[21/01, 07:27] Prof Hargovind Tembhare: पोवारी साहित्य अना सांस्कृतिक उत्कर्ष द्वारा आयोजित:-पोवारी साहित्य सरिता भाग ८२

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आदरणीय सब लेखक/कवि/कवियत्री/इतिहास सरंक्षक व सन्माननिय सदस्यगिणला सूचित करनो मा आय रही से की सप्ताह को हर शनवार अना इतवार ला पोवारी साहित्य सरिता को आयोजन करनो मा आय रही से।

 उत्कृष्ट लेख, काव्य रचना, समुह ब्लॉग अना समाज का उत्कृष्ट फेसबुक पेज पर अपलोड करनो मा आयेती l

सबको साथ अना सहयोग भेटे असी सबलक नम्र बिनती🙏🏻 से जी l


🔸रचना पोवारी भाषामाच मान्य होयेती।


🔸गद्य-पद्य रचना ला नाव देनो अना रचना को खाल्या नाव लिखनो अनिवार्य से जी ।


🔸पोवारी कविता, आत्मकथा, संस्मरण, एकांकी, निबंध, कहानी, लघुकथा , पत्र, ऐतिहासिक समाजिक, सांस्कृतिक लेख आमंत्रित सेती।


🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹

       आयोजक

डॉ. हरगोविंद टेंभरे

श्री शेषराव येळेकर

श्री यशवंत कटरे

      मार्गदर्शक

श्री. व्ही. बी.देशमुख

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[21/01, 09:17] Omkar Lal Ji Patle: व्यंग कविता(पोवारी मा)

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मी रायपुर मा रयके ज्ञान  सांगू सू l

पोवार जाति ला पवार लिखूं सू l

मी शाहनो सेव  मोठो संगठन को ,

पूर्वजों को नाक पर निंबू पिरु सू ll


मी नागपुर  मा रयके ज्ञान सांगू सू l

पोवारी भाषा ला  पवारी लिखूं सू l

मी शाहनो सेव मोठो संगठन को ,

पूर्वजों को नाक पर निंबू पिरु सू ll


मोठो शहर मा रयके शान सांगू l

खेड़ा को बंधुओं ला भ्रमित करु सू l

मी शाहनो सेव मोठो संगठन को ,

पूर्वजों को नाक पर निंबू पिरु सू  ll


इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले 

गुरु 19/01/2023.

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[21/01, 09:22] Omkar Lal Ji Patle: #अध्यक्षीय भाषण - ओ सी पटले

( महासंघ को विस्तार संबंधी आयोजित सभा, स्थान -जगत महाविद्यालय, गोरेगांव.)

तिथि:- रवि.२२/०१/२०२३.

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       मनुष्य मा प्राण  होसे. प्रकृति को सभी प्राणियों अना वनस्पतियों मा भी प्राण होसे. सबको जीवन को आधार श्वसनक्रिया  से. तद्वतच प्रकृति को साथ -साथ शरीर को प्रत्येक अंग न् आपआपलो  कार्य संपादित करनो आवश्यक  से. शरीर का अंग ‌यदि कार्य करनो बंद कर देईन त् शरीर कमजोर होय जासे अना भविष्य मा एक दिन नष्ट होय जासे.

         समाज भी मानव शरीर वानी होसे.  जनसमुदाय, प्रबुद्ध वर्ग, सामाजिक संगठन, मातृभाषा अना संस्कृति ये समाज का अंग-प्रत्यंग आती. समाज मा जब वरी सामूहिक चेतना रहें अना समाज को प्रत्येक अंग आप-आपलो कार्य सही ढ़ंग लक करत रहें, तबवरी  पोवार समाज स्वस्थ ‌रहें अना आपलो उत्कर्ष करत रहें 

        अतः वर्तमान  36 कुल पोवार समुदाय मा आम्हीं सब एक आजन, आमरो गौरवशाली इतिहास से, आमरी गौरवशाली पहचान से ,  पोवारी या आमरी मातृभाषा आय अना  सनातन हिन्दू धर्म पर आधारित आमरी  श्रेष्ठ संस्कृति  से. येव भाव जगावन की  नितांत आवश्यकता से. येव  कार्य  संपन्न करनो येव सामाजिक संगठनों को  व साथ-साथ   समाज को प्रबुद्ध वर्ग को भी दायित्व से. लेकिन 1982 पासून  पोवार समाज को  काही संगठनों द्वारा आपलोच समाज की ऐतिहासिक पहचान मिटावन को षड़यंत्र प्रारंभ  भयी से.  वय  "पोवार"  येन् ऐतिहासिक नाव को स्थान पर "पवार" अना मातृभाषा को "पोवारी" येन् ऐतिहासिक नाव  को स्थान पर  "पवारी"  येव नवीन अनुचित  नाव प्रतिस्थापित करन को षड़यंत्र कर रहया सेत.  पोवार जाति मा अन्य काही जातियों ला मिलावन  साती या साज़िश चल रहया सेत .अतः वर्तमान समय मा पोवार समाज को अस्तित्व पर संकट का बादल मंडराय रहया सेत . असी अवस्था मा समाज को अस्तित्व की लड़ाई लड़नो येव समाज को प्रबुद्ध वर्ग ( शिक्षक, प्रोफेसर, प्रशासनिक अधिकारी, उन्नत किसान, उद्यमी, इंजीनियर,  वकील, डाॅक्टर , पत्रकार आदि.) को दायित्व से. या बहुत हर्ष की बात से कि पोवार समाज को  युवा प्रबुद्ध वर्ग "अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार (पंवार) महासंघ" को बॅनर खाल्या संगठित होयकर आपलो अस्तित्व अना ऐतिहासिक पहचान की लड़ाई पूरी क्षमता को साथ लड़ रही से. अतः समाज को समस्त बंधुओं - भगिनियों ला विनम्र निवेदन से कि पोवार समाज की ऐतिहासिक पहचान व अस्तित्व बचावन साती, पोवार समाज की अस्मिता व स्वाभिमान को संरक्षण साती तुम्हीं सभी निष्ठापूर्वक अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार (पंवार) महासंघ को कंधा ला कधा लगायके उभो रहो, आपलो अमूल्य योगदान देव अना  येन् संकट को घड़ी मा आपलो समाज की अस्मिता व स्वाभिमान को पूर्ण सामर्थ्य लक रक्षण करों.

        पोवारी स्वाभिमान क्रांति मा सहभागी सभी स्वजनों को उनको अमूल्य योगदान साती अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार (पंवार) महासंघ कर लक बहुत बहुत हार्दिक अभिनंदन से. पोवारी स्वाभिमान क्रांति मा अमूल्य योगदान को उपलक्ष्य मा न्यूज़ प्रभात डिजिटल नेटवर्क का संपादक श्री. सुनिल गौतम, उपसंपादक श्री धनराज भगत  अना न्यूज प्रभात ई --पेपर की  संपूर्ण टीम को  भी बहुत बहुत हार्दिक अभिनंदन.


ll जय प्रभु श्रीराम ll

 ll जय राजा भोज ll

      

#इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

#बुध. 18/01/2023.

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[21/01, 09:30] Umendra Bisen: जीवन की राह 

(त्रिपदीराना काव्य)

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सुरवात जीवनमा कोरी होसे

दिशा नवी जीवनला मिलता

कलाटणी जीवनच लेसे.


खुशहाल जीवनलायी राह धरो

नवा संकल्प जीवनका ठेयके

यशस्वी जीवनला करो.


पान जीवनका भरो खुलके

रंग नवो जीवनमा मिलाय 

जिओ जीवनला हसके.

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उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरीत)

रामाटोला गोंदिया (श्रीक्षेत्र देहू पुणे)


 पोवारी भाषा मा एक प्रयास ✒️

[21/01, 14:01] Govardhan Bisen: २६ जनवरी २९२३ ला बसंत पंचमी पर विशेष कविता....


🌷ऋतू बसंतकी शान🌷

(वर्ण संख्या - १६, यती - ८)


येनं भारत देशमा, सय ऋतूमा महान |

झलकसे धरापर, ऋतू बसंतकी शान ||धृ||


दिसं मोवरी खेतमा, सुरू भयेव बसंत |

होय रहीसे थंडीको, आता धिरुधिरु अंत ||

दिसं धरती पिवरी, शिवारमा आयी जान |

झलकसे धरापर, ऋतू बसंतकी शान ||१||


खिली उंबई गहूकी, बार आंबाला आवसे |

बगिचामा कोयार बी, कूहू कूहूके गावसे ||

बड़ी मोहक फिपोली, उड़ासेती रहुऱ्यान |

झलकसे धरापर, ऋतू बसंतकी शान ||२||


खेल देखो बादरमा, रंग बिरंगी रंगको |

दिसं सुंदर केतरो, वऱ्या मस्त पतंगको ||

वऱ्या सुर्यको तेजलं, चमकसे आसमान |

झलकसे धरापर, ऋतू बसंतकी शान ||३||


गोड़ी रव्हसे हवामा, सुरू होसे पानझड़ी |

हर अंतको बादमा, नवी उकलसे कड़ी ||

सांग नवी सुरुवात, नवो पालवीको पान |

झलकसे धरापर, ऋतू बसंतकी शान ||४||


चोला बसंती पेहर, नारी दिससे सुंदर |

बसंतको पंचमीला, सृष्टी खिली मनोहर ||`

होसे सरस्वती पुजा, अज सब मिलशान |

झलकसे धरापर, ऋतू बसंतकी शान ||५||


राजा भोजकी जयंती, हर गावमा मनावो |

पोवारीको स्वाभिमान, हर मनमा जगावो ||

होय रहीसे जागर, आता उचलो कमान |

झलकसे धरापर, ऋतू बसंतकी शान ||६||


© इंजी. गोवर्धन बिसेन "गोकुल"

    गोंदिया, मो. ९४२२८३२९४१

[21/01, 18:15] Hemantkumar Patle: पोवारी साहित्य सरिता ८२

दिनांक:२१:१:२०२३

 पोवार का जानकार !

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पोवार का जानकार, बिचार मा बस्या सेती

कसो करबिन कसेती, समाज की उन्नती ||ध्रु||

पोवारी समाज ला, कोन तो लगीसे रोग

रहकर समाज मा, बुराई बसिसे करत |

लग्या सेती सोडनला, रीती रीवाज दस्तुर

नक्कल दुसरोंकी से, पड रहिसे असर |

यहा मन को भ्रम ला, दुर कऱ्या जासेती ||१||

तोंड को स्वाद परा, जावो नोको सब भूल

मन को विवाद ला, बसकर करो हल |

जेको बस मा से स्वाद, तन को फायदा बेस

विवाद सोडेव परा, पक्का बनसे समाज |

सुख शांती बनावन , बिचार पटाव सेती ||२||

नम्रता गुण आधार, बन्या वय महान

चंदन सरिखा कर्म, जेन करीस धारन |

चंदन जसी महक, पोवार की रहे शान 

देये समाज आधार, उच बने गुणवान |

संघटन की शक्ती ला, देवो कसेती मजबुती ||३||

हेमंत पी पटले धामणगाव (आमगाव)९२७२११६५०१

[22/01, 09:11] Rishi Bisen: पोवार(३६ कुरया पंवार) समाज अना गौरवशाली पोवारी संस्कृति

            पोवार(३६ कुरया पंवार) समाज को इतिहास गौरवशाली से। पौराणिक कथा इनको अनुसार समाज की उत्पप्ति मानवता अना पुरी पृथ्वी को कल्याण लाई भयी से। इतिहास मा उल्लेखित से की पोवार समाज को पहिले उज्जैन अना फिर धार लक़ देश दुनिया मा शासन भयो। पोवार सम्राट विक्रमादित्य, शालिवाहन, उपेंद्र, सियाक, मुंजदेव, भोजदेव, उदियादित्य, जगदेव, लक्ष्मणदेव लक़ महलकदेव अस कई मोठा मोठा राजा भईन जिनना राजधरम को पालन कर देश दुनिया सब लक़ उत्तम अन जनता को हित मा शासन देयकन यन पृथ्वी को शोभा बढ़ाइन। बाद मा इतन लक़ समाजजन को विस्तार कई जागा मा भयो। मालवा का यव छत्तीस कुरया पोंवार बादमा वैनगंगा क्षेत्र मा आयकन बस गईन। अज़ भी इनना आपरी संस्कृति अन भाषा ला साबुत राखीसेत्।

          आता समय को संग लोख दुनिया आधुनिक होन की होड़ मा आपरी भाषा, नेंग दस्तूर अन् संस्कृति ला बिसर रही सेत्। आपरी पहिचान, नाव अना संस्कृति को त्याग कोनी भी समाज लाई सही नहाय। पोवारी संस्कृति, सनातनी संस्कृति से अना येकोमा पोवारी भाषा, नेंग-दस्तूर, रिश्तेदारी, पोवारी मूल्य-मानदंड, सन्-तिव्हार आदि समाहित सेती।

           आपरो देवघर मा सप्पा देवी-देवता अन् पुरखा-ओढ़ील इनकी पावन आत्मा को वास रवहसे, असी मानता से। येको यव मायने से की आमी सनातनी होनको संग आपरो पुरखा ओढ़ील इनको खूब मान राख़सेजन अना संगमा आपरो रिश्ता नाता इनला खूब मान देसेजन, त् मंग भविष्य मा भी हमला आपरी यन गौरवशाली विरासत ला पीढ़ी दर पीढ़ी साबुत राखन को से। आधुनिक होन को यव मतलब नहाय की कोनी भी समाज आपरी संस्कृति अना पहिचान लक़ विहीन होय जाय । खूब तरक्की करनो से परा यन तरक्की को संग आपरी संस्कृति, भाषा अना ऐतिहासिक पहिचान ला भी यथावत ठेयकन राख़नों से।

जय पोवार(३६ कुरया पंवार)समाज

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[22/01, 09:20] Gulab Bisen: होये समाजोत्थान.......


करबी बात

देबी साथ

होये समाजोत्थान.......


सोळबी मी

कवबी आमी

होये समाजोत्थान.......


आजन पोवार

रवबन पोवार

होये समाजोत्थान.......


लेबी ज्ञान

देबी मान

होये समाजोत्थान.......


✍🏽 अध्या. गुलाब बिसेन, सितेपार (तह. तिरोडा, जि. गोंदिया)

[22/01, 21:44] Tumesh Patle: (जगत मा राज)


धरम को काज करनो से,

जगत मा राज करनो से.


काग की कांव पर आता,

स्वयं ला बाज करनो से.


पंवारी जात को  सबला,

रोज ही साज करनो से.


बोल  से  आपरो  मीठो, 

बोल पर नाज़ करनो से.


भोज को ओज से मोठो,

ओज ला ताज करनो से.


माय गड़कालिका घट मा,

जाप ही आज करनो  से.


@सारथी

[22/01, 22:26] Mahen Patle: यतो धर्मः ततो जयः 


यव एक संस्कृत श्लोक आय । 


यव भारत को सर्वोच्च न्यायालय को ध्येय वाक्य बी आय । 

यव महाभारत मा कुल ग्यारा बार आवसे । 


यको मतलब से 

"जहाँन धर्म से वहाँन जीत से।


आमला धर्म पर चलनों से , सत्य परा चलनो से । 


सत्य की राह मा जो टांग अड़ावसे , असत्य को साथ देसे , दरअसल वु अधर्म को साथ देयकर खुदको प्रारब्ध बिगाड़से । 


खुदको प्रारब्ध बिगाड़के कोणी  सुखी  भयी से कबी अजलक भला ? 


अधर्म को साथ देयकर मनुष्य स्वयम च जीवन मा दुख को भागी बनसे।


🙏🏻🙏🏻🙏🏻🚩

[23/01, 08:56] Chhaya Pardhi: जब भी आमी मंत्र को माला लक जप कर सेजन, त 108 बार कर सेजन काहे की एक माला मा 108 मनका रवसेत. 108 की संख्या ला लगित  शुभ मानेव गई से. तूमला जानकर हैरानी होये कि राम-राम कहे लक 108 को योग बन जासे. मंजे राम-राम एक साथ बोलनो ही एक माला को समान मानेव गयी से . असल मा अगर हिंदी की शब्दावली पर गौर करबिन त ‘र’ सत्ताइसवो शब्द से, ‘आ’ की मात्रा दूसरो अना ‘म’ पच्चीसवो शब्द से. आब अगर इन तीनईंको योग करेव गयेव त 27 + 2 + 25 = 54 होसेत. 54 + 54 = 108 . मुन राम-राम कवनो लक 108 को योग बन जासे. येको तात्पर्य  कि राम-राम कवनो लक एक माला जाप को समान पुण्य की प्राप्ति होसे.

[23/01, 09:39] Hemantkumar Patle: पोवारी काव्य स्पर्धा १४६

विषय: राजा भोज जयंती

दिंनाक:२३:१:२०२३      

पोवारी जात

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 पोवारी जात पर से, गर्व बडो आमला

समाज आयी से, भोज राजा को जयंतीला ||ध्रु||

नवो साल मा आवसे, जनवरी को मास

राजा भोज की जयंती, मनावो तुम्ही खास |

भाग्य वान आमरा, पोवारी समाजवाला ||१||

दुर दुर का पावना, आवन लग्या सेती

बिचार अनमोल ये, पटन लग्या सेती |

भाई चाराको संदेश, लग्या वय देनला ||२||

एक हात की टाळी, बजे कशी भाऊ याहा

समाज आपलो से, नको ठेवू भेद मनमा |

खुशी खुशी आवो, समाज सेवा करनला ||३||

पोवारी को गुणगान, करो सब मिलकर

पोवारी की अस्मिता, जगमा रहे अमर |

देवो नोको मीटन, पोवारी को शान ला ||४||

रामजीकी जय हो, गढ कालिकाकी जय हो

राजाभोजकी जय हो, पोवारी समाजकी जय हो |

हातभार की गरज, समाजको जोडनला ||५||

हेमंत पी पटले धामणगाव (आमगाव)९२७२११६५०१

[23/01, 14:00] Hirdi Lal Thakre: =========================

गोरेगांव मा संपन्न भयी सहविचार सभा

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परमश्रद्धेय श्री आदरणीय सन्माननीय समस्त जनमानस व समाजबंधु सबला हिरदीलाल ठाकरे को सहृदय सादर प्रणाम जय राजा भोज, सबला सुचित करनो मा बहुत बहुत आनंद होय रही से की, अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार/पंवार माहासंघ की सहविचार सभा को आयोजन दि २२-०१-२०२३ रोज रविवारला जगत कॉलेज गोरेगांव जिल्हा गोंदिया माहाराष्ट्रा याहा करनोमा आयेव होतो, येन् सहविचार सभा को आयोजन अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार/पंवार माहासंघ माहाराष्ट्र प्रदेशाध्यक्ष श्री खूशालजी कटरे इनको नेतृत्वमा भयेव, येन् सहविचार सभा का अध्यक्ष श्री ओ, सी, पटलेजी संरक्षक अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार/पंवार माहासंघ भारत, उद्घाटक श्री छगनलालजी राहांगडाले सचिव माहाराष्ट्र प्रदेश कार्यकारिणी, श्री पुनारामजी गौतम जिल्हा उपाध्यक्ष नागपुर जिल्हा, श्री तिनेन्द्रजी टेभंरे जिल्हा सचिव नागपुर जिल्हा इनको शुभहस्ते भयेव, दिपप्रजलन सहविचार सभा मा उपस्थित समस्त सम्माननीय सजातीय समाजबंधु को शुभहस्ते भयेव, सहविचार सभा को प्रस्ताविक श्री खूशालजी कटरे प्रदेशाध्यक्ष इनन् करीन, !!

         पोवारी प्रवक्ता श्री हिरदीलाल ठाकरे राष्ट्रीय संगठन सचिव अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार/पंवार माहासंघ भारत इनन् आपलो वक्तव्यमा सांगीन की, भारतीय अखंडता और भारतीय एकता साती समस्त भारतीय समाज व मानव समाज एकत्रित आवन की बहुत बहुत गरज से अना सब भारतीय समाज एकत्रित आये पायजे पर, समाजिक एकता व अखंडता साती रोटी बेटी को रिस्ता, शादी ब्याह, मिश्रित संस्कृति संस्कार, मिश्रित साहित्य, मिश्रित मायबोली व अन्य समाज को विलिनीकरण करन की गरजच नाहाय, रोटी बेटी शादी ब्याह साती सिर्फ अना सिर्फ आमरा छत्तिस कुल ही सजातीय मान्या जाहेत, आमरो छत्तिस कुल को अलावा अन्य कुलमा बिह्या करनेवाला अंतरजातीय विवाह मान्या जाहेत, आमरो पोवार समाजमा अन्य समाज को मिश्रित कार्य व विलिनीकरण मान्य नाहाय, समाज का बेटा-बेटी मायबाप को विरुद्ध शादी ब्याह कर् सेत या घटना आय पर मायबाप आपलो स्वइच्छा लक अन्य समाजमा बिह्या कर् सेत या एक दुर्घटना आय, पोवार समाज की संस्कृति संस्कार व पौराणिक ओळख, आमरो पुरातनकाल पासून चलत आयेव गौरवशाली इतिहास व स्वाभिमान तसोच पोवार समाज को पुरातनकाल पासून चलत आयेव गौरवशाली नाव पोवार/पंवार येको संवर्धन व संरक्षण करनो आमरी नैतिक जिम्मेदारी व आमरो जन्मसिद्ध अधिकार से, जब् जब् भी पोवार समाज को अस्मितापर व स्वाभिमान पर आघात होये तब् तब् आमला समाजकी ढाल बनकर समाजको संवर्धन व संरक्षण करन साती सामने आवन की गरज से, समाजको समाजोत्थान साती व सर्वांगीण विकाससाती प्रयत्न करनेवाला प्रयत्नवादी कृर्तुत्वनिष्ठ मर्द इनकीच समाजला सक्त गरज से, समाजपर आत्याचार व समाजको मातृत्वला ठेस पहुंचने वाली टिका टिप्पणी आमरो महिला ( आई बहिन ) पर होता देखकर भी डोरा बंद करनेवाला दैववादी नामर्द की समाजला गरज नाहाय असा बिचार व्यक्त करीन!!

        माहाराष्ट्रा प्रदेशाध्यक्ष श्रीमती माधुरीताई राहांगडाले इनन् समाजोत्थान साती बहुत बहुत सुंदर बिचर व्यक्त करीन, कोणतो संगठन को पदाधिकारी इनन् काजक काजक करीन येकोपर बिचार न करता आमला समाजसाती व समाजोत्थान साती काजक काजक चांगलो व समाज हित मा करन को से येकोपर विशेष लक्ष देनकी गरज से असो सुंदर व साकारात्मक उत्सुकता को वक्तव्य श्रीमती माधूरीताई राहांगडाले इनन् करीन, मध्यप्रदेश का प्रयत्नवादी कृर्तुत्वनिष्ठ प्रदेशाध्यक्ष श्री प्रल्हादजी पटले इनन् हिंदी मा बिंदी को जेतरो महत्त्व से वोतरोच जास्त महत्त्व आपलो पोवार पंवार समाज को पुरातनकाल पासून चलत आयेव गौरवशाली पोवार पंवर नावला बिंदी या मात्रा को से असो सुंदर वक्तव्य बहुत ही कम शब्दमा पर पुरो पुरो सहविचार सभा को उद्देश खरोखर साकार करीन, मंचासीन पाहुणा पाहुणी इनन् बहुत बहुत सुंदर बिचर व्यक्त करीन, सहविचार सभा का सन्माननीय अध्यक्ष श्री ओ सी पटलेजी संरक्षक अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार पंवार माहासंघ भारत इनन् आपलो अध्यक्षिय वक्तव्यामा पोवार पंवार समाज को समाजोत्थान वाटचाल साती व पोवार पंवार समाज को संस्कृति संस्कार अना संरक्षण व संवर्धनमा तसोच पोवार समाज को गौरवान्वित इतिहास व स्वाभिमान सादा कायम ठेवनोमा अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार पंवार माहासंघ की भूमिका स्पष्ट रूप लक साझा करीन !!

       सहविचार सभा मा उपस्थित समस्त सम्माननीय सजातीय समाजबंधु को सर्वसम्मती लक आमगांव तालूका, सालेकसा तालूका, गोरेगांव तालूका, मोरगांव अर्जनी तालूका, देवरी तालूका, तिरोडा तालूका का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव की नियुक्ति करके नियुक्तिपत्र प्रदान करनो मा आया, नवनिर्मित अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव इनला आपलो आपलो तालूका मा कार्यकारिणी पदाधिकारी व सदस्य तसेच संरक्षक समिति की नियुक्ति करके नियुक्तिपत्र प्रदान करके उनको नाव, उनको पद, उनको गांव व दुरध्वनी क्रमांक की पुर्ण जानकारी अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार/पंवार माहासंघ भारत को राष्ट्रीय अध्यक्ष सनमाननीय विशालजी बिसेन व राष्ट्रीय माहा सचिव सन्माननीय नरेशजी गौतम इनको जवर सादर करन को निवेदन करनो मा आयेव, या सहविचार सभा भव्य दिव्य स्वरुप व बहुत बहुत सुचारु रूप लक संपन्न भयी, येन् सहविचार सभा को बहुत बहुत सुंदर संचालन करनेवाला सन्माननीय बिसेन सर अना बहुत बहुत तडपदार व स्वाभिमान तसोच पोवार समाज की अस्मिता ला ध्यान मा ठेयकर आभार व्यक्त करनेवाला प्रयत्नवादी कर्तृत्वनिष्ठ ब्रम्हनिष्ठ निष्ठावान श्री राणे सर अना टाइम मा लक टाइम निकालकर सहविचार सभा मा उपस्थित समस्त सम्माननीय सजातीय समाजबंधु को सहृदय सादर अभिनन्दन आणि कोटि कोटि आभार!!

                लेखक

श्री हिरदीलाल नेतरामजी ठाकरे नागपुर

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[23/01, 18:29] Omkar Lal Ji Patle: #पोवारी अस्मिता ला समर्पित कविता

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महासभा वाला  साज़िश कर रहया सेती l

पोवारी अस्मिता ला नष्ट कर रहया सेती ll


समाज पर पवार नाव थौप रहया सेती l

समाज की पहचान मिटाय रहया सेती  l

साजिश से उनकी अस्तित्व मिटावन की ,

लड़ाई से आमरी ‌अस्मिता बचावन की  ll


समाज पर  पवारी नाव थौप रहया सेती l

मातृभाषा की पहचान मिटाय रहया सेती l

साज़िश से उनकी अस्तित्व मिटावन  की,

लड़ाई से आमरी अस्मिता  बचावन की  ll


वंशवाद को फांसा मा फंसाय रहया सेती l

पोवारों की जाति ला नष्ट कर रहया सेती  l

साज़िश से उनकी अस्तित्व मिटावन  की,

लड़ाई से आमरी अस्मिता बचावन  की ll


#इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

#पोवारी स्वाभिमान आंदोलन, भारतवर्ष.

#शनि.21/01/2023.

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[24/01, 22:01] Yashwant Katre: आपरो गांव

जनम लेयीसेजन येन माटी मा,

येला छोड़कर कहीं नहीं जाहो रे।

जो सुख मिलसे गांव मा आपरो,

अखीन कहीं ना पावो रे।।

ये खलीहान खेत घर आंगन,

बिसारयो नहीं बिसरत।

केतरी कतार लगत बेहेर पर,

रूप छुपया झाककर घुंघट।

छलक छलक जाय आखन लक,

प्रेम को मिठो भाव रे।। जो सुख....

लग गई झड़ी चौमासन की,

भर गया ताल तलैया।

कसा मोहक लगसेती खेत मा,

भसी, पड़वा , बछड़ा ना गाय।।

मिट गई पीड़ा काम की,

जब बसया आम्बा की छांव रे।।जो सुख....

कर बसया तन संग समझौता,

धान, तोर, मूंग ना घुइयां।

चली बहुरिया खेत निन्दन ला,

पांव मा नहीं पैज्जनिया।

बांध सिदोरी धरीस ढोई पर,

ध्यान पिया को आव रे।। जो सुख....

बनत बुलया कुसुम घर घर बड़ा सुवारी,

बांधत लाडु घर घर मा गुंजा ना   घिवारी।

फीका लगत भोग छप्पन तब,

दुध,मलाई,महरी चीख खाव रे।। जो सुख......

यशवन्त कटरे

२४/०१/२३

[26/01, 21:58] Rishi Bisen: 🌻सरस्वती वंदना🌻

(वर्ण संख्या - १४, यती - ८)

(राग - दुर्गा, ताल - भजनी ठेका)


नमो वागदेवी माता, नमो शारदा मा |

जागा थोड़ीसी देयदे, मोरो हिरदामा ||धृ||


चतुर्भुजा देवी वेद, माला, वीणा धारी |

एक हात आशिषको, से कल्याणकारी ||

भक्ती, ज्ञान, संगीतको, पेहराव जामा |

जागा थोड़ीसी देयदे, मोरो हिरदामा ||१|| नमो..


बसनला शुभ्र श्वेत, कमलको फूल |

शोभं मस्तक मुकूट, कानमाका डूल ||

हार गरोमा शोभसे, तेज चेहरामा |

जागा थोड़ीसी देयदे, मोरो हिरदामा ||२|| नमो..


सेस सरस्वती माता, तू मंगलकारी |

तेज श्वेतांबर धारी, तू हंस सवारी ||

माय करुसू बंदना, तोरोच श्रध्दामा |

जागा थोड़ीसी देयदे, मोरो हिरदामा ||३|| नमो..


पुरो जगमा विख्यात, राजा भोज मोरो |

ग्रंथ चौऱ्यासी रचीस, किरपालं तोरो ||

वागदेवी मोलाबी तू, ठेव किरपामा |

जागा थोड़ीसी देयदे, मोरो हिरदामा ||४|| नमो..


विद्या संगमा ज्ञानको, भरदे प्रकाश |

अज्ञानको इंधारोको, करदे तू नाश ||

ज्ञानचक्षू मोलाबी दे, लिखू कवितामा |

जागा थोड़ीसी देयदे, मोरो हिरदामा ||५|| नमो..


© इंजी. गोवर्धन बिसेन "गोकुल"

       गोंदिया (महाराष्ट्र) 

       मो. ९४२२८३२९४१

[28/01, 09:47] Prof Hargovind Tembhare: पोवारी साहित्य अना सांस्कृतिक उत्कर्ष द्वारा आयोजित:-पोवारी साहित्य सरिता भाग ८३

💐🚩💐🚩💐🚩💐🚩💐🚩

आदरणीय सब लेखक/कवि/कवियत्री/इतिहास सरंक्षक व सन्माननिय सदस्यगिणला सूचित करनो मा आय रही से की सप्ताह को हर शनवार अना इतवार ला पोवारी साहित्य सरिता को आयोजन करनो मा आय रही से।

 उत्कृष्ट लेख, काव्य रचना, समुह ब्लॉग अना समाज का उत्कृष्ट फेसबुक पेज पर अपलोड करनो मा आयेती l

सबको साथ अना सहयोग भेटे असी सबलक नम्र बिनती🙏🏻 से जी l


🔸रचना पोवारी भाषामाच मान्य होयेती।


🔸गद्य-पद्य रचना ला नाव देनो अना रचना को खाल्या नाव लिखनो अनिवार्य से जी ।


🔸पोवारी कविता, आत्मकथा, संस्मरण, एकांकी, निबंध, कहानी, लघुकथा , पत्र, ऐतिहासिक समाजिक, सांस्कृतिक लेख आमंत्रित सेती।


🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹

       आयोजक

डॉ. हरगोविंद टेंभरे

श्री शेषराव येळेकर

श्री यशवंत कटरे

      मार्गदर्शक

श्री. व्ही. बी.देशमुख

🚩🏵️🕉️🕉️🏵️🚩

[28/01, 20:27] Rishi Bisen: 🌺पोवारी साहित्य सम्मेलन 🌺

                अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार(पंवार) महासंघ, छत्तीस कुरया पोवार समाज की संस्कृति को रक्षन अन् समाज को उत्थान लाई समर्पित संस्था आय। पोवार समाज लाई यव मोठो स्वाभिमान को विषय से की यन समाज की आपरी येक भाषा आय जेको साहित्यिक अन् पुरातन नाव पोवारी से जेला पंवारी भाषा भी कसेती। क्षत्रिय पोवार महासंघ को द्वारा सन् 2021 पासून बसंत पंचमी अन् समाज को आदर्श महाराज भोजदेव को जन्मोत्सव परा पोवरी साहित्य सम्मेलन को आयोजन की शुरुवात भयी होती। क्षत्रिय पंवार महासंघ को द्वारा बरस २०२३ मा भी बसंत पंचमी को अवसर परा दिनांक २६ जनवरी ला तीसरो पोवारी साहित्य सम्मेलन को आयोजन करनो मा आई से। यन कार्यक्रम को आयोजन सीधो सम्पर्क(ऑनलाइन) माध्यम लक़  भयो।

             पोवारी भाषा, पोवार(छत्तीस कुरया पंवार) समाज की आपरी भाषा अन पुरातन विरासत से। हर बरस बसंत पंचमी को अवसर परा समाज को राजा भोज को जन्मोत्सव को आयोजन करयो जासे। बसंत पंचमी को दिवस माय सरस्वती की पूजा अर्चना को विधान से अन महाराजा भोजदेव उनको वरद पुत्र कवहन मा आवसे। असी मानता से की राजा भोज की भक्ति लक़ ख़ुश होयकन माता न् आपरो वाग्देवी स्वरूप मा उनला दर्शन देई होतिन। माता ज्ञान की देवी से अन् ओनकी प्रेरणा लक राजा भोज न् ज्ञान लक़ समाज को उत्थान लाई भोजशाला की स्थापना करीन। भोजशाला, दुनिया मा संस्कृत अना सनातन संस्कृति को पहिलो विश्वविद्यालय होतो। यन् विश्वविद्यालय मा राजा भोज न् माय वाग्देवी को मंदिर स्थापित करीन।

                राजा भोजदेव को जनम पोवार समाज मा भयो होतो अन अज़ उनको वंशजों इनको द्वारा आपरो आदर्श राजा को जन्मदिन को पावन अवसर परा, पुरखा इनकी भाषा, मायबोली पोवारी को संरक्षण अन जतन लाई पोवारी साहित्य सम्मेलन को आयोजन, उनको प्रति सही मायनो मा सच्ची श्रद्धांजलि से। पोवारी भाषा, छत्तीस कुरया पंवार समाज की मातृभाषा होनको संग समाज को इतिहास अन संस्कृति ला आपरो मा समाहित करखन, येक वैभवशाली सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत आय।

               क्षत्रिय पंवार(पोवार) महासंघ को द्वारा आयोजित, तीसरो पोवारी साहित्य सम्मेलन की शुरूवात विद्या अन ज्ञान की देवी माय सरस्वती की पूजा अर्चना लक़ भई। पोवारी को साहित्यिक अन इंजीनियर श्री गोवर्धन जी बिसेन को द्वारा दीप प्रज्जलवन अन सरस्वती वंदना प्रस्तुति भई। वरिष्ठ साहित्यकार श्री वाय सी चौधरी जी को तबला वादन अन विचारक श्री एम सी रहाँगडाले को हारमोनियम परा प्रस्तुति को संग श्री गोवर्धन जी बिसेन को द्वारा सरस्वती वंदना की मधुर अन संगीतमयी प्रस्तुति लक़, पोवारी साहित्य सम्मेलन की शुरुवात न बसंतउत्सव को उल्लास ला साजरो सांस्कृतिक स्वरूप देयखन कार्यक्रम ला आनंदित अन संस्कृतिमय कर देईन।

              यन कार्यक्रम मा इंजी. गोवर्धन बिसेन "गोकुल", डाॅ. प्रल्हाद हरिणखेड़े "प्रहरी", अध्या. गुलाब जी बिसेन, श्री ऋषिकेश गौतम जी, डॉ. हरगोविंद टेंभरे जी, इंजीनियर श्री महेन पटले, उमेंद्र युवराज बिसेन "प्रेरीत", सौ छाया सुरेन्द्र पारधी, श्री यशवंत जी कटरे, श्री छगन जी रहाँगडाले, श्री हेमंतकुमार जी पटले, डाॅ. शेखराम जी येड़ेकर, सौ कल्याणी जी पटले गौतम ना आपरो समाज को इतिहास, भाषा, संस्कृति, आदर्श राजा, सामाजिक-सांस्कृतिक जसो अनेक विषयों परा विभिन्न विधा परा पोवारी भाषा मा साहित्यिक प्रस्तुति देईन।

            कार्यक्रम का मुख्य अथिति वरिष्ठ साहित्यकार और इतिहासकार प्राचार्य श्री ओ सी पटले जी होतिन। कार्यक्रम को आखिर मा अध्ययक्षीय सम्बोधन, समाजसेवी अन पोवार महासंघ को प्रदेश अध्यक्ष प्राचार्य श्री खुशाल जी कटरे को द्वारा देन मा आयो। आभासी जनसंपर्क माध्यम लक़ आयोजित यन कार्यक्रम मा क्षत्रिय पोवार(पंवार) महासंघ का अनेक पदाधिकारी, साहित्यकार, समाजसेवी अन् समाजजन जुड़कन उनना पोवारी कविता, गद्य अखिन पोवार समाज की ऐतिहासिक साहित्यिक चर्चा को आनंद लेईन। कार्यक्रम मा गोड़ वानी पोवारी मा सफल अना काव्यमय संचालन श्री रणदीप जी बिसेन, कोषाध्यक्ष, क्षत्रिय पोवार महासंघ को द्वारा भयो । कार्यक्रम मा सौ. शारदा चौधरी रहाँगडाले जी, सचिव, महिला शाखा, महाराष्ट्र प्रदेश को द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव देनमा आयो।

           असो सफल अना संस्कृति लक़ परिपूर्ण कार्यक्रम करन लाई क्षत्रिय पोवार(पंवार) महासंघ ला लगित लगित बधाई अन शुभकामना अखिन संग मा आशा से महासंघ असच कार्यक्रम करखन आपरी पोवारी भाषा अना मोठी वैभवशाली विरासत् ला संजोयकन ठेहेती।

✍️ऋषि बिसेन, बालाघाट

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[28/01, 20:59] Hemantkumar Patle: पोवारी साहित्य सरिता भाग ८३

दिनांक:२८:१:२०२३

         राजा भोज

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राजा भोज जयंती पर से उल्हास 

शुभ दिवस बसंत पंचमी को खास |

पोवार संस्कृती को करो गुणगान

जगभर बनावो आपली पहचान ||१||

तिसरो साहित्य संम्मेलन बनेव खास

बसंत पंचमी पर पुरी भयी आस |

पोवारी साहित्यिक बस्या आनलाईन

प्रस्तुत भया काव्य लेख गुंजन ||२||

बसंत पंचमी ला भयेव स्वयंबर

वधू रुखमीन संग मा विठ्ठल वर |

पंढरपूर से हरिनाम को गजर

संत समाज की देव भूमी सुंदर ||३||

सव्वीस जनवरी को गणराज्य दिन 

अमल करीन भारत को संविधान |

तिरंगा ध्वज भारत को रहे अमर

राष्ट्र भक्ती को खातिर मर गया वीर ||४||

याद भऱ्या दिन को महत्व ला जान

खुशी लक नाच उठसे सब को मन |

इच्छा को जोर परा याद करो प्रसंग

येन दिन की महिमा गावो सब संग ||५||

हेमंत पी पटले धामणगाव (आमगाव)९२७२११६५०१

[28/01, 21:25] Umendra Bisen: पर्यायी शब्द वापरकन काव्य रचना करन को एक प्रयास 


माय की महिमा 

**********

आई रव्हसे सब

टूरापोट्टूकी माय

दुनिया की जननी 

माता दुध की साय.


