हनुमान
हनुमान पुंजिकस्थला स्वर्ग की अप्सरा रूपवान सुंदरी, चालमा चंचला ऋषी को संग करिस अभद्रता वदेव ऋषि, श्राप देसु टुरी तोला पुंजिकस्थला घबराई बड़ी मनमा लेजो वानर जन्म जब पृथ्वीपरा तब तेजस्वी पुत्र हरे, ताप तोरा ऋषिन उष्शाप देईस मंग अप्सरा वनमा केसरी अंजना को मिलाप रूद्रको ग्यारावो रूप वीर हनुमान सूर्य, अग्नि,सोनो को समान तेज वेद-वेदांगको मर्मज्ञ महाबुद्धिमान राम सीता को सफल करे काज विक्राल रूप धरके, जराईस लंका संजीवन बुटीलक लक्ष्मनकी रक्षा चहू ओर हनुमंता को बजेव डंका रुद्रावतार, पवनसुत केशरीनंदन संकटमोचन, जब नाम सुमिरत भूत पिशाच्च निकट नहीं आवत जो हनुमान चालीसा नित्य गावत ✍️✍️सौ छाया सुरेंद्र पारधी