एक सबक
एक सबक
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नहीं लगी ठोकर सफ़र मा तों,;
मंजिल की अहमियत कसो जानो।
अगर नहीं टकरायात ग़लती लक;
तो सत्यता ला कसो पहिचानो।।
वा ग़लती भी मोठो काम की;
ज्या भूलवश ख्याति दिलाय जेसे।
वा ख्याति भी मोठो नाव की;
ज्या मंज़िल ला मिलाय देसे।
ज़िंदगी को भरोसा नहीं;
कब कोनको का?होय जाये।
काही सांगता आव नही;
कभी राजा रंक बन जाये।।
दशा उरकूड़ा की बदल जासे;
ईंन्शान देखकन विचार करसे!
परिवर्तन तो पल मा होय जासे;
हृदय गति संचार करत रव्हसे।
अनुभूति या जीवन कहानी आय!
प्रकृति माय जग जननी कहलाय।
संस्कृति सोलह संस्कार करवाय!
स्मृति मा सब रचनाकृति समाय।
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