पोवारी साहित्य सरिता भाग ७२

            पोवारी साहित्य अना सांस्कृतिक उत्कर्ष द्वारा आयोजित

पोवारी साहित्य सरिता भाग ७२

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       आयोजक

डॉ. हरगोविंद टेंभरे


        मार्गदर्शक

श्री. व्ही. बी.देशमुख

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1

                    पोवार समुदाय मा श्रीराम को स्थान                   

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पोवार समाज का प्रथम आराध्य प्रभु  श्रीराम l

श्रीराम सीता माता ला से सर्वोच्च गौरव को स्थान l

लोकगीत ना हर परंपरा देसे येको प्रमाण l

राम नाम लक होसे समाज मा चैतन्य निर्माण  ll


पूर्वजों न् करीन गांवों मा राम मंदिर निर्माण l

नवी पीढ़ी पर धार्मिक संस्कारों को ठेईन  ध्यान l

येको कारण पोवारी संस्कृति कहलाई से महान l

राम नाम लक होसे समाज मा चैतन्य निर्माण ll


पूर्वजों को अलौकिक पथ को ठेओ सदैव भान l

श्रीराम की छत्रछाया मा करों समाज को उत्थान l

भटकावों नोको प्रभु राम पासून आपलो ध्यान l

राम नाम लक होसे समाज मा चैतन्य निर्माण ll


राम नाम को जतन करों कंठहार को समान l

श्रीराम नाम ला जानों तुम्हीं ‌निज प्राण को समान l

श्रीराम ला देव तुम्हीं जीवन मा सदा अग्रस्थान l

राम नाम लक होसे समाज मा चैतन्य निर्माण ll 


श्रीराम को प्रति एकनिष्ठ होता पूर्वज महान l

वर-वधू ला मानत होता राम -जानकी समान l

भेट मुलाकात मा करत होता सभी राम राम l 

रामनाम लक होसे समाज मा चैतन्य निर्माण ll


प्रभु राम ला सोड़के करयात तुम्हीं कित् प्रस्थान ?

प्रभु राम न् करीस कौनसो अपराध महान ?

सार्थक जवाब को बिना ना त्यागो श्रीराम को नाम l

रामनाम लक होसे समाज मा चैतन्य निर्माण  ll


भारत को कण -कण बोल रहीं से जय श्रीराम l

आपस मा मिलों त् कह देव तुम्हीं जय श्रीराम l

श्रीराम  नाम से धर्म ना भारत को प्राण समान l

राम नाम लक होसे समाज मा चैतन्य निर्माण ll


राम नाम लक होये समाज ना राष्ट्र को कल्याण l

राम नाम मा निहित से सबको शाश्वत कल्याण ll


इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

#पोवार समाजविश्व वैचारिक क्रांति, अभियान.

#शनि.०९/११/२०२२.

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2.

 "ज्या पँवार त्या धार"

या कहावत कसी पड़ी यको परा एक कहानी से । वा कहानी असी की ----

धारानगर को एक पँवार राजा न  जेसळमेरको एक बेपारीला पकड़कर न्याय प्रक्रिया को अधीन वोको सब धन जप्त कर लेइन । छूट्यव परा वु बेपारी जेसळमेरको राजा देवराजको दरबार मा जायकर गुहार लगावन लग्यौ । देवराज रावलजी न  आपरो प्रजाको अपमानला आपरो अपमान समझकर तुरंत क्रोध मा प्रतिज्ञा लेइन कि जबलक धारानगरीला जीत नही लेवु , तबलक पानी बी नही पिऊँ।

धारानगर जेसलमेरलक बहुत दूर होथो अना गए बराबर धारा  जीत लेनो बी संभव नोहोतो। तब लक बिना जल पिये देवराज रावळजी कसा जीवित रहेंति, यव सोचकर सब  सरदार चिंतित भया। अंतमा एक उपाय सोच्यव गयौ कि माटीकी धारानगरी बनाई जाये अना राजा वोको परा विजय प्राप्त करके जलपान करेंति अना वोको बाद मा असल धारानगरपरा आक्रमण करनकी तय्यारी करी जाये। समझावनों  परा देवराज रावळजी न या सलाह मान लेइन। धारानगर सरिसो माटीको दुर्ग बनायो गयौ अना देवराज रावळजीको यहाँन रवनेवाला पँवार सरदार वोन नकली धारानगर की रक्षाको लाय तय्यार भया । देवराज रावळजी बचन पूर्ति लायी  सेनाको संग दुर्गको ध्वस्त करन आया त पँवार  सरदार तेजसी अना सारंग न सचमुचको युद्ध छेड़ देइन। दुसरो लोगइनन समझाइन त कवन लग्या कि धारानगरी आमरी मातृभूमि आय, वोको नाश आमी नही देख सकजन भले ही वा नकली च काहे नही रहे, जब लक एक बी पंवार जीवित से तब लक देवराज रावळजी  येन धारा दुर्गपरा विजय प्राप्त नही कर सकेति - 

जहाँन धारा से  वहाँन पँवार से अना जहाँन पँवार से  वहांन च धारा से । 

अंत मा युध्द करता गिनती का वय वीर पँवार योद्धा मारा गया वोको बाद च देवराज रावळ वोन नकली दुर्गको विध्वंस कर सक्या। 

धन्य से वोन पँवार वीरइनको अभूतपूर्व मातृभूमि-प्रेम !

