पोवारी साहित्य सरिता

 

पोवारी साहित्य अना सांस्कृतिक उत्कर्ष द्वारा आयोजित




पोवारी साहित्य सरिता भाग ९१-१०८ 

 

 

 

 

आयोजक

 

डॉ. हरगोविंद टेंभरे

श्री शेषराव येळेकर

श्री यशवंत कटरे

 

मार्गदर्शक

श्री. व्ही. बी.देशमुख

 

 

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पोवारी लोक साहित्य : संकलन आवश्यक

 

भविष्य मा पोवारी बोली ला भाषा बनावन को प्रश्न जब् उत्पन्न होये तब् पोवारी भाषा वैभव की समीक्षा नवनिर्मित साहित्य व लोकसाहित्य को आधार पर होये.

पोवारी भाषा को लोकसाहित्य का ‌विवाह गीत, बिदाई गीत, अंगाई गीत, परहा का गीत, बारी, लावणी, झड़ती, पोवाड़ा, ,कथा,‌ हाणा , कहावत असा विविध प्रकार सेती. येव सब लोक साहित्य धीरु -धीरु विलुप्त होय रही से. मातृभाषा प्रेमियों द्वारा, विलुप्ति को कगार पर जेव लोकसाहित्य पहुंच गई से वोको लिखित संकलन करनो या वर्तमान की प्रमुख आवश्यकता से.मातृभाषा को महत्व निम्नलिखित से -

 

मातृभाषा पोवारी आमरी पहचान l

मातृभाषा पोवारी  याच आमरी शान l

या आय आमरों इतिहास को खजाना ,

पोवारी को से आमला पूर्ण स्वाभिमान ll

 

-ओ सी पटले

पोवारी भाषाविश्व नवी क्रांति अभियान, भारतवर्ष.

शनि.२५/०३/२०२३.

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                            प्रतिलिपि पोवारी-

                 आपलाच सेती विरासत मिटावनेवाला

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बोल रहया सेती सब गांव वाला l

बोलनों सोड़ रहया  सेती शहर वाला l

असी हालात से मातृभाषा पोवारी की,

अपलाच सेती विरासत मिटावने वाला ll

 

बोल रहया सेती सब किसानी वाला l

बोलनो सोड़ रहया सेती व्यापार वाला l

असी हालात से मातृभाषा पोवारी की,

आपलाच सेती विरासत मिटावने वाला ll

 

बोल रहया सेती  अभाव वाला l

बोलनो सोड़ रहया सेती दौलत वाला l

असी हालात से मातृभाषा पोवारी की,

आपलाच  सेती विरासत मिटावने वाला ll

 

बोलत रहेती सामान्य हालात वाला l

उपहास करत रहेती मोठो ओहदा वाला l

असी हालात से मातृभाषा पोवारी की,

अपलाच  सेती विरासत मिटावने वाला ll

 

मिटावत रहेती सदा  मिटावने वाला l

बढ़ावत  रहेती समझदार बढ़ावने वाला l

असी हालात से मातृभाषा पोवारी की,

आपलाच सेती विरासत मिटावने  वाला ll

 

-इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

शनि.२५/०३/२०२३

                    कविता

 

कविता मा लिखसे कवी,

भावना पर का बोल।

कल्पना रचना साकार,

सांग देसे भेद ला खोल।। टेक।।

 

ताजा तवाना खिल्या,

दिससेती झाड़परका फूल।

तसी कवि से कविता,

ज्ञान भरी अनमोल।

तोड़या सुख्या फूल की,

खुशबू चली जासे दूर।

पर लिखी गई कविता,

बन जासे वा अमर।

शब्द रूपी संदेश रच,

मन अंदर का बोल।।१।।

 

उड़ने वाला पंछी को,

साहस पर करो बीचार।

गीत कविता पर का,

देश,भक्ति पर अमर।

पंछी भर अंदर जोश,

पंख को शक्ति पर।

रोकटोक नही लेखनीकी,

बनजासे तलवार धार।

भाषा शब्द लय ताल,

कविता को से खेल।।२।।

हेमंत पी पटले धामनगांव (आमगांव)९२७२११६५०१

(जागतिक कविता दिन २१मार्च)

        गांव की मातामाय : गांव की आस्था को केंद्रबिंदु

 

वैनगंगा अंचल को हर गांव मा श्रीराम मंदिर, हनुमान मंदिर व मातामाय को बोहला से. सब जाति समुदाय का लोग मातामाय ला  मां दुर्गा भवानी मान् सेती.  विवाह मा माक्षमाय हल्दी चढ़ाव् सेती.  मां दुर्गा भवानी मान् सेती. विवाह मा मातामाय ला हल्दी चढ़ाव् सेती. मातामाय को बोहला जवर नवरदेव उतार् सेती. शारदीय नवरात्रि मा मातामाय को चौक मा  दुर्गा जी की मूर्ति स्थापित करके नवरात्रि  पर्व मनायेव जासे. चैत्र नवरात्रि मा मातामाय जवर जवारा पेरेव जासे व समस्त गांव का लोग भक्तिभाव लक मातामाय की पूजा -अर्चना कर् सेत.

 

            विगत काही साल पासून पोवार समाज को काही कर्णधारों न्  समस्त अग्निवंशीय क्षत्रियों को आपस मा विलिनिकरण को उद्देश्य लक सबको  मन  मा माता  धारेश्वरी  गढ़कालिका को प्रति  श्रद्धा जगावन को प्रयास करीन. ये कर्णधार यहांच नहीं रुक्या, बल्कि   इनको द्वारा गांव की मातामाय या  माता धारेश्वरी गढ़कालिकाच आय, असी मनगढ़ंत संकल्पना पोवार समुदाय मा रुढ़ करन का प्रयास शुरु सेत. येको कारण  निकट भविष्य मा एकच देवी ला पोवार समाज न् गढ़कालिका कव्हनो व हिन्दू धर्म को सब समुदायों न् मातामाय ( मां दुर्गा भवानी) संबोधित करनों, असो   प्रकार देखनों मा आये व   संपूर्ण हिन्दू समाज की धार्मिक भावना  मा एक सूक्ष्म दरार उत्पन्न होये.  या दरार  हिन्दू धर्म मा समाहित समस्त जाति अना पोवार समुदाय को बीच पड़े.

 

समस्त अग्निवंशीय क्षत्रियों मा एकता निर्माण करनसाती हिन्दू समाज की  धार्मिक समरसता व भावनिक एकात्मकता पर आघात करनों  येव कोनतोच मूल्य पर समर्थनीय नाहाय.  देवी का विभिन्न रुप सेती. अतः निवेदन से कि मतामाय की भक्ति मातामाय को नाव लक करन देव अना माता धारेश्वरी  गढ़कालिका की भक्ति माता गढ़कालिका को नाव लक करन देव.

अग्निवंशियों‌ को विलिनिकरन को प्रयास को कारण हिन्दुओं की धार्मिक समरसता अना गांव की एकता-अखंडता पर प्रतिकूल परिणाम होये असो कोनतोही कृत्य  पोवार समुदाय को कोनतो भी व्यक्ति द्वारा नहीं होये पाहिजे. विशेषतः  पोवार समुदाय को कर्णधारों न् येको भान ठेवनों परम् आवश्यक से.

 

-इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

रवि.26/03/2023.

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      माय जग जननी

 

माय तोला कोई जगदंबा कसे, कोई कसे माई अम्बा।

सबका बिग्डया काम बने, जो भी करे तोरी पुजा।।

 

सब मीट जासेत पल मां, मन की सारी उलझन ना संताप।

जो भी करे सच्चों मन लक,

माई तोरो गुण को जाप।।

 

ऊंचो सिंहासन तोरो, ऊँचो तोरो धाम।

खाली झोली भर जासे, जो आवसे नंगो पांव।।

 

जय कारा माई तोरा, गुंज: सेती सुबह शाम।

शेर सवारी माई की, घर घर बन गया चारधाम।।

 

कोई कसे काली कोई शारदे, सब नाम लक माई तु तार दे।

कोई कसे दुर्गा कोई वैष्णो,

माई कृपा लक होय सबको पोषणो।।

 

समय समय पर प्रगट भया, माई तोरा सब अवतार।

पहले भी सबला ताड़योस, आब भी सबला तार।।

 

हाथ जोड़ विनंती करु, मन की सुन लो पुकार।

सारी दुनिया खुश रहें, यो तोरो उपकार।

 

यशवन्त कटरे

जबलपुर २९/०३/२०२३

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             चैत्र मास

 

चैत्र को जोगवा मांगण बुगण बाई गई. जोगवा मांगता मांगता वा सुभद्रा को घर को सामने उभी होयकर जोगवा मांगुन मुन आवाज देणला तोंडच खोलत होती , ओतरोमाच घरमालका आवाज आयकु आयेव,,,,,, पाच घर जोगवा मांगसेस,,,, ओको पेक्षा वंस को दिवा मांगे रवतोस ,पर तोरो डोस्का मा काई धस नहीं ... तीन तीन टूरी को बजार घरमा भरीसे.

आबच सुभद्रा को नवरा न चैत्र को पयलो दिवस नव राती की पूजा करतीस अना आबवरी नंदादीप जरत होतो ना अगरबत्ती को धुंग्गा मा ओका आसू भी धुंधरा बन गया ता….

 

सौ छाया सुरेंद्र पारधी

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     संगति को महत्व

 

संगति को असर हर एक को जीवन मा अनजानों मा होय जासे।

 

मुन संगति सभ्य, श्रेष्ठ ,उत्तम , विद्वान , उन्नत, संस्कारपूर्ण, नीतिवान , सज्जन लोग इनकी करनला होना।

 

इंसान जसो को संग धरसे ,तसो च धीरे धीरे बन जासे ।

वोकि पहचान बी संगतको हिसाब लक बन जासे।

 

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             माहेर

 

मन पाखरू पाखरू

खेलंसे आँख मिचोली

माहेरं ला उडान की

बोलं से मिठी बोली

 

सुसरो घरं केतरी भी अपार लक्ष्मी नांदत रहे,केतरो भी सुख भेटत रहे,कोणतोच बात की कमी नहीं रहे,पर बिह्य होये पर सासुरवाशीण टुरीला, चाहे वा नवती रवं या बुढी, वोला मायघर की याद आवं सेच.  जेनं घरं वा जन्मी से,लहान की मोठी भयी से, भाई बहीण संग खेलीकुदी से असो वोको वू माहेर, वोको हक को ठिकाण आय. जहाँ वा आपला सुख दुःख सांग कर आपलो मन हलको कर सकं सें. अना मूनच वोको  मन पाखरू वानी हमेशा माहेरं उडान की भाषा बोलं से.

 

पयले को जमानो मा बिह्य भयेव, टुरी चौमास की गई, का कई दिवसपर्यंत मायघरं जाणला भेटत नव्हतो.घोल्लर को  घल्लर घल्लर मधुर आवाज कानपर पडेव का माहेर को आनंणार  बाप या भाई आवत रहे असो सासुरवाशीण टुरीला लगत होतो. अना वोको चेहरा पर खुशी का भाव उमटत होता आता को जमानो मा  'चट मांगनी पट बिह्य' को दस्तुर से. जाण-आवन का साधन सेत. फोन मोबाईल को जमानो से.भेटगाठ होसे.तरी भी माहेरं जाण की आस हरेक टुरीला लगं सें. आपलो माहेर की पयचान वा येनं पंक्ती मा सांगं सें...

 

मोरो माहेर से एक सुंदरसो गाव

रस्ताको दुतर्फा घनदाट अंबराई

स्वर्गसम सुख खुशीको कल्पवृक्ष

वहाको थाटमाट केतरो सांगू बाई

 

माहेर रुपी एक छोटो सो गाव.गाव मा बसेव मंदिर. गाव मा को वू निसर्गरम्य थाट, वा सुंदर पहाट, पहाट बेरा ला मंदिर मा की काकड आरती का सूर  हर एक सासुरवाशीण टुरी को कानमा कई दिन तक गुंजंसेत.माहेर का सण त्योहार, चालीरीती, परंपरा, संस्कार हरेक टुरी को मनमा घर करके रवं सेत..माहेर की परिस्थिती गरीब रवं या अमीर, माहेर की पेज रोटी भी टुरी ला गोड लगं से.अमृत सारखो गोडवा चटणी रोटी मा मिलं से. मरतकाल वरी टुरीला माहेर को लगावं रवं से. मायघर को खाजो की आस रवं से.एक लुगडा की,हातभर चिंधी की आस रवं सें. वोला भलो बुरो कहो तं चल जाये. पर आपलो माहेर सबंधीत कोणती भी बुराई सासुरवाशीण टुरी सय नही सकं.

 

तिरथ दून कम नहाय

बाई मोरो येव माहेरं

बांधसे मोरो मनमा

माया प्रीत को फेर

 

मायघर की मजा काही औरच रवसें नही का?.माहेरं जाये पर ममतारुपी  माय  टुरी आवं सें मुन दरवाजा कन डोरा लगायस्यांन बाट देखती रवंसे. धीरज को पहाड समान बाप बेटी आये मुन बेटी को पसंद की चीज आणकर ठेवंसें. मायघरं जाये पर भोवजाई पाय धोय देसे.भाई भी बहुत खुश होसे.लहान भजा भजी की बात काही सांगो च नोको.घरं फुपाबाई पाहुणी आई मुन मनमानी खुश होसेत. फुपाबाई नं आपलो साठी काहीतरी खाजो आणी रहेस या आस उनको बाल मनमा रवं से.भोवजाई नाश्ता चायपाणी को तयारीला लगंसे.

 

बहुत दिवस की संगरी इतंउतं की गोष्टी होसेती. एक सखी समान भोवजाई रही तं बातचीत रंगं सेती.आयतो जेवणखाण भेटंसें. काही बात की चिंता नही रवं. दिवस कसो जासे काही समजच नही. रगं ना रंग को पाहुणचार बनंसे. तरी माय कसे, "बेटी अनिक काही खाजो का?". सब पक्वान्न बेटीला चराय देती अशी इच्छा मायको मनमा रवंसें. मायघरं सबकी भेटी गाठी होसेती. बचपन की सखी सहेली भी कभी कभी भेटं सेत. अना मंग वू बचपन, वय पुरानी याद, डोरा को सामने आवंसेत. माय घरलक जान ला पाय नही बोवत.

 

आपण जहाँ जनम्या, पल्या -बड्या वू घर आपलोला बहुत प्रिय रवंसे. जबलक मायबाप रवंसेती तबपर्यंत माहेरकी महिमा अनिकच रवंसे.बाप को मरे पर खूब मोठो आधार चली गयेव,हिम्मत चली गई असो भास होसे.बुढी माय खटला पर भी रहे तरी वोला देखे पर मन ला शांती भेटं से. मायरुपी चोला भी अगर छुप गयेव तं  आपलो माहेर खतम भय गयेव, अधिकार खतम भय गयेव या भावना मन मा आवं से.रय जासे उनकी याद,सुनी जागा.ज्या कोणी भर नहीं सकत. भाई को रूप मा आपण बाप ला धुंडन की कोशिश करं सेजं. अना भोवजाई को रूप मा माय ला. माय बाप को जान को बादमा आपण माहेरं  जासेंजं,पर बहुत कम. मान की धनी बनकर. हमेशा माय बाप की  याद आवं से .उनकी मूर्ती डोरा डोरा मा चोवं से. अना मंग असुबन की धार डोरा मालक गाल पर टपकं से.

 

आता एकत्र कुटुंब पद्धत नही रही. सब जनला अलग अलग रवनो पसंद से.तसोच नोकरी धंदा को कारण सबजन घर पासून दूर रवं सेत. पर माहेरं जाये पर सब भाई बंद ला एक मा देखे पर जो सुख भेटं सें,वू सुख उनला अलग देखकर नही भेटं.

 

सब सासुरवाशीण टुरीईन सारखो मोला भी मोरो माहेर बहुत प्यारो से. मोरो माहेर म्हणजे गोंदिया जिल्हा, तिरोडा तालुका मा को बेलाटी बुजरूक गाव आय. यहा को भगवान विठ्ठल रुक्माई को देवस्थान बहुत प्रसिद्ध से.हर साल वहा सप्ता ना दहीकाला होसे.दुय भाई  ना एकच बेटी रहे कारण लक मी बी बडो लाड प्यार मा पली सेव. मोरा दुही भाई चांगलो पद पर दूर बाहेरगावं नोकरी मा सेत. मोरा बाबूजी आता येनं जग मा नही रह्य. आई से पर एकटी नहीं रय सकं. मुन भाई जवर रवं से. मोरा भाई बहुत अच्छा सेती.

मोरो माहेर,जन्मस्थान ला ताला लगेव रवं से.संसार,नोकरी को कारण मी भाई कन जाय नही सकू.पर जबं भी वोनं जन्मभूमी पर  पाय ठेवुसू, तं वय पुराना बचपन का दिवस याद आवं सेती. मोरो डोरा मा लक झर झर आसू बोवं सेती. मी एकटक आपलो बाबूजी को फोटो ला निहारू सु. अना सोचंन लगू सु की, वोनं एक मूर्ती को छपेव लक हमेशा चहल पहल रवनेवाली वा देहरी सुनसान भय गई. कभी कभी लगसें का केतरो जल्दी मोरो माहेर खतम भय गयेव….

 

शारदा चौधरी रहांगडाले

भंडारा

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           प्रभात वंदन

 

चैत्र शुक्ल पक्ष रामनवमी

हर्षीत भयव अयोध्या धाम

दृष्ट प्रवृत्ती को नाश करन

धरतीपर जनम्या श्रीराम.

 

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उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरित)

गोंदिया (श्रीक्षेत्र देहू पुणे)

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                            सर्वप्रथम आराध्य श्रीराम

 

प्रथम आराध्य प्रभु श्रीराम l

राम ला राम वानी रव्हन देव l

एक दूजो सीन मिलनों पर,

प्रेम लक राम राम कव्हन देव ll

 

संस्कृति का केंद्रबिंदु श्रीराम l

समाज का केंद्रबिंदु रव्हन देव l

एक दूजो सीन मिलनों पर,

प्रेम लक राम राम कव्हन देव ll

 

राष्ट्र का प्राणतत्व श्रीराम l

समाज का प्राणतत्व रव्हन देव l

एक दूजो सीन मिलनों पर,

प्रेम लक राम राम कव्हन देव ll

 

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम l

निज नयनों मा झलकन देव l

एक दूजो सीन मिलनों पर,

प्रेम लक राम राम कव्हन देव ll

 

सूर्य समान तेजस्वी श्रीराम l

उनला विस्थापित ना होन देव l

एक दूजो सीन मिलनों पर,

प्रेम लक राम राम कव्हन देव ll

 

सर्वप्रथम आराध्य श्रीराम l

उनला सर्वप्रथम रव्हन देव l

 

 

एक दूजो सीन मिलनों पर,

प्रेम लक राम राम कव्हन देव  ll

 

इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

श्रीरामनवमी, गुरु.30/03/2023.

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        रामनवमी निमित्त

 

राम वह जो मर्यादा का करे पालन

माता पिता की आज्ञा करे शिरोधारण।

शक्तीशाली शत्रु से कर भंयकर युद्ध

पत्नी को छुडाकर धर्म का करे रक्षण।

 

जो आज्ञाकारी पुत्र, प्यारा भाई हो

एक पत्नी व्रती, मनसे तपस्वी हो।

मित्र से मित्रता निभाने वाला और

शत्रु को कठिन दंड देय कारी हो।

 

प्रजा के सुख दुख मे सहभागी रहे

सब के दिल मे करे वास समदर्शी रहे।

लोक भावना समझकर करे व्यवहार

खुद के सुख दुख से सदा निर्मोही रहे।

 

- चिरंजीव बिसेन

गोंदिया

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       राम आहे एक दिन,

 

राम आहे एक दिन,

दिन रही गिन गिन,

राह देख शबरी,

राह ला बुहारती l

 

भाग मोरो कब खुले,

राम मोला कब मिले,

दिन रात बसी बसी,

बात या विचारती l

 

मोरो दुःख सब हरो,

किरपा भी प्रभु करो,

वन मा भटकती,

राम ला पुकारती l

 

विष्णु को अवतारी,

रघुवर धनुर्धारी,

चुन चुन फूल बिछा,

राह ला निहारती l

 

अलका चौधरी

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श्रीराम

 

मुखमा राम पायजे,मनमा राम पायजे

धरतीपर हर अंश अंशमा राम पायजे

 

लेखणीमा राम पायजे,शब्द मा राय पायजे

हर रचनाको लयबद्धता मा श्रीराम पायजे

 

भक्तीमा राम पायजे,शक्ती मा राम पायजे

हर श्वास गणिक जीवनमा  श्रीराम पायजे

 

छंद मा राम पायजे,बंध मा राम पायजे

जीवन को हर कण कण मा श्रीराम पायजे

 

चेतना मा राम पायजे,स्वप्न मा राम पायजे

मोरो हर भ्रम मा ,भास मा बी श्रीराम पायजे

 

धर्म मा राम पायजे,कर्म मा राम पायजे

निर्गुन,सगुन स्वरूप मा ,मोला श्रीराम पायजे

 

अभंग मा राम पायजे,भजनमा राम पायजे

साहित्यको हर रचनामा मोला श्रीराम पायजे

 

सौ.वर्षा विजय रहांगडाले

गोंदिया

 

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                               जय श्री राम

 

सत्य सनातन धर्म की जरी से जगमग  जोत,

 

चारयी दीशा अज गुंज रही से श्री राम को उद्घोष,

 

दशरथ नंदन राम की अलख जगी   से जोत

 

अता लग से जाग गयो सनातनी को आक्रोश,

 

मर्यादा से ठेवनो श्री राम चंन्द्र भगवान की ,

 

जागो हिंदु भगवा धारी समय नहाय गवावनो

,

मन मा राम ,तन मा राम, रग रग मा राम, रमावनो से

 

राम भक्ति रस पान कर सत्य की जोत जगावनो से

 

जाग गयो हर  सनातनी त कोनी नही मिटाय सके,

 

भारत माय को आंचल ला नोकी नही दाग लगाय सके

 

सत्य सनातन धर्म की जरी से जगमग जोत।

 

जय श्री राम

विद्या बिसेन

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श्रीराम को पारना

 

चैत्र शुद्ध प्रतिपदा दिवस

त्रिभुवन की कटी अवस

अयोध्या मा उमली हाऊस

....जो बाळा जो जो रे जो

 

राम लला को जनम् भयोव

अयोध्या मा आनंद समायोव

दान धर्म मा राजा दशरथ रमेव

जो बाळा जो जो रे जो

 

माता कौशल्या गावं पारना

मंगल घडी आयी जन भाव धारना

पारना हलावनं सब आवोना

....जो बाळा जो जो रे जो

 

माता कैकेयी हात मा दोरी

सबकी प्यासी से ममता झोरी

माता सुमित्रा गाव से लोरी

..जो बाळा जो जो रे जो

 

त्रिभुवन को आयोव पालनहार

सृष्टीन् करीस नवो नवरंगी शृंगार

दशरथ आंगन मा आयोव बहार

...जो बाळा जो जो रे जो

 

शेषराव येळेकर

दि.३०/०३/२०२३

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राम महिमा

 

रामन् करीस मर्यादा को पालन

माय बाप की आज्ञा शिरोधारण,

रावण संग करीस भयंकर युद्ध

सीताला सोडायके धर्म रक्षण.

 

राम आज्ञाकारी पुत्र, होतो प्रिय बंधु

एक पत्नी व्रती अना मनल् तपस्वी,

मित्र साठी मित्रतामा प्राण देनेवालो

शत्रूको नामोहरण करनेवालो यशस्वी.

 

प्रजाक् सुख दुखमा सहभागी

हर मनमा रव्हनेवालो समदर्शी,

लोक भावना को आदरकर्ता

निर्मोही पर सदा प्रजा हितैषी.

 

- चिरंजीव बिसेन

गोंदिया

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एप्रिल फुल

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एक एप्रिल ला एप्रिल फुल मनावन कि प्रथा चली आयी से. आम्ही हिंदु भी अज्ञानता वश सहभागी होसेजन. पर एव एप्रिल फुल दिवस काहे मनावसेती एको बिचार करनकी कोनीलाच फुरसत नाहाय.पयले एक एप्रिल पासुनच नविन सालकी सुरुवात होत होती.विक्रंत सवंत यनच दिवस पासून सुरू होसे.यन दिवस पासुनच हिंदु त्योहार की गणना करे जासे. सृष्टी को काल चक्र भी येन दिवस क आधार पराच चलसे. आदि अनादी काल पासून एक एप्रिल आधार होतो.पर १५८२ मा पोप ग्रेगोरी न एक जानेवारी पासून नवीन सालकी गणना करणको फरमान सूनाईस. पर जे कट्टर हिंदू होता उनन सालकी गणना एक एप्रिल पासून च चले असो आग्रह धरिन ना सब ओणच हिसाब लक चलन बश्या.यवं इंग्रज ईसाई ला अखरेव.ना उनन एक एप्रिल ला एप्रिल फूल म्हणजे मूर्ख ता दिवस म्हणून मनावनो चालू करीन.

आज भी एक एप्रिल पासून नवीन वर्ष की सुरवात , बँक आपला वही खाता ,ना सरकार भी आपको बजेट लागु करसे. हिंदू त्योहार की सुरवात भी एप्रिल पासुनच होसे.यतरो मोठो दिवस ला आम्ही अज्ञानी लोक मूर्ख ता दिवस मनायष्यानी आपलं हिंदू धर्म की चेष्टा करसेजन असो लगसे. म्हणून कसू  एप्रिल ला गुढी उभारकर धुमधाम लक नवीन साल को स्वागत करे पाहिजे.एक एप्रिल यवं मूर्ख ता दिवस नोहोय. आतातरी हिंदू न जागे पाहिजे.ना एप्रिल फुल मनावन क ढंगरी नहीं लगे पाहीजे.आपण च आपली नाचक्की नही करे पाहिजे.आपली संस्कृती, धर्म एको ध्यान सबन ठेये पाहिजे

जय राजा भोज

 

डी. पी. रहांगडाले

गोंदिया

 

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पोवारी व्याकरण

 

 पोवारी मा "जन्म" ला आम्ही पूर्णाक्षर कर जनम/जलम कवहसेजन। हिंदी व्याकरण मा जब कोणी बीच मा अरधो व्यंजन की जरूरत पड़ से अना जिनला अर्ध स्वरूप मा लिखता नही जम, ओन शब्द पर आम्ही हलंत उपयोग कर सेजन या बात सही से। पर पोवारी बोलन को बेरा  आखरी " व्यंजन अक्षर " मा दीर्घ स्वर की कोणी कोणी अक्षर मा आवश्यकता वाजबी रवह से ओको बिना पोवारी अर्थ निकल च नही सक , तब ओन आखरी व्यंजन अक्षर पर हलंत को नियम मा बदलाव कर दीर्घ उच्चारण साठी आम्ही हलंत को उपयोग आब कर रह्या सेजन ,

अंतिम व्यजंन मा एक दीर्घ स्वर को ठराव लाई। यको दुसरो काही सुझाव सांगो। जेको उपयोग लका पोवारी लहजा/tone बरोबर पढ़नो मा आय जाए पाहिजे। या त पोवारी ग्रामर मा येन नियम पर थोड़ो जोर देयस्यारी पोवारी ला दुसरो बोली वालो साठी एवं नियम की भर करनो पड़े तब सही रहे। आखरी अक्षर पर हलंत को उपयोग अरधो अक्षर को रूप न करता दीर्घ स्वर को रूप मा प्रयोग साठी पोवारी व्याकरण मा नियम बसावनो पड़े।

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उदा.

कुंदा परा लगाव् से|

कुंदा परा लगाव से|

कुंदा परा लगावं से|

कुंदा परा लगावs से|

कुंदा परा लगावो से|

 

येनं वाक्यइनला बाच के उच्चार पर ध्यान देवो तं फरक नजर आये|

मराठी मा आखरी व्यंजन को स्वर उच्चारण लायी वोकोपर (•) बिंदी देन को रिवाज से| मी वोकोच अवलंब करूसू| उपरोक्त बोल्ड वाक्य मा 'येनं' अना 'तं' वोको उदाहरण समजो. आता येच शब्द 'येन्' अना 'त्' बाचो तं उच्चार बदलेत.

मराठी माध्यम मा जिनको शिक्षण भयी से, वय मराठी व्याकरण को आधार अना हिंदी मा जिनको शिक्षण भयी से वय हिंदी की व्याकरण को अनुसरून करनो मा काही हरकत नाहाय असो मोरो मत से| चुंकी आपली बोली हिंदी की उपभाषा आय, हिंदी व्याकरण को अवलंब अच्छो रहे| पर काही बात नहीं, एक दुय नियम छोड़ो तं दुही व्याकरणमा समानताच से|

हलंत को प्रयोग करनको घनी काव्यशास्त्र मा भी अड़चन होसे| जसो की मात्रा विस्तार को बेराच देख लेव...

लगाव् से = लगाव्से= लगागा (१२२)

वस्तुतः लगावंसे अथवा लगावs से = लगागागा (१२२२) होये|

आमरा जाणकार साहित्यिक बी हलंत कोच प्रयोग करं सेत|

अनुस्वार लगावनो बी गलत होय जाहै काहेकि

व्याकरण को अनुसार अंग्रेजी शब्द या सिम्बल को जागा पर, पोवारी को लहजा/टोन लाई पोवारी मा अंतिम व्यजंन साठी नवीन नियम जो हिंदी देवनागरी लिपि ला अनुसरण कर स्यारी एक नियम बनायो जाय सिक से। पोवारी की स्वतंत्र व्याकरण जो मूलरूप लक देवनागरी लिपि लका सुसंगत रहे असो मोरो मत होय रही से। मराठी अना हिंदी का प्रयुक्त हलंत  सँगच पोवारी बोली मा अंतिम अक्षर ला दीर्घ स्वरूप लाई नियम जरूरी से। नही त मराठी बोली, अना हिंदी बोली का रसिक , ओको उच्चारण उनको व्याकरण को हिसाब लक करेती जो कि पोवारी बोली को लहजा/टोन संग संगत नही बसन को।

पोवारी व्याकरण साठी तसी तैयारी करनो मा कही हरकत नाहय दूय चार नियम मा बदल या अतिरिक्त प्रावधान करता आये। दुसरो ला पोवारी समझनो मा सरलता रहे। पोवारी मा मराठी व्याकरण को उपयोग करनो ठीक नही काहे की पोवारी मा मराठी को प्रभाव बहुत कम से ।मालवी , बुंदेली राजस्थानी, गुजराती , बघेली को ज्यादा प्रभाव से। आमला हिंदी व्याकरण को हिसाब लक चलनो पडे ।

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श्रीराम नाम को  महत्व: एक नवीन व्याख्या

(राम -राम लेन की सनातन हिन्दू परंपरा को अन्वयार्थ)

 

राम नाम मा मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को संपूर्ण इतिहास,  संपूर्ण जीवन चरित्र व संपूर्ण जीवन दर्शन भी समाविष्ट से. येको कारण राम को नाव लेयेव लक श्री रघुनंदन  श्रीराम को  संपूर्ण इतिहास, जीवन चरित्र व जीवनदर्शन को स्मरण होय जासे. अना अनायास वोन् श्रेष्ठ इतिहास,जीवन चरित्र व जीवनदर्शन को मानव मन पर  अप्रत्यक्ष संस्कार होसेती. परिणामस्वरुप राम नाम को स्मरण होयेव लक काही जीवनमूल्यों ला मनुष्य आत्मसात कर लेसे. येको कारण व्यक्ति व समाज मा काही चांगलो गुणों को बीजारोपण होसे व व्यक्ति अना समाज दूही को कल्याण होसे.

