माहेर की बाट


माहेर की बाट

दिनांक:८:५:२०२२

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देखसे माहेर की बाट

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सुख शांती जन्म भरकी,माय देसे टुरीला भेट।

आयी याद मायबाप की,देखसे माहेर की बाट।।टेक।।


टुरी पोटीको उपजन,माय बाप को होसे घर।

बित गयो लहानपण,जवान भया घर पर।

समय बिहया को करन

,खोजन लग्या वधुवर।

बाप करसे कन्यादान,माय करसे गरो भेट।।१।।


राखी बांधन को त्योहार,बहीण जासे भाऊ घर।

बसन देसे पाटपर, चंदन टीका माथापर।

हासी खुशी से मनपर,हात पर देसे उपहार।

छोड़ जासे माय को घर,डोरा आसु बहेव पाट।।२।।


कुलर पंखा को हवा,चल रहिसे दिन रात।

गरमी लगसे जोर की,बस्या हाय बाप करत।

लाखतकाड़ को समय,खेती कामधंदा की बात।

चिवड़ा लाड़ु डब्बा भर,माय घरको खाजो भेट।।३।।


बाई को स्वर्ग वासपर,माहेर की रव्हसे बाट।

साड़ी कोसारो आयोपर, अर्थी जासे मस्यान घाट।

शोक सभा जग जाहिर, दुःख की पसरीसे लाट।

पचलकड़ी नमस्कार,कर जासेती मन घट्ट।।४।।

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हेमंत पटले धामनगांव आमगाव

९२७२११६५०१

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