) समाज के सभी कुल, वैभवशाली इतिहास के साथ पुरातन क्षत्रिय कुल हैं इसीलिए उनको अपने नाम के साथ सरनेम के रूप में गर्व से लिखें।      कुछ लोग अपने नाम के साथ सरनेम, पवार(Pawar) लिख रहें हैं जो पुरी तरह से गलत है। हमारी जाति के सही नाम पोवार(Powar) और पंवार(Panwar) है पर सरनेम के रूप में हम अपने पुरातन कुल नामों को ही लिखते है और यही हमारे विवाह और अन्य रीति-रिवाजों के आधार है।      कुछ अन्य जाति के लोग अपनी मूल जाति और कुलनामों को छुपाकर सरनेम के रूप में पवार या पंवार लिखकर हमारे समाज के लोगों को भ्रमित कर रहें है की हम भी आपके ही पोवार है लेकिन हमारा पोवार समाज हमेशा से ही छत्तीस कुल का पंवार(पोवार) समाज है और पुरातन संस्कृति और परम्पराओं को चंद स्वार्थी तत्वों के बहकावे में आकर नष्ट न किया जाय। अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार(पंवार) महासंघ  

अज्ञातवास

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  अज्ञातवास अज्ञातवास शब्द आदिकाल लक्, पढ़नो ना सुननो मा आव: से। शब्द को सीधो सीधो अर्थ से अज्ञात जाग्हा मा अज्ञात मानुस को वास। आता येनच् शब्द को वर्तमान परिदृश्य मा पोवार आना पोवारी संग गहरो सम्बंध भय गई से। पोवार मुख्य धारा मा किसान आती, समय को साथ सुधार होना महती गरज रव्ह से। आर्थिक विकास ना वैश्विकरण को प्रभाव लक् सब गांव लक् शहर, शहर लक् प्रदेश, प्रदेश लक् विदेश प्रस्थान करीन्। असर असो भयो, जान वालों को त् अज्ञातवास भयो, पर घर: बापस आवनो पर, अज्ञातवासी भाऊ बहिन आप्ली माय बोली ला, अज्ञातवास देत् गईन्। या अज्ञातवास की श्रृंखला बढ़त गई आना माय बोली मावली घर: वापस नहीं आईं। माय बोली को अज्ञातवास मिटावन की जवाबदेही, आब नवा अज्ञातवासी ऊठाय रही सेती। पर यो अज्ञातवास घर गांव मा रवहन् वाला काहे नहीं मिटाय रही सेती। निवेदक यशवन्त तेजलाल कटरे शनिवार १०/०६/२०२३

हनुमान

 हनुमान पुंजिकस्थला स्वर्ग की अप्सरा रूपवान सुंदरी, चालमा चंचला ऋषी को संग करिस अभद्रता  वदेव ऋषि, श्राप देसु टुरी तोला पुंजिकस्थला घबराई बड़ी मनमा लेजो वानर जन्म जब पृथ्वीपरा तब तेजस्वी पुत्र हरे,  ताप तोरा ऋषिन उष्शाप देईस मंग अप्सरा वनमा केसरी अंजना को मिलाप रूद्रको ग्यारावो रूप वीर हनुमान सूर्य, अग्नि,सोनो को समान तेज वेद-वेदांगको मर्मज्ञ महाबुद्धिमान राम सीता को सफल करे काज विक्राल रूप धरके, जराईस लंका संजीवन बुटीलक लक्ष्मनकी रक्षा चहू ओर हनुमंता को बजेव डंका रुद्रावतार, पवनसुत केशरीनंदन संकटमोचन, जब नाम सुमिरत भूत पिशाच्च निकट नहीं आवत जो हनुमान चालीसा नित्य गावत   ✍️✍️सौ छाया सुरेंद्र पारधी

प्री-वेडींग - बिह्या को नवो दस्तूर - कुरीति का सुरीति?

