पोवारी साहित्य सरिता भाग ६९
पोवारी साहित्य अना सांस्कृतिक उत्कर्ष द्वारा आयोजित
पोवारी साहित्य सरिता भाग ६९
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आयोजक
डॉ. हरगोविंद टेंभरे
मार्गदर्शक
श्री. व्ही. बी.देशमुख
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१.कथा पोवारों को स्थानांतरण की
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तीनसौ साल पहले मालवा सोड़ीन l
पूर्वजों न् आपला जुना गांव सोड़ीन l
श्रीराम रघुराई को सुमिरन करक़े ,
मालवा राजस्थान का गांव गव्हान सोड़ीन ll
नगरधन को किला मा डेरा जमाईन l
नवो परिवेश मा तालमेल बसायीन l
श्रीराम रघुराई को सुमिरन करके ,
वैनगंगा को आंचल मा किसानी बनाईन ll
पूर्वजों न् तलाव बोड़ी बनाईन l
नवो परिवेश मा नवा गांव बसाईन l
श्रीराम रघुराई को सुमिरन करके ,
सभी नवो गांव मा राम मंदिर बनाईन ll
बैहर की भूमि ला उपजाऊ बनाईन l
गहूं चना धान की फसल उगाईन l
श्रीराम रघुराई को सुमिरन करके,
सिहारपाठ पर रामजी को मंदिर बनाईन ll
बैहर ला संस्कृति को केंद्र बनाईन l
नवी पीढ़ी ला धर्म की राह देखाईन l
श्रीराम रघुराई को सुमिरन करके ,
वैनगंगा को आंचल मा खुशहाली पाईन ll
इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले
शनि.२२/१०/२०२२.
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२.स्थानांतरण की गाथा
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देवगढ़ को शासक ला साथ देईन l
औरंगजेब की सत्ता झुगार देईन l
पासा पलट देईन रण-मैदान को ,
पूर्वजों न् आपलो पुरुषार्थ देखाय देईन ll
बख्त बुलंद की लाज बचाय लेईन l
धर्मनिष्ठा आपली भी बचाय लेईन l
छोड़ के वतन राजस्थान मालवा को,
पूर्वजों न् आपलो पुरुषार्थ देखाय देईन ll
बख्त ला संकट मा सहयोग देईन l
बख्त सीन खेती योग्य भूमि पाईन l
कायापलट करीन वैनगंगा क्षेत्र को ,
पूर्वजों न् आपलो पुरुषार्थ देखाय देईन ll
स्वदेशी शासक ला साथ देईन l
विधर्मी शासक ला परास्त करीन l
गर्व हरन करीन जुल्मी औरंगजेब को,
पूर्वजों न् आपलो पुरुषार्थ देखाय देईन ll
इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले
रवि. २२/१०/२०२२.
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3.
झुकनो भी नाहाय अना रुकनो भी नाहाय
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मोरो सजातीय पोवार समाजबंधु इनला हिरदीलाल ठाकरे को सहृदय सादर प्रणाम जय राजा भोज , आमरो पोवार समाजमा भी काही काही खबराकरन षड़यंत्र रचकर समाजला मिश्रित खबराकरन करनेवाला विनाशकाले विपरीत बुद्धि प्रवृतीका लोक् सेती , उदाहरण साती हम करे सो कायदा और हमने बनाया वो रिवाज , मोरो मुर्गीला एकच टांग , मी नकटा त तु भी नकटा असो मानसिकता वाला समाजगुरु इनको येन् उद्देश्यला नाकाम करन साती व समाजमा एतिहासिक परिवर्तन आनन् साती आपलोला निस्वार्थ समाज कल्याण जनकल्याण व राष्ट्र कल्याण करनोमा स्वच्छत अना समृद्धता व पारदर्शिता तसोच लोकप्रियता देखावन की गरज से , निस्वार्थ समाज कल्याण जनकल्याण व राष्ट्र कल्याण करनेवाला समाजसेवक ये जनताका व समाजका सच्चा सेवक आत या भावना समाजको समस्त जनमानसमा निर्माण करन की गरज से अना येव होयेच पायजे ,,,!!
