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रामायण सन्दर्भ मा मायबोली शब्दावली गीत

आदि अवतार देवी सीता जी को परम पावन चरित्र विषयक कविताकरण:-

प्रस्तुतकर्ता:-पटले रामचरण

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हो -हो धड़ -धड़ रोई जनता:

माय सीता ला देखकन!

राम जी भी मन मा रोयो;:

अग्नि परीक्षा लेयकन!!टेक!!


अ.१) अयोध्या नगरी नजारों देख रही!

दुनिया इशारों मा संकोच कर रही!!

बोल गई झगड़ा को हाल धोबन;

सीता को चरित्र ला दाग लगायकन;

अयोध्यावासी भ्रमित होयकन;?

विचलित भयो राम बात सुनकन?

हो -हो धड़ -धड़ रोई जनता;माय सीता ला देखकन:-----राम जी भी रोयो;अग्नि परीक्षा लेयकन।


अ.२):भयो होतो झगड़ा धोबन को घर मा ?

उदाहरण उलाहना देयकन सब मा?

सरयू नदी गई वा कपड़ा धोवनला!

कलंक लगायकन सीता को जीवन ला!

हो -हो धड़ -धड़ रोई जनता;माय सीता ला देखकन::----राम जी रोयो अग्नि परीक्षा लेयकन।


अ.३):राम जी न;गुप्त मंत्री ला पठायकन!

गांव गांव मा पठाईस;सभा बसायकन!

विरोधी कई होता;बोल्या कटू वचन!

कई सच्चा होता;करीन सत्य अवलोकन!

दुविधा मा रामजी भयो विचलन!

दुय बार सीता जी की परीक्षा लेयकन!

हो -हो धड़ -धड़ रोई जनता;सीता ला देखकन:::----राम जी भी रोयो अग्नि परीक्षा लेयकन।


*अ.४)जानो पड़ेव सीता माय ला घोर वन वन!

वाल्मीकि ऋषि को जवड़ सुरक्षित रहकन!

राजा की रानी रहकन भी विरहन!

भया सीता जी ला;दुय टूरा उत्पन्न!

अन्त मा भयो;लवकुश राम परिवार मिलन!

हो -हो धड़ -धड़ रोई जनता;सीता ला देखकन ----राम जी रोयो अग्नि परीक्षा लेयकन।


अ. ५)अश्वमेघ यज्ञ प्रभू राम न करायकन!

यज्ञ को घोड़ो ला लवकुश न धरकन!

राम जी आयो घोड़ों ला मांगन!

अन्त मा भयो;भ्रम हटावन निष्कर्षण!

लवकुश खूब रोया;सवाल पुछकन!

अयोध्या की हर गली मा जायकन?

माय सीता साती करीन सत्यापन!

दुःख मा बितेव माय सीता को जीवन!

हो -हो धड़ -धड़ रोई जनता;सीता ला देखकन ----राम जी भी रोयो अग्नि परीक्षा लेयकन।


अ.६):रामचरितमानस को येव विवरण!

मायबोली लक करेव विवेचन!!

राम जी भी रोयो होतो मन हि मन!

बड़ो दर्दिलो माय सीता को चरित्र चित्रण!!

रामचरण पटले न करकन संक्षेपण**

हो -हो धड़ -धड़ रोई जनता सीता ला देखकन ----राम जी भी रोयो अग्नि परीक्षा लेयकन:-----


देवी गीतकार-रामचरण पटले महाकाली नगर नागपुर मोबाइल नं.८२०८४८८०२८

९८२३९३४६५६

मु.पोष्ट:-कटेरा तहसील -कटंगी जिला बालाघाट (म.प्र.)

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🚩🚩🚩

भगवान की महिमा महान

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हों -हो जय जय शंकर भगवान्!

करसे भक्त जन को कल्याण !टेक!


अ १) अवतार लेयकन कभी राम को!

रुद्र रुप लेय रुप हनुमान को!!

हो -हो बनकन वीर बलवान*:-

हो-हो जय जय हो शंकर भगवान!

करसे भक्त जन को कल्याण!!