पूजन करबीन

करकन वंदन 

पूजनीय मायला 

हमेशा से नमन.


बढीया वा माऊली

सुंदर हिरदय

संगत मनोहर 

मिटसे सारो भय.


आवाज आयकन

मधूर जसो सूर 

टूरापोट्टू का स्वर 

माय लायी मधूर.

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उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरीत)

रामाटोला गोंदिया (श्रीक्षेत्र देहू पुणे)

[28/01, 21:29] Govardhan Bisen: २६ जनवरी २९२३ ला बसंत पंचमी पर विशेष कविता....


🌷ऋतू बसंतकी शान🌷

(वर्ण संख्या - १६, यती - ८)


येनं भारत देशमा, सय ऋतूमा महान |

झलकसे धरापर, ऋतू बसंतकी शान ||धृ||


दिसं मोवरी खेतमा, सुरू भयेव बसंत |

होय रहीसे थंडीको, आता धिरुधिरु अंत ||

दिसं धरती पिवरी, शिवारमा आयी जान |

झलकसे धरापर, ऋतू बसंतकी शान ||१||


खिली उंबई गहूकी, बार आंबाला आवसे |

बगिचामा कोयार बी, कूहू कूहूके गावसे ||

बड़ी मोहक फिपोली, उड़ासेती रहुऱ्यान |

झलकसे धरापर, ऋतू बसंतकी शान ||२||


खेल देखो बादरमा, रंग बिरंगी रंगको |

दिसं सुंदर केतरो, वऱ्या मस्त पतंगको ||

वऱ्या सुर्यको तेजलं, चमकसे आसमान |

झलकसे धरापर, ऋतू बसंतकी शान ||३||


गोड़ी रव्हसे हवामा, सुरू होसे पानझड़ी |

हर अंतको बादमा, नवी उकलसे कड़ी ||

सांग नवी सुरुवात, नवो पालवीको पान |

झलकसे धरापर, ऋतू बसंतकी शान ||४||


चोला बसंती पेहर, नारी दिससे सुंदर |

बसंतको पंचमीला, सृष्टी खिली मनोहर ||`

होसे सरस्वती पुजा, अज सब मिलशान |

झलकसे धरापर, ऋतू बसंतकी शान ||५||


राजा भोजकी जयंती, हर गावमा मनावो |

पोवारीको स्वाभिमान, हर मनमा जगावो ||

होय रहीसे जागर, आता उचलो कमान |

झलकसे धरापर, ऋतू बसंतकी शान ||६||


© इंजी. गोवर्धन बिसेन "गोकुल"

    गोंदिया, मो. ९४२२८३२९४१

[28/01, 21:32] Govardhan Bisen: 🌻सरस्वती वंदना🌻

(वर्ण संख्या - १४, यती - ८,६)

(राग - दुर्गा, ताल - भजनी ठेका)


नमो वागदेवी माता, नमो शारदा मा |

ज्ञानदीप पेटाय दे, मोरो हिरदामा ||धृ||


चतुर्भुजा देवी वेद, माला, वीणा धारी |

एक हात आशिषको, से कल्याणकारी ||

भक्ती, ज्ञान, संगीतको, पेहराव जामा |

ज्ञानदीप पेटाय दे, मोरो हिरदामा ||१|| नमो..


बसनला शुभ्र श्वेत, कमलको फूल |

शोभं मस्तक मुकूट, कानमाका डूल ||

हार गरोमा शोभसे, तेज चेहरामा |

ज्ञानदीप पेटाय दे, मोरो हिरदामा ||२|| नमो..


सेस सरस्वती माता, तू मंगलकारी |

तेज श्वेतांबर धारी, तू हंस सवारी ||

माय करुसू बंदना, तोरोच श्रध्दामा |

ज्ञानदीप पेटाय दे, मोरो हिरदामा ||३|| नमो..


पुरो जगमा विख्यात, राजा भोज मोरो |

ग्रंथ चौऱ्यासी रचीस, किरपालं तोरो ||

वागदेवी मोलाबी तू, ठेव किरपामा |

ज्ञानदीप पेटाय दे, मोरो हिरदामा ||४|| नमो..


विद्या संगमा ज्ञानको, भरदे प्रकाश |

अज्ञानको इंधारोको, करदे तू नाश ||

ज्ञानचक्षू मोलाबी दे, लिखू कवितामा |

ज्ञानदीप पेटाय दे, मोरो हिरदामा ||५|| नमो..


© इंजी. गोवर्धन बिसेन "गोकुल"

[29/01, 12:03] Rishi Bisen: 🌸 कथा 🌸

धरमा🙏

                  धरमा आपरो कुनबा को मुखिया होतो अन् पुरो समुदाय ला धर्मा परा पुरो भरुषा होतो। सब वोको परा डोरा मीचकन भरुषा करत होतिन। यव राज्य भौगोलिक सीमा लक़ आपरो आप मा सुरक्षित होतो। ओको येक ओर मा नदी अना दूसरों ओर मा मोठो पहाड़ होतो। येकच रस्ता लक़ धरमा को राज्य दूसरों राज्य लक़ जुड़त होतो जितन धरमा का तेज तर्रार सैनिक आपरो राज्य की रक्षा करत होतिन। अंग्रेज सरकार को भारत देश पर कब्जा होय गयो होतो परा आबा वरी धर्मा को राज्य स्वतंत्र होतो। ब्रिटिश सरकार न् ओको राज्य परा कई दफा कब्ज़ा करन् को कोशिश करीन परा उनला सफलता नही भेटी। धरमा को राज्य आपरो आप मा खुद परा निर्भर होतो अना आपरी जरत को मुताबिक वय खुद हर जीनुस को उत्पादन कर लेत होतिन। यव कारन होतो की अंग्रेजी घेराबंदी को बावजूद बी वोको राज्य सुरक्षित होतो।

            धर्मा को राज्य मा इन्दर नाव को येक आदमी होतो जों सबलक ज़ियादा पढ़यो लिख्यो होतो, अना वोलाच पुरो राज्य मा अंग्रेजी पढ़ता बोलता आवत होती। इन्दर पश्चिम की नकल ला विकास मानत होतो। येक रोज वू जवर को शहर गयो जितन अंग्रेजी सरकार को कब्जा होतो। उत् कन इन्दर की भेट येक अंग्रेजी अधिकारी लक़ भई जेला धरमा को राज्य परा कब्ज़ा को काम मिल्यो होतो। बात बात मा अंग्रेजी अधिकारी ला यव बात पता भय गई की इन्दर, धरमा को राज्य को से परा वोला पश्चिम की संस्कृति साजरी लगसे, त् वोना यन बात का फायदा लेन को सोचिस। वोना इन्दर ला कइस की भारत त् पिछड़ो को देश आय अन इतन की भाषा अन संस्कृति पिछड़ी आय। पश्चिम की भाषा अन संस्कृति लक़ इतन को अदिक उत्थान होय सिक से।  तुम आपरो राज्य मा जाओ अना वोन गवार धरमा लक़ आपरो राज्य ला बचाव।

             इन्दर राज्य मा आन को बाद मा अंग्रेजी संस्कृति को बखान करन लगयो। वोका बिचार राज्य को कई भटकया लोख इनला जमन लगयो अना इन्दर को कई समर्थक ऊभो भय गया की हमला भी राज्य मा अंग्रेजी शिक्षा-दीक्षा होना। ज़ब धरमा ला यन बात को पता चल्यो त् वोला लगत दुःख भयो की राज्य को कई लोख इनला काजक भय गयो अना काय लाई वय पश्चिम की संस्कृति को प्रभाव मा आय रही सेती।

               इन्दर अन उनको सहयोगी इनना धरमा को खिलाफ सबला भड़कावन को काम करन लगीन की यव खुद भी पढ़ो-लिखो नहाय अना पुरो राज्य ला पिछड़ो पन मा राखीसेस। राज्य मा धरमा को विरोध होन लगयो। इन्दर अन वोको साथी इनकी जिद को कारन अन विद्रोह ला रोकन लाई धर्मा न् येक अंग्रेजी शाला खोलन की बात ला मान लेईस।

            इन्दर न् आपरो अंग्रेज दोस्त ला राज्य मा शाला खोलन लाई बुलावा देईस। अंग्रेजी अधिकारी ला त् आता धरमा को राज्य मा धसन को रस्ता भेट गयो। ओना आपरो सैनिक इनला शिक्षक बनायकन राज्य मा भेजनों शुरू कर देईस। धीरू-धीरू राज्य मा अग्रेज इनको जमावड़ा होन लगयो अना उनना कई स्कूल को मंघ सैनिक छवानी बनावानों शुरू कर देइन। अंग्रेज अधिकारी न् पहिले तो सबला यन बात ला समझावन की कोशिश करिन की वय इतन सबला शिक्षित अना आधुनिक बनावन लाई आई सेती, त् मंघा मंघा इन्दर ला, धरमा को विरूद्ध ऊभो करन को काम करन लगीन। लोख इनला नौकरी अना धन को लालच भी देइन। इन्दर आता नवो उत्थान को नेता को रूप मा ऊभो होन लगयो। अंग्रेजी अधिकारी न् इन्दर ला लालच देइन की धरमा समाज को दुश्मन आय, तुमला आता नवो समाज को नेता बननो से अन वोको जाघा परा तुमला कुनबा को मुखिया बननो से।

             नवी पीढ़ी ला समुदाय की संस्कृति रक्षन अना आत्मनिर्भर रहवन की धरमा की बात आता सही नही लगत होती। अंग्रेजी सरकार न् इन्दर लक़ पुरो राज्य मा सैनिक नियंत्रण अना राजकीय भेद लेय लेईन अना समाज को बीच मा नवी शिक्षा अन रोजगार देन वालों को रूप मा पहिचान बनाय लेईन। जनता भी पश्चिम को सामान अना संस्कृति को रंग मा रंगन लगीन, येको कारन राज्य मा निर्मित सामान की मांग कम भय गई। गुरुकुल बंद होन को कारन देशी मूल्य-मानदंड लक़ समाज दूर होन लगयो। देशी उद्योग धंधा बंद होन लगीन। खेती बाड़ी को काम आता अंग्रेजी कम्पनी ठेका पर करन लगीन। किसान आपरी जाघा ज़मीन बीककन दूसरों शहर मा जान लगीन। धरमा की ओको समाज अन सेना परा पकड़ भी धीरू-धीरू लक़ कम होय रही होती। वोला राज्य को भविष्य आता खतरा मा दिखन लगयो, परा इन्दर को लालच न् राज्य ला वैचारिक रूप लक अंग्रेजी हुकूमत का गुलाम बनाय लेय होतिस अना वा दूर नोहोतो की भौतिक रूप लक़ भी जल्दीच गुलामी दिस रही होतिस। सेना मा अदिक सुविधा अना आधुनिक करन को इन्दर को लालच मा सेना भी आय रही होती।

             अंग्रेजी अधिकारी न् राज्य को भीतर भी छुपकन कई सैनिक छावनी को निर्माण कर लेई होतिन अना इन्दर की  सेना परा पकड़ मजबूत होय गई। धरमा न् आपरो वफादार सैनिक की मदद लक़ अंग्रेज इनला राज्य को बाहिर करन को अभियान् शुरू करिस परा आता देर भय गई होती। इन्दर ना ब्रिटिश अधिकारी की मदद लक़ धरमा को शासन ला अंदर अंदर खोखला कर देइ होतिस अना जल्दीच वोकी सेना को मुख्य रस्ता परा नियंत्रण भय गयो।

धरमा ला आपरो हाथ लक़ राज्य को कब्ज़ा जाता देख वोना आपरो बेटा ला दूर भेज देईस की येक रोज ज़ब समाज ला समझ मा आहे त् वू जनता ला नेतृत्व देहे अना खुद आपरो सहयोगी इनको संग इन्दर अन ब्रिटिश सेना को विरूद्ध पुरी ताकत लक खूब संघर्ष करता करता शहीद भय गयो।   इन्दर थोड़ो समय लाई राजा त् बन गयो परा आता शासन को नियंत्रण ब्रिटिश अधिकारी को हाथ मा होतो।उनना आपरो समाज उत्थान को मुखौटा ला फेककन जनता को शोषन् शुरू कर देइन। जनता को भ्रम त् तुट्यो परा आता लगित देर होय भय गई होती। भौतिकता की अंधरी दौड़ न् राज्य ला गुलामी को दलखा ला डाक देइ होतिस जितन लक़ हिटनो आता संभव नोहोतो। इन्दर लक़ सबना गुहार लगाइन परा वोको हाथ मा भी आता काई नही होतो। येक कठपुतली लक़ कसी आशा। इन्दर परा लोख इनको दवाब को कारन आता अंग्रेज अधिकारी लक़ मुक्त होनको कोशिश करन लगयो परा वू भी त् गुलाम राज्य को नकली राजा होतो।

           समाज मा जिनना भी धरमा ला दोष देइ होतिन उनको डोरा आता खुलीन अना पश्चिम को नकली रंग उखड़ गयो। आपरी संस्कृति आपरी होसे अना दूसरों की मंघा परावान वालों केतरो दूर जाय सिक सेत। इन्दर ला भी यव बात समझ मा आई अना वोना ब्रिटिश अधिकारी को विरूद्ध विद्रोह छेड़ देइस, परा वोना जसो बीज बोयों होतो ओका फल त् मिल्हेच वोला। ब्रिटिश सेना न् दुय दिवस मा इन्दर ला धरकन वोला मार डाकिस अन पुरो राज्य अंग्रेजी हुकूमत को गुलाम भय गयो। जनता ला आता बस येकच आस होती की येक रोज धरमा को बेटा धरमा को रूप मा आहे अन् वा उनला यन गुलामी लक़ आजादी देहे।

✍🏻ऋषि बिसेन, बालाघाट

🌸🌸🔅🌸🌸🔅🌸🌸

[29/01, 17:13] Vidhya Bisen: मद मोह लोभ  बस योच सही से का देवा🙏



देखके दुनिया को दस्तुर भया  सब अपरो मद मोह लोभ  मा चुर,


गयी संस्क्रति गया संस्कार भयी सभ्यता चकनाचुर,

भया सब अपरो मद मोह लोभ मा चुर


गयो कर्म अना दया धर्म भी गयी निती नियम चकनाचुर

भया सब अपरो मद  मोह लोभ मा चुर,


सच्चाई गयी अच्छाई गयी  बेईमानी रही इंसानीयत भयी चकनाचुर,

भया सब आपरो मद मोह लोभ मा चुर,


माय बाप की सेवा न रही मोठो नहानो को मान नही,

डोरा देखावत अपरा च घर का कोहीनुर,

भया सब अपरो मद मोह लोभ मा चुर,


मेहनत गयी किस्मत गयी कर्म को लेखा लक दुर,

धन दौलत  पैसा खुब कमाया,

मन को मैल भयो नही दुर

भया सब अपरो मद मोह लोभ मा चुर,


सेवा दीन दुखी की नही रही, मानवता भयी सबले दुर,

देव को नही भेव कोनीला भक्ति भावना भयी चकनाचुर,


हमी भया सब अपरो मद लोभ मोह मा चुर।।


जय श्री राम🙏

विद्या बिसेन

बालाघाट🙏

[30/01, 14:45] Prhalad Harinkhede: पोवारी साहित्य, सांस्कृतिक उत्कर्ष द्वारा आयोजित, पोवारी साहित्य सरिता भाग ८३

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दार चुड़न दे

छंद: भुजंगप्रयात

(यगण x ४)

दिनांक: ३०.०१.२०२३

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गले तबवरी दार पूरी चुड़न दे

जरा पाहुना ओसरी मा जुड़न दे -धृ-


असी कायकी जल्दबाजी पड़ी से

सही बाटपर स्यायनो ला मुड़न दे -१-


जरे शामबत्ती ठहर तो जरा तू

ढले दुपहरी सुर्य ला बी बुड़न दे -२-


फिरी सेव सबलाच समझायक्यारी

चले खोट को संग वोला कुढ़न दे -३-


कसी रेख लंबी बने सोचनो से

थके आखरी वू खुड़े तो खुड़न दे -४-

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डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे 'प्रहरी'

डोंगरगांव/ उलवे, नवी मुंबई

मो. ९८६९९९३९०७

[31/01, 15:58] Prhalad Harinkhede: चक्रवात

बघेली छंद 

(धृवपद व मिलान:- गालx६+गा

अंतरा:- गालx५+गा)

(तर्ज: बेकरार कर के हमें यूं न जाईए… ) 


सेनकोच ऊटला यहान अड़ गया

कोन सोचमा महानुभाव पड़ गया -धृ-


आजकाल का युवा टुरा टुरी 

नासमझ रया चलो अकल नहीं

जो कमी सिक्या तथा कभी गया

गावकोच स्कूल एक पल नहीं

शायना परंतु का कसा बिघड़ गया -१-


कोनतोच उटपटांग काम की

या असी कसी खराब लत पड़ी

कोन को धड़ीपरा बस्या अना 

कोन लोक संग सोहबत जड़ी

कोन को गुडूर मा जनाब चढ़ गया -२-


लक्ष्य जाणकार को कहूॅंच से

झोड़पा मगर अलग निशानपर

बाट देखनार बाट देखतो

रोख के नजर तनाव मानपर

बार संग पान पंढऱ्यान झड़ गया -३-


आदिकाल को समुद्र शांत से

कलकलाट से नवीन पाट मा

शेकड़ो बरस लका सिवार पर

झाड़ बेल सेत ठाटबाट मा

काल का छटाक शेर सब उखड़ गया -४-


वा लहर नहान शांत भाव की

रूप ले उठी विराट धुंद को

चक्रवात को फिरेव भोवरा

बस नहीं चलेव बूंद बूंद को

आपलो कुटुंब सीन वय बिछड़ गया -५-


बाट या जसी रहे चलून मी

काच तार या चिखल रहे चले

एक दिन गुलाब बन खिलूॅं यहाॅं

देह केतरोच सल सहे भले

काच पायमा भले रहेत गड़ गया -६-

***********

डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे 'प्रहरी'

डोंगरगांव/ उलवे, नवी मुंबई

मो. ९८६९९९३९०७

दिनांक: ३०.०१.२०२३

[31/01, 18:09] Yashwant Katre: नौ की महीमा

नौ अद्भुत संख्या जीवन ना गणित मा।

सात, सुर भी नहीं टिकत येको गरीमा मा ।।

नव इकाई मा सबलक मोठो नाव से।

नव दुआ अठारह मा भी एक धन आठ मजे नव से।।

नव तीआ सत्ताईस मा भी दुय धन सात मजे नव से।

नव चौका छत्तीस मा भी तीन धन छः मजे नव से।।

नव पांचे पैंतालीस मा भी चार धन पांच मजे नव से।

नव छक्के चौवन मा भी पांच धन चार मजे नव से।।

नव साते तिरसठ मा भी छः धन तीन मजे नव से।

नव आठे बहात्तर मा भी सात धन दुय मजे नव से।।

नव नवम् ईक्यासी मा भी आठ धन एक मजे नव से।

नव दहाम नब्बे मा भी नव धन शुन्य मजे नव से।।

नव की महानता जानकर नवमी ला प्रभु अवतरण।

नव की इच्छा लक घुम सेती नव ग्रह गगन।।

नव की कृपा लक होसे नवकन्या भोजन।

नव की ताकत को सब करो नमन।।

यशवन्त कटरे

जबलपुर ३१/०१/२०२३

[31/01, 22:32] Vidhya Bisen: सबला हाथ जोड़के🙏


संस्कार की साधी चुनर ओढ़ के मी चली आगे बडी़ पोवारी जागरण मा  हाथ जोड़ के,


देखयो रंग रंग का लोग कोनी ला सीधो साधो से शौक,

चमक दमक की येन दुनीया मा रंग रंग का लोग,

रंग रंग का लोग,


सभ्यता की सिढी़ सच्ची धरके मी चलीआगे बडी़  पोवारी जागरण मा हाथ जोड़ के,


देखयो किसम किसम की रीत नही चलत सीधा सच्चा कोनी ला गीत,


रंग बदलती येन दुनीया मा रंगबिरंगा लोग,

रंगबिरंगा लोग,

मोला लगन लगी होती सच्ची मन मा पोवारी की भक्ती मी सोचत होती,

मी सोचत होती,


   मोरी  जगे पोवारी बोली घर घर खिले माय बोली सबमा मिले पोवारी बोली

,

मोरी मनसा कही भयी पुरी कही आबो भी से अधुरी,



संस्कार की चुनर ओढ के  मी चली आगे बडी़ पोवारी जागरण मा हाथ जोड़ के


विद्या बिसेन

बालाघाट🙏

[02/02, 15:33] Rishi Bisen: पोवारी भाषा अन् पोवार( छत्तीस कुरया पंवार) समाज🙏🙏👏🚩

         पोवारी भाषा येक पुरातन भाषा आय अन् यव पोवार जेला छत्तीस कुरया पंवार समाज भी कसेती, की आपरी मातृभाषा आय। पोवारी भाषा को आपरो स्वतंत्र अस्तित्व आय अन् भाषा साहित्यिक नाव पोवारी(Powari) से। पोवार समाज को दूसरों पुरातन नाव पंवार होन को कारन पोवारी ला पंवारी(Panwari) भी बोलन मा आवसे। देश मा भाषा इनको अध्ययन प्राचीन काल लक़ होय रही से परा सम्पूर्ण अखंड भारत मा एकजाई भाषाई अध्ययन बीसवीं सदी की शुरुवात मा गियरसन महोदय को नेतृत्व मा भयो जेमा पोवारी भाषा को विषय मा विस्तृत शोध प्रकाशित भयो होतो। येको पहिले अन् बाद को सप्पाई अध्ययन मा यव तथ्य भेटसे की पोवारी भाषा, पोवार समाज की आपरी येक भाषा से अना समाज को क्षेत्रवार विस्थापन का प्रभाव पोवारी भाषा मा दिस जासे।

         इतिहास को अनुसार पोवार, मालवा का पुरातन पंवार(प्रमार) क्षत्रिय आती जिनको छत्तीस कुर होतिन अन इनको बादमा वैनगंगा क्षेत्र मा स्थाई बसाहट भई। पोवारी भाषा, पोवार समाज की संस्कृति को प्रमुख हिस्सा से अन आता पुरातन पोवार मुख्य रूप लक़ भंडारा,बालाघाट, गोंदिया अन सिवनी ज़िला मा बस्या सेती।

            पोवारी भाषा पुरातन से अन येको लगित अध्ययन भी भई से जेको विवरण जनगणना दस्तावेज, जूनो प्रतिवेदन, इतिहास की किताब अना हमारो समाज का लेखक/विचारक इनको लिख्यो किताब/लेख मा मिल जासे। इनला देखकन यव त् सिद्ध होसे की पोवारी पुरातन अन समृद्धशाली विरासत की धनी आय। पोवार समाज को बिहया, नेंग-दस्तूर, रोज का कामकाज, सन-तिव्हार असो सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम को गीत, पोवारी भाषा मा होनो यन बात को प्रमान से की पोवारी भाषा, छत्तीस कुरया पोवार समाज की सांस्कृतिक विरासत ला आपरो मा समाहित कर राखिसे।

           कोनी भी समृद्ध भाषा अन् संस्कृति को विकास ला कई सदी लग जासेती। आपरी पोवारी भाषा अन् पोवार समाज की संस्कृति को विकास भी असो मोठो कालक्रम मा क्रमबद्ध उन्नत होन को परिचायक आय। पोवारी भाषा मा मालवा-राजपुताना (अज़ को मध्यप्रदेश राजस्थान गुजरात को सीमावर्तीय क्षेत्र) की भाषा इन लक़ साम्यता दिससे। पोवार समाज को पुरातन भाट न् आपरी पोथी मा वैनगंगा क्षेत्र को पोवार इनला मालवा का प्रमार अना उनको नातेदार क्षत्रिय इनको संघ लिखिसेत्। मालवा मा प्रमार वंश को शासन होतो। प्रमार राजा अन उनको नातेदार कुल, पोवार/पंवार जाति को कुल आती। मालवा परा प्रमार वंश को शासन की समाप्ति को बाद पोवार इनमा कई क्षेत्र मा विस्थापन भयो। कई पोवार, नवो क्षेत्र मा राजपूत, मराठा अन कई समाज मा कुल को रूप मा शामिल भय गईन परा मालवा की एक जाति को रूप मा पोवार समाज लम्बो समय तक संग मा रहयो अन बाद मा यव पोवारी कुनबा वैनगंगा क्षेत्र मा आयकन बस गयीन।

        अज़ बालाघाट, भंडारा, गोंदिया अन् सिवनी ज़िला का पोवार की एक जसी संस्कृति अन् भाषा से। भाषा मा थोड़ो-थोड़ो स्थानीय अंतर चोवसे परा भाषा को मूल स्वरूप येक जसो आय। पोवारी भाषा परा सिवनी ज़िला मा बघेली को, भंडारा मा मराठी को, गोंदिया क्षेत्र मा झाड़ी बोली को, बैहर-लाँजी क्षेत्र मा छत्तीसगढ़ी को प्रभाव दिस जासे, परा थोड़ो मोड़ो बोलन की लय अन स्थानीय शब्द को अंतर को बावजूद पोवारी को मूल स्वरुप अना पुरातन शब्द समान सेती। भाषाई सर्वे मा पोवारी ला हिंदी की उपभाषा को रूप मा लिखी गई से परा पोवारी की आपरी लय अन् अस्तित्व हिंदी की उत्पप्ति अन विकास लक़ भी जूनी से। विदर्भ मा पोवार समाज को आवन को बाद पोवारी अना स्थानीय मराठी-झाड़ी बोली मिलन लक़ पोवारी भाषा को येक नवो स्वरूप को विकास भयो।

          वैनगंगा क्षेत्र मा आयकन बसन मा अज़ लगभग तीन सौ बरस लक़ भी अदिक को बेरा भय गई से अन वैनगंगा क्षेत्र की पोवारी भाषा आता इतन का पोवार समाज की च भाषा से। भाषाई अध्ययन करता इनना पोवारी(Powari) नाव की भाषा ला बालाघाट, भंडारा(+गोंदिया) अना सिवनी ज़िला मा निवासरत पोवार(३६ कुल पंवार) समाज की च भाषा लिखी सेत अन् १८६८ अना १८८१ लक़ हर दस बरस मा विधिवत होन वाली जनगणना मा यव तथ्य मिल जासे।

          अज़ देश विदेश मा कई संस्था अना विभाग विलुप्त होय रही भाषा इनको संरक्षन् को कार्य कर रही सेती। पोवारी भाषा भी ओन भाषा इनमा शामिल से जिनला खतम होन को खतरा से। पोवार समाज मा अज़ अनेक सामाजिक कार्यकर्त्ता, साहित्यकार, गीतकार आदि अनेक समाजजन आपरी यन विरासत ला बचावन मा जुट गया सेती। उनको प्रयास लक़ पोवारी आपरो मूल नाव अना स्वरूप मा जीवित होय रही से अन् यव सबको लाई ख़ुशी की बात से।

✍️ऋषि बिसेन, बालाघाट

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[03/02, 23:09] Yashwant Katre: इतिहास

 बढ़ो सारगर्भित नाम से इतिहास, 

शुरू कसो भयो,कसो भयो ह्रास।

इतिहास अतित को अध्ययन की निती,

इतिहास घटित घटना को मनन की ज्योति।।

इतिहास मा भया कई राजा महाराजा ना यति,

इतिहास सबलक जोड़  से मर्यादा की रीति।

समय को संग  मिल सेती ज्ञान की बाती,

अर्थ, धर्म ना समाज की नहीं कर सक कोई माती ।।

पुरातन सबको ज्ञान की पोटली आय,

अतीत सबको आधार की चक्र खिली आय।

वर्तमान जीवन मा समय की धारा आय,

सबको परिवार अतित को एक अध्याय आय।।

दादा दादी, नाना नानी सबकी बनीं कहानी,

परिवार को इतिहास ईनको जीवन की बानी।

कौन केतरो कमाय कर गयो केतरी करीस हानि,

सिर्फ याद राखें समाज तुम्हारी कुर्बानी।।

बिना अतीत की नहीं होय कोई कहानी,

लोग बाद मा विचारेत कर्म,साख आना शानी।

नाम महान आज को,सकारी बिसरन की बारी,

का कमाय कर जाहो, याद नहीं तुम्हारी यशदारी।।

माय बोली की करबन पहरेदारी,

आवन वालों इतिहास राखे हमारी यादगारी।

 इतिहास लिखनो की करबन तैयारी,

पागल समझो या गंवार,पर लिखबन पोवारी।।

यशवन्त कटरे

जबलपुर ०३/०२/२०२३

[04/02, 07:51] Prof Hargovind Tembhare: पोवारी साहित्य अना सांस्कृतिक उत्कर्ष द्वारा आयोजित:-पोवारी साहित्य सरिता भाग ८४

💐🚩💐🚩💐🚩💐🚩💐🚩

आदरणीय सब लेखक/कवि/कवियत्री/इतिहास सरंक्षक व सन्माननिय सदस्यगिणला सूचित करनो मा आय रही से की सप्ताह को हर शनवार अना इतवार ला पोवारी साहित्य सरिता को आयोजन करनो मा आय रही से।

 उत्कृष्ट लेख, काव्य रचना, समुह ब्लॉग अना समाज का उत्कृष्ट फेसबुक पेज पर अपलोड करनो मा आयेती l

सबको साथ अना सहयोग भेटे असी सबलक नम्र बिनती🙏🏻 से जी l


🔸रचना पोवारी भाषामाच मान्य होयेती।


🔸गद्य-पद्य रचना ला नाव देनो अना रचना को खाल्या नाव लिखनो अनिवार्य से जी ।


🔸पोवारी कविता, आत्मकथा, संस्मरण, एकांकी, निबंध, कहानी, लघुकथा , पत्र, ऐतिहासिक समाजिक, सांस्कृतिक लेख आमंत्रित सेती।


🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹

       आयोजक

डॉ. हरगोविंद टेंभरे

श्री शेषराव येळेकर

श्री यशवंत कटरे

      मार्गदर्शक

श्री. व्ही. बी.देशमुख

🚩🏵️🕉️🕉️🏵️🚩

[04/02, 08:18] Prhalad Harinkhede: पोवारी एकता

छंद: मृदुगती

(गागाल गालगागाx २)

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पोवार एकता गर एक् मंच होय जाये

जगमा हरेक कोना प्रतिमान छाय जाये ॥धृ॥


इतिहास मा हमारो विद्वान शूर ज्ञानी

आदर्श शील करूणा पोवार की निशानी

देबी नवो पिढीला उज्ज्वल भविष्य आये ॥१॥


मस्तक परा तिलक सी चंदन समान बोली

रंगीत बागपर की उड़ती जसी फिपोली

वोको विकास करनो कर्तव्य होय जाये ॥२॥


बानी सरस्वती की गावो धड़ाक बोलो

बोलन शरम कहां की आता जबान खोलो

भाषा जतन करेलक जनमा सुधार आये ॥३॥


अड़तो की' टांग छोड़ो हिंदू स्वधर्म मानो

'पिरथी तना पुॅंवारा' उक्ती यथार्थ जानो

नवतो नवो पिढ़ीला सम्मान देय जाये ॥४॥


रीती रिवाज सद्गुन पयचान आमरी से

संस्कार धर्म करनी या शान आमरी से

नैतिक जबाबदारी अस्तित्व ला टिकाये ॥५॥


बिखराव नासकारी परवश बनाय छोड़े

ना घाटला लगाये नाही मकान जोड़े

लिखता रहेत 'प्रहरी' साहित्य जगमगाये ॥६॥

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डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे 'प्रहरी'

डोंगरगांव/ उलवे, नवी मुंबई

मो. ९८६९९९३९०७

[04/02, 09:12] Rishi Bisen: पीढ़ी अंतराल मा सामनजस्य

(सामाजिक लेख पोवारी भाषा मा)

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           बदलाव समाज को अटल सत्य आय अन् बदलाव को संग संस्कृति को कई भाग मा भी बदल होवसे, परा समाज को स्थापित अन् जनस्वीकृत मानदंड इनमा केतरो अन् कसो बदलाव होहे, यव समाज ला आपुन तय करनो से। यव सच से की समाज की कोनी भी मानता मा बदलाव ला नवी पीढ़ी जेतरी सहजता लक़ स्वीकार करसे ओत्ती जूनी पीढ़ी नही कर, काहे की आपरो जीवन को मोठो अनुभव अना पुरखा इनको प्रति अदिक आस्था को कारन जूनी पीढ़ी खुद ला संस्कृति संरक्षन् को रक्षक समझs सेती तसच नवी पीढ़ी, नवी ऊर्जा लक़ भरयो होन को कारन, मन की मुक्तता ला अदिक मान देसेत अना देश-दुनिया मा उन्मुक्तता ला सरलता लक़ अपनाय लेसेति। त् मंग पीढ़ी को अंतर मा निहित सामाजिक अन् सांस्कृतिक द्वन्द को का होहे, कसो दुय पीढ़ी की सोचला येक असो सामनजस्य को स्तर परा लेयकन् जाबिन की समाज की संस्कृति, मूल्य अन् मानदंड को अनुरूप उत्थान होय जाहे, अखिन संगमा यव भी देखन को से की नवी पीढ़ी की नवी सोच अन् ऊर्जा, समाज को उत्थान लाई अदिकादिक उपयोग मा रहें।

           अज़ को जमाना ला तकनीकी अन् यानत्रिकी को युग से। युवा पीढ़ी नवी तकनीक ला लगत सरलता लक येला अपनाय लेसे अन् बुजरुग पीढ़ी ला यव वसी सहज नही लग। समय को चक्का, मंघ कसो जाहे, वू त् आगे च जाहे त् तकनीक विकास ला आपरी संस्कृति की सीमा मा उलाँघ नही करन देन को से परा ओकी परिधि मा रहवता हुआ समाज ला ऊभो भी करनो से अखिन येको उत्थान भी करनो से। यव तबच सुफल होहे जबs आम्हरी नवी अन् जूनी पीढ़ी की सोच मा सामनजस्य रहें।

            नवी पीढ़ी को यव बिचार की मोला त् सब आवसे अना यव बुढ़गा गिन काजक सांगेति तसच जूनी पीढ़ी को यव बिचार की हमी न त् असच डोई का बाल पांढरा नही करयासेजन अन यव अज़ को टोरु पोटू हमला कसो सिखायेति, दुही ला उरकूड़ा मा डाकनो पढ़े। आपरी संस्कृति को भी रक्षन भी करनो से अना सामाजिक मानता की सीमा मा नवीनता ला भी धरनो से असो बीच को रस्ता लक़ पीढ़ी न् दर पीढ़ी को अंतर की सोच ला कम करखन सबको बिचार को अनुरूप कोनी बी झगड़ा-राढ ला मुरायकन सयुंक्त परिवार की समाज व्यवस्था ला साबुत राख़ सिक सेजन। यव सामनजस्य पश्चिम का बिचार को डोरा मीचकन पिछलग्गू होनला भी रोके अना आपरो समाज मा स्थापित सामाजिक सांस्कृतिक मानता इनको पतन् ला भी रोक देहे। "पीढ़ी अंतराल मा सामनजस्य", परिवार अना समाज की कई समस्या को समाधान आपरो मा ठेयकन राखिसे अन् येला सबला माननो सबको लाई साजरो रहे।

✍️ऋषि बिसेन, बालाघाट

👏🙏👏🙏👏🙏👏🙏

[04/02, 10:36] Rishikesh Gautam New: विश्व गुरु


मी अखिल विश्व को गुरु महान.