आपलो धन-संपत्तिको व समाजमा सर्वोच्च पद को गैरवापर करके व समाजद्वारा देयी गयी सर्वोच्च जवाबदारी को गैरवापर करके समाज संगमा विश्वासघात करके समाजकी संस्कृति संस्कार व पौराणिक ओळख नष्ट-भ्रष्ट करके समाजको मातृत्वला व स्वाभिमानला ठेस पहुंचे असो पाखंड करनो व पुरातनकाल पासून चलत आयेव गौरवशाली इतिहास लक समाजला गुमराह करनो , आपलो समाजपर अन्य समाजको अतिक्रमणला बढ़ावा देनो असो अनेकानेक प्रकारका भ्रमित षड़यंत्रला नाकाम करन साती समाजका तमाम सुशिक्षित संस्कारवान प्रयत्नवादी कर्तृत्वनिष्ठ ब्रम्हनिष्ठ निष्ठावान युवा पीढ़ीला सामने आयकर समाजपर होय रही से अन्याय को विरुद्ध लिखन की गरज से , उनको विरुद्ध बोलन की गरज से , जब् आपलीच तलवार आपलोच समाजबंधु पर चलावन को षड़यंत्र होसे तब् येव आमला बर्दाश्त नहीं अना समाजमा मिश्रित षड़यंत्रकारी ( मी नकटा त जग नकटा ) इनकी मनमानी चलन देनो नाहाय येकी आमला सबला दक्षतापूर्वक काळजी लेनकी गरज से ,,,!!
थोर क्रांतिकारी देशभक्तसहित अनेक थोर माहापुरुष इनला आपलो देशला स्वातंत्र्य करन साती आपलो बलीदान देनो पडेव , इनकोच साकारात्मक एतिहासिक परिवर्तन विचारधारा की मशाल आमला सबला आपलो अंतरात्मामा पेटावन की गरज से , समाजमा एकाधिकार शाही व दबावशाही तसोच लापरवाही( हम करे सो कायदा ) असो मानसिकता वाला समाजगुरु इनको द्वारा लगायेव गयेव असत्यरुपी गवत काटन साती आमला सत्यरुपी इरा हातमा धरन की गरज से , समाजमा समाजोत्थान साती एक समाज एक बिचार या ज्ञानगंगा बोहावन की गरज से , संयमरुपी घड़ी देखकर टाइम को भान ठेवन की भी गरज से , एकमेकला हात मा हात धरके निस्वार्थ साथ देनकी गरज से , या लड़ाई एकटोदुकटो की नोहोय या लड़ाई समस्त समाजबंधु इनकी समस्त समाज की आय , लोकशाही या सब लोक् इन साती होसे मुनस्यारी सब लोक् इनला एकत्र आवन की गरज से ,,,,!!
आता आमला सबला समाज एतिहासिक परिवर्तन को मार्गपर न थांबता , न डगमगावता आपलोला निरंतर चलत रव्हनो से , खालखोदर उतार चढ़ाव आयेती , कही कही धोका दायक प्रसंग भी आयेती , तपण बरसात बादरमा गर्जना भी होयेती व कळकळ बिजली भी चमकेत असा अनेक प्रकार लक अळथळा भी निर्माण होयेत तरी प्रामाणिकता आध्यात्मिकता सहनशीलता व शिष्तपालन लक एतिहासिक परिवर्तन की मशाल पेटावत पेटावत अंधारो रस्ताला प्रकाशित करत करत आमला सबला एकसाथ मिलाकर चलनो से , खबराकरन षड़यंत्र करनेवाला इनको सामने आमला कभी झुकनो नाहाय काही भी भयेव कसो भी भयेव तरी आमला बिल्कुल भी रुकनो नाहाय येव दृढ़संकल्प पर आपलोला अमलबजावणी करनो से , झुकेंगे नही और रुकेंगे भी नहीं येवच आपलो मुलमंत्र होये पायजे जय राजा भोज जय माहामाया गढ़कालिका सबको कल्याण करें,,,!!
लेखक
श्री हिरदीलाल नेतरामजी ठाकरे नागपुर
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4.