संकलन 

महेन पटले

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        3.

         रामलला

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रामलला आवनकी घडी आयी

झुम उठी अवध की नरनारी |

अयोध्या नगरी प्रकाश मान भयी 

दीप उत्सव किसे रंगत न्यारी ||१||


नदमस्तक भयो नरेंद्र मोदी

रामलला को दरबार से भारी |

लेझर शो मा भयी राम कहानी

सतरा लाख ज्योती टवरी जरी ||२||


जलधारा बोहे सरयु नदीकी

घाट पर उत्सव देखन की |

स्वर्ग सरीखी धरती बन गयी

फुल की बारीस करनोमा आयी ||३||


गिनीज बुक मा भयी नोंद खरी

पुरुषोत्तम राम की जयघोष भारी |

शोभायमान भयी अवधपूरी

बनी राम मय पावन नगरी ||४||


असो काम करो जेको नाव रहे

राष्ट्र भक्ती मोदीजीकी अमर रहे |

देश कार्य मा सबको हात रहे

सबको साथ सबको विकास रहे ||५||


पोवारी साहित्य सरीता ७२

दिनांक:१२:११:२०२२

हेमंत पी पटले धामणगाव (आमगाव)९२७२११६५०१

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4

     मोदी सरीखो

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मोदी सरीखो नही देखेव शिव भक्तिमा

शिव को कृपा लक रव्हसे रोज मस्तीमा ||टेक||


केदारनाथ की महिमा से अपरंपार

बस गयीसे  ऊचो पहाड शिखर पर |

शिव मंदीर को पहिलो से मदतगार

मोदीजी न करीस मंदीर को जीर्णोद्धार |

शिव प्रतीक ध्वजा फडकसे आकाशमा ||१||


हिमालय को पावन भूमीला से वंदन

केदारनाथ शिव की करसे पूजन |

आदी शंकराचार्य को करसे गुणगान

शिव भक्तला देखकर महिमा को गान |

केदारनाथ शिव चरीत्र की से महिमा ||२||


बद्रीनाथ जानला दिकत की चढाई

हवाई झुला जानकी परियोजना आयी |

पहाड जोडनला सुरुवात भय गयी

बद्रीनाथ की पुजा मासे सबकी भलाई |

चार चांद लग्या पर्यटन तीर्थ क्षेत्रमा ||३||


पोवारी साहित्य सरीता ७२

दिनांक:१२:११:२०२२

हेमंत पी पटले धामणगाव (आमगाव)९२७२११६५०१

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5

  भारत का वीर

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सिनातान सरहद्द का प्रहरी बहादुर

दिनरात सेवा करसेती भारत का वीर |

नरेंद्र मोदीजी को देखो सैनिक संग प्यार

राष्ट्र भक्ती को गायन करसेत रातभर  ||१||


असो प्रधानमंत्री देखनोमा नही आवत

सीमापार हर साल जासे दिवारी को दीन |

कारगील जसी चोटीपर गुजारीस रात

थर थर कापन लग्या भारत का दुश्मन ||२||


खुशीलक झूम सेती सीमा सुरक्षा नंदन

प्रधान सेवक करसे उनको गुणगान |

मिठाई पाहुणचार गोडधोड देती खान

वैभव देखकर पाकिस्तान होसे हैरान ||३||


मोदीजी को कामपर सब रव्हसेती दंग

भारत को सेनापर संचार जासे उमंग |

विश्व कामना करसे मिले मोदीजी को संग

सबको बने भारत  महा विश्व गुरू मंग ||४||


पोवारी साहित्य सरीता ७२

दिनांक:१२:११:२०२२

हेमंत पी पटले धामणगाव (आमगाव)९२७२११६५०१

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     6.

      जीवन की कला

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समज लेईस जेन जीवन की कला

आनंद लक रव्हसे अलबेला चोला ||

ममता मई मुरत माय की रव्हसे

पाल पोष उभो पाय पर कर देसे ||

बापको आधार मिलसे जीवन भर

सुख दुःख संग बनसे मदत गार ||

इस्कुल को गुरुजी अकल देसे भारी

बोलचाल भाषा की आव समजदारी ||

सतगुरू करसे रहस्य उजागर

प्राणी तरजासे जीवन भवसागर ||

दादा संग होसे प्यार दुलार अजब

अनुभव की बात सांगसे गजब ||

दादी को प्यार से महासागर सरिखो

कथा कहानी मा भेद खोलसे मनको ||

भाऊ सरिखो सहारा दुसरो को नही 

संकट को समय आधार देसे सही ||

बहीण को मायाला प्यार की से झालर

ममता को फूटजासे मन मा पाझर ||

संतान प्राप्ती पर खुशी रव्हसे भारी

नाव अमर करन लग्या टूरा टूरी ||


पोवारी साहित्य सरीता ७२

दिनांक :१२:११:२०२२

हेमंत पी पटले धामणगाव (आमगाव)९२७२११६५०१

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7.