उपरोक्त समझ को कारण समस्त सनातनी हिन्दू समाज मा परस्पर मुलाकात होयेव पर अथवा बिदाई को समय भी  परस्पर "राम राम" लेन की परंपरा अस्तित्व मा आयी. परंतु 1947मा भारत ला स्वतंत्रता प्राप्त होन को पश्चात यहां शिक्षण को व्यापक प्रचार-प्रसार भयेव,  सनातन धर्म विरोधी अनेक ‌विचारधाराओं को उदय भयेव , वंशवाद की संकुचित विचारधारा भी अस्तित्व मा आयी अना पाश्चात्यीकरण की बाढ़ भी आयी. येको कारण परस्पर राम- राम लेन की परंपरा कम होन लगी.

वैनगंगा तटीय 36कुलीय पोवार समाज येव सनातन हिन्दू धर्म को अनुयाई से व येव समाज मूलतः रामभक्त से.  येको कारण  येको लोकसाहित्य मा,‌विवाह गीतों मा राम,जानकी,लक्ष्मण, राजा दशरथ,‌राजा जनक आदि. नाव प्रचुरता लक पायेव जासेती.पोवार समाज मा राम- राम लेन की परंपरा  आज भी  अडिगता लक अस्तित्व मा से.

परंतु विगत अनेक साल पासून  पाश्चात्यीकरण को धून मा अनेक शिक्षित‌ व्यक्ति राम-राम  लेनो मा कमीपन महसूस कर रहया सेती. तसोच पोवार समुदाय का काही पुढारी संकुचित वंशवाद ला पुरस्कृत करके वय  राम- राम ‌लेन की सुस्थापित परंपरा समाप्त करके पोवार समाज मा लक प्रभु श्रीराम को नाव ला विस्थापित करन साती प्रयत्नशील सेत.

प्रभु श्रीराम को परम् पावन नाव दैनंदिन जीवन मा लक हद्दपार होयेव लक प्रभु श्रीराम को इतिहास, चरित्र व जीवन दर्शन को  प्रभाव पोवारी जनमानस पर लक कम होये. येकी अंतिम परिणति प्रभु श्रीराम समान  एक संस्कारक्षम, परम् पावन, अद्वितीय सांस्कृतिक तत्व (Unique Cultural factor)आपलो दैनंदिन जीवन मा लक हद्दपार  होन को अथवा खोय देन को स्वरुप मा होये. परिणामस्वरुप स्वरुप येन् लेख को प्रथम परिशिष्ट मा अंकित  राम नाम को लाभ पासून पोवार समुदाय की नवीन पीढ़ी पूर्णतः वंचित होये.

अतः  पोवार समाज को प्रबुद्ध वर्ग ला निवेदन से कि  आओ ! चलों !!  सब जन स्वयं पासून शुरुआत करके आपलो समाज मा प्रचलित राम- राम अथवा जय श्रीराम कव्हन की परम् पावन परंपरा मा  पूर्ण स्वाभिमान को साथ पुनः ‌नवप्राण संचारित करबी.

जय श्रीराम ! जय पोवारी!!

 

इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

शनि.01/04/2023.

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जय श्रीराम

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जय श्रीराम की आवाज गूंजी,

चली शोभा यात्रा प्रभुराम की।

राम नवमी पर जन्मोत्सव भारी

दिव्य झाकी देखी रामलला की।१।

 

दिस्या भगवामय नर नारी,

झेंडा पताका मनोहर हारी।

सज गई आमगांवकी नगरी,

उमड़ी भीड़ अतोनात भारी।२।

 

बंदर संगमा बजरंग बली,

उछल कूद कर लीला न्यारी।

देख रथ पर की कलाकारी,

राम नाम को जयघोष भारी।३।

 

शाम बाबा की देखी चतुराई,

बर्षा फुल की करनोमा आई।

नाच्या बेंडबाजा पर लोक काही,

सबको मनमा खुशियां छाई।४।

 

भेट वस्तु दान दाता देसेती,

रथ पर की देख कलाकारी।

पानी पाउच मिठाई प्रसादी,

रयत कि इच्छा वा भई पूरी।५।

 

हेमंत पी पटले धामनगांव (आमगांव)९२७२११६५०१

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पोवारी आराधना काव्यसंग्रह की शुभेच्छा

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परमश्रद्धेय श्री आदरणीय शेखरामजी येडेकर तुमला हिरदीलाल ठाकरे को सहृदय सादर प्रणाम जय राजा भोज जय माहामाया गढ़कालिका, पोवारी मायबोली को संरक्षण व संवर्धन तसेच प्रचार प्रसार व समाजोत्थान वाटचाल साती तुमरो बहुत बहुत योगदान से अना सामने भी असोच योगदान रहे, साहित्य एक असो रामबाण उपाय से जो समस्त जनमानसला जागृत कर सक् से, आपलो समाज को संगसंगमा अनेकानेक समाजमा संथ्याकालीन सामूहिक भजन की प्रथा परंपरागत चलत आय रही से, पोवारी आराधना काव्यसंग्रह मा गणपति बप्पा, श्रीकृष्ण सह अनेक देवी-देवताओं की आरती को समावेश से अना संत साहित्य को भी समावेश से जो समस्त मानव समाज उत्थान साती उपयोगी पडेत, घर-घरमा, मंदिर-मंदिरमा तुमरो पोवारी आराधना काव्यसंग्रह को नित्य पाठ होये याच कुलदेवी माहामाया गढ़कालिका को चरणो मा प्रार्थना से, येन् अथक प्रयास साती तुमला पोवार समाज एकता मंच पुर्व नागपुर करलक तसोच अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार पंवार माहासंघ भारत करलक कोटि-कोटि अनंत कोटि अभिनंदन अना सामने को काव्य लेखन वाटचाल साती मंगलमय शुभकामना सेती जय राजा भोज,,,!!

शुभेच्छुक

श्री हिरदीलाल नेतरामजी ठाकरे नागपुर

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अंजनी सूत (हनुमान जन्म)

 

सांगू भक्त कथा / हनुमान जन्म //

भज राम नाम / रात दिन //१//

 

स्वर्ग की अप्सरा / नाव पुंजस्थला //

श्राप होतो ओला / दुर्वासा को //२//

 

बंदरी जनम / ओला उपशाप //

सुंदर गा रूप / धरन को //३//

 

नारी रूप धर /जंगल मा फिर//

केसरी स्वीकार / पती ओको //४//

 

रात दिंन भक्ती / शिव भगवान //

ओकोचगा ध्यान / रात दिंन //५//

 

कैलासी शंकर / भस्म लगावसे //

खळा फेकदेसे / सामनेच //६//

 

एक भस्मासुर /खळा को भयेव //

नाचन लगेव / शिव पुळ //७//

 

शिव वरदान / कर मोठो घात //

डोई परा हात / भस्म होय //८//

 

कसे भस्मासुर / मारून शंकर //

बनाऊन नार / पारबती //९//

 

धाव शिव पाठ / बन बन फिर //

पळी गा फिकर / विष्णू जी ला //१०//

 

मोहनी को रूप /मोह भस्मासुर //

नाच भयंकर / जंगलमा //११//

 

नाचता नाचता / हात डोस्का पर //

ओंज्या भस्मासुर / भस्म भयेव //१२//

 

मोहिनी देखता / घायल शंकर //

होय उतावीळ / धरनला //१३//

 

धावता धावता /अंश गा पळेव //

तब वायुदेव  / धाव लेसे //१४//

 

बनमा गयेव / धरशानी अंश //

कानमा फुकिस / अंजनी क //१५//

 

पुत्रेष्टी गा यज्ञ / दशरथ कर //

श्रुंगी श्नुषी सारं / सांग बापा //१६//

 

वांहा निकलेव / पिंड को गा गोला //

तीन ही राणीला / बाट मंग //१७//

 

कैकयी को हिस्सा / झळपीस घार //

देईस आंजुर / अंजनी क //१८//

 

चैत्र की पुनवा / दिन मंगळवार //

रुद्र अवतार / जन्म भयेवं //१९//

 

 

जन्म गा भयेव् / विर हनुमान //

राम नाम ध्यान / रात दिन //२०//

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डी.पी.राहांगडाले

गोंदिया

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                                   प्रतिलिपि पोवारी

माई पोवारी कर चलो हर दिन

 

माई पोवारी कर तुम्हीं चलों हर दिन l

माई पोवारी सीन तुम्हीं मिलों हर दिन l

हर भाषा की बाग मा घुमों लेकिन,

माई पोवारी को वैभव बढ़ाओं हर दिन l

 

माई प्रित की से या माय पोवारी l

मीठों शब्दों लक श्रृंगारित से पोवारी l

हर भाषा की बाग मा घुमों लेकिन,

माई पोवारी को वैभव बढ़ाओं हर दिन ll

 

विवाह को गीतों मा से माय पोवारी l

नेंग दस्तूर की बातों मा से माय पोवारी l

हर भाषा की बाग मा घुमों लेकिन,

माई पोवारी को वैमव बढ़ाओं हर दिन ll

 

गरीबों की वाणी मा से माय पोवारी l

किसानों को ओंठो पर से माय पोवारी l

हर भाषा की बाग मा घुमों लेकिन,

माई पोवारी को वैभव बढ़ाओं हर दिन ll

 

इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

बुध.05/04/2023.

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अंजनी सुत कहो

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अंजनी सुत कहो या कहो पवन पुत हनुमान।

राम को काज करन ला धन्य से बजरंगी महान। टेक।

लाल गोला खान को समजकर सूर्य ला गुपीस,

अंधार पडेव परा इन्द्रन वज्र को प्रहार करीस।

बेसुध पडेव जमीनपर अंजनी आयी धावत,

दया आव सब देवईनला देइन वर बहुत।

 

बनेव बल बुद्धि को दाता केशरी नंदन महान।१।

राम सुग्रीव की मित्रता तुमरो कारण बनी अमर,

दुष्ट पापी बाली मारकर कृपा राम की सुग्रीव पर।

सीता माता की खोज करन सेना पर से जोर,

राजा सुग्रीव संग बाली पुत्र अंगद को से आधार।

उड़कर समुद्र पार लंका पोहच गयेव हनुमान।२।

 

विभीषण कारण अशोक बन मा सीता संग भई भेट,

वाटिका उजाड़कर अक्षय ला पठाईस यम को घाट।

सभा मा रावण ला दे इशारा लंका दहन करीस,

निशानी सीता की धरकर गयेव श्रीराम को पास।

राम की सेना चली रावण संग युद्ध करन।३।

 

आन सुषेण वैद्य ला संजीवनी बूटी की खोज रातोरात,

बच गयेव लक्ष्मण को प्राण अहिरावण को करीस घात।

महाभयंकर युद्ध मरना गती गयेव रावण,

पापी राज को भयेव अंत प्रजा करसे गुणगान।

राम को दास बनकर अमर भयेव हनुमान।४।

 

हेमंत पी पटले धामनगांव (आमगांव)९२७२११६५०१

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पवारी अना पोवारी

 

आब आब काइ दिवस पहले एक बोलीमिश्रण समर्थक व्यक्ति को पवारी /पोवारी को बारामा एक लेख आयव ।

वोन लेख मा गियरसन को पहेलो भाषा सर्वे मा पवारी को उल्लेख को जिक्र से ।

पर गियरसन द्वारा उल्लेखित वा पवारी ग्वालियर झांसी  क्षेत्र को पँवार लोगईनकी बोली आय ।

आमरो क्षेत्र की नही ।

वोन पवारी अना पोवारी मा बी फर्क से ।

स्वतंत्र भारत मा सरकार द्वारा पवारी अना पोवारी ला जोड़के  हिंदी को एक प्रकार कह्यव बी गयी रहे  पर यको मा भोयरी को कोनतो बी सबन्ध नाहाय ।

जबरदस्ती भोयरी जोडनो गलत च से ।

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हनुमान

 

पुंजिकस्थला स्वर्ग की अप्सरा

रूपवान सुंदरी, चालमा चंचला

ऋषी को संग करिस अभद्रता

वदेव ऋषि, श्राप देसु टुरी तोला

 

पुंजिकस्थला घबराई बड़ी मनमा

लेजो वानर जन्म जब पृथ्वीपरा

तब तेजस्वी पुत्र हरे,  ताप तोरा

ऋषिन उष्शाप देईस मंग अप्सरा

 

वनमा केसरी अंजना को मिलाप

रूद्रको ग्यारावो रूप वीर हनुमान

सूर्य, अग्नि,सोनो को समान तेज

वेद-वेदांगको मर्मज्ञ महाबुद्धिमान

 

राम सीता को सफल करे काज

विक्राल रूप धरके, जराईस लंका

संजीवन बुटीलक लक्ष्मनकी रक्षा

चहू ओर हनुमंता को बजेव डंका

 

रुद्रावतार, पवनसुत केशरीनंदन

संकटमोचन, जब नाम सुमिरत

भूत पिशाच्च निकट नहीं आवत

जो हनुमान चालीसा नित्य गावत

 

सौ छाया सुरेंद्र पारधी

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हनुमान प्रार्थना

(विधा - चंद्रायण छंद)

मात्रा भार - प्रत्येक पंक्ति 21 मात्रा

यति- 11,10, पदान्त- राजभा (212) वार्णिक

 

जीवन में भगवान, सुमंगल कीजिए |

पवन तनय हनुमान, मनोबल दीजिए ||धृ||

 

है शुभ दिन शनिवार, करूँ आराधना |

रहे आपकी दया, पुर्ण हो साधना ||

देकर के वरदान, कृपा बस कीजिए |

पवन तनय हनुमान, मनोबल दीजिए  ||||

 

बचपन में रवि देख, समझ फल खा लिया |

देवों की सुन विनय, मिटा संकट  दिया ||

प्रभु संकट से मुक्त, मुझे भी कीजिए |

पवन तनय हनुमान, मनोबल दीजिए ||||

 

लाकर संजीवनी, दूर संकट  किया |

मूर्छित लक्ष्मण देख,  नया जीवन दिया ||

दे मुझको गुण नाथ, धन्य फिर कीजिए |

पवन तनय हनुमान, मनोबल दीजिए ||||

 

करदो स्वामी आप, कृपा थोड़ी जरा |

रहे शीश पर हाथ, कृपामृत से भरा ||

अंजनि पुत्र सुजान, विनय सुन लीजिए |

पवन तनय हनुमान, मनोबल दीजिए ||||

 

संकट टारो आप, केसरी नंदना |

भक्ति भाव से करू, आपकी वंदना ||

"गोकुल" पर अहसान, आप बस कीजिए |

पवन तनय हनुमान, मनोबल दीजिए ||||

 

© इंजी. गोवर्धन बिसेन "गोकुल"

गोंदिया (महाराष्ट्र),

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रामदूत हनुमान

 

चैत्र शु.पौर्णिमा|जन्मेव मारूती|

सबआंग किर्ती| महाबली

 

अंजनी को अंश|केशरी नंदन|

करू मी वंदन |मारूतीला||

 

वीर हनुमान |भक्त रामजीको|

विशाल देहको|बजरंगी||

 

संकट मोचन|करू तोरी भक्ती|

अफाट से शक्ती|महाबली||

 

सगुण निर्गुण|हरजो विकार|

रक्षा को भार| हनुमंत||

 

मुखमा श्रीराम|सदा जप राम|

सब कार्य ठाम|रामदूत||

 

हनुमान स्त्रोत|करो सदा जप|

दुर भय,ताप||होय जाये||

 

सौ.वर्षा पटले रहांगडाले

बिरसी ता.आमगांव

जि.गोंदिया

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महासंघ को संकल्प गीत

(महासंघ को हर कार्यक्रम को शुभारंभ मा गावन को समूहगान )

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संकल्प आम्हीं लेया भाषा को उत्थान को l

येव पावन काम से समाज नवनिर्माण को l

भाषा को येव मंत्र से एकता को मंत्र वानी,

एक स्वर मा गीत गावबी भाषा को उत्थान को ll

 

पयलो काम करबी  भाषा को उत्थान को l

लक्ष्य आमरो एक से समाज नवनिर्माण को l

भाषा को येव मंत्र से  एकता को  मंत्र वानी,

एक स्वर मा गीत गावबी भाषा को उत्थान को ll

 

संकल्प आमरो पूर्वजों की पहचान को l

लक्ष्य आमरो छत्तीस कुल को उत्थान को l

भाषा को येव मंत्र से एकता को मंत्र वानी,

एक स्वर मा गीत गावबी भाषा को उत्थान को ll

 

-ओ सी पटले

हनुमान जन्मोत्सव,गुरु 6/4/2023.

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पोवार समाज: संकल्प गीत

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संकल्प आम्हीं लेया भाषा को उत्थान को l

येव पावन काम से समाज नवनिर्माण को l

भाषा को येव मंत्र से एकता को मंत्र वानी,

एक स्वर मा गीत गावबी भाषा को उत्थान को ll

 

पयलो काम करबी  भाषा को उत्थान को l

लक्ष्य आमरो नेक से समाज नवनिर्माण को l

भाषा को येव मंत्र से  एकता को  मंत्र वानी,

एक स्वर मा गीत गावबी भाषा को उत्थान को ll

 

संकल्प आमरो पूर्वजों की पहचान को l

लक्ष्य आमरो छत्तीस कुल को उत्थान को l

भाषा को येव मंत्र से एकता को मंत्र वानी,

एक स्वर मा गीत गावबी भाषा को उत्थान को ll

 

-ओ सी पटले

हनुमान जन्मोत्सव,गुरु 6/4/2023.

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हिंदुत्व को अर्थ                    

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हिन्दुत्व ला साम्प्रदायिकता कव्हनो या एक गलत बात(wrong narrative) से, जो राजनीतिक स्वार्थ को  कारण गढ़ेव गयी से. वास्तविकतः  हिन्दू धर्म की सीख अथवा सिद्धांतों ला धारण करनों, येव  हिन्दुत्व को सही अर्थ से.

हिन्दू धर्म  येव सर्वे भवन्तु  सुखिन: सर्वे संतु निरामया... की सीख देसे. लेकिन  येको साथ-साथ ‌ हिन्दू धर्म , स्वधर्म  को रक्षण साती अना दुष्टों को दलन साती  हाथ मा शस्त्र धारण करन की अनुमति भी देसे. हिन्दू धर्म  येव मानवतावादी धर्म से.‌येको मा मानवता ला सर्वोच्च स्थान से.

सामान्य अथवा विशेष नाम मा त्व  प्रत्यय लगावनो पर  राम को रामत्व,  मनुष्य को मनुष्यत्व,सती को सतीत्व, स्त्री को स्त्रीत्व ,बंधु को बंधुत्व, देव को देवत्व होय जासे. ये सब भाववाचक नाम आपलो-आपलो  मूल शब्दों की महान विशेषता का प्रतीक बन जासेत. येनच न्याय लक हिन्दू धर्म को गुणों ला धारण करन को अभिप्राय हिन्दुत्व असो होसे.

 

-इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

शनि.८/४/२०२३.

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पोवारी की पुकार

 

रुदन कृदन करुण पुकार,

नहीं जाएगी बेकार.

 

माय पोवारी की हुंकार,

वीरवर करो मोरो उद्धार.

 

जन् जन् ला पुकार,

पोवारी का बनो साहित्यकार.

 

प्रचार स्वागत सत्कार,

36 कुल पोवार को स्वप्न करो साकार.

 

खुश रहो खूब बड़ो,

सच्चाई को दामन कभी ना छोड़ो.

 

दुश्मन पोवारी का,

इनको अंत निश्चित करो.

 

पवित्रता अंतर्मन ल स्वीकारो,

दुराचारीला चारो खानो चित करो.

 

आगे बढ़ो पोवार वीर,

रक्षक पोवारी का तुम्ही शूरवीर.

 

जय माँ पोवारी,

आम्ही निश्चित करबिन सिँह संवारी.

 

ऋषिकेश गौतम (9-Apr-2023)

 

पोवार समाज ला जाहिर आवाहन

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पोवारी भाषा या पोवार समुदाय की व राष्ट्रीय धरोहर भी आय. कोनी भी व्यक्ति अथवा संगठन ला मातृभाषा को नाव बदलन को अधिकार नाहाय.

भाषा को नाव बदलनो येव एक अनैतिक कार्य से.

असो  गलत कार्य ला रोकनो येव पोवार समाज को प्रत्येक व्यक्ति को महत्वपूर्ण दायित्व से.

 

-इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

रवि 9/4/2010.

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भारतीय चिंतन

(लेख पोवारी भाषा मा)

 

भारतीय चिंतन, मानव की मानवता ला, धरम अना मोक्ष भेट्न का उद्देश्य को अनुरूप परिभाषित करसे। भारतीय चिंतन, धन अना वासना ला मर्यादा मा राखन की सीख देसे। येको कारन मानुष, विनाश लक़ विकास को रस्ता परा जावसे। यव चिंतन मौत ला अमरत्व देन की क्षमता राखसे। मानवता का भाव, जीवनमा सेवाभाव ला जीवन को सब लक़ मोठो कर्तव्य सांगसे अना यव भाव लक़ मर्यादित जीवन मा रहकन, धरम अना विकास को रस्ता परा चलखन मोक्ष मिलन को आखिरी उद्देश्य सरलता लक़ भेट जासे। असो भारतीय चिंतन, सब लक़ जूनो सनातन धरम को सार आय।

 

भारतीय चिंतन को आधार सनातन धरम आय। सनातन धरम, शाश्वत आय अना येको मा समरसता, सहयोग अना तरक्की निहित से। यवच प्रकृति को नियम-कायदा से। यन् भाव मा मानवता को धरम निहित से अना प्राणी मात्र को प्रति आपरो कर्तव्य ला साजरो लक सांगकन येला जीवन मा कसो उतारनो से यव सीख मिल जासे। मोठो मन अखिन मोठी सोच आपरो बिव्हार अना आचार-बिचार ला मोठो कर देसे। यन दृष्टि लक भारतवर्ष को चिंतन, "वसुधैव कुटुंबकम" की अवधारना का भाव भारतीय चिंतन ला दुनिया मा सबलक श्रेष्ठ बनाय देसे।

 

भारतवर्ष की माटी मा कई बिचारधारा अना कई महान विभूति इनको जनम भयो। समय को संग उनको मानन वालों इनना येको आधार परs नवो धरम बन गयो, अना असी घोषणा भी कर डाकिन तसच अनेक बाहिर का देश-दुनिया को बिचार भी भारतवर्ष मा आयकन इतन बस गइन। उनना भी याच धरती परा आपरो अलग हिस्सा भी लेय लेइन। कोनी केतरो च अलग मानता, बिचार का रहेती परा पुरी धरती ला येक कुटुंब मानन वालों अना सबका भला देखन वालों, भारतीय सनातन चिंतन लक कसो ऊंचो होय सिक से। वय सब त येको हिस्सा आय। सीमा रेखा त भौतिक आधार से, बन सिक से अखिन मिट भी सिक से परा शास्वत सनातन भारतीय चिंतन कभी नही मिट सक। जबs वरी यन ब्रह्माण्ड मा धरती, सूरज अना चांद को अस्तित्व रहें तबs वरी सनातन शास्वत भारतीय चिंतन जीवित रहें। यव अजर अमर से अना सबला आपरो मा समाहित करखन राखिसे अना यव सर्वोपरि से।

 

ऋषि बिसेन, बालाघाट

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मातृभाषा की करुण पुकार

(Revolutionary Song)

 

(समाज का पाय जब् लड़खड़ा सेती, तब् समाज ला हिम्मत लक उभो करनो येव साहित्य को दायित्व होसे.)

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बंधु भगिनियों खोलों कान का द्वार l

सुन लेव मातृभाषा की करुण पुकार ll

 

स्वजनों खोलों  दूही नयनों का द्वार l

माय को नयनों मा से आंसूओं की धार l

नाव  बदलके कर रहया सेती अत्याचार ,

राम बनके करों तुम्हीं रावणों पर  प्रहार ll

 

लगाओ स्वयं की लेखनी ला धार l

रोको सब बहुरुपियों का अनाचार  l

नाव बदलके कर रहया सेती अत्याचार ,

राम बनके करों तुम्हीं रावणों पर  प्रहार ll

 

असा कसा भयात तुम्हीं लाचार ?

माय का योद्धा बनके करों प्रतिकार  l

नाव बदलके कर रहया सेती अत्याचार,

राम बनके करों तुम्हीं रावणों पर  प्रहार ll

 

पेहराय रहया सेव फूलों को हार l

वोय कर रहया सेती भाषा को संहार l

नाव बदलके कर रहया सेती अत्याचार ,

राम बनके करों तुम्हीं रावणों पर  प्रहार ll

-इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

रवि.९/४/२०२३.

 

दिनांक:९:४:२०२३

फुगा लेवोना

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आवोना भाऊ, जवर आवोना,

बड़ीया रंग, का फूगा लेवोना।

फुगा फुगावो, उड़ावो वरया,

टूरू पोटु संगमा खेलोना।१।

 

आवोना बाई, जवर आवोना,

डोइका लट, झड़या बिकोना।

लट पर बि,दे  सूना फुगा,

टूरी पोटी संगमा खेलोना।२।

 

आइसेव बिकनला फुगा,

पैसा पर मिलसेती फुगा।

रोजी रोटी को से मोरो धंदा,

चली गयेव त भेटेसे ठेंगा।३।

 

लहान मोठा फुगाच फुगा,

रंग बिरंगी फुगाच फुगा।

खेलो कूदो रहो मस्तीमा,

हात मा फुगा उड़ावों फुगा।४।

 

हेमंत पी पटले धामनगांव (आमगांव)

९२७२११६५०१

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पोवारी को नाव

 

साहित्य को मंच से, नामी गिरामी नाव।

येन मंच पर आय रही सेती, उभरती विद्या का नाव।।

 

मंच पर बाचन वाला ना लिखन वाला दुय नाव।

पर लिखन वालो की कदर नहाय।।

 

लिखन वालो नहीं मांग कोई ला रुपया ना भाव।

पर समाज हित की लेखनी कब तक तरसाय?

 

कोई लॉ मिल से पदवी कोई लॉ ईनाम।

पर नवता नवाडी को का से मुकाम।।

 

कम से कम नवाज देओ प्रसंसा को ठाव।

हमारी कलम लिखत् रहे ।

एक गुरु देव को आशीष को भाव।।

 

विनंती सबलक् मोरी राखो हामरी लाज।

गलत सलत लेखन पर भी पहनाओं ताज।।

 

नहीं हामारी कोई बिसात से ना कोई राज।

सही रास्ता दिखावबिन यो कवि को काज।।

 

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नवरदेव की बरात

 

आयेव लगीन को दिवस

बरातसाती  तयारी की घाई

सब जान बस्या लगीन लगावन

पर वरुमाय बिचारी घरचं रई

 

पाच दस गाळी ना ब्यांड बाजा

लवकर लवकर गाळी मा बस़ो

सबला होय पाहिजे जागा म्हणून

एकेक गाळीमा बारा तेरा ठुसो

 

नवरी क गाव गयी बरात

वाहां  साज सज्जा ना सरबराई

आरती धरशान निकली नवरिकी फुपा

नवरदेव उतरा वन की सबालाच घाई

 

नवरदेव उतरेव ना मंदिर मा गयेव

लगिस देवका पाय ना घोळी पर बसेव

दुही आंग लगी झकास लायटिंग

फेटावालोको अलग नजारा दिसेव

 

डिजे पर मस्त बजन बस्या गाणा

मनमा खुशी,मस्त लग्या हासन

कोनिन मारीन दुय दुय घुट

ना डिजेक तालपर लग्या नाचण

 

घोळी बिथरी ना मारीस सलांग

नवरदेव उछलेव ना अचरीतच घळेव

झोक ओला काही समलेव नहीं

जायशान ऊ नालीमाच पळेव

 

ओला लेगीन अस्पताल मा

दवाई इंजेक्शन को डोज सुरू भयेव्

सब बराती भया भारभिर

बिचारो नवरदेव को बिह्याच रहेव.

 

डी.पी.राहांगडाले

गोंदिया

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चुटका ( हास्य व्यंग )

 

जानबा झोऱ्या धरशान बजार ला गयेव.रस्तापरच ओला देशी बियर बार को दुकान भेटेव.जानबा न मस्त चळाइस ना बजार मा इतउत फिरन बसेव.

ओतरमा ओला फुल को दुकान दिसेव. दुकान मा फुलका हार ना बुका (पाहुणा को स्वागत करसेती वु फुलको गुच्छा ) लटक्या होता. दुकानवाली बाई आवाज देत होती.

बुका लेव बुका, दस रुपया मा एक बुका

‌‌            जानबाला काहीतरी उलटोच आवाज आयेव.मनमा कसे बाई त बळी सुंदर दिससे ना दस रुपया को एक मुका (चुंबन) कसे,एक़ मनमा विकृती आयी. पटण्यारी गयेव ना बाईला कसे.पन्नास रुपया धर ना पाच मुका दे. बाई क आंग की आग तळपाय वरी गयी.ओन जसी चप्पल उचलीस तसो जानबा सुटमुंडा भयेव.

 

डी. पी. राहांगडाले

गोंदिया

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पोवारी को दिवो

 

बोलचाल मा पोवारी ‌ला स्थान हो l

हर व्यक्ति पोवारी को दिवो समान  हो l

अस्मिता हो प्रेम हो सबको दिलों मा,

सम्मेलनों मा पोवारी ला अग्रस्थान हो ll

 

हर घर मा पोवारी को मान  हो l

साहित्य मा पोवारी प्रकाशमान  हो l

अनुराग हो प्रेम हो सबको  दिलों मा,

सम्मेलनों मा पोवारी ला अग्रस्थान हो ll

 

संविधान की सूची मा शोभायमान हो l

आठवीं सूची मा पोवारी ला स्थान हो l

लगन हो प्रेम हो सबको दिलों मा,

सम्मेलनों मा पोवारी ला अग्रस्थान  हो ll

 

इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

शनि.१५/०४/२०२३.

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गीत चेतना का गावत चलों

 

गीत चेतना का  रोज गावत चलों l                       

क्रांति की मशाली रोज पेटावत चलों l

मातृभाषा पोवारी से मायमाता वानी,

स्वजनों ला प्रेम लक समझावत चलों ll

 

सोया सेती उनला जगावत चलो l

जाग्या सेती उनला बढ़ावत चलों l

मातृभाषा से संस्कृति की गंगा वानी,

स्वजनों ला प्रेम लक समझावत चलों ll

 

मातृभाषा को प्रेम जगावत चलों l

मातृभाषा की गंगा बहावत चलों l

मातृभाषा से समाज को प्राण वानी,

स्वजनों ला प्रेम  लक समझावत चलेव  ll

 

क्रांति की ज्वाला फैलावत चलों l

झंडा मातृभाषा को गाड़त चलों ll

मातृभाषा  से  एकता की संजीवनी वानी,

स्वजनों ला प्रेम लक समझावत चलों ll

 

इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

शनि.१५/०४/२००३.

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अजर अमर से पोवारी

 

अजर अमर से पोवारी येव नाव l

समाज आमरों येको पावन धाम l

समाज की खुशहाली साती,

आम्हीं करबी पोवारी को उत्थान ll

 

मातृभाषा पोवारी आमरी शान।                      

पोवारी याच आमरी से पहचान l

एकता को सूत्र से मातृभाषा ,

आम्हीं करबी पोवारी को उत्थान ll

 

मातृभाषा या निसर्ग को वरदान l

मातृभाषा या विरासत से महान l

या से समाज की अनमोल धरोहर,

आम्हीं करबी पोवारी को उत्थान ll

 

मंत्र आमरो से भाषिक स्वाभिमान l       

मूल  मंत्र आमरो से बचाओ पहचान l

समाज को अस्तित्व बचावन साती,

आम्हीं करबी पोवारी को उत्थान ll

 

इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

बुध.१२/०४/२०२३.