🌹 पोवारी साहित्य समूह साती 🌹
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आयी दिवारी. 🚩
सुख चैतन्य लेयकन. 🚩
सबला भरभराट. 🚩
जाये देयकन. 🚩
पोवारी मायबोली का 🚩
दिप प्रज्वलीत भया. 🚩
हर एक पोवार लगावसे 🚩
संस्कृती को गर्व लका दिया 🚩
हटेव मनमंदिरमा. 🚩
अंधारो की छाया. 🚩
शुभेच्छा सेती सबला. 🚩
धन वैभव भेटे निरोगी काया. 🚩
🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷
शेषराव येळेकर
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5
🌷गाय खेले दिवारी मा🌷
(षोडशाक्षरी काव्य, यती - ८, ८ अक्षरपर)
पूजासाती गोवर्धन, बनं प्रतिक गोधन |
करंसेती दिवारी मा, संग गाय को पूजन ||१||
जमा करके गायकी, गायी महातनी बेरा |
बिचोबिच आखर को, ठेवं गोधन को ढेरा ||२||
पाच फेरा गायी संग, फिरं गायकी बी मंग |
नवी जनी गाय गोरा, खेलन को जमं रंग ||३||
लेकरूला सोवायके, गोधन मा खेलायके |
पाय लगसेती सब, टिका वोको लगायके ||४||
घरं सड़ा सरावन, होसे चऊक चांदन |
बनं शेणकी डोकरी, सजं डयल आंगन ||५||
सील जातो देवघर, कांडी 'ना सपरीपर |
बनं चऊक पोवारी, गायखुरी लिखकर ||६||
दिवारी को दिवो जरं, वोनं गायखुरी परं |
संग पूजती डोकरी, सब पोवार को घरं ||७||
एक दिवो दिवारी को, जर जाये पोवारी को |
गाय खेले दिवारी मा, मान बड़े गोवारी को ||८||
© इंजी. गोवर्धन बिसेन 'गोकुल'
गोंदिया, मो. नं. ९४२२८३२९४१
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6
🪔नेंग दस्तूर खीर को🪔
(अष्टाक्षरी काव्य)
आयी होती मालवालं
संग संस्कृती धार की |
बैनगंगा सहारालं
सजी खेती पोवार की ||१||
आनसेती नौतरी मा
चरू दिवारीला घरं |
खीर दुध चाऊर की
बनं टाकके साखरं ||२||
लक्ष्मी संगमा चवरी
मंग पूंजसे पोवार |
खीर निवज चढाय
देसे देवला आहार ||३||
पयलोच दिवारीला
रिती रिवाज आंदी को |
खीर टुराला चाटन
नवो चम्मच चांदी को ||४||
नेंग दस्तूर खीर को
होसे तुरसी जवर |
खासे खीर नवो जीव
नवा कपड़ा पेहर ||५||
दूर करे सब दोष
गर्भ मलीन आहार |
करे पुष्ट लेकरूला
अन्न प्राशन संस्कार ||६||
© इंजी. गोवर्धन बिसेन 'गोकुल'
गोंदिया, मो. नं. ९४२२८३२९४१
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7
|| बोलीका दोष ||
बोली असी बोलो कोई न बोले झुट
जागा असी बसो कोई न बोले उट
शास्त्र पुराण, साधू संत, पढ्या लिख्या जन कसेती बोली पासून आदामिकी विद्वत्ता बुद्धिमत्ता समजी जासे . बोली पासून प्रेरणा देयी जासे म्हणुन स्यानी सोच बीचारकर बोली बोले पाहिजे. बापू महात्मा गांधी कव्हत होतो. कम बोलो, सोच समजकर बोलो, वोन व्यक्तिको प्रभाव अधिक पडसे अना शक्तिभी कम खर्च होसे.
सामान्य बोली मा अठरा प्रकारका दोष सांग्या गया सेती.१) निरर्थक शब्द बोली पटर पटर नही करे पाहिजे.२) घडी घडी वयच वय शब्द दोहराये नही पाहिजे.३) अशलील अशुद्ध शब्द प्रयोग नही करे पाहिजे.४) गरज को अधिक शब्द नही बोले पाहिजे.५) लांब लचक बंदर को पुष्टी सारखी बोली नही बोले पाहिजे.६) मन दुखावन कटू बचन नही बोले पाहिजे.७) ज्या बोली समजमा नही आवत तसो नही बोले पाहिजे.८) दीर्घानंत पदोचारण बोली मा नही करे पाहिजे.९) जो आयकसे वो को पासुन तोंड फेरकर नही बोले पाहिजे.१०) बनावटी, झुटमुट शब्द प्रयोग नहीकरे पाहिजे.११) त्रिवर्ग यांनी धर्म, काम, मोक्ष इनको बाऱ्यामा उलट नही बोले पाहिजे.१२) कानला नही भावणारा कटू बचन नही बोले पाहिजे.१३) कठीण शब्द का उच्चारण बोलीमा नही करे पाहिजे.१४) उलट पलट वाच बात नही करे पाहिजे.१५) नही समज आवनेवाली बोली धिरू धिरु नही बोले पाहिजे.१६) बिना काम अकारन नही बोले पाहिजे.१७) उदेश बिना अर्थ हिन नही बोले पाहिजे.१८) समज हिन बोली नही बोले पाहिजे.
मनमा जो कचरा भरीसे वोला खाली करन साती अधिकच पटर पटर बोली मा नही करे पाहिजे. जबरदस्ती बात बोलन को टारे पाहिजे. तिखट शब्द, गाली गलोच नही करे पाहिजे. आमरी बोली आमरो बोली भाषा की पहिचान से. मुलाखात, बातचीत, विषय समजावन की कुवत परच तुम्हरी ओळख करी जाये. गोड बोलन को रोज प्रयत्न करो तब तूम्हरी कीर्ती पसर जाये.
