हम पंवार क्षत्रिय वंशज राजा भोज के
हम पंवार क्षत्रिय वंशज राजा भोज के
हम पंवार क्षत्रिय वंशज है राजा भोज के।
मानवता के रक्षक भी किस्से सुन लो ओज के।।
दान, धर्म, दया, संस्कार का मोल हम जानते,
स्वाभिमान को ही जीवन का हिस्सा मानते,
सत्यवादी हम कलापुजारी झूठ को धिक्कारते।
आडम्बर की जगह नहीं जो होते बस बोझ के।।
गर्व हमें इस बात का नहीं कभी हम झुकते थे,
वीर हमारे हरदम शेरों के जैसे लड़ते थे।
फौलादी सीना हिम्मत और साहस के साथ में ।
आन बान और शान के किस्से मिलते हैं हर रोज के।
मातृभूमि के रक्षक हम भारत मां के दुलारे,
संकट उस पर जो आये जान भी अपनी वारे,
पुरखों से जो सीख मिली है वही हमारी पूंजी है।
आज युवा आदर्शों पे बढ़ते नवयुग नव खोज के।।
प्रेम और वात्सल्य का अब वो अवलम्ब कहाँ,
भागीरथ के जैसा होता था वो तप बल कहाँ ।
आओ मिलकर हम सब शपथ उठाते है ।
शांतिदूत बन एक्य भाव से गुण लेकर के सरोज के।।
अलका चौधरी, बालाघाट
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