देवूसु विद्या को अमर ज्ञान.


मीन दिखलायो मुक्ति मार्ग.

मीन सीखलायेव ब्रम्हज्ञान.


ज्ञान मोरो वेद को अमर.

ज्योति मोरो वेद की प्रखर.


निज तत्व आत्मज्ञान को शिखर.

चराचर जगत को शाश्वत सत्य प्रखर.


का कोनी सामने सके ठहर?

जो से विश्वगुरु प्रकशित हर प्रहर!


मोरो अस्तित्व से अनादि निरंतर.

जेको आदि अंत नाहाय असो महाकाल शिवशंकर.


हिन्दू तन मन, हिन्दू जीवन.

रग रग हिन्दू, परिचय मोरो पावन.


पोवार 36 कुल को सनातन गौरव.

स्वरनभ आभामंडल मा व्याप्त सौरव.


✒️ऋषिकेश गौतम (04-Feb-2023)

[04/02, 10:44] Rishikesh Gautam New: धड़ी


धड़ी मोरी न्यारी.

लगसे बड़ी प्यारी.


मांदी की जागा आय खरी खुरी.

होसेती बातचीत प्यारी प्यारी.


बरन को खाल्या की धड़ी.

याद आवसे मोला घड़ी घड़ी.


उन्हारो मा आवसे सावली.

दुपारी भी बस से मांदी माउली.


पावसारो मा बरन को सहारा.

धड़ी पर बैठक को सुहानो नजारा.


ठंडी की बातच से न्यारी.

अघाटा जर से बारी बारी.


गांव मा नहीं लग सुनो.

चाहे घर केतरोच रहो जूनो.


माय की पावन ममता सर्वोपरि.

मायभूमि की माती लगसे प्यारी प्यारी.


मी अना मोरो घर की धड़ी.

याद आवसे रह रहकन घड़ी घड़ी.


मोरो गांव की महिमा न्यारी.

धड़ी पर की मांदी याद आवसे सारी.


✒️ऋषिकेश गौतम (04-feb-2023)

[04/02, 17:56] Hemantkumar Patle: पोवारी साहित्य सरिता ८४

दिनांक:४:२:२०२३

     अदभुत

     ***

    अदभुत से राम सरीखो राजा, मर्यादा पुरुषोत्तम, त्रेता युग को रामराज्य, प्यार सागर, दयावान, मायावान, सब को हितचिंतक, अवधपुर को राजा,सब को हितकारी, मंगलकारी, जगमा विख्यात रामराजा इनकी सदा जय हो.

     अवधपुर मा राम जनम भूमी पर भव्य राम मंदिर बने पहिजे असी सबकी मोठी इच्छा होती. दुनिया का साधु संत, अवधवासी,  राम भक्त, राम सेवक, भारतवासी, जन जन की मन की इच्छा पूरी होने वाली से. दुय हजार चोवीस साल को सुरवात मा राम को भव्य मंदीर देखन मिल जाये, अना कई बरस की मन की इच्छा पूरी होय जाये.

   जसो नर्मदा नदी को पाणी मा शिव लिंग आकार का दगड गोटा मिलसेती, उनला शिव लिंग कसेती. खूब मान्यता से, उनकी पुजा होसे. तसोच नेपाल देश की पवित्र नदी गंडगी मा मिल्या दगड गोटाला बिस्नु स्वरूप शाली ग्राम कसेती. बिसनु भगवान का चोवीस अवतार, मसरी को आकार मस्य अवतार, कासव कोआकार कृमी अवतार, वराह को आकार वराह अवतार असा अवतार भयासेती. असा दगड गोटा पासुन बिसणू अवतार की मुर्ती बनायी जासे अना वोला मान्यता से.

   सिया राम की बाल पनकी मुर्ती बनावनला नेपाल संग भारत का राम प्रेमी मिलकर कई बरस पूरानो दगड गोटा ला खोज निकालीन. सव्वीस टन को गोटा पासुन रामलला की सुंदर मुर्ती, अना चौदा टन को गोटा पासुन माता जानकी की देखनी मुर्ती बनावन साती पोखरा नदी को कई बरस पुरानो राम शिलाला जनक पुर मोठो गाडीलक आन्या गया. जनकपूर सीता जी को माहेर घर, रामजी जवाई येन खातीर पुजा अर्चना जोर शोरलक करनो मा आयी. फुलोकी माला अना भेट वस्तू देयकर चालीस टन को देवशिलाला जनकपूर पासुन अयोध्या ला आनेव गयेव. देव शिला को दर्शन अना स्पर्श करन लोक इनकी भरमसाठ भीड लगी. रामशीला मा शियाराम को दर्शन करीन, फुल माला खूब सारी भेट वस्तू देयकर राम राजा की जयजय कार करीन.

     राम शीला नेपाल को जनकपुर, बिहार, गोरकपुर, होयकर राम जनमभूमी अवध पूर आयी. देवशीला देखन बहुत सारा लोग इनकी भीड भयी. यहा भारत, नेपाल का देशवासी, साधू संत, राम प्रेमी इनको हात लक देवशिला की विधिवत पूजा करनो मा आयी अना मोठो जापता लक राम मंदीर कार्यशाळा मा ठेयकर भयी. लवकर राम सीता की मनोहर स्वरूप की मुर्ती बनाई जाये अना पुढ साल मंदीर मा दर्शन साती ठेयी जाये.

    त्रेता युग को राम राज्य की महिमा पूरो जगमा गायी जासे. धन्य से दशरथ नंदन जेन पुरो समाजला आदर्श संस्कार देयीस, रामायण को महा काव्य मा सिया संग राम बनवास, भरत प्रेम, सुग्रीव सरिखो मित्र, हनुमान सरिखो प्रीतम, बिभिसन ला लंका राज्य, असा अनेक अधभूत महान कार्य को वर्णन करेव गयी से. राम को भव्य मंदीर अवध मा बनेव परा पूरो जगमा भारत को गौरव करनो मा आये अना भारत की संस्कृति की महिमा गायी जाये. जय शिया राम की जय हो.

हेमंत पी पटले धामणगाव (आमगाव) ९२७२११६५०१

[04/02, 17:56] Hemantkumar Patle: पोवारी साहित्य सरिता ८४

दिनांक:४:२:२०२३

बदल रहिसे जोर की हवा!

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धिरू धिरु पोवार जातकी,

बदल रहिसे जोर की हवा |

नव पिढी आयी aसमाज की,

करन लगीसे सबकी सेवा ||१||

गर्व से पोवारी जाती पर,

बोली बोलो पोवारी मधुर |

लिख रहया सेती कविवर,

पोवारीका गाणा समाजका ||२||

सबको पुढो नवयुग से,

पुरानो युग बदल गयी से |

धरोवर ला बाचावन को से,

लिखन लग्या इतिहास ला ||३||

पुरखा इनकी से धारोवर,

अनमोल से जिवन भर |

काम करो सब मिलकर,

नाव अमर करो पोवारी का ||४||

छत्तीस कुऱ्याला कवनको से,

जात भाईला गरज पढीसे |

जात पोवारी बाचावन को से,

मिल कर रहो संघटन मा ||५||

हेमंत पी पटले धामणगाव आमगाव ९२७२११६५०१

[07/02, 11:34] Umendra Bisen: डॉ प्रल्हाद हरिणखेडे 'प्रहरी' 

 शुभेच्छा मयी अभंग 

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प्रल्हाद जी नाव | से डोंगरगाव ||

उत्तम स्वभाव | धनीसेती ||१||


सेती बहुगुणी | कविता का ज्ञानी ||

वाणी से सुहानी || मधूर वा ||२||


अध्यापन कार्य | चल से उत्तम ||

वक्ता भी सक्षम | प्रल्हाद जी ||३||


पोवारी भाषा का | धुरंधर कवी ||

समाज मा छवी | लाजवाब ||४||


मराठी हिंदी मा | सेच हतखंडा ||

साहित्यिक झंडा | फैलाईन ||५||


मार्गदर्शन मा | सेत अग्रेसर ||

डॉ प्रल्हाद सर | कवीवर्य ||६||


'प्रहरी' सर ला | शुभेच्छा से मोरी||

करे इच्छा पुरी | भगवंत ||७||


देसे या शुभेच्छा | परिवार मोरो ||

प्रगतीच करो | जीवन मा ||८||

====================

उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरीत)

रामाटोला गोंदिया (श्रीक्षेत्र देहू पुणे)

९६७३९६५३११


 मोरो बिसेन परिवार करलक डॉ प्रल्हाद हरिणखेडे 'प्रहरी' सर तुमला जलम दिवस की बादरभर शुभेच्छा 🎂💐

[07/02, 12:24] Govardhan Bisen: @⁨Prhalad Harinkhede⁩  जनमदिवस की हिरदालक बादरभर शुभेच्छा 💐💐🎂🎂


🚩वारकरी पोवारीको🚩


वारकरी पोवारीको

नाव "प्रहरी" रतन |

कथा कविता लिखसे

बोली पोवारी जतन ||१||


रघुनाथजीको टुरा

वकी रायाबाई माय |

जन्म सुखदेवटोली

डोंगरगांवको आय ||२||


भेटी जीवन संगीनी

वला डिलेश्वरी बाई |

पुत्र सात्विक भयेव

कुल बढ़ावन लाई ||३||


शिक्षणमा सेट वरी

ओनं बढ़ाईस कद |

नौकरीमा प्राणीशास्त्र

अधिव्याख्याताको पद ||४||


वला शिक्षकी पेशाको

मोठो सार्थ अभिमान |

शुध्द आचरण संग

करसेती शिक्षादान ||५||


सोळा पत्रिकामा वनं

शोध निबंध लिखीस |

पुरुस्कृत होयशानी

स्वप्न सुंदर देखीस ||६||


बारा नाटक लिखीस

सांस्कृतिक खेललाई |

'प्रितप्रेम' अना दुय

श्रेष्ठ पुरस्कृत भयी ||७||


हिंदी मराठीका काव्य

'स्वर संस्कृती' 'अबोली' |

संग पोवारी कविता

भरी साहित्यकी ढोली ||८||


कोरोनाको समयमा

सवा तीनसौ कविता |

हिंदी मराठी पोवारी

बनी ज्ञानकी सरिता ||९||


परी पोवारी, पंतुना

दुय कविता संग्रह |

भविष्यमा प्रकाशित

करनको से आग्रह ||१०||


छंद पहाड़ी चड़नो

निसर्गको निरिक्षण |

हार्मोनिका, ढोलक ना

गीत गायन लेखन ||११||


सत्यनाम, कबीरका

बिचारको से आधार |

उचो उठनलाई भेट्या

मायबाप का संस्कार ||१२||


माय गडकाली संग

वाग्देवीको से आशिष |

लेखनीलं समाजमा 

उंचो उठे वको शिष ||१३||


शब्द रजनी, पोवारी

गृप काव्य परिक्षण |

शिक्षालाई रवसेती

बहुमोल मुल्यांकन ||१४||


कथा कविता इनकी

ठाम सांग गोवर्धन |

मायबोली पोवारीको

करे खरो संवर्धन ||१५||


© इंजी. गोवर्धन बिसेन गोकुल.

   गोंदिया, मो. ९४२२८३२९४१

[07/02, 12:57] Tumesh Patle: (माय बोली मा करो बात)


आपरी इज़्जत  आपरो हाथ,

माय  बोली  मा,  करो  बात.

हिंग्लिश को  प्रेम राखो  पर,

पोवारी ल् नोको करो  घात.


असो करयात त बिगड़ जाओ,

टूटे माला फिर  बिखर  जाओ.

पाय खाल्या ल्  जमीन   निष्ठे,

टोंड मा रह जाए टोंड की बात.


देखाओ मा बहुत  भाग्या सेव,

सोयात नहीं तुम्हीं जाग्या सेव.

डोरा मूंद स्यार गा पोवार भाऊ,

करो नोको शुभ दिन  ला रात.


बोली त आय समाज की डोर,

कम न होन देव गा एको जोर.

एकता ल बढ़े जी ठाट पोवारी,

येन जगत मा रहे ऊंचो  माथ.


तुमेश पटले "सारथी"

केशलेवाड़ा (बालाघाट)

[07/02, 13:12] Rishi Bisen: जय श्रीराम 🙏👏🙏

मयरी (पोवारी काव्यसंग्रह)💐💐


पोवारी भाषा, पोवार(छत्तीस कुरया पंवार) समाज की आपरी भाषा अना संस्कृति को नाव से। पोवारी भाषा को वरिष्ठ साहित्यकार इंजीनियर श्री गोवर्धन जी बिसेन को द्वारा पुस्तक "मयरी" मा पोवारी संस्कृति को अनेकानेक आयाम इन परा साजरी कविता को संग्रह प्रकाशित करनो मा आई से।


"मयरी", छत्तीस कुरया पोवार समाज को विशिष्ट देवीयभोग आय जेकी दसरा सन परा पारम्परिक रुप लकान पूजा अर्चना होसे अना पुरो कुनबा को संग पोवारी आस्था के केंद्र, देवघर मा आपरो देव अना पुरखा ओढ़ील इनका अर्पण को बाद यन पोवारी देवीयभोग ला कोचई/बरहमराकस को पाना की बड़ी को संग सेवन करयो जासे।


श्री गोवर्धन जी बिसेन को द्वारा राख्यो किताब को नाव मा च आपरी सनातनी पोवारी संस्कृति को दर्शन होय जासे। १०८ कविता रूपी माला मा पुरो पोवार(३६ कुरया पंवार) समाज को शब्द रूपमा सामाजिक अना सांस्कृतिक दर्शन होय जासे। यव किताब आपरो पोवार समाज लाई येक कीमती धरोहर आय अना आवनो वाली पीढ़ी इनला आपरो समाज को गौरवशाली इतिहास को संग समाज का विविध रूप ला जाननो लाई येक येक ऐतिहासिक किताब बन्हे असो पुरो भरुषा आय।


जय पोवारी मायबोली 🚩🚩

जय क्षत्रिय पोवार(पंवार) समाज 🚩🚩

🌺🌺🌷🌺🌺🌷🌺🌺

https://books.google.co.in/books?id=RwCfEAAAQBAJ&pg=PT2&lpg=PT2&dq=mayari+by+govardhan+bisen&source=bl&ots=siJ6HMRUST&sig=ACfU3U1XoYzJU18V9rJwpzfHlhEhvgv0Ew&hl=en&sa=X&ved=2ahUKEwja6szHqYH9AhWfqVYBHaXBCAEQ6AF6BAgZEAI

[07/02, 22:15] Randeep Bisen: --- प्रा.डाँ.हरिणखेडे सर,मुंबई--


    आज शुभ दिन ! तुमच्या जीवनी !

    हर्ष जन्मदिनी ! नवोन्मेष !!१!!


    प्रेरक जीवन ! तुमचे सदैव !

    उजाडले दैव ! ग्राम्यजीवी !!२!!


   अपार सोसले ! कष्ट तारूण्यात !

   फळ दणक्यात ! प्राप्त केले !!३!!


  गाव जरी छोटे ! घडले जीवन !

  गाव पुण्यवान ! खरोखर !!४!!


 उच्च ते शिक्षण ! गुण विलक्षण !

 घेता प्रशिक्षण ! नवेचिया!!५!!


 साहित्य सृजन ! नित्यचि प्रसव !

 शब्दांशी आर्जव ! नियमित !!६!!


 पोवारी मराठी ! हिंदीतही खूप !

 साहित्याचे नृप ! शोभतात !!७!!


 साहित्य विश्व हे ! पंढरी तुम्हांसी !

 सदैव ती काशी ! थोर भक्त !!८!!


 माय सरस्वती ! सदैव प्रसन्न !

 मुखात आसन्न ! शब्ददेवी !!९!!


 गडकाली माय ! देई आशीर्वाद !

 जन्मदिनी साद ! भगवंता !!१०!!


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 प्रा.डाँ.प्रल्हादजी हरीणखेडे सर यांना  वाढदिवसाच्या हार्दिक शुभेच्छा...

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-----> रणदीप बिसने

[08/02, 08:17] Mahen Patle: राजा भोज विद्या की स्वरूपिणी शक्ति वाग्देवी या देवी सरस्वती का उपासक होता । 

राजा भोज विद्या , ज्ञान का प्रचारक रह्या । 


उनको राज्य मा हर पुरुष स्त्री शिक्षीत होना यकी व्यवस्था उनन करिन । उनकी अद्वितीय राज्य व्यवस्था , उन्नत सोच , ज्ञान , न्याय , ऐश्वर्य को कारण  जनजन को जुबान पर उनको नाम अजर अमर भय गयी से ।


उनकी मेधावी शक्ति को कारण उनला ज्ञान की प्रतीकात्मक शक्ति सरस्वती का वरदपुत्र कह्यव गयी से । उनको सन्मान मा देवी सरस्वती की स्थापना बी हर गाव मा होये अना उनकी आराधना को रूपमा समाज शिक्षा क्षेत्र मा उत्तम प्रदर्शन करे तब  उनको असली सन्मान होये । मात्र राजा भोज की मूर्ति बनावनो काफी नाहाय ।

[08/02, 08:17] Mahen Patle: चिंतन


जसो आदर्श जीवन मा राखसे तसोच मनुष्य बन जासे । 


आमी जो हासिल करन की इच्छा राखसेजन वोला प्राप्त करन का मार्ग बी मिल जासेत । तसी संगत बी मिलणो सुरु होय जासे । तसी परिस्थिति निर्माण होन लगसे काहे की आमी बी वोन दिशा मा प्रयत्न करनो सुरु करसेजन । 


आमला उत्तम , श्रेष्ठ पहचान प्राप्त करनो से 

या 

कमजोर, पतित, पीड़ित , असंस्कारितकी पहचान प्राप्त करनो से 


यको निर्णय आमला च करनो से। 


क्षणिक स्वार्थ को बदले सबको शाश्वत नुकसान करनो कबी बी गलत रहे ।

[09/02, 13:21] Vidhya Bisen: अरे हा रे मन ला हरी भजन मा लगाव,

झुठी से काया झुठी से माया झुठो से संसार,

दुई दीन की जीन्दगानी ला मानुष हरी भजन मा लगाव,

मन ला हरी भजन मा लगाव,


झुठो कपटी सीना तान चल  से चल से   वोको डांव,

सच्चो मन को छलयो जासे मन मा लग से घाव ,

हा रे मन ला हरी भजन मा लगाव

,

कौडी कौडी माया जोड़न वालो रव से दुखी यहांन,

छल कपट की माया की गठरी फिर से मन ईठरलाय ,

रे भाऊ मन ला हरी भजन मा लगाव,


नेकी करो त मिले न मन को 

बदी की जयजयकार,


अच्छाई भलाई को नही जमानो कलयुग यो समझाय,

रे भैया  मन ला हरी भजन मा लगाव,


एक रोज आहे तोरो बुलावा उठ जाहे तोरो डोला,

माटी भयो मग आगी लगाहेत तोरा च घर का उजाडा़ ,

रे पगले मन ला हरी भजन मा लगाव,

झुठी काया झुठी माया झुठो से संसार ,

दुई दीन की जीन्दगानी ला मानुष हासी खुसी लक बिताव,

रे मन ला हरी भजन मा लगाव।।


विद्या बिसेन

बालाघाट🙏

[10/02, 10:09] Roshan Rahangdale: पोवारी गीत

*पढ़ाई लिखाई*


पढ़ाई लिखाई करले रे भाऊ -२

प्यार मोहब्बत को चक्कर मा नको पडु रे भाऊ -२


प्यार मोहब्बत मा धोका मिल् से,

माटी मा माय-बाप की इज्जत मिलसे्,

आपलो पाय पर उभो त् पहले होय जा रे भाऊ,

प्यार मोहब्बत को चक्कर मा नको पडु रे भाऊ-२


तोरो भविष्य तोरो हात मा,

समझ मा आहे त् पछताजो बाद मा,

सही रस्ता मा जिनगी की गाड़ी चलाव रे भाऊ,

प्यार मोहब्बत को चक्कर मा नको पडु रे भाऊ-२


पढ़जो लिखजो हुश्यार बनजो,

समाज मा अच्छो इज्जत बी पावजो,

लिखी पढ़ी अन् हुश्यार टुरी मिले रे भाऊ,

प्यार मोहब्बत को चक्कर मा नको पडु रे भाऊ-२

पढ़ाई लिखाई करले रे भाऊ -२

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              ✍️ रोशन राहांगडाले

               पोवारी गायक/गीतकार 

            पिपरिया (सालेकसा)/गोंदिया

[10/02, 11:20] Umendra Bisen: हिरदीलाल भाऊला अभंग रूपी शुभेच्छा 💐 

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जन्म गाव आय | भजेपार भूमी ||

आता कर्मभूमी | नागपूर ||१||


समाज सेवा की | उनकी से वृत्ती ||

करसेत कृती | सेवाभावी ||२||


हिरदीलाल जी | पोवारी का रत्न ||

सतत प्रयत्न | सामाजिक ||३||


पोवारी, मराठी | हिंदी साहित्यिक ||

उत्तम गायक | समाजका ||४||


कार्य चलसेत | समाज हितेसी ||

स्वभाव साहसी | उनको से ||५||


समाज हितमा | सामने हमेशा ||

समाजला दिशा | देनलायी ||६||


घडो सदा सेवा | कामना आमरी ||

बनो धुरकरी || समाज का ||७||


दिर्घायुष्य साती | शुभेच्छा से मोरी ||

इच्छा करे पुरी | गडकाली ||८||

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उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरीत)

रामाटोला गोंदिया (श्रीक्षेत्र देहू पुणे)


 आदरणीय हिरदीलाल जी ठाकरे आमरा मार्गदर्शक पोवारी का धुरंधर कवी, गायक, लेखक उत्कृष्ट साहित्यिक इनला जनम दिन की हार्दिक हार्दिक शुभेच्छा 💐🎂🎂💐

[10/02, 13:15] Umendra Bisen: प्राचार्य ओ.सि.पटले सरला काव्यमयी शुभेच्छा..... 💐 

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प्रा.ओ.सि.पटले सर की लेखनी जोरदार|

करसेती हमेशा भाषा को प्रचार प्रसार ||


समाज उत्थान मा उनको खरो योगदान |

पोवारी भाषा संवर्धन चल कार्य महान ||


उपलब्धी खरी उनकी से इतिहासकार |

पोवारी समाज का हिरा लेखनीला   से धार ||


नवोदित साहित्यिकला प्रोत्साहन अपार | 

भाषा पोवारी को करसेत जयजयकार ||


जनम दिनपर से दिर्घायुष्य की शुभेच्छा |

सेहतमंद न खुशहाल रहो से या इच्छा ||

====================

उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरीत)

रामाटोला गोंदिया (श्रीक्षेत्र देहू पुणे)


 आदरणीय प्रा.ओ.सि.पटले सर आमरा मार्गदर्शक ज्येष्ठ साहित्यिक प्रेरणास्थान इतिहासकार इनला मोरो बिसेन परिवार करलक हार्दिक शुभकामना 🎂💐💐


[11/02, 07:34] Prof Hargovind Tembhare: पोवारी साहित्य अना सांस्कृतिक उत्कर्ष द्वारा आयोजित:-पोवारी साहित्य सरिता भाग ८५

💐🚩💐🚩💐🚩💐🚩💐🚩

आदरणीय सब लेखक/कवि/कवियत्री/इतिहास सरंक्षक व सन्माननिय सदस्यगिणला सूचित करनो मा आय रही से की सप्ताह को हर शनवार अना इतवार ला पोवारी साहित्य सरिता को आयोजन करनो मा आय रही से।

 उत्कृष्ट लेख, काव्य रचना, समुह ब्लॉग अना समाज का उत्कृष्ट फेसबुक पेज पर अपलोड करनो मा आयेती l

सबको साथ अना सहयोग भेटे असी सबलक नम्र बिनती🙏🏻 से जी l


🔸रचना पोवारी भाषामाच मान्य होयेती।


🔸गद्य-पद्य रचना ला नाव देनो अना रचना को खाल्या नाव लिखनो अनिवार्य से जी ।


🔸पोवारी कविता, आत्मकथा, संस्मरण, एकांकी, निबंध, कहानी, लघुकथा , पत्र, ऐतिहासिक समाजिक, सांस्कृतिक लेख आमंत्रित सेती।


🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹

       आयोजक

डॉ. हरगोविंद टेंभरे

श्री शेषराव येळेकर

श्री यशवंत कटरे

      मार्गदर्शक

श्री. व्ही. बी.देशमुख

🚩🏵️🕉️🕉️🏵️🚩

[11/02, 07:58] Rishi Bisen: रोशनी बेटी🙏🏻

(कथा, पोवारी भाषा मा)

              रोशनी यन् बरस दसवी मा होती। गाव मा दसवीं तक स्कूल होतो अन वोको बाद बारहवी तक पढ़न लाई जवर को क़स्बा मा जावत होतिन। टुरा गिन त् कसो भी सायकल धरकन कितन भी जायकन भी पढ़ लेत होतिन परा टुरी इन लाई माय बाप ला बड़ी चिंता रहवत होती। यन् गाव लक़ एकच बेटी न् दसवी पास करी होती अना वोला ग्यारवी लाई नवुरगांव मा धाड़ीन् परा वोन टुरी ला जरसो बाहिर की हवा का लगी, बारहवी मा जावता जावता एक आढ़जात को टुरा को बहकावा मा आयकन आपरो माय बाप अन् परिवार ला सोड़कन नहान सी उमर मा पराय गई। यन कच्ची उमर मा समझ की कमी अना फिलिम की दुनिया को यव असर की टुरा टुरी को पिरम को आगे देवता तुल्य माय बाप को कोनी मोल नहाय, जसो संस्कार नवी पीढ़ी ला गलत दिशा मा जावन की सीख देसे अना असी नकली सीख को कारन् ओन टुरी ना आपरो हाथ लक़ आपरो भविष्य मा नास कर डाकिस। वोको बादमा वा कित पराई कोई ला मालूम नहाय।

              अज़ यन् गाव मा एक टुरी को असो गलत रस्ता मा जावन् को कारन पुरो गाव का माय बाप मा भय समाय गय होतो की टुरी इनला बाहिर पढ़न लाई धाड़नो ओनकी जिंदगी ख़राब कर देसे। रोशनी पढ़न मा बड़ी चंट होती अन वोला पढ़न लाई साजरी लगन भी होती परा वोको माय अजी ला आता यव चिंता खाय रही होती की दसवीं को बाद मा येतरी हुशियार बेटी ला घर मा बसावबीन की बाहिर पढ़नला धाड़बीन। रितेश भी पढ़नमा साजरो होतो अना ओको भी यव इक्छा होती की बहिन ला भी पढ़वानो से परा बाबूजी तययार नही होय रहया होतिन।

             सायनी माय त् अनपढ़ होती परा वय रोशनी ला रितेश को जसो पढ़ावन को इक्छा राखत होतिन। उनको कवहनो होतो मी त् रामायण भी नही पढ़ सिक सु अना मोरी बहु त् पाँचवीच तक पढ़िसे परा अज़ की पीढ़ी ला पढ़नो बढ़नों जरुरी से। रोशनी को बाद गाव मा कई टुरी होतिन जिनला आगे पढ़न की चाह होती परा एक टुरी को गलत कदम को कारन पुरो गाव मा भय को माहौल भय गयो होतो।

           दसवीं मा रोशनी को ब्लॉक मा पहिलो नंबर आयो होतो। रोशनी को पिताजी वोला आगे की पढ़ाई लाई राजी नही भया । सबला रोशनी परा पुरो भरुषा होतो की वोला पढ़न लाई लगत लगन से अना वा असो वसो काई नही करन की। रोशनी की माय भी ओको पिताजी की सोच ला सही मानत होती परा सायनी माय ला आपरी पोती परा पुरो भरुषा होतो की वू आपरो परिवार समाज को नाव रोशन करहे। सायनी माय ना रोशनी ला सांगिस की गाव मा जेतरो भी पढ़न वालों टुरू पोटू इनला हाकल कन इत् आन। रोशनी को घर मा सब आयीन् त् सायनी माय ना सबला यव पूसीस की बेटा इनला त् बाहिर पढ़नला धाड़सेती परा येक टुरी गलती की सजा आता गाव की सबच बेटी इनला सजा देनो केतरो सही रहे। वोना सबलक यव पूसीस की तुम्ही सब भी वोना टुरी जसी होय जाहो यव भय तुमरो माय-बाप ला से अना येको लाई वय तुमरो बाहर जायकन पढ़न-लिखन को विरोध मा ऊभो होय गया सेती, आता तुम्ही च सांगो की तुमला सही रहकन पढ़ाई कर आपरो अना परिवार को नाव मोठो करनो से की वोन टुरी जसो आपरो अन् समाज को नाव खाल्या पाड़नो से। तुमरो इरादा पक्को रहें त् असी काई बाधा तुमरो रस्ता मा नही आवन को से अना यव पक्को मन लक आपरो माय अजी ला यव भरुषा दिलावनो से। तुम्ही सब मिलकन सबलक पहिले आपरी माय इनला भरुषा देव अना सप्पाई नारी शक्ति मिलकन सबला यन भरुषा लक मनावनों पढ़े।

         गाव मा सब लोक मिलकन बेटी इनला पढ़ायकन आगे बढ़ावन को अभियान मा जुट गईन। रोशनी को भरुषा अना वोकी पढ़ाई को प्रति असो समर्पन् को भाव ला देखकन वोको पिताजी न् आपरी बेटी ला आगे पढ़न लाई भेजनला तयार भय गयीन। साल दर साल रोशनी ना हर परीक्षा ला पास करखन कॉलेज मा प्राध्यापक बन गई। तसच गाव की कई बेटी इनना कई परीक्षा इनमा सफलता अर्जित भी करीन अन आपरो माता पिता इनको सपन ला पुरो करीन।

✍️ऋषि बिसेन, बालाघाट

🔅🌸🔅🌸🔅🌸🔅🌸🔅

[11/02, 15:50] Hemantkumar Patle: पोवारी साहित्य सरिता ८५

दिंनाक:११:२:२०२३

             सांगो त मानूl

             ****

एक मरेव बान लगकर,

दुई मऱ्या खबर सांगेवपर l

मंग पुढ मर गया ये च्यार,

तीन गया बनवासी बनकर l

एको अर्थला सांगो लवकर,

तब तुम्हला कहू समजदार l

(श्रावण बाळ, बुडगा माय बाप, दशरथ)

         चीज 

        ***

येन चीज को राज नोको खोलजो कसे,

समजदार ला इशारा करजो कसे l

भूक लगेव परा खाय लेजो कसे,

तहान लगेव परा पीय लेजो कसे l

थंडी लगेव परा ताप लेजो कसे,

मज्जा लक बेटीला बाप खाजो कसे l

(नारळ)


हेमंत पी पटले धामणगाव (आमगाव)९२७२११६५०१

[11/02, 16:50] Randeep Bisen: भारत जन्मभू खाण दैवतकी

   संत महंत की, कर्मभूमी !!१!!


  हरेक युग मां, ज्ञान देत गया

  सुसंस्कृत कर्या, समाजला !!२!!


 पोवार समाज,क्षत्रिय कुलीन

 वर्तन शालीन, समंजस !!३!!


महान पोवार, वर्तमान काली

आमी भाग्यशाली,सेजनजी !!४!!


सुंदर गराका,भेटीसे वरद

समाज दरद, दुरकरी !!५!!


हिरदीलालजी , ठाकरे कुलका

वरद कालिका, माय को से !!६!!


क्रांतीवीर थोर,तुमी सेव भाऊ

थोरवी मी गाऊ,रातदिन !!७!!


माय सरस्वती, सदैव प्रसन्न

घरमा आसन्न, लक्ष्मी माता !!८!!


धावसेव सदा,समाज कारण

ध्यान मां धारण, तुमी सेव !!९!!


दीन-दुःखी कोनी,साटी जी तत्पर

कार्य लोकोत्तर, तुमरो जी !!१०!!


नागपूर लक्, धाव चल धार

तुमरो वावर , चहुफेर !!११!!


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--रणदीप बिसने

[11/02, 20:07] Sheshram Yedekar: व्हॅलेंटाईन डे को बसंत 


बसंत मा लहरसेती, पीरम का वारा

बदलतो मोसम सारखा, बिचार सेती खरा


गुलाब को फूल मा दिसे पीरम की गंगा

लालची मनका बेबस सरम की गंगा

शुद्ध पीरम समज् ना, दिल से कारा

बदलतो मोसम सारखा बिचार सेती खरा


बिसर गया राम कृष्ण, साजरो व्हॅलेंटाईन डे 

फूल चॉकलेट किस 

खोबरो व्हॅलेंटाईन डे

वासना पूरतो पीरेम, सुखेव भावना को तरा

बदलतो मोसम सारखा बिचार सेती खरा


मोह रस मा ललचाई झूमती दुनिया

स्वार्थ लालच वासना मा रमती दुनिया

मस्तक पर नाव लिखकन, देसेत नारा

बदलतो मोसम सारखा बिचार सेती खरा 



शेषराव येळेकर

दि.११/०२/२३

[12/02, 10:19] Omkar Lal Ji Patle: 🩸सावधान🩸

      पोवार समुदाय का केवल ने़ंग-दस्तूर ,  बिहया का गाना अना पक्वान्न ये पोवारी संस्कृति का गाभाभूत घटक (Core Elements)आत. लेकिन इनला संपूर्ण  संस्कृति मान लेनो गलत से. पोवारी संस्कृति मा पोवार समुदाय की ऐतिहासिक पहचान व मातृभाषा पोवारी को भी समावेश होसे.

      ऐतिहासिक पहचान व मातृभाषा पोवारी की बात न करता जे संगठन केवल नेंग दस्तूर अना गाना को संरक्षण करन की बात कर् सेती, वय समाज ला गुमराह कर रहया सेत.

     आओ,  आम्हीं सब जन  प्रथम महत्व समाज की ऐतिहासिक पहचान व मातृभाषा बचावन को कार्य ला देबी.

🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩

[12/02, 10:27] Rishi Bisen: हमला आपरो समाज को हर पहलु जिनमा ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक असो अनेकानेक तत्व समाहित सेती, जिनको लक़ आपरी सम्पूर्ण पोवारी संस्कृति को निर्माण होसे अना येको मा समाज की भाषा, समाज स्वीकृत मूल्य/मानदंड/मानता आदि समाहित सेती,  संरक्षण करनो जरुरी से

 "पोवारी संस्कृति" शब्द मा समाज को हर पहलु को समावेश से अना यव आपरो पुरखा इनकी विरासत से जेला आमरो पुरखाइन ना युगो युगो वरी संरक्षित कर राखीसेत।

   अज़ की पीढ़ी लक़ यव जिम्मेदारी से की येला साबुत भी राखनों से अना नवी पीढ़ी ला हस्तातंत्रित भी करनो से।

[13/02, 06:50] Govardhan Bisen: 🚩गजानन स्तुती (पोवारी)🚩

(नवाक्षरी मनोहारी काव्य)


ग  = गण गण गणात बोते

जा = जाहीर गजानन मंत्र |

न  = नश्वर शरीरला भेटे

न = नवजीवन रूपी यंत्र ||१||


म = मनमा भजो गजानन

हा = हाण पाड़े संकट दूर |

रा = राग द्वेषला सोड़कर

ज = जगावो प्रेमको अंकूर ||२||


प् = परोपकारी येव गुरू

र = रचसे कयी चमत्कार |

क = कयीक भक्तका संकट

ट = टलाय देसे वू तत्कार ||३||


दि = दिव्य पुरुष गजानन

व = वंदनीय तू दयावान |

स = सदगुरू भक्तवत्सल

की = किर्ती तोरी से महान ||४||


हा = हासीखुशी ठेव सबला

र् = रममाण कर या सृष्टी | 

दि = दिशा देखाव सन्मार्गकी

क = करदे येत्ती कृपादृष्टी ||५||


सु = सुमरूसु मी सदगुरू

भे = भेव दूर करदे मोरो |

च् = चराचरको स्वामी सेस

छा = छायामा रव्हनदे तोरो ||६||


अनंत कोटी ब्रम्हाण्ड नायक,

महाराजाधिराज योगीराज,

परब्रम्ह सच्चितानंद, भक्त प्रतिपालक,

शेगाँव निवासी, समर्थ सदगुरू,

श्री संत गजानन महाराज की जय.