 "भगवद् गीता महात्म्य"


महाभारत ग्रंथमां सेती सव्वालक्ष श्लोक।

भगवद्गीतामां  सेती फक्त सातसौ श्लोक॥१॥


पर नाहाय सार सबको अलग-अलग।

यन सबको से माहात्म्य सलग-सलग॥२॥


आखरी श्लोकमांसे सातसौ श्लोकको सार।

बाचो घर-घरमां गीता होवो भवसागर पार ॥३॥


ज्याहां देव वक्ता ना अर्जून होतो श्रोता।

वाहां नोहोता दुसरा आयकनला गीता॥४॥


जेव ठेये बिस्वास गीताक आखरी श्लोकपर।

वू निश्चित जीते सारो संसार गीता आयकखर ॥५॥


भगवान कृष्णक मुखल निकली वाणी।

परमसुख दायक या परमात्मा की वाणी॥६॥


संसार सागरमा थकेव-भागेव इनसाती।

करो मनन गीता को रोज, होये शुद्धमती॥७॥


अनंत जनमका सेती जिनका पुण्य जमा।

उनलाच आयकनला मिलसे  या गीतामां ॥८॥


जीवन होय जासे सुख समृद्धील संपन्न।

देववाणी या सबसाती सब होयेत प्रसन्न॥९॥


ब्रह्मानंदक आनंद को लेहे वू सदा स्वाद।

सांगसे टोलिचंद नहिं येमा दुमतको वाद॥१०॥


कवि:- ह.भ.प. ईं. टोलिचंद नत्थुजी पारधी सेवानिवृत्त सिव्हिल ईंजिनियर 

लेखक, गीतकार,  समालोचक,  कृषिमित्र  अना

संस्थापक:- [१] पुर्व विदर्भ वैदिक धर्ममंच भंडारा महाराष्ट्र  अना

                  [२] आमी पोवार बोली आमरी पोवारी

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8

ना खेत ना खलिहान मिलेव

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ना खेत ना खलिहान मिलेव

बंजर सप्पा मैदान मिलेव -१-


स्वाभिमानी तेल बिकतो

चापलुसइनला मान मिलेव -२-


झूठ कुर्सीपर ताज पेहेरतो

सच ला बस अपमान मिलेव -३-


चुपचाप हासे षड्य़ंत्री

अपलो मा अंजान मिलेव -४-


ऊंची उड़ान सिखावनेवालो

जयचंद की संतान मिलेव -५-


जजबात को खेल मा माहिर

खिलाड़ी पहेलवान मिलेव -६-


शाही खजिना लूट लिजाईस

किल्ला को दरबान मिलेव -७-


गागरा झोंक के डोरा फोड़े

सपनाइनला समशान मिलेव -८-


मोरो घरं कब्जा करस्यारी

अनजानो मेहमान मिलेव -९-


लूटी सभ्यता लूट गया रिश्ता

दिवालिया जहान मिलेव -१०

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डॉ. प्रल्हाद हरिणखेड़े 'प्रहरी'

डोंगरगाव/ उलवे, नवी मुंबई

मो. ९८६९९९३९०७

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9

 क्षत्रिय पोवार(छत्तीस कुर पंवार) समाज की भाषा को येक परिचय

यव गर्व का विषय आय की हमारो समाज की येक भाषा आय जेको साहित्यिक नाव, पोवारी से। पोवार समाज को क्षेत्रवार विस्थापन अना कई सौ वर्षमा आपरो समुदाय की संस्कृति को रक्षन् को कारन यव सिर्फ पोवार समाज की भाषा से। सही मायनो पोवारी च पोवार समाज की मातृभाषा(मायबोली) आय, काहे की कूछ बरस को पहिले सप् समाजजन् की आपस मा बोलचाल की भाषा पोवारी होती।

पोवारी भाषा का स्वरूप अना क्षेत्र

पोवारी को मूल स्वरूप समाज को पुरातन क्षेत्र राजपुताना मालवा इनकी जूनी भाषा इनमा दिस जासे। येको बाद आम्हरो पुरखा इन बुंदेलखंड लक़ होवता हुआ विदर्भ मा आइन त् इत् कन् की भाषा का कई शब्द भी आपरी पोवारी इनमा सुननो मा आवासे। येको लाई यव स्वंसिद्ध से की आपरी यव पोवारी सिरफ आपरो पोवार समाज की भाषा से। बालाघाट, सिवनी, गोंदिया, भंडारा को संग नागपुर अना अन्य ज़िला इनमा रहवन् वाला छत्तीस कुर का पंवार समाज की मायबोली आय।