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मातृभाषा का गीत गावत चलों

 

आगे बढ़त चलों, गुणगुणावत चलों l

भाषा बोलत चलों, भाषा लिखत चलों l

मातृभाषा को प्रेम दिल मा ठेयके,

मातृभाषा का गीत सदा गावत चलों ll

 

बीज बोवत चलों,बीज जगावत चलों l

बाग फुलावत चलों, बाग सींचत चलों l

मातृभाषा को प्रेम दिल मा ठेयके,

मातृभाषा का गीत सदा गावत चलों ll

 

खुद बोलत चलों, भाषा बढ़ावत चलों l

उमंग ठेवत चलों, उमंग देत चलों l

मातृभाषा को प्रेम  दिल मा ठेयके,

मातृभाषा का गीत सदा गावत चलों ll

 

इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

सोम.१०/०४/२०२३.

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पोवार(छत्तीस कुल पंवार) समाज की संस्कृति

अना इतिहास को तत्व

 

समाज को परिचय: पोवार(पंवार) समाज को इतिहास गौरवशाली आय। पोवार समाज वास्तव मा छत्तीस पुरातन क्षत्रिय इनको येक संघ आय। इतिहासकार अना समाज को भाट इनको द्वारा देइ जानकारी को अनुसार यव तथ्य उल्लेखित होसे की मालवा का प्रमार(पंवार) अना इनको नातेदार कुर इनको संघ च असल मा पोवार समाज से, जेला पोवार या छत्तीस कुल पंवार जाति कहयो जासे।

 

समाज को आदर्श राजा: सम्राट विक्रमादित्य, सम्राट शालीवाहन, राजा  मुंज, राजा भोज, राजा उदियादित्य, राजा जगदेव, राजा लक्ष्मणदेव असो अनेकानेक पोवार योद्धा इनला समाज आपरो पुरखा, आपरो आदर्श मानसेती।

 

पोवारी संस्कृति सनातनी संस्कृति: पोवार, सनातन धरम का पालन करन वालों क्षत्रिय समाज आय अना देवघर हर पोवारी घर को प्रमुख पूजाघर आय। यव मानता से की इतन् आपरो सप्पाई देवी-देवता इनको वास रवहसे अना संग मा आपरो पुरखा ओढ़ील इनकी पावन आत्मा को भी वास रहवसे। देवघर की चौरी की पवित्र माटी ला पुरातन काल लक पूज्य मानसेजन। नवो स्थान परा जान की स्थिति मा यन माटी ला विधि-विधान लक लेजायकन नवो घर मा देवघर की  बसावन को विधान से।

 

पोवार समाज को कुलदेव अना कुलदेवी: महाकाल महादेव, पोवार समाज का कुलदेवता सेती। तसच माय काली भवानी समाज की कुलदेवी मानी जासे। प्रभु श्रीराम समाज समाज का आराध्य आती। कई पोवारी कुर इनको स्थानीय कुलदेवत् भी सेती। दूल्हा देव, बाघ देव, नारायण देव, पटिल देव असो देवता इनकी मानता प्राचीन काल लक रहवन को इतिहास मा उल्लेख मिल जासे।

 

पोवार समाज अना उनको आराध्य प्रभु श्रीराम: पोवार समाज को सम्राट, विक्रमसेन विक्रमादित्य, खुद ला प्रभु श्रीराम को वंशज मानत होतिन अना प्रभु को दर्शन की आस मा वय अयोध्या गइन। असी मानता से की उनला प्रभु श्रीराम ना उतन दर्शन देइ होतिन। उनको आशीर्वाद लक सम्राट विक्रमादित्य ना आपरो आराध्य प्रभु श्रीराम की नगरी को पूनरनिर्माण करीन। अज़ भी पोवार समाज ना आपरी सनातनी परम्परा इनला सोड़ी नही सेत। वैनगंगा क्षेत्र मा आन को बाद मा बिसेन पोवार इनला रामपायली को किला मिल्यो होतो अना उनना किला परा आपरो आराध्य प्रभु श्रीराम को प्राचीन मंदिर को जीर्णोद्धाधार करीन। तसच बैहर की सिहारपाठ पहाड़ी परा उनना श्रीराम मंदिर को निरमान करीन। मराठा काल मा भी क्षत्रिय पोवार अना मराठा शासक इनको बीच मा राजकीय अना सैन्य भागीदारी होती। रामटेक मा प्रभु श्रीराम को प्रवास होतो अना यव पावन नगरी, प्रभु श्रीराम की आस्था की नगरी आय। रामटेक मा मराठा शासक इनको सहयोग लक पोवार समाज इनना आपरो आराध्य इनको मंदिर को पुनरनिर्माण को काम भयो। तसच नगरधन किला मा पोवार समाज की कुलदेवी माय काली को मंदिर की निर्मिति पोवार समाज को द्वारा च करन को अनुमान से।

 

पोवार समाज को वैनगंगा क्षेत्र मा विस्तार अना पोवारी संस्कृति : अठारहवी सदी की शुरुवात लक मराठा काल लक ब्रिटिश काल वरी कई विजय को परिनाम स्वरूप वैनगंगा क्षेत्र को तीन सौ तेइस नगर/गांव/जागीर इनकी जागीरदारी पंवार समाज इनला भेटी होती। मध्यभारत को नगरधन क्षेत्र मा अज़ लगभग नौ सौ को आसपास गांव/नगर इनमा पोवार समाज की बसाहट से। समाजजन ला इतन लम्बा समय भय गई से अना पोवारी संस्कृति मा मालवा-राजपुताना की जूनी संस्कृति को संग स्थानीय संस्कृति को कई तत्व इनको सम्मिलन भय गई से।  समाज की भाषा पोवारी से अना भाषा परा भी स्थानीय भाषा इनको प्रभाव क्षेत्रवार सुनन मा आवसे।

 

पोवार समाज को सन् तिव्हार अना रीति-रिवाज : पोवार समाज, सनातन हिन्दू धरम इनको सप्पाई सन् तिव्हार को संग पोरा, बलीप्रतिप्रदा, नार्बोद जसो स्थानीय तिव्हार इनला मा मानन् लगी सेती तसच क्षत्रिय माता, डोकरी पूजा, दसरा को मयरी को दस्तूर, अखाड़ी मा विशेष पूजा जसी विशिष्ट पोवारी परम्परा इनको पालन भी करसेती। जनम लक बिया अना मृत्यु वरी सनातनी परम्परा इनमा हमारो समाज की विशिष्ट पोवारी रीति-रिवाज सेती। पोवार(पंवार) समाज को छत्तीस कुर होन को इतिहास मा उल्लेख से, परा इतन अज़ की बसाहट को अध्ययन को अनुसार इकतीस कुर, वैनगंगा क्षेत्र मा स्थाई रूप लक बसिसेती। बाकी का कुर दुसरो क्षेत्र मा सेती परा आता उनको लक कोनी सांस्कृतिक रिश्ता देखन मा नही आई से अना यव शोध को विषय आय।

 

पोवारी संस्कृति, गौरवशाली संस्कृति: पोवार(छत्तीस कुरया पंवार) समाज ला इतन् कई सौ बरस भय गई से अना समाज को येत्तो लम्बा समय मा विशेष सांस्कृतिक स्वरूप अना भाषा को विकास भई से। समाज महान संस्कृति अना इतिहास को वारिस आय, पूर्ण रूप लक सनातन हिन्दू धरम ला मानन वालों समाज आय तसच सच्चो क्षत्रिय धरम को पालन करनो वालों समाज भी आय त अज़ की पीढ़ी की यव मोठी जिम्मेदारी से की आपरी यन गौरवशाली, पुरातन अना विकसित सांस्कृतिक स्वरूप ला साबुत ठेयकन राखेती अना येला नवी पीढ़ी ला हसतांत्रित भी करहेती तबs आपरी यव संस्कृति अना पहिचान बचहे अना युगो युगो वरी अजर-अमर रहें।

 

ऋषि बिसेन, बालाघाट

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"सत"

कएक न त् सपा सत च सोड देइन

 

जब कोणी लोग समाजमर्यादा सोडके गलत आचरण करत होता त् पुराना लोग समझावत की काइ बी होय जाहै पर आदमीन आपलो सत नही सोडनला होना।

 

यव "सत" शब्द बडो महत्व को से ।

 

दुख की बात या से की कएक लोग आपलो कुल धरम को सत सोड के अनुयायी बन गया।  संगत को असरमा जय .... बोलो अन बम्बई चलो को नारा लगाय के जो नही बननला होना वय बनन लग्या ।

 

बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना बनने वाला वंशज देखके त् पूर्वजइनकी आत्मा अगर कही रहे बी त् वा बी तील तील करके मर जाहै असो लगसे ....

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श्री बजरंगबली

(भाषिक क्रांति पर एक कविता)

 

श्री बजरंगबली l

भक्ति तुम्हारी भली l

लेखनी ला धार चढ़ी l

अना मातृभाषा आगे बढ़ी ll

 

क्रांति की हवा चली l

आशा की ज्योति जली l

लेखनी ला धार चढ़ी l

अना मातृभाषा आगे बढ़ी ll

 

चर्चा से गली गली l

मशाली सभी जली l

लेखनी ला धार चढ़ी l

अना मातृभाषा आगे बढ़ी ll

 

नींद सबकी खुली l

अकल सही चली l

लेखनी ला धार चढ़ी l

अना मातृभाषा आगे बढ़ी ll

 

बाधाएं सब टली l

खुशी की हवा चली l

लेखनी ला धार चढ़ी l

अना मातृभाषा आगे बढ़ी ll

 

श्री बजरंगबली l

कृपा तुम्हारी भली l

लेखनी ला धार चढ़ी l

अना मातृभाषा आगे बढ़ी ll

 

-इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

रवि.१६/०४/२०२३.

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छड़ी लग छम छम

छड़ी को जमानो गयेव।

 

छड़ी को जमानो गयेव, शिकन मा आयी क्रांति।

प्रेम लक शिकावो तब सबकी होये प्रगती।

बंदी से कानून की,मार परा होसे द्रुगती।

आंनद दायक बन गयी,शिकन की पध्दती।।१।।

 

छड़ी लग छम छम,तब अकल होती भारी।

शिकने वाला बिगड़ गया त, शिक्षा होती न्यारी।

गुरुजीला देखकर, करत  नव्हता मुजोरी ।

हुशार गुरुका चेला, बन गया आज्ञाकारी।।२।।

 

गुरुजी को दबाव तंत्र, हाथ मा रव् छड़ी।

टेबल परा रोज रव, इसकुल मा पड़ी।

बाराखड़ी बाचनला, हाथ मा देत छड़ी।

अक्षर चूक गया त, जोरकी वोकोपरा पड़ी।।३।।

 

छड़ी को भेव लका, घर पराय कसा जाती।

बड़ो मुस्किल ल़का, माय बाप स्कूल आन देती।

छड़ी को मारलक, मनना भरी रव धास्ती।

भीतरा भयेव परा, शिकनला नव्हता जाती।।४।।

 

हेमंत पी पटले

धामनगांव (आमगांव)९२७२११६५०१

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इतिहास में गीत चेतना के गाते हैं

 

इतिहास में हम गीत चेतना के गाते हैं l     

जहां जहां अंधियारे छाये हुए पाते हैं ll

 

हम संस्कृति की महिमा रोज लिखते हैं l

इतिहास में भी संस्कृति के गीत गाते हैं l

सोई हुयी सांस्कृतिक अस्मिता जगाते हैं l

जनमानस में अस्मिता का सैलाब लाते हैll

 

हम मातृभाषा की महिमा रोज लिखते हैं l

इतिहास में भी मातृभाषा के गीत गाते  हैं l

सोई  हुयी  भाषिक अस्मिता जगाते हैं l

जनमानस में अस्मिता का सैलाब लाते हैंll

 

इतिहास में छिपे सत्य की खोज करतें हैं l

इतिहास में प्रेरणा के कुछ गीत खोजते हैं l

महान पूर्वजों के प्रति अस्मिता  जगाते हैं l

जनमानस में अस्मिता का सैलाब लाते हैंll

 

हम निज समाज के गौरव पर लिखते हैं l

इतिहास में भविष्य की राह भी खोजते हैं l

सोई हुयी सामाजिक अस्मिता जगाते हैं l

जनमानस में अस्मिता का सैलाब लाते हैंll

 

-इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

सोम.17/04/2023.

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जय श्री बजरंगबली

(पोवार समाज की खुशहाली साती प्रार्थना)

 

मंदिर  तुम्हारा सुशोभित गली गली l

धन्य धन्य प्रभु जय श्री बजरंगबली ll

 

हिन्दू समाज ला भक्ति तुम्हारी मिली l

अना पोवारी संस्कृति भी फली-फुली l

मातृभाषा की खिल गयी कली -कली l

जय बजरंगबली  जय श्री बजरंगबली ll

 

जब् धरा पर कर्णधारों की रस्ता भूली l

प्रभु तुम्हारो भक्तों की गहरी नींद खुली l

समाज की पहचान पर की विपदा टली l

जय बजरंगबली जय श्री बजरंगबली ll

 

बल बुद्धि विद्या का दाता  बजरंगबली l

तुम्हारी कृपा लक सबला हिम्मत मिली l

समाज मा अस्मिता की सुंदर हवा चली l

जय बजरंगबली जय श्री बजरंगबली ll

 

प्रभु समाज ला देव  सुंदर खुशहाली l

भक्तिभाव लक भर देव सबकी झोली l

पहचान अमर हो  छत्तीस कुल वाली l

जय बजरंगबली जय श्री बजरंगबली ll

 

इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

मंग.18/04/2023.

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निसर्ग

 

असोच बसे बसे मोला एक प्रश्न पळेव

एकदम असोकसो सब अतरिज घळेव

 

आता भर  उन्हाळोमाभी आवसे पाणी

फसलकी नासाळी, कधी जिवित हानी

 

असो काहे म्हणुन देवला बिचारेव प्रश्न

कधी लगसे  थंडी ना कधी मोठो उष्ण

 

बदनकी होसे लाही, लगसे बहुत गरम

देव कसे तोला जरासी नही लग शरम

 

स्वार्थ साती काटेसगा झाळ तु मनमानी

भयी ओकलक निसर्गकी अमौलिक हानी

 

बिघळेव समतोल,ना आयी बिपदा सारी

निसर्ग समतोल राखनकी से जबाबदारी

 

समतोल राखनसाती पाचदस झाळ लगाओ

रहे सुरक्षित निसर्ग,असो प्रेमभाव जगाओ

 

डी.पी.राहांगडाले

गोंदिया

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भाषा आमरी से भोलीभाली

(कुलदैवत भोलेनाथ सीन बिनती)

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भाषा आमरी से भोलीभाली l

कुलदैवत भी शिवशंकर भोलेनाथ l

भाषा पोवारी से अजर अमर l

विश्वास आमरों सफल कर देवों भोलेनाथ ll

 

पोवारी की से मधुर मीठी झंकार l

जसो कैलाश मा शिव डमरू को निनाद l

भाषा पोवारी से अजर अमर l

विश्वास आमरों सफल कर देवों भोलेनाथ ll

 

भाषा आमरी से संस्कृति की प्राण l

जसा भवसागर का प्राण  भोलेनाथ l

भाषा पोवारी से अजर अमर l

विश्वास आमरों सफल कर देवों भोलेनाथ ll

 

भाषा आमरी निर्गुण निराकार l

जसो रुप तुम्हारों शिव शंकर भोलेनाथ l

भाषा पोवारी से अजर अमर l

विश्वास आमरों सफल कर देवों भोलेनाथ ll

 

इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

बुध. 19/04/2023.

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खिलन देवो माय बोली पोवारी ला

 

घर घर खिलन देव पोवारी ला खिलन देव पोवारी ला,

नोको करो लुकाछुपी खेलन देव पोवारी ला,

 

सजन देव पोवारी ला सवरन देवो पोवारी ला,

नोको करो आना कानी जगन देवो पोवारी ला,

 

झुमन देवो पोवारी ला गगन चुमन देवो पोवारी ला ,

नोको सिमटन देवो पोवारी ला,

 

ऊंचो गगन की फरारी मारन देवो पोवारी ला ,

 

तरन देवो पोवारी ला तार देवो पोवारी ला,

नोको करो विरोधाभास फैहरान देवो पोवारी ला,

 

मुस्कान देवो पोवारी मान देवो पोवारी ला,

नोको करो आना कानी सम्मान देवो पोवारी ला,

 

सजग करो पोवारी ला संबल देवो पोवारी ला,

नोको करो हेरा फेरी सम्भलन देवो पोवारी ला,

 

पोवारी माय बोली से सबले निराली

,माया लगाओ पोवारी ला,

 

प्यारी लग बोली हमरी भाषा से सबले न्यारी,

जानो समझो पोवारी ला बोलो सिखो पोवारी ला,

 

लिखो पडो़ पोवारी ला आगे करो पोवारी ला,

नोको करो पाय झिकी हाथ धरो पोवारी ला,

साथ देवो पोवारी ला,संग चलके धरो पोवारी ला,

आगे करो पोवारी ला,।।

 

विद्या बिसेन

बालाघाट

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व्यक्तिनिर्माण को पथ

 

कुलानुरूपं वृत्तम् ।।

चाणक्य नीति

अर्थात

 

आमरो आचरण हरदम स्वयमको  कुलधर्मको अनुरूप च होना ।

 

आमला अपरो आचरणलक अपरो यशस्वी कुलको मर्यादाकी रक्षा करनला होना ।

 

आमी सभ्य व ज्ञानी समाज का एक भाग आजन ।

 

अच्छो समाज राष्ट्रकी शक्तिको निर्माता रव्हसे ।

 

देख्यव जाहै त् अच्छो समाज च सदा अदृश्य रूपलक स्वामी बनकर राजशक्तिला  सर्वहितकारी ज्ञानमार्ग पर चलाय सकसे ।

 

प्रत्येक मनुष्यला ज्ञानी व सुसंस्कृत बनकर अच्छो समाजको निर्माण करनला होना।

 

आमीच आपलो कर्म लक , सोचलक अच्छो भविष्य निर्माण कर सकसेजन , या बात कभी न भूलकर आपरो स्वभावला , कर्मला सामाजिक सुख-समृद्धि मा जोड़कर राखनकी जरूरत से।

 

उत्तम , ज्ञानी, सुसंस्कारित  कुल मा , समाज मा जन्म लेनवालोलक या आशा रव्हसे कि उनको सदाचार,  उनकी नीतिपरायणता आदि ऊंची श्रेणीकी रहे । उनको आचार निर्मल, तथा हृदय- ग्राही हो ....

 

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बोली चल पडी

 

जातीका आमी पोवार,

छत्तीस कुऱ्याकोसे जोर l

पिढी दर पिढी, बोली चल पडी २

बोली भाषा से अमर l ध्रु l

 

माय बाप की करो सेवा,

पूर्वज देयेती दुवा l

दुसरो संग नको हेवा,

काम पर खावो मेवा l

शिदोरी घरकी, मज्जासे खान की २

सुख को चले संसार ll

 

माय बोली पोवार की,

गरज से बचावन की l

अमानत से पूर्वज की,

कसम से निभावन की l

करो संघ सक्ती, मिलकर भक्ती २

गर्व से तुमरो पर ll

 

संस्कार ये पोवारी का,

माणूस ला घडावन का l

नेंग दस्तुर ये बाका,

नवो पिढीको कामका l

समज से जांहा, हुशारी से वांहा २

भविष्य को से बीचार l l

 

 

 

जाती का आमी पोवार.....

(छोटे से बहीण भाऊ)

 

हेमंत पी पटले

धामणगाव (आमगाव)९२७२११६५०१

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जय श्री बजरंगबली

(पोवार समाज की खुशहाली साती प्रार्थना)

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मंदिर  तुम्हारा सुशोभित गली गली l

धन्य धन्य प्रभु जय श्री बजरंगबली ll

 

हिन्दू समाज ला भक्ति तुम्हारी मिली l

अना पोवारी संस्कृति भी फली-फुली l

मातृभाषा की खिल गयी कली -कली l

जय बजरंगबली  जय श्री बजरंगबली ll

 

जब् धरा पर कर्णधारों की रस्ता भूली l

प्रभु तुम्हारो भक्तों की गहरी नींद खुली l

समाज की पहचान पर की विपदा टली l

जय बजरंगबली जय श्री बजरंगबली ll

 

बल बुद्धि विद्या का दाता  बजरंगबली l

तुम्हारी कृपा लक सबला हिम्मत मिली l

समाज मा अस्मिता की सुंदर हवा चली l

जय बजरंगबली जय श्री बजरंगबली ll

 

प्रभु समाज ला देव  सुंदर खुशहाली l

भक्तिभाव लक भर देव सबकी झोली l

पहचान अमर हो  छत्तीस कुल वाली l

जय बजरंगबली जय श्री बजरंगबली ll

 

इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

मंग.18/04/2023.

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भाषा आमरी से भोलीभाली

(कुलदैवत भोलेनाथ सीन बिनती)

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भाषा आमरी से भोलीभाली l

कुलदैवत भी शिवशंकर भोलेनाथ l

भाषा पोवारी से अजर अमर l

विश्वास आमरों सफल कर देवों भोलेनाथ ll

 

पोवारी की से मधुर मीठी झंकार l

जसो कैलाश मा शिव डमरू को निनाद l

भाषा पोवारी से अजर अमर l

विश्वास आमरों सफल कर देवों भोलेनाथ ll

 

भाषा आमरी से संस्कृति की प्राण l

जसा भवसागर का प्राण  भोलेनाथ l

भाषा पोवारी से अजर अमर l

विश्वास आमरों सफल कर देवों भोलेनाथ ll

 

भाषा आमरी निर्गुण निराकार l

जसो रुप तुम्हारों शिव शंकर भोलेनाथ l

भाषा पोवारी से अजर अमर l

विश्वास आमरों सफल कर देवों भोलेनाथ ll

 

इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

बुध. 19/04/2023.

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कालजई सेती ये  प्राचीन नाव

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कालजयी सेती, पोवार

अना पोवारी ये दूही नाव l

मिटावने वाला मिट जाहेती

लेकिन कालजयी सेती ये प्राचीन नाव ‍ll

 

अगर कोनी बदल भी देये

समाज ना भाषा को नाव l

लेकिन बदल करने वालों का

उखड़ जायेती समाज मा पांव  l

मिटावने वाला मिट जाहेती

लेकिन कालजई सेती ये प्राचीन नाव ll

 

काही कागज मा भलेही

कोनी बदल देये काही नाव l

मगर सब को दिलों मा

मिट न पावन का ये दूही नाव  l

मिटावने वाला मिट जाहेती

लेकिन कालजई सेती ये प्राचीन नाव  ll

 

पावन कैलाश पर्वत पर

एक गुफा को से पोवारी नाव l

भारत मा काही स्थानों को

पायेव जासे पोवारी नाव l

मिटावने वाला मिट जाहेती

लेकिन कालजई सेती ये प्राचीन नाव ll

 

पोवारी को स्वतंत्र अस्तित्व

अना कायम ठेवबी वोको नाव l

छत्तीस कुल को स्वतंत्र अस्तित्व

अना कायम  ठेवबी वोको नाव l

मिटावने वाला मिट जाहेती,

लेकिन कालजई सेती ये प्राचीन नाव ll

 

इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

शुक्र.21/04/2023.

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जगदेव पँवार री वात

 

करीब 250 साल पहले राजस्थान मा प्रचलित जगदेव पँवार की कहानी का काइ अंश अना वोको पोवारी अनुवाद --

 

जगदेव पँवार री वात---

तिठै राजा बोल्यो, बेटीं चावड़ी, थारौ पीहर किसे नगर, नै किनरी बेटी छै, नै थारौ सासरो किसै नगर छै, सुसरा रो नाम खांप कासूं छै। तरै चावड़ी जाणियो कोई मोटो लायक दीसै छै, इण आगे कह्यौ चाहीजे। तरै कह्यौ, बापजी, पीहर तो नगर टोडे छै। राजा राजरी धीव' छू, वीजकॅबररी बहिन छू, सासरो धार नगररो धणी, जाति पंवार, राजा उदियादीत रे लोहड़ा बेटारी अंतउर" छू।

 

पोवारी अनुवाद ----

 

तबs राजा कसे, बेटीं चावड़ी, तोरो मायघर कौन नगर को आय । अनै कोनकी बेटी आस ,  तोरो सुसरोघर कौन नगर मा से, सुसरो को नाम , कुल  का से । तबs चावड़ी न समझीस की कोणी मानवाईक  दीसै से, इणको  सामने कवनला होना। तब वोन कहिस, अजी, मोरो मायघर तो  टोडेनगर से । राजराजा की बेटी आव, वीजकंवर की बहिन आव, सुसरो धार नगरको धणी से, जाति पंवार से , अनै राजा उदियादीत को नहानो बेटाकी घरवाली आव।

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 भ्रमणध्वनी को भुत...

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भयेव इन्सान आहारी

भ्रमणध्वनी को बहुत

वाट्सअप,फेसबुक

नेट को भी धसेव भुत.

 

इन्सान एक दुसरो को

बहुत आयेव जवर

भ्रमणध्वनी को नादमा

स्नेहला गयेव बिसर.

 

पहीले सारखी मज्जा भी

नही रही आता साबुत

एकलोपण को सबला

लगरहीसे रोज भुत.

 

भ्रमणध्वनीलक दूर

मनोहर लगसे जग

जहाँ मिलसे सुख शांती

नही कोणी की दगदग.

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उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरित)

गोंदिया (श्रीक्षेत्र देहू पुणे)

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असी मुरली सुनाओं घनश्याम

(पोवारी क्रांति को प्रेरक गीत)

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आता असी मुरली सुनाओं

तुम्हीं घनश्याम मोरो मेघश्याम l

जेकी धुन पर पोवारी का

कवि करेती क्रांति को सुंदर गान ll

 

आम्हीं सब रच रहया सेज्                         

 पोवारी क्रांति  को इतिहास l

आम्हीं सब कर रहया सेज्

मातृभाषा पोवारी को उत्थान  l

आता असी मुरली सुनाओं                      

तुम्हीं घनश्याम मोरों मेघश्याम l

जेकी धुन पर पोवारी का

कवि करेती क्रांति को सुंदर गान  ll

 

आम्हीं  सब कर रहया सेज्

संस्कृति संवर्धन को काम  l

आम्हीं सब कर रहया सेज्

छत्तीस कुल को पुनरुत्थान l

आता असी मुरली सुनाओं

तुम्हीं घनश्याम मोरों मेघश्याम l

जेकी धुन पर पोवारी का

कवि करेती क्रांति को सुंदर गान ll

 

कलाकार कर रहया सेती

क्रांति ला बढ़ावन को काम l

युवा आमरा आतुर सेती l

लहरावन क्रांति को निशान l

आता असी मुरली सुनाओं

तुम्हीं घनश्याम मोरों मेघश्याम l

जेकी धुन पर पोवारी का

कवि करेती  क्रांति को सुंदर गान ll

 

-इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

अक्षय तृतीया,शनि.22अप्रैल2023.

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मरहटा माधवी छंद

मात्रा -२९ यति- ११,,१०

पदांत-र गण

पयलो दुय यतिपर अंत्यानुप्रास अलंकार

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कुके कोयल कारी, आंबा डारी, मधुर आवाजमा

धुन सुनाये प्यारी, सबमा न्यारी, अलग अंदाजमा

फुल गंध को संग, अनेको रंग, हवा भी तालमा

कलकल बजे तरंग, पाखरू दंग, बसंती चालमा

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डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे 'प्रहरी'

उलवे, नवी मुंबई

मो. ९८६९९९३९०७

२३.०४.२०२३

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विश्व पुस्तक दिवस अना पोवारी साहित्य

 

अजकोच दिवस २३ एप्रील १५६४ ला प्रसिध्द लेखक शेक्सपीयर, जिनको लिखान को विश्व को कई भाषा मा अनुवाद भयी से, इननं येनं दुनिया ला सोड़ीन. इननं आपलो जीवन मा जवरपास ३५ नाटक अना २०० को ओऱ्या कविता लिखीसेन. शेक्सपीयर को साहित्य क्षेत्र मा को योगदान देखस्यान युनेस्कोनं १९९५ अना भारत सरकारनं २००१ पासना येनं दिवसला विश्व पुस्तक दिवस मनावन की घोषणा करीन.

आपलो पोवार समाजका लोक आपली मायबोली बोलन हिच-किचाट करसेत. आपली बोली मा बोलनो गावंढळपणा समझसेती. बिह्या भयेव को बाद घरवाली संगमा आपली मायबोली पोवारीमा न बोलता हिंदी मराठीमा बोलनो सुरू होसे. टुरू पोटू भयेव को बाद माय बाप को संगमा टुरू पोटू बी हिंदी मराठी माच बोलन सिकंसेती. आपली मायबोली पोवारी बी से मुहून उनला माहित नही रव्हं. पयले मोठांग लका अना मंग नहानांग लका धिरू धिरू आपली मायबोली जवरपास लुप्तप्राय होन को कगार पर से. येकोसाती माय बाप आपलो टुरू पोटू संगमा तसाच मोठा, उच्च पदपर काम करनेवाला आपलो समाजको लोकइन संगमा मायबोली पोवारी मा बोलन लगेत तं, निश्चितच टुरू पोटू अना लहान लोक बी मायबोली मा बोलन हिच-किचाट करनका नही असो मोला लगसे.

नविन पिढ़ीसाती आपली मायबोली पोवारी लिपीबद्ध होनो आवश्यक से. जवळपास तिन दशक पह्यले पासून आपली पोवारी बोली लिपीबध्द होन बसी. पर कोरोनानं बी बहुत काही सिकाईस. येन दुय सालमा बहुतच प्रगती भयी. बहुत सारा नव नवीन कवी लेखक आपलो मायबोली ला लिपीबध्द करन लग्या. पोवारी साहित्य लिखनसाती पोवारीका समुह तयार भया. अना आपली मायबोली पुस्तक रुप मा आवन लगी. मी बी असोच एक पोवारी उत्कर्ष समुह मा जुड़ेव. अना समुह को माध्यम लका मोरी "मयरी" नामक पोवारी काव्य संग्रह समाज को सामने आयी. असीच पोवारी बोली की कयीक पुस्तकं को रुप मा आपली मायबोली आता आवनेवालो नविन पिढ़ी को डोरा को सामने रहे. अना धिरू धिरू आपली मायबोली आपलो सम्मान पुर्वरत प्राप्त करे येकोमा काही शंका नाहाय.

येनं विश्व पुस्तक दिवसपर सबला शुभकामना देसु अना असाच पोवारी साहित्य लिपीबध्द करस्यान आय.एस.बी.एन. सहित आपली पुस्तक प्रकाशित करेत असी आशा करुसु.

 

इंजी. गोवर्धन बिसेन 'गोकुल'

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गजब की या दुनिया

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सफर दुनिया को बढो निरालो||

चले का इन्सान यहाँ भोलो भालो||||

 

ठगलका भर गयी या दुनिया||

सांगेत अनगढन कहानिया ||||

 

इन्सानियत को दिससे अभाव||

फसवेगिरी को बढेव प्रभाव||||

 

हर कदमला टुटसे भरोसा||

धोकागडी बहुतेक की मनसा||||

 

संभालके करो या दुनियादारी||

यन दुनियामा खतरा से भारी||||

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उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरित)

रामाटोला गोंदिया (श्रीक्षेत्र देहू पुणे)

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विषय: जादुई जूता

दिनांक:२४:४:२०२३

जादू की से नवलाई

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सपना रंगायकर मवुज करलेव २

जूता मिलिसे जादुई।

पलभरमा इतना पलभरमा उत २

जादूकी से नवलाई।। टेक।।

 

अजमावो जुताला चमत्कार से भारी।

घड़ी भरमा लिजासे लीला कर से न्यारी।

बनजासेत बिघड़ी बात करो अनुभव २

मिल जासे बहादुरी।।१।।

 

जुताको बलपर करो तीरथ को दर्शन।

मन चाहे तुमरो आवो दुनिया फिरकन।

संधी को सोना समय को से उपयोग २

भाग्य की से घड़ी आयी।।२।।

 

कठिन मेहनत का जूता टाको पायमा।

रंग भर जाये तुमरो घर संसार मा।

काम पर भरोसा मन मा अंतर भाव २

सांग से हेमंत भाई।।३।।

 

हेमंत पी पटले धामनगांव (आमगांव)९२७२११६५०१

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मुंबई

 

बात तुमरी आयकशानी मनमा खूशी भई!