© इंजी. गोवर्धन बिसेन "गोकुल" 

       गोंदिया, संपर्क - ९४२२८३२९४१

[13/02, 08:14] Mahen Patle: पुरानो 110 साल पहले को सरकारी दस्तावेज मा लिख्यव मिलसे की पोवार दारू नही पीत । 


यानी आमरी पोवार संस्कृति मा दारू नोहोती । वोन पुरानी संस्कृति को आमला पालन करनो से । यकोमा आमरो भला बी से ।


गुजरयव जमानो मा असो का भयव की लोग दारू का शिकार होन लग्या । असो पतन काहे भयव । यव संगतको असर होय सकसे । 


दारू सोडन लायी लोग आपली संस्कृति सोडन लग्या । 


दारू बढ़ी काहेकि समाज संघठन को भेव खत्म भयव । 


आमला पुनर्विचार करनो पड़े । समाज अना परिवार की बर्बादी रोकनो पडे । 


36 कुल संघठन पक्का करनो पडे । 


गाव मा संघठन द्वारा दारू बंदी होये त् लोग दारू सोडन लायी कोनतो पंथको सहारा नही लेयेती। 


36 कुल पोवार संघठन को पहले कार्य यवच की गाव मा , परिवार मा , कार्यक्रम मा दारू बंदी ।

[13/02, 13:19] Umendra Bisen: सेगांव को गजानन राया 

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शेगांव का राया।। संत गजानन।।

भक्तं को कल्याण।। करसेत।।१।।


महिना से माघ।।वद्य सप्तमीसे।।

देव प्रकटीसे।। गजानन।।२।।


खासे उचलके।।अन्न को वू कन।।

दुर्लभ से क्षण।। सबलायी।।३।।


होतो सिद्धयोगी।।मार्ग भक्तं जन।।

देसे गजानन।। सेगांवमा।।४।।


पांडुरंग का जी।।भक्तला दर्शन।।

आयो करावन।। सृष्टि पर।।५।।


मुक्त वू फीरनों।।कहा भी रव्हनों।‌।

मिलसे वू खानों।। शब्द सेती।।६।।


सेगांव प्रसिद्ध।। वास्तवल् आयो।।

संत पिठ भयो।।कायम को।।७।।


गजानन जी की।।अशी या महीमा।।

लौकिक सहिमा।। दुनियामा।।८।।

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उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरीत)

रामाटोला गोंदिया (श्रीक्षेत्र देहू)

९६७३९६५३११

[13/02, 20:14] Rishikesh Gautam New: मन को फासला🙏


हरेक 36 कुल पोवारी समर्थक व्यक्ति को संग.🚩

पोवारी बोली से मजबूती को प्रमुख अंग.🚩


मानो पोवारीला येन ग्रुप को प्रमुख अंग.🚩

नितांत जरुरी से पोवारी बोली को प्रतिपल अभंग.🚩


यदि पोवारी नहीं आव त आय जाये..🚩

राह पर सेजन त मंजिल भी मिल जाये... 🚩


साथ सबको मिले लका हाम्रो से हौसला..🚩

पोवारी बोली बोलेव ल मिट जायेती मन का फासला.. 🚩


🚩🙏ऋषिकेश गौतम 13-feb-2023

[14/02, 12:20] Mahen Patle: विनयस्य मूलं वृद्धोपसेवा || 

चाणक्यसूत्र 


वृद्धजन की सेवामा विनयको नम्रताको मूल से ।


विवरण- 


विनय अर्थात् नैतिकता, नम्रता, उचितज्ञता, शासन कुशलता, आदि रूपवाली सत्यरूपी स्थिर संपत्ति जो अनुभवी बुजुर्ग लोगइनकी सेवामा श्रद्धापूर्वक बारबार ज्ञानार्थी को रूपमा उपस्थित होत रहै लक च  प्राप्त होसे । 


मनुष्यला बुजुर्गइनको सत्संग लक सत्यरूपी स्थिर धन प्राप्त होय सकसे । 


मनुष्य विद्या, तपस्या और अनुभव लक ज्ञानी व सत्य को यात्री बनसे । 


बुजुर्गइनको पास जायकर उनकी योग्य परिचर्या करके जिज्ञासु या शुश्रूषु बनके रव्हनोला वृद्धसेवा कह्यव जासे । 


सत्य पथ पर अनुभवी धर्मवान बुजुर्ग लोगईनको पास बार बार जाये लक उनकी विद्या, तपस्या तथा उनको दीर्घकालीन अनुभवोंको लाभ उठावन को अवसर मिल जासे । 


बुजुर्ग लोग आपलो किनारों को बाहर बव्हनो त्यागकर आपलो नियत स्थान परा स्थित असीं शरत् कालीन नदिको समान मर्यादापालक तथा कार्याकार्यविवेकसंपन्न रव्हसेत । दण्डनीति तथा व्यवहारकुशलता को पाठ असो ज्ञानी व धर्मवान बुजुर्ग लोगइनको द्वारा सीखता आहे । 


बुजुर्गइनको सेवालक विनय पूर्ण  व्यक्ति  आपलो नवी पीढ़ीला विनयको पाठ सिखाय सकसे अना व्यक्ति निर्माण को  कार्य अच्छो लक कर सकसे ।

🙏🏻😌🚩🚩🚩

[15/02, 07:48] Hemantkumar Patle: शिव जयंती

    ***

शिव रात्री को आयी से, पावन पर्व महान

चलो मनावो शिव जयंती, दिल खोलकर।

संकल्प को दिन से, सोडो बुरा व्यसन

रहो सब संग, चांगलो करो व्यवहार।।१।।

जब जब धरम को, करन लग्या घात

तब धरापर भारी, बढ़ेव पापाचार।

महाशिवरात्री की, आयी पावन वा रात

प्रगट भयेव धर्म रक्षक, भोला शंकर।।२।।

हर बल्ला हर हर, महादेव की से हाक

शिव भोला नाथ दूर करो, सबको दुःख।

पुकार करन लग गया, दुःखी कष्टी लोक

ओम नमः शिवाय को मंत्र मा मिल से सुख।।३।।

जनम भर को रिस्ता, जोड़ो शिव बाबा संग

मोहमाया को बंधन तोड़ो, बन जाओ नेक।

ओम शांती को बोल, प्यार को चढ़से रंग

शिव बाबा से सबको, परमात्मा एक।।४।।

शिव रात्री ला होसे, शिव को अवतरण

ज्ञान गीता सांगसे, देसे धर्म उपदेश।

शिव को झेंडाला करो, सब जन वंदन

शिव रात्री को से, सबला धर्म संदेश।।५।।

हेमंत पी पटले धमनगांव (आमगांव)९२७२११६५०१

[15/02, 12:13] Chhaya Pardhi: 🌷🌷 महादेव भोला 🌷🌷


महादेव भोळा चौरा गडपरा

गंगा जटाधर गौरिको शंकरा


हातमा डमरूत्रिशूल धरता

सिरपर चन्द्र शोभसे वरत्या


पार्वतीको वर से कैलाशपर 

बसेव ध्यानमा भष्म तनपर


आवसे संकट त्रिनेत्र धारय

करसे तांडव महामृत्युंजय


अर्धनारीश्वर नटराज तुच

नंदीकी सवारी महाकाल वुच


आऊ तोरो द्वार उज्जैन मा घर

तू कुलदेवता महाकालेश्वर


✍️✍️सौ छाया सुरेंद्र पारधी

[15/02, 20:34] Umendra Bisen: अलक 

अंधश्रद्धा को परीणाम 

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   उर्वशी नौकरी लायी साक्षात्कार देणं गयी... अचानक गाडी को सामने बिल्लू आडवी गयी. जरा रुकस्यारी रस्ता पार करके ऑफिस मा गयी...देखसे त् जास्त बेरा को कारण दुसरोला नौकरी मिल गयी.

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उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरित)

रामाटोला गोंदिया (श्रीक्षेत्र देहू पुणे)

[15/02, 21:45] Chhaya Pardhi: अलक

🌷🌷🌷🌷🌷🌷

पयलो बार निशा न ओला देखीस, 

मन लालाईत भयेव ओला कुरवाळणला,

ओको गालपर प्रेमलक चुंबन लेइस

अना ओला पान्हा दाटेव


✍️सौ छाया सुरेंद्र पारधी

[16/02, 21:37] Mahen Patle: धर्मो रक्षति रक्षितः 


आमी आपलो धर्म, संस्कृति परम्परा की रक्षा करबिन त उनको कारण प्राप्त संस्कार आमरो जीवन मा शांति , सुख  व आंनदका कारण बनेति। 


धर्म व संस्कृति धारण करनो यानी संस्कार जागृत करनो । 


जीनमा संस्कार सेत , ज्ञान से वय संसार मा सदा वंदनीय रह्या सेत । 


आपलो धर्म , संस्कृति , पहचान छोड़के श्रेष्ठ उत्तम नही बनता आवनको । 


बहुत पैसा भय बी गयव पर परिवार संस्कार हीन से त् सब व्यर्थ होय जासे । 


आमला असंस्कारित लोगइनको चक्कर मा पडके पतित बननो नाहाय । 


आमला सर्व सपन्नता को तरफ जानो से जहान सामाजिक सन्मान की प्राप्ति होसे । 


🙏🏻🚩🚩🚩

[17/02, 11:00] Umendra Bisen: 😂 हास्य कविता 😂


भयी फजिती स्कूल मा 

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होतो दशवी को कक्षामा

चालू वय वर्ष सतरा 

मोरो वय को मानलक

नोहोतो मी काही भितरा.


आय बात आठवी कक्षा की

बनेव मी कक्षा नायक

बटा प्रश्न पडेव मोला

होतो का मी ओको लायक.


स्कूल मोरो लायी नवीन 

लगायव थोडा नियम

पुराना टूराईन मोला

धरस्यान देईन दम.


नही चलत तोरा नियम

मौज मस्ती मा रवबीन

आमीच आजन पुराना

तोरीच का आयकबीन.


सब पुरानो टुराईन 

मोरी फजिती कराईन

बेंच को दुयी बाजुलक

मोला जान नहीं देईन.


गयेव बेचपरलका

मस्त कुदत जोरलका 

गुरूजीन देखीन जसो

शिक्षा देईन छडीलका.


जुनो टूराईन फजिती

करीन मोरी युक्तीलक 

कक्षा नायक हटाईन

खुशी भयी वा शानलक.


मीन भी संकल्प करेव

नही करू इनको नाद

उनको हतखंडा भारी 

अनुभवल करीन बाद. 

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उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरित)

गोंदिया (श्रीक्षेत्र देहू पुणे)

[17/02, 16:35] Yashwant Katre: डर

जेन बात को रव्ह से मन मा डर,

दिमाग मा बन जासे ओको घर।

नहीं निकल: भुत ओको बाहेर,

रह रह कन आव सेतीओकी लहर।।

पल पल बढ़ से काया मा जहर,

देखत देखत होत जासे ओको असर।

नहीं समझ आव, ना आव नजर,

कहीं भी नहीं छोड़ आपरो असर।।

डर की जिंदगी ला नहीं समझत दिगर,

जो भोग रही से, ओलाच से खबर।

नोकों राखो कोन्ही बात को डर,

ज़िन्दगी बन जाहे स्वर्ग लक सुन्दर।।

सिर्फ आचार विचार मा जरुरी से डर,

मानवता बचावन लाई नित होना डर।

सयाना भी कह गयीन डर ओको घर।।

ज़िन्दगी मा नहीं होना अबुझ डर,

जो सामने से ओको सामना कर।

दुनिया मा परोक्ष रूप मा नहाय कोई डर,

जो करे डर, जिवन ओको होय बत्तर।।

यशवन्त कटरे

जबलपुर १७/०३/२०२३

[18/02, 05:57] Vidhya Bisen: हरबोला हर हर महादेव🙏



भोलेनाथ सदाशिव संभु 

तोरी जटा मा गंगा विराज माथा चंदा हाथ डमरु त्रिशुल तोरो साज,

भोलेनाथ सदाशिव संभु

हर बोला हर हर महादेव,


,

गरो मा डोलसे सर्प मुंड की माला अंग भभुती सोहसे म्रग छाला,

भोलेनाथ सदाशिव संभु

हर बोला हर हर महादेव,


तोरा संगी सेत हजार भुत प्रेत ,पिसाच नंदी पर तु सेस सवार,

भोलेनाथ सदाशिव संभु,

हर बोला हर हर महादेव,



देवी ,देवता ,दानव तोरो गुण गावत,

माय गौरा संग तु सुहाव  गणपती तोरो मान बढा़व,

भोलेनाथ सदाशिव संभु,

हर बोला हर हर महादेव,


कैलाश मा तु डमरु बजाव तांडव  तोरो सबको मन भाव

भोलेनाथ सदाशिव संभु

हर बोला हर हर महादेव,,


डम डम तोरो डमरू बाज  संग संग गौरा गणपती सारो संसार नाच, 

भोलेनाथ सदाशिव संभु,

हर बोला हर हर महादेव,

 

विद्या बिसेन

बालाघाट🙏

[18/02, 09:03] Prof Hargovind Tembhare: पोवारी साहित्य अना सांस्कृतिक उत्कर्ष द्वारा आयोजित:-पोवारी साहित्य सरिता भाग ८६

💐🚩💐🚩💐🚩💐🚩💐🚩

आदरणीय सब लेखक/कवि/कवियत्री/इतिहास सरंक्षक व सन्माननिय सदस्यगिणला सूचित करनो मा आय रही से की सप्ताह को हर शनवार अना इतवार ला पोवारी साहित्य सरिता को आयोजन करनो मा आय रही से।

 उत्कृष्ट लेख, काव्य रचना, समुह ब्लॉग अना समाज का उत्कृष्ट फेसबुक पेज पर अपलोड करनो मा आयेती l

सबको साथ अना सहयोग भेटे असी सबलक नम्र बिनती🙏🏻 से जी l


🔸रचना पोवारी भाषामाच मान्य होयेती।


🔸गद्य-पद्य रचना ला नाव देनो अना रचना को खाल्या नाव लिखनो अनिवार्य से जी ।


🔸पोवारी कविता, आत्मकथा, संस्मरण, एकांकी, निबंध, कहानी, लघुकथा , पत्र, ऐतिहासिक समाजिक, सांस्कृतिक लेख आमंत्रित सेती।


🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹

       आयोजक

डॉ. हरगोविंद टेंभरे

श्री शेषराव येळेकर

श्री यशवंत कटरे

      मार्गदर्शक

श्री. व्ही. बी.देशमुख

🚩🏵️🕉️🕉️🏵️🚩

[18/02, 14:55] D P. Rahangadale: हर बोला हर हर महादेव

     *****

महादेव जासू गा ,अगा भोला शंकर,

महादेव नहीं दिस गा, महादेव नही दिस,ना

जायस्यान जंगल मा बस //

हर बोला ,हर हर महादेव//



गळ परा गळ गा, भोला गा शंकर 

असा गळ केतरा गा,असा गळ केतरा ना

सोनो श्रवन कि धारा  //

हर बोला ,हर हर महादेव//



असा गळ केतरा गा, देवा संभा गा नाथा,

असा गळ बारा गा, असा गळ बारा ना

गौराई संग चौसर खेल,कैलास को,भोळा//

हर बोला ,हर हर महादेव//


गौराई को चुळा गा ,अगा या देवा

कसोलक फुटेव गा, कसोलक फुटेव ,

चौसर खेलता हात आळ ओ पळेव//

हर बोला ,हर हर महादेव//



महादेव जासु गा ,शंकर भोला,

करून एक मन, करुन एक मन,

सामने भेटे बेलपाती को बन //

हर बोला ,हर हर महादेव//

       

       @@@@@@@@@@ 

डी.पी.राहांगडाले

     गोंदिया

[19/02, 13:06] Hemantkumar Patle: पोवारी साहित्य सरिता ८६

दिनांक:१८:२:२०२३

कलजुग चल रही से।

*******

करो सद्गुण धारण, सबको उद्धार होये

कलजुग चल रही से, नही त सत्यानाश होये।। टेक।।

शिवजी प्रगट भयेव, रात होती शिवरात्री की

दुःख दूर करो ईश्वर, पूजा भयी शिव लिंग की।

मानवता धारण करो, अनुभूति सुख की होये।।१।।

ज्योति स्वरूप शिव लिंग, परमात्मा से निराकार

जोड़ो नातो उनको संग, खुशियां मिलेती अपार।

सत्य को पदपर चलो, तब तुम्हरो कल्याण होये।।२।।

छोड़ो शिव की रात्री लक, लग गया बुरा व्यसन

खुदको बनो मन जीत, शिव नाथ रहे प्रसन्न।

सदा सब संग की खुशी, प्रेम की बरसाद होये।।३।।

हेमंत पी पटले धामनगांव (आमगांव)९२७२११६५०१

[19/02, 17:22] Hemantkumar Patle: विषय: शिव जयंती

        शिवबा

       ***

शिवबा तोरो शिव जयंती पर,

करसेती सदा जयजयकार।

महा प्रतापी राजा शुरबीर की,

महिमा तीन कालमा से अपार। टेक।

उन्नीस फरवरी सोलासव तीस,

शिवनेरी किल्लापर को जनम

हर कला मा भयेव निपुन,

 जीजाबाई को माहान काम।

मावळा संग सपथ लेईस,

 हात धरीस भवानी तलवार ।१।

मुगल, निजाम, आदिलशाह,

इनको संग लळेव दटकर

चलाखी अफजलखान संग,

मार देईस पोट फाडकर ।

बोट कट्या बची जानला देख,

शहिस्तखान भयेव फरार।२।

औरंगजेब को पुढ़ सीना तान,

मराठा को रचिस इतिहास

आगरा जेल को मोठो पहारा,

हिकमत लक खेल खेलीस।

पहारा करी रय गया देखत,

संभाजी संग भयेव पसार।३।

हिंदवी स्वराज्य जनक की,

 रायगढ़ पर भयेव राज्यभिषेक 

तीन अप्रेल सोळा सव ऐंशी,

 सिधार गया वय स्वर्ग लोक

जबलक चंद्र सूर्य रहेत,

शिव शाई को नाव से अमर।४।

हेमंत पी पटले धामनगांव (आमगांव)९२७२११६५०१

[21/02, 09:41] Rishi Bisen: पोवारी भाषा


         पोवारी भाषा येक पुरातन भाषा आय अन् यव पोवार जेला छत्तीस कुरया पंवार समाज भी कसेती, की आपरी मातृभाषा आय। पोवारी भाषा को आपरो स्वतंत्र अस्तित्व आय अन् भाषा साहित्यिक नाव पोवारी(Powari) से। पोवार समाज को दूसरों पुरातन नाव पंवार होन को कारन पोवारी ला पंवारी(Panwari) भी बोलन मा आवसे। देश मा भाषा इनको अध्ययन प्राचीन काल लक़ होय रही से परा सम्पूर्ण अखंड भारत मा एकजाई भाषाई अध्ययन बीसवीं सदी की शुरुवात मा गियरसन महोदय को नेतृत्व मा भयो जेमा पोवारी भाषा को विषय मा विस्तृत शोध प्रकाशित भयो होतो। येको पहिले अन् बाद को सप्पाई अध्ययन मा यव तथ्य भेटसे की पोवारी भाषा, पोवार समाज की आपरी येक भाषा से अना समाज को क्षेत्रवार विस्थापन का प्रभाव पोवारी भाषा मा दिस जासे।

         इतिहास को अनुसार पोवार, मालवा का पुरातन पंवार(प्रमार) क्षत्रिय आती जिनको छत्तीस कुर होतिन अन इनको बादमा वैनगंगा क्षेत्र मा स्थाई बसाहट भई। पोवारी भाषा, पोवार समाज की संस्कृति को प्रमुख हिस्सा से अन आता पुरातन पोवार मुख्य रूप लक़ भंडारा,बालाघाट, गोंदिया अन सिवनी ज़िला मा बस्या सेती।

            पोवारी भाषा पुरातन से अन येको लगित अध्ययन भी भई से जेको विवरण जनगणना दस्तावेज, जूनो प्रतिवेदन, इतिहास की किताब अना हमारो समाज का लेखक/विचारक इनको लिख्यो किताब/लेख मा मिल जासे। इनला देखकन यव त् सिद्ध होसे की पोवारी पुरातन अन समृद्धशाली विरासत की धनी आय। पोवार समाज को बिहया, नेंग-दस्तूर, रोज का कामकाज, सन-तिव्हार असो सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम को गीत, पोवारी भाषा मा होनो यन बात को प्रमान से की पोवारी भाषा, छत्तीस कुरया पोवार समाज की सांस्कृतिक विरासत ला आपरो मा समाहित कर राखिसे।

           कोनी भी समृद्ध भाषा अन् संस्कृति को विकास ला कई सदी लग जासेती। आपरी पोवारी भाषा अन् पोवार समाज की संस्कृति को विकास भी असो मोठो कालक्रम मा क्रमबद्ध उन्नत होन को परिचायक आय। पोवारी भाषा मा मालवा-राजपुताना (अज़ को मध्यप्रदेश राजस्थान गुजरात को सीमावर्तीय क्षेत्र) की भाषा इन लक़ साम्यता दिससे। पोवार समाज को पुरातन भाट न् आपरी पोथी मा वैनगंगा क्षेत्र को पोवार इनला मालवा का प्रमार अना उनको नातेदार क्षत्रिय इनको संघ लिखिसेत्। मालवा मा प्रमार वंश को शासन होतो। प्रमार राजा अन उनको नातेदार कुल, पोवार/पंवार जाति को कुल आती। मालवा परा प्रमार वंश को शासन की समाप्ति को बाद पोवार इनमा कई क्षेत्र मा विस्थापन भयो। कई पोवार, नवो क्षेत्र मा राजपूत, मराठा अन कई समाज मा कुल को रूप मा शामिल भय गईन परा मालवा की एक जाति को रूप मा पोवार समाज लम्बो समय तक संग मा रहयो अन बाद मा यव पोवारी कुनबा वैनगंगा क्षेत्र मा आयकन बस गयीन।

        अज़ बालाघाट, भंडारा, गोंदिया अन् सिवनी ज़िला का पोवार की एक जसी संस्कृति अन् भाषा से। भाषा मा थोड़ो-थोड़ो स्थानीय अंतर चोवसे परा भाषा को मूल स्वरूप येक जसो आय। पोवारी भाषा परा सिवनी ज़िला मा बघेली को, भंडारा मा मराठी को, गोंदिया क्षेत्र मा झाड़ी बोली को, बैहर-लाँजी क्षेत्र मा छत्तीसगढ़ी को प्रभाव दिस जासे, परा थोड़ो मोड़ो बोलन की लय अन स्थानीय शब्द को अंतर को बावजूद पोवारी को मूल स्वरुप अना पुरातन शब्द समान सेती।   भाषाई सर्वे मा पोवारी ला हिंदी की उपभाषा को रूप मा लिखी गई से परा पोवारी की आपरी लय अन् अस्तित्व हिंदी की उत्पप्ति अन विकास लक़ भी जूनी से। विदर्भ मा पोवार समाज को आवन को बाद पोवारी अना स्थानीय मराठी-झाड़ी बोली मिलन लक़ पोवारी भाषा को येक नवो स्वरूप को विकास भयो।

          वैनगंगा क्षेत्र मा आयकन बसन मा अज़ लगभग तीन सौ बरस लक़ भी अदिक को बेरा भय गई से अन् सांस्कृतिक रूप लक़ समाज को आपरो पूर्व क्षेत्र लक़ कोनी भी संबंध नहाय येको लाई वैनगंगा क्षेत्र की पोवारी भाषा आता इतन का पोवार समाज की च भाषा से। भाषाई अध्ययन करता इनना पोवारी(Powari) नाव की भाषा ला बालाघाट, भंडारा(+गोंदिया) अना सिवनी ज़िला मा निवासरत पोवार(३६ कुल पंवार) समाज की च भाषा लिखी सेत अन् १८६८ अना १८८१ लक़ हर दस बरस मा विधिवत होन वाली जनगणना मा यव तथ्य मिल जासे।

अज़ देश विदेश मा कई संस्था अना विभाग विलुप्त होय रही भाषा इनको संरक्षन् को कार्य कर रही सेती। पोवारी भाषा भी ओन भाषा इनमा शामिल से जिनला खतम होन को खतरा से। पोवार समाज मा अज़ अनेक सामाजिक कार्यकर्त्ता, साहित्यकार, गीतकार आदि अनेक समाजजन आपरी यन विरासत ला बचावन मा जुट गया सेती। उनको प्रयास लक़ पोवारी आपरो मूल नाव अना स्वरूप मा जीवित होय रही से अन् यव सबको लाई ख़ुशी की बात से।

✍️ऋषि बिसेन, बालाघाट

💐💐🙏💐💐💐🙏💐

[21/02, 10:37] Ramcharan Patle: रावण जसो कोन्ही नहीं विद्वान

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शंकर जी को भक्त होतो महान;

करत रव्ह निशदिश शंकर को ध्यान!

नहीं करी होतीस कोन्ही घर खान पान;

वेद पुराण मा से असो सत्य लिखान!!


दशरथ राजा घर करनो होतो पूजा विधान;

सम्मान पूर्वक पत्र न्योता को गयो लिखान!

धर्मपत्नी मंदोदरी न पढ़कन करी ऐलान;;

जाओ जाओ रावण ला कहकन बखान!!


पूजा कर रावण न मांगीस सीता ला दान;

कसे रावण सीता जी ला दें मुक्ति महादान!

सीता जी कसे मुक्ति दाता से राम भगवान;

मी तों एक माध्यम की सेऊं कृपा निधान!!


रामायण रचना को विशिष्ट से संज्ञान;

दुय बार रावण को भयो होतो समाधान!

रामेश्वरम मा भी रावण लक पूजा निदान;

विजय को श्रीराम जी ला देयके वरदान!!


मालूम होतो रावण ला भविष्य को ज्ञान!

राम बिन रावण को जीवन सुनसान!!

कलयुग मा प्रथागत विधा को निशान!

पोवारी मायबोली लक करेव ऐलान!!


रामायण संक्षेपक पटले रामचरण:-

सब कविताकार ला करकन नमन::-

करत रव्हनो मायबोली को सदा प्रसारण:-

सबला हाथ जोड़कन करुसू जी वन्दन::-


माय गढ़काली भवानी को जायके शरण:-

चलावत रव्हनो सब मिलके संगठन::-


काव्य रचना:-रामचरण हरचंद पटले महाकाली नगर नागपुर मोबाइल नं.९८२३९३४६५

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[21/02, 11:26] Vidhya Bisen: अपरी माय बोली 🙏

मात्र भाषा दिवस की सबला हार्दिक सुभेच्छा से जी🙏


मी वारी वारी जाऊ बलिहारी जाऊ मोरी माय बोली पोवारी मा,

वारी वारी जाऊ,

बोलो तो शहद वानी घुल से पोवारी ,

लिखो तो सुलेख वानी लिखसे पोवारी,

मी त वारी वारी जाऊ बलिहारी मी जाऊ,

वारी वारी जाऊ,मी जाऊ बलीहारी,


गाओ तो संगीत बन गुनगुनाव  से पोवारी,

सबको मन महकावसे पोवारी

मी जाऊ वारी वारी,मी जाऊ बलिहारी


सभ्यता संस्क्रति बोली लक झलकसे पोवारी सबला एकता को पाठ सिखावसे पोवारी,

मी जाऊ वारी वारी,मी जाऊ बलिहारी,


संस्कार की परिपाटी सिखाव से पोवारी,सोच सच्ची मन मा जगाव से पोवारी,

मी जाऊ वारी वारी मी जाऊ बलिहारी,


रिती रिवाज नेग दस्तुर मा से न्यारी सबले अलग से हमरी पोवारी,

मी जाऊ वारी वारी मी जाऊ बलिहारी,


संजोयके राखो येला  बोली भाषा की किर्ती से निराली, 

माय बोली भाषा की मी बलिहारी मी जाऊ वारी वारी,


सब बोलो तो पोवारी सब समझो तो पोवारी मन ला  लगाओ त पोवारी भाऊ बहिनी सिखो लिखो त पोवारी,

मी जाऊ वारी वारी मी जाऊ बलिहारी।।


विद्या बिसेन

बालाघाट🙏

[21/02, 12:41] Yashwant Katre: सत्संग

कसो बखानु महिमा सत्संग की,

या जंजीर जुड़ी से दुयमन की।

सत् रव्ह या ना रव्ह मजा होना संग की,

नहीं त तस्वीर बदल जासे सत्संग की।।

ज्ञानी संग बसों, ज्ञान मिलें सबरंग को, 

अज्ञानी संग बसों, तो भी ज्ञान मिलें मनरंग को।

पापी संग बसों, तो भी पाप घटे अंतरंग को,

लोभी संग बसों, तो लोभ घटे बदरंग को।।

संगी कसो भी रव्ह खुद ला चिन्ता होना जीवन की,

महिमा मन मा होना सत्संग की।

संग छुटनो, संग जुड़नो पारी आय जीवन की,

संग संग को फर्क समझनो गरज आय जीवन की।।

माय बोली को सत्संग मा महिमा बढ़े समाज की,

माय बोली पहचान आय पोवारी रंगत की।

माय बोली दिवस पर करो कदर संगत की,

लिखों पोवारी, बोलों पोवारी गांठ बांधो पंगत की।।

यशवन्त कटरे

२१/०२/२०२३

[22/02, 23:19] Yashwant Katre: कमी

कमी जीवन मा जरुरी से,

सिखन लाई ठेस जरुरी से।

कमी पुस्तक की चल से,

सिखन लाई लगन जरुरी से।।

कमी कपड़ा की चल से,

कपड़ा तन ढाकन लाई जरुरी से।

पर सक्षम रहकर तन उघाड़नो,

संस्कृती लाई कन्हा जरूरी से?

कमी अन्न की चल से,

भुख लगनो पर भोजन जरूरी से।

पर भोजन रहकर भुखो रहनो,

तन लाई कन्हा जरूरी से ?

कमी संगत की चल से,

संगत समय पर जरूरी से।

पर संगत मा पंगत बीगाड़नो,

समाज लाई कन्हा जरूरी से?

कमी समझ की चल से,

समझ समय पर जरूरी से।

पर ना समझी मा काम बीगाड़नो,

मानवता लाई कन्हा जरूरी से?

संस्कार की कमी चल से,

संस्कार चरीत्र की चाबी से।

पर संस्कार को अभाव मा ,

संस्कृती हनन की कसी मन्जुरी से?

ऊजाड़ो की कमी जीवन मा चल से,   

 ऊजाड़ो साफ देखन लाई जरुरी से।

पर  ऊजाड़ो की कमी मा,

घर जरावनो कन्हा जरूरी से?

पहचान की कमी चल से,

पहचान आपलो लाई जरुरी से।

पर पहचान बढ़ावन को फेर मा,

आपलो ला मिटावनो कन्हा जरूरी से? 

असी घटना रोज होसेत,

कमी समझनो जरूरी से।

कोई नहीं रोकेत टोकेत आब,

समझो बाद मा पछतानो जरूरी से।।

यशवन्त कटरे

जबलपुर २२/०२/२०२३

[25/02, 09:47] Prof Hargovind Tembhare: पोवारी साहित्य अना सांस्कृतिक उत्कर्ष द्वारा आयोजित:-पोवारी साहित्य सरिता भाग ८७

💐🚩💐🚩💐🚩💐🚩💐🚩

आदरणीय सब लेखक/कवि/कवियत्री/इतिहास सरंक्षक व सन्माननिय सदस्यगिणला सूचित करनो मा आय रही से की सप्ताह को हर शनवार अना इतवार ला पोवारी साहित्य सरिता को आयोजन करनो मा आय रही से।

 उत्कृष्ट लेख, काव्य रचना, समुह ब्लॉग अना समाज का उत्कृष्ट फेसबुक पेज पर अपलोड करनो मा आयेती l

सबको साथ अना सहयोग भेटे असी सबलक नम्र बिनती🙏🏻 से जी l


🔸रचना पोवारी भाषामाच मान्य होयेती।


🔸गद्य-पद्य रचना ला नाव देनो अना रचना को खाल्या नाव लिखनो अनिवार्य से जी ।


🔸पोवारी कविता, आत्मकथा, संस्मरण, एकांकी, निबंध, कहानी, लघुकथा , पत्र, ऐतिहासिक समाजिक, सांस्कृतिक लेख आमंत्रित सेती।


🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹

       आयोजक

डॉ. हरगोविंद टेंभरे

श्री शेषराव येळेकर

श्री यशवंत कटरे

      मार्गदर्शक

श्री. व्ही. बी.देशमुख

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[25/02, 10:28] Omkar Lal Ji Patle: अलौकिक राजा रानी, भोज लीलावती            

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राजाभोज की भार्या होती लीलावती रानीl

अलौकिक होता भारत का ये राजा रानी ll


धारानगरी  होती मालवा की राजधानी l भया यहां राजा भोज लीलावती रानी l

प्रजा वत्सल शासक को रुप मा ‌विख्यात,

अलौकिक होता भारत का ये राजा रानीll


राजा रानी होता जसा शिव अना शिवानी l

देह दुय होता सोच एक अन् एक वाणी l

प्रजा वत्सल शासक को रुप मा विख्यात,

अलौकिक होता भारत का ये राजा  रानीll


समता लक करीन शत्रुओं ला पानी पानी l

सिंचाई लक आबाद करीन खेती किसानी l

प्रजा वत्सल शासक को रुप मा विख्यात,

अलौकिक होता भारत का ये राजा रानीll


राजा भोज होतो शौर्य शाली अना ज्ञानी l

सलाहकार विश्ववंदित विदूषी महारानी l

प्रजा वत्सल शासक को रुप मा विख्यात,

अलौकिक होता भारत का ये राजा रानीll


भारतवर्ष ला मानीन माय माता  ‌वानी l

शिक्षण ना धर्म धारा बहाईन गंगा वानी l

प्रजा वत्सल शासक को रुप मा विख्यात,

अलौकिक होता भारत का ये राजा  रानीll


इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

शनि.25/02/2023.

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[26/02, 07:56] Hemantkumar Patle: पोवारी साहित्य सरिता ८७

दिनांक:२६:२:२०२३

      माय बाप

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माय बाप सारखो, से का दूसरो देव

अनुभव का बोल, खावू नकोस भाव।

प्रेम भरया बोल की, जमा पूंजी या ठेव 

सत्य को रस्ता धर, मन मा रहे हाव ।।१।।

पड़से एक दिन, पिक्या झाड़ का पान

गत होसे तसीच, सब प्राणी की जान।

मिट्या पापी यहा का, अहंकारी रावण

बनो राम सरीखो, तब होसे कल्याण।।२।।

दिस पाणी को वरया, कमल फूल मस्त 

चिखल नही स्पर्स, दुर्गुण को से अस्त ।

जनम मौल्यवान, काहे रहोत त्रस्त

रोज हासी खुशीको, काटोना दिनरात।।३।।

जब लक से स्वास, तब लक से आस

पाच तत्व की काया, छोड़ जासे वू हंस।

जीव कर बीचार, तोड़से मोहपास

चांगलो काम पर, तर से भवपास।।४।।

हेमंत पी पटले धामनगांव (आमगांव)९२७२११६५०१

[26/02, 09:56] D P. Rahangadale: जिवन गती

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का सांगू मी येन जिवनकी गत /

रयगयेव ढोबरा चलीगयेव सत //ध्रु//


पयले एकच घर दस-पंधरा लोक रवत

ओलाच एक घर कुटुंब परिवार  कवत

पर आता अलगलग भयगया मत //१//


बिह्या  भयेव, नहीं रवजन  कसेव यंहानी

मंग सांगो तुमरा टुरा बोहु देयेत का पाणी

आपलंच दुनियामा रव्हसेव रत //२//


लघुशंका जात होता,मांगत कुरा करन पाणी

आता जेवनलाभी बसत नही हात धोयशानी 

मान गयेव पान गयेव गयी सारी पत //३//


पयले जेवन की पंगत केतरी छान लगतं होती

बफेमा चप्पल जुता टाकशानी जेवण करसेती 

रीती गयी निती गयी,रही शान शौ-कत //४//


आम्ही-तुम्ही बदल्या, बदलेव जमानो सारो

आचार बिचार शुध्द ठेवो,भक्ती भाव धरो

माया क चक्कर मा बदल जायेत मत //५//

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डी.पी. राहांगडाले 

      गोंदिया

[26/02, 22:45] Mahen Patle: आमरा देव


अज रिश्तेदारी मा राहंगडाले परिवार को देवी देवताइनकी चर्चा भयी त् देवी अना अन्य चार देव की जानकारी मिली । 


कुल देवी काली 

दूल्हा देव 

नारायण देव

पटिल देव

साखर देव


देवीजी अना पहले तीन देवता की बात समझ आय गयी पर साखर देव को साखर शब्द काइ नवो लग्यव । 


साखर मराठी शब्द आय अना नवो आय । पहले त् भेली यानी गुड़ प्रचलित होतो ।  

साखर ला  त् देव नही बनायी रहेन पोवारइनन असो  मोला लग्यव । 

मी दोबारा बुज़ुर्गइनला पुछ्यव की साखर देव च आय की पुरानो काइ दुसरो शब्द आय । कही सांकल देव त् नोहोय । 


त् उनन सांगिन की सांकल असो च काइ शब्द होतो पहले । आब बराबर याद नाहाय । पर एतरो पक्को से की वोन देव ला अज बी ढकना मा राखसेत् । अज बी वु देव तीन कळी की सांकली को रूप मा से । 

चवरी मालूम होती, पर सांकली को रूप मा देव वाली नयी च बात पता चली । 


संकल को कारण सांकल देव शब्द भय गयी रहे असो समझ आवसे ।


पर सांकल को रूप मा देव काहे सेत् यव प्रश्न उभो रव्हसे । 


काइ पुरानो लिंक मिलसे का मुन ढूंड्यव त् दूय बात पता चली कि सांकल नामक पँवार वंशकी राजधानी होती । 

सांकला पँवार नामक एक शाखा बी से ।

कही इनको काइ सबन्ध रहे का ? 