अ. २) ब्रम्हा जी ला आदेश देयकन!

सृष्टि की रचना ला करायकन!

हो -हो करसे दिव्य भव्य निर्माण*:-

हो -हो जय हो शंकर भगवान!

करसे भक्त जन को कल्याण!!


*अ. ३)  बिष्णू जी ला अंग मा धारण कर!

नाग बनायकन गरो मा पेहरकर!

हो रचकन सारो विधान::----

हो -हो जय जय हो शंकर भगवान!

करसे भक्त जन को कल्याण!!


अ.४) धरती का सब दुष्ट मिटायकन!

काल कष्ट सबको हटायकन!!

हो सारो जग करसे गुणगान*:--

हो -हो जय जय हो शंकर भगवान!

करसे भक्त जन को कल्याण!!


अ.५) पूजा पाठ करसे नर नारी!

हो शिव शंकर भोला भंडारी!!

हो होयकन सब पर मेहरबान**:--

हो-हो जय जय हो शंकर भगवान!

करसे भक्त जन को कल्याण!!*


अ.६) भोले को सब पर से एअसान!

रामचरण पटले करसे महिमा बखान!

हो करसे कठिन काम आसान* 

हो जय जय हो शंकर भगवान!

करसे भक्त जन को कल्याण!!


देवी गीतकार-रामचरण पटले महाकाली नगर नागपुर मोबाइल नं.८२०८४८८०२८

९८२३९३४६५६

मु.पोष्ट:-कटेरा तहसील -कटंगी जिला बालाघाट (म.प्र.)

🙏🙏

नवो भजन भगवान पर

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हो -हो भगवान भी तरसी से:;:-:जन्म ईंन्शान को लेन ला::!टेक!


अ.१):-अजर अमर रहकन पाषाण मा रहेव !

माटी को हर कण मा मिलेव!!

जागी पिपासा कर्म करनला --।हो -हो भगवान भी तरसी से; जन्म ईंन्शान को लेन ला:-------


अ.२):-बहुत त्रास भोगकन; अदृश्य रहकन!

कभी अखबार पेपर मा छपकन!!

जागी अभिलाषा धर्म करनला --।-हो -हो भगवान भी तरसी से जन्म ईंन्शान को लेन ला।।


अ.३):--सत्यता होती सत्पुरुष होय गयो!

महापुरुष बनकन श्री राम जी होय गयो!

आयो सृष्टि को संकट हरणला --। हो -हो भगवान भी तरसी से जन्म ईंन्शान को लेन ला।।।


अ.४):- भजन रामचरण पटले लिखकन!

माय को भक्ति मा मगन होयकन!

लग गयो गीत भजन लिखनला -। हो -हो भगवान भी तरसी से जन्म ईंन्शान को लेन ला।**


देवी गीतकार-रामचरण पटले महाकाली नगर नागपुर मोबाइल नं ८२०८४८८०२८

९८२३९३४६५६

मु.पोष्ट:-कटेरा ; तहसील -कटंगी जिला बालाघाट (म.प्र.)


आध्यात्मिक कविता

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या मंजिला देह मिली से;

सात चक्र मा सजेव मकान!

येमा पांच तत्व विलीन से;

येमा उड़तो से मन -प्राण।


मूलाधारचक्र स्थान शक्ति को;

कुंडली मारकन लिप्ट्या सांप!

ध्यान साधन माध्यम संचार को;

हृदय मा ऊर्जा आवसे अनाप।


छे:पंखुड़ी लक सजेव तन मन;

स्वाधिष्ठान चक्र से जी महान!

आत्मविश्वास लक सब उत्पन्न;

होसे अंग मा काया को उत्थान।


पीत वर्ण मणिपुर चक्र संग मा;

रमण करसे पीथ मज्जा संस्थान!

कमल खिलसे दस पंखुड़ी मा;

जागसे अव्रिभाव नव निर्माण।


मध्य छाती मा से हृदय चक्र;

ईनमा से नश-नाड़ी परिधान!

मन येव भंवरा फिरसे वक्र मा;

प्रकृति लक जुड़ी से विधान।


विशुद्ध चक्र से कंठ स्थान मा;

येलक निर्भीक रव्हसे जी जान!

