पोवारी बिदाई गीत
पोवारी बिदाई गीत
बेटी तोरी बिदाई की, भयगयी तैयारी। कब तक बनी रव्हजो, माय बाप मी पियारी ॥
लाहन पनमाँ, पालन पोषण करी सेव मोठी होत लक, कागज पढ़ाई सेव ।।
आता परायो घर की, बनजो नारी ॥ कब ॥
आब तक आमरी, अच्छी सेवा करिसेस।
घर को काम काज, सब सिख लेईसेस॥
आता सुसरो घर की, करजो तैयारी ॥ कब ॥
सासू सुसरो की, अच्छी सेवा करजो। घर को काममा उनको सल्ला ले जो ॥
घर वालो की बनजो, आज्ञा कारी ॥ कब ॥
सासू सुसरोला, माय बाप समझजो। देवर ननन्द को, अच्छो ख्याल ठेवजो ॥
घरकी निमावजो, पूरी जिम्मेवारी ॥ कब ॥
नाहनांग को आँगन मा, तरकारी भाजी लगावजो।
मोठो आँगन मा, फुलवारी सजावजो॥ घरला मंदिर बनायकन, बनी रव्हजो पुजारी ॥ कब ॥
बेटी तोरो बिह्या अच्छो, ढंगलक करी सेव रीति रिवाज लक, कन्या दान करीसेव ॥
माय बापला नोको, भुलजो प्यारी ॥ कब ॥
सुसरो घर जायकन, मनला मोठो करजो।
घर को कामकाज मा, हाथ बटावजो॥ आमरो यादमा नोको, बनजो दुरवारी ॥ कब ॥
सब कुटुम्ब परिवार, आशा कर सेजन। सुहागन बनी रव्हजो, आशिष देसेजन॥
यादमा आँसू नोको, बहावजो प्यारी ॥ कब ॥
भजन पूजनमा, अच्छो ख्याल राखजो।
परिवार संगमा, मनला रमावजो ॥ तोरो संगमा से, मंगल कामना आमरी ॥ कब ॥
✍🏻शोभेलाल गौतम, बैहर,
जि. बालाघाट
स्रोत और सौजन्य : पंवार संदेश
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