अना सांकल शब्द याद राखनलायी येन संकल रूपमा देव त् नही रह्या रहेत । 


जो भी भयी रहे पर आब भूतकाल की बात समझनो कठिन से काहेकि वय पुराना लोग आब मौजूद नहाती सांगन लायी ।


अन्य तीन देवता को बारामा जानन कि कोशिश करे पर पता चलयव कि दुलादेव अना नारायण देव बुंदेलखंड मा प्रचलित नाम सेत् जो भगवान शिव व भगवान विष्णु का आती । 


पटील देव यानी पटील परिवार को कुवारों कोणी मरत त् उनकी मानता करत होता । उनला देव समझके पूजत होता । 


आमरा देवी देवता बी आमरो इतिहास बयान करसेत ।

आमी जहां रह्या वहा की मान्यता समय को संग संग आमी स्वीकार लेत गया ।


...महेन पटले

[27/02, 15:07] Mahen Patle: गतानुगतिको लोकः || ४७३ ॥


चाणक्य सूत्र 


विवरण - 


बुद्धिमान् लोग प्रकृत विषयपरा पूर्ण विचार कर, अहितकर मार्ग त्यागकर हितकर जो से वोला स्वीकार करसेत । 


मूढ यानी मुर्ख लोग प्रकृत विषयपरा खुद काई बिचार न करके, दूसरो की पसंद या कह्यव अनुसार आचरण करसेत । काहेकि  उनको पास वस्तु-विवेक करनेवाली बुद्धि नहीं रव्ह । 


ये सब अन्य लोगइनकी / दुसरो देशको लोगइनकी बंदर वाणी देखादेखी करसेत ।


घोड़ा की दौड मा जसो घोडा बिना इतन उतन देखे , दौड़ लगावसे तसोच ये लोग लोकप्रवाहमा बिना सोचे समझे परानो सुरु करसेत ।

[27/02, 18:40] Rishi Bisen: व्ही, बी,देशमुख

                           रायपुर ।


"बिह्या का पुरातन रीति रिवाज l"


             हमारो जाती समाज मा पुरातन समय मा शिक्षा को अभाव होतो।शिक्षा को अभाव मा कुरीति होनो बी स्वाभाविक होतो।

    बिह्या बर मा होवन वाली कुरीति अना सुरीति हुनको बारो मा, श्रोत लक मोला, जो जानकारी मिली सेत उनको विषय मा लिखन को मन करेव,तुम्हरो सामने राखुसु।

" बगन को ढेट्ट "

        पुरातन समय मा नाहना टुरा टुरी उनको बिह्या कर देवत होतीन।असो बी आयकनो मा आइसे का बच्चा माय को पोट मा रव्हत होतो,तब बी बिह्या जोड़ लेत होतीन।घर अना समाज का सायना एक पक्ष घर बसके बिह्या तय कर लेत होतीन।बिह्या जुड़न को कारन दुहि पक्ष की स्वीकृति को जेवन तुरन्त होत होतो,ओला कव्हत होतीन फलानो घर बिह्या जुड़ गयेव अना बगन को ढेट्ट बी भय गयोव।जल्दी जल्दी मा बगन को साग बनत होतो।


" कोदई "को रिवाज होतो,कोदई बी तय कर लेत होतीन।कोदई मा टुरा पक्ष,टुरी पक्ष ला एक बरात को जेवन को अन्न " चाउर दार " देत होतो,चाउर दार देनो ला कोदई देनो कव्हत होतीन।केतरो देनो से ओला वहाँ बस्या सायना तय करत होतीन,एला कोदई कव्हत होतीन।


" गुर्री सुवारी "गुर्री सुवारी की बरात मा रिस्तेदार नातेदार अना गाव वाला हुनला बुलावत होतीन,एको जेवन मा पातर रोटी अना गन्ना को रस, देत होतीन अना सुवारी सङ्ग राब देत होतीन।गुर्री सुवारी की बरात अना जेवन धूम धाम को होत होतो।

" पाय लगनी "गुर्री सुवारी को बाद मा पाय लगनी कि बरात,यको मा दुहि पक्ष एक दुसरो घर बरात लिजात होतीन।

" बिजोरा "बिजोरा कि बरात मा दुहि पक्ष एक दुसरो घर,बिजोरो धर के जात होतीन।

" हल्दी " यव दस्तूर मा परिवार ला एक सूत्र मा बांधन को दस्तूर आय।असो कव्हत होतीन,अता हरद लग गई,सब एक रंग मा रंग गईन।नवरदेव ला हरद लग गई इत्त उत नोको जान देव।

" आहेर "यव दस्तूर नवरदेव घर,अना नवरी बाई घर दुहि परिवार मा आपलो  आपलो घर होत होतो।परिवार का कुर्या अहेर मा बसत होतीन,अना रिस्तेदार कपड़ा देत होतीन ।

" लगुन "लगुन की बरात मा टुरा पक्ष नवरदेव,नवरी बाई घर जाएके दिवसबुडता ,बिह्या को मांडो मा,पण्डित मंत्रोपचार लक लगुन लगावत होतीन।घर वाला अना नवरी पक्ष वाला नवरी बाई ला दहेज देत होतीन।दहेज को बाद मा जेवन होत होतो।जेवन पंगत बसाय के करत होतीन।बिह्या का सब दस्तूर होत होतीन।दुसरो दिन सकारिच नहीं त दिन टुरी सोपन को दस्तूर होत होतो।


" कुसुम्बा "टुरी सोपन को दस्तूर को बाद मा बरात बिदाई को पहले सब सायना बसत होतीन,अना कुसुम्बा को दस्तूर होत होतो।कुसुम्बा मा टुरी वालो पक्ष ला,टुरा पक्ष लगिन की बरात को खर्चा देत होतो।वहाँ बस्या सायना एन लेनो देनो को निपटारा करत होतीन।यको बाद मा नवरदेव,नवरी बाई की बिदाई अना बरात रवाना होत होती।


" समदुरा "नवरी बाई को पक्ष वाला,नवरी बाई ला आनन ला जात होतीन,या बी बरात च होत होती।नवरी बाई को आनन जान की बरात ला, समदुरा कि बरात कव्हत होतीन।समदुरा की बरात वास्तव मा,लगिन को बरात कि कसर हेड़न  कि बरात होत होती।


टुरी वालो,कोदई मांगत होतो।

टुरा वालो,कोदई देत होतो।


टुरी वालो,कुसुम्बा मांगत होतो।

टुरा वालो, कुसुम्बा देत होतो।


  मेरे मामाजी श्री चन्दनलाल बोपचे,ग्राम बकेरा,जिला बालाघाट।


           अच्छा दस्तूर हुनको गुणगान होसे।कुरीति पूर्ण दस्तूर लक जाती समाज शर्मसार होसे।हमारो समाज का विद्वान महापुरुष हुन न,जाती समाज मा व्याप्त कुरीति लक बचावन लाइक,समाज मा जागरन आनन लाइक 20 वी सदी को शुरू माच, सन 1906 मा " पोवार जाती सुधारनी सभा "को गठन करिन।कुरीति हुनल बचावन लाइक गाव गाव मा सभा को विस्तार करीन।जाती समाज को लोग हुनला जागरूक करिन,शिक्षा को प्रति जागरूक करिन।दारू पिवन वालो ला दण्डित करन को नियम बनाइंन । पोवार जाती सुधारनी सभा  को कार्य भार बदलत गयेव,करीब 3 दशक ओरी पोवार जाती सुधारनी सभा समाज सेवा मा लगी रही।

       पँवार जाती सुधारनी सभा को गठन,पँवार समाज कि पहली सभा आय।पोवार समाज का विद्वान महापुरुष हुनला, जिनन पँवार जाती सुधारनी सभा को गठन करिन,गठन मा सहभागी बनीन, पँवार समाज ला कुरीति लक बचावन लाइक सोचिन, आज हमारो बीच मा नहाती,उनको नाम,उनको काम ला मी बारम्बार नमन करूसु।

[27/02, 22:02] Hemantkumar Patle: रंग भरी होरी

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रंग भरी होरी, फाग को से महीना ।

गुलाल लगावो, दिल ठेवो मस्ताना।। टेक।।

होरी तोरी मोरी, संगमा से खेल्या

बहुत किस्सा, पुराना होत चल्या।

नवो फागुन का, नवा नखरा आया

अजब को दिंगाना,करन लग्या।

तोड़ ठोकन आया, से का ठिकाना।।१।।

कपड़ा फाड़ होरी, शहर मा आयी

मनीला बनियान, आंगपर नही।

हल्ला गुल्ला करन, टोली से आयी

पेट्रोल गाड़ी मा, फुकट की कमाई।

डीजेपर नाच्या, बन्या ये दीवाना।।२।।

कोंबड़ा कोंबड़ी,खेल कि से मज्या

लंगड़ी फुगड़ी, खेल वाला सज्या।

नाव सांगत , उखानो पर बस्या

खुशी भई भारी, हासन ला लग्या।

जोर का चल्या , फागुन का गाना।।३।।

आया देखन ला, बस्या धड़ीपर

रंग खेल कबड्डी को, गल्लीपर।

आट्या पाट्या, घनमाकडी को चक्कर

आग को गोलाला, फेको जमकर।

टुरु पोटू को, नही रव ठिकाना।।४।।

हेमंत पी पटले धामनगांव (आमगांव)९२७२११६५०१

[27/02, 22:51] Mahen Patle: अहेर वस्त्र की भेंट 

अहेर समस्त परिवार सबंधित दस्तूर आय । जिनको घर बिया से उनको परिवार मा रिश्तेदार द्वारा सबला नवो कपड़ा पेहरायव जासे। या एक व्यवस्था होती एकदूसरो ला साथ देनकी । यको मा सामाजिक सहायता , रिश्ता इनमा एकदूसरो लायी प्रेम को भाव से ।


आंदन यानी इच्छा नुसार वस्तु या धन की भेंट । यव सिर्फ नवरीला देयव जासे जो वोको वैवाहिक जीवन मा काम आवसे । यको द्वारा एक नवो परिवार संसार मा शुरू होसे त् सब मिलके उनको जीवन की शुरुवात कर देसेत । 

येन दस्तूर मा बी सामाजिक स्नेहबन्धन , जबाबदारी को भाव से ।

[28/02, 11:47] Sheshram Yedekar: एक प्रसंग


मी काल मोरो बंगाली संगी संग नागपूर दुसरो बंगाली संगी घरं गयोव होतो.

वय मोरा दुय ही संगी गडचिरोली जिल्हा का रहिवासी आत.

मी आयोव मनून अतिथी सत्कार मनून उनन् मोरो जेवण ठेई होतीन.

मी उनक याहान पूरो तीन तास थांबेव.

वहान एक बात मोरं ध्यान मा आयी का वय मोरं संग बोलन रवं तबच हिंदी बोलत होता बाकी हर पल पल वय बंगाली माच बोलत


उनको मातृभाषा को लगाव देखकन मी गदगद भयोव.


शेषराव येळेकर

[28/02, 13:01] Randeep Bisen: जनगणना आब् कब् बी होये ...

आपलो भाषा को रकाना मां - पोवारी- लिखेच पाह्यजे येको प्रचार प्रसार होये पायजे.


शासकीय यंत्रणा को स्वतंत्रता तब् पासून भारत मां स्थानिक भाषा बोली जासे वोकी नोंद पुसेव जाय रही से.


उनला भाषाईनकी यादी जेतरी कम् दिसे वतरो उनला बाको होसे असो दिस रही से.


१९५१ मां जो बोली + भाषाइनकी संख्या होती वकोमां दसा साल मां (१९६१) मां १००० भाषाइनला कम कर टाकीन.

[28/02, 22:40] Yashwant Katre: मोठो भय गयो मी

माय आता मोठो भय गयो मी,

आता मोला तोरो आंचल की गरज नहाय।

माय आता सयानो भय गयो मी,

आता मोला तोरो संग की गरज नहाय।।

माय आता दिवानो भय गयो मी,

आता मोला तोरो लाड़ की गरज नहाय।

माय आता बेगानो भय गयो मी,

आता मोला तोरो लोरी की गरज नहाय।।

माय पोवारी तु आता बुड्ढी भय गयीस,

तोरी हाजरी लक नाक कटसे।

माय पोवारी तु घरच रह्व,

तोरी सादगी लक मान घटे।।

माय पोवारी तु चुप्पच रह्व,

तोरी आवाज लक शोर होसे।

माय पोवारी तु एखली रह्व,

तोरी संगत लक गंवार होसे।।

आता मोरो संग हिंग्लिश से,

जोकी दिखावा मा बढ़ी कदर से,

चाहे चार अक्षर पढया सेजन,

पर ओय चार की ग़दर से।।

माय तुन दुनिया नहीं देखी सेस,

दुनिया बढ़ी शौकीन ना रंगीन से,

तु मोरी फिकर छोड़ मोरी मोठी धाक से।

आता तोरो जीवन की घड़ी अन्तिम से।।

बेटा मोठा भय गया सब ,

माय पोवारी की या गति से।

कसो सम्मान मिलें माय ला,

या यशवन्त की विनंती से।।

यशवन्त कटरे

जबलपुर २८/०२/२०२३

[03/03, 22:16] Umendra Bisen: 🎂महेंद्र पटले सर ला अभंग मयी शुभेच्छा 🎂 

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किंडगीपार से | मनोहर गाव||

साहित्यिक नाव| ऋतुराज ||१||


स्वभाव सुंदर| शिक्षकी से पेशा||

विद्यार्थ्यीला दिशा| गुरू रूपी ||२||


हिंदी न मराठी|लिखन तत्पर||

साहित्यमा भर | टाकसेती ||३||


पोवारी भाषा का| सेत धुरकरी||

अलक भी भारी || लिखसेत ||४||


कर्तव्यला न्याय | देसेत आपलो ||

समाज को भलो | याच सोच ||५||


उपक्रमशील | शिक्षक की छाप ||

कर्तब अमाप| करसेती ||६||


महेंद्र सर की |उत्तम से कृती||

समाज जागृती| करन की ||७||


सुखी सेहत की | जनम दिनला||

शुभेच्छा उनला| मोरी सेती ||८||

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उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरित)

गोंदिया (श्रीक्षेत्र देहू पुणे)


 श्री महेंद्र पटले सर तुमला जलम दिवस की हार्दिक हार्दिक शुभकामना 💐💐🎂

[04/03, 07:52] Prof Hargovind Tembhare: पोवारी साहित्य अना सांस्कृतिक उत्कर्ष द्वारा आयोजित:-पोवारी साहित्य सरिता भाग ८८

💐🚩💐🚩💐🚩💐🚩💐🚩

आदरणीय सब लेखक/कवि/कवियत्री/इतिहास सरंक्षक व सन्माननिय सदस्यगिणला सूचित करनो मा आय रही से की सप्ताह को हर शनवार अना इतवार ला पोवारी साहित्य सरिता को आयोजन करनो मा आय रही से।

 उत्कृष्ट लेख, काव्य रचना, समुह ब्लॉग अना समाज का उत्कृष्ट फेसबुक पेज पर अपलोड करनो मा आयेती l

सबको साथ अना सहयोग भेटे असी सबलक नम्र बिनती🙏🏻 से जी l


🔸रचना पोवारी भाषामाच मान्य होयेती।


🔸गद्य-पद्य रचना ला नाव देनो अना रचना को खाल्या नाव लिखनो अनिवार्य से जी ।


🔸पोवारी कविता, आत्मकथा, संस्मरण, एकांकी, निबंध, कहानी, लघुकथा , पत्र, ऐतिहासिक समाजिक, सांस्कृतिक लेख आमंत्रित सेती।


🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹

       आयोजक

डॉ. हरगोविंद टेंभरे

श्री शेषराव येळेकर

श्री यशवंत कटरे

      मार्गदर्शक

श्री. व्ही. बी.देशमुख

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[04/03, 08:02] Chhaya Pardhi: होरी (होली,शिमगा) 

 

    होरी (होली)… ऋतुओं को राजा ‘वसंत’ मा मनायेव जाने वालो महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार आय। वसंत ऋतु थंडी को बाद मा आवसे। भारत मा फरवरी अना मार्च मा येन ऋतु को आगमन होसे। वसंत बहुत सुहावनो ऋतु से। येन ऋतु मा सम जलवायु रवसे। हिंदू पंचांग को नुसार फागुन मास की पूर्णिमा ला मनायेव जासे। 


     होरी मनावन को मंग बहुत सी कहानी प्रसिद्ध सेती। पुराण को नूसार भगवान शंकर न आपली क्रोधाग्नि लक कामदेवला भस्म कर देई होतिस। तब पासुन येव त्योहार मनावन को प्रचलन से। अदीक एक लोकप्रिय पौराणिक कथा से। भक्त प्रह्लाद को पिता हरिण्यकश्यप स्वयंम ला भगवान मानत होतो। वु विष्णु को विरोधी होतो। पर प्रह्लाद विष्णु भक्त होतो। वोन प्रह्लाद ला विष्णु भक्ति करन साती रोकीस। जब वू नहीं मानेव त उन्ह प्रह्लाद ला मारन को प्रयास करीस। प्रह्लाद को पिता न आपली बहीन होलिका की मदद मांगीस। होलिकाला अग्नीमा नहीं जरण को वरदान होतो। होलिका आपलो भाई की सहायता करनसाती तैयार भय गई। होलिका प्रह्लादला धरकन चितामा जायकन बसी पर भगवान विष्णु की कृपा लक प्रह्लाद सुरक्षित रहेव अना होलिका जरकर भस्म भई। तब पासुन होरी मनावन की प्रथा से।


     माय वैनगंगा को कोरयामा बालाघाट, सिवनी, गोंदिया, भंडारा जिल्हा मा पोवार बस्या सेती। भंडारा अना गोंदिया जिला को गाव मा होरी मनवानं को आपलो एक मजा से। होरीला होली, सिमगा, फाग, फागुन भी कसेती।  जिनको बिह्या होरी को पुढ़ रवसे ओन टुरा टुरी ला हारगाठी की बरात आवसे अना हारगाठी को कार्यक्रम जोर सोर लका पार पडसे। पहले गावंमा होरी को पंधरा दिवस पहले पासुनच होरी की धूम सुरु होय जाय। घानमाकडी, कब्बड्डी, आटी पाटी, कुची, अंदाबिबू, बिल्ला, रेसटीम,आईचे पत्र हरवले इत्यादि खेल चालू होय जाती। चांदा को उजारोमा मस्त खेल रमकत।  


   होरी को दिवस सकारीच लहान टुरू पोटू आंग पाय धोएकर तयार होसेत। मंग उनको गरोमा होरी की साकर की माला जेला गाठी कसेत वा बांध सेती। घर घरमा करजी, पापड़ी बनाव सेती। महातनी बेरा होरी की पूजा साती गाव को मानवाइक को घरलक आरती आवसे। मरदमाना होरी की पूजा करसेती। अना होरी पेटाई जासे सबला गुलाल लगायकर होरी की शुभकामना देसेत।


    रातवा कब्बड़ी, रेस्टीम असा खेल अना आईंमाई भी लायनो टुरी ला नवरदेव नवरी का कपड़ा पेहरावत, खासर पर बसावत अना बाजा गाजा लक बरात निकल। ओको बाद सब नाश्ता करत अना मग सामूहिक खेल खेलत। अना गाना भी गाया जात होता।


काय बाई रोहिला सजन आयेव शिमगा सण

मोर माहेरक रस्ताला खारक को बन

भाई मोरो गा गुनवान आएगा आनन

मी बाई हासीखुशी लका माहेर जावुन 

मोर माय ना बाप की भेट गा लेवुन... 


काय बाई........

काय बाई रोहिला सजन आयेव शिमगा सण

मोरो माहेरक रस्ताला नारेल को बन

माय मोरी बाट देखसे, डोरा रस्ताकन

मी बाई हासिखुशी लक सुकदुःख सांगून

मोर माय ना बाप की भेट गा लेवुन…


काय बाई रोहिला सजन आयेव शिमगा सण

मोरो माहेरक रस्ताला नारेल को बन

बाप मोरो निहारसे बेतीला हासकन 

भोवजाई मोरी बनावसे 


खेल:


कुची (चिंधि को चेंडू) को खेल:- आठ दस टुरा उनका दुय थुम(समूह) 

           कपऴा क चिंधी को लहानसो गोल ,ओला कुची कवत, ओला झाऴको नहीत घर क अंधारोमा फेकती। दुही थुम का एकेक जन धऴीपरा बस्या रव्हती ना बाकीका कुची धुंडनला जाती। जेला कुची भेट त दुसर करका कुची हीसकती। एकोमा कई का टोंगरा ना कोहंगा फुटत होता। आखीरमा जेव कुची आनस्यानी आपल मुखिया टुरा जवर देत होतो ओला एक गुण भेट।


आटीपाटी को खेल :- दुही थुम ला नव नव टुरा. खो खो सारखी आठ पाटी बनावती। आठ पाटी परा एकेक जन उभो रव्ह ना कोनीला जान देत नोहोतो. नववो टुरा ला डंड्‌या कव्हत। वु आठही पाटीकी रखवाली कर।दुसरो पार्टीका नवही टुरा रखवाली की नजर चुकायस्यानी सामने बढत होता. ना कधी आठ ही पाटी सर करीन त उनकी जित होत होती।


घान माकड़ी: घान माकडी को खेल मा लहान टुरू पोटू ला बड़ी मजा आव। रातभर खेल, हासी मजाक चल।


    परसा को फूल आनक़र उनला उबालकर रंग बनावत होता। फूल को मस्त नैसर्गिक संतरा रंग होरी की मज्या मा अधिक रंग भर देत होतो। दूसरो दिन होरी मा शेन लक बनाई अलग अलग आकृति की मार (माला) जराई जासे वा मार कोठा मा आनकर लटकाई जासे। संदुकमा मा का जुना कपड़ा निकल सेती। मरादमाना फगनोटी (गाव भर गुलाल लगाना सबसे मिलना) मांग सेती। ओको बाद महातनी बेरा चौक मा ड्राम मा रंग बनावत होता ,,सब टूरू पोटु रंग खेलकर होरी को रंगमा रंगकर रंगो को त्योहार मनाव सेती। 


✍️✍️सौ छाया सुरेंद्र पारधी

[04/03, 09:39] Hemantkumar Patle: पोवारी साहित्य सरिता ८८

दिनांक:४:३:२०२३

    कर बिह्या

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टीव्ही सिरियल ला देखस्यानी,

करू नोको गा देखासिखी तसी।

सोच समजकी से जिंदगानी,

कर बिह्या ला कूवत से जसी।।१।।

रिंग सेरेमनी, केक कटाई,

नवी प्रथा की सुरवात भई।

प्री वेडिंग शूटिंग की से घाई,

या बात समजमा नही आयी।।२।।

जोर की डेस्टिंनेशन सगाई,

माय बाप की वा गयी कमाई।

डीजे पर का गाना नव टंकी,

रस्तापर लगी धुंद नाचन की।।३।।

दिस जोरकी बरात बिह्याकी,

दारू बाज पर लगावो बंदी।

मांडो झाड़न को नाव परकी,

मटन खानकी यादत से गंदी।।४।।

कमी पैसा मा बी बीह्या होसेती,

बच्या पैसा मा तरक्की करसेती।

छत्तीस कुरह्याला मिले सुख शांती,

हेमंत कसे तब होये उन्नती।।५।।

हेमंत पी पटले धामनगांव (आमगांव)९२७२११६५०१

[04/03, 10:04] Omkar Lal Ji Patle: मानव निर्माण (Man Making)

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हर दिल मा प्रकाश हो अध्यात्म ज्ञान को l

हर दिल मा आलोक हो ज्ञान विज्ञान को ll


पुरुषों मा पुरुषार्थ  हो श्री राजा भोज को l

महिलाओं मा संस्कार विदुषी लीलावती को l

हर दिल मा आलोक हो ज्ञान विज्ञान को l

प्रयास हो संसार मा मानव निर्माण को  ll


पुरुषों मा  नित ध्यास हो न्याय नीति को l

महिलाओं मा अभ्यास हो संस्कारों को l

हर दिल मा आलोक हो ज्ञान विज्ञान को l

प्रयास हो संसार मा मानव निर्माण को  ll


मन मा निश्छल प्रेम हो  सनातन धर्म को l

मन मा  अटूट प्रेम हो प्रिय माय भूमि को l    हर दिल मा आलोक हो ज्ञान विज्ञान को l

प्रयास हो संसार मा मानव निर्माण को  ll


सबको दिल मा निवास हो सीता राम को l

सबको दिल मा निवास हो भोलेनाथ को l

हर दिल मा आलोक हो ज्ञान विज्ञान को

प्रयास हो संसार मा मानव निर्माण को ll


--इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

शनि.4/03/2023.

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[04/03, 13:09] Yashwant Katre: खजाना सेहत को

दुय पिढ़ी पहले मज़ा होतो जीवन को।

गांव मा रहकर खानों मा राज होतो सेहत को।।

मेहनत लक भरी रव्ह जीन्दगानी।

तब खाना खात होता भानी भानी।।

गायी भसी लक भर्या रव्हत कोठा।

दुध दही को नहीं रव्हत होतो टोटा।।

हर रोज मिलत होतो मही ना घिव को गोला।

आता मिलअ सेती पिज्जा, बर्गर चिज़ वाला।।

आता कोल्ड ड्रिंक को नवो नवो रेला।

विज्ञापन को बिच लगायी सेती मेला।।

घानी को तेल रव्हत होतो अरसी सरसों को।

आता रिफाइंड भय गयो परसा को।।

कोदो कुटकी,बाजरा लही,धान कान्डया चाऊर।

हर अनाज पोषण देत होता भरपूर।।

मसाला बनत होता आयुर्वेद को सुत्र लका।

मिठास संग पकवान बनत होता रसीला।।

साल भर फल फूल मिलत खेत बाड़ी मा।

आता बजार मा नाम माहिर आर्गेनिक पिढ़ी का।।

घर घर बसी से फ्रीज नाम को गुप्त दानव।

सड़या अनाज फल भोग रही से सुप्त मानव।।

कन्हा छोड़या सेहतमंद कुदरती खजाना।

नवी नवी नकल का भया सब दिवाना।।

यशवन्त कटरे

जबलपुर ०४/०३/२०२३

[04/03, 13:11] Hemantkumar Patle: पोवारी साहित्य सरिता ८८

दिनांक:४:३:२०२३

     मी कोन?

   ****

पहिलो प्रश्न से मोला पड़ेव,

मी कोन येको बिचार करेव।

आवाज ओको कानमा आयेव,

एक नंबर को आरसी भयेव।।१।।

दूसरो प्रश्न से मोला पड़ेव,

कहान लक मि यांहा आयेव।

आवाज ओको कानमा आयेव,

 दुनिया लक फेकेव आयेव।।२।।

तीसरो प्रश्न से मोला पड़ेव,

जनम काहे लेयकर आयेव।

आवाज ओको कानमा आयेव,

जनम बरबाद करन आयेव।।३।।

चौथो प्रश्न से मोला पड़ेव,

कसो उद्देश धरकर आयेव।

आवाज ओको कानमा आयेव,

घर कामला करनो पड़ेव।।४।।

मिल्या उत्तर मि आयकेव,

बायकोलक निरुत्तर भयेव।

आध्यात्मको संकेत मिलेव,

जस्सी करनी तसो भरेव।।५।।

हेमंत पी पटले धामनगांव (आमगांव)९२७२११६५०१

[04/03, 21:24] Mahen Patle: सामाजिक चिंतन


चार जिला मा पोवारइनका  करीब 880 गाव सेत । 


पुरानो जमाना मा 

जहा पँवार वहां धार 

कहावत बड़ी प्रसिध्द होथी । 


त् असो समझ लेवो की आब आमी जहा जहा रव्हसेजन वु गाव /शहर आमरो धारानगर । 


पुरानो जमाना मा धारानगरी अना आपलो राज्य को रक्षा लायी कई पूर्वजइनन आपलो जीवन अर्पण कर देइन। 


पर आब हथियार लेयकर लड़न की जरूरत नाहाय । 

 

एक लड़ाई लडनो से , अना वा लड़ाई आय आपलो क्षेत्र व ग्राम विकास की । 

 

धारानगरी को नाम लेवो त् असो राजधानी की छबि मन मा उभरसे जो अत्यंत  उन्नत व सुंदर होती । 


अज वर्तमान मा आमरो आपलो आपलो धारानगर काहे मंगअ रव्हनला होना । 


दुनिया आश्चर्य करे असी धारा रूप ग्राम काहे नही बन सकत । आमरो का दम नाहाय । आमी आपलो ग्राम उन्नत बनावन लायी वीर नहाजन का ?


आमला राजनीति दूर राखके आमरा 880 गाव सर्वश्रेष्ठ स्थान बनावन को प्रयत्न करन की जरूरत से । 

आमरो गावइनला देख दुनिया आमरो अनुकरण करैत असो नही होय सके का ?


✌🏻🚩🚩🚩

[05/03, 12:55] Rishi Bisen: छत्तीस कुर पोवार(पंवार)


पोवार इनको छत्तीस कुर,

सेती सब सर्व गुणवान।

सब लक़ या बिनती से,

ठेओ इन सबको ध्यान।।


गौतम चौधरी येड़े बिसेन,

राणा डाला चौहान कटरे। 

रावत बघेले क्षिरसागर,

शरणागत परिहार पटले।।


अम्बुले पारधी हरिनखेड़े,

टेम्भरे फरीदाले हनवत।

बोपचे परिहार रहाँगडाले,

रिनायत सोनवाने रणमत।।


ठाकुर कोल्हे राजहंस,

पारधी पूंड रणदिवे जैतवार।

भगत भैरम तुरकर सहारे,

पोवारी बोलन वाला पंवार ।।


मालवा की माटी लक़ आया,

गंगा को रूप वैनगंगा को धाम।

भूलो नोको आपरी पहिचान,

छत्तीस कुरया पोवार नाम।


✍️ऋषि बिसेन, बालाघाट

[05/03, 21:35] Umendra Bisen: विद्याबाई बिसेन ईनला काव्यमयी शुभेच्छा 🎂💐 

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पोवारी भाषा सुप्रसिद्ध गायीका

गित आयककन होसे आनंद।

काव्य रचना गीत रचना मस्त

सुंदर से उनको लेखन छंद।।


विद्या बाई एवं नाव से उनको 

बसी से वाणि मा माय सरस्वती।

समाज लायी रव्हसेती तत्पर 

करसेती पोवारी भाषा जागृती।। 


जलम दिन को अज अवसर।

मिले प्रसिद्धी तुमला निरंतर 

याच इच्छा मनोमन आमरी से

कुलदेवी गढ़कालिका जवर।।

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उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरित)

रामाटोला गोंदिया (श्रीक्षेत्र देहू पुणे)

[06/03, 05:46] Chhaya Pardhi: होरी का खेल (चाल:-नैनोमे जादु भरे)

                   ******

चलो खेल बिन होरी। 

रे बाबा,भरभरके पिचकारी।। टेक।।


फाग,फागुन, होरी त्योहार

मनमा छायी खुशी अपार

अलग अलग खेल  भारी।। १।।


कोनी कब्बड्‌डी,आटीपाटी

कुची खेलमा मोठी घिसाटी

ओकीच से  रंगत  न्यारी ।।२।।


घानमाकळी  फिर गर गर

समान वजन रहे दुहीकर

नहीत होय जाय किरकीरी।। ३।।



कोनी अंदा बीबु गाना गात

काहाळसेती बीह्याकी बरात

माहादेव को नांद्‌या भारी।।४।।


लगावो गुलाल  ना  रंग

कोनी नशा,पीयकर भांग 

रंग उळाओ   पिचकारी।।५।।


पाच दिवस पंचमी जाणो

नही खुशीको रव्ह ठिकाणो

पाहुणचारकी रेलचेल भारी।।6।।

      ****

डी पी राहांगडाले

[06/03, 07:56] Chhagan Rahangdale: सुविचार 

*******

धनवान बनन् साती

एक एक कण ला 

जमा करनो पडसे... 

गुणवान बनन् साती 

एक एक क्षण ला 

सदुपयोग करनो पडसे... 

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श्री छगनलाल रहांगडाले 

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[06/03, 08:06] Prhalad Harinkhede: सबला होरी की शुभकामना

प्रात:वंदना🙏

दिनांक: ०६.०३.२०२३

********

जारबी षडरिपु

स्वार्थ भेदभाव दुर्गुण 

होलिका दहन

मिलक्यारी ||


मिठो बासरीपर

मोहित भयी सृष्टी

रंगारंग वृष्टी

ब्रिंदाबनमा ||

********

डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे "प्रहरी" 

उलवे, नवी मुंबई

मो. ९८६९९९३९०७

[06/03, 19:05] Ramcharan Patle: अमर से राम को नाम

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सब कुछ से राम को नाम मा;

चाहे फिर लेनो चार च धाम!

शिव शक्ति से राम नाम मा;;

सिध्द होय जासेत सब काम।


असी दिव्य शक्ति से राम मा;

जहां शंकर भगवान को आयाम!

जेको मुख मा सदा राम नाम;;

ओका संकट;नष्ट होसेत तमाम।


भक्त हनुमान राम नाम मा;

सदा रव्ह मन क्रम मा लीन!

भव्य शक्ति से राम नाम मा;

दुष्ट शक्ति होय पल मा क्षीण।


शंकर भगवान न रामायण लीख;

श्लोक अनेकों मा राम को एक;

सबला वितरण देयकन प्रतीक;

सबलक सर्वश्रेष्ठ राम को नेक।


वेद पुराण ग्रंथ शास्त्र लिखित;

सबमा राम नाम से बहु बलिहारी!

शंकर भगवान जी लक से रचित;;

राम परम सत्य चमत्कारी गुणकारी।


राम नाम एक असो मंत्र से;

जेको सामने सब होसेत फेल!

यंत्र तंत्र की हार होय जासे;

जहां त्रि शक्ति संचय को मेल।


रचनाकार -रामचरण हरचंद पटले महाकाली नगर नागपुर मोबाइल नं.९८२३९३४६५६

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[06/03, 19:05] Ramcharan Patle: जय सियाराम

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जग मा ज्योंत असी जल रही;

हिंदू विश्व गुरु को होये भव्य प्रकाश!

दुष्ट शक्ति सब खंड विचलित भयी;

अधर्मी विरोधक ईनको होय विनाश।


कलयुग मा फैल रही से लहर;

राम नाम को प्रभावी शक्ति असर!

सब मिट रही से दुष्ट शक्ति कहर;

आठो याम धीरेन्द्र स्वामी को पहर।


जेव भी दुखियारो जासे ईंन्शान;

धीरेन्द्र स्वामी जी को दिव्य दरबार!

अन्तर्मन लक सब होसे समाधान;

जग मा ज्योतिर्गमय होय संचार।


अर्जी जेकी भी लग जासे;

प्रश्न सवाल लिख होसे तैयार!

चमत्कार सारी दुनिया च कसे;

सब खुश प्रसन्न होसे सारो संसार।


भीड़भाड़ बागेश्वर धाम मा;

सत्संग महिमा होसे अपरम्पार!

भूत प्रेत कम्पित होय पराय जासे;

होसे सियाराम की जय जयकार।


गुप्त रहस्य सब कुछ सांगकन;

पहले च आपरो पर्ची मा लिखकन!

जिनको प्रेरणा स्रोत वीर हनुमान;

धन्य धन्य से असो महापुरुष ईंन्शान।।


रचनाकार -रामचरण हरचंद पटले महाकाली नगर नागपुर मोबाइल नं.९८२३९३४६५६

🕉️🚩🕉️🚩🚩🙏🏻👏🏻

[06/03, 19:05] Ramcharan Patle: राम -नाम की महिमा न्यारी:-

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  (गीत:-सत्संग भजन तर्ज़ पर)


राम नाम मा विराजमान:-

कृष्ण जी मा शोभायमान:-

से सबमा शंकर भगवान!!टेक!!


१)अक्षर ढाई राम नाम को!

ढाई अक्षर कृष्ण जी को!!

धन्य से सनातन की शान:-

से सबमा शंकर भगवान:-


२)बिपदा को संकट को घड़ी मा;

धावत आवसे अड़चन को अड़ी मा;;

कर लेनो थोड़ो ध्यान:-

से सबमा शंकर भगवान;-


३) श्रद्धा भाव सदा पुकारों;

काम सिद्ध सब होय तुम्हारो;

या गुप्त रुपी पहिचान:-

से सबमा शंकर भगवान:-


४)देह जेकी निर्मल काया;

वहां च प्रभू की से परछाया;;

सब होय जासे समाधान:-

से सबमा शंकर भगवान:--


५)हर रोम रोम रोम कण कण मा;

ओम सोम को सब तृण तृण मा;;

सब कर्म मा विद्यमान,:-

से सबमा शंकर भगवान:-


रचनाकार -रामचरण हरचंद पटले महाकाली नगर नागपुर नं.९८२३९३४६५६

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[07/03, 06:59] Varsha Patle Rahangdale: प्रचलीत पोवारी हाणा(म्हणी)


१)जवर रव्ह त खुरप्या घास, अना दूर रव्ह त हिवाव डाट


अर्थ: जवळ राहिले की भांडण वाढतात आणि  तीच व्यक्ती  दूर असल्यावर प्रेम उतू जाते.


✍संकलन

सौ.वर्षा विजय रहांगडाले

[07/03, 06:59] Varsha Patle Rahangdale: प्रचलीत हाणा (म्हणी)


२) सत गयेव ना ढोबर रहेव


अर्थ:सत्व गेले नी फक्त  पोकळ ठसे राहीले


✍संकलन:सौ.वर्षा पटले रहांगडाले

[07/03, 06:59] Varsha Patle Rahangdale: प्रचलीत हाणा (म्हणी)


३)सगो नही नीव ना बांड्या चोरी सीव


अर्थ:सख्खे नातेवाईक मदतीला धावत नाही  तर परके कसे धावतील.


