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♦जयजयकार पोवारी दिवस की♦

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 ♦जयजयकार पोवारी दिवस की♦ *********** 🌹🏹🌹🏹🌹🏹🌹🏹🌹🏹🌹 या रम्य कथा पोवारी दिवस की l या पुण्य कथा नववर्ष दिवस की l या जयजयकार पोवारी दिवस की l या जयजयकार नववर्ष दिवस की ll चैत्र मास की नवरात्रि को,  पहलों पावन दिवस की l मातृभाषा को उत्सव को,  पावन मंगल दिवस की ll या जयजयकार पोवारी दिवस की, या जयजयकार नववर्ष दिवस की ll भारतीय  नववर्ष को,  पहलों पावन दिवस की l श्रृष्टि को शुभारंभ को,  चैतन्यमय दिवस की ll या जयजयकार पोवारी दिवस की, या जयजयकार नववर्ष दिवस की ll सम्राट विक्रमादित्य को,  राज्यारोहण को दिवस की ll विक्रमी संवत् को,  शुभारंभ को दिवस की l या जयजयकार पोवारी दिवस की, या जयजयकार नववर्ष दिवस की ll हिन्दुओ की पंचाग को शुभारंभ को दिवस की चैत्रमास की शुरुआत को उत्तरायण को दिवस की या जयजयकार पोवारी दिवस की, या जयजयकार नववर्ष दिवस की ll पोवारी भाषा की महिमा,  याद करन को दिवस की l संस्कृति को उत्थान को,  नव-संकल्प को दिवस की l या जयजयकार  पोवारी दिवस की, या जयजयकार नववर्ष दिवस की ll या रम्य कथा पोवारी दिवस की l या पुण्यकथा नववर्ष दिवस की  ll 🚩भाषिक, वैचारिक, सामाजिक क्रांति 🕉इतिहास

🌷बिरबल की खिचड़ी🌷

 🌷बिरबल की खिचड़ी🌷      थंडीका दिवस होता. सम्राट अकबर न एक दिवस एक अजब घोषणा करीस. ओको महल को सामने को जलकुंड मा रातभर कोणी उभो रहे ओला शेंभर सोनो की मुद्रा बक्षीस मा भेटेत, अशी दवंडी देयेव जासे. वा आयेकशान एक गरीब माणूस असो साहस करन तयार होसे. वु रातभर ओन जलकुंड मा कुडकुडत उभो रव्हसे. सकाळी अकबर आवसे, तब भी वु आपलो जागापरच उभो रव्हसे. पर अकबर की नजर जलकुंड जवळ ठेयेव एक लहानसो दिवो पर जासे.      अकबर पहारेदार ला बिचारसे, "दिवो रातभर पेटत होतो का?" पहारेदार हो कसे. रातभर दिवो पेटत रहेव लक जलकुंड मा उभो रव्हने वालो माणुस ला गर्मी भेटी रहे असो अनुमान अकबर काहळसे. अना शेंभर सोनो की मुद्रा को बक्षीस  देता नही आवनको असो सांगसे. वु ‍गरीब माणूस बिचारो दु:खी होसे. ओला लगसे की आता बिरबलच आपलोला न्याय मिळाय देये. वु बिरबल कर जासे अना पुरी घटना सांगसे. बिरबल ओला कसे, 'तू आता घर जाय. मी देखुसु का करनको से त.'      दुसरो दिवसं दरबार भरसे. रोज टाईमपर आवनेवालो बिरबल अज आयेव नही, म्हणून अकबर सेवक ला बुलावन पठावसे. सेवक जायशान वापस आवसे अना बिरबल खिचडी शिजाय रही से असो सांगसे. बिरबल