पोवारी साहित्य सरिता भाग ६९दिनांक:२१:१०:२०२२
हेमंत पी पटले धामणगाव (आमगाव)९२७२११६५०१
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8
हास्य व्यंग लावणी(मायघरका पोहा मुरा)
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आपून एकटी एकटी या पोहा मुरा खासे
काही कवणला जासू त अंगठा देखावसे//ध्रु//
मी सेव भाऊ कास्तकारी लाइन को
या कसे ड्रेस पेहरो तुम्ही साहेबको
मोर कर देखाशानी हातकी अंगठी मोळसे
काही कवणला जासू त अंगठा देखावसे//१//
टोंगरा वरी पच्या ना आंगमा फतई
डोस्का पर टोपी पर साजबाज नही
कास्तकार मानुसला ला थाटबाट का शोभसे
काही कवणला जासू त अंगठा देखावसे//२//
या कसे पाहिजे मस्त शर्ट ना प्यांट
डोस्का परा टोप, जरा देखावो स्टंट
एकमाऱ्या मोरी मोठी फदिसा होय जासे
काही कवणला जासू त अंगठा देखावसे//३//
गयेव दसरा ना आय गयी दिवारीं
महांगाई या पडगयी मोर पर भारी
केतरो समजावू येला या अबुला रव्हसे
काही कवणला जासू त अंगठा देखावसे//५//
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डी. पी.राहांगडालें
गोंदिया
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9
आया दिन खुशालीका
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दिवस उंगतीका रंगको मुकूट
धर आयी बाली बाली
असल खेतकी फसल खुशीमा
झुम रही से हरियाली =१=
रान सिवारमा धुरा पारीपर
फुल हासता बहुरंगी
रानमेवालक लद्या झळुला
सेंडीवरी बेला टंगी =२=
ओलमा हासं डिरा कठानी
धान कटनकी देखे बाट
तपन संगं से खेलनो वोला
संगमा बहती हवाको ठाट =३=
चलेव खेतमा किसान हासत
नजर गळी नवधानीमा
आये नवतरी पळेत दाना
भरभर ढोला भानीमा =४=
आयी दिवारी करो तयारी
दिवो जरावो हिरदामा
लछमीजीको करो शुक्रिया
सिग लगाये खुरदामा =५=
क्षत्रिय सदा उपासक आमी
खड़ग लेखनी कुदालीका
घर घर बाटो खुशी मिठाई
आया दिन खुशालीका =६=
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डॉ. प्रल्हाद हरिणखेड़े "प्रहरी"
डोंगरगाव/ उलवे, नवी मुंबई
मो. ९८६९९९३९०७
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10
विषय:- दिवारी की खीर
खीर मधूर व्यंजन
तांदूर दूध की बनसे
पहले धोयकन तांदूर
बहुत पकावनो पडसे
पकेव गिलो भातमा
साखर अना दूध टाको
सब एकसाथ चूल्हापर
चांगला पकायकन देखो
साखर दूध अना भात
पके चांगलो चूल्हापर
हरुहरु खीर को सुवास
पैले पूरे घरपर
लवंग अना इलायची
कुटकन टाको खीर मा
खोबरा कीस बदाम काजू
टाके पायजे बादमा
वऱ्यालका थोडो
टाक सकसेव केसर
असी पौष्टिक खीर
चांगली करसे असर
दिवारी को दिवस खासेत
खीर संग पांढर अकस्या
साथ सुरण की भाजी
काटसे जीवनमा की अमावस्या
पोवार घर की खीर
खासे पशू पक्षी देव मानव
म्हणून पोवार ला कसेत
समाज मा चलतो फिरतो देव
शेषराव येळेकर
दि. २३/१०/२२
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11
गाव की दिवारी
सब घर होसे मोरो गाव की दिवारी
खुशी उमंग उत्साह की सौगात भारी||टेक||
हलको धान की पहिले होसे कटाई
अनाज खेती को आवसे होसे कमाई
गाडोलक आनसेती खेत मा की माती
घर आंगण लिपकर सराव सेती
चूनो गेरू की पोताई शोभा दिस भारी ||१||
दिवारी की खीर लक्ष्मी पूजनला बनसे
सुरण की भाजी अकस्या संग रव्हसे
चकली शेव चिवडा को ना स्ता बनसे
सींगाडा बतासा पेढा मिठाई मिलसे
फुरफुरी संग फटाका फुट्या भारी ||२||
धन तेरस को महत्वला जान सेती
सोना चांदी को लेनदेन ला करसेती
आयुर्वेद मा धन्वंतरी की पुजा करसेती
चांगलो रव्ह आरोग्य दुवा मागसेती
टवरी की रोषणाई चौक चांदण भारी ||३||
अवस ला जमघट नवो बहु बैदिको
पोवारी समाज दस्तुर करसे न्यारो
पुजा बाद ताल धरसेती फुगडिको
उखानो मा कसेती नाव घरवा लोको
फुगडी की परंपरा अजब से न्यारी ||४||
गोवर्धन की पुजा आखर पर भारी
गोवारो की ढाल संग चल्या गावकरी
नवा नवा कपडा आंगपर का भारी