भाषा को नाव

जनगणना का दस्तावेज अना ज़िला गज़ेट मा पोवार समाज भाषा को नाव अदिकादिक जागा "पोवारी" देखनमा आई से। समाज को दूसरों नाव पंवार होनका कारन कई जागा मा पंवारी शब्द बी प्रयोग मा आई से। पुरातन् पोवारी भाषी पुरखा इनको टोंड लका समाज का नाव पोवार अना भाषा का नाव पोवारी सुननमा आवसे। येको लाई भाषा को साहित्यिक अना पुरातन नाव, "पोवारी" च माननो अदिक उचित आय । उच्चारन् मा काई भेद होय सिक से परा भाषा की समृद्धि लाई येको एकच साहित्यिक अना पुरातन नाम लक़ सम्बोधन अदिक साजरो होहे।

पोवारी अना पवारी शब्द मा अंतर

 १८७२ लक़ २०११ की जनगणना वरी "पोवारी" नाव की भाषा का उल्लेख से अना येला "वैनगंगा क्षेत्र को पोवार समाज की भाषा" को रूप मा उल्लेखित करनो मा आई से। १९७१ की जनगणना अना बाद को बरस इनमा पोवारी को ओब्लिक मा पवारी नाव बी दिस रही से। भाषाई गणना को अध्ययन् मा येक तथ्य सामने आई से की भोयर समाज की भोयरी भाषा १८७२ लक़ १९६१ तक की जनगणना मा होती परा यव १९७१ की गणना को बाद यव नही दिस रही से। येको पड़ताल मा पंवार महासभा को द्वारा १९८६ मा प्रकाशित भोजपत्र मा येक तथ्य सामने आयो की भोयर समाज को मुख्य संगठना ना १९३९ मा उनको समाज को नाव पवार लिखन को प्रस्ताव पास करी होतिन। येको लाई उनकी भोयरी नाव को पवारी नाम लक़ प्रतिस्थापन का प्रयास चालू भयो अना उनको प्रयास लक़ १९७१ लक़ जनगणना मा भोयरी की जागा परा पवारी नाव को प्रतिस्थापन् आई से। येको येक प्रमाण यव बी आय की भोयर समाज का कई साहित्यकार इनना आपरो साहित्य सृजन पवारी अना भोयरी दुही नाव लक़ करी सेती।

पोवारी अना अना पवारी मा शाब्दिक समानता होनको को कारन जनगणना कर्मचारी इनना गलती लक़ पवारी भाषा ला पोवारी को संग लिखिन। पोवारी शब्द १८७२ लक़ २०११ वरी जनगणना मा यथावत से। येको लाई यव स्वम सिद्ध तथ्य आय की पोवार(छत्तीस कुर पंवार) समाज की भाषा को साहित्यिक नाम पोवारी से अना १९७१ लक़ आयो पवारी शब्द, भोयरी भाषा लाई आई से, न् की पोवारी को पर्यायवाची को रूप मा। येको लाई सबला आपरी भाषा को सही अना साहित्यिक नाव का प्रयोग मा लावनो, भाषा की समृद्धि लाई अदिक जरुरी आय। बाद मा कई सामाजिक कार्यकर्त्ता अना शोधकर्ता इनना भाषा को ऐतिहासिक अना साहित्यिक नाव पोवारी को जागा पवारी का प्रयोग करिसेन, जेमा अज़ संसोधन की जरत से।

पोवारी भाषा का भविष्य

यव थोड़ो दुःख को विषय आय की समाज मा आपरी भाषा मा बोलन वाला आता कम होय रही सेती अना नवी पीढ़ी की येको प्रति उदासीनता सही नहाय। परा यव थोड़ो संतोष का विषय से की अज़ पचास को आसपास साहित्यकार अना विचारक पोवारी भाषा को जतन लाई दिवस रात्रि जुटी सेती। कई गायक, व्यंग्य चित्रकार, कीर्तन कार, भजन गायक असा आदि कई समाज का भाई-बहिन् आपरी मायबोली, पोवारी को उत्थान अना प्रचार प्रसार मा जुटी सेती। समाज का कई संगठना, पोवारी भाषा को उत्थान लाई आपरो आपरो स्तर परा काम कर रही सेत् ।

✍️ऋषि बिसेन, बालाघाट

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10

पोवारी मोरी पहचान


पोवारी मोरी आन

पोवारी मोरी जान

पोवारी मोरी पहचान


अतीतकी पहचान

पुरखाईनकी शान

पोवारी मोरी पहचान


समाजको मान

वूच मोरो सन्मान

पोवारी मोरी पहचान


- गुलाब बिसेन, सितेपार

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11

गीत नवो


आओ  मिलकन्  गावबीन्,

पोवारी भाषा मा गीत नवो।

आओ सब संग पेटावबीन,

खुशहाल जीवन को दिवो।।


लेयकन् चलो सबको संग,

देयकन जीवनला नवो रंग।

उजाड़ो ला  आननो  लाई,

करबीन इंधारो लका जंग।।


अतीत् को अनुभव को संग,

नवो ज्ञान की आभा को रंग।

आओ  मिलकन  आनबीन,

समाजोत्थान की नवी तरंग।।


लक्ष्य ला पावन की चाह मा,

बोहावबी खूप्  खून पसीना।

सुफल होयकन सबला मिले,

खुशहाली लक़ जीवन जीना।।


✍️ऋषि बिसेन, बालाघाट

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12

अंतर्मन की ज्योति जलावत चलों

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छाय गयी से समाज मा अंधियारों l