✍संकलन:वर्षा विजय रहांगडाले

[07/03, 06:59] Varsha Patle Rahangdale: प्रचलीत हाणा (म्हण)


४)कमाई ना धमाई टेकरी पर पुंजना


अर्थ:आवक काही नाही  आणि गोष्टी मोठ्या मोठ्या करने


संकलन:सौ.वर्षा विजय रहांगडाले 

गोंदिया

[07/03, 08:20] Vidhya Bisen: फागुन आयो होली पर्व की सबला हार्दिक सुभेच्छा से जी🌹

जय श्री राम🙏


आयो आयो फागुन को त्यौहार उडे़ उडे़ रे रंग गुलाल,

आओ रंग गुलाल लगाओ मन को मैल मिटाओ,

लाल गुलाबी हिवरो पिवरो रंग मा सब रंग जाओ,

प्रेम प्रीत लक सबको मन मा जगमग जोत जराओ,

रंग रंगीली येन दुनिया मा हिलमील त्यौहार मनाओ,

रंग गुलाल लगाओ,

मन को मैल मिटाओ,


विद्या बिसेन

बालाघाट🙏

[08/03, 00:37] Prof Hargovind Tembhare: 🌻 रंगोत्सव पोवारी होली 🌻


रंगोत्सव को त्योहार आय होली,

चली से पोवार इनकी की टोली ll


गाँव मोहल्ला अना गल्ली,गल्ली,

जमा होय सयानी खेलेती होली ll


पोवारी संस्कार को रंग की झोली,

अज पोवार/पँवार खेलेती होली ll


अज एक एक शब्द पोवारी रंगे,

पोवारी अस्मिता रंग सबला लगें ll


अलख पोवारी बोलचाल की जगे,

रिश्ता - नाता संग परिवार जगे ll


जसी पिचकारी पानी रंग की मारे,

आदर सन्मान की  गुलाल धरे  ll


खुशी अना उमंग की आय गाथा,

सब जोड़ो मित्र परिवार नाता ll


सब बनाओ पकवान खूब आता,

सबला सांगो पोवारी होरी गाथा ll


अतुल्य से पोवारी रंग को नाता,

रंगोत्सव होली मानावो आता ll


डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे

मु.पो.दासगाँव ता.जि.गोंदिया

मो.९६७३१७८४२४🙏🙏

[08/03, 06:47] Varsha Patle Rahangdale: प्रचलीत हाणा (म्हणी) 


५)राम नाम बेरा परा टेम टेम


अर्थ:सकाळी  सकाळी  भांडण उकरून काढने


✍संकलन:सौ.वर्षा विजय रहांगडाले (बिरसी)ता.आमगांव 

जि.गोंदिया

[08/03, 07:01] Pro Munnala Ji Rahangdale: पँवार धर्मोपदेश


             स्व. श्री लखाराम पँवार तुरकर जी, राजस्व निरीक्षक, ग्राम दौन्दीवाड़ा, ज़िला सिवनी को द्वारा अज़ लक़ लगभग १३० बरस पहिले पोवार समाज परा, "पँवार धर्मोपदेश" नाव लक़ किताब लिखी गई होती। यन् किताब को प्रकाशन सन् १८९० मा भयो होतो। यन किताब मा पोवार समाज को विषय मा लिखान से।


      यन किताब ला कोनी बी आपरो समाजजन को द्वारा रचित प्रथम किताब से यव कवहन मा आवसे। यन् किताब मा पंवार समाज का छत्तीस कुर को दोहा रूप मा उल्लेख से। आपरो पोवारी का कुर को पोवारी शैली मा नाव पढ़नमा आवसे। अज़ को कुर का नाव को लिखान मा कुछ बदलाव देखना मा आवसे परा यव सर्वमान्य तथ्य की पंवार(पोवार) समाज, छत्तीस कुरया समाज से जेको अज़ लक़ एक सौ तीस बरस पहिले की किताब मा भी उल्लेखित से।


       १७०० को आसपास रामटेक, ज़िला नागपुर को जवर नगरधन मा पोवार समाज को पुरखा इनना आमरो समाज का सामाजिक विधि-विधान की निर्मति कर देई होतिन, जो अज़ वरी यथावत साबुत से। पोवार समाज, वास्तव मा छत्तीस पुरातन क्षत्रिय इनको संघ से अना येको इतिहास सर्वविदित से। यवच "पँवार धर्मोपदेश" से यना स्व. श्री लखाराम तुरकर जी ना येक दोहा मा लिखी सेत्। यन दोहा की आखिर की पंक्ति से-


"निज जातिन की कुरी सबे निकसी छतिसि धाम, जो इनसे ज्यादा कहे, सो लिखे अपनो नाम।"


     निज जाति यानि छत्तीस कुर को पोवार अना यवच से आमरी पुरातन पहचान, येला साबुत राखन को यथा संभव प्रयास सबला मिलकन करनो से।


जय सियाराम 🙏🚩

जय क्षत्रिय पोवार(पंवार) समाज🚩

[08/03, 08:42] Chhaya Pardhi: विषय: महिला शक्ति


🌷🌷मातृ शक्ति🌷🌷


हर घर मा सबको जवर  नहीं रय सक ईश्वर।

मनूंन ईश्वर न सबला देईसेस माय नाव को वर।।


जेकी महती गाता थक जायेत् दुनिया का शब्द।                         मायकी शक्तिको सामने जुड़ जासेत् सबका कर ।।


बच्चा साती उतरसे  हिरकनी उचो बुरूज लक पर                मातृशक्ति पर नतमस्तक होसेत हर नारी अना नर


याद आवसे आमला माता जिजाऊ  को शिक्षण।

घडेव शिवबा संस्कारित माताला नई दुजी सर।।


झासी की रानी लक्ष्मीबाई  लढी वा खूब मर्दानी।

शत्रुको करीस मुकाबला पुत्रला पाठ पर बांधकर ।


सिंधुताई सपकाळ त से मातृत्व को निर्मल झरा।

शेकडो बेटा इनला देईस माय को अनमोल घर।।


मदर टेरेसा जिनकी महती गावं से देशविदेश ।                         तारणहार बन गई गरीब, अनाथ, बिमारकी हर।।


महती गावता गावता माय की कम पड़ गया शब्द।

हर मायला नमन जेको अस्तित्वलक चलसे जग।।

🌷🌷सौ,छाया सुरेंद्र पारधी🌷🌷

[08/03, 22:54] Govardhan Bisen: *महिला दिनानिमित्त माझी पोवारी बोली मध्ये एक रचना....


👩नारी को सब करो सम्मान👩

प्रति चरण १६ मात्रा, यति - ८ मात्रापर


मानवता की, बढ़ावो शान |

नारी को सब, करो सम्मान ||धृ||


सुयश भरी से, नारी गाथा |

लक्ष्मण को नत, होसे माथा ||

सिया शोक मा, हिंडत नाथा |||

ढूंडन लग्या, वीर हनुमान ||१||


नारी सब सह, लेसे बाधा |

नारी बिन नर, सेती आधा ||

कृष्ण संगमा, तू ही राधा |||

राब सेस तू, नर को समान ||२||


त्याग समर्पण, की परिभाषा |

घर की लक्ष्मी, घर की आशा ||

असोच घरमा, प्रभु को बासा |||

आया शबरी, घरं भगवान ||३||


प्रित नारी की, करे उजारो |

नारी लकाच, रिस्ता प्यारो ||

माय बहिण रूप, तुमी निहारो |||

धरतीपर से, नारी महान ||४||


सबला भोजन, मग खुद खानो |

निस्वार्थ कर्म, सब पयचानो ||

अस्तित्व वको, स्वर्गच मानो |||

नारी जीवन, नही आसान ||५||


पद्मिनी जरी, जौहर भारी |

संगमा मरी, पूरी नारी ||

सदाचार सब, करे बिचारी |||

झाँसी रानी, हिंदुकी शान ||६||


© इंजी. गोवर्धन बिसेन "गोकुल"

[09/03, 06:25] Varsha Patle Rahangdale: प्रचलीत पोवारी हाणा( म्हणी)

६)चुलो पर हांडी ना गावभर मांदी


अर्थ:घरातील काम सोडून उगाच वायफळ काम करने


✍संकलन:सौ.वर्षा विजय रहांगडाले 

बिरसी ता.आमगांव 

जि.गोंदिया

[09/03, 08:00] Omkar Lal Ji Patle: ♦️पोवारी दिवस चेतना गीत-♦️

 चलों! चलों! युवा साथियों तुम्हीं चलों

(भारतीय नववर्ष दिन,पोवारी दिन)

-----------💙♥️🕉️💚💜---------- 


चलों!चलों! युवा साथियों तुम्हीं चलों l

आओ! पोवारी दिवस मनावन चलों l


तुम्हीं! ध्वजा पोवारी की धरके चलों l

यहां पोवारी को रंग बिखेरन चलों l            समाज की ऐतिहासिक पहचान धरके,

आओ ! पोवारी दिवस मनावन चलों ll


तुम्हीं! ध्वजा पूर्वजों की धरके चलों l

 यहां एकता को रंग बिखेरन चलों l

 समाज की ऐतिहासिक पहचान ‌धरके,

आओं ! पोवारी दिवस मनावन चलों ll


तुम्हीं! पूर्वजों ला याद करके चलों l

यहां पूर्वजों की पहचान धरके चलों l

समाज की ऐतिहासिक  पहचान धरके,

आओं!पोवारी दिवस मनावन चलों ll


तुम्हीं! पोवारी स्वाभिमान धरके चलों l

यहां पोवारी स्वाभिमान बढ़ावन चलों l

समाज की ऐतिहासिक पहचान धरके,

आओं! पोवारी दिवस मनावन चलों  ll


#इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

गुरु ९/३/२०२३.

------------💜💚🕉️♥️💙---------

[09/03, 11:06] Tumesh Patle: (पोवारी को रंग)


सब लगाओ अवंदा, पोवारी को रंग,

हामरी परंपरा अना, राष्ट्रभक्ति को संग.


पोवारी से बड़ी, चूरफुरी,

अखिन से बड़ी, गुरी-गुरी.

वातडी येला नोको करो,

राखो जी येला कुरकुरी.

लगाओ येला आपरो मन मा-

त महकेती सब अंग-अंग.

सब लगाओ अवंदा, पोवारी को रंग,


पोवारी मा रंग ओज को,

पोवारी मा तेज, भोज को.

रंग मा रंग मिलाओ असो,

निखरे रंग हामरी सोच को.

असोच राखो ढंग आपरो-

रंग न होए कोई बदरंग.

सब लगाओ अवंदा, पोवारी को रंग.


रंग लगाओ हिम्मत को,

रंग लगाओ इज़्जत को.

संपन्नता ल चोला रंग दो,

रंग जुगुत की आदत को.

पाय पखारू कालिका माय का-

रंग कभी न येव होए भंग.

सब लगाओ अवंदा, पोवारी को रंग.


रंग लगाओ धार को,

रंग लगाओ प्यार को.

पोवारी ला घोलो असो,

रंग निखरे पोवार को.

भगवा को फगवा देओ,

एकता की बजाओ चंग.

सब लगाओ अवंदा, पोवारी को रंग.


सब लगाओ अवंदा, पोवारी को रंग,

हामरी परंपरा अना, राष्ट्रभक्ति को संग.


तुमेश पटले "सारथी"

केशलेवाड़ा (बालाघाट)

९००९०५१५४६

[09/03, 11:49] Govardhan Bisen: 🌷पोवार दिन मनाए🌷


विधा - आनंदकंद / दिग्पाल / मृदुगति छंद (मात्रिक)

लगावली - गागाल गालगागा, गागाल गालगागा 


नववर्ष को मनाए, सत्कार गीत गाए |

संस्कार को चलाकर, घर में गुढ़ी लगाए ||धृ||


श्री ब्रह्मदेव ने ही, था सृष्टि को बनाया |

भर प्राण जीव मे ही, संसार को चलाया |

वह वार आज ही था, आवो खुशी मनाए |

संस्कार को चलाकर, घर में गुढ़ी लगाए ||१||


श्रीराम राज्यरोहण, था वार आज का ही |

विश्वास राम पर है, सारे समाज का ही ||

आवो सभी मनीषी, मिल दीप हम जलाए |

संस्कार को चलाकर, घर में गुढ़ी लगाए ||२||


विक्रम सभी शकों को, इस भूमि से भगाए |

राज्याभिषेक से ही, संवत शुरू कराए ||

आवो समाज के जन, पोवार दिन मनाए | 

संस्कार को चलाकर, घर में गुढ़ी लगाए ||३||


त्योहार देवि माँ का, प्रारंभ आज से ही |

गढ़ कालिका सजाते, श्रृंगार साज से ही ||

उपवास साधना कर, माँ शक्ति को जगाए |

संस्कार को चलाकर, घर में गुढ़ी लगाए ||४||


© इंजी. गोवर्धन बिसेन "गोकुल"

       गोंदिया (महाराष्ट्र),

[09/03, 16:06] Omkar Lal Ji Patle: पोवार समाज की वास्तविकता                         -----------🌹🌹🕉️🌹🌹----------

      सनातन ही हमारा धर्म और संस्कृति है. हमारे  श्रेष्ठतम आराध्य प्रभु श्रीराम  है.यही ऐतिहासिक सत्य है. पोवार समाज की वास्तविकता को परिभाषित करती हुई एक कविता निम्नलिखित है-


पोवार हैं हम मातृभाषा हैं पोवारी l

आराध्य हमारे श्रीराम धनुष धारी l

श्री रामायण और श्रीमद्भगवद्गीता,

ये श्रेष्ठ ग्रंथ हैं हमारे  कल्याणकारी  ll


संस्कृति हमारी हैं सुंदर मनोहारी l

राष्ट्र भक्ति की परंपरा रही हमारी l

इतिहास में किए संकटों का सामना,

हिम्मत अपनी हमने कभी न हारी ll


कर्म प्रधान सोच रहीं सदा हमारी l

हम हैं सदा संस्कृति के सच्चे प्रहरी l

अजिंक्य है सदा हमारी विचारधारा,         शक्तिस्थान हैं हमारे सुदर्शन धारी ll


इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

गुरु.9/3/2023.

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[10/03, 07:04] Varsha Patle Rahangdale: प्रचलीत हाणा ( म्हणी)

७)सतरा कारभारी ना घर खाली


अर्थ:घरात  सगळेच शहाणपण सांगायला लागले त घर रस्त्यावर  यायला वेळ लागत नाही 


✍संकलन:सौ वर्षा विजय रहांगडाले 

बिरसी ता.आमगांव 

जि.गोंदिया

[10/03, 08:19] Mahen Patle: भविष्य निर्माता नारीशक्ति


समाज मा अज बी उत्तम पारिवारिक मूल्य जीवित सेत काहेकि आमरो समाज मा संस्कृति की मुख्य रक्षण कर्ता  देवी स्वरूपा नारी शक्ति अज बी आपलो कर्तव्य परा अडिग से। 


संस्कार की शाला घर लक शुरू होसे मुन सामाजिक  नैतिक पतन को प्रतिशत अन्य समाज को मुकाबले आमरो समाज मा कम से । 


अज को जमाना मा जब दुनिया स्वछंदता , निर्बन्धता ,  उदण्डता , अनैतिकता को तरफ जाय रही से , तब नारी शक्ति ला पतन को विरोध मा जागृत होनो पडे । 


परिवारला जोड़कर व्यक्तित्व निर्माण की बड़ी जिमेदारी नारीशक्तिला निभावनो से। 


भविष्यको समाजमा सभ्यता व संस्कृति कसी रहे यको निर्धारण अज नारी शक्तिलाच करनो से।


निश्चित तौर परा नारीकी जिमेदारी बड़ी से। वय च भविष्य निर्माता आती। 


देव निर्माण करनो से या दैत्य निर्माण करनो से यव नारीशक्ति को देयव संस्कार व ममता की शक्ति परा आधारित से। 


उनला स्वयम शिक्षीत होयकर , संस्कारक्षम, धर्मवान रयकर आपलो कर्तव्य पथ पर बनैव रव्हनो पडे। जमानो को अनियंत्रित बहाव मा खुद बव्हन को नाहाय।


मनशक्ति को बडो महत्वपूर्ण योगदान कर्तव्य पूर्ण करनो मा लगसे । मनःशक्ति की प्राप्ति करनो मनो विज्ञान को एक भाग आय । मनःशक्ति प्राप्त करन की प्रक्रिया  आमरो संस्कृति मा बहुत् च सरल रूप मा विद्यमान से । नारी शक्ति आपलो मन की शक्ति व्रत, उपवास, आराधना, ध्यान लक प्राप्त करसेत ।


परिवार को उत्थान , शांति व सुसंस्कारित रव्हन को कारण नारी शक्तिकी मनशक्ति च रव्हसे जो सीधो रूपलक चोव्ह नही पर रव्हसे जरूर । 


कर्तव्य पथ परा अडिग देवी स्वरूपा नारी शक्ति सही मा वंदनीय से । 


🙏🏻🙏🏻🙏🏻🚩🚩🚩

[10/03, 12:03] Omkar Lal Ji Patle: ♦️पोवारी दिवस ♦️

चलों! चलों! प्रिय स्वजनों तुम्हीं चलों

(भारतीय नववर्ष दिन,पोवारी दिन) 

-----------💙♥️🕉️💚💜---------- 

चलों!चलों! प्रिय स्वजनों तुम्हीं चलों l

आओ! पोवारी  दिवस मनावन चलों l


तुम्हीं! चेतना की ज्योति धरके चलों l

यहां पोवारी चेतना जगावन चलों l

आपली भाषा को स्वाभिमान धरके,

चलों!पोवारी  दिवस मनावन चलों


तुम्हीं ! एकता को भाव धरके चलों l

यहां संगठन की शक्ति जगावन चलों l

आपली भाषा को स्वाभिमान धरके,

चलों !पोवारी  दिवस मनावन चलों ll


तुम्हीं! साहित्य की ज्योति धरके चलों l

यहां साहित्यिक प्रेम जगावन चलों l            आपली भाषा को स्वाभिमान धरके,

चलो! पोवारी  दिवस मनावन चलों ll


तुम्हीं! पूर्वजों की पहचान धरके चलों l

यहां आपलो इतिहास बचावन  चलों l

आपली भाषा को स्वाभिमान धरके,

चलों ! पोवारी दिवस मनावन चलों ll


#इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

शुक्र १०/३/२०२३.

------------💜💚🕉️♥️💙---------

[10/03, 13:58] Umendra Bisen: गुलाब बिसेन सरला काव्यमयी शुभेच्छा 💐💐 

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पोवारी धुरकरी 

हसमुख स्वभाव 

कृतीशील शिक्षक

गुलाब भाऊ नाव.


नाविन्यपूर्णता से

कार्य शैली भाऊ की 

सृजनशीलता से

पहेचान उनकी.


पोवारी मराठी का

उत्तम साहित्यिक

कथा पद्य गद्य मा

खरो नाव लौकीक.


बाल जगत लायी

झुझुंरका मासिक 

बालकविता मस्त

पोवारी भाषिक.


समाज की भी धुरा

समाज कार्य लका

पोवारी को जतन

करसेती भी बाका.


शिक्षण प्रात्यक्षिक

उनको खरो मूल 

पुरस्कृत करिन 

सृजनशील स्कूल.


यन जनम दिन

शुभेच्छा को वर्षाव

किर्ती लौकिक करो 

बढाओ तुम्ही नाव.

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उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरित) 

गोंदिया (श्रीक्षेत्र देहू पुणे)


मोरो बिसेन परिवार करलक तुमला जलम दिवस की हार्दिक हार्दिक शुभकामना जी 💐💐

[10/03, 15:19] Yashwant Katre: हर कहानी कविता नाटक मा होना भावार्थ।

पढ़ने वालो हर सद्स्य होय जाहें कृतार्थ।।

बिना स्वमतलब की सेवा होसे सेवार्थ।

बीना उद्देश्य को काम होसे असमर्थ।।

बिना पाप को कर्म होसे धर्मार्थ।

लाभ हानि की सोच होसे स्वार्थ।।

ध्यान धरकर कर्म होसे परमार्थ।

यो सब सही होय जाहे तो चरितार्थ।।

कर्म गति संग भगवत गति देसे अमरत्व।

निभाए जो जसो मिले ओसो दायित्व।।

बिना संस्कार को जीवन ना रव्ह मंगलमय।

बीना नवाचार को न्होय जीवन मानव।।

यशवन्त कटरे

जबलपुर १०/०३/२०२३

[10/03, 16:52] Prhalad Harinkhede: 🌹पोवार युवाशक्ति से अपेक्षाएं🌹

(Expectations from our youths) 

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🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩


छोड़ दिये हो तलवार तो

अब तुम्हारी लेखनी में धार चाहिए l

हिन्दू धर्म के हो अनुयायी तो

धर्मरक्षा के लिए तैयार चाहिए l

भारतमाता के हो सपूत तो

राष्ट्रभक्त जैसा व्यवहार चाहिए l

श्रेष्ठ है यदि वंश तूम्हारा तो

शाकाहारी तुम्हारा आहार चाहिए ll


🚩पोवार समाज भाषिक, वैचारिक, सामाजिक क्रांति.

🕉विचारक:- इतिहासकार प्राचार्य ओ. सी. पटले

🔴 धूलिवंदन,सोम.29/03/2021.

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[11/03, 06:40] Varsha Patle Rahangdale: प्रचलीत पोवारी  हाणा(म्हणी)


९)ईन मीन साडेतीन


अर्थ: एखाद्या  कारणासाठी अगदी कमीत कमी लोकं हजर असणे.


✍संकलन:सौ.वर्षा विजय  रहांगडाले 

बिरसी ता.आमगांव 

जि.गोंदिया


[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: पोवारी साहित्य अना सांस्कृतिक उत्कर्ष द्वारा आयोजित:-पोवारी साहित्य सरिता भाग ८९

💐🚩💐🚩💐🚩💐🚩💐🚩

आदरणीय सब लेखक/कवि/कवियत्री/इतिहास सरंक्षक व सन्माननिय सदस्यगिणला सूचित करनो मा आय रही से की सप्ताह को हर शनवार अना इतवार ला पोवारी साहित्य सरिता को आयोजन करनो मा आय रही से।

 उत्कृष्ट लेख, काव्य रचना, समुह ब्लॉग अना समाज का उत्कृष्ट फेसबुक पेज पर अपलोड करनो मा आयेती l

सबको साथ अना सहयोग भेटे असी सबलक नम्र बिनती🙏🏻 से जी l


🔸रचना पोवारी भाषामाच मान्य होयेती।


🔸गद्य-पद्य रचना ला नाव देनो अना रचना को खाल्या नाव लिखनो अनिवार्य से जी ।


🔸पोवारी कविता, आत्मकथा, संस्मरण, एकांकी, निबंध, कहानी, लघुकथा , पत्र, ऐतिहासिक समाजिक, सांस्कृतिक लेख आमंत्रित सेती।


🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹

       आयोजक

डॉ. हरगोविंद टेंभरे

श्री शेषराव येळेकर

श्री यशवंत कटरे

      मार्गदर्शक

श्री. व्ही. बी.देशमुख

🚩🏵️🕉️🕉️🏵️🚩

[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: * पोवारी दिवस 

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महान पूर्वजों ला वंदन को दिवस से l

बसंत ऋतु को आनंद को दिवस से ll


विक्रमादित्य को गौरव को  दिवस से l

राष्ट्रीय गौरव को येव मोठो दिवस से l

सामाजिक चेतना को दिन से पोवारी  l

हर्षोल्लास लक मनाओ दिवस पोवारी ll


पोवारी भाषिक अस्मिता को दिवस से l

पोवारी भाषा को सम्मान को दिवस से l

सामाजिक चेतना को दिन से पोवारी l

हर्षोल्लास लक मनाओ दिवस पोवारी ll


पोवारी अस्मिता जगावन को  दिवस से  l

पोवारी स्वाभिमान जगावन को  दिवस से l

सामाजिक चेतना को दिन से पोवारी l

हर्षोल्लास लक मनाओ दिवस पोवारी ll 


एकता ममता जगावन  को दिवस से l

समाजोत्थान को संकल्प को दिवस से l सामाजिक चेतना को दिन से पोवारी l

हर्षोल्लास लक मनाओ दिवस पोवारी ll


 #इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

मंग.०७/०३/२०२३.

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[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: पोवारी दिवस 

 चलों! चलों! युवा साथियों तुम्हीं चलों

(भारतीय नववर्ष दिन,पोवारी दिन)

-----------💙♥️🕉️💚💜---------- 


चलों!चलों! युवा साथियों तुम्हीं चलों l

आओ! पोवारी दिवस मनावन चलों l


तुम्हीं! ध्वजा पोवारी की धरके चलों l

यहां पोवारी को रंग बिखेरन चलों l            समाज की ऐतिहासिक पहचान धरके,

आओ ! पोवारी दिवस मनावन चलों ll


तुम्हीं! ध्वजा पूर्वजों की धरके चलों l

 यहां एकता को रंग बिखेरन चलों l

 समाज की ऐतिहासिक पहचान ‌धरके,

आओं ! पोवारी दिवस मनावन चलों ll


तुम्हीं! पूर्वजों ला याद करके चलों l

यहां पूर्वजों की पहचान धरके चलों l

समाज की ऐतिहासिक  पहचान धरके,

आओं!पोवारी दिवस मनावन चलों ll


तुम्हीं! पोवारी स्वाभिमान धरके चलों l

यहां पोवारी स्वाभिमान बढ़ावन चलों l

समाज की ऐतिहासिक पहचान धरके,

आओं! पोवारी दिवस मनावन चलों  ll


#इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

गुरु ९/३/२०२३.

------------💜💚🕉️♥️💙---------

[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: पोवारी दिवस 

चलों! चलों! प्रिय स्वजनों तुम्हीं चलों

(भारतीय नववर्ष दिन,पोवारी दिन) 

-----------💙♥️🕉️💚💜---------- 

चलों!चलों! प्रिय स्वजनों तुम्हीं चलों l

आओ! पोवारी  दिवस मनावन चलों l


तुम्हीं! चेतना की ज्योति धरके चलों l

यहां पोवारी चेतना जगावन चलों l

आपली भाषा को स्वाभिमान धरके,

चलों!पोवारी  दिवस मनावन चलों


तुम्हीं ! एकता को भाव धरके चलों l

यहां संगठन की शक्ति जगावन चलों l

आपली भाषा को स्वाभिमान धरके,

चलों !पोवारी  दिवस मनावन चलों ll


तुम्हीं! साहित्य की ज्योति धरके चलों l

यहां साहित्यिक प्रेम जगावन चलों l            आपली भाषा को स्वाभिमान धरके,

चलों! पोवारी  दिवस मनावन चलों ll


तुम्हीं! पूर्वजों की पहचान धरके चलों l

यहां आपलो इतिहास बचावन  चलों l

आपली भाषा को स्वाभिमान धरके,

चलों ! पोवारी दिवस मनावन चलों ll


#इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

शुक्र १०/३/२०२३.

------------💜💚🕉️♥️💙---------

[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: तुकाराम बिज

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श्रेष्ठ मोरो तुका -संत शिरोमणी

विरक्ती को धनी -संसारमा //


संसारी रहेव- भयेव विरक्त

विठ्ठल को भक्त- तुकाराम //


अभंग रचीस- देता उपदेश

संसार संदेश -शिकाईस //


संत तुकाराम -विठ्ठल की भक्ती

ना रव्ह आशक्ती- कोणतीच //


एक एक शब्द -गाथा गा रचिस

देता उपदेश -जनलोक //


अभक्त च लोक- कर्मठ गा वाणी

गाथा नदी पाणी- बुळाइन //


गाथा पानीपरा -तुकोबा समर्थ

कर पुरुषार्थ -अहर्निश //


आयेव् विमान -तुकोबा लिजान

धरती पावन -देहुगाव //


ज्ञानराज पाया- गरोमा तुळस

तुकोबा कळस -चळाइस //


        **

डी.पी.राहांगडाले

  गोंदिया

[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: पोवारी साहित्य सरिता ८९

दिनांक:११:३:२०२३

        शाहाना

      ****

असा कसा आमरा ये शाहाना,

डोरा देखत चुप रय गया।

बीचार से का येको थोड़ा जरा,

दस्तूर बिह्या का बदल गया।।१।।

बासिंग का दुकान बंद पड़ गया,

पगड़ी टोप को आयी से जमाना।

गुलाबी कमीज की बुज कंहा,

शूट बूट न शेरवानी कसे होना।।२।।

बईल गाड़ो परा रव्ह मांडोधरी,

संग मा रव्हत जाम्बूर की डारी।

गुडूर को रव्ह जवाई धुरकरी,

रेहका खाचर की वा बरात भारी।।३।।

कपड़ा को मांडो लगुन डेर से उभी,

बारा डेरीको मांडो गाड़ से का कोनी।

जवाई को जागा ड्रायव्हर बस गाड़ी,

डिजे पर नाच गाना से मनमानी।।४।।

दस्तूर कर भाली बस मांडो, मा 

नवरदेव दिस चिकनो देखना।

सांग बापला नवरा टूरा बिह्यामा,

दाढ़ी कट को से आमरो जमाना।।५।।

बनाओ आपला कानून कायदा नवा,

जरूरत पड़ी से पोवार जातीला।

समाज हित की करो सब सेवा,

आव्हान से आमरो नव पीढ़ी ला।।६।।

हेमंत पी पटले धामनगांव (आमगांव)९२७२११६५०१

[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: 🚩 पोवारी दिवस🚩


अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार(पंवार) महासंघ द्वारा पोवार समाज का आदर्श, पृथ्वी सम्राट विक्रमादित्य को राज्यारोहण अना हिन्दू नववर्ष को अवसर परा आपरी संस्कृति, गौरवपूर्ण इतिहास अना समाज की धरोहर आमरी पोवारी भाषा को सम्मान मा यन् दिवस ला "पोवारी दिवस" को रूप मा मनायो जासे। अवन्दा को साल भी यन् पावन दिवस परा (२२ मार्च २०२३) क्षत्रिय पोवार(पंवार) महासंघ द्वारा विविध कार्यक्रम को आयोजन करनो मा आय रही से।


यन शृंखला मा स्वजातीय भाई बहिनइन लका अनुरोध से की आपला लेख, रचना, कविता, सामाजिक संबोधन का विडिओ (२-३ मिनट) को समय सीमा मा बनायकन Whats up/टेलीग्राम नंबर 7974771597 परा पठावत रव्हो।

पोवार समाज का सन्मानिय साहित्यिक आपरा अमूल्य विचार/कविता/साहित्यिक प्रस्तुति १९ मार्च २०२३ वरी पठावन को निश्चित करो असी बिनती से।


सप्पाई साहित्य शृंखला ला जोड़कन येक वीडियो "पोवारी दिवस" ( २२/०३/२०२३) परा जारी करन को येव अभिनव सामाजिक उपक्रम पोवारी दिवस को अवसर परा रिलीज करनो मा आय रही से आपरो मायबोली पोवारी को विकास मा सबको सहयोग सराहनीय से।।


अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार/पंवार महासंघ

🚩🚩🙏🏻💐🚩💐🙏🏻🚩🚩

[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: प्रचलीत पोवारी  हाणा(म्हणी)


१०)कानमा बुगडी अना गावभर फुगडी


अर्थ: आपल्या जवळच्या अल्पशा संपत्तीचे प्रदर्शन करने.


✍संकलन:सौ.वर्षा विजय  रहांगडाले 

बिरसी ता.आमगांव 

जि.गोंदिया

[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: ♦️पोवारी दिवस♦️

सृष्टि मा बसंत ऋतु को सौंदर्य से

(भारतीय नववर्ष दिन,पोवारी दिन)

----------💜♥️💚💙🧡----------


सृष्टि मा बसंत ऋतु को सौंदर्य से l                 

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को दिन से l

हिन्दू नववर्ष दिन की शुरुआत से l

असो शुभ दिन ला से पोवारी दिवस ,

समाज  साती या गौरव की बात से ll


सृष्टि मा बसंत ऋतु की बहार से  l

प्रभु श्रीराम को विजयोत्सव से l

विक्रमादित्य को विजयोत्सव से l

असो पावन दिन ला से पोवारी दिवस ,

समाज साती या गौरव की बात से ll


सृष्टि मा बसंत ऋतु को उल्लास से l

चैत्र नवरात्रि पर्व को  शुभारंभ से l

विश्व ज्योतिष दिवस को उत्सव से l

असो मंगल दिन ला से पोवारी दिवस ,

समाज साती या गौरव की बात से ll


सृष्टि  मा रंगीबेरंगी माहौल से l

सृष्टि को उत्पत्ति को पावन दिन से l

सूर्य को उत्तरायण को महापर्व से l

येन् दिवस मनावबी पोवारी दिवस,

समाज साती या गौरव की बात से ll


इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

पोवारी भाषिक, सांस्कृतिक, वैचारिक क्रांति अभियान, भारतवर्ष.

रवि.१२/०३/२०२३.

-----------💙💚♦️♥️💜------------

[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: (बचपन)


दिल मा   याद  करसेत   शोर,

गुजर गयिसे  बचपन  को दौर.


बचपन मा नहीं चिंता,  फिकर,

नहीं पेंट, नहीं  कोई   निक्कर.


खेलकूद  मा  पकड़्या  टंगड़ी,

घसरत  होती  आपरी  लेंगडी.


बेहर   बावड़ी    ढूकत    होता,

बाड़ी   बेदड़ा    कूदत    होता.


स्कूल  मा  कि  बिछावनो   टाट,

इक्की    की   छुट्टी    की   बाट.


बजार चउक मा   सबको  अड्डा,

आठ  आना   की   पीपी    नड्डा.


दूय बजे सीरियल स्वाभिमान,

जेको   रहवत    होतो  ध्यान.


सय दिन करो  पढ़ाई  लिखाई,

इतवार तरा-नहेर  मा  कुदाई.


एकमेक   को   सबला   भान,

खेल खेल  मा   सिख्या  ज्ञान.


खेल्या कोचनी, भौरा, टिपली,

गांव   हामरो   लाइव  पीपली.


गाँवखारी   की    बुल्या    बोर,

दिल  येव  मांगत   होतो   मोर.


बचपन  को   होतो   बड़ो  नेंग,

चोर  के  खानो  चना  की  सेंग.


पोरा  मा   बाड़ी    की  ककड़ी,

फाग मा  चोरया   ढग  लकड़ी.


पिंटी,  हीरा,    गुठ्ठुल,  गुड्डू,

खेल्या    सबन्   कूची,   हुड्डू.


दिवारी  का   चिटकी   पटाखा,

चिचोली  का  गुरचुट   चटाखा.


याद आईन फिर अक्स्या लेप्सी,

भायिसेत  पर    कुल्फी,  पेप्सी.


साइकिल चलावत  होता कैची,

एक   दूसरी    ल   खैचा-खैंची.


नहीं होता  मोबाईल  कंप्यूटर,

होतो  बचपन   बहुत  बेहतर.


मनमा   काई   को   भेद  नहीं,

काई   पछतावा,   खेद    नहीं.


निस्वार्थ   सब   संगी    साथी,

कल्पना का सब घोड़ा   हाथी.


बचपन  पर  का   लिखूं   पढ़ू,

चार संगी  बीच   एकच   गडू.


बस  गस्ती   की   हस्ती  होती,

आफ़त  मा  भी  मस्ती   होती.


रहव जो बचपन  अंबराई  मा.

घसर गयो  उमर की  काई मा.


ज्ञान होसे सबला पचपन मा,

जीवन असली से बचपन मा.


तुमेश पटले  "सारथी"

केशलेवाडा (बालाघाट)

[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: 🌻 पोवारी साहित्य सरिता भाग ८९🌻


समाज साठी जागरूक रहो


रोज सकारी मंदिर मा पंडित जी पूजा पाठ करस्यांनी शंख बजावत   होता या आवाज आयकस्यार बाजू को गधा बी आपरो कोनी संगी की आवाज आय आसो आभास होसे वु बी जोर स्यानी चिल्लासे पंडित जी ला बहुत साजरो लगसे कसेति बाटा यव कोनी जन्म को भक्त को व्यकि रहे l एक दिवस गधा नही चिल्लायेव मालूम भयव कि वो की मर गयव l पंडित जी न वोको सन्मान मा मुंडन भया अना विधिवत पूजन करिन l बनिया को दुकान मा सामान लेन गया दुकानदार ला शंका भयी बिचारिन  काहे पंडित जी मुंडन कोन मर गयव जी ? पंडित जी कसे अरे भाई शंखराज की इहलीला समाप्त भय गयी वय चल बस्या....बनिया पंडित जी को यजमान होतो वोन बी मुंडन करिस बात पुरो गांव मा पसर गई सब मुंडन करावन लग्या एक शिपाही बनिया घर् पहुंचेव  मालूम भयव कि शंखराज महाराज नही रह्या..बिटार बहुत खराब होसे वोन बी मुंडन करायीस देखता देखता पूरी सेना मुंडन भय गयी सबला लगेव की पंडित जी नही रह्या मोठा आफिसर परेशान भय गया असि कोणती घटना भय गयी आदेश भयव पता लगाव अधिकारी पंडित जी को घर् तक आया मालूम भयव शंखराज एक गधा को नाव होतो वु मर गयव सब का सब सरम मारया पानी पानी भय गया l


बोध: असा बहुत सा अंधविश्वास समाज मा फैल्या सेती जेको मूल जड़ लोग इनला मालूम नहाय जसो आपरो समाज को अना भाषा को बारया मा से l


डॉ हरगोविंद चिखलु टेंभरे

मु.पो.दासगाँव ता.जि.गोंदिया

मो.९६७३१७८४२४🙏🙏

[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: प्रचलीत पोवारी  हाणा(म्हणी)


११)कावरा बसनसीन ना काळी मूळनशीन.


अर्थ: परस्परांशी कारण संबध नसतांना योगायोगाने  दोन गोष्टी एकाचवेळी घडणे.