मंडई की रेलचेल खावो पानसुपारी
दंडार ड्रामा नाच गाना रात का भारी ||५||
पोवारी काव्य स्पर्धा
विषय: दीवारी की खीर
दिनांक:२३:१०:२०२२
हेमंत पी पटले धामणगाव (आमगाव)
९२७२११६५०१
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12
जय श्री राम जय राजा भोज जी सबला🚩🙏🚩
जगमग जगमग दीवो जराओ घर आंगन ला खुब सजाओ,
एक दीवो जराओ मन को मैल मिटावन को,
सब संग हासत बोलत रहो सब संग धुल मिल रवन को,
एक दीवो जराओ सत्य धर्म शांति को ,
देश दुनिया लक अंधकार मिटाओ,
एक दीवो जराओ प्रेम प्रीत को
मन मा सबको प्रीत जगाओ,
एक दिवो जराओ पोवार समाज ला सजग सभ्य समाज बनावन को
अपरी माय बोली की सोभा बढावन को,
एक दीवो जराओ पोवारी माय बोली की अलख जगावन को ,
हर घर माय बोली बचावन को,
जगमग जगमग दीवो जराओ घर आंगन ला खुब सजाओ।।
सबला दीवारी की हार्दिक सुभेच्छा से जी🙏
विद्या बिसेन
बालाघाट🙏
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13
भजन
परमेश्वर प्राप्तीसाठी
जन करे भक्तीमा नमन
मन भाव मा अर्पित
येला कसेत भजन
सेवा अना स्तुती
चरण मा समर्पित
मन की आर्त पुकार
करे भाव मा अर्पित
भक्त अना भगवान
भजन जोडन को रस्ता
तप यज्ञ हवन पेक्षा
मार्ग नेक अना सस्ता
भजन लका होसे
आत्मा की शुद्धी
तल्लीन होय जासे
भगवंत रुपमा बुद्धी
शेषराव येळेकर
दि.२३/१०/२२
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14
चूल्हों -चक्की ,ओखरी , डोकरी, पूजी गईन दिवारी मा।
किसान की मेहनत महक रही से, मीठी -खीर सुआरी मा।।
नवती-नवती बहू आई सेत, लक्ष्मी जसी दिवारी मा।
नाच रही सेत मुन्ना मुन्नी, घर आँगन, फुलवारी मा।।
ओरी-ओरी टवरी सुँदर, घर-घर जरिन दिवारी मा।
घर का कोना कोना महक रही सेती धूप बाती की दानी मा।।
घर का सायना सायनी मस्त सेती पुरानी कहानी मा ।
चर्चा होय रही से केतरा पकवान रहेती आज बिरानी मा।।
रंग बिरंगी आतिशबाजी होय रही से रातरानी मा।
बिसर गया पुराना तरीका नवो ज़मानों को शानी मा।।
सजाय के आरती राखी जाहे डार को अगवानी मा।।
अर्धी रात निकल जासे बसकर यादन की कहानी मा।।
मनाओ दिवारी असी बस जाय मन की बानी मा।
रामराज्य की शुभकामना, सबला आज पोआरी मा।।
यशवन्त कटरे
२४/१०/२०२२
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गुलाब-मोंगरा खूब फूली सेत, बाड़ी-बाड़ी क्यारी मा।
आम्बा तोरण केरा पत्ता सज गईन द्वार दुआरी मा ।।
चौक शोभ अ से गाय खुरी को,ओसरी ,आंगन फुलवारी मा । ओरी-ओरी टवरी सुंदर, घर घर जरिन दिवारी मा ।।
नवती-नवती बहू लगी सेत पूजन की तैयारी मा ।
राम राज की शुभकामना सबला आज पोआरी मा।।
हरकचंद टेमरे--अध्यक्ष पंवार समाज जिला सिवनी।ः
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15
🙏रानी बनकर जग रही होती🙏
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मोरा भी दिन होता
रानी बनकर जग रही होती l
मोरो भी आंचल मा
जगमगाहट दिस रहीं होती l
सारी दुनिया मोला
वंदन करता दिस रहीं होती ll
मोरा भी दिन होता
रजवाड़ाओं मा नांद मा नांद होती l
सबको ओंठो पर
खुशियों लक इठलाय रहीं होती l
सबको दिलों पर
रानी बनके राज कर रहीं होती ll
नवीन जमानों मा
हालत बिगड़ता देख रहीं होती l
सबको ओंठो पर
हिन्दी मराठी खूब खेल रही होती l
मी सबकी नजरों मा
उपहास की शिकार होय रही होती ll
नवी क्रांति को दिनों मा
अनुकूल हवा बहती देख रही होती l
सबकी वाणी लक
मोरी खूब वाहवाही देख रहीं होती l
सबकी लेखनी लक
कविता ना गीत मा ढल रही होती ll
परिवर्तन की हवा
मी आपलो डोरा लक देख रहीं होती l
मोरो मन की वेदना
धीरु धीरु दूर होती देख रहीं होती l
मोरा भी दिन होता
रानी बनकर जग रही रही होती ll
#इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले
#प्रणेता:-पोवारी भाषाविश्व नवी क्रांति अभियान, भारतवर्ष.