समाज मा आता उजालों पसराओ l

अंतर्मन की ज्योति जलावत चलो l

दिव्य ज्ञान की तरंग फैलावत  चलों ll


दुष्ट लोग दुष्टता  पसरावत चल्या  l

मायबोली को नाव मिटावत चल्या  l

अंतर्मन की ज्योति जलावत चलों l

 दिव्य ज्ञान की तरंग फैलावत चलों ll


ये जमानों ला गुमराह करत चल्या  l

भ्रम फैलायके स्वार्थ साधत चल्या l

अंतर्मन की ज्योति जलावत चलों l

दिव्य ज्ञान की तरंग फैलावत चलों ll


मिलजूल के उजालों पसरावत चलों l

समाज को अंधियारों हटावत चलो l

अंतर्मन की ज्योति जलावत चलों  l

दिव्य ज्ञान की तरंग फैलावत  चलों ll


#इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले 

#पोवारी भाषिक क्रांति अभियान, भारतवर्ष.

रवि.१३/११/२०२२.

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13

 खेती बाडी


खेती बाडी करन की रीत बदल गयी सारी

नवो शोध करन लग्या खोपडी खूब भारी ||टेक||


धान खेती वरथमी बरसाद पर होती 

घरभर का मायपीला परा गाडन जाती |

बईल को नांगर परा घर की होती खेती 

धान चुरकर फसल पाणी मिलत होती |

खाओ पिवो घरपर फिकर नव्हती भारी ||१||


तीन जोडीकी खेती दुई जोडीपरच आयी

एक जोडी बाद खेती बटई देनो मा गयी |

खेती करन नवोयुग की सुरवात भयी 

मजूर को कमीपर येवच उपाय सही |

नवो तंत्र का टेक्टर कसर करसे पुरी ||२||


धान काटन की मशीन मेरीला सोडसेती

मेर जवर धान का बुड बच्या रव्हसेती |

इरालक घर की बाई काटन ला जासेती

कडपा उचल भारा खऱ्यान पर आनसेती |

खेती को धान देखकर मन की खुशी भारी ||३||


हेमंत पटले ९२७२११६५०१

 पोवारी साहित्य सरिता - ७२

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14

🌷बन तू काली (पोवारी काव्य)🌷

(मत्तसवैया छंद = पदपादाकुलक छंद को दुयगुनो)

मात्रा भार - ३२, यती - १६-१६ पर,


द्विकल लक आरंभ, येको बाद समकल या विषमकल + विषमकल अनिवार्य


अज सुरक्षित नाहाय नारी,

          जीवन मा या काहे हारी |

दोषी  ईनला नही सज्या

          फिरसेत खुला अत्याचारी ||धृ||

 

कोख आपलो माय बहिन की,

          भूल गयी से मानुस जाली |

पापी को खून पिवन साती,

          कब तू आवजो महाकाली ||

लाज बचावन ला नारी की ,

          कब धावजोस तू खुंखारी |

दोषी ईनला नही सज्या,

          फिरसेत खुला अत्याचारी ||१||

 

                  फुसलायके यहाँ सीताला,                    

          चोर रहीसे रावन पापी |

सांग सीता ला तू बचावन,

          कब आवजोस राम प्रतापी ||

कलयुग को पापी रावनला,

          कब मारजोस धनूर्धारी |

दोषी ईनला नही सज्या,

          फिरसेत खुला अत्याचारी ||२||

 

देखो यहाँपर चिरहरण लक,

          द्रौपदी भयी से लाचारी |

साड़ी पुरावन द्रौपदी की,

          कब तू धावजोस गिरधारी |

छाटन मुंडकी निर्दयी की,

          कब तू आवजो चक्रधारी ||

दोषी ईनला नही सज्या,

          फिरसेत खुला अत्याचारी ||३||

 

भारत मा कई निर्भया बी,

          सेत न्याय साती लाचारी |

येन देश मा कड़क नियम को,

          कब कानून बने सरकारी ||

सांग यहाँ न्याय देन साती,

          कब तू आवजोस हितकारी |

दोषी ईनला नही सज्या,

          फिरसेत खुला अत्याचारी ||४||

 

आस न्याय की नोको धरजो,

          खुदको लगावजो दरबारा |

काट मुंडकी बन तू काली,

          रक्तबीज को कर संघारा ||

पापी हवसी मारन साती,

          तूच बनजोस सिंहसवारी |

दोषी ईनला नही सज्या,

           फिरसेत खुला अत्याचारी ||५||


© इंजी. गोवर्धन बिसेन "गोकुल" 