✍संकलन:सौ.वर्षा विजय  रहांगडाले 

बिरसी ता.आमगांव 

जि.गोंदिया

[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: परीक्षा

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आयी आयी परीक्षा,धक धक वा सुटी /

आता अभ्यासला नोको मारो ना बुटी //ध्रु//


टी. व्हीं मोबाईलको आता सोळो नाद /

नोको करो इतउत गाव जानकी साद //

अभ्यास संग नोको करो गा ताटा तुटी/

आता अभ्यासला नोको मारो ना बुटी //१//


तनमन लक अभ्यास करो एकाग्र चित्त /

ध्यान मंग लगजाये ना घबरान की बात //

एक एक शब्द को ध्यान नोको रेटारेटी /

आता अभ्यासला नोको मारो ना बुटी //२//


विषयवार अभ्यास ना नोको घालमेल /

सबजन पास ,कोणी नहीं होनका फेल //

ना करो कापी ना पेपर की, फाटा फुटी /

आता अभ्यासला नोको मारो ना बुटी //३//


धीरज मनमा ठेवो ना खुदपर बिश्वास /

समय को ध्यान,ना बने गरोकी फास //

मा गडकाली को ध्यान,बात भी पटी /

आता अभ्यासला नोको मारो ना बुटी //४//

              "**

डी.पी.राहांगडाले

गोंदिया

[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: पोवारी काव्य स्पर्धा १५२

विषय: परीक्षा

दिनांक:१३:३:२०२३

         बिना परीक्षा

       ****

खेल कसो अक्कल बिना,

चल से का दुनियामा येन।

बिना परीक्षा मोल से का,

मानुस कर से लेन देन।। टेक।।

बचपन मा मिल जासेत,

माय बाप का संस्कार।

अनुभव का मीठा बोल,

 बनावसेती समजदार।

पास करो परीक्षा घर की,

बन जावो तुम्ही गुणवान।।१।।

विद्या को दान देसे गुरुजी,

रोज स्कूल जावो शिकन।

लगजासे लगन अभ्यास कि,

 मन को अंदर करो चिंतन।

परीक्षा पास करनो परा,

तुम्ही बनजाओ बुद्धिमान।।२।।

जेन घर मा जनम भयेव,

ओन कुलको करो बीचार।

सुखशांती को घरमा वास,

मजबूत  करो  परिवार ।

अंतिम परीक्षा जीवन की,

लगावो तन   मन  धन।।३।।

हेमंत पी पटले धामनगांव (आमगांव)९२७२११६५०१

[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: प्रचलीत पोवारी  हाणा(म्हणी)


१२)कावराको सरापलका गाय काई मर नही.


अर्थ: क्षुद्र माणसाने केलेल्या दोषारोपणाने थोरांचे नुकसान  होत नाही. 


✍संकलन:सौ.वर्षा विजय  रहांगडाले 

बिरसी ता.आमगांव 

जि.गोंदिया

[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: संस्कार अना संस्कृति की शिक्षा लक़ समाज को सांस्कृतिक पतन रुक सिक से।


        आपरो बेटा बेटी इनला बालपन लक़ आपरी गौरवशाली सनातनी संस्कृति लक़ परिचित करवानो लगित जरुरी से। अज़ की शिक्षा असी आय की वोको लक़ रोजगार त भेट जासे परा संस्कृति को ज्ञान संभव नहाय। मुस्लिम समाज मा उनको धर्म की शिक्षा लाई जसो मदरसा से वसो सनातन धर्म की शिक्षा लाई विधिवत शिक्षा केंद्र कम आती।

        सनातन धर्म का मंदिर अना संस्थान केतरो साजरो काम करसेती यव अज़ सबला पता से। आता हमरो लाई कोनतो विकल्प बची से, अना वू आय बच्चा इनकी प्राथमिक शिक्षा को केंद्र मंजे आपरो घर परिवार। सयुंक्त परिवार मा सांसारिक शिक्षा साजरो लक़ होय जात होती परा अज़ को जमाना मा यव भी आता कठिन भय गई से। त परिवार ला च यव काम करनो पढ़े। सावन को महीना मा हमारों घर मा रामायण को पाठ होसे तसच घर परिवार मा भागवत गीता अना वेद की पढ़ाई जरुरी से। हिन्दू धर्म येक जीवन शैली से अना यव हर समुदाय मा अलग-अलग से, येकी शिक्षा त घर परिवार अना आपरो समुदाय मा च मिल सिक से। आमला कसो जीवन जीवनो से, आपरो सामाजिक रीति-रिवाज कसो आती, आमरो बिया कोन मा होसे कोन मा नहीं, असो सामाजिक मूल्य मानदंड की शिक्षा परिवार को समाज समाज लक़ मिलनो लगत जरुरी से।

         जीवन मा भौतिक तरक्की को संग सांस्कृतिक अना आध्यत्मिक ज्ञान लक़ नवी पीढ़ी लक़ परिचित करवानो जरुरी से। आजादी को बाद भारत देश आता पंथनिरपेक्ष भय गई से त शासन लक़ येकी आशा करनो संभव नही दिस। परिवार, कुनबा, समुदाय और समाज ला च "संस्कार अना संस्कृति" की मूल शिक्षा देनो पढ़े तबच संस्कृति को पतन रुक सिक से।

🚩🚩🙏🏻🚩🚩🚩🙏🏻🚩🚩

[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: ♦️पोवारी दिवस♦️ 

पोवार समाज को मोठो दिन से पोवारी

(भारतीय नववर्ष दिन,पोवारी दिन)

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पोवार समाज को मोठो दिन से पोवारी l

अस्तित्व बचावन को संकल्प से पोवारी ll


पोवारी दिन से पोवारी पहचान को l

पोवारी दिन से पोवारी स्वाभिमान को l

पोवार समाज को मोठो दिन से पोवारी l

अस्तित्व बचावन को संकल्प से पोवारी ll


येव दिन से पहचान को शंखनाद को l

येव दिन से स्वाभिमान को शंखनाद को l

पोवार समाज को मोठो दिन से पोवारी l

अस्तित्व बचावन को संकल्प से पोवारी ll


पोवारी दिन से भाषा को सम्मान को  l                                         पोवारी दिन से भाषा को गौरवगान को l

पोवार समाज को मोठो दिन से पोवारी  l

अस्तित्व बचावन को संकल्प से पोवारी ll


येव दिन से शक्ति की आराधना को l

येव दिन से श्रीराम की आराधना को l

पोवार समाज को मोठो दिन से पोवारी l

अस्तित्व बचावन को संकल्प से पोवारी ll


इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

#पोवारी भाषिक, सांस्कृतिक, वैचारिक क्रांति अभियान, भारतवर्ष.

मंग.१४/०३/२०२३.

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[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: प्रचलीत पोवारी  हाणा(म्हणी)


१३)मोरो मोरो ना डोई भारो


अर्थ: आपण हा माझा नी तो  माझा करतो पण वेळ आली की कुणीच मदतीला धावत नाही. 


✍संकलन:सौ.वर्षा विजय  रहांगडाले 

बिरसी ता.आमगांव 

जि.गोंदिया

[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: 🔷ll पोवारी दिवस ll🔷

   चलों!पोवारी दिवस मनावन चलों

    (भारतीय नववर्ष दिन, पोवारी दिन)

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चलों! पोवारी दिवस मनावन चलों l

छत्तीस कुल की एकता बढ़ावन चलों l

मंग नहीं मंडरान का काला-काला बादल,

चलों!समाज मा नवी चेतना जगावन चलों ll


चलों! इतिहास पर निष्ठा देखावन चलों l

मूल पहचान पर निज निष्ठा बढ़ावन चलों l

मंग नहीं मंडरान का काला-काला बादल,

चलों!समाज मा नवी चेतना जगावन चलों ll


चलों!समाज मा अस्मिता जगावन चलों l

आपस मा एकता- ममता  बढ़ावन चलो l

मंग नहीं मंडरान का काला-काला बादल,

चलों!समाज मा नवी चेतना जगावन चलों ll


चलों ! शक्ति को एहसास करावन चलों l

निज समाज को सामर्थ्य देखावन चलों l

मंग नहीं मंडरान का कला- काला बादल,

चलों!समाज मा नवी चेतना जगावन चलों ll


-इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

#पोवारी भाषिक, सांस्कृतिक, वैचारिक क्रांति अभियान, भारतवर्ष.

बुध.15/03/2023.

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[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: llपोवारी दिवस ll

# उठो!जागो! कुलदैवत ला वंदन को दिन से

(भारतीय नववर्ष दिन, पोवारी दिन)

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उठो!जागो!कुलदैवत ला वंदन को दिन सेl

चवरी पर टवरी  जरावन को अज दिन से l

नवी चेतना जगावन को दिन से पोवारी l

समाजोत्थान को संकल्प दिन से पोवारी ll

उठो!जागो! कुलदैवत ला...


हिन्दू नववर्ष को  येव पयलो दिन से l

प्रभु राम को राज्याभिषेक को‌ दिन से l

नवी चेतना जगावन को दिन से पोवारी  l

समाजोत्थान को संकल्प दिन से पोवारी ll

उठो!जागो! कुलदैवत ला...


भाषिक अस्मिता जगावन को दिन से  l

पोवारी स्वाभिमान जगावन को दिन से l

नवी चेतना जगावन को दिन से पोवारी l

समाजोत्थान को संकल्प दिन से पोवारी ll 

उठो!जागो ! कुलदैवत ला...


सृष्टि को नर्माण को येव  पयलों दिन से‍ l

चैत्र नवरात्रि को येव पयलों दिन से l

नवी चेतना जगावन को दिन से पोवारी l

समाजोत्थान को संकल्प दिन से पोवारी ll 

उठो!जागो! कुलदैवत...


 इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

#पोवारी भाषिक, सांस्कृतिक, वैचारिक क्रांति अभियान, भारतवर्ष.

बुध.१५/०३/२०२३.

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[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: मृगजळ


आता असो लगसे

जरा रूक जाऊ घडीभर

यन मोहमाया को दूर

एकटीच बाटपर

आता नोको लिखाण 

ना कोणतं समूह.....

ना यमक,ना कोणतं अलंकार

अना बागुलबुवा वाला रिस्ता बी नोको

अना गजबजायेव रस्ता बी.....

तरास आयेव आता यनं....

तोंडदेखेव जमानो को

जेला आपलो समजन  जाणं

ऊच आजकाल केस लका....

गरो काट देसे....

हात खींचनकोतं ....

पायचं झीकसे....

आपलो कोण....

अना परायो कोणं.....

येकोमाच गफलत भय गयी से

अना यवचं ढुंढता ढुंढता 

पुरी हयात सर गयीसे...

मृगजळ से सारो जग

काही  अस्तीत्वच नाहाय यहां

अस्तित्वहीन 'मी' ला कहां कहां

ढुंढ रही सेव मी...

पर फक्त  होय रही से दमछाक

चूक मोरी येतरीच से.....

तुम्ही  बुद्धी लका बिचार करसेव

अना मी भावना मा बय जासु....

व्यवहार शुन्य सेव ना मी.....

चांगुलपणा को मुखवटा पंघरके

तरास आयेव आता....

भलो भलो की मांदी

अना भागुबाई  की चिंधी....

कसेत ना तसोच

मून आता मोला जरासी

विश्रांती  लेवूसा लगसे....

एकांत मा रवूसा लगसे

मून मोला शायद आता वूच

नदी को किणारो बुलाय रही से

जहां मोरी बचपणकी यादं जुळी सेत

वहांच जायके बसु कसु

काही  अनकही,अधुरी,मोरी कविता 

लिखत......


सौ.वर्षा विजय  रहांगडाले 

बिरसी ता.आमगांव 

जि.गोंदिया

[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: प्रचलीत पोवारी  हाणा(म्हणी)


१४)अवसबाई  इत ना पूनवाबाई  ऊत.


अर्थ: एकमेकींच्या अगदी विरूद्ध  असणे.


✍संकलन:सौ.वर्षा विजय  रहांगडाले 

बिरसी ता.आमगांव 

जि.गोंदिया

[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: पोवारी साहित्य, सांस्कृतिक समूह


सिता राम 


राम नाम मी जपत जाऊ

राम काज मी करत जाऊ


राम राम की बहती धारा

राम ला अर्पित जीवन सारा


राम ही माता राम ही पिता

कनकन मा समायोव राम सर्वज्ञाता


राम भजन मन बहलावं

राम ही मोरो सब कहलावं


राम ही तारे राम ही मारे 

राम काज ही जीवन सवारे


राम महिमा मी गात जाऊ

राम दास गर्व लक कहू


जय जय सिता राम

जुडे जनम जनम तोरो संग नाम


राम महिमा की अद्भुत कहानी

तहान राम श्रद्धा को पानी


शेषराव यलेकर

दि.१६/०३/२३

[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: आदरणीय श्री गुलाब भाऊ बिसेन द्वारा लिखित खोपड़ीमाकि दीवारी कहानी संग्रह पर स्वल्प अभिप्राय.


जन्मदिन की भेंट प्रथम कहानी बाचता बाचता डोरामाल् आंसू टपक्या अना संग संग वास्तविक परिस्थितिमा स्वाभिमान संग रिस्ता की अहमियत को तालमेल, सच्ची दोस्ती को प्रेम अना वोको साती समर्पण की द्रवित करने वाली बोधप्रद कहानी साती आभार.


माती को गणपति कहानी को माध्यमलका पर्यावरण प्रेम, पर्यावरण संवर्धन को संग संग आपलो संस्कृति का त्यौहार मनावनको तालमेल पर प्रेरक शिक्षाप्रद कहानी की रचना लाई हार्दिक अभिनन्दन.


तीसरी कहानी पांच सौ की नोट, ईमानदारी पर लिखेव गयेव जीवंत वृतांत अना सजीव वर्णन लका कहानी मा चार चाँद लग गया, असी संस्कारपूर्ण कहानी कथा यदि बचपन मा लहान टुरू पोटूइनला सांगिस त् बहुत अच्छो संस्कार पड से.


जरनुक लका कोनिकोच फायदा नहीं होय, येव एक जीवन को महत्वपूर्ण सिद्धांत को परिचय चौथी बालकहानी जरनुक मा सहज दर्शित होनो माँ आयेव.


जसो की येन् पुस्तक को नाव खोपड़ीमाकी दीवारी पुस्तक माकी पांचवी कहानी पर से. सार्थक सोच, उचित मूल्यांकन शीर्षक ठेवन की कला अना साहित्यिक की परख देखवसे. येन कहानिला सजीव शब्द अना पारंगद शैली लका, कहानी को प्रवाह मा एक सजीव रस की अनुभूति होसे. दीवारी मानवन की एक प्रेरणापद कहानी को वृतांत सदरीकरण साती लेखक साहित्यिक श्री गुलाब भाऊ बिसेन ला हार्दिक अभिनन्दन.


अन्न हेची परब्रम्ह को सिद्धांतला सिद्ध करदेने वाली कहानी को रूप मा भात को खऱ्यान येन कहानीको मार्मिक निर्मिति ला मी सादर नमन करूसू अना बालवृन्द साती अमूल्य कहानी को निर्माण करनको उत्तम प्रयास ला मनलका हार्दिक धन्यवाद देसु - ऋषिकेश गौतम 🙏

[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: मी 


मी कोन......

मी एक रस्ता बिसरेव वाटसरू

वोन मृत्यू  को बाटपरको

अनेक भावनाको जलम भयेव

अना उनलाच आजन्म....

संग धरके चलनेवालो

कभी भयेव प्रेम को लिलाव. ..

त कभी सखी सायली बी देसेत दगा

भावना बी उच्छाद मंडावसेती

यातना बी जीनो हराम कर सेती...

तरी बी....

मी तटस्थ उभो सेव....

काळ बी टपेवच से

मोरो मस्तकपरा....

संकट की पायघडी त....

हतराई सेत पायखाल्या...

पर मी तरीबी उभो सेव

वोनच पायघडीपरा

एखादं वयस्कर  झाडसारखो

जसो वोला उधई पोखरसे...

तरीबी ऊ उभो रव्हसेच....

पर ऊ कालला आमंत्रण देसे

समुद्र  को लहरला झीडकारके

समाज को विशाल किणारापर

पर.......

कभी आयच जासे....

विशाल हवातुफान....

संगमा माट्या धरके

अखीन आपलो ओटामा धरणसाठी

हमेशा हमेशासाठी 

चिरनिद्रा लेनसाठी.....


✍सौ.वर्षा  विजय रहांगडाले 

बिरसी ता.आमगांव 

जि.गोंदिया

[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: प्रचलीत पोवारी  हाणा(म्हणी)


१५)आजा मरेव नाती भयेव घरका लोग बराबर.


अर्थ: एखादे नुकसान  झाले  असता त्याचवेळी  फायद्याची  गोष्ट घडणे.


✍संकलन:सौ.वर्षा विजय  रहांगडाले 

बिरसी ता.आमगांव 

जि.गोंदिया

[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: प्रचलीत पोवारी  हाणा(म्हणी)


१६)आवरा देसे अना बाई कोहरो काहाळसे . 


अर्थ: एखाद्या  व्यक्तीला  लहान  वस्तू  देऊन मोठी वस्तू मिळवणे.


✍संकलन:सौ.वर्षा विजय  रहांगडाले 

बिरसी ता.आमगांव 

जि.गोंदिया

[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: पोवारी साहित्य, संस्कृति साती


अवकाली पानी


पानी आयोव अवकाली ,मरी मोरी हाऊस

आंबा गयोव कांदा गयोव, गयोव हाथको कापूस


पोट को टुरू सारखो पोसेव झाड

कर्जा काढकन पुरायेव खेतीको लाड

ऊकर मा को मूसर गयोव कसो आयोव ऊस

कांदा गयोव आंबा गयोव, गयोव हाथको कापूस


डोरा सामने सपन  की, जली होली

फूटफूटकन कष्ठ भरेव,फाटी कसी झोली

हाय रे देवा, मोरो भू मायकी उजरी कूस

कांदा गयोव आंबा गयोव, गयोव हाथको कापूस


यन आधारवड मंग सेत बायको टुरू पटू

बिना अनाज ,तावापर कसो फिरावू चाटू 

बिन बुलायोव मेहमान आयोव अवकाली पाऊस

कांदा गयोव आंबा गयोव, गयोव हाथको कापूस 


यन वीतभर पोट को कोणी नहाय वाली

कोणतो जनमं का पाप,रकत पिवसे मां काली

पारिवारिक जीवन ला लगी बर्बादी घूस

कांदा गयोव आंबा गयोव, गयोव हाथको कापूस


शेषराव येलेकर

दि. १७/०३/२३

[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: मानव जीवन 

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मीली से धरा पर  मानव जीवन

येला  संभाल  कर जीव  जीवन

नफरत को  जहर ना संगी घोल

बडो अनमोल  से मानव जीवन...

जो  आयी  से   येन्  दुनिया  मा

वोला जानो से दुनिया सब् छोड

मंग  काहेकी  से   सान  शौकत

काहे  इतरावनो काहे को घमंड...

मानुस जीव पाणी को बुलबुला

चार दिन को  से धरा पर जीवन 

जेन् सब पर पेरम् फूल लुटाईस

मर कर  रय जासे  जींदा जीवन... 

नफरत  करनेवाला यहां शर्मिंदा 

होसे उनकी सबलक दुश्मनदारी

मर कर पिये उ कडू नदीको पानी 

मुख पर  सजाय मिठो नातेदारी...

तू लुटजो सुख तोला रोवनो पडे

तू हिसकजो चैन तोला दुख मिले 

येव्  कुदरत को  कानुन से  संगी

जसी करनी तसी भरनी जीवन... 

सोना चांदी हिरा मोती सब् जहां 

धन दौलत नातोगोतो छोड यहां 

मंग  काहे  तोरो मोरो  मा पिस्ता

सब्  एक रंग  का रिस्ता जीवन...

जेन्  या  दुनिया  सारी  जीतीस्

उ खाली हात दुनिया छोड गयेव 

मरन बेरा संग काही ना लिजाये 

सब रय गयेव धरा को धरा पर... 

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श्री छगनलाल रहांगडाले 

खापरखेडा 

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[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: जीवन


यव मानव जीवन व्यक्तिगत विशेष असो आमरो नही बल्कि मनुष्य नामको जीव की समय यात्रा आय । आमी वर्तमान प्रगट स्वरूप आजन बस । 


आमरो संग भूतकाल , वर्तमान व भविष्य जुड़ी से । 


अज जो आमी करबिन वोको असर भविष्य परा पडसे । 


भविष्य मा आमी खुद भूतकाल बन जाबीन । पर आमरो अज को कर्म मनुष्य जीवन की  यात्रा को भविष्य की दिशा निर्धारण करसे। 


भविष्य कसो गरिमामयी रहे, सुसंस्कारित, नीतिमान , स्वस्थ, सुंदर, शान्तियुक्त , श्रेष्ठ , उत्तम, शिक्षीत , कर्मठ , धर्मवान, कृतज्ञ, सामर्थ्यवान, शक्तिशाली, सम्पन्न, गुणी , ज्ञानी रहे यको निर्धारण आमला अज करनो पडे । 


आमला कुदरत को नियम बी ध्यान राखनो पडे की जो शक्तिशाली से वु च येन दुनिया सामने बढ़ से । आमला सामने जानो से । मंग नही ।


खुद अच्छो बनन को चक्कर मा, दुसरो को दिल राखन को कोशिश मा भविष्य बिघाड़नो गलत होय जाहै ।

😌🚩

[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: एक तरी संगी होना.... 

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जेला समजसे मनभावना||

असो एक तरी संगी होना||१||


सुख दुःखमा आपलो हमेशा||

एक हाक परा हाजीर होना||२||


नोको रव्ह पैसालका अमीर||

स्वभाव मात्र दिलदार होना||३||


संकटमा संग खंबीर उभो||

धीर देन जिगरबाज होना||४||


संयमी मृदू स्वभाव को धनी||

निर्मल असो वोको मन होना||५||


जीवनमा चुकेव रस्ता कभी||

गलत से सागनेवालो होना||६||


सकारात्मक उर्जा को संचार||

करनला कर्तुत्ववान होना||७||


आपलो मनको भेद सांगन|| 

साफ हिरदय को संगी होना||८||

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उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरित)

रामाटोला गोंदिया

(श्रीक्षेत्र देहूगाव पुणे)

[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: प्रचलीत पोवारी  हाणा(म्हणी)


१७)बोट देईस त हात धरसे. 


अर्थ: एखाद्याला आश्रय दिला तर तो त्यावर समाधान  न मानता अधिक गैरफायदा  घेण्याचा प्रयत्न  करतो.


✍संकलन:सौ.वर्षा विजय  रहांगडाले 

बिरसी ता.आमगांव 

जि.गोंदिया

[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: पोवारी साहित्य अना सांस्कृतिक उत्कर्ष द्वारा आयोजित:-पोवारी साहित्य सरिता भाग ९०

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आदरणीय सब लेखक/कवि/कवियत्री/इतिहास सरंक्षक व सन्माननिय सदस्यगिणला सूचित करनो मा आय रही से की सप्ताह को हर शनवार अना इतवार ला पोवारी साहित्य सरिता को आयोजन करनो मा आय रही से।

 उत्कृष्ट लेख, काव्य रचना, समुह ब्लॉग अना समाज का उत्कृष्ट फेसबुक पेज पर अपलोड करनो मा आयेती l

सबको साथ अना सहयोग भेटे असी सबलक नम्र बिनती🙏🏻 से जी l


🔸रचना पोवारी भाषामाच मान्य होयेती।


🔸गद्य-पद्य रचना ला नाव देनो अना रचना को खाल्या नाव लिखनो अनिवार्य से जी ।


🔸पोवारी कविता, आत्मकथा, संस्मरण, एकांकी, निबंध, कहानी, लघुकथा , पत्र, ऐतिहासिक समाजिक, सांस्कृतिक लेख आमंत्रित सेती।


🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹

       आयोजक

डॉ. हरगोविंद टेंभरे

श्री शेषराव येळेकर

श्री यशवंत कटरे

      मार्गदर्शक

श्री. व्ही. बी.देशमुख

🚩🏵️🕉️🕉️🏵️🚩

[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: मायबाप

***

बिसरू नोको तू मायबापलाsss

जेकी तोरोपर माया /

सुख मा ना दुखामा भी sss

 तोरीच करसेती धाया //

रे पगला ssss 

नही भेटनकी तोला ssss

मायबापकी रे छाया //ध्रु//


ढगभर होय पैसा कवळीsss

बांधजो महालमाळी /

दुयच्यार फटफटी लेजोsss

 लेय लेजो मोटर गाळी //

नासवान ये सप्पा सेतीsss

एक दिवस जायेती वाया ///

रे पगला ssss

नही भेटनकी तोला sss

 मायबापकी रे छाया //१//


नव महिना पोटमा धरीसsss

नवसुत्री पिवाईस दुध /

हात धरश्यान चलनो शिकाईसsss

 नोहोती सुधबूध //

दप्तर पाटी देइस तोलाsss

लगाईस स्कुल की धाया ///

रे पगला ssss

नही भेटनकी तोला ssss 

मायबापकी रे छाया //२//


शिकश्यानी मोठो भयेसsss 

नौकरी भी लगगयी /

बिजी भयगयेस धुनमा sss

सुध मायबापकी नहीं //

मायबापकी फटी जिंदगीsss

 कसेत काहे जन्म देया ///

 रे पगला ssss

नही भेटनकी तोला sss 

मायबापकी रे छाया //३//


मायबाप च भगवान आती sss

वयच देव ना गुरू /

सेवा कर तु मायबापकी sss

कानाडोळा नोको करू //

आखीर होय पस्तावा sss

जब मिले मातीमा काया ///

रे पगला ssss

नही भेटनकी तोला sss 

मायबापकी रे छाया //४//

                  **

ह.भ.प.डी.पी.राहांगडाले

    गोंदिया

[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: 🚩पोवारी दिवस🚩

       आपरी भाषा अना संस्कृति को रक्षण हर मानुष को कर्तव्य अना यव भारत को संविधान प्रदत्त अधिकार भी से। जिनला निज संस्कृति लक़ पिरम अना वोको प्रति आदर को भाव नहीं रव वू संस्कृति विहीन होयकन पतन की राह परा जासेती, येको पुरो देश-दुनिया मा कई उदाहरण दिस जासेती ।

        आमरी पोवारी संस्कृति कई सदी जूनी वैभवपूर्ण संस्कृति आय अना भारतवर्ष की वृहद सनातनी संस्कृति को अभिन्न भाग से, येको लाई आपरी यन् विरासत को जतन् अदिक खाश होय जासे। पोवार समाज ना सदा क्षत्रिय धरम को पालन करीसे तरी समय को संग समाज का रीति-रिवाज, संस्कार, नेंग-दस्तूर, मूल्य-मानता मा गिरावाट दिस रही से अना येको कारन कई परिवार भी टूट रही सेत। कई लोख आपरो सामाजिक ताना ला सोड़कन सांस्कृतिक मूल्य इनला सोड़ रही सेत्।

         सनातन धर्म अना पोवारी संस्कार को केंद्र देवघर पर आस्था आता कम दिस रही से। अंतर जातीय बिहया, धर्मान्तरण, समाज को पुरातन नाव अना पयचान ला सोड़नों जसी कई सामाजिक समस्या बढ़ रही से। येको लाई पोवार(पंवार) महासंघ को द्वारा आपरी भाषा अना संस्कृति ला बचावन लाई समाज को आदर्श पृथ्वी सम्राट वीर विक्रमादित्य को राज्यारोहण दिवस अना हिन्दू नववर्ष को पावन अवसर ला पोवारी दिवस को रूप मा माननो येक सकारात्मक पहल आय। अस प्रयास लक़ नवी पीढ़ी आपरी भाषा, संस्कृति, इतिहास अन मूल पयचान लक़ परचित होयेति। उनको हिरदय मा निज संस्कृती को प्रति आदर को भाव आहे असो पुरो भरुषा आय।


✍️ ऋषि बिसेन, बालाघाट

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[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: 🌻 पोवारी साहित्य सरिता भाग ९०🌻


🌻 पोवारी दिवस🌻


मनावो ननो उत्कर्ष को दिवस,

आय यव माय बोली को दिवस ll


संस्कर धरोहर बोल की आमरी,

पयचान भाषा पोवारी आमरी ll


निर्मल स्वर मधुर संबंध की ध्वनि,

पोवारी भाषा आय अमृत ध्वनि ll


माय-बाप की आय पोवारी माया,

रिश्ता-नाता की पोवारी माया ll


प्रेम करुणा वात्सल्य को मिलन,

पोवारी भाषा आय मधुर मिलन ll


आजा-आजी नाती  की भाषा,

पोवारी आय मोरो कुलकी भाषा ll


 गाँव-शहर मा गावो पोवारी गाथा,

अजर अमर रहे पोवारी भाषा ll


सब मनावो जी दिवस पोवारी,

अनंत काल तक रहे पोवारी ll

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डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे

मु.पो.दासगाँव ता.जि.गोंदिया

मो.९६७३१७८४२४🙏🙏

[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: पोवारी साहित्य सरिता ९०

   दिनांक:१८:३:२०२३

      पोवारी उत्सव

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दिन पोवारी उत्सव, मनावो मिलजुल करा।

उभारो गुढ़ी ला घर, शुभ मुहूर्त परा।। टेक।।

आदी शक्तिसे माय, गढ़ कालिका को करो ध्यान,

मनमा भक्ति भाव से, नवरात्र को जागर।

बाविस मार्च ला नवो, साल को से शुभ दिन,

देवी की जरसे ज्योत, मन मंदिर सुंदर।

छत्तीस कुरया इनकी, चली आयी परंपरा।।१।।

रच सृष्टि ब्रम्ह देव, पाच तत्व को आधार,

अन्न धान्य की उपज, धरा से माय समान।

अंदर जीवन ज्योत, शरीर ले से आकार,

कर्म जसा फल तसा, मानूस तन जीवन।

समाज की मजबूती, इतिहास रचो जरा।।२।।

सबको भला करन, राम राज की गरज,

राम सरीखो सम्राट, महामानव बनेव।

विक्रम संवत रच, कल्याणकारी से राज।

विक्रमादित्य प्रतापी,लौकिक से यहां नाव।

चली आयी परंपरा, बीचार करोना जरा।।३।।

छत्तीस कुरया पोवार, जातीपर अभिमान,

संघटन की शक्ति से, मिल सबला आधार।

माय बोली को जतन, आमरी बचावो श्यान,

गर्व की वा बात से, जनम पोवार घर।

हेमंत कसे सबला, नवो साल येव खरा।।४।।

हेमंत पी पटले धामनगांव (आमगांव)९२७२११६५०१

[10:09, 24/03/2023] Rishi Bisen: हिंदू नववर्ष

      *****

आया आया ये, यादों भरा शुभ दिन है

चलो मनाए अपना,पावन दिन है।

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का, महान दिन है

हिंदू नववर्ष मना रहे, अपना त्योहार है।।१।।

सृष्टि की रचना का दिन, प्रारंभ का है

जगत पिता ब्रम्हाजीका दिन, वरदानी है।

चैत्र मास का स्वरूप भरा सुंदर दिन है

भगवान नारायण का, रूप सलोना है।।२।।

चैत्र नवरात्र का दिन, पहिला आया है

नया साल का उत्तम,दिन मना रहे है।

राज्य भिषेक प्रभु श्री राम का दिन है

धर्मराज युधिष्ठिर का, राज्यभिषेक हुआ है।।३।।

इसी दिन आर्य समाज की स्थापना हुई है

स्वामी दयानंद सरस्वती का, कार्य महान है।

विक्रम संवत का यही दिन, पहले आया है

राजा विक्रमादित्य का, राज्य स्थापना हुआ है।।४।।

शक संवत की स्थापना, करने का दिन है

शाली वाहन ने हूंनो को, परास्त किया दिन है।

भगवान झूलेलाल का यहीं प्रगट दिन है

समाज रक्षक वरुणावतार का स्मरण दिन है।।५।।

द्वितीय गुरु श्री अंगद देव, का जन्म दिन है

दिन पावन महर्षि गौतम जंयती का है।

राजस्थान राज्य की स्थापना वाला दिन है

मंगलमय पोवारों का उत्सव भरा दिन है।।६।।

हेमंत पी पटले धामनगांव (आमगांव)९२७२११६५०१

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: पोवारी साहित्य, सांस्कृतिक उत्कर्ष द्वारा आयोजित:- पोवारी साहित्य सरिता भाग-९० लायी

मोहूको दुर्लभ से दिदार

(चाल: नील गगन पर उडते बादल) 

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पानझडीको बाद लटालोंब कुची डारनडार

पापडवानी गोल जमीनपर मोहूको अंबार

हतर गया टंबूल टपोरा मोती गोलाकार

पापडवानी गोल जमीनपर मोहूको अंबार ||धृ||


मोहऱ्यानमा फैल्या ऊच्चा ऊच्चा झाडका डेरा

खाड्डी बंदर होऱ्या माखी पाखरूइनको घेरा

पिवरा डोरलावानी मोहू फुल खुशबूदार ||१||


बसंतकी खुशबू फैलावं ठंडी हवाकी झुरकी

झुंझुरकाका भऱ्या सेनोळा बेच्या भर भर चुरकी

बेचता बेचता खानो मोहू मिठा मिठा रसदार ||२||


मोहु रसकी राब गरीबकी शहद सेहतकारी

राब संगं गाकड चूल्होकी सकारकी न्याहारी

टोरुंबा देखके जनावर टपकायेती लार ||३||


पिकी टोरीको तेलको वोंगण अना बन्या पकवान

ठंडीमा तडकेव त्वचाकी मलहम रामबान

मोहुको चोभरा जनावर साती पाहुणचार ||४||


फराळमा भुज्या मोहु अना वाऱ्या मोहूकी चाय

गोळकळी मोहूकी रसिली बोट चोखके खाय

अल्कोहोल मोहूको सजावं तळीराम दरबार ||५||


पतराली दोना फर्निचर खोडका मयाल फाटा

खेत बटेव पर मोहु बेच्या हर दिन बाटा बाटा 

मजबूत झाडं मोहूको आता दुर्लभ से दीदार ||६||

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डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे "प्रहरी" 

उलवे, नवी मुंबई

मो. ९८६९९९३९०७

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: पोवारी दिवस

चलों!पोवारी दिन मनावबी हर साल            

(भारतीय नववर्ष दिन,पोवारी दिन)

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चलों!पोवारी दिन मनावबी हर साल l

 समाज की पहचान  ठेवबी खुशहाल ll


पोवारी दिवस से तारणहार l

समाज की नैया करें येव पार l

पोवारी दिन से समाज की ढाल l 

चलों!पोवारी दिन मनावबी हर साल ll


समाज की पहचान पर प्रहार  l

स्वछंदता कर रहीं से बार- बार l

पोवारी दिन से एकता की ढाल l

चलों!पोवारी दिन मनावबी हर साल ll


आम्हीं सब समाज का शिल्पकार  l

समाज की पहचान ठेवबी बरकरार l

पोवारी दिन मिटाए साजिशों को जाल l

चलों!पोवारी दिन मनावबी हर साल ll


-इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

शनि.१८/०३/२०२३.

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[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: प्रचलीत पोवारी  हाणा(म्हणी)


१८)घुमन्या सांग बारा गाव अना भळभळ्या को होसे नाव.


अर्थ: कमी बोलणारे माणसं जास्त  बोलणाऱ्या व्यक्तीपेक्षा घातक असू शकतात.