#लक्ष्मीपूजन,सोम.२४/१०/२०२२.
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16
अज से दिवारी🙏
सासु बाई न सागीस मोला अज से अपरी पोवारी की दिवारी,
संस्कार अना संस्क्रति दीसे अज सबको घर वरी,
गायी को गोबर लक सडा़ सारवन करबी मोठागन को नहानागन वरी,
गायी को गोबर आनो गोवर्धन पर्वत बसाहो बीच आंगन मा खुब सजाओ बहु मोरी,
गायी को गोबर लक ढोकरी बनाओ कोठा मा डहल मा ओरी ओरी बसाहो,
जातो ,चाटु ,ओखरी, घड़के संग मा ढो़करी बसाहो
गायखुरी को चौंक पुराओ डहल को ओर छोर,
ओसरी मा भी गायखुरी को चौंक पुरावबी गेरू अना चाऊर को पीठ लक पोवारी संस्क्रति की चित्रकारी घड़बी,
जातो ,ओखरी , सील ,पाटा ला भी पुज सेती अज रागोली बनाओ सजे साज,
संझा बेरा भयी चाऊर को पीठ का दस दिवो बनाओ,
गायी को दुध लक निटवल खीर चुल्हो मा रांधो,
धरो आगी पानी संग खीर ढोकरी ला जनाओ दस दिवो जराओ ,
सुन मोरी बहु बाई पोवारी संस्क्रति ला बचाओ,
अपरी पोवारी की अलख जगाओ,
जय जय पोवारी जय पोवार समाज🙏
विद्या बिसेन
बालाघाट🙏
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17
मोरी कहानी
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फॅस गयेव मी, प्रेमविवाह करके |
मुसिबत आनेव, आपल् घर धरके |धृ|
पहले उठत होतो आठ बजे सोयके,
आता सय बजे उठुसू तडफडायके,
सोवनो पडसे अलार्म लगायके |1|
मुसिबत......
मलुसू बर्तन, लगावुसू झाडू उठके,
पाणी बी ठेवनो पडसे पुरो भरके,
बायकोला देसू बेड टी बनायके |2|
मुसिबत......
मंग करुसू सयपाक गॅस जलायके,
भात, भाजी, रोटी ठेवुसू बनायके,
जासू मंग कामपरा मी डब्बा धरके |3|
मुसिबत.....
दिवस बुडता आवुसू कामल् थकके,
बायको देखसे वाट डोरा लगायके,
रात को सयपाक बी करुसू बिटायके |4|
मुसिबत......
रातक् जेवन क् बाद जासू थकके,
बिस्तरपर जल्दी जासू मी सोयके,
बायको देखसे टी.व्ही. डोरा फाडके |5|
मुसिबत.......
- चिरंजीव बिसेन
गोंदिया
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18
सिंदीपार प्रारुप : पोवार बहुल गांवों मा अपनावनों आवश्यक --------------------------------------
साकोली तहसील को सिंदीपार मा पोवार समाज का ७-८ साहित्यिक व कलाकार सेती.वय सब आता माय बोली पोवारी को उत्कर्ष को भी कार्य कर रहया सेती. साल मा एक घन पोवार समाज को सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित कर् सेती.
आपलो मोहाड़ी गांव मा भी आता आपण येन् दिशा मा प्रयास करबी.