अष्ठ सिध्दी नव निधी सबमा;

येलक होसे शंका को समाधान।


मी कौन सेव लक उत्तर देसे;

असो शिव नेत्र लक कसे पुराण!

कुंडली सहस्त्रसार सुषुम्ना से;

ईनमा त्रिवेणी संगम को ठिकान।


सहस्त्रसार येव मोक्ष मार्ग को;

पूर्ण साधना लक परम विश्राम!

परम मिलन;शिव मा शक्ति को;

ये सब परम समाधि मुक्तिधाम।


समय रहे तों जाग जाय रे बंदे;

बसकन सत्संग को दरम्यान!

नेत्र रहकन; नोकों बनस अंधे;

तोरो पर कृपा करे रे भगवान।


अन्तर्ध्यानी माय भवानी लक;

पायो असो भव्य दिव्य वरदान!

गुप्त साधन वाली माय झलक;

क्षण मा भर देसे रिक्त स्थान।


देवी गीतकार-रामचरण हरचंद पटले महाकाली नगर नागपुर मोबाइल नं.८२०८४८८०२८

९८२३९३४६५६

मु.पोष्ट:-कटेरा तहसील -कटंगी जिला बालाघाट (म.प्र.)


भगवान श्रीराम की महिमा

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मायबोली मा बखान

""""""""""""""""""""""""""""""(रचनाकार -रामचरण पटले)


जब;राम जी वनवास मा गया;

आयकनो पंचवटी को दृष्टांत!

नाशिक मा काही दिवस रया;

वहां घटेव विचित्र भव्य वृतांत।


राम;लखन अना सीता सहित;

चुप शांत बसेव होतो भगवान!

अचानक शूर्पणखा विराजित;

स्वरुप बदलकन आयी शैतान।


मोहित होय गई वा जो दिवानी;

रामजी;ओला देख भयो हैरान!

करकन ओन हरकत सी शैतानी;

शूर्पणखा कटाय गई नाक कान।


बदला लेनला दुष्ट आयो रावण;

राम जी को कुटिया को दरम्यान!

ढोंगी साधु को भेष मा आयकन;

सीता जी ला मांगकन भोजनदान।


देवी सीता ला लंका लेजायकन;

इत राम लखन दुई भाई परेशान!

ढुंडन लग्या यहां वहां जायकन;

भगवान राम ला सब होतो ज्ञान।


पहले च राम न माया रचायकन;

अग्निदेव को करकन आहवान!

अग्निदेव जवड़ सीता ला ठेयकन;

येव आय गुप्त रहस्य को विधान।


माया की बनी;बदलकन काया;

दुनिया वाला समझ नहीं पाया!

रावण जसा कई दुष्ट चकराया;

बड़ा -बड़ा सब ज्ञानी भरमाया।


या सब लीला प्रभू राम की होती;

बिगड़ गई होती रावण की मति!

कलयुग ला या दर्शावन की नीति!

परम चरित्रवान माय सीता होती।


जय जय जय हो माय भवानी;

कभी ब्रम्हाणी कभी कल्याणी!

लक्ष्मी स्वरुपा माय या विद्वानी;

रामचरण पटले की या जुबानी।


वेद पुराण ग्रंथ की लिखकन कहानी;

करजो माय सदा सर्वदा निगरानी!

भक्त जनन पर करजो मेहरबानी;

अजर अमर आत्मा वाली वरदानी।


देवी गीतकार-रामचरण हरचंद पटले महाकाली नगर नागपुर मोबाइल नं.८२०८४८८०२८

९८२३९३४६५६

मु.पोष्ट:-कटेरा तहसील -कटंगी जिला बालाघाट (म.प्र.)


रामायण मायबोली मा लिखाई

****"****

(प्रकार:--गीत स्वरुप)

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दोहा सोरठा छंद:;गाऊ चौपाई!

जय जय जय हो; श्रीराम रघुराई।।


१) अयोध्या नगरी मा जन्म लेयकन!

राजा दशरथ को बेटा बनकन!!