        गोंदिया (महाराष्ट्र), मो. ९४२२८३२९४१

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15

 बाल दिवस

 बाल दिवस यो नन्हा मुन्ना, 

बच्चा को तिहार आय।

पंख धरकर उड़ चलो,

असो मोरो विचार आय।।

देखो सपना नील गगन का,

कोकुन की तितली बनकर।

नोको लेव ज्यादा सहारा,

चलो संघर्ष की लकड़ी धरकर।।

संगी बनो आपरो तन का,

बात करो खुदलक।

करो सलाह मशविरा मन मा,

जीतो जंग जगलक।।

ताकत पहचानो आपली,

डरो नहीं भूतिया ढपली लक।

कर्मयोग को लेव सहारा,

निकलो हर तकलीफ लक।।

समझो समस्या की जड़ ला,

समाधान मिले जीतन ला।

बाधा नहीं बन कोई दीवार,

तेज होसे ज्येको दिमाग की धार।।

तुम्ही नन्हा मुन्ना सिपाही आव,

तुम्हीं देश धर्म का रखवाला।

नाहांसी सलाह आज मोरी,

बदल देहे जिदंगी ला।।

यशवन्त कटरे

जबलपुर १४/११/२०२२

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16

" संभलजाव निर्णय आपलो लेव वापसी"

सुनो पोवारोंका कैवारी

सुधरनकी करो तैयारी 

क्षत्रिय आती पोवार

पवार नोहोती पोवार 

बोली आमरी पोवारी

नही होय सक पवारी

पोवार मा मिसरायकर 

भोयरला क-यात पवार

पोवारीला सांगसेव पवारी 

मती मारी गई पूरी तुमरी

तुमी बन गया सेव गंवार 

करसेव असो काम गद्दार

कर रह्या सेव वर्ण संकर

भोयर भयेव पवार संकर

कशी नही लग लाज आता तुमला

बुड़पनमा अक्कल न सोड़ीस तुमला 

करो बंद असा धंदा नहि सोभत तुमला

समाजला लिजाय रह्या सेव अधोगतिला

संभल जाव निर्णय आपलो लेव वापिस 

माफी मांगो समाजसे निर्णय लेव वापिस


कवि:- ईं. टोलिचंद नत्थुजी पारधी सेवानिवृत्त सिव्हिल ईंजिनियर 

लेखक, गीतकार, कृषिमित्र एवं समालोचक

संस्थापक:- [१] पुर्व विदर्भ वैदिक धर्ममंच भंडारा महाराष्ट्र 

                  [२] आमी पोवार बोली आमरी पोवारी

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17

पोवारी से मोला प्यारी 

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आव पोवार को टूरा मी

बात पोवार की मी करूसु।

बचावन भाषा पोवारीला

काव्यमयी राह मी धरूसु।।


काव्य को रस्तालका करू मी

साहित्यिक प्रचार प्रसार।

थोड़ा बहुत पोवार भाई

बाचेत होये जन्म साकार।।


भाषा पोवारी लिखनला मी

लेखनी ला मोरो देसू धार।

शब्द साठाला बढायकर 

लेखनी ठेवू बरकरार।।


पोवारी भाषाका धुरंधर

ज्येष्ठ गण को से उपकार।

नवा साहित्यिक करसेती

नवो कल्पना लक प्रचार।।


ज्येष्ठ को मार्गदर्शन सदा

बनाऐ भाषाला दर्जेदार।

नवो साहित्यिक की लगन

करे भाषा भव सिंधु पार।। 

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उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरीत)

रामाटोला गोंदिया

(श्रीक्षेत्र देहू पुणे)

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18

नोको मुरझाओ मोला

बोलो सब पोवारी बोली🙏


धार बोहत चले   पोवारी की गांव गांव शहर शहर गली गली,

मग मुस्काहे खिल खिल जाहे हमरी पोवारी की कली कली

धार बोहत चले अना जान देव पोवारी की गांव गांव शहर शहर गली गली,


नोको मुरझाओ नोको येला मसलो  

नोको झुझलाओ बोलन अपरी माय बोली 

मुस्काहे खिल खिल जाहे मग हमरी पोवारी की,कली,कली


तोडो़ नोको कोनी मरोडो़ नोको कोनी जसी से वसी हमरी अपरी से बोली,

मुस्काहे खिल खिल जाहे मग पोवारी की कली,कली


साफ सुथरी सजग  होती रहे सदैव सबको संग मा संस्कार धर चली 

मुस्काहे खिल खिल जाहे मग पोवारी की कली कली


माय की गोद वानी माया लगसे माय बोली खेले  सबको आंगन मा हमरी बोली,

मुस्काहे खिल खिल जाहे मग पोवारी की कली कली

,

सबको ताना बाना झेलत झेलत  धुमिल भयी कसी ममता मयी माय बोली   मुरझाय गयी,

मुस्काहे खिल खिल जाहे मग पोवारी की कली कली,


हाथ जोडु पाय पडु़ नोको तोडो भाऊ बहिनी आस विशवास की दोरी,

धार बहोत जान देव गांव गांव शहर शहर गली गली,

मुस्काहे खिल खिल जाहे मग पोवारी की कली कली🙏


विद्या बिसेन

बालाघाट🙏

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19

 पोवारी मायबोली:प्राण पोवार को


प्राण बिन जान कहान

मायबोलीहून शान नहीं

मायसरिखो प्रेम कहान

मायभूमीसरिखो ज्ञान नहीं..