✍संकलन:सौ.वर्षा विजय  रहांगडाले 

बिरसी ता.आमगांव 

जि.गोंदिया

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: पोवारी साहित्य सरिता : भाग ९० (लेख पोवारी भाषा मा)

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पोवार सम्राट विक्रमादित्य अना विक्रम संवत🚩

              *****

यत्कृतम् यन्न केनापि, यद्दतं यन्न केनचित्।

यत्साधितमसाध्यं च विक्रमार्केण भूभुजा॥


      येको यव अर्थ से की, "सम्राट विक्रमादित्य ना जसो काम करीसे वसो अज़ वरी कोनी न् नही करीसे। उनना जसो दान देइ होतिन वसो दान कोनी न् नही देइसेस। उनको जसी असाध्य साधना अज़ वरी कोनी न् नही करिसेत, येको लाई उनको नाव सदा अमर रहें।"


       पोवार(पंवार) सम्राट विक्रमादित्य को प्रारम्भिक उल्लेख स्कंद पुराण अना भविष्य पुराण को संग कई पुराण इनमा भी मिल जासे। येको अलावा विक्रम चरित्र, कालक-कथा, बृहत्कथा, गाथा-सप्तशती, कथासरित्सागर, बेताल-पचीसी, सिंहासन बत्तीसी, प्रबंध चिंतामणि आदि संस्कृत ग्रंथ इनमा उनको यश अना कीर्ति को बारा मा लगत जानकारी मिल जासे।

         जैन साहित्य को पचपन ग्रंथ मा भी पृथ्वी सम्राट वीर विक्रमादित्य को उल्लेख से। भारतीय इतिहास ला गलत लिखनो वालों इनना सम्राट विक्रमादित्य ला येक काल्पनिक राजा इनकी संज्ञा देइ होतिन परा संस्कृत अना जैन साहित्य को अलावा चीनी अना अरबी-फारसी साहित्य मा बी महान् पोवार राजा विक्रमादित्य की कथा लिखी गई से, जेको लक ओनकी ऐतिहासिकता प्रमाणित होय जासे।

         सबलक खाश बात् यव से की उनको नाव लक़ विक्रम संवत् चलसे जेकी शुरुवात उनना इसा को जन्म को सत्तावन बरस पहिले कर देइ होतिन। हिन्दू नव वर्ष को दिवस उनको द्वारा शक परा विजय अना उनको राज्यारोहन् को दिवस मान्यो जासे।


✍️ऋषि बिसेन, बालाघाट

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[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: 🌷🌷 मोहुं 🌷🌷

चाल: माळ्याच्या मळ्यामंदी कोण ग उभी



तरा खाल्या की मोहरली, नटकर बसी जसी नवरी

देखोजी वान वोको सोनेरी , कुची डारण डारी


पानाको साथ सुटेव बाई नवी पालवी फुटी गा

जसा शालुला लग्या मोती एक डार नही सुटी गा

गार सरिखी बद बद् पळी,  झुणझुरका को भारी

देखोजी वान वोको सोनेरी , कुची डारण डारी


रातवा को चवथो घडी, आलिंगन वू वारा करी

गदगदा वा हास बडी, डोंबरा फुल्या कुची परी

फुलराणी हतरी भारी, मोतीवाणी दिससे सारी

देखोजी वान वोको सोनेरी , कुची डारण डारी


धरके चुरकी नाहानसी, बेचन जाबी मोहरली

जसी लगीसे वा अंगुरी, भरे सेनोळी वऱ्यावरी

धरबिन आमी डोस्का परी, करबीन चुंभर कारी

देखोजी वान वोको सोनेरी , कुची डारण डारी


मोहुं डोमरा से रसभरी, राब बनाओ अटायश्यारी

रोटी राब की से जोळी स्वास्थ ला से गुणकारी

मोहुं झडे, फरी टोरी, लटालोंब जसी बदाम सारी

देखोजी वान वोको सोनेरी , कुची डारण डारी


मोहुं की बालासुंदरी, खिशाला कर वा रिकामी

डोलसे माणूस सरप वाणी, पिवसे नाली को पानी

बचशान रहो नरनारी, बेकार होये जिंदगी सारी

देखोजी वान वोको सोनेरी , कुची डारण डारी


✍️✍️सौ छाया सुरेंद्र पारधी

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: 🌷गुढ़ी पँवार वंश की🌷

(विधा - पञ्चचामर छंद)

गणावली-जभान राजभा जभान राजभा जभान गा

वाचिक मापनी- 12 12 12 12, 12 12 12 12

(राग - शंकरा उतरांग, ताल - मार्च धून)


दयालु माय शारदा, सुबुद्धि भान देयदे |

मिटाव अंधकार ला, उजार ज्ञान देयदे ||

करो पँवार वंश ला, खुसाल हंसवाहिनी |

गुढ़ी सजायशान मी, करू वला सुवासिनी ||१||


गुढी पँवार वंश की, सजावु आज रंगमा |

पँवार दीस की खुसी, मनावु आज संगमा ||

उजार चैत पाडवा, उभी नवी गुढ़ी करो |

नवा बिचार संगमा, सुधारनी कड़ी धरो ||२||


मिलेव आज राम ला, किरीट राजपाट को |

खुसी मनावु यादमा, मनावु साल थाट को ||

सिहारपाठ जायके, करू दिदार राम को |

मिले कृपा सपा सरे, तनाव पूर्ण काम को ||३||

          

प्रसाद ब्रह्मदेव को, रचीस आज सृष्टि ला |

नमावु माथ प्रेम को, वको विसाल दृष्टि ला ||

भयेव सम्वता सुरू, विक्रामदेव राज को |

करूसु मान आज मी, प्रभू शकारि काज को ||४||


तिव्हार देविमाय को, मनावु आज पासना |

करू उपास शक्ति की, अना लगावु साधना ||

पँवार देवि कालिका, करूसु आज प्रार्थना |

सुखी करो समाज ला, करो कबूल याचना ||५||


© इंजी. गोवर्धन बिसेन "गोकुल"

       गोंदिया (महाराष्ट्र),

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: 🌷नव कन्या पूजन🌷  

  [विधा-कुंडलिया छंद (दोहा+रोला)]


माता को दरबार मा, सबलाच लगी आस |

नव कन्या पूजन करो, वहां देवि को वास |

वहां देवि को वास, कन्या घरमा बुलावो |

धोवो उनका पाय, माहूर बी रंगावो |

करो दीन ला दान, तुमी बन जावो दाता |

तबच तुमला प्रसन्न, होये भवानी माता ||१||


नवरात्री तिवहार मा, करो देवि उपवास |

श्रद्धा अना भक्ति लका, करनो पूजन खास ||

करनो पूजन खास, बालक संग कन्या नव |

वाढ़ो उनला ठाव, खीर पुरी की गोड़ चव ||

पूजो ध्यान लगाय, आशीष की से खात्री |

बड़ो मानको से येव, तिवहार नवरात्री ||२||


हासी खुशी करो सार, लगकन उनका पाय |

टुरी रूप दुवा देये, तुमला दुर्गा माय ||

तुमला दुर्गा माय, हासी खुशीमा ठेये |

खुश होयशान देवि, शुभ आशिर्वाद देये ||

कव्ह 'गोकुल' कविराय, करो पूजा उपवासी

मिले देवि वरदान, मुखपरा चमके हासी ||३||


© इंजी. गोवर्धन बिसेन "गोकुल" 

    गोंदिया (महाराष्ट्र)

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: प्रचलीत पोवारी  हाणा(म्हणी)


१९)दाम करसे काम. 


अर्थ: पैसाला किंमत असते .


✍संकलन:सौ.वर्षा विजय  रहांगडाले 

बिरसी ता.आमगांव 

जि.गोंदिया

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: चांगलो स्तुत्य उपक्रम.......👌


हाणा या म्हणी को जागा पर कहावत शब्दप्रयोग चांगलो रहे असो मोला लगं से.

काहेकी, 

हाणा म्हणजे घरवालो(पति) को नाव पद्य रूप मा सांगनो.

अना म्हणी येव मराठी मा ठिक से पर पोवारी मा कहावत येव शब्द समर्पक लगं से.


दुसरो असो - येनं पोवारी कहावत को अर्थ पोवारी संगमा मराठी अना हिंदी मा बी करो तं येनं कहावत को प्रचार प्रसार भारतभर फैलेव आपलो पोवार समाजलाई उपयोगी रहे. फक्त महाराष्ट्र पुरतो मर्यादित नही रव्हनको.


येव मोरो सुझाव मात्र आय. 


जय श्रीराम..जय राजाभोज..

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: पोवार समाज जबलपुर को सफल भयो समागम।

राजेन्द्र जी बोपचे करनधार को मोठो योगदान।।

सहयोगी सेना उनकी बड़ी समझदार।

कदम कदम पर बनीन सब मददगार।।

मुख्य अतिथि महानुभव ढालसिह जी बिसेन असरदार।

बालाघाट सिवनी का सेती ओय खासदार।।

अति विशिष्ट अतिथि पोवारी का सरदार।

गौरी भाऊ बिसेन नाम को जय जयकार।।

महिला मंडल को भी मोठो योगदान।

हर शुभ घड़ी पर करीन मंगल दिपदान ।।

पोवारी का भविष्य हामरा बच्चा नहान नहान।

देखाईन आपला आपला करतब महान।।

समाज बंधु हामरा सब भया थोड़ा परेशान।

माई आज्ञा को पुजन भयो तब मिलयो समाधान।।

एक मेक ला जानन को अवसर महान।

समाज सम्मेलन को फायदा देहे भगवान।।

साज सज्जा ना बसन ऊठन की होती पुरी तैयारी।

राजा भोज को सिंहासन की याद आय गई पुरी।।

स्वरुची भोज मा एक लक एक पकवान।

खाय सारी आत्मा तृप्त भयी रसोईया भी महान।।

सब मिलकर सहयोग करीन समाज की बढ़ी शान।

माय बोली पोवारी न देखाईस आपली पहचान।।

काम अच्छों भयो सब करेत गुनगान।

पोवार समाज जबलपुर को नवो विहान।।

अगलो बरस की तैयारी करबन येको लक मोठी।

नाम लक नहीं बढ़ भाऊ कोई की कद ना काठी।।

आज को सम्मेलन की संक्षिप्त या कहानी।

कवि यशवन्त कटरे की बंद होसे लेखनी।।

यशवन्त कटरे

अधारताल जबलपुर

१९/०३/२०२३

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: 🚩🚩पंवार/पोवार विक्रमादित्य अखिन विक्रम संवत🚩🚩                     हिन्दु नयोसाल अखिन चैत्र नवरात्रा की शुरूवात🚩🚩🚩                                              २२ मार्च२०२३ दिवश बुधवार लकअ अपरो हिन्दु कलेंडर (पंचांग) नयो साल विक्रम संवत २०८० चालु होवन वालो से..l हमरो हिन्दु विक्रम संवत अंग्रेज गिन को बनायो गयो कलेंडंर २०२३लकअ ५७ साल आगे से ..! एनअ दिवस पासुन चैत्र नवरात्रा की प्रतिपदा दिवस लक नौ दिवश तकअ माय दुर्गा की उपासना का दिवश चालु होय जायेती....!


हिन्दु कलेंन्डर को पहलो महीना चैत्र अना आखिर को महीना फागुन आय, हर साल चैत्र प्रतिपाद तिथी लेक नयो विक्रम संवत शुरू होय जासे जो येन बार संवत्सर को नाम  नल होहे राजा बुध ग्रह रहे अना मंत्री शुक्र ग्रह रहेत।

हिंदु नववर्ष लक जुडी़ काही खास बातमी,

१, विक्रम संवत की शुरूवात उज्जैन को पंवार चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य न शुरु करीन,

सम्राट विक्रमादित्य न अपरो विक्रम संवत को शुरु  होन की खुसी मा अपरी जनता लाय कर्ज माफी की घोषणा करी होतीन,


२.विक्रम संवत हर साल चैत्र माह की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथी लक शुरू होय जासे।

येन सवंत को गणितीय विचार लक देखो त एक दम सही काल मानयो जासे। नयो विक्रम सवंत की शुरूवात होन पर देश को अलग अलग नाव लक जान सेत।


३.चैत्र महीना हिंदू नव वर्ष को पहलो महीना  रव से यो महीना होरी को बाद लक शुरू होय जासे।फागुन पुर्णिमा तिथी को बाद चैत्र क्रष्ण प्रतिपदा लग जासे ओको बाद १५ रोज को बाद हिंदू नववर्ष मनायो जासे?

येको भी काही तर्क से कि हिंदू पंचाग को हिसाब लक क्रष्ण पक्ष पूर्णिमा लक अमावस्या तिथी को १५ दिवस तक रव से अना क्रष्ण पक्ष को कारण १५ रोज मा चंद्रमा धीरू धीरू  घटतो रव से येको कारण आकाश मा अंधारो लगन लग से।


४.सनातन धर्म को आधार हमाला हमेशा अंधारो लक ऊजाडो़ मा बढ़त वरन की प्रेरणा देसे,

"तमसो मां ज्योतिर्गमय"

याच कारण से की चैत्र माह को लगन को१५ रोज बाद जब जब शुक्ल पक्ष लग से त प्रतिपदा तिथी हिंदू नववर्ष मनायो जासे।

 आमावस्या को दुसरो रोज शुक्ल पक्ष लग जासे न चंद्रमा हर रोज बढ़त जासे, अना अंधारो प्रकाश मा जगमगाय जासे  ।


५.येन पंचाग को आधार लक हमी साल भर पर्व उत्सव अनुष्ठान को शुभ अवसर मालुम कर सेजन।



पोवारी अनुवाद


विद्या बिसेन

बालाघाट 🚩🙏🚩


🚩🙏🚩

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: गोंदिया रेलवे स्टेशन परा काइ पोवार लोग उभा होता । देखकर च पहचान मा आवत होता कि आमरो समाज का आत। 

उनको पास लक गयौ त् पक्को भय गयव की वय पोवार आत काहेकि उनको आपस मा पोवारी संवाद शुरू होतो । 


थोडी देर बाद वहान काइ दूसरा।लोग आया । 

उनला देखके उनन पोवारी सोडके तथाकथित झाड़ी बोली या गोवारी बोलणो सुरु कर देइन । 


मोला रहेके नही भयव , उनला मी कह्यव की आब जो बोल रह्या सेव यको दून तुमी पोवारी कई गुना अच्छी बोलसेव । पोवारी बड़ी अच्छी लगसे । 

उनन कहीन,  सही बात भाउ आपली बोली बोलणो मा आमला शरम नही होना ।

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: ll पोवारी दिवस ll                                    ♦️पोवार समाज की वास्तविकता♦️

(भारतीय नववर्ष दिन, पोवारी दिन)  

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पोवार आम्हीं, मातृभाषा पोवारी l

आराध्य आमरा श्रीराम धनुष धारी l

श्री रामायण अना श्रीमद्भगवद्गीता,

ये श्रेष्ठ ग्रंथ आमरा कल्याणकारी  ll


संस्कृति आमरी से सुंदर मनोहारी l

राष्ट्र भक्ति की परंपरा  से आमरी l

इतिहास मा करया संकटों को सामना,

हिम्मत आमरी  अजवरि कभी न हारी ll


कर्म प्रधान सोच रहीं सदा आमरी l

आम्हीं सेज् संस्कृति का सच्चा प्रहरी l

अजिंक्य से सदा आमरी विचारधारा,        शक्तिस्थान से आमरों सुदर्शन धारी ll


-इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

गुरु 9/3/2023.

--------------🧡💜💙💚♥️----------

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: ♦️पोवारी दिवस की व्याख्या♦️ 

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♥️💚💜पोवारी दिवस या संकल्पना केवल मातृभाषा पोवारी पुरती मर्यादित नाहाय. पोवार समाज मा आपली ऐतिहासिक पहचान (मातृभाषा व समाज को नाव)को प्रति निष्ठा विकसित करके  भाषिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक स्वाभिमान विकसित करनो येव पोवारी दिवस को उद्देश्य व कार्य से. पोवार समाज को अतीत  ‌गौरवशाली  होतो,‌येकी जाणीव कायम ठेयके समाज को उज्ज्वल भविष्य साकार करनो ‌येव "पोवारी दिवस" मनावन को पावन लक्ष्य से.    🔶🔷♦️हर साल हिन्दू नववर्ष दिन ला पोवार समाज द्वारा पोवारी दिवस मनायेव जासे.-ओसीपटले

शनि.18/03/2023.🔷🔶♦️

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: प्रचलीत पोवारी  हाणा(कहावत)(म्हणी)


२०)उडतो पक्षी का पंख गीनसे. 


मराठी अर्थ:अगदी सहज चालता चालता एखाद्या अवघड गोष्टीची परिक्षा करने.


हिंदी अर्थ:किसीभी बात की चलते चलते परिक्षा कर लेना|


✍संकलन:सौ.वर्षा विजय  रहांगडाले 

बिरसी ता.आमगांव 

जि.गोंदिया

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: पोवारी दिवस

          🌹ll स्वागत गीत ll🌹

(भारतीय नववर्ष दिन,पोवारी दिन)

-------------❤️💛💙💚💜----------

मंगलमय स्वागत से नववर्ष दिन को l

स्वागत से हिन्दू नववर्ष को शुभ दिन को ll


स्वागत से हिन्दू नववर्ष  दिन को l

सनातन संस्कृति को पावन दिन को l

पोवारी नवचेतना को मोठो दिन को l

मंगलमय स्वागत से पोवारी दिन को ll


स्वागत से चैत्र नवरात्रि को दिन को l

आदिशक्ति मां भवानी को  दिन को l

पोवारी नवचेतना को मोठो दिन ‌को,

मंगलमय स्वागत से पोवारी दिन को  ll


 स्वागत से राम राज्याभिषेक दिन को l                                      विक्रमादित्य विजयोत्सव को दिन को l  

पोवारी नवचेतना को मोठो दिन को l  

मंगलमय स्वागत से पोवारी दिन को ll


नववर्ष दिन से राष्ट्र निष्ठा जगावन को  l

नववर्ष दिन से धर्म निष्ठा  जगावन से l

पोवारी नवचेतना को मोठो दिन को l

मंगलमय स्वागत से पोवारी दिन को ll


-इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

मंग.२१/०३/२०२१.

------------💜💚💙💛❤️----------

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: पोवारी दिवस 


जाग जाग पोवार भाई।

पोवारी दिवस घडी आयी ।।धृ।।


वसंत फुलोंकी बौच्छार।

निसर्ग को नटरंग शृंगार।।

मन मंदिर खुशी समायी।

पोवारी दिवस घडी आयी।।


अग्नीवंशीय परमार भाषा।

समाज की प्रकाशित दिशा।।

त्याग तपश्चर्या की कमाई।

पोवारी दिवस घडी आयी।।


आयोव सण गुडी पाडवा।

पोवारी दिवस को गोडवा।।

माय बोली से ममतामई ।

पोवारी दिवस घडी आयी।।


हिंदू नव वर्ष को उल्हास !

विक्रम संवत्सर को दिवस!!

ज्ञानदात्री पोवारी माई!

पोवारी दिवस घडी आयी !!


शूर वीरता ज्ञान शिदोरी!

पिढोन् पिढी हलाव् पालना दोरी!!

कब् मशाल त् कब् समई!

पोवारी दिवस घडी आयी!!


शेषराव येलेकर

दि.२१/०३/२३

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: (पोवारी मा बोल के देखो)


रग मा ओज ला  घोल  के देखो,

पोवारी   मा   बोल    के   देखो.


सभ्यता को  नभ  मा  उड़नो से,

संस्कृति  कन  सबला मुड़नो से.

उड़ान   हामरी   देखे    जमानो,

बोली  का  पर  खोल  के  देखो.

पोवारी   मा   बोल    के   देखो.


आपरो  भीतर   झांको   पोवार,

साहस,  धीरज   राखो   पोवार.

अंतस  को   बेहेर   की  चेतना,

बोली ल  जरा ओल के    देखो.

पोवारी   मा   बोल    के   देखो.


लगसे मेहनत बहुत फसल मा,

बोली से  जसी जगी खवल मा.

शरम की  खारी   वोरपे   मगर,

बोली का  चना फोल के  देखो.

पोवारी   मा   बोल    के   देखो.


खतम  बोली  को  संघर्ष  होए,

नव  वर्ष  मा  नव  उत्कर्ष होए.

माय  बोली  को  आदर  साती,

हर जोखिम ला मोल के  देखो.

पोवारी   मा   बोल    के   देखो.


रग मा ओज ला  घोल  के देखो,

पोवारी   मा   बोल    के   देखो.


@सारथी

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: पोवारी माय आमरी

वोकी आजन संतान

बोलत जाओ आपसमां

वोको करो जी जतन......!!धृ!!


सनातन बोली से ना

स्वरूप मनभावन

आयकन मां मधूर

वोका धुरकरी आजन!!१!!


चैत्र मास आरंभ से

नववर्ष आर्यावर्त को

विज्ञान से आधार वला

विषय नही कोन् तर्क को !!२!!


राजाभोज गुणी राजा

भारतवर्ष को वैभव

राष्ट्र सुरक्षित करीस

शत्रुसाटी ठरेव कालभैरव !!३!!


पोवारी जीवन चीति

भारत माता को मूर

टिकायकन ठेवन को से

भविष्य होये मधूर !!४!!


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🖊️रणदीप

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: 🚩*ll पोवारी दिवस ll🚩*

पोवारी दिन मा अर्थ  महान से

(भारतीय नववर्ष दिन, पोवारी दिन)

-------------💚♥️💜💙💜-----------

पोवारी दिन मा निहित अर्थ महान से  l

येकी पार्श्वभूमी मा राष्ट्रीय स्वाभिमान से l

हिन्दू नववर्ष‌ ला येव दिन मनायेव लक‌,

पोवारी दिन की महिमा जग मा महान से ll


पोवारी दिन  मा संस्कृति को भान से l

पोवारी दिन मा धर्म को स्वाभिमान से l

हिन्दू नववर्ष ला येव दिन मनायव लक,

पोवारी दिन की महिमा जग मा महान से ll


पोवारी दिन मा इतिहास को भान से l

पोवारी दिन मा जनहित को भान से l

हिन्दू नववर्ष ला येव दिन मनायेव लक , 

पोवारी दिन की महिमा जग मा महान से ll


इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

मंग.21/03/2023.

-------------🌹🌹🌹🌹🌹-----------

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: हिन्दू नव वर्ष विक्रम संवत 2080 चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा 

अंग्रेजी तारीख 22 मार्च 2023


🚩🚩🚩

पोवार वंश को महाप्रतापी सम्राट विक्रमादित्य की कीर्ति भूमण्डल परा अमर करने वालो दिन जब विक्रम संवत की शुरुवात भयी होती , वु दिन आमरो समाज लायी गौरव को दिन आय । यव दिन आमरो लायी प्रेरणा को स्त्रोत आय । हर सहस्त्राब्दी मा पोवार राज की उत्तमता को बखान जन जन मा प्रख्यात से । 

आमी असो पूर्वजइनका वंशज आजन जिनन दुनिया मा आदर्श प्रस्तुत करिन । 


भारत को प्राचीन धर्म की ध्वजा 🚩संसार मा फहरावने वाला , ज्ञान, साहित्य कला विद्या का भक्त  असा पोवार वंशीय पूर्वजइनको सन्मान मा आमला यव दिवस विशेष रूप लक याद राखनो से ।


अज की नव वर्ष की पावन तिथि जब नवरात्रि की शुरुवात होसे , असीं तिथि परा पोवार दिवस मनायके आमी आपलो पूर्वज इनला सन्मान देय रह्या सेजन । 


नवो पीढ़ी मा आपलो प्राचीन गौरव की अनुभूति को संचार करन लायी पोवारी दिवस अज नव वर्ष परा मनावनो आमरो कर्तव्य आय । 


पोवारी दिवस आमरी संस्कृति , बोली , परम्परा , सभ्यता, सुसंस्कारिता ,विशेषता , धर्म परायणता , कृतज्ञता, कर्मठता , भलोपन , नीतिमत्ता को परिचायक आय । 


विक्रम संवत को पहेलो दिन पोवारी दिवस आमर पूर्वजइनको शूरवीरता पूर्ण प्राचीन पोवार राज ला याद करायके देनो वालो दिवस बी आय ।


सब 36 कुल पोवार परिवार को समाज जनइनला पोवारी दिवस व नवो वर्ष की बहुत बहुत शुभकामना  । 


परम पावन पोवार समुदाय की सुसभ्य , सुसंस्कारित सम्पूर्ण उन्नति हो ।


🪔🪔🪔🙏🏻🚩🚩🚩

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: पोवारी दिवस


मनावो ननो उत्कर्ष को दिवस,

आय यव माय बोली को दिवस ll


संस्कर धरोहर बोल की आमरी,

पयचान भाषा पोवारी आमरी ll


निर्मल स्वर मधुर संबंध की ध्वनि,

पोवारी भाषा आय अमृत ध्वनि ll


माय-बाप की आय पोवारी माया,

रिश्ता-नाता की पोवारी माया ll


प्रेम करुणा वात्सल्य को मिलन,

पोवारी भाषा आय मधुर मिलन ll


आजा-आजी नाती  की भाषा,

पोवारी आय मोरो कुलकी भाषा ll


 गाँव-शहर मा गावो पोवारी गाथा,

अजर अमर रहे पोवारी भाषा ll


सब मनावो जी दिवस पोवारी,

अनंत काल तक रहे पोवारी ll

********

डॉ.हरगोविंद चिखलु टेंभरे

मु.पो.दासगाँव ता.जि.गोंदिया

मो.९६७३१७८४२४🙏🙏

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: सूर्य वुच,पर्व नवो

शब्द वुच पर्व नवो••••

आयुष्य वुच सुर नवो

यश को सुरु होय  किरण नवो

     पोवारी दिवस की चढ़ती कमान, यश शिखर पर जाये.आम्ही सब जन जागता प्रहरी आजन

नव वर्ष व पोवारी दिवस की हार्दिक शुभेच्छा

     मुन्नालाल रहांगडाले

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: प्रचलीत  पोवारी हाणा(कहावत) (म्हणी)


२१) टेर टेर करत खामटके खासे अना टेकरीपर जासे.


मराठी अर्थ:अतिशय  हावरटपणाची वृत्ती .अती खाणे नुकसानकारक. 


हिंदी अर्थ:ज्यादा लालच अच्छी आदत नही है|


संकलन:सौ.वर्षा  विजय रहांगडाले 

बिरसी ता.आमगांव 

जि.गोंदिया

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: नवो वर्ष 


प्रकृती को चारहीबाजूला भऱ्या नवरंग

कोयल गाय रहीसे आंबाको बहार संग


लालेलाल परसा संगमा काटासावर फुलेव

देखके सुंदर मनभावन रुप चित्त भुलेव


प्रकृती नटीसे नवो नववधूसारखी मनभावन

सुंदर डीरा संगमा फुलेव फलेव सारो उपवन


नवोवर्ष  को स्वागत ला कोयल देसे तान

अना बढाय रहीसे मधुमालती मोठो मान


नंदादीप जरसे माता गढकालीका  को द्वार

अना सुशोभित भयीसे  गावको आवार


चलो मीलकर सबजन मनावबीन त्योहार

गुढी उभारबीन परिवार मा बढे प्यार


मोहुका फुल हतरके बनीसे सुंदर  रंगोली

संगमा बेलफल अना टेंभरून खेलसे हमजोली


पावन बेला पर फुलीसे आंगनमाको मोंगरा

सडा सारवन करबीन नही उडनको गागरा


चैत्र  की सुंदर पहाट आयीसे सबको जीवनमा

मीलकर करबीन संकल्प पोवारी  संस्कृती संगमा


सौ.वर्षा विजय रहांगडाले 

बिरसी ता.आमगांव 

जि.गोंदिया

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: सभी सृजनकारो को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाए...


🌷नववर्ष को मनाए🌷


विधा - आनंदकंद / दिग्पाल / मृदुगति छंद (मात्रिक)

(गागाल गालगागा, गागाल गालगागा) 


नववर्ष को मनाए, सत्कार गीत गाए |

संस्कार को चलाकर, घर में गुढ़ी लगाए ||धृ||


श्री ब्रह्मदेव ने ही, था सृष्टि को बनाया |

भर प्राण जीव मे ही, संसार को चलाया |

वह वार आज ही था, आवो खुशी मनाए |

संस्कार को चलाकर, घर में गुढ़ी लगाए ||१||


श्रीराम राज्यरोहण, था वार आज का ही |

विश्वास राम पर है, सारे समाज का ही ||

आवो सभी मनीषी, मिल दीप हम जलाए |

संस्कार को चलाकर, घर में गुढ़ी लगाए ||२||


विक्रम सभी शकों को, इस भूमि से भगाए |

राज्याभिषेक से ही, संवत शुरू कराए ||

आवो समाज के जन, पोवार दिन मनाए | 

संस्कार को चलाकर, घर में गुढ़ी लगाए ||३||


त्योहार देवि माँ का, प्रारंभ आज से ही |

गढ़ कालिका सजाते, श्रृंगार साज से ही ||

उपवास साधना कर, माँ शक्ति को जगाए |

संस्कार को चलाकर, घर में गुढ़ी लगाए ||४||


© इंजी. गोवर्धन बिसेन "गोकुल"

       गोंदिया (महाराष्ट्र),

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: ऊंची बनावबी गुढी

हिंदू नववर्ष की सबला हार्दिक शुभेच्छा🎊

*******

हिंदू साल होय सुरू

शुभ घडी मोहोतूर

चैत पाडवाकी गुढी

मराठीमा मशहूर ||१||


राजा गौतमीपुत्रनं

वापरीस युद्ध तंत्र

चैत पंचमी दिनला

भयो दख्खन स्वतंत्र ||२||


राम अभिषेक दिन

नवरात्री सुरुवात

सृष्टी निर्मिती दिवस

ठेव बाप्पा कृपा हात ||३||


नव चैतन्य आकांक्षा

शौर्य समृद्धीको वर्ष

सुरू विक्रम संवत

दीन जनमको हर्ष ||४||


कडुलिंब पान फुल

शुद्ध कपडा गडवा

मिठो साखर सरिखो

चैतको गुढीपाडवा ||५||


परंपरा संस्कारकी

चालू आय रही रूढी

नवो उत्साह ध्येयकी

ऊंची उठावबी गुढी ||६||

*******

डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे 'प्रहरी'

डोंगरगांव/ उलवे, नवी मुंबई

मो. ९८६९९९३९०७

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: चैत्र मास को आगमन 

••••••••••••••••••••••••••••••••••


आयेव यवं चैत्र मास

संग धरके नवो साल

आवंसे मराठी मनाला भी 

हसी-खुशी की मस्त उछाल.


हिंदू पंचांगानुसार से

नवो साल यवं आरंभ

नवो साल को संगमाच

होसेती ये त्योहार प्रारंभ.


गुढी उची उभारनला 

नवो ध्येय न् नवो प्रयास

चैत्र महिना यवं आयेव

उत्साह बढावनला खास.


राजा फल को आनंद लका

बहरसे आंबा झाडपरा

गुलमोहोर फुलं को सडा 

घर आंगन को रस्तापरा.


गौरी तीज यवं त्योहार से 

चैत्र मास की बढी़या शान

गौरी पार्वती ला भी देसेती 

पारणामा बढी़या सन्मान.

====================

✒️उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरीत)

 रामाटोला गोंदिया (श्रीक्षेत्र देहू)

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: पोवारी दिवस ,गुढीपाडवा, हिंदू नवं वर्ष की सब मोरो सजातीय पोवार समाजाला हार्दिक हार्दिक शुभकामना 🙏 

----------------------------------------

पोवारी को गजर 

(अभंग रचना)


बोलो जी पोवारी।।भाषा या आमरी।।

लग् से साजरी।। बोलनला।।१।।


माय की वा गोडी।।ममता स्वरूप।।

संस्कृति को रूप।।पोवारीमा।।२।।


देओ सब मान।।संस्कृति की आन।।

बनें पहेचान।। समाज की।।३।।


माय बोली खरी।।बचाओ पोवारी।।

लेओ जिम्मेदारी।।सबजन।।४।।


करन प्रचार।। लिखों बाचो शिको।।

हेवा दावा नोको।।आपसमा।।५।।


बोली या आमरी।। बनाओं प्रमान।।

बनों भी सुजान।। ओकोलायी।।६।।


माय बोली सब।।घर-घर बोलो।।

लाज लज्जा भूलो।।कायमकी।।७।।

 

उमेंद्र करसे।।पोवारी को दिन।।

सबला आव्हान।। बोलीलायी।।८।।

====================

उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरित)

रामाटोला गोंदिया (श्रीक्षेत्र देहू)

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: 🙏🌹

गुढ़ी उभारो पोवारी दिन उत्सव की।

हिंदू नववर्ष की, पोवारी नववर्ष की।

नव चैतन्य की, सुख समाधान की ।

पोवारी उत्सव की, संघटन शक्ति की।

समाज एकता की, समाज भलो की।

नव चैतन्य की, नव मांगल्य की।

 सबको उन्नति की, सबको प्रगती की।

गुढ़ी पाड़वा की, सनातन धर्म की।

हेमंत पी पटले धामनगांव (आमगांव)९२७२११६५०१

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: रिद्धी दे सिद्धी दे 

,

हे दुर्गे माता सर्व गुणो की माय तु ज्ञाता,

मन चित कर निर्मल निष्क्षल ध्यान दे ज्ञान दे माय वरदाता,

रिद्धी दे सिद्धी दे,


दुख दुर कर सुख भरपुर भर तोरो गुण गान करू हे जगमाता,

रिद्धी दे सिद्धी दे,


सज्जन ला हित दे सर्व पोवार  कुटुम्ब ला सुख दे प्रेम प्रीत की जोड़ दे गाथा,

रिद्धी दे सिद्धी दे

,

धर्म की जीत दे कर्म की रीत दे स्वस्थ तन मन दे ,

निरोगी काया माया दे भक्ति की छाया दे, हे भाग्यविधाता,

रिद्धी दे सिद्धी दे,


जग मा मान सम्मान दे सुख समागम दे शांति दे  जगत जननी जन्मदाता हे माता,

रिद्धी सिद्धी  दे,


निर्बल ला बल दे निर्धन ला धन दे रोगी ला जोगी ला तार दे माता,

हे जगमाता,

रिद्धी दे सिद्धी दे,


भक्ति की शक्ति दे माय सत्य पथ प्रगती दे,

सत्यसनातन की अलख जोती दे माता,

हे जगमाता हे  ममतामयी माता,

रिद्धी दे सिद्धी दे ,हे दुर्गे माता।।


जय माता दी🚩🙏🚩

सबला नव वर्ष की मंगलमयी सुभकामना जी🙏

विद्या बिसेन 

बालाघाट🙏🚩

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: 🎊🎊✨✨🎊🎊✨


चवरी टवरी व मयरी सँस्कार

अद्वितीय से पोवारी पहचान ।

हिन्दू नववर्ष, चयत नवरात्रि पर

पोवारी दिवस से सबको सम्मान।


🚩🪔🛕🪔🚩

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: हिन्दू नव वर्ष, चैत्र नवरात्री अना पोवारी दिवस

🙏🙏🙏🚩🚩🚩🙏🙏🙏

          हिन्दू नव की शुरुवात चैत्र शुक्ल प्रतिपदा लक़ होसे। सम्राट विक्रमादित्य को विदेशी आक्रनता इन परा विजय अना राज्यारोहण को उपलक्ष परा उनको द्वारा शुरू विक्रम संवत पंचांग सनातन धर्म परम्परा की तिथी निर्धारन् को आधार से। अज़ को दिवस जगत पिता ब्रह्माजी ना सृष्टि को सृजन करी होतिन। अज़ लक़ चैत्र नवरात्री की शुरुवात होसे। मर्यादा पुरुषोत्तम अना पोवार समाज को आराध्य प्रभु श्रीराम को राज्यारोहण भी अज़ को दिवस मान्यो जासे। 

          पोवार समाज की सर्वोपरी संस्था, अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार/पंवार महासंघ को द्वारा आपरो सनातन धर्म अना समाज को आदर्श सम्राट विक्रमादित्य को सम्मान मा हिन्दू नव वर्ष ला आपरी भाषा अना संस्कृति को सम्मान मा पोवारी दिवस को रूप मा मनावन की परंपरा शुरू करनमा आई से।

           पोवारी संस्कृति, सनातनी संस्कृति को अटूट हिस्सा आय अन पोवारी दिवस मानन की परम्परा लक़ आपरी भाषा अना संस्कृति को प्रसार होहे अना येको प्रति नवी पीढ़ी की आस्था भी बढ़े। समाज को सर्वागीन विकास जरुरी से अना येको संग आपरी पयचान अना संस्कृति को रक्षण भी जरुरी से। पोवारी दिवस मनायकन हामी आपरो यन पावन उद्देश्य ला पुरो कर सिक सेजन।

हिन्दू नव वर्ष अना पोवारी दिवस को पावन पर्व परा मी सबला हिरदय लक़ बहुत बहुत बधाई अना शुभकामना देसु।


बिन्दु बिसेन

उपाध्यक्ष

अखिल भारतीय क्षत्रिय पंवार(पोवार) महासंघ 

🙏🙏🙏🙏🙏🙏

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: 14.पोवारी दिवस                                       गीत पोवारी का लिखत चलों 

(भारतीय नववर्ष दिन,पोवारी दिन) ---------------------------------------------

गीत पोवारी का रोज लिखत चलों l

नातों हिन्दू धर्म सीन जोड़त चलों ll


सनातन हिन्दू धर्म से महान l

निज आचरण मा  आनत ‌चलों l

निज धर्म ला ना भुलावों कभी,

गीत धर्म का तुम्हीं गावत चलों ll


मातृभाषा  आमरी से महान l

मातृभाषा को प्रेम बढ़ावत चलों l

निज भाषा ला ना भुलावों कभी,

गीत पोवारी का तुम्हीं गावत चलों ll


संस्कृति आमरी से महान  l

संस्कृति आचरण मा आनत चलों l

निज संस्कृति ला ना भुलावों कभी,

गीत संस्कृति का तुम्हीं गावत  चलों ll


समाज की पहचान से महान  l                   पहचान पर गर्व बढ़ावत चलों l

निज पहचान ला ना भुलावों कभी,

गीत पहचान का तुम्हीं गावत चलों ll


-इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

बुध.22/03/2023.

--------------🔷♦️🔶🔷♦️----------

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: पोवारी दिन


चैत्रशुद्ध प्रतिपदाला आयेव, विक्रम संवत हिंदूसण

नवचैतन्य की गुढी उभारो, सब मनावो पोवारी दिन


आंगणमा टाको सडारांगोळी, दरवाजापर तोरण

चवरीपर जरावो टवरी, करके कुलदेवी सुमरन

नवरात्री को बेलापर, होय रहीसें मायको आगमन ।।


नवो शृंगार करके आईसें, ऋतू बसत मनभावन

सृष्टी सजी कलीफुल लक, बरसं सेंत आनंदघन

कोयार गावंसें मल्हार, निसर्ग संगीत सजावनं ।।


पोवार वंश की शौर्यगाथा सें, इतिहास मा अमर

अज को शुभ दिन भयेव, सुरू विक्रम संवत्सर

राम अभिषेक दिंन अज, विक्रमादित्य राज्यारोहण।।


भुलके आपसी बैर समाजमा, जगावो सद्भावना

स्व:भाषा संस्कृती विकासकी, करो मंगलकामना

जपो अग्निवंशी क्षत्रिय पोवार, गौरवशाली पयचान।।


                              शारदा चौधरी रहांगडाले

                                         भंडारा

[10:10, 24/03/2023] Rishi Bisen: प्रचलीत पोवारी  हाणा (कहावत) (म्हणी)


२३)जीतोपर नही गोडी ना मरेवपर बळा सुवारी.


अर्थ:जीवंतपणी छळ करने आणि आईबाप मेल्यावर  पुरणाचा नैवेद्य  दाखविणे.


✍संकलन:सौ.वर्षा विजय  रहांगडाले 

बिरसी ता.आमगांव 

जि.गोंदिया

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