सब जन पोवारी भाषा मा कविता, विचार लिखन की शुरुआत करो. जसी आव् से तसी पोवारी लिखों . अना माय बोली पोवारी की सेवा करों. एक -ना-एक दिन आपलो गांव मा भी कवि, लेखक, साहित्यिक तयार होयेती व पोवार समाज की गिनती प्रगत समाज मा होये.
जय पोवारी! जय मायबोली!!
19
सिंदीपार को दीपोत्सव-२०२२
हरसाल सरिखो सिंदीपार को दीपोत्सव येन् साल बी मनायेव गयेव.
कार्यक्रम को स्वरूप -
१.बजरंगबली,वं.तुकडोजी महाराज अना माय गडकालिका क् प्रतिमा को पूजन
२."आया पाऊना" येन् पोवारी स्वागत को गाव क् टुरीईन द्वारा गायन
३.सिंदीपार एक्स्प्रेस कवीराज शेषुभाऊ क् द्वारा प्रास्ताविक अना पाहूणा परिचय
४.गाव का प्रतिभावंत नाट्यकलावंत,साहित्यिक,आयुर्वेदिक वैद्य,आशा वर्कर अना बालकलाकार इनको सत्कार
५.प्रतिभादर्शन लेखी परीक्षा जो कक्षा ३ पासून ५ वरी,कक्षा ६ पासून ८ वरी अना कक्षा ९ पासून सामने का ...असो ३ गट मां प्राविण्य सूची मां आया टुरा टुरी इनला विशेष पारितोषिक त् सहभागी स्पर्धक इनला प्रमाणपत्र,पेन अना प्रार्थना की किताब देनो मां आयी.
६.बिच बिच मां टुरा टुरीईनको समूह गीत,व्यक्तिगत गीत,कोनी को नृत्य करनो मां आयेव.
७.गाव का प्रमुख मार्गदर्शक मुहून प्रा.डाँ.शेखरामजी येळेकर सर इनको गावकरी मंडली,गाव का तरूण बाल गोपालईनला समर्पक मार्गदर्शन भयेव्.
८.कार्यक्रम ला संगीतबद्ध करन की प्रमुख जबाबदारी गाव का हुरहुन्नर शिक्षक कवी श्री.पालिकचंद बिसने सर इनपरा रव्हसे.वय संवादिनी बजावसेत अना उनला तबला की संगत गाव को च चेतन बडोले देसे.
प्रतिभादर्शन लेखी परीक्षा को प्रश्नपत्र रचना बी उनकीच रव्हसे.
९.येन् कार्यक्रम को अंतर्गत चि.भार्गव शेखरामजी येळेकर येन् लिखिसेन वोन् माझा मुंबईचा प्रवास पुस्तक को लोकार्पण करनो मां आयेव्.
तसोच गाव को शिक्षक कवी रणदीप बिसने इननं संपादित करीस वोन् राष्ट्रीय शिक्षा नीति-२०२० येन् विशेषांक को लोकार्पण बी येन् कार्यक्रम क् दौरान भयेव्.
१०.कार्यक्रम को संचालन रणदीप बिसने,आभार प्रदर्शन दिलेराम येळेकर इननं करीन.
११.कार्यक्रम की भौतिक तैयारी एक घंटा मां आमी सबजन करसेजन.
१२.पोवारी प्रतिभा दर्शन समूह,स्वा.सावरकर वाचनालय,झाडीबोली साहित्य मंडळ,राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज विचार केंद्र,गाव की राजाभोज संस्था,सिंदीपार संघ सायम् शाखा
असा अनेक समूह गाँव मां कृतिशील सेती.अना तरूण बाल मंडली येन् कार्यक्रम क् सफलतासाटी झटसेती.
१३.कार्यक्रम क् बक्षिस अना सत्कार साटी आमी कोनसंग एकबी बरगन(चंदा) नहीं लेसेजन.
कार्यक्रम की निष्पत्ति-
१.गाव की माता शिक्षण साटी सजग भयी से.
२.गाव व्यसनमुक्त ठेवनला मदत भयी से.
३.गाव मां शैक्षणिक अना साहित्यिक वातावरण की निर्मिती भयी से.
४.गाव का टुरा मोठा सपना देखनसाटी तयार भयासेती.
५.गाय,सेंद्रिय खेती को प्रचार भयी से.
६.प्रयोगशील खेती साटी गाव की काही किसान मंडली तत्पर भयी से.
७.गाव मां एकात्मता को भाव उपज रही से.