🌹 राजा विक्रमादित्य🌹

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  🌹 राजा विक्रमादित्य🌹 आयको आयको जी कहानी सुनो जी बड़ी बात पुरानी। डोरा भरकर आये पाणी पोवारी इतिहास महान से।। टेक।। परमार वंशज को राजा आठवो विक्रमादित्य प्रतापी। बीस बरस को उमर मा आशिया खंड कर विजयी। आफ्रीका रोम पर से ताबा विश्व विजयी को वाह वाह से।।१।। अरब देश पर से कब्जा भाऊ भरथरी राज्य देइस। रानी की भयगयी पुरी आशा राजाला संन्यासी बनाइस। पुत्र विरोध मा गयोव राज्य विक्रमादित्य ला दुःख भयीसे।।२।। अस्व मेघ यज्ञ महा पुजा बन गयोव चक्र वती राजा। सुट करसे प्रजा को कर्जा बजगयोव जगभर डंका। सिंहासन बत्तीस पुतड़ी का इंद्र न भेट करगयीसे।।३।। कालीदास वराह मिहिरा राजा का बन्या दरबारी सच्चा। राम कृष्ण महा प्रतापी राजा बाद भयोव विक्रमादित्य राजा। येशु मसी ओन समयका एक छत्र राज कर गयीसे।।४।। उज्जैन महाकाल की स्थापना अयोध्या राम जन्मभूमि सेवा। कृष्ण भुमी पावन सी मथुरा आधार भुत रच गयो शीला। नवो साल विक्रम जयंती पोवार जात चलो मनावसे।।५।। हेमंत पटले धामनगांव आमगाव ९२७२११६५०१

स्वाभिमान है मुझे मेरे पोवार जाती का

 ====================== स्वाभिमान है मुझे मेरे पोवार जाती का ====================== देश के लिए लड़ें वो देशभक्त सच्चा है,। समाजका हित वो समाज का बच्चा है। देश और समाज के  लिए ना लड़ सकें , उसका तो बस मरजाना ही अच्छा  है। बुराईयां को देखकर भी आंख बंद करें , उसका तो अंधा हो जाना ही अच्छा है । सच्चाईयां सुनकर भी स्वीकार ना करें , उनका तो बहिष्कार करलेना अच्छा है ।। पोवार समाज एकता कायम रखने हेतु , पोवारोउत्था बनो कहता बच्चा बच्चा है। छोड़ दो अधंकार और अधंविश्वास को , नही तो जिते जी मरजाना ही अच्छा है । पोवारी मायबोली तो विरासत है हमारी , संरक्षण तो हमार जन्मसिद्ध अधिकार । पोवारी संस्कृति  व  संस्कार ना धरो तो, समझलो अपना जीवन ही होगा बेकार ।। भारत के पावन भूमि पर जन्म लिया हु , अभिगमन है भारत के पावन माती का । कुलश्रेष्ठ ब्रम्हनिष्ठ निष्ठावान समाज मेरा , स्वाभिमान है मुझे मेरे पोवार जाती का ।।                   !!!कवी!!! श्री हिरदीलाल नेतरामजी ठाकरे नागपुर पोवार समाज एकता मंच परिवार नागपुर =========================

🌷बनं कविता सुजान🌷

 विश्व कविता दिवस को उपलक्ष मा......👇 🌷बनं कविता सुजान🌷  (वर्ण संख्या - १६, यती - ८) काव्यशास्त्र व्याकरण, येकी नही मोला जान | लिखु  कल्पनाको  सार, बनं  कविता सुजान ||धृ|| मोरो कवितामा जुळ्या, शब्द शब्दकाच मोती | सुच्या यमक श्रृंगार, कृपा वाग्देवीकी होती || लेखनीला मिली धार, येकी नही मोला जान | लिखु कल्पनाको सार, बन कविता सुजान ||१|| मोरो कविताका सुर, जसी बोली कोयलकी | गुंज सबको कानमा, खणखण पायलकी || सारेगामा कसा आया, येकी नही मोला जान | लिखु कल्पनाको सार, बन कविता सुजान ||२|| पसरसे कवितामा, गंध धरनी मायको | देसे सुगंध मनला, घीव बखल सायको || कसी महक भरीसे, येकी नही मोला जान | लिखु कल्पनाको सार, बन कविता सुजान ||३|| पशु पक्षी रव्ह सेती, सदा निसर्ग को संग | असा साधासुधा सेती, मोरो कविताका रंग || कसो बनेव मी कवी, येकी नही मोला जान | लिखु कल्पनाको सार, बन कविता सुजान ||४|| ✍ इंजि. गोवर्धन बिसेन "गोकुल"          गोंदिया, मो. ९४२२८३२९४१