 प्री-वेडींग - बिह्या को नवो दस्तूर - कुरीति का सुरीति? मी काही दिवस पयले नागपुर मा आपलोच रिस्तेदारी को एक बिह्या मा गयो होतो। बिह्या नागपुर पासुन १०-१२ किलोमिटर दूर मोठो रिसॉर्ट मा होतो। लगुन की बेरा गोधुली बेरा देई गई होती। मुहुन आमी दिवस बुडता घरलक कारलक निंघ्या अना  सात बजे पोहुच गया। लॉन मा मोठो पेंडालखाल्या खुर्चीइंकी एककं-मंघं-एक रांगं लगी होती। बिजली की रोशनाई अना लॉन की साजसज्जा मनमोहक होती।  पाहुनाइंको जमनो जसतस सुरु भयो होतो। साडे़-आठ नौ बजेवरी पाहुनाइंलक पेंडाल मा पाहुना जमन लग्या। मंग थंडो पानी, कोल्डड्रिंक, टोमेटो सुप अना स्टार्टर धरकन सेवाकर्मी एक-एक लाइन मा फिरन लग्या। सब जन गप्पागोष्टी अना खानोपिनो मा दंग होता। बाजूमाच आर्केस्ट्रा संच नाचगानोलक पाहुनाइंको मनोरंजन करत होतो।  बिह्या को स्टेज जवर बाजूला भल्लीमोठी स्क्रीन लगी होती।काही बेरा मा वोकं पर व्हिडिओ, टीजर्स फोटोशूटिंग सुरु भई। एक को बाद एक फोटो (छायाचित्र) सिलिमा- संगित संग धावन लग्या। मोला लगेव कोनी फिलम क हिरो हिरोइन को रोमांस का ए सिन रहेती। पाहुनाइंको मनोरंजन साति देखावत रहेति। मी सहजच आपलो नाती ला खबर लेयेव

पोवार समाज का नेता अन पोवार समाज

 🪴 पोवार समाज का नेता अन पोवार समाज *****************************        जागतिक लोकतंत्र की व्याख्या करीस त् असो कवनो मा आवसे की, जेको ज्यादा बहुमत ऊ राजा। पन भारत देश को लोकतंत्र की बात करिस त् वा बात बहुत मंग होय जासे।         येन भारत देश को लोकतंत्र मा लोकसभा की अगर बात होत रहे त्  महाराष्ट्र को भंडारा गोंदिया लोकसभा क्षेत्र मा पोवार समाज को नेतृत्व की बात होसे।   होत रहे त्  महाराष्ट्र को भंडारा गोंदिया लोकसभा क्षेत्र मा विधानसभा क्षेत्र की बात होत रहे त्  तिरोड़ा -गोरेगांव विधानसभा क्षेत्र कसभा क्षेत्र मा पोवार समाज को नेतृत्व की बात होसे की बात होसे। येन देश को लोकतंत्र मा लोकसभा की अगर बात होत रहे त् मध्यप्रदेश बलाघाट -सिवनी लोकसभा क्षेत्र मा पोवार समाज को नेतृत्व की बात होसे। बालाघाट, कटंगी विधानसभा क्षेत्र कसभा क्षेत्र मा पोवार समाज को नेतृत्व की बात होसे की बात होसे।  अजवरी को इतिहास से की, मध्यप्रदेश अन महाराष्ट्र को दुय सीट पर पोवार समाज को नेतृत्व राज कर। उन न का करीन नही करीन वा बात अलग से पन ओय लोग समाज ला नही भूल्या, समाज को नाव लौकिक करस्यानी झंडा उचो करीन।       पन