एकघन तरी देखून कसू कसो शहर मुंबई!! ध्रु!!

 

जाबिन कसु विदर्भ लक करो रिझर्व्हेशन !

जाताजाता मोजून मी केतरी सेती स्टेशन !!

सब  सामान धरून  संगमा  करोना घाई !

एकघन तरी देखून कसू कसो शहर मुंबई!!१!!

 

गाळीमां देखुन कशी होसे मनमानी दाटी !

ठाणे लका सुरु,नाशिक, दादर, सीएसटी !!

मुंबई क स्टेशनपरा होय उतरन साती घाई !

एकघन तरी देखून कसू कसो शहर मुंबई!!२!!

 

इंडिया गेट देखुन ना देखु समुद्र कि लाटा !

जहाज लका जाबिन,देखबिन एलिफंन्टा !!

मुंबई से मायानगरी,नाहाय दूनियामा कहीं !

एकघन तरी देखून कसू कसो शहर मुंबई!!३!!

 

मंत्रालय देखुन,देखून अभिताभ को बंगला !

अजाबघर देखून, ओक शानशौकत ढंगला !!

फीरबिन सारी मुंबई एकभी सुटनको नहीं!

एकघन तरी देखून कसू कसो शहर मुंबई!!४!!

 

महाराष्ट्र की राजधानी भारत की से शान!

ओकमा च बसीसे मोरो हिंदुस्थान महान!!

गर्व से एको मोला , मान झुकनकी नहीं!

एकघन तरी देखून कसू कसो शहर मुंबई!!५!!

डी.पी.राहांगडाले, गोंदिया

पोवारी खाद्य व्यंजन

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*पुरन रोटी/पातर रोटी/रोडगा/पानगा/भाकर/फुलका रोटी

*चाऊर-पिठ का अकस्या

*लसुन का अकस्या

*सुवारी/गुरी सुवारी/घिवारी

*पान-बड़ा/तेल-बड़ा

*सुकुड़ा

*आटेल/अनरसा/करंजी/खुरमी

*बुल्ल्या/कुसुंबा/भजिया

*हलवा/दुध-चाऊर खीर

*पापड़ी/चाकोली/घेंगरी/गाठी

*वारेव-चिवडा/गिलो-चिवडा(आलुपोहा)/कच्चो-चिवडा (पोहा,तेल,कांदा,संबार)मुर्रा-चिवडा/चिवड़ी-चिवड़ा

मोतिचूर (बुंदी)-लाडू/सेव-लाडू/सातु-लाडू/तिर-लाडू/बेसन-लाडू/रवा-लाडू

*आम-रस, आम-पन्हा, आम रस-रोटी

*तोर/लाखोली/मुंग/उरीद/बाल की - दार

*दाल-भटा, कोचई-दार, दार-दोरका, दार-लौकी, दार-भाजी,

*कोचई-बडी़, दार-बड़ी, कांदा-बड़ी

*भात, खिचड़ी, गोड़ भात, आम्बिल

*आमटी, गोड़आम्बा स्याक,

बोर-कुकसा, लवकी, दोरका, भेंडी, बगन बाडी़ की सब प्रकार की स्याक भाजी

*लाखोरी/तोरा/बटरा/चना/पोपट/बाल/मुंगना को रस्सा

*चना/चनोली/मुंग/पोपट घुघरी/चटपटी.

*आम्बा/भेद्रा/मिर्ची-लसुन की चटनी

*आम्बा/लिम्बू /कटहर को रायतो इत्यादी.

* कळ्हन, मालपोहा, कुसुम, सुवारी, टोरूटा की भाजी, हरदफरी की भाजी, कड्डी की भाजी, खलपेंडरा की भाजी, उंदीर को पान का आयता/ बड़ा, पखानबेद का अकस्या

* घिवरी, आंबिल, सुवारी, कळहन (परा सरन से वोन दिन भिज्या चना को पाणी को जो आरन होसे वूं.

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छडी लगे छम छम

 

आमी स्कूल जात होता तब

गुरूजी जवर रव्ह एक छडी,

बदमास या गलती करनेवालो

की वोकल् करत खटीया खडी.

 

पाढा या गणित की गलती

या गलत अंग्रेजी की स्पेलिंग,

दुही हातपर सुरू होय छडील्

हात लाल होत वोरी केनिंग.

 

घरका लोक बी गुरूजीक् पक्षमा

खूब पिटन को देत होता सल्ला,

हुशार टुरू पोटू करत होता पढाई

गबदू वाला स्कूलल् होत ढिल्ला.

 

कई टुरू पहली दुसरीलच् गायब

आवतच नोहोता कभी स्कूलमा,

उनकी जरूरत पड गुरूजीला

खेलनसाती टुर्नामेंटक् समयमा.

 

छम छम लगनेवाली छडीक् भेवल्

कई लोक पढाई करके सुधर गया,

काही लोक इनन् स्कूलच् सोड देईन

वोय जिंदगीक् सफरमा पिछड गया.

 

- चिरंजीव बिसेन

गोंदिया

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अध्यक्ष बनन साती श्रीकृष्णला समझनो पड़े

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मोरो समस्त सम्माननीय सजातीय समाजबंधु इनला हिरदीलाल ठाकरे को सहृदय प्रणाम , कोणतो ही संगठन को अध्यक्ष बननो म्हणजे श्रीकृष्ण को चरित्र प्रत्येक सामाजिक कार्यकर्ता मा पायजेच ,  समाज का काही काही माहानुभव समाज को सर्वोच्च संघटना को अध्यक्ष पद पर आसीन होता व सेती अना रहेती सबला मोरी करबद्ध प्रार्थना से , आपलो सर्वोच्च पद को निर्वहन करता करता आपलो अंतर्मनला निर्मल व पवित्र बनावन की गरज से , तुम्ही सिर्फ अना सिर्फ एक पदाधिकारी म्हणून समाज को काम करत रहो त येव स्वार्थ आय , पर तुम्ही स्वार्थ लोभ मोह माया अहंकार को त्याग करके प्रामाणिकता आध्यात्मिकता सहनशीलता व शिष्तपालन व निस्वार्थी भावना लक सही ला सही अना गलत ला गलत कवन की अना असत्यला नकारकर सत्यला स्वीकार करके समा

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मोरो अनुभव, मोरा बिचार

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समस्त सम्माननीय सर्वजातीय समाजबंधु सबला हिरदीलाल ठाकरे को सहृदय सादर प्रणाम जय राजा भोज, समाज कल्याण जनकल्याण व राष्ट्र कल्याण करनेवालों व्यक्ती आदर्शवादी रहे पायजे, दुसरा कोणी तरी तुमरो आदर्श पर चलन साती प्रेरित होयेत असो तुमरो कर्तृत्व पायजे, तुमरो जवर धन-दौलत सोना-चांदी बंगला गाड़ी मान-प्रतिष्ठा पद-प्रतिष्ठा काही भी नही रहे तरी चले पर तुमरो जवर समाज कल्याण जनकल्याण व राष्ट्र कल्याण करन की संकल्पना व जिद्द रहे पायजे तबच त तुमरी प्रगती देखकर दुसरो माणूसला भी प्रेरणा भेटत रहे, अना तुमरो जवर खूब काही रहेव को बाद भी तुमरोमा दुसरो को प्रती आदर नम्रता नाहाय त मंग तुम्ही केतरा भी मोठा रहो पर तुमरो आदर्श पर चलनला कोणीच तैयार नाहात, म्हणूनच मोरी करबद्ध प्रार्थना से सबला जवर करो त तुमल

 

 

 पोवारी आमरी पहेचान

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पहेचान पोवार की

बोली भाषा या पोवारी

सब पोवार मनला

बांध एकसूत्र न्यारी.

 

मोरो पोवारी भाषा की

बढ़ी निराली से बात

खेड़ा पाडामा या बोली

बोलसेत आडीजात.

 

दिन-ब-दिन भाषा ला

मिल से मान सम्मान

साहित्यिक पोवारी का

जपसेती स्वाभिमान.

 

क्षेत्र साहित्यिक भारी

आता लेनला भरारी

भाषा पोवारी आमरी

सज्ज भयी से साजरी.

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उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरित)

रामाटोला गोंदिया (श्रीक्षेत्र देहू पुणे)

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पोवारी हाणा (Powari Proverbs)

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1. हाणा को अर्थ व महत्व                    

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    हाणा येव पोवारी साहित्य को एक प्रकार आय.  हाणा ला हिन्दी मा कहावत, मराठी मा म्हणी व अंग्रेजी मा Proverbs अथवा Saying कसेती.

सरल, सारगर्भित व ठोस कथन ला  हाणा कसेती. हाणा को संबंध मानव को आचरण सीन रव्ह् से.  हाणा  को द्वारा मानव आचरण को सामान्य सत्य  कम शब्दों मा व्यक्त होसे. हाणा को द्वारा भाषा को सौंदर्य बढ् से.

हाणा, पूर्वजों को अनुभव को सांस्कृतिक खजाना आय. हाणा कर्ण परंपरा द्वारा जूनी पीढ़ी कर लक नवीन पीढ़ी ला अवगत होसेती व समाज मा लोकप्रिय सेती. हाणा हृदय स्पर्शी  (heart touching)रव्ह् सेत. हाणा कोनी को दिल ला जखम  न करता कव्हने वालो की बात  आयकने वालों को दिल की गहराई वरि उतार देसे.

2. हाणा को प्रभाव को एक उदाहरण

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आमरो मोहला मा  सुधाकर न् आपलो घर बनाईस त्  शेजारी की दूय फूट  जागा दबाईस.  लेकिन  वासुदेव ना गंगाराम ये दूय सेजारी जब् घर को पाया खंदावन लग्या व थोड़ो सो सीमा विवाद भय गयेव त् सुधाकर उनला समझावन लगेव कि आपआपलो इमानदारी पर रव्हो. असो समय पर  मोहला को बुजुर्ग माधवराव बापू  न् सुधाकर ला " हत्ती का खान का दांत अलग व देखावन का दांत अलग रव्ह् सेत." असो कह देईस त् सुधाकर की बोलती बंद भय गयी.

उपरोक्त उदाहरण को द्वारा स्पष्ट होसे कि हाणा ये आचरण सीन संबंधित व असरदार रव्ह् सेत.

3.अनमोल सांस्कृतिक संपदा

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पोवारी भाषा मा बुड़तो का पाय डोह मा, हातभर ककड़ी नव हात बीजा, खाक मा टूरी गांव भर ढ़िढ़ोरा, करणी खराब ना किस्मत ला दोष देनो,  बाड़ी को दूधारो ना आपाआपली सुधारों आदि.असंख्य हाणा सेत.पोवारी हाणा लिखित स्वरुप मा संकलित करनो आवश्यक से.हाणा या पोवार समुदाय की अनमोल सांस्कृतिक संपदा आय.

 

-इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

गुरु 27/04/2023.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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       इतिहास व पोवार समाज पर अनमोल विचार                                  ----------------------------------------------

फ़्रेंच विचारक रुसो को कथन से कि निसर्ग की हर चीज जो आमला मिल् से वा पवित्र अना पावन रव्ह् से. लेकिन मनुष्य को हाथ मा जान को पश्चात हर चीज भ्रष्ट होय जासे. या सच्चाई तुम्हीं -आम्हीं सब जन  महसूस कर् सेज्.

इतिहास को भी या बात लागू होसे. इतिहास ला भी लोग आपलो स्वार्थ को अनुसार  तोड़ -मरोड़ कर देसेती.  येको कारण इतिहास  येव बहुत सावधानी पूर्वक बाचके  ग्रहण करन को विषय से.

पोवार  आर्य  आती अना भारत का मूल निवासी भी आती. अंग्रेज विदेशी होता अना यहां आर्य  लोग उनकी राह मा  प्रमुख बाधक  होता.  येको कारण आर्यो ला भी  विदेशी निरुपित करके उनन् भारत मा आपलो आगमन ला जायज साबित करीन व आपली सत्ता रस्ता साफ करीन. कई भारतीय विचारक भी आर्यो ला विदेशी आत, असो लिख देईन.

स्वतंत्र भारत मा कई  राजनीतिक दल हजारों सालों को पश्चात् आर्य व अनार्य को मुद्दा  बार- बार उछाल् सेती. असो केवल  केवल राजनीतिक स्वार्थ  साधन साती  कर रहया सेती.

 

-इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

गुरु.27/04/2023.

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मोरो समाज, मोरी पोवारी

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स्वागत से अभिनन्दन से

धन्यवाद से पोवारी कवियों ला l

वंदन से सबकी लेखनी ला

अभिवादन से समर्पण को मनोभावों ला ll

 

कोनी रव्ह् से देहु पुणे मा

कोनी बसी से कोल्हापुर मा l

कोनी रव्ह् से नागपुर मा

कोनी बसी से जबलपुर मा l

कवि पोवारी का सेती भारत भर

लक्ष्य केंद्रित सबको पोवारी को उत्थान पर l

स्वागत से अभिनन्दन से...

 

माय बोली जोड़ रहीं से

स्वजनों  को मन ला एक माला मा l

अलौकिक आनन्द की अनुभूति

होय रही से निज समाज को मन मा l

कवि पोवारी का सेती भारत भर

लक्ष्य केंद्रित सबको पोवारी को उत्थान पर l

स्वागत से अभिनन्दन से...

 

कोनी कोनी मगन से

कथा कहानी को लेखन मा l

कोनी कोनी को मन गूंथी से

पोवारी हाणा कहावत को संकलन मा l

कवि पोवारी का सेती भारत भर

लक्ष्य केंद्रित सबको पोवारी को उत्थान पर l

स्वागत से अभिनंदन से...

 

इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

शनि.२९/०४/२०२३.

महंगाई से बेसुमार

 

महंगाई से बेसुमार,

माणूस बनीसे लाचार l

समज मात आव नही २l ध्रु l

 

बिह्या मा खर्च करसे,

चदर घरकी दीस नही l

कर्ज मा जमीन बिक से,

बिचार येको कर नही l

नशा को लेसे आहार,

जासे बिघड परीवार l

गरीबी देखी जाय नही २ ll

 

महांगाईन कंबर तोडीस,

पेट्रोल को भाव बडेव l

गॅस को हंडा घर खाली,

तीन पट भाव चढेव l

टिव्हशनसे भरमार,

शिकावन कोसे बीचार l

नोकरी को भरोसा नही २ ll

 

जसी आवक तसो खर्चा,

जुगुत कोसे काम धंदा l

लगावो मन को इच्छाला,

लगाम रूपी या मर्यादा l

जिंदगी से एक बार,

भवसागर करो पार l

घडी अनमोल से आयी २ll

 

हेमंत पी पटले

धामणगाव (आमगाव)९२७२११६५०१

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जादुई जूता(बालकविता)

 

मोरो जूता से जादूई,

टाककर नाचू थुई थुई,

पहुॅंच जासू हर जागापर,

आकाश रव्ह या भुई.

 

जूता टाककर फिता बांधकर

होय जासू मी रफू चक्कर,

भलो भलो पहलवान इनला

देसू मी एकटो टक्कर.

 

जूता टाककर मी उडाय

जासू पलभरमा आकाशमा,

बादरपर बसकर सैर करूसु

कही बी अंधारो या प्रकाशमा.

 

जूता टाककर कभी कभी

होय जासू मी पूरो गायब,

धूंड नही सकत मोला तब

पुलीसवाला ना मोठा साह्यब.

 

जूता मोरा सेती जादू का

सबदून मस्त,चांगला,सुंदर,

कमाल अशी देखाऊसु मी

हार जाहे मोरल् जादूगर.

- चिरंजीव बिसेन

गोंदिया

***************

विदेश वारी

 

मनमा मोर उमंगसे भारी,

करनकी इच्छासे विदेश वारी।धृ।

 

रूस, चीन, कोरिया, जपान,

मलेशिया, सिंगापूर, भूतान,

कही जायकर हौस होये पुरी

करनकी इच्छासे विदेश वारी।१।

 

इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया, अमेरीका,

ब्राजील, इंडोनेशिया, आफ्रिका,

या होत मध्यपूर्व की अरब कंटरी,

करनकी इच्छासे विदेश वारी।२।

 

कोणतो बी देशमा जानकी इच्छा,

करसे कभी कभी मोरो पिच्छा,

कशी होये समझ नही हऊस पूरी,

करनकी इच्छासे विदेश वारी।३।

 

- चिरंजीव बिसेन

गोंदिया

***************

 

 

 

 

 

 

 

मोला फक्त मायघर जानोसे

 

मोला फक्त मायघर जानो से

मायको मांडीपर सोवनो से

 

घरभर दिवसभर फिरनो से

गावको गल्लीमा धावनो से

 

काकी अना भौजाई जवळ

मनमाकी गोष्टी सांगनो से

 

खेतमा आंबा को झाडखाल्या

सयलीसंगमा घडीभर बसनो से

 

नही कोणतो टेन्शन,नही कोणतो काम

मायला जरासी फर्माईश सोडनो से

 

तरनपुरन काई खानो नाहाय

ममता की चटनी पेज खानो से

 

इश्कुलको सामने चट्यानपरा

बोर की आठोळी फोडनो से

 

आंबा की अमराई का कलमी आंबा

थैला थैला भर भरके चोरनो से

 

तराको पारपरकी गोड गुरूचीच

गोटा  मार मारके पाडनो से

 

करंडी बेकार की  वाकळी चीचबीलाई

बासोळा लका जराशी झाडनो से

 

वय याद,वय खेल,वय बदमाशी

अखीन  एकबार फक्त  करनो से

 

लहान  होयके बाबुजी संगमा

उनको सायकल पर फीरनो से

 

मामा मामीकी लाडीक डाट फटकार

अखीन एकबार  मोला खानो से

 

दिवस वय लहानपनका वापस

अखीन लहान होयके जगनो से

अखीन एकबार जगनो से

 

सौ.वर्षा विजय रहांगडाले

बिरसी ता.आमगांव  जि.गोंदिया

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 उन्नत भाषा को सपना

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वर्तमान को येव समय बहुत सुहानों से l

उन्नत भाषा को सपना साकार होनो से ll

 

खोपड़ी मा की दिवारी को

ऐतिहासिक सम्मान गूंज रही से l

गुलाब बिसेन की कथाओं को

कोल्हापुर को सम्मान गूंज रही से ll

वर्तमान को येव समय ...

 

अभिमान से न्यूज प्रभात को

मातृभाषा को प्रचार होय  रहीं से l

पोवार समाज को समाचारों को

पोवारी मा प्रकाशन होय रहीं  से ll

वर्तमान को येव समय ...

 

पोवारी बाल ई-मासिक को

प्रकाशन ठाट लक होय रही से  l

छत्तीस कुल पोवार समाज को

चारों दिशाओं मा नाव होय रही से ll

वर्तमान को येव समय ...

 

पोवारी हाणा कहावत को

संकलन जोश लक होय रहीं से  l

मातृभाषा पोवारी को ग्रंथों को

प्रकाशन हर साल होय रही से ll

वर्तमान को येव समय ...

इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

रवि.30/04/2023.

भूल गया भूक तहान

(भाषिक क्रांति को समकालीन चित्र)

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उन्नत पोवारी बढ़ाए आमरी शान l

बढ़ाएं संसार मा आमरी पहचान l

भूल गया भाषा को उत्थान साती,

दिन रात को भेद ना भूक तहान ll

 

युवाशक्ति पर सबला से अभिमान l

भाषा साती झोकीन आपलो प्राण l

भूल गया भाषा को उत्थान साती,

दिन रात को भेद ना भूक तहान ll

 

स्वेच्छा लक संभाली सेन कमान l

रुचि अनुसार बांट लेई सेन काम l

भूल गया भाषा को उत्थान साती,

दिन रात को भेद ना भूक तहान ll

 

एकच बात दिल मा लेयीन ठान l

उन्नत भाषा बढ़ाएं आमरी शान l

भूल गया भाषा को उत्थान साती,

दिन रात को भेद ना भूक तहान ll

 

महासंघ को मजबूत अधिष्ठान l

मंज़िल छत्तीस कुल को उत्थान l

भूल गया भाषा को उत्थान साती

दिन रात को भेद ना भूक तहान ll

 

इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

महाराष्ट्र दिन,सोम.१/५/२०२३.

बदर बदर आयेव पानी

 

बदर बदर आयेव पानी

मोहू भया ओला गिदगिदा

भट्टी सरिसी बास जीतउतन

गावमा होतो टुरी को बिहया

दूय बराती आया भट्टी समझकर

एक कसे, एक एक पिलाओ

पानी की नहीं,कोरी लाओ

आयककर जीव धकरपकर

दबाऊ का गे उखर को अंदर

पर मुन्न्या का बाबू नोहता घर

बरातीको अंदाज मा होतो

चारसौ चालीस को पावर

डोलत होता नागिण वानी

पिवन की होती बिना पानी

कसो करू आब समस्या भारी

धरेव गाडो की वाकडी उभारी

देयेव साजरी चरपटाय स्यारी

 

सौ छाया सुरेंद्र पारधी

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बदरबदर आयेव पाणी

 

कायका ए दिवस बरसात वाणी

जसी  लगजासेती मिरग रोहणी

 

उन्हाळोमाभी पाणी बदबद पळ

ना बारीसक पाणीकी लगी झळ

 

अवकाळी पाऊस लक भयी हानी

आंबा, संत्रा हतऱ्या टोरूंबा वानी

 

बगन भेदरा सब जितऊत पसऱ्या

चिखलच रस्तामा ईत उत घसऱ्या

 

रब्बी को धान भी काटशान भयेव्

कळपा पळ्या सेती उचलणंको रहेव

 

पानीला झोमेव झोमाळा,मारे आवसे

टोंगरामा मुंडकी टाक कास्तकार रोवसे

 

पर्यावरण नाश कऱ्या झाळ काट देया

ओकोच यव परिणाम समज नहीं पाया

 

आब भी नहीं जाग्या त बारमाही पाणी

ओक लका होय सब जित उत् हानी

 

आतातरी एकेक झाळ सब लगावबिन

समतोल पर्यावरण साती रक्षण करबिन

डी.पी.राहांगडाले

गोंदिया

प्रक्रति (निस्रग)

 

असो कसो भयो अपराध प्रक्रति देसे सबला घात भयी काही त  हमरो लक भुल

समय को चक्र उलटो फिर से गर्मी को दीन मा बादर पानी गर्ज से,

देखो ,

सागसे प्रक्रति हमरी भुल,

 

कलयुग को फेरा चल पडी़ से अता पडेत सब पर अपरी करनी का शुल,

प्रकर्ति सागसे हमरी भुल,

 

दोष देहेत अता कोनला छिटा कसी कसेत कोनला का भयी तोरी मोरी भुल सबकी भुल,

प्रक्रति सागसे हमरी भुल,

 

ज्ञान से मोठो विज्ञान से मोठो पढ़या लिखयो मानुष बनयो मोठो,

मोठी पडी़ निस्रग की नियती देखो

सबला चखाव धुल,

प्रक्रति सागसे हमरी भुल

 

बहुत अकड़ से येन तिरीया मानुष जन्म पर बहुत घमंड से हमाला ज्ञान विज्ञान पर ,

सबले मोठो जगत पिता से कव जसी  करनी वसी भरनी की भुगतो अता सब भुल,

प्रक्रति सागसे हमरी भुल,

 

विद्या बिसेन

बालाघाट

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इंद्र देव

 

इंद्र देव की से बडी निगरानी,

प्रजा झेलसे कोप उनको भारी l

बदरबदर को आयेव पाणी,

सोचमा पडगयी जनतासारी ll

 

बिन मोसम परा आवसे पाणी,

कामधंदा की बिघळ जासे घडी l

करसे जोरकी हवा मोठी हानी,

जर गया वहा परा बीज पडी ll

 

बिघड रहीसे सृष्ठी को ब्यालेंस,

येला जिम्मेदार यांहकाच लोग l

कट्या झाड झडूला बनकोसे नास,

बुरा कर्म फळ आता तरी भोग ll

 

गरज पडीसे धरा बचावनकी,

सबला मिले शुद्ध हवा पाणी l

सब जीवकी भागीदारी प्यारकी,

निसर्ग की बन जाये मेहरबानी ll

 

हेमंत पी पटले

धामणगाव (आमगाव) ९२७२११६५०१

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श्री विजयजी राहागंडाले जन्मोत्सव

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श्री । श्रीमान विजय । राहंगडाले जी ।।

सबको मिले जी । आशीर्वाद,,।।

 

वि । विशाल हृदय । विश्वास जगला ।।

शान्ती दुत तोला । मान् सेती ,,,।।

 

ज । जनता को वाली । मन खुशहाली ।।

चर्चा गलो गली । चलसेती ,,।।

 

य । यशस्वी तेजस्वी । तपस्वी तत्परता ।।

से प्रमाणिकता । स्वभावमा ,,।।

 

जी । जीवन आनंद । रहे सुखशान्ति ।।

समाजमा क्रान्ति । आन्या सेव ,,,।।

 

रा । राष्ट्रीय एकता । हिन्दुत्व को मान ।।

रहे स्वाभिमान । समाजको ,,।।

 

हां । हांसत खेलत । जिंदगानी चले ।।

माहामाया बोले । हृदयमा ,,,।।

 

ग । गगन मा सेती । चंद्र सुर्य तारा ।।

विजय जी प्यारा । सल्लागार ।।

 

डा । डाट फटकार । प्ररेणा दायक ।।

रक्षा विनायक । कर् सेती ,,,।।

 

ले । लेखा जोखा होसे । पाप पुण्य परा ।।

उपकार तोरा । फेडू कसा ,,,,।।

 

जन्म। जन्मदिन पर । से शुभकामना।।

मन की भावना । व्यक्त सेती ,,,।।

 

दिन। दिन रात सेवा । माय बाप गुरु।।

नमन गा करू । विजय भाऊ ,,,।।

 

जन्मोत्सव पर । कोटि-कोटि वंदन ।।

करे अभिनंदन । हिरदीलाल ।।

 

सर्वाधिकार सुरक्षित

!!! कवी !!!

श्री हिरदीलाल नेतरामजी ठाकरे नागपुर

पोवार समाज एकता मंच पुर्व नागपुर

, भा, क्षत्रिय पोवार / पंवार माहासंघ

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आमरी पहचान

 

आमी  कर्म अना सोचलक जसो खुदला प्रस्तुत करबिन तसीच आमरी पहचान बने ।

आमी खुदला शक्तिशाली, उत्तम प्रस्तुत करबिन त् दुनिया आमला सन्मान को नजर लक देखे ।

आमी खुदला पीड़ित, दया का पात्र, मांग करनेवाला , कमजोर, द्ब्या कुचल्या प्रस्तुत करबिन त् दुनिया अखिन दबाए ।  घृणा की नजर लक देखे । यव संसार को सत्य आय ।

कएक राजनीतिक व स्वार्थी एजेंट लोग समाज की गलत पहचान लगातार प्रस्तुत करता सोशल मीडिया परा चोवसेत ।

उनला साथ देनो यानी समाज ला बर्बादी को तरफ धकेलनो आय ।

आमला आपली सन्मानित , संस्कारित व श्रेष्ठ समाज की पहचान जो से,  वोला बनायके राखनो से ।

येन कार्य मा आमरो सबको योगदान जब रहे, तबच आमी आमरो समाज की उन्नत स्थिति व उत्तम पहचान कि प्राप्ति कर सकबिन ।

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पोवार को बन आरसा

 

विधा - सरस छंद (मात्रिक)

लगावली - गागालगा, गागालगा

 

पोवार की, कर बात तू

संस्कार की, कर बात तू |

देखावजो, पोवार तू

वा धार की, अवकात तू ||||

 

से बात या, आकार की

पोवार को, संस्कार की |

चल ठाट लक, पोवार तू

या शान से, जी धार की ||||

 

गड़कालिका, को भक्त तू

आटावजो, खुद रक्त तू |

पोवार को, उध्दारला

साहित्य मा, बन सक्त तू ||||

 

तू प्रार्थना, कर भोज की

तू याद बी, कर ओज की |

तू कल्पना, विस्तार कर

तू बात कर, नव खोज की ||||

 

रुतबालका, देखाव तू

पोवार का, बी भाव तू |

संसारमा, बुद्धीलका

पोवार ला, सीखाव तू ||||

 

देखाव तू, तोरा असा

बाना दिसे, विक्रम जसा |

कर्तव्य को, रस्ता परा

पोवार को, बन आरसा ||||

 

इंजी. गोवर्धन बिसेन "गोकुल"

 

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नवी पीढ़ी लायी दूय शब्द

 

जीवन मा धन, आरोग्य, सुरक्षा अना सन्मान ये सब बहुत जरूरी सेत। इनला प्राप्त करन आमला चिंतन कर काइ न काइ  लक्ष्य साधनो आवश्यक  से । समयबध्द व योजनाबध्द तरीका लक आमला निश्चित अवधि मा  विद्याध्ययन व प्रतियोगिता सहभाग का प्रयास करनला होना तबच आमी काइ खास लक्ष्य प्राप्त कर सकबिन। आमरो लक्ष्य उत्तम रहे त उत्तम परिणाम रहेती । जीवन की आवश्यकताइनला  प्राप्त करनलायी अच्छो लक्ष्य  साधनो आवश्यक से ।

जो लक्ष्य  हासिल करसे , जो जीतसे वोला च विजेता कह्यव जासे। वुच शासन करसे। वुच अधिपति होसे। हालांकि आमरो जीवन मा आमरो लक्ष्य का से , केतरो समय मा आमी वोन लक्ष्यला प्राप्त कर लेबिन यव सब पहले च तय होनो जरूरी से। लक्ष्यहीन यात्रा आमला भला उत्तम लक्ष्य को तरफ कसी लेयकर जाय सकसे ।

कला व कौशल ये दूय अत्यंत आवश्यक सेत अना ये लक्ष्य ला प्राप्त करनो मा सहायक आती ।

जो भी लक्ष्य आमी तय कर लेया सेजन वोकोमा आमी पारंगत हो,  अव्वल हो, वोकोमा आमी कौशल्यपूर्ण हो, कलात्मक हो , वोन लक्ष्य को प्रति समर्पित हो, सर्वश्रेष्ठ हो , जानकार हो यव जरूरी से।

महाभारत को  गांडीव धारी श्रेष्ठ धनुर्धर अर्जुन  जेनप्रकार लक आपलो लक्ष्य साधन को बेरा झाड़ परा लटकतो पंछी की प्रतिकृति को सिरफ़ डोराला  देखसे , वोनप्रकार लक्ष्यको तरफ अग्रेसित युवा न  सिरफ़ आपलो लक्ष्य परा ध्यान केंद्रित करनला होना । काहेकि समय अमूल्य से अना समय को सही उपयोग लक च आमी काइ अच्छो कर सकबिन ।

अन्यथा कोनतो बी प्रकार को भटकाव आमला  सामान्य जीवन जगनलायी  संसार को भूलभुलैया मा अनामिक रूप लक छोड़ देये।

आमला आम्हरो  चयनित क्षेत्र को  लक्ष्य लायी अव्वल, जानकार, ज्ञानी , उत्तम , कौशल्यपूर्ण , कलापूर्ण बननो पड़े ताकि आमी लक्ष्य प्राप्तकर सकबिन।

...ahen

जिंन्दगी का रंग हजार

 

कोनी लक नफरत, कोनी लक प्यार

कही से पतझड़, कही बहार,

 

कोनी की जीत त कोनी की हार

कोनी ला सुकून त कोनी ला टेन्शन की भरमार,

 

हर घडी़ रंग बदलसे जिन्दगी, कभी सुख देसे भरपुर

कभी कभी दुख की देसे मार,

 

कोनी लक मिलसेत अपरो बिछड़यो घर, परीवार, यार

 

कोनी लक करसे जिन्दगी प्रहार

कोनी ला  देसे मन चाहो उपहार

 

लेकिन जिन्दगी का बस काही दिन चार,

     फिर चलो उठो सम्भलो खुसी लक जियो जीवन का ये दीन चार,

 

भरो उड़यान मारो फरारी देखत रहे दुनीया सारी,

जो काही करनो से सोचो समझो करो तैयारी,

 

भरो खुसी लक झोली मा सबको लाय प्रेम को उपहार,

नोको करो नफरत नोको करो तकरार,

जिन्दगी का दिन चार

काहे की जिन्दगी का रंग हजार

 

विद्या बिसेन

बालाघाट

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खोदरा बूजत नही

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सूर्य चांदा बादर धरा  जब वरी सेत

संसार का खोदरा कभी बूजत नही...

