राष्ट्रीय पोवारी दुहेरी चारोळी स्पर्धा

पोवारी साहित्य एवं सांस्कृतिक उत्कर्ष परिवार आयोजित

राष्ट्रीय पोवारी दुहेरी चारोळी स्पर्धा

दिनांक:  २६ अना २७.०२.२०२२ (शनवार अना इतवार)

विषय: बिन पेंदी को लोटा


आयोजक : डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे "प्रहरी"


परीक्षक : इतिहासकार प्राचार्य ओ. सी. पटले सर


गंडल्या गडु 

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(बिन पेंदी को लोटा)


काइ रव्हसेत दुनियामा  

सहीमा गंडल्या गडु 

काहेकि इनको असलमा

रव्हसे मन बड़ो कडु


बन जासेत कबीबी

किराय का ये टट्टू 

करनको नही भरोसा

रव्हसेत स्वार्थसाधु 


〽️ahen Patle

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विषय :- बिन पेंदी को लोटा


बिन पेंदी को लोटा

गलंडसे इतन उतन |

असो लोटा को सांगो

कसो होये जतन ||


जित पड़से भार

वहाँ मानसे हार |

असो मानव को सांगो

का से जीवन को सार ||


✍️इंजी. गोवर्धन बिसेन, "गोकुल"

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बिन पेंदी को लोटा 


बिन पेंदी का लोटा रव्हसेती

घडीक इत न् घडीक उत।

बदलसेती क्षणभरमा वोय

कोणी कोच प्रती आपला मत।।


काही काल उनकी वाहवाही

मस्त रव्हसे जहां वहा छभी।

पर हश्र उनको होसे सदा

ना घर को ना घाट को कभी।।

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✒️ उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरीत)

  रामाटोला गोंदिया (श्रीक्षेत्र देहू)

९६७३९६५३११

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पोवारी साहित्य एवं सांस्कृतिक उत्कर्ष परिवार आयोजित

राष्ट्रीय पोवारी दुहेरी चारोळी स्पर्धा

दिनांक: २७.०२.२०२२

(इतवार)

विषय: बिन पेंदी को लोटा

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एक प्रजाति से बडी खास

झूठ फ़रेब का मोठा बेपारी

नाव से गण्डलया गड़ू हमखास

कहेति रात "दिन" ला भर दुपारी


गड़ू को बिगडे जब-जब भार

सत्य को छोड़ साथ पलटे हर बार

चतुर लोमड़ी को से धूर्त आधार

बिन पेंदी को सब झूठो समाचार।


~~~~~~~


✍️ नरेश कुमार गौतम


आयोजक : डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे "प्रहरी"


परीक्षक : इतिहासकार प्राचार्य ओ. सी. पटले सर

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विषय:बिन पेंदी को लोटा

दिनांक:२६व२७:३:२०२२

वय दिवस दुर रह्या नहीं

धान को बदरो फेक्या जायेत।

बिन पेंदी का लोटा खाली भया

समाज को बाहेर टाक्या जायेत।।१।।

माय बाप को चरण धोयले

कासी तीरथ का फल भेटेत।

पोवारी आपली मात्रु भाषा से

गोड़ बोली बोलत रहेत।।२।।


हेमंत पटले धामनगांव आमगाव

९२७२११६५०१

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     चारोली स्पर्धा साती

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जय मां गढ़कालिका नगरी तुमरी धार

राजा भोज की वंशावली जाती पोवार

सद्बुद्धि देजो गंलड्या गळू इनला मां

कभी बन् सेत पोवर अना कभी पवार

               !!! कवी !!!

  श्री हिरदीलाल नेतरामजी ठाकरे

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 आपलो समाज को स्वाभिमान साती ,

प्रयत्नशील सेत वोयच त आती मर्द !!

समाज को स्वाभिमान मीटावने वाला ,

बिना पेंदी का लोटा वोय आती नामर्द !!

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