धन्य से तोरी कौशल्या माई:--हो-हो

दोहा सोरठा छंद:;गाऊ चौपाई!

जय जय जय हो; श्रीराम रघुराई।


२)बिष्णू जी स्वरुपी तोरी से काया!

विश्व ब्रह्माण्ड सब तुझमा समाया!!

विलाप मा माय कैकयी सताई::--हो हो -------

दोहा सोरठा छंद:;गाऊ चौपाई!

जय जय जय हो; श्रीराम रघुराई।।


३)सुमित्रा माय रही भूखी प्यासी!

तीनी माय जिज्ञासू अभिलाषी!!

याद दरश मा आयी रोवाई:---हो-हो -----------

दोहा सोरठा छंद:;गाऊ चौपाई!

जय जय जय हो; श्रीराम रघुराई।।


४) सरस्वती लक्ष्मी जसी पार्वती!

त्रिलोकी तीन समागम मूर्ति!!

मोहमाया योगमाया महामाई:--हो-हो------

दोहा सोरठा छंद:;गाऊ चौपाई!

जय जय जय हो; श्रीराम रघुराई।।


५) रामचरण पटले गीत मा गाये!

रामायण नवीन रचना बनाये!!

संगीतबद्ध करु कविताई::---हो-हो-----

दोहा सोरठा छंद:;गाऊ चौपाई!

जय जय जय हो; श्रीराम रघुराई।।


देवी गीतकार-रामचरण हरचंद पटले महाकाली नगर नागपुर मोबाइल नं.८२०८४८८०२८

९८२३९३४६५६

मु.पोष्ट:-कटेरा तहसील -कटंगी जिला बालाघाट (म.प्र.)


माय बिना नहीं धरती सुहाय

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माय भवानी नहीं तों काही नहीं;

माय बिना नहीं काहीच सुहाय!

माय को बिना संसार चल नहीं;

शंकर भगवान सुनसान रह जाय।


स्वर्ग मा सब कुछ मिल जासे;

किंतु मौत; नहीं नजर मा आय!

गीता मा;सब कुछ सहज से;

झूठ को कहर नष्ट होय जाय।


दुनिया मा सब कुछ सरल से;

लेकिन कभी च सुकून नाहाय!

कलयुग मा हर पल क्षण क्षण;

परन्तु सब्र फल धिरज नाहाय।


राजा भोज पूछसे कालिदास ला;

अदभुत अचरज का दस सवाल!

उत्तर देयकन जल्दी सांग मोला;

महाकवि उपाधि मिले तत्काल।


१) दुनिया मा सर्वश्रेष्ठ रचना का से?

कालिदास सांगसे उत्तर मामाय!

२) सर्वश्रेष्ठ फूलकौनसे से?

उत्तर माकपास फूलजतलाय।


३) सर्वश्रेष्ठसुगंधकौनसी से?

बर्षा लक भिंगी माटी बतलाय!

४) सर्वश्रेष्ठमिठासकौनसी से?

वाणी कीमधूरता ला फरमाय।


५) सर्वश्रेष्ठदूधकोनको होसे?

उत्तर मा:-सांगीस माय को दूध!

६)सब लककारो  का ?से;

उत्तर मा:-*कलंक से  अशुद्ध।


७)सब लक "भारी"का चीज से;

उत्तर मा:-सब लक कहीसपाप!

८)सब लकसस्तो का?से;

सेसलाहसबदून अच्छी साफ।


९) सबदून महंगोंका चीज से?

सांगीस कालिदास नसहयोग!

१०) सब लककड़वोकायमा से;

उत्तर मा:-सत्य कोअनुप्रयोग।


कालिदास सब परीक्षा पास भयो;

भयो राजा भोज दल मा शामिल!

महाकवि संसार को कहलायो;

असो विद्वान होतो महाकाबिल।


असी घटित पावन रचना ला;

रामचरण पटले सत्य दर्शाय!

काव्यात्मक करकन सबला;

पंध्यांशीकरण मा समझाय।


देवी गीतकार-रामचरण पटले महाकाली नगर नागपुर मोबाइल नं.८२०८४८८०२८🙏


तुलसीदास जयंती

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४/८/२०२२दिन से गुरुवार;

तुलसीदास जी की जय जयकार!