 

मानुस को पोट को खोदरा गहेरो से

कभी भरसे खाली होसे कभी भर् नही...

 

मानुस को लालच को खोदरा मोठो से

जेतो मिले वोतो बढसे कभी भर् नही...

 

सागर मा पानी रय कर खोदरा अथांग से

धरा बादर की जल धारा मिलकर भर् नही...

 

मानुस को शरीर समसान मा माती होसे

आवन देव कसे पर खोदरा कभी बूज नही...

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श्री छगनलाल रहांगडाले

खापरखेडा

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लिख रहया सेती जे पोवारी मा

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लिख रहया सेती जे पोवारी मा

स्वजनों उनको हौसला तुम्हीं बढ़ाओ l

बंधुओं लिख सको अगर तुम्हीं

मायबोली की सेवा को लाभ उठाओ ll

लिख रहया सेती...

 

मायबोली की से मोठी महिमा

पोवारी को उत्कर्ष मा हाथ बढ़ाओ l

लिख नहीं  सको अगर तुम्हीं त्

लिखने वालों कर पाठ ना फिराओं ll

लिख रहया सेती...

 

एक अनमोल नज़र तुम्हारी

माय बोली को साहित्य पर घुमाओ l

बड़ो अनमोल से समय त्

एक लाईक देन ला हाथ बढ़ाओ ll

लिख रहया सेती...

 

जाग उठीं से भाषिक अस्मिता

वोन् अस्मिता कर तुम्हीं हाथ बढ़ाओ l

होय रहीं से भाषिक क्रांति

बंधुओं तुम्हीं पुण्य का भागी बन जाओ ll

लिख रहया सेती...

 

लिख रहया सेती उनको पर

धन दौलत तुम्हीं आपली ना लुटाओ l

तुम्हारी मायबोली पोवारी ला

केवल आपली शुभकामना दे जाओ ll

लिख रहया सेती...

 

इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

पोवारोत्थान को पर्व वानी

 

भाव मन मा आमरों से पावन धर्म वानी l

कार्य शुरु से पोवारोत्थान को पर्व वानी ll

 

आम्हीं मातृभाषा मा कई ग्रंथ लिखबी l

आम्हीं पोवारी भाषा को उत्थान करबी  l

भूख प्यास की नाहाय चिंता  आमला,

कार्य शुरु से पोवारोत्थान को पर्व  वानी ll

भाव मन मा...

 

आम्हीं समाज की पहचान बचावबी l

आम्हीं छत्तीस कुल को संघ बचावबी l

आलोचना की नाहाय चिंता आमला ,

कार्य शुरु से पोवारोत्थान को पर्व  वानी ll

भाव मन मा...

 

हिन्दू धर्म को प्रति प्रेम जगावबी l

प्रभु राम को प्रति  निष्ठा जगावबी l

हार फूल की नाहाय चिंता आमला ,

कार्य शुरु से पोवारोत्थान को पर्व वानी ll

भाव मन मा...

 

आम्हीं समाज को नवनिर्माण करबी l

आम्हीं हर्ष लक समाजोत्थान करबी l

मान अपमान की नाहाय चिंता आमला,

कार्य शुरु से पोवारोत्थान को पर्व  वानी ll

भाव मन मा ...

इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

बुध.03/05)2023.

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लिखों तुम्हीं त् असो ‌लिखो

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लिखों तुम्हीं त् असो ‌लिखो l

निज समाज को गौरव बढ़े असो लिखों l

लिखों तुम्हीं त् असो लिखों

भारत माता को गौरव बढ़े असो लिखों ll

 

जिओ  तुम्हीं त् असो जिओ l

आपली पहचान कायम ठेयके जिओ l

जिओ  तुम्हीं त् असो जिओ l

आपलो स्वाभिमान  कायम ठेयके जिओ ll

 

जिओ तुम्हीं त् असो जिओ l

भाषा को स्वाभिमान कायम ठेयके जिओ l

जिओ  तुम्हीं त् असो जिओ l

जाति को स्वाभिमान कायम ठेयके जिओ ll

 

जिओ  तुम्हीं त् असो जिओ l

स्वाभिमान धर्म को कायम ठेयके जिओ l

जिओ  तुम्हीं त् असो जिओ l

स्वाभिमान राष्ट्र को कायम ठेयके जिओ ll

 

जिओ तुम्हीं त् असो जिओ  l                 

माता पिता को सम्मान बढ़ाय के जिओ l

जिओ तुम्हीं त् असो जिओ l

मानवता को सम्मान बढ़ाय के जिओ ll

 

इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

गुरु.4/5/2023.

 

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भाषिक क्रांति को माहौल ‌

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पोवारी को उत्कर्ष को आयेव भान l

हाथ मा लेइन कलम आपली थाम l

माय बोली को होय रही से संवर्धन,

बोली कर रहीं से भाषा कर प्रस्थान ll

 

कोनी कर रहीं से साहित्य निर्माण l

कोनी पोवारी व्हिडिओ को निर्माण l

माय बोली को होय रहीं से संवर्धन,

बोली कर रहीं से भाषा कर प्रस्थान ll

 

कोनी नाहाय यहां मोठो ना लहान l

सब सेती पोवारी को बालक समान l

माय बोली को होय रहीं से संवर्धन ,

बोली कर रहीं से भाषा कर प्रस्थान  ll

 

बालक सब सेती समान गुणवान l

रुचि अनुसार सबको से योगदान l

माय बोली को होय रहीं से संवर्धन,

बोली कर रहीं से भाषा कर प्रस्थान ll

 

इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

महाराष्ट्र दिन,सोम.1/5/2023.

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पोवारी साहित्य की दिशा

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तुम्हारों‌ जगनों तुम्हारों लिखनो l

न हो  मानवता साती कष्टदाई l

तुम्हारो  विचारों की लेखमाला,

हो वसुंधरा साती सदा लाभदाई ll

 

लिखों सदा परोपकार साती l

लिखों न कभी , स्वार्थ सिद्धि साती l

तुम्हारी प्रकाशित  भाव माला,

हो तुम्हारों समाज साती  सुखदाई ll

 

निर्भयता लक लिखों तुम्हीं l

सत्य ज्ञान को प्रकाशन साती l

छत्तीस कुलीय पोवारों को,

बगीचा की कीर्ति  बढ़ावन साती ll

 

सदैव लिखत जाव तुम्हीं l

मानवता को शाश्वत कल्याण साती l

धर्म संस्कृति अना राष्ट्र को,

उज्ज्वल भविष्य साकारन साती ll

 

इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

मंग. 02/05/2023.

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पोवारी साहित्य को पलड़ा

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विकसनशील से भाषा पोवारी

साहित्य को पलड़ा बहुत हल्को से l

विकसित करके आता साहित्य ला

साहित्य को पलड़ा भारी करनों से ll

 

समाज आमरों गुणवान से

साहित्य कर झुकाव थोड़ो कम से l

समाज ला आता जागृत करके

साहित्य को पलड़ा भारी करनों से ll

 

समाज ला धार्मिक अधिष्ठान से

लेकिन धार्मिक अस्मिता कम से l

साहित्य मा धर्म पर लिख के

साहित्य को पलड़ा भारी करनों से ll

 

संस्कृति आमरी महान से

लेकिन महानता को बोध कम से l

साहित्य मा संस्कृति पर लिख के

साहित्य को पलड़ा भारी करनों से ll

 

इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

मंग.2/5/2023.

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झुंझुरका जागरण

 

झुंझुरका उठे लक मनुष्य सात्विक, निरोगी बनसे  व ज्ञान को ऐश्वर्य प्राप्त करसे । जल्दी जागे लक आत्मनियंत्रण व मनकी शक्ति बढसे।

 

झुंझुरका प्राणायाम करेलक अंतरात्मा मा बस्या दिव्य गुण प्रगट होसेत। शरीर व मन  स्वस्थ रव्हसे।

 

प्रतिदिन दिवस निकलता ध्यान, यज्ञ व प्राणायाम करेलक आत्मशुध्दि, ज्ञान व स्वस्थता प्राप्त होसे ।

 

झुंझुरका उठेलक इंद्रियां तेजस्वी होसेत , अन्नमय कोष ला मजबूती प्राप्त होसे । सत्य को पथ पर चलनकी प्रवृत्ति बढसे ।

 

झुंझुरका उठेलक द्वेष व अज्ञान दूर होसे , जीवन ज्योतिर्मय बनसे।

 

विचार सौजन्य --- ऋग्वेद भाष्य

 

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धुंद तोरो यादमा

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याद तोरी हिरदामा मोरो आबं भी ठणठणीत से

वोको संग मस्त कलंदर धुंद जीव खणखणीत से

 

गंध आपलो पिरेम को फैलेव हवा को लहरसंग

मन को पाखरू धुंद भयेव देख फुलइनको रंग

अनुभव वोको आयेव जो आबं भी झणझणीत से

 

आंजूरमा की निली अबोली पुस्तकमा ठेयी मिले

गजरा कयीक टंग्या असी वा हासती बेयी मिले

वोकी पंखुड़ी पंखुड़ी आबंवरी चुणचुणीत से

 

पाखरू आया का खिले कली तोरो रूप रंग की

याद तरार जासे तोरो पयलो भेट को प्रसंग की

देख तोरो बावरो यहां बेताल 'ना टुणटुणीत से

 

खिन लगं बरसा वानी अना दिन लगं तप सारखो

हिरदा मोरो तोरो भयेव 'ना मोरो लायीक पारखो

रोज आवं से नवी जवानी यव कोनतो गणित से?

 

हिरदा की धड़धड़ ना श्वास तोरो नावमा फिज गया

आपलो पिरेम देख गाव का सारा टुरा खिज गया

सात फेरा की बाटमा जीव आबंवरी अपरिणीत से

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डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे "प्रहरी"

उलवे, नवी मुंबई

मो. ९८६९९९३९०७

 

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करो व्यायाम नित्य

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झुझुंरका झुझुंरका

करो दिनचर्या सुरू

नित्य रोज को व्यायाम

बने सेहत को गुरू.

 

करे जो व्यायाम नित्य

ओको शरीर से स्वस्थ

नहीं करे जो फिकर

ओको शरीर अस्वस्थ.

 

निरंतर व्यायाम से

गुरुकिल्ली सेहत की

ठेवो शरीर निरोगी

स्वास लेवो राहतकी.

 

दैनंदिन व्यायाम से

जीवनमा अनिवार्य

सांगसेती सुशिक्षित

बैद्य आर्युवेदाचार्य .

 

करो सब जन आता

ऐन बात परा गौर

सेहतच से आपली

खुशी को नवीन दौर.

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उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरित)

गोंदिया (श्रीक्षेत्र देहू पुणे)

जवाई राजा

 

वंश को दिवा कसेती, बाप को घर बेटाला,

कवन लग्या जवाई राजा, टुरी को सुहागला l

कुटुंब समाज देसे येन, मानपान नातोला,

बरसे दुवा माय बाप की, सेवा भाव देखनला l l

 

बीहया बरात मा रवसे, सबकी नजर भारी,

मांडोधरी को गाडोपरा, से जवाई धुरकरी l

दवडी बिवडा धर, दस्तुर करसे जवाई,

पल्ला धरकर सातफेरा, फिरसेती नवरा नवरी l l

 

सासू सुसरो को लाडको , पडसे भारी जवाई,

माय बाप की बेटी, बिहयाको काम की से शहाणी l

दाइज पैसा की गिनतीला,कर देसे जवाई,

मांडो झाडाई की वसुली, लेन देन कर जवाई l l

 

जवाबदारी, वफादारी, इमानदारी कोसे खेल,

जवाई को नातोला भारी, लगावो नको कलंक l

सारो सारी संग रिस्ता मा, रहो सदा बंधकर,

जीवन भर एक दूसरो को पडो कामपर l l

 

हेमंत पी पटले

धामणगाव (आमगाव)९२७२११६५०१

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भवभूति की अमर कहानी

(एक मनभावन गीत)

 

  कवि भवभूति की

आयको अमर कहानी l

सदियों न् गाईन जेला

लिखी इतिहास मा, ग्रंथों की वाणी llटेकll

 

माता जातुकर्णी अना पिता नीलकंठ l

गुरु उनका होता ज्ञाननिधी संत l

पदमपुर नगरी मा आठवीं सदी मा l

जन्म लेईन यहां कवि भवभूति ll1ll

 

महावीर चरित्र मा लिखिन रामकथा l

मालती -माधव मा प्रेम की गाथा l

उत्तर रामचरित्र न्  बढाईस ख्याति l

मनोहारी नाटक लिखिन कवि भवभूति ll2ll

 

कवि भवभूति  होता विद्या की धारा l

वाणी मा उनको बिराजित शारदा l

काव्य मा उनको करुणा बिराजी l

प्रतिभा कारण महाकवि बन्या भवभूति ll3ll

 

आदि कवि भय गया वाल्मीकि वेदव्यास l

महाकवि कहलाया भवभूति कालिदास l

कवि कालिदास की श्रृंगार मा ख्याति l

करुण रस का आचार्य कवि भवभूति ll4ll

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भवभूति सभी रस भावों को वर्णन मा पराकाष्ठा कर जासेती l

आदर्शौ ला प्रतिबिंबित करके सब को मन जीत लेसेती ll

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इतिहासकार ओ.सी. पटले रचित भवभूति अब गीतों में.... येन् पुस्तक लक!

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ऱ्हास प्रकृतीको

 

डोरा मा आसु चोच मा पान

कसी भगाऊ बेटा तोरी तहान

प्रकृतीको ऱ्हास करन लगीसे

माणुस समजसे खुदला महान

 

मरणयातना निसर्ग की

का? मरन जवळ आयेव मनु को

तप्त झळ सहन नही होय

येव प्रकोप आय दिनु को

 

अगणित खोळ बांडा

दिस रह्यासेत जीतन उतन

असोच चलत रहे त मंग

जीवन को कसो होये जतन?

 

निरबिना तळपके देह टाकेस भू पर बेटा

नश्वर आत्मा तोरी कहा गयी छोडकर

देख मोरो दुःख मानवबंधु आता तरी

कदम तोरा ठेव जरा संभलकर

 

अज को दिन भयी मोला

सुंदरसी अनुभूती सुंदर भास

तुमरो शब्दरूपी शुभेच्छालक

जगण की मिली नवी आस

 

सबजण सेत साथमा मोरो

देखके खुशी भई अपार

बनायात आज को दिन खास

मुन सबको बहुत बहुत आभार

शारदा चौधरी

भंडारा

यहां कौन से महान सागो महान गुणी ज्ञानी

 

कौन कहे तोला महान गुणी ज्ञानी सागो ना अज को मानुश से बडो़ अभिमानी,

 

ईच्छा से मोठी काही मोठो करन की ,

लेकिन, पाय धर दुसरो को पिछे पटकन की,

अता साग ना  कसो से महान गुणी ज्ञानी तु बडो़ अभिमानी,

 

धन दौलत मी खुब कमाउ तोरो लक मी आगे बढत जाउ,

भाई को से भाई दुश्मन यहा नी,

 

अता साग ना कसो तु महान गुणी ज्ञानी आज को से मानुश बडो़ अभिमानी,

 

शकल समाज मा   मोरो च रव मान सम्मान ,कोनी संग आव त करो अपमान,

अता साग ना या कसी बेईमानी से मानुश अभिमानी,

मानुश अभिमानी

अता साग ना यो कसो तु महान गुणी ज्ञानी भयो मानुश बडो़ अभिमानी,

 

ऊची हवेली बस मोरी बन ऊचो रव कारोबार,

संगी पडो़सी पीछे रवत नोको करत वोय काही व्यापार,

अता सागो ना कसो यो मानुश महान गुणी ज्ञानी बडो़ अभिमानी ,

 

जागा जमीन मोरी मोठी मी मोठो कास्तकार,राजनीती समाज निती मा मी साहुकार,

रिस्तेदार नातेदार मा कोनी नही मोरो शानी,

यो कसो व्यवहार ,

अता सागो ना कसो महान गुणी ज्ञानी भयो मानुश अभिमानी

यो मानुश बडो़ अभिमानी,

 

काया हमरी माटी की  से देवा फिर भी मोठो से गुमान सम्भल जाओ समझ पाओ काहे बनो अनजान,

,

धरी रहे यहां माया की दौलत न तोरो अहंकार,

देवा सागो न यो मानुश कसो भयो अभिमानी,

काहे को महान गुणी ज्ञानी बडो़ अभिमानी,।।

जय श्री राम

 

विद्या बिसेन

बालाघाट

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

मन की बात

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मन की बात दिल में उतार के, दे रहे है तुम्हे दुवा।

जिदर देखो उधर मोदीजी, देश की कर रहे सेवा। टेक।

 

तीस अप्रैल को मोदीजी ने, मनकी बात सुनाई है।

मनमे आस्था व्रत पूजाले, लोगोने खूब वादा निभाया है।

सव शहरमे सव रिपोर्टर, सव वा भाग देख रहे है।

तीस करोड़ की जनता सुने, राष्ट्रहित की बात हो रही है।

रेडिओ दूरदर्शन पर लगे रहो, मोबाइल पर भी ये सेवा।१।

 

दो सव देशों मे भी रचा गया, बावीस भाषा में प्रचार हुआ।

जिनका कार्य देशहित मे, सात सव लोगोंका सम्मान हुआ ।

सदतीस लोग विदेशी धरतीके, उनका भी यंहा गौरव गान हुआ।

मनकी बात का असर जादुई, लोगोंकी मिल रही है वाहवा।

शांत प्रिय भारत देश की, सारे जगत मे चल रही हवा।२।

 

अपने देश के खातिर जिसने, बड़ा अनोखा ऐसा वो काम किया।

ऐसे हिरोंका खोज करके, उनको पहचान, सम्मान दिया।

स्वच्छ भारत की नीव रखी, ऐसा धरापे महान काम किया।

एक दुजेको मिलनेका अवसर, पर्यटन मे स्वर्णिम काम किया।

भारत विश्व का गुरु बनेगा, मनकी बात से करे देश की सेवा।

 

हेमंत पी पटले धामनगांव (आमगांव)९२७२११६५०१

 

 

 

 

 

 

राजा भोज को राजत्व

-------------------------------------------------                                              राजा भोज को राजत्व खूब फलेव फूलेव l

बिखरेव भारतवर्ष एक सूत्र मा बंधेव l

लीलावती को प्रेम की शक्ति को कारण,

सनातन हिन्दू धर्म ना राष्ट्र को गौरव बढ़ेव ll

 

इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

शुक्र.12/05/2022.

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पोवारी बोलन की आवश्यकता

(Need to Speak Powari )

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दिल का तार जोड़न साती l

सुर मा सुर मिलावन साती l

पोवारी लिखत चलों, पोवारी बोलत चलों  ll

 

मातृभाषा पोवारी बचावन साती l

विरासत आपली बचावन साती  l

पोवारी लिखत चलों, पोवारी बोलत चलों  ll

 

पोवारी संस्कृति को जतनसाती l

पोवारी एकता  को जतन साती l

पोवारी लिखत चलों, पोवारी बोलत चलों  ll

 

सामाज को अस्तित्व बचावन साती l

समाज की पहचान बचावन साती l

पोवारी लिखत चलों, पोवारी बोलत चलों ll

 

इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

शनि.१३/०५/२०२३.

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पोवारी स्वर -संवेदना

 

तोरा शब्द मधुर l                                

तोरा स्वर मधुर l

तोरी प्रीत मधुर l

तोरी रीत मधुर l

जय जय हो पोवारी भाषा l

तोरो प्रेम लक व्याप्त हो सबकी अंतरात्मा ll

 

तोरा लेख मधुर l

तोरी कविता मधुर l

तोरी लय मधुर l

तोरो लहजा मधुर l

जय जय हो पोवारी भाषा l

तोरो प्रेम लक व्याप्त हो सबकी अंतरात्मा ll

 

तोरो आगमन मधुर l

तोरो सहवास  मधुर l

तोरी झंकार मधुर l

तोरी हुंकार मधुर l

जय जय हो पोवारी भाषा l

तोरो प्रेम लक व्याप्त हो सबकी अंतरात्मा ll

 

तोरो नाव मधुर l

तोरो भाव मधुर l

तोरा बोल मधुर l

तोरो ताल मधुर l

जय जय हो पोवारी भाषा l

तोरो प्रेम लक व्याप्त हो सबकी अंतरात्मा ll

 

इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

बुध.10/05/2023.

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जुनो जमानों मा पोवारी

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कहां गया वय दिन  ?

मातृभाषा पोवारी को चलन का l

सब सीन पोवारी मा बोलन का ll

 

खेलकूद ना रिश्तेदारों मा

पिंजरा मा को पोपट संग मा

हरदम पोवारी मा बोलन का l

कहां गया वय दिन आमरा

दिन रात पोवारी मा बोलन का ll

 

नोकर चाकर बन्हयारों संग मा

गाय बैल शेरी पाठरु संग मा

हरदम पोवारी  मा बोलन का l

कहां गया वय दिन आमरा,

दिन रात पोवारी मा बोलन का ll

 

परहा पानी ना चुरनी मा

बिहया बरात मांदी चौकी मा

हरदम पोवारी मा बोलन का l

कहां गया वय दिन आमरा

दिन रात पोवारी मा बोलन का ll

 

इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

रवि.७/५/२०२३.

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सोयेव समाज

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सोयेव समाजला जगावनला चलो।

हित की बात इनला सांगनला चलो।। ध्रु।।

 

आपरो अना समाजको करो भला,

सब घरमा बहावो बिकास की गंगा।

इस्कुल खूब शिकावो टुरू पोटुला,

नवपीढ़ीला पढ लिखकर ठेवो चंंगा।

छत्तीस कुरया इनला जोडनला चलो।।१।।

 

कसो हात परा हात देयकर बस्या,

असोलका कसो चले घर कामधंदा।

जगावो तुमरो अंदर को शक्तिला,

मनको आरस ला करो चेंदामेंदा।

जमा पूंजी परा हिसाबलक खेलो।।२।।

 

जुगुत जुगुतलक करो जिंदगानी,

ईमानदारी की कमावो रोजी रोटी।

नश्या खोरीलक होसे बड़ी हानी,

इज्जत चली जासे किस्मत ओकी फूटी।

सत्य को रस्ता परा हेमंत कसे चलो।।३।।

 

हेमंत पी पटले

धामनगांव (आमगांव)९२७२११६५०१

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आदमी

~~~~~~

छंद: आनंदवर्धक

(गण: र त म+ लगा)

~~~~~~

आदमी ना रय गयी से आदमी

पार गायब भय गयी से आदमी

 

केतरो दंगा यहां संसारमा

देख भोचक्का भयी से आदमी

 

जिंदगीभर शुद्ध मानवता यहां

खोजनोमा फिर रही से आदमी

 

भीड़लक रस्तापरा जागा नहीं

पर वहां ना एक भी से आदमी

 

मान मर्यादा नहीं व्यवहारमा

ढोरवानी भय गयी से आदमी

 

ना रयी पयले जसी मानूसकी

बेखबर उम्मस भयी से आदमी

 