#भाषिक क्रांति की राष्ट्रव्यापी लहर

 #भाषिक क्रांति की राष्ट्रव्यापी लहर -------------------------------------------- बोलो पोवारी, लिखो पोवारी येव नारा से मातृभाषा ला वंदन समान l येन् नारा को उदघोष मा आगे बढ़ रही से भाषिक क्रांति अभियान ll अजब सैलाब से क्रांति को गजब विश्वास से क्रांति पर समाज को l नवो परिदृश्य मा होय रही से भक्तिभाव लक मायमाता को उत्थान को ll भाषिक क्रांति की लहर मा नित्य आगे बढ़ रहीं से क्रांति अभियान l हर पोवार बंदा को दिल मा मातृभाषा पाय रहीं से माता वानी सन्मान ll मातृभाषा की सेवा मा लीन युवाशक्ति पर से समाज ला अभिमान l भारत की पावन माटी मा होय रही से पोवारी साहित्य को उत्थान ll #इतिहासकार प्राचार्य ओ. सी. पटले #पोवारी भाषाविश्व नवी क्रांति अभियान, भारतवर्ष. #मंग.22/03/2022.

🌹पाणी🌹

 जागतिक जल दिन 🌹पाणी🌹 थेंब थेंब को करो मोल पाणी से बड़ों अनमोल। करो नको पाणी को खेल जीवन बड़ों अनमोल।।१।। कारखानों का धदां फार भविष्य को नही बिचार। धोढां धोढीं बन्या लाचार सुना पड्या खेत शिवार।।२।। संकल्प को दिन आयोव महत्व पाणी को सांगेव। सब मील पाणी बचाव जग कल्याण येवच भाव।।३।। हेमंत पटले धामनगांव आमगाव से,नि, केंद्र प्रमुख ९२७२११६५०१

🌷करो पाणी को संचय🌷

 विश्व पाणी दिवस की सबला बहुत बहुत शुभकामना💐💐 🌷करो पाणी को संचय🌷  (वर्ण संख्या १६, यती ८, १६ पर) बात पताकी सांगुसू, आता आयको सुजान | रोको सबजन पाणी, येव अमृत समान ||धृ|| ऋतु गर्मीको आयेव, सुर्य ओकसे तपन | जीव तड़पं पाणीलं, बाट देखसे कफन || बहु किंमती से पाणी, येकी बेरा पयचान | रोको सबजन पाणी, येव अमृत समान ||१|| थेंब थेंबलं भरसे, मोठा सागर यहान | थेंब पाणीको प्यासोला, देसे जीवनको दान || बहु किंमती से पाणी, येला जीवन तू मान | रोको सबजन पाणी, येव अमृत समान ||२|| पाणी फेकसेस खूब, जबं धोवसेस आंग | नाश किंमती पाणीको, काहे करसेस सांग || बहु किंमती से पाणी, नोको करूस डंफान | रोको सबजन पाणी, येव अमृत समान ||३|| करं जगको पोषण, पाणी विष्णूको समान | पाणी येवच जीवन, पाणीलाच सृष्टी जान || बहु किंमती से पाणी, मानो वोको अहसान | रोको सबजन पाणी, येव अमृत समान ||४|| आट रह्या तरा अना, लगी बिहिरी आटन | नदी मैली भय गयी,  पाणी दूषित पिवन || बहु किंमती से पाणी, नोको बनूस नादान | रोको सबजन पाणी, येव अमृत समान ||५|| करो पाणीको संचय, आता मनमा तू ठान | निज स्वार्थ सोड़स्यान, बात येतरी तू मान || बहु किंमती से प