रामचरितमानस का रचनाकार;

भगवान राम की महिमा अपार।


भारत मा जनम्या कई गुणकार;;

कविताकार कोन्ही;कई गीतकार।

साहित्यकार कोन्ही;कई इतिहासकार;

भजनकार कोन्ही;कई किर्तनकार।


आध्यात्मिक सत्संग की महिमा अपार;

अमर आत्मा लक रचेव संसार;

पंच तत्व मा नर देह से साकार;

जगत जननी माय सबकी आधार।



देवी गीतकार-रामचरण पटले महाकाली नगर नागपुर मोबाइल नं.८२०८४८८०२८

सबला मोरों सहृदय लक सादर नमन से:---


जय जय हो माय भवानी;तोरी करुसू पुकार!

धरा नभ पर तोरो से इन्तज़ार!!टेक!!


१)अति अदभुत विकराली भवानी!

भव्य दिव्य विशाली ब्रम्हाणी!!

महिमा से तोरी माय जग मा अपार। :--हो -होओ धरा नभ मा से माय तोरो इन्तज़ार:-----


२) आसमां भी तोरो माय करसे सम्मान!

विश्व मा तोरी से आन बान शान!

नवरात्रि मा होसे शक्ति संचार।::-हो -हो -धरा नभ मा से माय तोरो इन्तजार:--------


३) शक्ति भक्ति युक्ति माय प्रदाता!

सकल सृष्टि की माय विधाता!

गुणला गावसे सारो संसार।:::----हो-हो-धरा नभ मा से माय तोरो इन्तज़ार::-----


४) दृष्टि त्रिनेत्र मा तोरो ब्रम्हाण्ड समायो!

ब्रम्हा विष्णु शंकर जी चरण मा धायो!

सब देवता आया तोरो दरबार।::::-हो-हो धरा नभ पर माय तोरो इन्तज़ार::-----


५)वेद ग्रंथ शास्त्र को लिखूसू सार!

लिखावसेस भक्त ला;करसेस दुलार!

भक्त रामचरण पटले माय करसे प्रसार।:::::--हो -हो -हो-----------धरा नभ पर माय तोरो इन्तज़ार


देवी गीतकार-रामचरण पटले महाकाली नगर नागपुर मोबाइल नं.९८२३९३४६५६

८२०८४८८०२८

(जन्म पता -कटेरा तहसील -कटंगी जिला बालाघाट म.प्र.)


संसार मा संस्कार को सार

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ब्रम्हा विष्णु महेश सृष्टि सृजनाकार!

ब्रम्हा जी येन संसार को रचनाकार।

भगवान बिष्णू सृष्टि को पालनहार!

भगवान शंकर जी करसे सृष्टि को संहार।


दुय लिंग दुय पक्ष सृष्टि का करतार!

दुय पूजा दुय अयन; परिवर्तन को सार।

तीन लोक तीन गुण;ईनको स्वरुप चक्राकार!

तीन स्तर तीन काल मा;रचेव गयो संसार।


तीन देवी तीन शक्ति ये लेयकन अवतार!

चार धाम चार वेद मा करसेती चमत्कार।

चार अप्सरा चार गुरु ये शिक्षा का आधार!

पांच तत्व पांच कर्म मा सब सृष्टि को आकार।


छः ऋतु छः ज्ञान अंग ईनमा सत्संग साकार!

सात छंद सात स्वर मा जगत को श्रृंगार।

सात ऋषि सात रंग मा सृष्टि को अलंकार!

आठ मातृका आठ लक्ष्मी ईनमा समायो प्यार।


नवदुर्गा नव रत्न नव निधी भरमार!

दस महाविद्या दस दिशा को प्रकार।

दस सती प्रगट भयी शक्तिमय संचार!

तैंतीस कोटि सब देव करसेती जयकार।


रचनाकार -रामचरण पटले महाकाली नगर नागपुर मोबाइल नं.८२०८४८८०२

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