🙏🙏🙏🚩



20

पँवारइनको को बारामा एक कहावत से । 

ध्रुव चालै , मेरु डगै, पड़ै गिरनार

रण मा पग पाछा धरै, क्यू कर वीर पँवार ।

मतलब 

ध्रुव तारा आपरो जागा लक चलन लग सकसे , मेरु परबत आपरो जागा लक डीग सकसे । गिरनार परबत चूर होयकर खाल्या पड़ सकसे ।

पर काइ बी होय जाहै पँवार रणमा आपरो पाय मंग नही ले । असो करने वालो बीर पँवार नही।

या कहावत एक जंगली तीतर की  रक्षा करता करता सौ पँवारइनकी जान गयी वोको पर लक पड़ी ।

धन्य वय पँवार बीर ....

सन्दर्भ - 

फोर्ब्स लिखित

रासमाला भाग 2

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21

 आपरो लोगइनला सलाह


आजकल बियाबरमा बड़ी धांधली होन लगी से । 

अन्य जात का लोग आमी बी तुमरो जात का कहेके बिया जोडन लायी फिर रह्या सेत । 

बिया लायी दुसरो पक्ष आमरो 36 कुल पोवार या पंवार जात का आत या नही यव पता करनो से त्   निम्नलिखित बात पर ध्यान देनो जरूरी से --- 

1) दुसरो पक्ष कहा को आय--

नागपुर का रव्हत न कही अमेरिका का,  रिश्ता लायी पहले उनको मूल गाव बिचार लेवो । 

अगर मूलगाव बालाघाट, सिवनी, गोंदिया , भण्डारा  जिलाको से त् लोग आपला समाज का समझो । नागपुर जिला मा रामटेक को पास दूय गाव बी सेत। 

2) कुल नाम ---

कुल आपरा 36 कुल च होना। 

जसो -- 

१. अम्बुले, २. कटरे, ३. कोल्हे,४. गौतम, ५. चौहान, ६. चौधरी,७. जैतवार,८.ठाकुर/ठाकरे, ९.टेंभरे, १०. तुरकर, ११. पटले,१२. परिहार,१३. पारधी, १४.पुन्ड, १५. बघेले, १६. बिसेन,१७. बोपचे, १८. भगत /भक्तवर्ती, १९. भैरम, २०. भोएर,२१. एडे, २२. राणा,२३.राहांगडाले, २४.रिनाईत,२५.शरणागत, २६.सहारे,२७.सोनवाने,२८. हनवत,२९.हरिणखेडे,३०. क्षीरसागर ३१ डाला


3) रिश्तेदारी का कुल 

मामा अना अन्य रिश्तेदारी कुलनाम अना मूलगाव का नाम का सेत यव देखनो जरूरी से । 

याद राखनो जरूरी से बिया सिरफ़ दूय व्यक्ति को जुड़नो नोहोय त् दूय परिवार को मिलनो आय जो समाज ला मजबूत करसे । 

36 कुल पंवार समाज बनायके राखनो से त् सबला आपरि जबाबदारी निभावनो से । 

समया विपरीत से ।

🙏🏻

🚩🚩🚩


22

नीति


अधर्मी , दुष्ट , षड्यंत्रकारी शत्रु केतरो बी प्रयत्न करैत पर वय सत्य , सनातन धर्म अना सीधो मार्ग पर चलनेवालोंइनको सामने टिक नही सकत । 

धर्म पर चलने वालोंइनन  तबतक सत्य की लड़ाई लडनो जरूरी से तबलक की दुष्ट शत्रु समाप्त नही होय जाहै , शत्रु पूरी तरह दुष्ट व असत्य को मार्ग लक दूर नही होय जाहै ।

खास बात या ध्यान राखनो जरुरी से की बिना सहायता को कोनतो बी शत्रु कबी बी कही बी दुष्टता को मार्ग परा सामने नही बढ़ सक। 

शत्रुला मंग लक सहायता करने वाला शत्रु का मित्र दण्ड का भागी रव्हसेत । 

शत्रुला समाप्त करनो से त् पहले वोकी सहायता करने वाला वोका जो मित्र रव्हसेत उनला पहले सीधो करनला होना ...