नाव को जहरी सरप बिच्चू रया

आदमीला डस रयी से आदमी

~~~~~~

डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे 'प्रहरी'

उलवे, नवी मुंबई

मो. ९८६९९९३९०७

*********

 

माय

 

आपरो आशीष, आपरो हेम, मोरो  लाईच ठेव से!

मोरी माय को पाय खाल्या, मोला जन्नत चोव से!

दुनिया का सब दुःख त सह लेसे हाँसत-हाँसत ही,

पर मोला जरा सो दरद होसे त, माय बड़ी रोव से!

 

तुमेश पटले "सारथी"

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राजिया को सोरठा

 

पाटा पीड़ उपाव , तन लागा तलवारिया।

बहै जीभ रा घाव , रती न ओषद ओ राजिया।

 

अर्थात --

ओ राजिया, शरीर परा तलवार को घाव की मलहम पट्टी करके अच्छो करता आवसे , परन्तु बचन को द्वारा लग्यव घाव की संसार मा काई दवाई नहाय ।

 

मुन आमला सदा क्रोधपरा नियंत्रण राखके वाणी या लेखन को द्वारा संतुलित शब्द को उपयोग करनला होना ।

 

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अज को सुविचार

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सबला हिरदीलाल ठाकरे को सहृदय सादर प्रणाम जय राजा भोज, समाजमा दुय प्रकार का लोक् रव्ह सेत, एक वोय जो समाजोत्थान साती काम कर् सेत, अना दुसरा वोय जो सिर्फ अना सिर्फ श्रेय लेन को काम कर् सेत, प्रयत्नवादी कृर्तुत्वनिष्ठ सक्रिय माणूस न कभी भी समाजोत्थान  करने वालो माणूस इनको गट मा रहे पायजे, श्रेय लेने वालो माणूस को गट मा नही, कारण श्रेय लेने वाला मतलबी होसेत अना सिर्फ अना सिर्फ आपलो मतलब साती समाजमा जूळ्या सेत, जय राजा भोज जय माहामाया गढ़कालिका सबको कल्याण करें,,,,

 

संकलन

श्री हिरदीलाल नेतरामजी ठाकरे नागपुर

पोवार समाज एकता मंच पुर्व नागपुर

, भा, क्षत्रिय पोवार माहासंघ भारत

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पोवारी

 

पोवारी बोलीला एक सन्मानित बोली को रूप मा प्रस्थापित करनो आब आमरो काम से ।

जब साहित्यिक , नेता , पढ़यालिख्या लोग प्रभावी शैली मा पोवारी मा सम्भाषण करेती त् वय लोग शरम नही करनका जो शरम करसेत ।

आमला आपलो बोली परा गर्व राखनो जरुरी से । पोवारी आमरी खुद की निजी बोली आय । या नसीब की बात से की आमरो पास विशेष बोली से ।  उधार की या दूसरों की बोली पर आमी आश्रित नहाजन ।

 

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आयी से समाज मा तूफान

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आयी से समाज मा तूफान l

मिटावत जाय रही से पोवारों की पहचान l

न् आयेव होतो कभी अन्य समाज मा,

न इतिहास मा कोनी करीसेस असो काम ll

 

जागो  समाज का नौजवान l

बचाय लेव तुम्हीं निज समाज की पहचानl

उठो जागो अना बचाय लेव,

गौरवशाली भाषा ना समाज को नाव ll

 

लिखों हमेशा तुम्हीं सही नाव

स्वयं की पहचान पर करों स्वाभिमान l

सही नावों को लिखनों लक,

मातृभाषा ना समाज को होये उत्थान ll

 

येव छत्तीस कुलीय समाज

बिखर जाये  बदलों अगर सही नाव l

समाज ला बचावन साती,

आम्हीं जगाय रहया सेज् स्वाभिमान ll

 

तूफान की दिशा बदलन साती

महासंघ द्वारा शुरू से अस्मिता अभियानl

एक न एक दिन आम्हीं सभी ,

गलत तूफान को मिटाय देबी नामोनिशान ll

 

-इतिहासकार‌ प्राचार्य ओ.सी. पटले

शनि.२०/०५/२०२३.

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पोवार की बोली भाषा

 

पोवार की बोली भाषा, केतरी से न्यारी l

बोल चाल करो जरा, बहुत लगे प्यारी ll ध्रु ll

 

ताल सूर की लिखी कविता गावनला सही l

बोध कथा कहानी सेती गमतीदार काही l

पोवारी बोली मा सांगो सबला नव लाई l

झटपट समज मा आवसे पोवारी खरी ll 1ll

 

आगम निगम बोल सेती सबसे न्यारा l

बोली को पसारा दिससे गाव  घर परा l

नरम गरम बोल को करसेती मारा l

सब संग बोलन की रीत लगसे न्यारी ll 2 ll

 

बोल चाल की भाषा पोवारी सब से प्यारी l

चलता बोलता रात कट जासे वा सारी l

नाव अना भाव मा काय ला रहेत दुरी l

भाषा अमर करनला काम करो भारी ll 3 ll

 

हेमंत पी पटले धामणगाव (आमगाव)

9272116501

**************

 

 

 

 

 

 

 

सांगो पुढारी

छंदमा: भुजंगप्रयात (लगागाx४)

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कऱ्या सेव का काम सांगो पुढारी

हवामा न या बात टांगो पुढारी ||

 

बिकायात धन बन बिकायात जन गण

परिवार तन मन बिकायात कण कण

नहीं धड़गती भीक मांगो पुढारी ||||

 

लगायात चश्मा सजायात घोगा

बनायात खुदला उधारी दरोगा

नहीं डोकिला संग रांगो पुढारी ||||

 

लग्या काममा हात भाप्यात बाका

किला खुद को चंघ माऱ्यात डाका

फसो जालमा बाद बांगो पुढारी ||||

 

मनायात सबला चुनावी क्रियामा

भऱ्या सेव बिखला दसो इंद्रियामा

बदनदार चोयेव पांगो पुढारी ||||

 

करो खेलनो बंद आता डरामा

जमा पुण्य होये जरासो खिसामा

परा आपरी हद न लांघो पुढारी ||||

 

(बांगो= हाका मारनो; पांगो= अपंग होनो; बिख= जहर)

***********

डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे 'प्रहरी'

डोंगरगाव/ उलवे, नवी मुंबई

मो. ९८६९९९३९०७

********************

 

माय की माऊली

 

माया की माऊली मोरो घर की सावली,

मोरी लाड़ली बेटी कब मोठी भय गयी मोला खबर नही।।१।।

 

अजी की दुलारी भाऊ की सयानी दादा माय को डोरा को काजर,

बेटी कब मोठी भय गयी मोला खबर नही।।२।।

 

परायो घर जान की बेरा आई, बेटी से परायो धन या बात समझ आई,

बेटी कब मोठी भयी  मोला खबर नही।।३।।

 

मोरो जीव को टुकडा़ करेजा की कली ,मोरो घर आंगन मा छम छम खेली,

दुध रोटी  भात की डोरा मिचौनी,

बेटी कब मोठी भयी  मोला खबर नही।।४।।

 

अजी को हाथ थामत चल ठुमुक ठुमक खेलत कुदत जाने कब मोठी भयी,

बेटी कब मोठी भयी मोला खबर नही।।५।।

 

जीव घबराव मोरो ,बोह डोरा लक पानी, कसो मिले राजकुवर बेटी ला रात दिवस फिकर मन मा लगी

बेटी कब मोठी भयी मोला खबर नही।।६।।

 

नहाय  मोरो जवर धन,  अना दौलत, बेटी से मोरी हीरा वानी, कन्या को दान से सबले मोठो कवसेत गुणी, ज्ञानी,

बेटी कब मोठी भयी मोला खबर नही।।७।।

 

माय की माऊली मोरो घर की सावली बेटी कब मोठी भयी मोला खबर नही।।

 

विद्या बिसेन

बालाघाट

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अजी एक परमेश्वर

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अजी की सख्ती बर्दाश करो ताकी   काबील बन सको...

अजी की बात गौर लक् आयको ताकी दुजो की ना आयकनो पडे...

अजी को सामने उच्चो नोको बोलो नही त् परमेश्वर तुमला खाल्या कर देये...

अजी को सम्मान करो ताकी तुमरी संतान तुमरो सम्मान करे...

अजी की इज्जत करो ताकी वोको लक् तुमी फायदा उठाय सको...

अजी को हुक्म मानो ताकी खुश हाल रय सको...

अजी को सामने नजर झुकाय कर ठेवो ताकी परमेश्वर तुमला दुनिया मा सामने करे...

अजी एक किताब आय जेको पर अनुभव लिखेव जासे...

अजी को डोरा लक् पाणी नही पडे पायजे तुमी सेव तब वरी नही त परमेश्वर तुमला दुनिया मा खाल्या पाड देये...

माय को मुकाम त बेशक आपलो जागा पर से. पर अजी को दर्जा भी काही कम नही से. माय को चरन मा स्वर्ग से. पर अजी वोन् स्वर्ग को दरवाजा आय. समजो जर का, दरवाजा नही खुलेव त् अंदर कसो जावो?.

जो तपन बरसात सर्दी  मा आपलो टुरुपोटू अना कुटुंब को रोजी रोटी साती फिक्र अना परेशानी मा रव्ह से. अना उनको पालन पोषण साती दिन रात एक कर से. आपलो इच्छा की आहुती देसे. खुद उपाशी रयकर तुमरो पोट भर् से. तुमला साजर नवीन कपडा चपल आन देसे. खूद फाडका कपडा पहिनसे. अना कभी कभी खुद साती त चपल भी नही आन्. हर वा चीज देन की कोशिश कर् से ज्या दुनिया मा मिल से.

तुमरो भलो साती अजी ला कठोर निर्णय अना रव्हनो पडसे. पर आपलो टुरा टुरी को बाबत् वोको अंदर कुठ कुठ कर पेरम् भरकर रव्ह् से. उ तुमला बाहेर लक नही दिसे. यन् सृष्टी मा अजी जसो ना कोनी पेरम् करे ना देय सक् से. अजी यन् दुनिया को अथांग पेरम् सागर आय.

याद ठेवो सुरज गरम जरुर होसे पर डूब गयोव त अंधारो दुनिया मा पसर जासे.

अजी अजी रव्ह् से दुनिया मा अजी की जागा दुसरो कोनतोच मानुस नही लेय सक्.

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श्री छगनलाल रहांगडाले

तिथी २२/०५/२०२३

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दीवो(सीमनी)खाल्या इंधारो.

 

अर्थ: मोठ्या माणसातही काही दोष असतात.

 

उत्कृष्ट विवाह आयोजन

 

            विक्रम संवत २०८० को जेष्ठ कृष्ण पक्ष की दवादशी तिथि को दिन अत्यंत सुन्दर व् पवित्र वातावरण मा गोवर्धन भाऊको यहा रिनल बेटी को बिह्या को समारंभ पूर्ण भयौ ! येन विवाह समारम्भको पहले वरुण देवता न  पानीकी दुय चार बूंद प्रदान करिन त असो लग्यव मानो नैसर्गिक रूपलक पवित्रीकरण की विधि पूर्ण भय गयी ! श्री मेवालाल पाटीदार व् अन्य गायक वृन्दको संगीत व् भावपूर्ण देव आव्हान व् विवाह विधि को संयोजन लक पुरो समारम्भ अत्यंत मंगलमय भयौ ! विवाहकी पवित्र भावना ,उत्तम सोच पूर्ण आदर्श वैवाहिक जीवनको शुरुवातकी विवाह विधि असीच  होनला होना ! विवाह समारम्भ मा उपस्थित परिवार व् समाजजन पूर्ण रुपेन  सम्मिलित भया काहेकी पुरो समय मन्त्र , सुव्यवस्थित संयोजनको कारण सबको ध्यान आकर्षित होतो ! विवाह की  धार्मिक व् मंगलमय अनुभूति सबला भयी ! भावपूर्ण संगीत , मंत्रोच्चारण व् गायन को संगम स्वरुप असो विवाहोत्सव को आनंदमयी कार्यक्रम पारम्परिक हिन्दू पध्दति लक आयोजन करके गोवर्धन जी न आदर्श प्रस्तुत करिन ! जवाई बेटीला भावी जीवन लायी बहुत बहुत आशीर्वाद !

 

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पोवारी आध्यात्मिक पुष्प

(१)  कोणी सांगोना.  अभंग

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पहले माळा ओकपर पायवा मंग चली भित|

देउळ मा देव ना देह मा देउळ महिमा मंडीत ।।

 

रिगोनिक काटामा अळक गयव माेठो  हती 

योगी जनकी अशी वाणी काही लगावो मती ।।

 

एक बाई मा बतीस पूरुष एकमाच रवसेती 

सय जनी झगळा करशानी एकमाच मावसेती ।।

 

यन सय जनी लगाच मानूसला भूल  पळी 

मी ना मोरो मनूनच करसेती अशी से या कळी ।।

 

अर्थ

 

माणूस घर बांधसे त पहले पायवा ओकपर भित ना मंग माळा बांधसे पर मायक पोटमा उपजन पहले पाठपाेट मनजै माळा , वरत पाय (पायवा) मंग।परकोट मनजे भित बा्धसे, यन शरीरमाच एक लहानस

बिंदूमा जेकी सारो जगपर सता से वूच भगवान रवसे मनूनच कसेती ( तिळा एवढे बांधून घर तयात राहे विशंभर),

 

एक बाई मनजे जीभ  ना बतीस दात एकमाच रवसेती, सय जन मनजे षडरिपू काम,राग,मद, हेवा,लोभ, माया आपआपलकर झिकशानी झगळा करसेती पर एक मानवमाच रवसेती, मानवला भुल पाळनला हे कारणीभूत सेती ,मनून माणूसला मी ना मोरो काहीकर सूटनहीं

 

श्री डी पी राहंगडाले

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श्री ऋषि बिसेन (IRS) इनको प्रकाशित कहानी संग्रह पर अभिप्राय.

------------------------------------------------                 संस्कारों को सागर से देवघर l

भावनाओं को ज्वार से देवघर l

माया को अलौकिक निर्झर वानी,

साहित्यिक ऋषि रचित देवघर ll

 

- इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

शनि.२७/०५/२०२३.

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दिनांक,27/5/23

कावळा चिमणी

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एक दिन कावळा चिमणी, घरपरा मोरो आया l

खानला नही दानापाणी, येन कारण खूब रोया ll ध्रु ll

 

समज नही आव जरा, कांहा गयीसे दयामाया l

जीव जंतू पलेती कसा, कोन देये इनला छाया l

धर्म उपकार करोना, कसो जान देसे व वाया l

गरीबी मा गिलो आटा, थोडी सी तरी करो दया ll 1 ll

 

झाड झडुला बाळीपरका, कसा लग्या काटनला l

तोड इनको बसेराला, उजाड करीन बाळीला l

तोड मातीका घर जुना, बांधन लग्या ये बंगला l

फोटू मंगका गोदा घरटा, चली गया कसा वाया ll 2 ll

 

अक्षदा देणं बीहया का, कुचराई लग्या करणला l

चिमणी पाखरू का दाना, नही मिल रया खानला l

मयत पर का लाई दाना , देती पोट भरन ला l

भुकमरी की बळी संख्या, पशु पक्षी पर करो दया l

 

हेमंत पी पटले धामणगाव आमगाव

 9272116501

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नवो दौर मा पोवारी                            

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तुम्हीं जहां जासेव वहां

तुमरो स़ंग मा आव् से पोवारी l

तुम्हारी छाया वानी

तुम्हारो  साथ निभावसे पोवारी l

लेकिन तुम्हारों स्वार्थ

अना तुम्हारो अहंकार को कारण,

दुनिया को नवो दौर मा

बहुत तिरस्कृत भयी मातृभाषा पोवारी l

साहित्यिकों न् देखाय देईन

तुमरो तिरस्कार दून उनको प्रेम से भारी ll

 

-इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

शनि.२७/०५/२०२३.

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आवो एक रवानीमा

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कोणी देखं से काचमा कोनी देखं से पानीमा

सप्पाई मस्त सेती उधार को जिंदगानीमा ॥१॥

 

आमरो उल्लुपणा को फायदा लेसेत संधी साधू

सांगं सेत गलतला सही अना सहीला तकलादू

उनला नाहाय रस पोवारी को बिघडी कहानीमा ॥२॥

 

आम्ही भी क्षणभंगूर लोभमा बह्य गया कसा?

ओरख्या नहीं बिलाई 'ना सेर को पाय का ठसा

खूद की मती सोपराय देया दिगर को वानीमा ॥३॥

 

छत्तिस कुर को पोवार की से पोवारी मायबोली

फिपोलीला छोड़्या अना धऱ्या साप सिरोली

खबरदार! गर येला छेड्यात आपलो मनमानीमा ॥४॥

 

संधी साधू बगुलाइन को फंस के मिठो बोलमा

'इत्ता इत्ता पानी' खेल्या फस के गोल गोलमा

नोको मिलन देव आब्रू पोवारी की पानीमा ॥५॥

 

पुरखाइन की या धरोहर पोवारी से अजरामर

आमरी पयचान आन बान शान आदर

अपभ्रष्ट कर के नोको खोवो पत फानीमा ॥६॥

 

सम्हल जावो आबं भी से आमरो हाथ अवसर

विवेकलक बनावबी भविष्य की डगर सुकर

बन के सब का सानी आवो एक रवानीमा ॥७॥

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डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे 'प्रहरी'

डोंगरगांव/ उलवे, नवी मुंबई

मो. ९८६९९९३९०७

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दिनांक=28/5/23

सेंगोल

***

(ब्रम्ह, न्याय, राज, सत्ता दंड)

सेंगोल सरिको होना पोवार को दंड l

दिशा दर्शक न्याय प्रतीक समान l

पोवार जात को बने कवच कुंडल l

अंकित बोली भाषा पर से अभिमान ll 1 ll

 

ब्रम्हाजी दे इंद्रदेवला ब्रम्ह को दंड l

सत्ता भोगन ला सृष्टी की बागडोर l

राज करन ला परंपरा से सनातन l

चोल राजा को राजदंड बनेव अमर ll 2 ll

 

ब्रिटिश की हार भयी भारत की जीत l

नेहरूजीला मिली सत्ता की बागडोर l

राजदंड देयकर करीन सुशोभित l

आजादी को उत्सव पुरो देशभर ll 3 ll

 

नवो संसद को शुभारंभ भव्यदिव्य l

मोदीजी करन लग्या यंहा उदघाटन l

संत महंत न देईन  राज दंड भेट l

सेंगोल न्याय को प्रतीक से महान ll 4 ll

 

निष्पक्षता, संपणता, सामर्थ की शान l

सेवा कर्तव्य को काम देश को हित पर l

न्यायको प्रतीकसे सेंगोल बहुत महान l

पोवार जात की पहिचान तूमरो पर ll 5 ll

 

हेमंत पी पटले धामणगाव (आमगाव)

9272116501

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सेल्फी

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टुरू पोटू की करामत से न्यारी,

चेहरा देखो जरा हसमुख भारी l

सेल्फी लेन की से घायी केतरी,

जमा भय गयी पलटन या सारी ll1ll

 

नक्कल करनो मा बडा महारथी,

सूट बुट परा आया ये सरारतीl

मोबाईल समज चप्पल धरी होती,

फोटू लेन की कवायत सुरु होती ll2ll

 

बालपन का दिन करो मौजमस्ती,

खेल कुद मा साजरी बने तंदुरस्ती l

सेल्फी को फोटूला चेहरा हासरा सेती,

हावभाव त देखो मज्यामा कसा सेती ll3ll

 

खरो माणूस घडन की से जिम्मेदारी,

संतान की चाल परा लक्ष ठेवो भारी l

पढ लिखकर उनला शिकावो तरी l

तब जिंदगी मा मज्जा आये खरी ll4ll

 

हेमंत पी पटले धामणगाव (आमगाव)

9272116501

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विश्व गुरु

 

मी अखिल विश्व को गुरु महान.

देवूसु विद्या को अमर ज्ञान.

 

मीन दिखलायो मुक्ति मार्ग.

मीन सीखलायेव ब्रम्हज्ञान.

 

ज्ञान मोरो वेद को अमर.

ज्योति मोरो वेद की प्रखर.

 

निज तत्व आत्मज्ञान को शिखर.

चराचर जगत को शाश्वत सत्य प्रखर.

 

का कोनी सामने सके ठहर?

जो से विश्वगुरु प्रकशित हर प्रहर!

 

मोरो अस्तित्व से अनादि निरंतर.

जेको आदि अंत नाहाय असो महाकाल शिवशंकर.

 

हिन्दू तन मन, हिन्दू जीवन.

रग रग हिन्दू, परिचय मोरो पावन.

 

पोवार 36 कुल को सनातन गौरव.

स्वरनभ आभामंडल मा व्याप्त सौरव.

 

ऋषिकेश गौतम (04-Feb-2023)

 

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हास्य व्यंग

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रखमा लाहानांगलका मोठांग गयी ना आपलं घरवालोला कसे...

रखमा - दस हजार रुपया लेकर

जाओ ना दुय दुय हजार

का पाच नोट आणकर

देवो.

रामा - पागल भरीस का.दुय

हजार का नोट बंद होय

रह्या सेती ना लोक बँक

मा नोट बदलावन

जासेती.

रखमा - मनूनच कसु.मोरी सब

सहेली नोट बदलावन

बँक मा जासेती , ऊनक

संग मी भी जावून कसु .

पर आमर जवर एकभी

दूय हजार की नोट

नाहाय, आमरी भी काही

पोझिशन से का नही.

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डी. पी.राहांगडाले

गोंदिया

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पोवारी(Powari)

पोवार(36 कुरया पंवार) समाज की भाषा को सही, पुरातन अना साहित्यिक नाव से। काई लोख पोवारी अना भोयरी भाषा ला मिलायकन पवारी करन को प्रयास कर रही सेती परा भोयरी अना पोवारी भाषा को स्वतंत्र अस्तित्व अना स्वरूप से। असो भाषाई वैज्ञानिक लक़ अनुरोध से की पुरातन नाव अना पयचान लक़ छेड़छाड़ नोको करो, अना मूल नाव ला बचायकन राखो।

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संस्कार को सागर, कथा संग्रह देवघर

 

देवघर यनं नावमा आपलं मनमा पवित्र असो भक्तिभाव निर्माण करनकी ताकत से. देवघर येव पोवारी संस्कृती कं आस्था को केंद्र आय. देवघर कं चवरीमा समस्त देवी देवता अना पुरखा इनको निवास रवसे. देवघरमाकं चवरी पर को बेलफुल को चढावा समस्त तीर्थस्थान की पूजा पाती करनो सरीको से.

श्री ऋषिजी बिसेन इनको देवघर येव कथासंग्रह पोवार समाज जनकं मनमा पवित्र भाव निर्माण करसे.

देवघर येनं कथासंग्रहमा श्री ऋषिजी बिसेन इननं पोवारी रीतीरीवाज, भक्तीभाव अना पोवारी बोलीपरकी प्रीत यको दर्शन करायी सेन.

देवघर येव कथासंग्रह निष्ठा, इमानदारी, श्रद्धा, मन की शक्ती, मान सन्मान, अना दान असा सद्गुण निर्माण करने वाली संस्काररूपी पूजा की थालीच आय असो मोला लगसे.

हरेक पोवार कं मनमा अना घरमा आस्था की जागा बनवनेवालो कथासंग्रह साबित होये असो मोरो बिस्वास से

.

देवघर कं बाऱ्यामा मोरी काव्यपंक्ती:-

घरकं चवरीला, पूजाकोच मान ।

आमरो तीर्थस्थान,  देवघर।।१।।

 

पुरखा ईनको घर, आस्था को सागर ।

देवाजी को घर, देवघर।।२।।

 

देवघर की कथा, श्रद्धा को सागर ।

पोवारी उद्धार, लग मोला ।।३।।

 

पोवारकं  मनमा, जगाये प्रेरणा

संस्कार खजाना, लग मोला।।४।।

 

श्री ऋषिजी बिसेन इनकं देवघर यन कथासंग्रहाला मोरी हार्दिक शुभकामना!

**

डॉ. शेखराम परसरामजी येळेकर, नागपूर

असोसिएट प्रोफेसर

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ll  देवघर  ll

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देवघर ला से हिन्दू जीवन दर्शन को आधार l

देवघर न् बचाई सेस हिन्दू धर्म को संस्कार l

देवघर होसे घर को परम् पावन तीर्थस्थान ,

आस्था लक होसे शांति ना शक्ति को संचार।।

 

-इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

गुरु २५/०५/२०२३.

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वृत्त: अर्धक्षामा

(गागागागा गाललगागा)

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चींटीला से चाहत जेकी

मिश्री को छोटो कन खाये

निर्वानी को शून्य बनू मी

मोरो सारो 'मी'पन जाये -१

 

निस्तो 'मी' की संगत होता

डोरा वालो अंधुक होसे

लोभी व्यक्ती लोभसवानो

अत्याचारी उत्सुक होसे -२-

 

जागा होता दंभ प्रवृत्ती

दुष्कर्मी को कृत्य प्रभावी

नातागोता दूर पराया

माया प्रीती प्रेम अभावी -३-

 

मेंदूमा की 'मी'च असी या

वृत्ती जासे नीच ठिकानी

अज्ञानी मा दांभिकता मा

ज्ञानी होसे धूर्त अड़ानी -४-

 

सृष्टीमा को सूक्ष्म अनू मी

खर्ची जासू पेलत धक्का

पक्को आने 'मी'पन मोरो

बर्बादी मोरी सव टक्का -५-

 

त्यागू सारो 'मी'पन मोरो

जेला जानो फास गरो को

आयुक्स्याला अर्थ न भेटे

नाता रिस्ता नास खरो को -६-

 

पूरो नासे भांडन टंटा

लोभी वृत्ती गायब होये

होबी आमी शुद्ध विचारी

आयुक्स्या भी सुंदर चोये -७-

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डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे 'प्रहरी'

डोंगरगांव/ उलवे, नवी मुंबई

मो. ९८६९९९३९०७

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दिनांक=3/6/23

नवो साल

***

चैत्र मास मा नवो साल को से आरंभ,

गुढी पाडवा मनावो दिवस से शुभ l

नवरात्र, रामनवमी को से पूजन,

फुल्या परसा का फुल होरी से रंगीन ll1ll

 

वैशाख मास मा आवसे तीज को त्योहार,

करसा भरो पीवो पाणी से थंडगार l

आषाढ मास मा खेत की करो मशागत,

गुरू पौर्णिमा पर गुरू की मानो बात ll2ll

 

श्रावण मास मा रिमझिम की बारीस,

राखीको धागाला हातपर बांधो खास l

भाद्रपद मास मा पोरा मारबत को सण,

गणपती उत्सव अना श्राध्द को जेवण ll3ll

 

अस्विनी मास मा नव दुर्गा को उत्सव,

दसरा परा रामराज्य को मनावो पर्व l

कार्तिक मास मा पीक पाणी को जोर,

दिवारी परा करो रंग रंगोटी घर ll4ll

 

मार्गशी्ष मास मा लग थंडी की चाहूल,

पौष मास मा मंडई मेला को माहुल l

माघ मास मा तिरसंक्रात को से पर्व,

फाल्गुन मास मा हर हर महादेव ll5ll

 

हेमंत पी पटले धामणगाव (आमगाव)

9272116501

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♦️कालिदास  अना भवभूति♦️

(पोवारी साहित्य ला एक नवी दिशा)

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श्रृंगार रस को वर्णन मा

कालिदास इतिहास रच गया l

करुण रस को वर्णन मा

भवभूति इतिहास रच गया  ll

 

भावनाओं ला उद्वेलित

करने वाली सुंदर कथा लिख गया l

साहित्य को उद्यान मा

अमर साहित्य सृजन कर गया ll

 

साहित्य को पथ पर दूही

बहुत लंबी दूरी चलत चल गया l

नवो साहित्यिकों  साती

साहित्य पथ आलोकित कर गया ll

 

कालिदास अना भवभूति

विपुल भारत भ्रमण कर गया l

निसर्ग को सुंदर चित्रण कर

निसर्ग का  प्रिय पुत्र कहलाया ll

 

कालिदास अना भवभूति

दूही तुलना का विषय बन गया l

एक कविकुल गुरु, दूजा

करुण रस का आचार्य कहलाया ll

 

-इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

पोवारी भाषाविश्व नवी क्रांति अभियान, भारतवर्ष.

शनि. ३/५/२०२३.

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वडपुजा

 

सीमा : भई का बाई तोरी तयारी,चल ना लवकर, अज बड सावित्री से, आवबीन पूजा करके लवकर.

 

लता: बाई, अजय भाउला कवो ना, बड़ की खांदी आणेती... घरच करबिंन पूजा….

 

सीमा: बाप्पा काई बई सेस का ओ, खांदी आनन सांगसेस, तोला याद नाहाय आपुन पोरं (पिछले साल) माता माय को मंदिर जवर बड को झाडं ना दुय आंबाका झाड लगाया होता.

 

लता: याद से मोठी बाई,छोट्या सांगत होतो वय मोठा भया मून.

 

सीमा: हो लता,यंदा वाहांच जबिण पूजा करण,मी अवंदा भी दुय झाड धरी सेव लगावला.

 

लता: बेस कऱ्यात मोठी बाई,बड को झाड बहुउपयोगी से.

 

सीमा: खरी कयेस लता,बड को झाड पर पक्षी आपला गोदा करसेती,झाड मोठो रवसे , ओको सावली मा माणूस ,जनावर सब आराम करसेती,बड को झाड का फल पक्षी ला बहुत आवडसेती.., ऊंको विष्टा मा लक नवीन झाड तय्यार होसेती.

 

लता: मोठी बाई खरी बात कयात तुमि,आता मी भी झाड लगाउन ना सब ला सांगून..

 

झाड लगाओ हर घर

पर्यावरण को होये रक्षण

 

सौ. छाया सुरेंद्र पारधी

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गाठजोड़ा

(विधा - काव्यांजली)

 

सखी तेजेश्वरी

आयी मोरो जीवनमा

हर्ष मनमा

भयेव……………. ||||

 

गाठजोड़ा बंधेव

मंग सप्तपदी चलेव

स्वप्न देखेव

भविष्यका ……….. ||||

 

संगमा मोरो

जोड़ी बनी मित्रकी

गाठी मंगलसूत्रकी

पयनीस ..……..…. ||||

 

बड़पुनवाको दिवस

सजी साज श्रृंगारलका

साड़ी, पोलका

पेहरके ……….…. ||||

 

सौभाग्यकी निशाणी

लगाइस कुकू मस्तकला

ओवाळीस बड़ला

रक्षासाती ..…….... ||||

 

अजको दिवस

झाड़ लगावनको मान

सावित्री, सत्यवान

यादमाच ……..…. ||||

 

रक्षा पर्यावरणकी

चलो करबीन घाई

हवा सबलाई

प्राणदायी….……..||||

 

© इंजी. गोवर्धन बिसेन 'गोकुल'

गोंदिया, मो. ९४२२८३२९४१

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विषय=पिरम (प्रेम)

दिनांक=5/6/23

पिरम का बोल

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दुय दिवस को जीवन मिलीसे,

नको बोलुस जहर भऱ्या बोल l

माणूस तनको चोला दुर्लभ से,

बडीया बोल तू पिरम का बोल llध्रुll

 

माय बाप को पुण्य लक मीलिसे,

सब तीरथ को फल की पुण्याई l

जन्म भर को नातो बनजासे,

संग आवसे नाव रूपी कमाई l

पाल पोषकर आधार मीलीसे,

नको बोलूस नफरत का बोल ll1ll

 

सात जन्म को जोडकर रीस्ता,

सात भवर फिऱ्या अग्नी को फेरा l

पती पत्नी संग बन्या बिहाता,

एक दुसरो को बन गया सहारा l

प्यार की भाषा मिलनसार से,

जीवन बीत जाये अनमोल ll2ll

 

हेमंत पी पटले धामणगाव (आमगाव)

9272116501

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दया निधान

 

सुन सुन भगवान सुन सुन भगवान पानी बिगुर  जीन्दगी कसी दया निधान,

मिरूग लगयो पानी नही आव भगवान हाय मोरो राम,

 

खात गाडों धरके देख बाट पानी की मोरो गांव को किसान मोरो गांव को किसान,

 

सुन सुन भगवान सुन सुन भगवान पानी बिगुर  जीन्दगी कसी दया निधान,

नागर दतारी धरके देख बादर ला टुक टुक  किसान ,

हाय मोरो राम,

पानी बिगुर कास्तकारी कसो होहे भगवान दया निधान,

 

सुन सुन भगवान सुन सुन भगवान पानी बिगुर जीन्दगी कसी दया निधान,

 

खेती बाडी कास्तकार  की जीवन दायनी भगवान, दया निधान,

पानी नही आयो त रोहे ढोसकी ला धरके  किसान दया निधान,

 

सुन सुन भगवान सुन सुन भगवान पानी बिगुर जीन्दगी कसी दया निधान ,

 

नदी ,नाला सुख गया, जंगल ,झाडी भयी विरान ,बेहर बाहुली सुख गयी ,

सुखयो कंठ पानी लाय धन ढोर चिंडी ,पाखरू को भगवान दया निधान,

सुन सुन भगवान सुन सुन भगवान पानी बिगुर कसी जीन्दगी दया निधान,।।

 

विद्या बिसेन

बालाघाट

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अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार (पंवार) महासंघ, तीसरों स्थापना दिवस को पावन अवसर पर                               