८.जातीय/धार्मिक/राजकीय/सामाजिक असो कोनतो बी प्रकार को भेदभाव ला थारा नहीं |
दस गाव मां शोभसे,मोरो गाव सिंदीपार
संकलन व वृत्तकथन
रणदीप बिसने
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देवा जीव घबराव🙏
देवा जीव घबराव कसो कलयुग आयो ,कोनी की नही दया माया कोनी ला यहां नी,
मन मा सोच मोरो आयो मानुश जन्म काहे पायो,
कसो कर्म को फेरा जीवन भयो नाकारा ,
नही मोह माया पापी भयी काया ,
कर्म धर्म भयो झुटो,मानुश पशु वानी दीस,
बडी लंबी से कहानी मन कर मनमानी, ,
छल कपट को डेरा ऐन जग मा दुई रोज को बसेरा,
तोरो मोरो करता करता बीत जाहे या कहानी,
मन बडो अभिमानी सुझ बूझ बिसरानी,
देवा जीवन की कहानी कसी बीते जीन्दगानी,
शब्द शुल वानी चुभत घर का भेदी भेद डाकत,
बोल मीठो नही बोलत कान मा जहर घोलत,
करकसा वानी बन गयी मीठी वाणी ,
कसी सागु देवा अपरी जुबानी,
मन मा सोच मोरो आयो काहे मानुश जन्म पायो,
छोडो मन को सब भेद नोको करो दील मा छेद,
सुख दुख ले भरी से सबकी कहानी,
हिलमिल सब बिताओ चार दीन की जींन्दगानी,
कौन रहे सौ बरस कौन जाहे छड, भर मा यो जीवन से पानी वानी,
मन मा सोच मोरो आयो काहे मानुश जन्म पायो।।
विद्या बिसेन
बालाघाट🙏
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अज पुरानी पेढ़ी को बुजुर्ग लोगइन संग पोवारी बोलता बोलता का काइ शब्द परा ध्यान गयो -
फ़ोटो हेडकर भयी ,
बेस भयौ ,
फ़ोटो हिटी ,
लाखतखाड़,
बक नही फूटी
ये शब्द विशेष करके पोवारी आत जिनको सबन्ध अन्य स्थानीय भाषा संग नही चोव्ह।
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21
मायबोली पोवारी
कोई बी जात की पहिचान का बहुत सा मापदण्ड होय सक सेतीन। किन्तु सबलक प्रमुख पहिचान बोली होसे। आज नौकरी चाकरी धंधा व्यापार अन क ई वजह लक दुनिया भर मा हमारा जात का लोगजाय रही सेतीन ।असो मा हमी एक दुसरो ला कसो पहिचानबो कि हमी एक च जात का आजन।
अपरी पहिचान कायम राखन लाई सबलक सशक्त एक मात्र माध्यम हमारी बोली से।
किन्तु दुर्भाग्य लक आज पोवार समाज न अपरी पहिचान बोली लक भारी दुरी बनाय लेई सेस।
अन पोवारी बोली को अता का महत्व से अन कोनसो काम पड़ से असा लोग बोल सेतीन।
वर्तमान अन आवन वाली पीढ़ी ला बोली बोलनो या सिखावनो बंद कर देई सेत। असो मा हमारी मूल पहिचान हमारी माय बोली खतम होन को कगर मा से।
मी पोवार समाज का लगभग पन्द्रह व्हाटसाप ग्रुप लक जुड़यो सेंव। दुय चार ग्रुप ला छोड़कर बाकी ग्रुप मा हमारी बोली कही नजर नहीं आव। न ही बोली पर कोई ध्यान देत। पोवार समाज का गाँव लक त अन्तर्राष्ट्रीय स्तर तक ढेर सारा संगठन बन गयी सेतीन।
लेकिन उनकी योजना अन कार्यक्रम मा माय बोली ला कोई महत्व या जाग्हा नहीं मिल।
मोरी सबलक प्रार्थना से कि जेतरा भी संगठन अन ग्रुप सेत सबकी प्राथमिकता मा हमारी माय बोली होनो चाहिए।
पोवारी बोलन वाला परिवार को कोई असो एक संगठन या ग्रुप बन सक से कि हमी अपरो परिवार अन समाज मा सिर्फ अपरी बोली ला बोलबो।
मोरो असो माननो से कि परिवार अन समाज की बहुत सारी समस्या मात्र अपरी बोली बोलनो लक समाप्त होय जाहेत।
अन हमारी जात की पहिचान को संकट भी खतम होय जाहे।
हमारी आवन वाली पीढ़ी ला सब प्रकार को ज्ञान को संग अपरी बोली को भी ज्ञान आवश्यक से।
जेको लक अपरी आवन वाली पीढ़ी पहिचान की मोहताज नहीं होन की। धन्यवाद।
जय राजा भोज जय भारत माता।
निवेदक --कोमल प्रसाद राहँगडाले कल्याणपुर धारनाकलाँ तहसील बरघाट जिला सिवनी म प्र
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