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Showing posts from August, 2022

पंवार समाज गौरव : श्री वीरेंद्र ठाकरे

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 पंवार समाज गौरव :  श्री वीरेंद्र ठाकरे 💐💐🎉🎉🎉🎉💐🎉🎉🎉💐💐 श्री वीरेंद्र जी ठाकरे का जन्म ग्राम भांडी, तहसील- वारासिवनी, जिला बालाघाट में हुआ था। श्री बालिकराम जी ठाकरे और माता श्रीमती गीता बाई ठाकरे के पुत्र श्री वीरेंन्द्र जी बचपन से ही विविध प्रतिभा के धनी रहें हैं। आपकी शालेय शिक्षा, नवोदय विद्यालय कानीवाड़ा(सिवनी) से हुयी और उसके बाद आपने GEC/NIT रायपुर से मेटलर्जिकल इंजीनिरिंग से स्नातक किया। आपने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से ऍम टेक किया। इसके बाद आपने जिंदल इस्पात संयन्त्र रायगढ़, भूषण इस्पात दिल्ली में विभिन्न पदों पर कार्य किया हैं। वर्तमान में आप जिंदल इस्पात संयन्त्र, डॉल्वी मुंबई, में अपनी सेवाएं दे रहें हैं। अब आपकी पदोन्नति असिस्टेंट जनरल मैनेजर(AGM) के पद पर हुयी हैं। समस्त पोवार समाज क़ी तरफ से आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और जीवन में ऐसे ही सफलता अर्जित करते रहने के लिए ढेर सारी शुभकामनायें। 🎉🎉💐💐🎉🎉💐💐🎉🎉💐💐🎉🎉💐💐 शुभकामनाओं के साथ क्षत्रिय पंवार(पोवार) समाजोत्थान संस्थान🚩 ❄️🔅❄️🔅❄️🔅❄️🔅❄️🔅❄️🔅❄️🔅❄️🔅❄️

पोवारी सन-त्योंहार का पकवान

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  पोवारी सन-त्योंहार का पकवान १.      अखाड़ी- भज्या , पानबड़ा का साग , बुल्या माता माय को नैवध. २.     जीवती- सुकुड़ा , सुवारी. ३.      राखी - अनरसा , सातु का लाड़ू , आटेल , शेव चिवड़ा . ४.     नागपंचमी - चना लाई अन् दुध , ५.     कानुबा - ठेटली-मटली , सुवारी , सुकुड़ा , करंजी , चना को उसल , लाई कानुबा को फुलोरा बाधनला लगसे. ६.     पोरा - पापड़ी , करंजी , पान बड़ा का साग , सुवारी , पचमीसरा दार भाजी. ७.    गनपती - चना दार गुड़ को मोदक ८.     सराद - बड़ा को साग , दोढ़का झुनकी को साग , कोहरो का साग , मही की कढी , सुवारी. ९.     दसरा - मयरी , कोचई को पान की बड़ी. १०.   दिवारी - चावुर की खीर , सुरुन को साग , पाढरा अकस्या , लाड़ू , चीवड़ा , अनरसा , चाकुली , करंजी ११.   पाड - गुंजा , बड़ा , भटा को साग. १२.   तीर संक्रांती - मुरा का लाड़ू , तिर का लाड़ू , शेव चिवड़ा. १३.   शिवरात्री - अठई , सुकुढ़ा . १४. होरी - पापड़ी , पुरन-रोटी , करंजी , सुवारी , तेल बड़ा १५. तिजा - सुवारी , पापड़ , तेलबड़ा , आंबा को पना , शेवई , आलु भटा का साग.

पोवार/पंवार समाज के विवाह के दस्तुर

  पोवार/पंवार समाज के विवाह के दस्तुर  लेखक: भोजलालभाऊ पारधी, नागपुर      सृष्टी के निर्माण होते ही भगवान ने संसार का खेल रचाया तथा उसके दिन ब दिन विकास स निर्माण किये गये जीव को बढ़ाने के लिए नर मादा यह दो प्रकार के जीव पैदा किये तथा प्रजनन के लिए कुछ नियम बनाये। विवाह यह भी एक भगवान निर्धित नियम या बंधन है। जिसे भगवानों ने खुद अपनाया तथा विष्णुजी ने लक्ष्मी से, शिवजी ने पार्वती से और इन्द्र ने इद्रायणी से विधीपूर्वक विवाह रचाया।            पुरातन काल से विवाह का बंधन एक नाजुक बंधन निरूपित कर उसे विधीपूर्वक अनेक दस्तुर बनाये गये। हमारा पोवारों का समाज क्षत्रिय वर्ण में आता है, शादी में ७ भावर की प्रथा प्रचलित हुई तथा अनेक दस्तुर बनाये गये। उन सारे दस्तुरो को विश्लेषणात्मक प्रारूप में लिखाया जाए तो एक बड़ी किताब बन जायेगी। इसलिए संक्षेप में विवाह के दस्तुरों को प्रस्तुत कर रहा हूं। आज से ६० - ७० साल पहले के दस्तुर लिए जाए तो उस वक्त ७ दिन तक दस्तुर हुआ करते थे। उनमें समय के अनुसार परिवर्तन किए गए और विवाह ५ दिन, फिर ३ दिन, फिर एक दिन पर आ गये। अब समय का इतना तकाजा है कि इतने कम समय में