भाषिक क्रांति को उदघोष की महिमा

 भाषिक क्रांति को उदघोष की महिमा -----------------💜💜-------------------  पोवारी भाषिक क्रांति मा बोलो पोवारी, लिखो पोवारी येन्  उदघोष को अनमोल योगदान से.परंतु पोवारी साहित्य जगत न् येन् नारा ला महिमामंडित करन को बाबद उदासीनता देखाईस. अतः येन् उदघोष को महत्व  समस्त समाज ला अवगत करावन को  एक प्रयास करी सेव. प्रस्तुत से निम्नलिखित कविता- बोलो पोवारी, लिखो पोवारी l येन् उदघोष की महिमा से न्यारी  l येन्  क्रांति  की ज्वाला  फैलाईस l भाषिक क्रांति ला येन् संभव बनाईस  ll येन् भाषिक स्वाभिमान जगाईस l येन् कर्तव्य को बोध कराईस l येन् सोयेव समाज ला जगाईस l भाषिक  क्रांति ला येन् संभव बनाईस ll येन् युवाओं ला नवो मंच देवाईस  l येन् लिखन ला मातृभाषा सुझाईस l येन् पोवारी का साहित्यिक घड़ाईस l   भाषिक  क्रांति ला  येन् संभव बनाईस ll येन् क्रांति को इतिहास रचाईस l   येन् आपली भाषा ला बचाईस l येन् उत्थान की रस्ता देखाईस l भाषिक क्रांति ला  येन् संभव बनाईस ll स्वार्थीपन न् येको योगदान भुलाईस l अहंकार न्  येको रुप बिघाड़ीस l हर कोनी न् स्वयं ला विद्वान देखाईस l भाषिक क्रांति  की येन् ध्वजा लहराईस ll #इ
 जगत को स्वामी ********** शिव शंकर महादेव महेश भोला; कसेत जगत को स्वामी जिनला! सारो संसार को शंम्भू रखवाला; औघड़नाथ से गरो मा नागमाला! पार्वती पत्नि सती से विकराला ; दुर्गा भवानी बनी माय विशाला! नौ नामिनी दुर्गा शक्ति ज्वाला; विश्व की जगत जननी जगपाला। नित पियकन शंकर भांग गोला; औघडदानी जी महादेव भोला! भक्त को भर देसे भंडार ढोला; संकट मा अवतारसे अग्नि शोला! बाघम्बर वस्त्र डमरु त्रिशूलधारी; व्यापक से महिमा जग मा न्यारी! अंग मा भभूती भोला त्रिनेत्रधारी; इनला सब जानसे दुनिया सारी!! रचनाकार-रामचरण पटले महाकाली नगर नागपुर मोबाइल नं.८२०८४८८०२८

महिमा शिव जी की

 महिमा शिव जी की ******* कसी गजब की लीला से; शिव शंकर भगवान की। ब्रम्हा विष्णु अर्ज करसे ; बात आय जीवन दान की। ब्रम्हा जी ला श्राप लगेव तो; शीश धड़लक कट गई होती! शंकर जी दया रहम आयी तो; कटी मुंड पल मा जुड़ी होती! बिष्णू जी ला श्राप मीलेव पर; हैग्रीव रुप बन अवतार भयो! शंकर जी की कृपा भयी तों; पुनः प्रागट्य चमत्कार भयो!! ब्रम्हा विष्णुजी ला श्राप लगेव; झूठ बोलन को कारण दुईला! धावत-धावत शंकर जी आयो; ब्रम्हा विष्णु न गाईन महिमाला। शिव कथा ला आयकन वालो; तर जासे सहश्त्र कई पिढ़ी ला! मनन चिन्तन भजन गानवालो; होय जासे सदाशिव रखवाला।। अन्तर्मन लक लिखकन कविता; या आय मोरी पोवारी अस्मिता! ब्रम्हा जी से जगत सृष्टि रचिता; शिव पार्वती आती माता पिता। जय जय हो माय गढ़काली; तुच ब्रम्हाणी कल्याणी विशाली! तपस्विनी योगिनी बन विकराली ; विभिन्न नाव की माय शेरावाली। देवी गीतकार-रामचरण पटले महाकाली नगर नागपुर मोबाइल नं.८२०८४८८०२८

माय बोली को बहुमूल्य दान

 🥀माय बोली को बहुमूल्य दान🥀* ---------------------------------------------- 💜💚💙🧡🖤💛❤️♥️💜💚💙 माय बोली न् बोलनो सिखाईस येन् संवाद करनो सिखाईस l येन् विचार करनो सिखाईस माय बोली न् जीवन ला स्वर्ग बनाईस  ll माय बोली न् संस्कार देवाईस येन् संस्कृति अवगत कराईस l येन् धर्म को परिचय कराईस माय बोली  न् जीवन ला स्वर्ग बनाईस ll   मायबोली न् एकता देवाईस येन्  आमला समुदाय देवाईस l येन् आमला संगठन देवाईस  माय बोली न् जीवन ला स्वर्ग बनाईस l माय बोली न्  साहित्य देवाईस येन् साहित्य को एक क्षेत्र देवाईस l येन् साहित्य को एक मंच देवाईस माय बोली न् जीवन ला स्वर्ग बनाईस ll माय बोली न् रिश्ता नाता देवाईस येन् खून की पहचान देवाईस l येन् समाज ला गौरव देवाईस माय बोली न् जीवन ला स्वर्ग बनाईस ll #इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले #प्रणेता:-पोवारी भाषाविश्व नवी क्रांति अभियान, भारतवर्ष. #गुरु. 24/03/2022.