कथानक  समाज को

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कथानक समाज को

सुंदर सुगंधित करन साती l

पोवारी भाषा ला आम्हीं

सुंदर सुहानी सुगंधित करबी ll

 

पोवारी संस्कृति की

धारा प्रवाहित ठेवन साती l

पोवारी भाषा ला आम्हीं

सुंदर  सुहानी सुगंधित करबी ll

 

पहचान समाज की

दैदीप्यमान करन साती l

पोवारी भाषा ला आम्हीं

सुंदर सुहानी सुगंधित करबी ll

 

एकता छत्तीस कुल की

कालजयी बनावन साती l

पोवारी भाषा ला आम्हीं

सुंदर सुहानी सुगंधित करबी ll

 

इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

पोवारी भाषाविश्व नवी क्रांति अभियान, भारतवर्ष.

शुक्र.९/६/२०२३.

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कथानक सुधारण साती

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कथानक समाज को

सुंदर सुगंधित करन साती l

पोवारी भाषा ला उन्नत करबी,

सुंदर सुहानी सुगंधित करबी ll

 

पोवारी संस्कृति की

धारा प्रवाहित ठेवन साती l

पोवारी भाषा ला उन्नत करबी,

सुंदर  सुहानी सुगंधित करबी ll

 

पहचान समाज की

दैदीप्यमान करन साती l

पोवारी भाषा ला उन्नत करबी,

सुंदर सुहानी सुगंधित करबी ll

 

एकता छत्तीस कुल की

कालजयी बनावन साती l

पोवारी भाषा ला उन्नत करबी,

सुंदर सुहानी सुगंधित करबी l

 

-ओ सी पटले

शुक्र.९/६/२०२३.

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दिनांक=10/6/23

उना का पुरा

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छत्तीस कुऱ्या जातिका पोवार खरा,

बिहया को दस्तुरला सोडो नोको जरा llध्रुll

 

नवरा नवरी मा कोन से चतुर,

खेल उना का पुरा बस्या खेलन l

दाना देनो पडे डाव जितनो पर,

बाल का दाना पर होसे हार जीत l

घराती बराती का चेहरा हासरा ll1ll

 

उना कवनो परा एक दाणा से कम,

पुरा कवनो परा जोडी से बरोबर l

उना को जागा परा पुराच आयेव,

देनो पडे दाणा जेकी भईसे हार l

मूठ मा दाणा कसेती उना को पुरा ll2ll

 

स्वभाव गुण ओळखन की से रीत,

सबकी खेल परा बारीक नजर l

बोल चाल मा कोण होसे पटाईत,

जीतनो परा बन जाये बाजिगर l

बिहयाको खेलकी निभावो परंपरा ll3ll

 

खेल खेल मा करसेती बोल चाल,

नवरी ला देसे दाणा आंजुरभर l

सपरी परा बसी जेवण पंगत,

बीहया को जेवण ला खावो पोटभर l

खुशी भई सबला खेल देख करा ll4ll

 

हेमंत पी पटले धामणगाव (आमगाव)

9272116501

******************

 

 

 

 नवो कथानक लिखबी         

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स्वजनों जागो उठो चलों

पोवारी भाषा ला उन्नत करबी                

निज भाषा ला उन्नत करके,

समाज को नवो कथानक लिखबी  ll

 

बंधुओं जागो उठो चलों

पोवारी संस्कृति को जतन करबी ‌।

निज संस्कृति को जतन करके,                

समाज को नवो कथानक लिखबी ll

 

स्वजनों  जागो उठो चलों

सनातन धर्म को जतन करबी।

निज धर्म को जतन करके,                 

समाज को नवो कथानक लिखबी।।

 

बंधुओं जागो उठो चलों

निज पहचान को जतन करबी ‌।

पहचान को जतन करके,                        

समाज को नवो कथानक लिखबी।।

 

प्रिय बंधुओं चलों चलों ।

अस्तित्व ‌ आपलो जतन करबी ।

अस्तित्व को जतन करके,                 

समाज को नवो कथानक लिखबी ll

 

-ओ सी पटले

शनि.१०/६/२०२३.

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दिनांक=12/6/23

नांगरणी

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बईल जोळी चली से खेत नांगरणीला,

चलो उठो लगो काम खेतीको करनला llध्रुll

 

खेती बाळी करणका दिवस आया भारी,

सोच बिचार करनोमा बीती रात सारी l

बित गयी खेती करणोमा जिंदगी पुरी,

बचीकुची बईलजोळी परा दया करो भारी l

चंद्रा पांढरा बईल फिरती नांगरला ll1ll

 

पयले सरीखी खेती करसेत का कोनी,

महांगाई की चलीसे घरपरा कहानी l

नांगर धरनला बच्चा सेतका घर कोनी,

मिल्या नोकर चाकरत वयभया धनी l

बूरा दिन आयगया खेती करनला ll2ll

 

बईल हल्या की जोळी बंधी घर होती,

पशु धन की कमी कोनी घरच नवती l

थोडी फार बईल जोळी गावमा बची सेती,

घरका कोठा रिकामाच खाली पड्यासेती l

पुरानी पिढी लगीसे बिचार करनला ll3ll

 

नवो पिढी संग नवो तंत्र ज्ञान आयीसे,

बईल जोळी को जागापरा ट्रॅक्टर फिरसे l

खेती को उपज मा भारी सुधार भयीसे,

कम समय की खेती उपजाऊ लगीसे l

समय आयीसे आधुनिक तंत्रज्ञानला ll4ll

 

हेमंत पी पटले धामणगाव (आमगाव)

9272116501

************

 

 

पुरुषोत्तम श्रीरामजी को बिचार मा सत्य की महती ।

 

ऋषयश्चैव देवाश्च सत्यमेव हि मेनिरे ।

सत्यवादी हि लोकेऽस्मिन् परं गच्छति चाक्षयम् ।।

 

अर्थात

ऋषि अना देवताइनन सदा सत्यको च आदर करीसेन। येन लोक का सत्यवादी मनुष्य अक्षय परम धाममा जासेत ॥

 

उद्विजन्ते यथा सर्पान्नरादनृतवादिनः । धर्मः सत्यपरो लोके मूलं सर्वस्य चोच्यते॥

अर्थात

'झूठ बोलनेवालो मनुष्यलक सब लोग वोन तरीका लक कन्द्रासेत, जसो साँपलक । संसारमा  सत्य च धर्मकी पराकाष्ठा आय अना सत्य च सबको मूल कह्यव गयी से 

 

सत्यमेवेश्वरो लोके सत्ये धर्मः सदाश्रितः। सत्यमूलानि सर्वाणि सत्यान्नास्ति परं पदम् ॥

अर्थात

जगतमा  सत्य च ईश्वर आय । सदा सत्यको आधारपरा धर्मकी स्थिति रव्हसे । सत्य सबकी जड़ आय । सत्यलक बढ़कर दूसरो कोनतो  परम पद नहाय ॥

                              ******************

 

पोवारी 36 कुल की मायबोली

 

आपलो माय का हामी ऋणी सेजन की, निर्भीक होयकन 36 कुल पोवार, अना पोवारी का सब सच्चा संस्कृति रक्षक इनको समर्थन करनो मा सार्थकता समझ सेजन.

 

करो बुलंद पोवारी.

बचावो आघात लका,

चली से दौर लगी से घात भारी.

 

करो बुलंद आवाज.

पोवारी को नाव खाल्या,

चली से भोयरी मिलावट की ज्वाला भारी.

 

बिचार की बेरा भारी से.

सब दून जोरदार माय मोरी पोवारी.

 

जय 36 कुल पोवार.

जय मायबोली पोवारी.

 

ऋषिकेश गौतम

 

मातृभाषा को महत्व

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ओली माटी जसी झाड़ की जड़ ला धरकर ठेव् से तसीच मातृभाषा भी समान रक्त संबंध, इतिहास अना परंपरा की जाणीव रुपी समाज की जड़ ला धरके ठेव् से.

मातृभाषा को महत्व येको दून अधिक प्रभावी रुप लक समझावनो शायद असंभव से.

मातृभाषा को येव महत्व मन मा गांठ बांध के ठेओं  अना गर्व को साथ खुलकर पोवारी बोलत जाव व  आपली पहचान प्रदर्शित करत जाव.

-ओ सी पटले

शुक्र.१६/६/२०२३.

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दिनांक=17/6/23

चावूर कुळोभर

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घर आयी बहुकी परीक्षा,

परखी जासे पयलो बेरा l

चावुर कुळोभर शिगका,

खेलन बस्या कसोटी परा ll1ll

 

नवरी को खेल देखनला,

सतरंजी, दरी परा बस्या l

कुळोभर भरया चावूरला,

भया कमीकसा चोरीला गया ll2ll

 

चोरी कसी होसे चावूरकी,

नवरी इत उत देखसे जरा l

मुठ भर चावूरकी चोरी,

खानाखुणा को इशारा पुरा ll3ll

 

तुमरी दया से बहु को परा,

कसर पुरी करो भरणला l

सासू कसे बहु नवतीला,

चावूर होसेती घर खानला ll4ll

 

खेल को समजो इसाराला,

बिना खेल काम से अधुरा l

सेवा भाव संस्कार देनला,

गुण देसेती खेलेव परा ll5ll

 

हेमंत पी पटले धामणगाव (आमगाव)

9272116501

******************

 

संघठन की महत्ता▪️

 

सामाजिक सुरक्षालाय समाजको मजबूत एकीकृत संघठन जरुरी से।

 

सांस्कृतिक जतनलाय धीरगम्भीर जानकार  वरिष्ठ जनइनको संघठन जरूरी से ।

 

सामाजिक विकासलाय प्रयत्नरत उद्यमी असो युवा संघठन जरूरी से ।

 

सामाजिक शांतिलाय ताकतवर व  समझदार लोगइनको संघठन जरुरी से ।

 

समाज की शैक्षिक उन्नतिलाय शिक्षीत व कर्मठ लोगईनको संघठन जरूरी से ।

 

समाज की पहचान व नाम बनायके राखनलायी संघर्षरत संघठन जरूरी से।

 

सबला निष्ठावान समाज भावना लक जोडनको कामलाय सक्रिय संघठन जरूरी से।

 

येन उद्देश्य लक अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार पंवार महासंघ को उदय भयी से।

 

सब जुड़के एकीकृत शक्ति को निर्माण आवश्यक से तब च अस्तित्व मजबूत होये ।

 

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माती मा अंकु-या बीज (अभंग)

 

मातीमाको बीज -फुटसे अंकुर

मिलसे आकार- माती लका //१//

 

मातीकी संगत -बिजकी प्रगती

तसी होय गती -आपसूक. //२//

 

मातीको वु गुण -बिजाक आंगला

होसे वू रंगला -एकरूप. //३//

 

मग वू सामने - लेसे गा आकार

रंग रूप साकार - तब होसे//४//

 

जसो बीज पेरो - तैसो भेटे फल

ओला कदाकाल  - भुलू  नोको //५//

 

तसोच गा जन्म - माय को उदर

समाव अंदर - जन्म साती. //६//

 

बाप को वू बीज- माय को गा रज

भेटता सहज - जन्म होय .//७//

 

रज बीज दुही- एक रूप भया

रंग रूप आया  - सहज च //८//

 

मातीक गा संग - बीज को उगम

तसोच गा जन्म - मानव को //९//

 

ज्ञानदेव  बीज - पेरीस सळस

भयेव् कळस - तुकाराम //१०//

 

जय जय रामकृष्ण हरि

हभप डी. पी.राहांगडाले

गोंदिया

***************

 

जस

 

झरझर डोरालक बोहसे असुबन

ओ मय्या मोरी चली गंगा नहावन

 

नौ दिन नौ रात माय को बसेंरा

दसवो दिन विसर्जन की बेरा

सुनो पड जाये घर आंगण

 

घरलक निकली अंगणा ठयरी

रमी सें जस को सूर मा गयरीं

सजेव चउकपर सुंदर आसन

 

सिंगार कर रहिसे  माता काली

नाकमा नथनी ना कानमा बाली

लाल चुनर सिंदूर को सुशोभन

 

कलश ज्योत चमचम चमकंसे

जवारा फुलवा लहर लहरासे

घट धरके चली कन्या सुहागन

 

चौदा भुवन की तू महारानी

कसी करू बिदाई मी भवानी

तोरो भक्तिमा डुबेव अंतर्मन

 

शब्दसुमन की अर्पूसू मार

गढमाता तोरो निवास धार

हाथ जोडके करुसू सुमरण

 

शारदा चौधरी

भंडारा

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दिनांक=19/6/23

विषय=मातीमा अंकुरया बिज

उपजाऊ खेती बाडी

*******

उपजाऊ खेती बाडी, चंदन सरिखी माती l

अन्नदाता मेहनती, पिकावसे माणिक मोती ll ध्रु ll

 

सुरुवात भयीसे, बारिस पाणी आवन की l

बरसाद लगिसे, गरज घुमळ जोर की l

तपन का दिन गया, राहत की करो शेती ll1ll

 

नदी नाला भरकर, पाणी पर से जिंदगी l

तरा बोडी लबालब, खुशी की भरी ताजगी l

आस मिट गयी धरा की, तहान लगी होती ll2ll

 

मातीमा अंकुऱ्या बीज, वऱ्या कोम फुट्या सेती l

हिरवा पाना रोप संग, फळदार वृक्ष होती l

निसर्ग को चमत्कार, खेती पर से उन्नती ll3ll

 

एक बीज करसे, बहुत दाणा की निर्मिती l

जीव जंतू ला होसे, खान अन्न धान्य की पूर्ती l

हवा पाणी तेज परा, चलसे जिवन ज्योती ll4ll

 

जसो बीज पेरो तुमी, फल की तसी से प्राप्ती l

संस्कार युक्त बीज की, करो घर परा खेती l

मन समाधानी ठेवो, सबला मिले सुख शांती ll5ll

 

हेमंत पी पटले धामणगाव (आमगाव)

9272116501

**************

 

गुलाब भाउ ,

पोवार समाज की निजी बोली लिखित रूप मा प्रस्थापित करनको यव  प्रयास व बालसाहित्य प्रसारण को कार्य प्रशंसनीय से ।

 

खुद परा भरोसा राखके, जो काइ आपलो से वोको, स्वाभिमान मन मा जीवित जब रव्हसे त् दीगर लोग बी आमरो सन्मान करसेत् ।

येन बातको कोनिबी अनुभव कर सकसे ।

 

पुरो दमलक तुमी बाल साहित्य पोवारी मा प्रचारित कर सेव या सही मा समाज सेवा आय ।

तुमरो कार्य मा समाज को प्रति तुमरो प्रेम चोव्हसे ।

 

तुमरो धन्यवाद

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पोवारी संस्कृति अना बिह्या को नेंग दस्तूर मा बदलाव

 

नवरदेव(दूल्हा) अना नौरी(दुल्हन), बिह्या मा भगवान को रूप मा रव्हसेती, एको लाई बिह्या को संस्कार, रीति-रिवाज अना नेगदस्तूर लक पुरो होवनो चाहिसे। पोवार समाज, सनातनी धरम संस्कृति ला माननो वालो समाज को हिस्सा आय। बिह्या, हिन्दू जीवन को येक पवित्र संस्कार आय अना यन पावन संस्कार मा दारू, मुर्गा, अश्लीलता(प्री वेडिंग) की फोटो लेनो, फुहड़ता असी सामजिक कुरीति समाज मा मान्य नहाय।

अज़ आधुनिकता की होड़ मा नवी पीढ़ी आपरो जूनो संस्कार इनला भुलाय रही सेती अना आपरो पुरखा-ओढ़ील इनको मान सम्मान ला भी बिसराय रही सेत। यव कही लक कहीं वरी सही नहाय। बिह्या को गीत इनमा समाज को पुरो इतिहास अना नेंग-दस्तूर को बखान मिल जासे की आम्ही सभ्य-संस्कारी समाज को वारिस आजन येको लाई हमला आपरो बिह्या मा कोनी भी बाधिक जीनुस जसो दारू अना अश्लीलता लाई कोनी भी जाघा नहाय।

पहले पासून को यव रिवाज होतो की बिह्या मा लगुन, गोधूलि बेला मंजे श्याम मा लग जावत होती परा आता नाच गाना मा नशा को चढ़ावा को कारन लक लगुन ला रात होय जासे। दोस्त भाई इनको नाव पर दारू अना फुहड़ता देखनमा आय रही से। असो राकस घाई रिवाज आपरी सनातनी पोवारी संस्कृति को हिस्सा नहाय, तसच धेण्डा रोटी को जागहा परा माहंगी रिसेप्शन पार्टी भी सही नहाय।

मंढा झाड़नी, जसो कोनी भी रिवाज आपरो पोवारी को पुरातन नेंग नहाय। मंढा झाड़नी को नाव परा दारू -मुर्गा को सेवन, बिह्या को पवित्र समापन ला दूषित कर देसे, येको लाई असी परम्परा ला मुरावनो च बेस से।

सदा लक आपरो छत्तीस कुरया पोवार समाज मा राम नौरा, सीता नौवरी को नाव लकच लग्न को दस्तूर होसे। येको अर्थ से की नवरदेव मा प्रभु राम की छवि अना नौरी मा माय सीता की छवि रवहसे त कसो आता पोवार समाज मा विक्रती आय रही से।

यव कसेती न की ज़ब जागो तबच सवेरा, त आता भी देर नही भई से। सब मिलकन आपरो पोवार समाज मा बिह्या को सनातनी वैदिक स्वरूप ला जीवित राख सिक सेजन अना समाज मा आय रही बुराई ला रोखकन बिह्या को पावन रूप ला कायम राख सिक सेजन।

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मी त पोवार आव..

36 कुर्या पोवार..

 

मीन आज वरी आपलो दादा परदादा को मुख्यग्र लका हामी 36 कुर्या पोवार आजन् असो आयक्या सेजन.

आता कोनी शरद पवार वाला पवार, या मंग भोयर मिश्रण की मिशनरी वाला नव पवार बनकर पवार नाव को प्रचार करेती, येला काजक कहे कसु.

उल्टा चोर कोतवाल को डाटे वाली किस्सा आय..

शोध प्रबंधन मा इतिहासिक प्रामाणिक बात पर शोध होतो त बड़ो अच्छो होतो. पन आब काही शोधकार न् नवनिर्मित हाइब्रिड नाव पवारी साहित्य मंडल को आधार लेईन, जेव की सम्पूर्ण तहा गलत से. अना उनको शोध विषय मा पवार नाव को उल्लेख टाइटल मा से, पवारी साहित्य मंडल को मुखियाजी न् तो नविन नाव की उपज लका भ्रम समाज मा फैलावन को दूषित कार्य करी सेत. पवार = पोवार(0.0001%भटक्या )+ भोयर असो समीकरण फैलाया देई सेन. पन आता सजग रवन की बारी समाज की से.

शोध कार्य मा शोध कर्ता अनखी थोड़ो मंघ गया रवता  त पोवार नाम को डंका बजेव रवतो. ना की मिश्रीकरण वालों पवार को.

अनुचित काम को विरोध करनो, अना समाज ला सत्य को प्रति आगाह करनो, सही मायना मा समाज ला मूल ल जोड़नों आय. ना की गलत नाम को प्रचार करनों, गलत नाम को तथ्य तोड़ मरोड़ कन समाज ला गुमराह करने वाला वास्तविक ता मा समाज का जयचंद आती.

36 कुल पोवार सावधानी ठेवनो जरुरी से.

नहीं त मंजू अवस्थी न् जसो समाज पर अभद्र टिप्पणी करिन तरी उनको सम्मान पवारी साहित्य मंडल कर से, असो समाज द्रोही काम नहीं करें पायजे.

हमरो माय बहिन को उपहास अना विनय ना भंग करने वाली बात जेन मंजू अवस्थी को पोवार को नाव की p. Hd. माँ से वोन p. Hd.ला धिक्कार से.

समाज को येतरो बुरो दिन नहीं आयी से की समाज को इज्जत पर कीचड़ उछलने वालों की वाहवाही करने वालों को हामी पक्ष लेबी. पन दुर्भाग्य से की इनको पक्ष अना सम्मान तथाकथित नवनिर्मित मिश्रीकरण पवारी साहित्य मंडल न् करिस.

एक बात से की, अज्ञान को दशा मा गलती भई त सुधार की गुंजाइस रव से. पवारी को भ्रम मा अज्ञान वस मोरो सारखा कई जन् भ्रमित भैया रहेती. पन ज़ब वास्तविक ता पता चली अना भ्रम पर लका पर्दा उठेव तब पवार नाव को षड़यंत्र को पता चलेव.

पन आता कोनी की गलत अना भ्रमित बात स्वीकार्य नाहाय.

हामी 36 कुर्या पोवार, हमरों गौरवशाली इतिहास पोवार को. वोला पवार बनावने वाला भोयर मिश्रण को निषेध से.

बोलचाल मा गलती लक पोवार पंवार को जागा पर पवार आय जानो समझ मा आव से, पन जानबूझकर कर पवार पवार करने वालों सीन भोयर मिश्रण की शंका आवसे. म्हणून सही को साथ देने वाला सच्चा पोवार /पंवार रक्षक इनला आज समाज निमार्ण का क्रांतिकारी कवनो चाहिसे ना की टुकड़ा गैंग.

एक बात साफ से, जँहा नोट वोट पद को लोभ से वोय येव क्रांतिकारी कार्य ला खुल कर समर्थन नहीं देय सकत, उनको प्रति हामला काही कवनो नाहाय. अना जे पोवारी समझ सेती, पन यंहा समर्थन् देनो मा सहज नहाती उनला भी काही कवनो नाहाय. उनकी काही मजबूरी होय सक से. पन जिनला जमसे उनन गलत बात पर आवाज जरूर उठाये चाहिसे, काहे की येव काम हामी सब जन पूर्वज इनकी प्रेरणा लका कर रह्या सेजन, जागरूकता जरूर होय रही से. जयचंद को काम भी समाज देख रही से अना पोवारी को लहरावतो झंडा भी दिस रही से.

 

जय 36 कुल पोवार /पंवार

जय मायबोली पोवारी.

 

  ऋषिकेश गौतम

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इतिहास को संरक्षण: वर्तमान पोवार समाज की आवश्यकता

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सबकी अंतरात्मा ला मालूम से कि आमरों समाज की मातृभाषा ला         पोवारी(Powari)नाव लक ऐतिहासिक पहचान प्राप्त से. येको पर भी एकच भाषा का तीन -चार नाव सेती, असो कहके आपलो समाज ला भ्रमित करनो सही नाहाय.

संसार मा दुय परस्पर विरुद्ध तत्व अना प्रवृत्ति रव्ह् सेती.येव एक ऐतिहासिक सत्य से. येको कारण इतिहास ला बिगाड़न की अना वोला सुधारण की असी दूही प्रक्रिया देखेव जासेती.

कोनी इतिहास बिगाड़न को कार्य कर् सेती त् कोनी बिगाड़ेव गयेव इतिहास‌ला सुधारण को दिशा मा काम कर् सेती.

कौनसो काम अच्छो अना कौनसो ग़लत येको निर्धारण प्रत्येक ला स्वतंत्र रुप लक करनो से.

‌वर्तमान पोवार समाज मा समाज को इतिहास ला बिगाड़न को दुष्ट प्रयास शुरु से.अत: आपलो सही इतिहास को संरक्षण करनो या  वर्तमान पोवार समाज की प्रमुख आवश्यकता से.

 

-इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

गुरु.२२/६/२०२३.

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हळायेवला मोहू गोळ

 

अर्थ:उपाशी असल्यावर सगळ काही चविष्ट लागणे.

 

 

पवार नहीं पोवार

 

मानव जीवन मा मुख्य उपलब्धी निम्न प्रकार लक् मिल् से

१ - सामाजिक उपलब्धि

२- आर्थिक उपलब्धि

३- राजनीतिक उपलब्धि

४- शैक्षणिक उपलब्धि

उक्त सब उपलब्धियों मा सामाजिक उपलब्धीच् असी उपलब्धि से ज्येको कोई पैमाना या उचित नाप न्हाय। आना स्वार्थ लक् परे रव्ह से। बाकी सब उपलब्धि, व्यक्तिगत प्रगति को आधार पर सबकी नजर मा पटनार् दिख् सेती।

समाज मा रहकन् समाज को प्रभुत्व ना अस्तित्व ला समझनो भी एक प्रकार की उपलब्धि आय। समाज मा सच आना झूठ को अध्ययन करके सही बात को अनुसरण करनो ज्यादा उत्तम से। समाज को बारीकी लक् अध्ययन करनो ना समाज संस्कृति को नाव लक् पदवी लेनो अच्छी बात से। परन्तु हमेशा आपरो समाज संगठन की कुरीति ला दबाय कन् अच्छाई ला ऊघाड़नो जरुरी से।

समाज को दोहन करनो आना समाज ला कोनी भी प्रकार लक् सहयोग नहीं करन: सामाजिक कुरीति आय।हर जागा पर सुन्दर काण्ड की चौपाई लागु होसे-

प्रति उपकार करहउं का तोरा।

सनमुख होई न सकत मन मोरा।।

" समाज सेवा आना सामाजिक उपलब्धि हमेशा व्यक्तिगत प्रगति,पद, पहुंच आना अरजन् लक् जास्ती भारी रव्ह से।"

मी ३६ कुर्या पोवार कुल मा जनम् लेयसानी अती गर्व महसूस करूसु। आना समाज को प्रभुत्व ना अस्तित्व की लड़ाई लाईक् हमेशा तत्पर सेव्।

यशवन्त तेजलाल कटरे

२३/०६/२०२३

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पोवारी की शान- झुंझुरका बाल ई-मासिक

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बाल मासिक  झुंझुरका

साहित्य की से मंदाकिनी समान।

येको संपादक मंडल से

समाज को सही सपूत समान ।।

 

झुंझुरका मासिक देसे

बालकों ला  मातृभाषा को ज्ञान ।

मासिक से या बालकों की

लक्ष्य येको से मातृभाषा को उत्थान।।

 

या पत्रिका बढ़ाव् से

बालकों मा भाषिक स्वाभिमान।

संरक्षक या मातृभाषा की

येको पर से समाज ला अभिमान।।

 

पोवारी की या ई-मासिक

पोवारी ला देसे उत्कर्ष को आयाम ।

नवी आभासी दुनिया मा

बढ़ावत जासे पोवारी की पहचान।

 

मातृभाषा को संवर्धन मा

या से मिल को पत्थर समान 

इतिहास मा होये सदा

झुंझुरका मासिक को गौरव गान।।

 

इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

गुरु.२२/६/२०२३.

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इतिहास को संरक्षण: वर्तमान पोवार समाज की आवश्यकता

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सबकी अंतरात्मा ला मालूम से कि आमरों समाज की मातृभाषा ला         पोवारी(Powari)नाव लक ऐतिहासिक पहचान प्राप्त से. येको पर भी एकच भाषा का तीन -चार नाव सेती, असो कहके आपलो समाज ला भ्रमित करनो सही नाहाय.

संसार मा दुय परस्पर विरुद्ध तत्व अना प्रवृत्ति रव्ह् सेती.येव एक ऐतिहासिक सत्य से. येको कारण इतिहास ला बिगाड़न की अना वोला सुधारण की असी दूही प्रक्रिया देखेव जासेती.

कोनी इतिहास बिगाड़न को कार्य कर् सेती त् कोनी बिगाड़ेव गयेव इतिहास‌ला सुधारण को दिशा मा काम कर् सेती.

कौनसो काम अच्छो अना कौनसो ग़लत येको निर्धारण प्रत्येक ला स्वतंत्र रुप लक करनो से.

‌वर्तमान पोवार समाज मा समाज को इतिहास ला बिगाड़न को दुष्ट प्रयास शुरु से.अत: आपलो सही इतिहास को संरक्षण करनो या  वर्तमान पोवार समाज की प्रमुख आवश्यकता से.

-इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

गुरु.२२/६/२०२३.

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श्री ऋषिजी बिसेन जन्मोत्सव निमित्त

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अज पोवार समाज साती बहुत ही आनंद को दिवस उगायेव, आमरा सबका प्रेरणास्थान एक माहा पुरुष को अज जन्मोत्सव आयेव, मोरो लेखनी लक इनको जन्मोत्सव पर दुय शब्द, समाज कल्याण जनकल्याण व राष्ट्र कल्याण येको पेक्षा मोठो कोणतोच पुण्य नाहाय, योको पेक्षा मोठो कोणतोच व्रत नाहाय अना येको पेक्षा मोठो कोणतोच यज्ञ भी नाहाय येवच मुलमंत्र ज्ञानमा ठेयकर येन् भुलभुलैया संसारमा भुल भटककर न जाता साधी राहानीमान व उच्च विचारधारा ठेयकर येन् चकमक वालो दुनिया मा साधी राहानीमान व उच्च विचारधारा लक व आध्यात्मिकता प्रामाणिकता सहनशीलता व शिष्तपालन लक आपलो आदर्श की छाप पोवार समाजमा व जगमा सोडकर समाजमा ऐतिहासिक परिवर्तन घडावनो व पोवार समाज की गौरवशाली पहचान व गौरवशाली इतिहास को संरक्षण व संवर्धन करके आपलो प्रभावशाली विचारधारा व व्यक्तिमत्व की ओरख जिनको साधगी लक निर्धारित होसे, असा आमरा सबका प्रेरणास्थान परमश्रद्धेय श्री आदरणीय ऋषिजी बिसेन मुख्य संरक्षक अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार पंवार माहासंघ भारत इनला पोवार समाज एकता मंच पुर्व नागपुर करलक तसोच अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार ( पंवार माहासंघ भारत करलक अना अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार पंवार माहासंघ नागपुर जिल्हा कार्यकारिणी करलक जन्मोत्सव पर कोटि-कोटि अनंत कोटि शुभकामना सेती जय राजा भोज जय माहामाया गढ़कालिका,,,,!!

शुभेच्छुक

पोवार समाज एकता मंच पुर्व नागपुर

अ भा क्षत्रिय पोवार पंवार माहासंघ भारत

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।।सत्यमेव जयते।।

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इतिहास को अनुसार पोवार शब्द आमरो समाज को अना पोवारी शब्द आमरी मातृभाषा को प्रतीक चिन्ह(Insignia) आय.  दूही प्रतीक चिन्हों पर आमला गर्व से.  इनको संरक्षण करनो आमरो प्रथम सामाजिक धर्म आय.

पोवार समाज को प्रत्येक भाई बहिन ला निवेदन से कि  आपलो प्रथम सामाजिक धर्म को निर्वाहन साती प्रतिक चिन्हों ला सही तरीका लक लिखत जाव अना उनको संरक्षण करों.

 

इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले                                     शनि.२४/६/२०२२.

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जीवेत शरद: शतम् तव् ऋषी:

 

(दोहा मुक्तक)

 

सरल मृदु स्वभाव को, असो एक विद्वान |

बढ़ाईस उचो शिकके, बिसेन कुर को मान ||

पोवारी संस्कृति अना, देवघर बुक लिखके |

भयेव समाज मा असो, ऋषी भाऊ महान ||

 

कृष्णा माय हातलका, घड़ेव से संस्कार |

पिता फागुलाल को बी, भेटी से आधार ||

शुभ जनमदिनपर तुमरो, पूरो समाज संग |

मोरी मंगलकामना, होये सब साकार ||

 

© इंजी. गोवर्धन बिसेन "गोकुल" अना परिवार...

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श्री. ऋषीजी बिसेन जनमदिवस की शुभकामना

पोवार समाज का हिरा सेव

झटसेव माय पोवारी साती

पोवारी को सन्मान बढावन

लिख्यात  पोवारी संस्कृती

 

चऊकलका आंगण शोभसे

शोभसे पोवार समाज को घर

देवघर की बी शोभा बढावसे

तुमरो कथा संग्रह देवघर

 

तुमी पोवार समाज को गौरव सेव

माय पोवारी तुमला प्यारी से

लिखनसाती सबला प्रेरित करसेव

तुमरी प्रेरणा सबदुन न्यारी से

 

कर्तव्य परायण सेव तुमी

पोवारी खून तुमरं तनमा से

उच्च बिचार का धनी सेव

सेवाभाव तुमरं मनमा से

 

हनुमान जी से शक्ती मिले

मां सरस्वती से मधूर वानी

प्रभूरामजी से आशिष मिले

तुमरी चमक उठे जिंदगानी

***

(सर तुमरी पोवारी साहित्यरचना पोवारी संस्कृती (कविता संग्रह) अना देवघर  (कथासंग्रह) पोवार समाजासाती  वैभव की अना गौरव की बात से. तुमरं यनं पोवारी  योगदान साती तुमला बार बार नमन अना तुमरं जनमदिवससाती तुमला हार्दिक शुभकामना)

डॉ. शेखराम परसरामजी येळेकर २४/६/२०२३

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आदरणीय ऋषीभैया

 

शुद्ध सात्त्विक जीवन से

जीवन मां ध्येयनिष्ठा से

मातृभूमी भाषा इनपर

तुमरी प्रदीर्घ श्रद्धा से.....

 

सहृदयता संवेदना से

पोवारी संस्कृतीप्रेम से

पोवारी  इतिहास मां

प्रगाढ पवित्र निष्ठा से......

 

लौकिक जीवन मां से

हर प्रकार समृद्धी नई

आध्यात्मिक अधिष्ठान से

अलौकिक जीवन निहित से....

 

अनुज मुहून अभिमान से

प्रेरणा दीप जीवन से

अनगनित उपलब्धियाँ

अलौकिक तुमरी साधना से...

 

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जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ भैया

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====>रणदीप

ऋषी भाऊ बिसेन इनला जलम दिन की अभंगमयी शुभेच्छा

 

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ऋषी जी बिसेन|पोवारी भुषण||

अलौकिक गुण| उनकोमा||||

 

सामाजिक भाव|सरल स्वभाव||

बढाईन नाव||समाजमा||||

 

गुणवत्ता धारी| उत्तम पुढारी||

भाषा हितकारी|पोवारी का||||

 

पोवारी संस्कृती|बढीया लिखाण ||

देवघर मान| बढावसे||||

 

पोवारी को प्रती| सेती निष्ठावान||

पोवारी उत्थान| हेतू खरो||||

 

देश न समाज |दुयी की उन्नती||

उत्तम से निती| तुमरोमा ||||

 