जन्माष्टमी क उपलक्ष मा कविता

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 जन्माष्टमी क उपलक्ष मा कविता  ------------------------------ आंगपाय धोयके सकाळीच देव आणण जासे | जल्दी करो तयारी आमरो "कृष्णा " घर आवसे || लायी चणा को त्योहार आय दिवस कसो जासे | लवकर करो तयारी आमरो कानुबा आवसे || आई करसे सरायपोत मी आणूसू माती ना बेलपाती | मोहू का भी पाना आणूसू दोना बनावनसाठी || रंग से निळो डोईपर मोरपंख हाथ मा से बासरी | गाना आइक के कृष्ण का राधा भयि बावरी || जब पासून मोरी कृष्णा संग भयि से पहचान | रस्ता भय गयि रोशन आब वरी होती सुनसान || मोरो सावलो को जल्दी करो जी शृंगार | राधाराणीला भेटणं जाणो से यमुना पार || ढोल ताशा ल रात सजी सब जण करो भजन | टाळी बजाय के जैजैकार कारसेति सब जण || फलफुल्ल ना पाहुणचार को पारना बंधीसे | मोरो राजा कृष्णा अंदर डोला झुलसे ||   *************************** देवराज भुरकन पारधी  वडद  ************************** ९५४५०६८०९०

Powari Geet

  रामायण सन्दर्भ मा मायबोली शब्दावली गीत आदि अवतार देवी सीता जी को परम पावन चरित्र विषयक कविताकरण:- प्रस्तुतकर्ता:-पटले रामचरण ********** हो -हो धड़ -धड़ रोई जनता: माय सीता ला देखकन! राम जी भी मन मा रोयो;: अग्नि परीक्षा लेयकन!!टेक!! अ.१) अयोध्या नगरी नजारों देख रही! दुनिया इशारों मा संकोच कर रही!! बोल गई झगड़ा को हाल धोबन; सीता को चरित्र ला दाग लगायकन; अयोध्यावासी भ्रमित होयकन;? विचलित भयो राम बात सुनकन? हो -हो धड़ -धड़ रोई जनता;माय सीता ला देखकन:-----राम जी भी रोयो;अग्नि परीक्षा लेयकन। अ.२):भयो होतो झगड़ा धोबन को घर मा ? उदाहरण उलाहना देयकन सब मा? सरयू नदी गई वा कपड़ा धोवनला! कलंक लगायकन सीता को जीवन ला! हो -हो धड़ -धड़ रोई जनता;माय सीता ला देखकन::----राम जी रोयो अग्नि परीक्षा लेयकन। अ.३):राम जी न;गुप्त मंत्री ला पठायकन! गांव गांव मा पठाईस;सभा बसायकन! विरोधी कई होता;बोल्या कटू वचन! कई सच्चा होता;करीन सत्य अवलोकन! दुविधा मा रामजी भयो विचलन! दुय बार सीता जी की परीक्षा लेयकन! हो -हो धड़ -धड़ रोई जनता;सीता ला देखकन:::----राम जी भी रोयो अग्नि परीक्षा लेयकन। *अ.४)जानो पड़ेव सीता माय ला घोर

पोवारी साहित्य सरिता , भाग - ५९

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                             पोवारी साहित्य अना सांस्कृतिक उत्कर्ष द्वारा आयोजित पोवारी साहित्य सरिता  भाग -  ५९ 💐🚩💐🚩💐🚩💐🚩💐🚩  आयोजक डॉ. हरगोविंद टेंभरे   मार्गदर्शक श्री. व्ही. बी.देशमुख 🚩🏵️🕉️🏵️🕉️🏵️🕉️🚩 1.  अमृत पुत्र ---------------- अमृत पुत्र आम्हीं, ठेओ एकच ध्यान l परम् पिता की आम्हीं, प्रिय संतान  ll  मानव जीवन येव एक अनुष्ठान l आत्मविश्वास लक करों हर काम l नहीं आम्हीं शोषित पीड़ित बिगारी, परम् पिता की आम्हीं प्रिय संतान ll जीवन मा समय से बड़ो बलवान l सत्कर्मों पर केंद्रित करों निज ध्यान l नहीं आम्हीं पापी जुल्मी अत्याचारी, परम् पिता की आम्हीं प्रिय संतान  ll कर्मफल को ठेओं जीवन मा ध्यान l जीवन ला हो न्याय नीति को अधिष्ठान l नहीं आम्हीं भूका कंगाल भिखारी, परम् पिता की आम्हीं प्रिय संतान ll परम् पिता से कुबेर दुन भी धनवान l वोकी प्रिय संतान ला नाहाय जग मा वाण l नहीं आम्हीं अधर्मी अन्यायी अपराधी, परम् पिता की आम्हीं प्रिय संतान ll -----------------♦️♦️♦️----------------- 2. चैतन्य समाज को निर्माण --------------------------------- कर लो  उत्तम मानव को निर्माण l   कर ल