राष्ट्रीय पोवारी दुहेरी चारोळी स्पर्धा

पोवारी साहित्य एवं सांस्कृतिक उत्कर्ष परिवार आयोजित राष्ट्रीय पोवारी दुहेरी चारोळी स्पर्धा दिनांक:  २६ अना २७.०२.२०२२ (शनवार अना इतवार) विषय: बिन पेंदी को लोटा आयोजक : डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे "प्रहरी" परीक्षक : इतिहासकार प्राचार्य ओ. सी. पटले सर गंडल्या गडु  ******************* (बिन पेंदी को लोटा) काइ रव्हसेत दुनियामा   सहीमा गंडल्या गडु  काहेकि इनको असलमा रव्हसे मन बड़ो कडु बन जासेत कबीबी किराय का ये टट्टू  करनको नही भरोसा रव्हसेत स्वार्थसाधु  〽️ahen Patle ******************** विषय :- बिन पेंदी को लोटा बिन पेंदी को लोटा गलंडसे इतन उतन | असो लोटा को सांगो कसो होये जतन || जित पड़से भार वहाँ मानसे हार | असो मानव को सांगो का से जीवन को सार || ✍️इंजी. गोवर्धन बिसेन, "गोकुल" ******************* बिन पेंदी को लोटा  बिन पेंदी का लोटा रव्हसेती घडीक इत न् घडीक उत। बदलसेती क्षणभरमा वोय कोणी कोच प्रती आपला मत।। काही काल उनकी वाहवाही मस्त रव्हसे जहां वहा छभी। पर हश्र उनको होसे सदा ना घर को ना घाट को कभी।। ==================== ✒️ उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरीत)   रामाटोला गोंदिया (श्र

एक सबक

 एक सबक **** नहीं लगी ठोकर सफ़र मा तों,; मंजिल की अहमियत कसो जानो। अगर नहीं टकरायात ग़लती लक; तो सत्यता ला कसो पहिचानो।। वा ग़लती भी मोठो काम की; ज्या भूलवश ख्याति दिलाय जेसे। वा ख्याति भी मोठो नाव की; ज्या मंज़िल ला मिलाय देसे। ज़िंदगी को भरोसा नहीं; कब कोनको का?होय जाये। काही सांगता आव नही; कभी राजा रंक बन जाये।। दशा उरकूड़ा की बदल जासे; ईंन्शान देखकन विचार करसे! परिवर्तन तो पल मा होय जासे; हृदय गति संचार करत रव्हसे। अनुभूति या जीवन कहानी आय! प्रकृति माय जग जननी कहलाय। संस्कृति सोलह संस्कार करवाय! स्मृति मा सब रचनाकृति समाय।

पोवारी बोली अना आमरो सुसंस्कार

 पोवारी बोली अना आमरो  सुसंस्कार यव मोठो गर्व को विषय आय की आम्हरो छत्तीस कुर को पंवार समाज की आपरी येक बोली से जेको साहित्यिक नाव पोवारी से। पोवारी भाषा ला आमी आपरी मायबोली(मातृभाषा) मानसेजन अना एको मायना यव से की पोवारी बोली सिरफ़ येक भाषाच नहाय अपितु आम्हरी माय को तुल्य से अना माय को मान सबलक मोठो से।  छत्तीस कुर को पोवार समाज की मातृभाषा पोवारी ला आता धीरु धीरु लक वोको बेटा-बेटी सोड़ रही सेती। कोनि एको साहित्यिक ऐतिहासिक नाव ला मुराय रही सेत त कोनि दूसरों समाज ला पोवार समाज मा मिलावन लाई राजकरन मा लिप्त होयकन आपरी मायबोली ला आसरा मिसरा करनमा जुटी सेती। असो सुवारथ मा बुड़ाय गयी सेती की आपरी अस्मिता अना पहिचान, आपरी मायबोली को नाव तक मिटाय रही सेती परा येक संतोष को विषय आय की समाज का साहित्यकार आपरी मायबोली को जतन मा जुटी सेती, वोको ऐतिहासिक अना साहित्यिक स्वरूपला जिंदा कर रही सेती।  पोवारी  बोली मा आता कई किताब आय रही से त कई आता गीत, चलचित्र असो कई माध्यम लका पोवारी जीवित करन को प्रयास कर रही सेती परा येक बात को दुख से की आपरी मायतुल्य पूजनीय पोवारी ला फुहड़ तड़का/कॉमेडी को रूपमा बनाय र