शुभकामना से| जलम दिनला||

समृद्धी तुमला| लाभो सदा||||

 

गढकालीकाला| प्रार्थना आमरी||

कामना तुमरी| पुरी करे ||||

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उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरित)

गोंदिया (श्रीक्षेत्र देहू पुणे)

प्रचलीत पोवारी  हाणा(म्हणी)

 

 

♦️शब्दों सीन नातों♦️

( Relationship with the words)

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पोवार पोवारी शब्दों सीन

जनम जनम को नातों से।

इन  शब्दों सीन समाज को

पीढ़ीन पीढ़ीन को नातों से ll

 

इन शब्दों को झूला मा

बढ़ेव आमरो बचपन से।

इन शब्दों की छाया मा

संस्कारित आमरो मन से।।

 

इन शब्दों की बाहों मा

येव जीवन पुष्प खिली से 

इन शब्दों की बाग मा

जीवन ला दिशा मिली से ।।

 

इन शब्दों को स्वरों मा

आत्मिकता को आभास से।

इन शब्दों को सहवास मा

थकेव मन ला विश्राम से।।

 

इन शब्दों मा अंतर्निहित

खुशियों की झलक से।

इन शब्दों मा समाहित

संस्कृति की महक से।।

 

इन शब्दों को अस्तित्व मा

निहित आमरो इतिहास से।

इन शब्दों को अस्तित्व पर

एकता की आस विश्वास से।।

 

इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

रवि.२५/६/२०२३.

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या निंदा नोहोय ना शत्रुता भी नोहोय !                      

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महासभा का समर्थक आमला कसेती कि डाॅ.ज्ञानेश्वर  टेंभरे जी इनन् कोन-कोनता  गलत सामाजिक कार्य करीसेन  येको उल्लेख आपलो लेख मा न करके, केवल तुम्हीं आपला विचार समाज ला सांगो.

 संशोधन शास्त्र को अनुसार उनको कथन पूर्णतः गलत से. ज्ञानेश्वर जी की गलती न सांगता यदि आम्हीं केवल आपलाच विचार प्रचारित करत गया त् समाज ला आमरो कार्य की नवीनता, उपयोगिता, महत्व अना समाजहित मा आमरो योगदान की कल्पना आवनो असंभव से.

अतः आमरी इच्छा रव्ह् अथवा न रव्ह्, आमला ज्ञानेश्वर जी टेंभरे इनका गलत सामाजिक निर्णय व कार्य उजागर करनो व तत्पश्चात आपला नवीन विचार प्रस्तुत करनो अपरिहार्य से.असो करनो या निंदा नोहोय ना शत्रुता भी नोहोय!

 

-ओसीपटले सोम.२६/६/२०२३.

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देह तोरो यवं नाशिवंत

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देह तोरो यवं नाशिवंत

करसेस का रे अभिमान

मानवता को बन पुजारी

कार्य कर बढीया महान.

 

कार्य करो पुण्यका हमेशा

देह आणो दुसरोको कामी

नाशिवंत से देह आपलो

नही येकी चिरकाल हामी.

 

दुःखी जनला करो मदत

यवचं खरो मानव धर्म

अर्थ का से गर्व करनोमा

समजो दुःखी जनको मर्म.

 

देह तोरो यवं सत्कार्यमा

काम पडन दे हरदम

कार्य देखकन सबजन

संगमा बढाऐती कदम.

 

जिंदगी से जबवरी आण

देह काममा रे नाशिवंत

अन्यथा रहे या हिरदामा

काम नही पडेव की खंत.

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उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरित)

गोंदिया (श्रीक्षेत्र देहू पुणे)

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जय श्री राम

 

मन कसे चल भजन सुमिरन कर लेकिन सुनन वाला कौन सेत अता यहा,

अपरी अपरी सब सोचसेत दुसरो की खबर अता कहा यहां

 

दुख लक भरयो से मन मानुश को लगी से रात दीवस कमावनो मा

मी कौन ,मी का सेव, सागन मा लगयासेत सब यहां,

 

घर मकान प्रापर्टी जेको जवर ढ़ग भर ,

वोला पहिचानसेत लोग यहा

जेको जवर सेत महल महाडी़ वोकी मोठी शान यहां

 

ऐतरी भी का शान सागनो होश मा अता आवो जरा सबला एक राह मा जानो से काही दीन को से गुजारा यहां

 

झुठी शान झुठी से पहिचान तोरी सब धरयो रह जाहे यहां करोडो़ कमावन वालो की भी राख नही मिली यहां

 

मानो येन जीन्दगी मा सुख दुख को मेला से यहां कोनी चलत हाथी घोडा़ त कोनी पाय ढकेला से यहां

 

खुद ला कर भजन सिमरन मा मगन यो त माटी को चोला से,

सत्य मार्ग पर अटल बन चल यहां श्री राम नाव तोरो संग रहे सदा यहां

 

विद्या बिसेन

बालाघाट

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बिलाई (पोवारी बाल कविता)

 

घरमा पांढरी बिलाई |

चोरको पायलं आयी ||

 

सीको वोला दिसेव |

होतो वहां लटकेव ||

 

घरमा नोहता कोणी |

खायीस वोनं लोणी ||

 

आयेव वहां बाल्या |

हांडी पड़ी खाल्या ||

 

बिलाई गयी पराय |

बाहेरलं आयी माय ||

 

देखके लोणी पड़ी |

बाल्या खासे छड़ी |

 

बाल्या रोवन बसेव |

बिना कारण फसेव ||

 

© इंजी. गोवर्धन बिसेन "गोकुल"

गोंदिया (महाराष्ट्र), मो. ९४२२८३२९४१

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पुस्टी ( बालकविता)

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घोडो की से झुपकावाली

हत्ती की पतली पुस्टी,

गाय की रव्हसे सीधी

कुत्रा की वाकडी पुस्टी.

 

बंदर की रव्हसे लंबी

सेरी की आखूड पुस्टी,

बिल्लू की रव्हसे मुलाम

डोकेला की बारीक पुस्टी.

 

माखी इनला भगाय देसे

भस की मोटी कडक पुस्टी,

रूतबा अखिन बढाय देसे

शेर की बडी निराली पुस्टी.

 

सबकी रव्हसे अलग अलग

विशेषतावाली अलग पुस्टी,

भेपका सोचकर परेशान बहुत

रव्हती अगर मोरी पुस्टी.

 

- चिरंजीव बिसेन

गोंदिया

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उन्नत मनुष्य जीव

उन्नत मनुष्य जीव वु आय जो आपलो निवास,  यानी जहा वु रव्हसे, जेन क्षेत्र मा वु रव्हसे वोला उत्तम बनावसे ।

 

उन्नत मनुष्य जीव वु आय जो ज्ञान प्राप्त कर लेसे, ज्ञान पूर्ण वाणी प्राप्त कर लेसे ।

 

उन्नत मनुष्य वु आय जेको शरीर क्रियाशील व स्वस्थ रहे । जो इन्द्रिय नियंत्रण मा राख सके ।

 

असो जीव ला परम तत्व को द्वारा उत्तम प्रेरणा प्राप्त होसे ।

.....

ऋग्वेद भाष्य पंचम मंडल

 

आमरो लक्ष्य बी उन्नत बनन को रव्हनो जरूरी से ।

: कोणी बी व्यक्ति न खुद को

जीवन मा

माय को जीवनलक चरित्र की प्रेरणा,

पिता को जीवन लक द्वारा सदाचार अना कर्मठता की प्रेरणा अना

आचार्य लक ज्ञान की

प्राप्ति कर लेनला होना ।

 

मन मा की गंदगी दूर करके आपलो अंदर जेतरी होय सके वोतरी भलाई भर लेनला होना ।

 

निश्चित रूपलक जीवन को कल्याण होये ।

 

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यकीन मानो

छंद: दिक्पाल

(गागाल गालगागाx२)

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उम्मीद सोड़नोपर, बिखरो यकीन मानो

कोशिश करत रहो तं, निखरो यकीन मानो ||

 

बोलो नहीं अगरसे, पोवार मायबोली

मुर्दासमान जगमा, पसरो यकीन मानो ||||

 

खैरातमा धरोहर, गद्दारला गयी तं

पछताय पाय भूजा, बिदरो यकीन मानो ||||

 

दारोमदार मंजिल, अस्तित्व आमरो या

उन्नत करे बिना ना, ठहरो यकीन मानो ||||

 

संस्कार गर्भमा का, पोवार का सनातन

राख्यात अस्मिता तं, बहरो यकीन मानो ||||

 

ज्या हौदलक गयी से, वा बुंदलक मिले का?

ना पावड़ा कुदरलक, संगरो यकीन मानो ||||

 

सद्सद्विवेक बुध्दी, फिसले अगर प्रमादी

ना उठ सको जरा भी, घसरो यकीन मानो ||||

 

रघुनाथ भोज विक्रम, वंशावलीच नामी

पोवारसीन नातो, गहरो यकीन मानो ||||

 

जायेत जान देवो, एखाद दुय भटक के

तुमला नहीं बनन को, तिसरो यकीन मानो ||||

 

समया गयी नहीं से, जागे तभी सबेरा

आता तरी जरासो, सुधरो यकीन मानो ||||

 

कहनो मुहूनस्यारी, से जानकारइनको

चाहे रहो कहीं, पर, संवरो यकीन मानो ||१०||

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डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे 'प्रहरी'

गोंदिया/ उलवे, नवी मुंबई

मो. ९८६९९९३९०७

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पोवारी माय बोली की पुकार

 

मोल की सेव मी  माय बोली नोको करो मोला तुम्ही अबोली,

बोलो सब लिखो सिखो पोवारी माय बोली,

 

सत्य की ओढ से निर्मल छोर से सात्विक भावना ले जुडी से माय वानी बोली,

मोल की सेव मी  माय बोली नोको करो मोला अबोली,

 

अनमोल मोरा शब्द एक एक लख मोल का ,गीत  संगीत ,कहानी काव्य रचना सेत सप्तरंगी मोल का,

हा मोल की सेव मी  माय बोली नोको करो मोला अबोली,

 

रिती रिवाज नेग दस्तुर जुना सेत सबदुन सुहाना छेडो नोको इनला ये हेत  रहेत नवी पिढी़ ला समझावन का तराना,

मोल की सेव मी माय बोली नोको करो मोला अबोली,

 

नवी संस्करति ला जगाओ नवी निती ला बढा़ओ नवी पिढी़ संग झुमो नाचो गीत गाओ

कौन कसे ये सेत बेकार संस्कार की साधी ओढ़ धरके  आगे बढ़त जाओ,

मोल की सेव मी  माय बोली नोको करो मोला अबोली।।

 

विद्या बिसेन

बालाघाट

राम राम जी

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महाकवि कालिदास की खोज मा आषाढ़ को पयलो दिन                      

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हर बरस आषाढ़ जब् आवत रहें

वोला कालिदास की याद आवत रहें।

भारतवर्ष की नगरी अना पर्वतों मा         

कालिदास ला वू  खूब ढूंढ़त रहें।।

 

विरह का वय भाव कालिदास का

हर बरस आषाढ़ याद करत  रहें।

मेघदूत येन् गीतिका काव्य की,

खोज करन मेघों ला सांगत रहें।।

 

कालिदास न् जेन् मार्ग मेघों ला

रामगिरी लक अलकापुरी पठाईस।

आषाढ़ शायद आता वोन् राह पर

महाकवि कालिदास ला खोजत रहें।।

 

एक महिना भर आषाढ़ लगातार

कालिदास ला धरा पर खोजता रहें।

कालिदास ला चाहने वालों सीन

पता कालिदास को खबर लेत रहें।।

 

कालिदास ला कहीं न पायके

निराश मन वापस चली जात रहें।

हर बरस मंग नवी उम्मीद लक

मित्र कालिदास ला मिलन आवत रहें।।

 

हर बरस कालिदास दिन

भारत मा मनावत जब् देखत रहें।

येन् कृतज्ञ पुण्यभूमि भारत मा

आशीष रुप लक जल बरसावत रहें।।

 

ओ सी पटले

शुक्र.३०/६/२०२३.

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श्री माणिकचंदजी पारधी

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श्री + श्रीमुख तुमरो । कुशल वक्तत्य ।।

मानवी कर्त्तव्य । एकनिष्ठ ,,,,,,।।

 

मा + मानवता धर्म । जगमा माहान ।।

करो गा कल्याण । प्राणीमात्र ,,,।।

 

नि + निर्वेशनी काया । निष्कलंक छबी ।।

मिले कामयाबी । संसारमा ,,,,,,।।

 

क + कमान संभालो । धर्म रक्षा साती ।।

मायबाप सेती । पुण्यवान ,,,,,,।।

 

चं + चंद्र सुर्य तारा । सेती साक्षीदार ।।

सेती। उपकार । साक्षात्कार ,,,,।।

 

द + दया क्षमा शांति । जीवन का सुत्र।।

सुन्दर चरित्र ।। प्रेरणाश्रोत,,,,।।

 

जी + जीवन सुन्दर । से परोपकारी ।।

लेवो गा भरारी । आकाशमा ,,,,।।

 

पा + पावन से भुमी । गांव चिन्दुटोला।।

वाहा जन्मेव लाला । मानिकचंद्र

 

र +रक्षा समाजकी । करो कृपावंत ।।

रहे भगवंत ।। पाठी राखा ,,,,।।

 

धी + धीराज नायक । रहो कर्तुत्वनिष्ठ ।।

भाव एकनिष्ठ । समाज मा ,,,।।

 

जन्म + अज जन्मोत्सव । भाऊ से तुमरो !!

आनंद आमरो । गगनमा,,,!!

!!! कवी !!!

श्री हिरदीलाल नेतरामजी ठाकरे

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अखाळी

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लग गयेव अखाळ,आयेव अखाळी सण

नवत बोहूबाईला नामदेव गयीसे आणणं//१//

 

घर बोहूबाई आये, मंग मनमा खुशी होय

पयलो पयलो सण आमरं पोवरिको आये//२//

 

घरमा बनावबिन भज्या, बुड्या ना सुवारी

ठाव मातामायला लिजान, करबीन तयारी//३//

 

नवत बोहुसंग मातामायकी पूजा करबिन

मोहल्लामा पाच दस घर सूवारी बाटबिन //४//

 

अखाळी ला व्यास न महाभारत लिखीस

वाल्या को वाल्मीक,ना रामायण लिखिस//५//

 

यनच दिवस एकलव्यन गुरुदिक्षा देईस

अंगठा काटशान अर्पण  ऋण चुकाईस//६//

 

अखाळीच गुरू पूजा ,पुजबिन मायबाप

सब पूर्वज को तर्पण,पूजा घळे आपोआप//७//

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सब ला गुरुपौर्णिमा की हार्दिक शुभेच्छा

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डी. पी. राहांगडाले

गोंदिया

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गुकारश्चान्धकारो हि रुकारस्तेज उच्यते |

 

अज्ञानग्रासकं ब्रह्म गुरुरेव न संशयः ||

 

गुशब्द को अर्थ से अंधकार (अज्ञान) और रुशब्द को अर्थ से प्रकाश (ज्ञान) | अज्ञान ला नष्ट करनेवालो जो ब्रह्मरूप प्रकाश से वु गुरु आय | यको मा काई संशय नाहाय।

 

गुकारं च गुणातीतं रुकारं रुपवर्जितम् |

 

गुणातीतमरूपं च यो दद्यात् स गुरुः स्मृतः ||

 

गुरु शब्द को गु अक्षर गुणातीत अर्थ को बोधक आय अना रु अक्षर रूपरहित स्थिति को बोधक  आय | ये दूय (गुणातीत और रूपातीत) स्थिति जो देसेत उनला गुरु कसेत |

 

पोट आय का मरार की मोट आय.

 

अर्थ:अति उताविळपणे आणि प्रमाणाबाहेर खाणे.

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गुरू दिपस्तंभ.... (अभंग रचना)

 

गुरू वंदनीय ।। गूरू कल्पतरू ।।

गुरू वाटसरू ।। जीवनको ।।१।।

 

गुरू देखावसे ।। मार्ग सुखकर ।।

महिमा अपार ।। रव्ह सदा ।।२।।

 

पवित्र विचार ।। जीवनको सारं ।।

कर से उद्धार ।। गुरू उच ।।३।।

 

माय बाप सेती ।। पहिलाच गुरू ।।

नाव मी सुमरू ।। जन्मभर ।।४।।

 

शिक्षक रूपमा।। गुरू की प्रतिमा।।

धन्य वा महिमा।। उनकी से ।।५।।

 

शि-शिस्तप्रिय से।।क्ष-क्षमा से गुण।।

क-कर्तुत्ववान।। शिक्षकच ।।६।।

 

करू गुनगान।। करबी सन्मान।।

रव्हती विद्वान।। गुरू जन ।।७।।

 

गुरू रव्ह ज्ञान।। ज्ञानको आरंभ।।

रव्ह दिपस्तंभ।। जीवनमा ।।८।।

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उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरीत)

रामाटोला (अंजोरा) गोंदिया

९६७३९६५३११

 

 

 

 

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धाव् पांडूरंगा

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दुषकाळ पडेव। निसर्ग कोपेव।।

कंठ गां सोकेव। किसानको,,,,,,।।

 

किसानकी व्यथा। देखी नही जाय।।

अन्न दाता आय। भारतको,,,,।।

 

मारसेती हाकं। महिला युवक।।

त्रस्त से कृषक। तोरो बिना,,,,,।।

 

बुडी गा संस्कृति। भ्रष्ट भयी निती।।

गुंग भयी मती । स्वर्थ पायी,,,,,।।

 

काजक चुकेव। सांग देवराया।।

तुच विठ्ठुराया। पांडुरंग,,,,,।।

 

पशु पक्षी प्राणी। शोक गया कंठ।।

भयी वाळवंट।  सृष्टि पुरी,,,,, ।।

 

खेती किसानी की। चलीगयी नमी।।

आव् नही पानी। मेघराजा,,,,,,।।

 

पानी को बिगुर। मरजाहे रोप।।

कसी लगे झोप। किसानला,,,,,।।

 

विनंती से मोरी। पंढरी को राया।।

धाव माहामाया। संकटमा,,,,,,।।

 

धाव् पांडुरंगा । हाक मार् सेती

कर् से विनंती । हिरदीलाल,,!!

 

पुरा अधिकार स्वाधीन

!!! कवी!!!

श्री हिरदीलाल नेतरामजी ठाकरे

पोवार समाज एकता मंच पुर्व नाग

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आत्मकथन

 

सोसवत नाही आता भार

दादाने केले मला लाचार

बंडाने झालो आहे बेजार

काय करू आता?

 

ज्यांना केले मी खूप मोठे

बांधले ज्यांना मानाचे फेटे

सारेच निघतील असे खोटे

विचारही केला नाही.

 

सोडून गेले मजला सारे

भुजबळ, मुंडे, तटकरे

कोणाचे कोणी नाही खरे

स्वार्थाच्या या जगात.

 

पटेल माझा उजवा हात

त्यानेही सोडली साथ

कशी गेली पूर्ण वरात

कळलेच नाही मला.

 

कोणावर करावा विश्वास

कोणाला समजावे खास

कुणाकडूनही आता आस

वाटत नाही  मला.

 

लेक माझी साधी भोळी

भित्रीही आहे थोडी थोडी

तिच्यासाठी अशा अवेळी

काय करावे आता?

 

भाजपाचा असे सारा खेळ

त्याला ईडीचे असे पाठबळ

सर्व मिळून बनविते भेळ

नसावा विरोधी कुणी.

 

आडवे येत आहेत माझेच कर्म

कर्माचे फळ मिळते म्हणतो धर्म

हेच आहे जीवनाचे शाश्वत मर्म

विसरू नये कधीही.

 

- चिरंजीव बिसेन

गोंदिया.

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भेदरा

(आदरनिय बिसेन भाऊ क प्रेरणालक)

 

भाव भायेव सौ क पार भेदरा ला मोठी अक्कळ

गर्मी चळी आंगमा कसे सबला लेयलेवुन जक्कळ

 

सेब, संत्रा, अंगुर,मोसंबी सबसंग से मोरी यारी

का सांगु आता ताकद, मी सेव पेट्रोल दुन भारी

 

बजार मा मोरो लाल रंग देखशान जवर आवसेती

भाव आयकशानी सब भारभिर इत उत परासेती

 

आलु, बगन, कांदा ला चिळावसे,करो ना बिचार

तिस, चाळीस माच काहे लटक्या सेती मोरा यार

 

भाजीमा चार,पाच नहीं अर्धोलक चलाओ काम

मी बनगयेव व्हीआयपी सब ठोको मोला सलाम

 

कांदा कसे भेदराला ,एक ना एक दिवस आयेती

मी भी येतरो रोवावुन मंग तब तोला भुल जायेती.

 

सळक पर सळाघान फेकेती,मंग कसो रोवजो

पैदावारको खर्चभी नहीं निकलनको कंहा सोवजो

 

जमानो बदलत रव्हसे ,कमी तपन कभी बरसात

कधी अमावस्या ना कधी पुनवा की उजाळी रात

 

कोन कब बदलजाए एको नाहाय गा ठिकाणा

म्हणुन कधी नोको करो गर्व ना कोणीला देव ताना

 

आया दिवस चांगला म्हणून इतरांओ नोको कोणी

दुय दिवस की उजाळी रात, मंग अंधारोकीच खानी

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डी.पी.राहांगडाले

गोंदिया

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भेदरा अना कांदा को संवाद

 

१०० रू. दून जादा भाव होनोपर

घमंडमा आयकर भेदरा बोलेव

देखो भट्टा, आलू, कांदा

मोरी किंमत सौ दून भय गयी जादा

सेब संग कर रही सेव बराबरी

अंगूर, मुसंबी, संत्राल् से मोरी यारी

पेट्रोलला बी मीन सोड मंघ देयेव

सब सब्जी इनला मंघ कर देयेव

वा! का मजा आय रही से यहॉ

पर तुमला या बात समझे कहॉ

तुमी ३०- ४० माच अटक्या सेव

वो-ह्या आवो वहॉ कायला लटक्या सेव

मोला आता बहुत सम्हालकर ठेयेव जासे

सब्जीमा दुय चार नही

एक नहीत् अर्धो टाकेव जासे

केवल पैसावाला लेय सिकसेत

गरीब लोक दुरल् सलाम करसेत

मी बी भय गयी सेव आता वी. आय. पी.

मोला लेनसाती लोकइनकी बढ जासे बी. पी.

 

भेदरा की बात आयककर कसे कांदा

जादा हवामा नको उडास होयेत वांदा

या केवल काही दिवस की बातसे

चार दिवस की चांदनी मंग अंधारी रातसे

तू जहाॅ आब सेस, वोको मी भुक्तभोगी सेव

वहॉल् खाल्या आयेव तब पासून

दिल को रोगी सेव.

तू बस काही दिवस वहॉ रह्य सिकजो

नविन फसल आयेव पर खाल्या आवजो

मून जबवोरी  वो-ह्या सेस

शांतील् रव्ह खुशीमा

जब खाल्या आवजो तब

धूलच आहे तोर नशीबमा

कही असो नोको होय जाय

तू येतरो खाल्या पहुंच जाजो

बजार पोहचावनको खर्चा

नही निकलनक् कारण

किसान द्वारा रस्ता फेकेव मिलजो.

 

- चिरंजीव बिसेन

गोंदिया

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साहित्यिक वैभव : एक नवी सोच

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भारतवर्ष ला १९४७ मा  स्वतंत्रता मिलेव को पश्चात आम्हीं  सत्तर साल वरि  शैक्षणिक व आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित करके शिक्षा क्षेत्र मा प्रगति व आर्थिक वैभव प्राप्त करनों मा  बहुत सफल भी भया.  लेकिन येन् दीर्घ कालावधि मा मातृभाषा पोवारी की उपेक्षा अना साहित्यिक वैभव कर दुर्लक्ष ये दुय गुनाह करया. आता आमला या चूक दुहरावनों नाहाय.  समाज ला गौरव प्राप्त करावन साती वोला साहित्यिक वैभव प्राप्त करावनों आवश्यक से,या बात दृष्टिपथ मा आयी त् भाषिक क्रांति सफल करया आता आमरों उद्देश्य निम्नलिखित से-

 

महा क्रांति ला उत्तम ग्रंथों की किनार देबी।

महासंघ को कार्यों ला ग्रंथों लक सजावबी।

पोवारी साहित्य ला सुंदर सम्मुनत करके,

समाज ला नवो साहित्यिक वैभव देवावबी।।

 

ओ.सी.पटले

रवि.९/७/२०२३.

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श्रावण महिना

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आयेव श्रावण मास - मनमा मोठो उल्हास

थंडी को सुटेव वारा गा sssss

करो शिव भोले को जयकारा //ध्रु//

 

च्यार जुलै पासून सुरू भयेव्

बिचमा धोंड्याको मास आयेवं

एकतीस आगस्त वरी- श्रावण महिना भारी

श्रावण की बहे धारा गा sssss

करो शिव भोले को जयकारा //१//

 

कभी आवसे सर सर पाणी

कभी तपसे तपण झोमेवानी

आंग की होसे लाई - गर्मी संभल नही

कधी उजाळो कधी अंधकारा गा sss

करो शिव भोले को जयकारा //२//

 

कभी निकलसे इंद्रधनुष्य बाण

जसी कोणी बांधीसेस तोरण

ढग गर्ज सेती - धाक देखावसेती

बादरमा अलगच नजारा गा sss

करो शिव भोले को जयकारा //३//

 

शिव भोले को मोठो त्योंहार

कावळ लका पाणी की बौछार

नदी को पाणी -कावळ लक आणशानी

करसेती भोले को जयकारा गा sss

करो शिव भोले को जयकारा //४//

 

तन मन लका भोले को ध्यान

सुवासिनी भी करसेती स्मरण

मंदिर जायशानी - आरती उतारशानी

बिनंती कर भवसागर उतारा गा sss

करो शिव भोले को जयकारा //५//

 हर बोला हर हर महादेव

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डी.पी.राहांगडाले

गोंदिया

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प्रिय कर्णधारों...

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आजादी को बाद सत्तर साल पोवारी की उपेक्षा भयी. २०१८मा इतिहास न् करवट बदलीस. येन् पार्श्वभूमी पर आधारित कविता)

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प्रिय कर्णधारों तुम्हीं कमाल कर गयात।

मातृभाषा पोवारी को मोल भूल गयात।

गलत- सलत सोच आगे बढ़ावन साती,

मातृभाषा को खिलाफ ढोल पिट गयात।।

 

प्रिय कर्णधारों तुम्हीं पाठ फेर गयात।

मातृभाषा ला तुम्हीं बेकार कह गयात ।

भाषा विज्ञान को अज्ञान छुपावन साती,

मातृभाषा को तुम्हीं तिरस्कार कर गयात।।

 

प्रिय कर्णधारों तुम्हीं गलत कर गयात।

मातृभाषा ला तुम्हीं हेंगली कह गयात।

बंदर ना जाने अद्रक को स्वाद वाली,

कहावत ला तुम्हीं चरितार्थ कर गयात।।

 

प्रिय कर्णधारों भाषा ला हानी पहुचायात।

भाषिक क्रांति को आमला अवसर देयात।

पहाड़ को खाल्या ऊंट आयेव वाली,

कहावत ला तुम्हीं चरितार्थ कर गयात।।

 

ओ सी पटले

सोम.१०/७/२०२३.

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सागर दुन गहरों प्यार होना

(सामाजिक सिद्धांत पर आधारित)

साहित्य सरिता भाग १०७

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सागर दुन गहरों प्यार होना।

आकाश दुन उंचो स्वाभिमान होना।

कथानक समाज को जीवंत ठेवनसाती,

बोलचाल मा मातृभाषा ला स्थान होना ।।

 

दिल मा मातृभाषा को प्यार होना।

दिल मा मातृभाषा को स्वाभिमान होना।

कथानक समाज को जीवंत ठेवनसाती।

बोलचाल मा मातृभाषा को स्थान होना।।

 

मन मा सनातन धर्म को प्यार होना।

मन मा सनातन धर्म को स्वाभिमान होना ।

कथानक समाज को जीवंत ठेवनसाती,

बोलचाल मा मातृभाषा को स्थान होना ।।

 

सब ला इतिहास को प्यार होना।

सब ला इतिहास को स्वाभिमान होना।

कथानक समाज को जीवंत ठेवनसाती,

बोलचाल मा मातृभाषा को स्थान होना ।।

 

सब ला परंपराओं को प्यार होना।

सब ला परंपराओं को स्वाभिमान होना।

कथानक समाज को जीवंत ठेवनसाती,

बोलचाल मा मातृभाषा को स्थान होना।।

 

-ओ सी पटले

मंग.११/७/२०२३.

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स्टेटस आना सरल

एक गांव मा दुय दोस्त रव्हत होतीन्।अजीज दोस्त होतीन्, हर खुशी हर दुःख साझा करत् होतीन्। दुही का एक एक बेटा होतीन्। आपसी समझ लक् दुही झन बेटा गीनका नाम स्टेटस आना सरल राखीन्।

दुही बालक समय को साथ बढ़त् गईन्! आना आप्ली -आप्ली कला देखावन् लग्या!नाम को अनुसार दुही का गुण आना कर्म, आप्ला आप्ला परिणाम देन् लग्या। दुही का पिताजी सब बात ला गम्भीरता लक् लेते हुए, उनकी रूचि अनुसार छुट देत् गया। समय बीतन् लग्यो, स्टेटस आना सरल आप्ली आप्ली मंजिल कन् बड़न् लग्या।

समय न् दुही ला रोजी रोटी कमावन् को मोड़ पर आनकर् ऊभो कर देयीस्।सरल बचपन लक् जेन: परिवेश मा पल्यो बढ़्यौ ओसोच्  ढलत् गयो। ओन: आप्ली खेती बाड़ी ला जीविका को आधार बनायीस्।

स्टेटस आप्ली रूचि को अनुसार, बाहरी तड़क भड़क ला पसंद करत् होतो, ऊ ओनच् दिशा मा अग्रसर होत् गयो। आना आधुनिकता मा ज़िन्दगी जीवन लाई शहर चली गयो।

सरल बिना झिझक को सरलता लक् मेहनत को साथ आप्ली जरूरत गांव मा रहकर, पुरी करते हुए सहज जीवन बितावन लग्यो। उतन् स्टेटस आधुनिकता की अंधी दौड़ मा शामिल होयकन्,आप्लो रुतबा बनावन् मा लग गयो।

सरल आप्ली आय को हिसाब लक् खर्च करनो मा  अनुभवी होत् गयो, आना बचत लक् आप्ली पुंजी बढ़ावत् गयो। उतन् स्टेटस रुतबा कायम राखन लाई, पहले कर्ज लेत्  होतो, आना बाद मा किस्त भरत होतो। स्टेटस जीवन को रुतबा बढ़ावन् को चक्कर मा, उलझतो जाय रह्यो होतो।

दुही दोस्त आपस मा मिलत् आना खुब चर्चा करत्, स्टेटस आप्ली कामयाबी की खुब बढ़ाई कर:,आना सरल को कभी - कभी उपहास भी ऊड़ाव:। सरल बड़ी सरलता लक्,स्टेटस की बात: काट देत् होतो,ना हास दे।

स्टेटस की आय सरल लक् तीन गुना जास्ती होती, पर किस्त आना ब्याज को बोझ, सहज जीवन लक् दुर लीजाय  रह्यो होतो। स्टेटस को असंयमित बजट बिगड़त् गयो, तो सरल लक् सलाह मांगीस। सरल न आप्ली सोच लक् उपाय सुझायीस त् स्टेटस ला अटपटो सो लग्यो। स्टेटस ला आप्लो रूतबा की चिंता ज्यादा होन् लगी।सरल न्  समझायीस कि, मोठी उलझन लक् मुक्त होनो से, तो ठाठ बदलनो मा कोई गुरेज नहीं करनो चाहिसे।

स्टेटस ला मंग्घ: नहीं मुड़नो होतो, अतः ओन: फैसला करीस् कि, पैतृक सम्पत्ति ला बिकसानी कर्ज लक् मुक्ति पायो जाय। स्टेटस न् आप्ली जमीन बिक्री पर निकाल देयीस। स्टेटस न् जमीन ला अन्दरूनी मा सरल ला बिक्  देयीस। स्टेटस रकम धरकन् फिर रुतबा को साथ शहर चली गयो।

कहानी को सार यो से कि, आधुनिकता की अंधी दौड़ मा शामिल होयसानी कर्जदार बननो मुर्खता से। आमदनी को हिसाब लक् खरचा करें: पाह्यजे।सरल और सहज जीवन आसान,सुखमय, अनुशासित,सुगम्य आना सामाजिक रव्ह से। स्टेटस नामक फितुर न सामाजिक जीवन की दशा आना दिशा बदलकर, मंडली को नाव क्लब, समाज को नाव सोसायटी, रिश्ता को नाव कनेक्शन  कर देयीसेस्।

  यशवन्त तेजलाल कटरे

शनिवार १५/०७/२०२३

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समाज जागृती

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पोवार समाज जागृती की कमी अज बी बहुत दिससे. ताण्या बापू को आमगाव, चंपाष्ठी को मेला, बईल बजार येन नाव लक अज बी बहुत लोक ओळख सेती.

आमगाव तहसील मा कुणबी अना पोवारी समाज को बोलबाला से. पोवार का जानकार अना समाज प्रेमी न आमगाव मा संघटन तयार करीन. कोजागिरी पौर्णिमा पासुन कार्यक्रम ला सुरुवात भयी. काही साल बाद सामूहिक बिहया करन साती पुढ आया. काही मोजका बि हया दुई साल वरी भया. नवा जोळा मिलत नही मून बिहया करनो बंद भयेव.

समाज ला उभ रवन साती जमीन होना मून जमीन लेनको प्रस्ताव ठेईन. रामलाल भाऊ बीसेन गुरुजी न जमीन देनको वादा करीस, आमरा सरीखा समाज प्रेमीन महिना को एक पगार देन ला तयार भया. लेकीन येव प्रयास बेकार गयेव. कोजागिरी पौर्णिमा का कार्यक्रम चल सेती. नवा पिढी का कार्यकर्ता जमीन लेन साती फंड जमा करन प्रयास करीन पर वा बात बनी असो दिस नही. कोजागिरी मा दम काही दिस नही. येको साती पोवार समाज जगावन की बहुत गरज पडीसे. तब समाज प्रगती पथ पर जाये.

हेमंत पी पटले धामणगाव (आमगाव)927211650

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