गाव जेवन आबं बी आवं से याद

 गाव जेवन आबं बी आवं से याद आम्बा की वा स्वादिष्ट चटनी आम्बा पन्हा संग भिगी सेवई आम्बा को रस संगमा घिवारी आम्बा रायतो की तिखी फोड़ी! कोहरो की लुस- लुसीत स्याक सुरन दे मटन को भरपूर स्वाद दार-बडी़ की से निरालीच बात खुलं-फोड़ींनको लेयो आस्वाद। गरम- गरम भात चून को साथ वोकोपर घीव, सोनो मा सुहाग बनी होती पाटोडी़ एक दिवस संग मा वोको होतो आंबा-रस। कालच खाया भानीभर कन्हुला रसा मा तरंगता कुरथा का दाना मन कहे खाव पर पोट ना जागा उनकी याद से अज भी ताज्जा। का तेल बड़ा अना का पान बड़ा  गुपत होता एक पर एक तोंडमा लाखोरी भाजी मा बोर- कुकसा चना चनोली पोपट बाल को रसा। केतरो सांगु गा मी जेवन की मजा बिह्या पंगतमा व्यंजन सुवारी बड़ा भटई को स्याक मा परी भर   रसा गरम भात खावो मोंगरा पर मोंगरा। -------डॉ ज्ञानेश्वर टेंभरे* २६-०४-२०२३

महाराष्ट्र मोरो महान

 महाराष्ट्र मोरो महान महाराष्ट्र से विश्व भर मा महान महाराष्ट्र से भारत देश की शान! हिंदू राष्ट्र जनक शिवाजी महान बाजीराव पेशवा घडे़ साम्राज्य! 'स्वातंत्र से जन्मसिद्ध अधिकार' सुन तिलक हुंकार अंग्रेज थर्राय! बीर सावरकर काटे कारो-पानी नहीं कोनी वोको समान सेनानी! मराठी भाषा महाराष्ट्र की पैचान या भूमि से छप्पन बोलींकी खान! मुंबई महानगरी दुनिया की शान आशिया खंड को मॅंचेस्टर जान! जगदेव पंवार न करिस यहां राज पोवार - पोवार से विदर्भ की शान!              

कायापालट

 🪴  कायापालट येन   जीनगी   मा  बात  रवसेत  नाना  प्रकार की। जो  समजसे  वोकी  गाड़ी चलसे मस्त संसार की। साधी बात त् समज जासेत एकदम झटकन भाऊ, कोनी वाकड़ी तिकड़ी कोनी अन्य बी आकार की। निरो  हुशार  रहेलक  काही  होय नही येन जग मा, जरूरत  रवसे  बुद्धि  ला बी विवेक को श्रृंगार की। बदल  जासेत  संगी  अन  होय  जासे कायापालट, कोनी कसेत कसो बदलेव अन बात से बिचार की। येतो  डुबो  काम  मा  की सफलता घर ढूंढत आये, मग  जरूरत  नहीं लगन की प्रचार अन प्रसार की। *************************************** ©®✍️ *एड. देवेंद्र चौधरी, तिरोडा (गोंदिया)*                     ता. ०१/०५/२०२३  ***************************************

दस्तूर

           🪴                दस्तूर पयले   पतराली   रवत   परसा  को  पाना  की। अना तब बात होती सिरिफ दुय चार आना की। मांडो  को  दिवस  आय  जात होता घर पाउना, बड़ी  जोर  की  मैफिल भर  पोवारी  गाना की। रिवाज   को   संग  होता  आमरा  मस्त  दस्तूर, कला-कौशल  येतो की, बौछार  चल हाना की। जितस्यान आन जब नवरी ला नवरदेव घर मा, हारजीत  मा  वा  बात  रव  बाल को दाना की। निसर्ग  को  संग दस्तूर की संस्कृति  जुड़ी रव्ह, का  सांगू   बात  क्षत्रिय  पोवार  को  बाना की? ************************************** ©®✍️ *एड. देवेंद्र चौधरी, तिरोडा*                 ता. १०/०३/२०२३ **************************************

पोवारी को सत्व

 🪴       *पोवारी को सत्व*    *पोवारी  मा रिवाज़ को से बहुत बड़ो महत्व।*  *सेत सामाजिक कारण अन वैज्ञानिक तत्व।*  *सपायी  साजरा   सेत   पोवार  का  रिवाज़,*  *वोनच  कारण  गुंजसे  पोवार   को  घनत्व।*  *माय गड़कालिका बसी सब गांव आखर मा,*  *हर  तिहार मा  पूजा  करन  को  से दायित्व।*  *जय   पोवार   जय  धार  से  एकता को मंत्र,*  *चवरी  मा  बिराजी   से  पोवारी   को  सत्व।*  *सिखो  अनेक   भाषा आपरो व्यवहार सात,*  *पन  पोवारी  बोलस्यान  बचाओ  अस्तित्व।*  ************************************ ©®✍️ *एड. देवेंद्र चौधरी, तिरोडा*                 ता. २५/०३/२०२३  ************************************