वैचारिक आधार 

ऋग्वेद का श्लोक

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23

बहको नोको हमरी बेटी

कुल की राखो लाज

पैतीस टुकडा़ मा कटी से

श्रद्धा को विश्वास।


भरोसा नोको करो ,

सब पर डोरा मिंच

स्वर्ण म्रग को वेश मा

आय सक से मारीच।


माय बाप को ह्रदय लक

 आह निकली त ,कभी सफल नही होहे तुम्हरो प्रेम विवाह।

आधुनिकता के आगे तुम्ही ऐतरो भान ठेवो त जरूर,

बिगुर मान मर्यादा लक  औलाद बिगडेत जरूर,।


जीवन स्वतंत्र से तुम्हरो

करो फैसला आज,

काही असो नोको करो

का टोढ़ लुकावत माय ,बाप।


घर आंगन की चिरैया

कुल की तुम्हरो लक लाज

सावधान रवनो से तुम्हाला

षडयंत्र ला देवो मात।


वालिवुड़ की गंदगी मा

खतम भया संस्कार

जालिम वैशी साजरा लगत,

बुरा लगत माय बाप।


जब कभी तन मन पर चघ,

अंधरो इश्क को बुखार।

येन दरंदो असफाक ला तुम्ही 

याद कर लेन एक बार।


नारी तुम नारायणी सेव

नही घर की काही चीज,

फिर कौन की औकात से

काट कर राखे  तुम्हाला फ्रीज मा।


संस्कार की धरोहर ठेवो बेटी

कुक्रत्य धिक्कारो तुम्ही आज

आवन वाली पिढी़ तुम्हरो पर करे नाज।

सभ्य सुशिक्षित सनातनी गढो़ समाज ,

अहवान कर से हर एक नारी उठाओ तलवार करो वैशी दानव को नाश ।।


जय श्री राम जय राजा भोज🙏

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24

 सुपरफास्ट कवी श्री शेषराव भाऊ पर लिख्या मोरा काही उखाना/ हाना

***

सुईवानी सुरई जवर भदाड्या हेल

'शेषू' टाकं सिमनीमा टोरीको तेल ॥१॥


भुभुरमा भुजं से 'ना चुल्हो पर रांधं से

'शेषू' मोरो भाईबहूला प्रेमलका बांधं से ॥२॥


गायको गोहनमा कपिला गाय लंगळी

'शेषू' नं मोरो भाईबहूला आनं से बंगळी  ॥३॥


आंधी का सोरा अना आबं को रुप्या

'शेषू'का अजी मोरा लगं सेत फुप्या ॥४॥


काम ना काज जसो आंधी को राज

कवीतामा दिसं 'शेषू' भाऊकोच अगाज ॥५॥


तीर अना भेलीको पाकका पांडका गुंज्या

'शेषू'ला देख जरं सेत कुवारा मुंज्या ॥६॥


पटिलकी सायकल अना महाजन को छेकळा

'शेषू'नं आनिस सिंगूळा दुय रुप्या सेकळा ॥७॥

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शेषूभाऊला जलमदिवस की लगीत लगीत हार्दिक शुभेच्छा

_________

डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे "प्रहरी"

डोंगरगांव/ उलवे, नवी मुंबई (१८/११/२०२२)

मो. ९८६९९९३९०७

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25

 शेषराव भाऊ येळेकर 

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दशपदी रचना 

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शिघ्रकवी अशी से पहचान जीनकी।

कविताला समर्पित कलम उनकी ।।


मिलता विषय व्यक्त होसेत क्षणमा।

शब्द लेखनी को भिडसे हिरदयमा।।


शब्दसाठा पोवारी, मराठी को जवर।

कविता गायकन करसेती कहर।।


शेषराव भाऊ की कलम भरधाव।

पोवारी, मराठी,हिंदीमा बढी़ से नाव।। 


जलम दिन लायी शुभेच्छा भरमार।

सुख समृद्धि प्रसिद्धि वा भेटो अपार।।

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उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरीत)

गोंदिया (श्रीक्षेत्र देहू पुणे)

९६७३९६५३११

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26.

संस्कार


 जरा सोचो जरा समझो करो विचार नही रहेत संस्कार त कसो चले संसार,

नहानो मोठो को मान नही माय बाप की आन नही,

झुठी शान  देखा सिखी रहे  त कसी नही बिगडे़ संतान,

मग कसो चले संसार,


समाज मा काही मेल नही घर परीवार लक काही लेन देन नही,

समाज ले हटकर परीवार ल कटकर ,

कसो करो समस्या को समाधान,

मग कसो चले संसार


रिती रिवाज को ज्ञान नही सभ्यता की पहिचान नही अपरी बोली को मान सम्मान नही,

मग कसो चले संसार,


चका चौंध मा लटक गया हमी आधुनीक युग मा अटक गया हमी

मग कसो चले संसार,


सत्य सनातन धर्म राह  ला  बिसर गया हमी,

राम नाम जतन  नही करया हमी

अधर्मी बन राह मा भटक गया ,

मग कसो चले संसार,


अता तरी करो विचार का,

 हमरी आवन वाली पिंढी ला कसो मिले संस्कार,

अना कसो चले संसार,

जरा सोचो समझो करो विचार🤔

जय श्री राम जय राजा भोज🙏

विद्या बिसेन

बालाघाट🙏

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27.

 सुपर फास्ट एक्सप्रेस


सुपर फास्ट सिंदीपार एक्सप्रेस 

नाव वोको से शेषराव येळेकर, 

हर प्रकारका गीत लिख लेसेती

गायनबी करसेती समय देखकर. 


गाव उनको आय सिंदीपार

नागपूरमा कंपनी करसेत काम, 

कविता लिखनोमा सेती अग्रेसर

भाग लेसेती स्पर्धामा तमाम. 


मराठीमा बी लिखसेत कविता

अनेक ग्रुपमा सहभाग से अच्छा,

मी देसू उनला जनमदिन की

अनेक अनेक हार्दिक शुभेच्छा. 

💐🌹🌷🌹🌷💐🌹🌷🌹


                            - चिरंजीव बिसेन

                                        गोंदिया

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