पोवारी बोली

पोवारी बोली

आपलो पोवारी बोली को मान आपलो माय को बरोबरच से. नहान टुरा जब पयलो शब्द बोलसे तब वू आपलो माय को संपर्क मा रहेव लका आपलो माय को ओठ अना उच्चार देख अना आयेकस्यान खुद बी तोंडमा लका शब्द काहड़न को प्रयत्न करसे. अना येनच बोली ला आपली मायबोली किंवा मातृभाषा मुहून येकी ओरख होसे. इस्कुल मा भरती होन को बेरा गुरुजी मातृभाषा खबर लेसे, तब आमीनं मातृभाषा पोवारी सांगे पायजे. पर आपली अज्ञानता को कारण लका महाराष्ट्र मा मराठी अना मध्यप्रदेश मा हिंदी लिखी जासे. अना आपलो कागदपत्तर मा तसीच रव्हसे. आता पुढ़ असो नही भयेव पायजे. आपली मायबोली दुनिया मा गोड, दुधपर को साय सरिखी मखमली से. येनं मायबोली को संवर्धन साती आता युवा पिढीनं सामने आयेव पायजे.  मायबोली को मज्याक बनावत रहेत, जे कोनी बी आपलो मायबोली ला मनोरंजन को चक्कर मा आभासी जगत मा अधोपतन करत रहेत उनको भरजोर विरोध करेव पायजे.

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