🌸पोवारी कविताये 🌸

 🌸पोवारी कविताये 🌸 मी चली ढुंढन जीवन को सूर्य सौभाग्यवती बिसरोल् सजी देख विधवा दुखीमन ही मन पुटपुटाई अर्धो उमर मा सोडस्यानी गयात सांगो त मोरी का घोर चुक होती? जीवित रव्हताना दिनरात तुमला मी जिगर पर बसायस्यानी जगी तोरो जायेपर घर समाज न् सांग मोला काहे मंग वारा पर सोडिस? तोरो मंघ् मी रुढी को जाल फंसी मंगल करम कांड लक भयी दूरी तु रव्हता मी होती घर की लक्ष्मी सांग आता काहे भई अपसगुनी? मोला भी लगसे रंगी साड़ी पेहरु  सोनो चांदी को बिसरो लक नटू मस्तक पर कुकु भांग भी भरदू तु जाताच काहे यादभर मन धरु? मी जिंदा रयकन भी मरन भोगसु समाज की कुत्सित नजर सोसुसू सांग अहिल्या, सावित्री, सिंधुताई  अपमान ल् मिले का मोला मुक्ति? मी चिरफाडुन रुढी परम्परा ला जराय टाकुन अंधसरदा-इनला मी चली ढुंढन सूर्य भगवान ला अंधारो जीवन मा उजारो करन ला!        ***********-* सिखो हरहाल मा जिन तपन बरसावं से आग  सिखो आगला सेकनो। तुफां मचावं से कहर  सिखो  हवा मा उड़़नो। ढग त सेतिच बरसनो सिखो पानीमा भिगनो। पानी से बन्यो बरफ सिखो काश्मीर रवनो। कांटा सेती रस्ता भर सिखो दुःख ला सहनो। कदम कदम सेती गोटा सिखो ठेसलग संभलनो। तीर चुभे छ

♦️लिख रहया सेती जे पोवारी मा♦️

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 ♦️लिख रहया सेती जे पोवारी मा♦️ ------------------💜♥️💚--------------- लिख रहया सेती जे पोवारी मा स्वजनों उनको हौसला तुम्हीं बढ़ाओ l बंधुओं लिख सको अगर तुम्हीं मायबोली की सेवा को लाभ उठाओ ll लिख रहया सेती... मायबोली की से मोठी महिमा पोवारी को उत्कर्ष मा हाथ बढ़ाओ l लिख नहीं  सको अगर तुम्हीं त्  लिखने वालों कर पाठ ना फिराओं ll लिख रहया सेती... एक अनमोल नज़र तुम्हारी माय बोली को साहित्य पर घुमाओ l बड़ो अनमोल से समय त् एक लाईक देन ला हाथ बढ़ाओ ll लिख रहया सेती... जाग उठीं से भाषिक अस्मिता  वोन् अस्मिता कर तुम्हीं हाथ बढ़ाओ l होय रहीं से भाषिक क्रांति बंधुओं तुम्हीं पुण्य भागी बन जाओ ll लिख रहया सेती... लिख रहया सेती उनको पर धन दौलत तुम्हीं आपली ना लुटाओ l तुम्हारी मायबोली पोवारी ला केवल आपली शुभकामना दे जाओ ll लिख रहया सेती... 🔶इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले 🔷पोवारी भाषाविश्व नवी क्रांति अभियान, भारतवर्ष . ♦️शुक्र.5/5/2023. -----------------💚♥️💜---------------- *♦️लिख रहया सेती जे पोवारी मा♦️* ------------------💜♥️💚--------------- लिख रहया सेती जे पोवारी मा स्वजनों उनको हौसला तुम्ही