पोवारी बोली अना आमरो सुसंस्कार

 पोवारी बोली अना आमरो  सुसंस्कार

यव मोठो गर्व को विषय आय की आम्हरो छत्तीस कुर को पंवार समाज की आपरी येक बोली से जेको साहित्यिक नाव पोवारी से। पोवारी भाषा ला आमी आपरी मायबोली(मातृभाषा) मानसेजन अना एको मायना यव से की पोवारी बोली सिरफ़ येक भाषाच नहाय अपितु आम्हरी माय को तुल्य से अना माय को मान सबलक मोठो से। 

छत्तीस कुर को पोवार समाज की मातृभाषा पोवारी ला आता धीरु धीरु लक वोको बेटा-बेटी सोड़ रही सेती। कोनि एको साहित्यिक ऐतिहासिक नाव ला मुराय रही सेत त कोनि दूसरों समाज ला पोवार समाज मा मिलावन लाई राजकरन मा लिप्त होयकन आपरी मायबोली ला आसरा मिसरा करनमा जुटी सेती। असो सुवारथ मा बुड़ाय गयी सेती की आपरी अस्मिता अना पहिचान, आपरी मायबोली को नाव तक मिटाय रही सेती परा येक संतोष को विषय आय की समाज का साहित्यकार आपरी मायबोली को जतन मा जुटी सेती, वोको ऐतिहासिक अना साहित्यिक स्वरूपला जिंदा कर रही सेती। 

पोवारी  बोली मा आता कई किताब आय रही से त कई आता गीत, चलचित्र असो कई माध्यम लका पोवारी जीवित करन को प्रयास कर रही सेती परा येक बात को दुख से की आपरी मायतुल्य पूजनीय पोवारी ला फुहड़ तड़का/कॉमेडी को रूपमा बनाय रही सेती। फुहड़ कोमेडी को नाव लका चलचित्र को निर्माण लक कोनि को आर्थिक लाभ लेय सिक से परा यव आपरी मायबोली को अपमान से। आपरी मायबोली मा उन्नत साहित्य, चलचित्र आदि को निर्माण लक आपरी भाषा समृध्द होहे, वोको मान ऊंचो होहे


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