पोवारी साहित्य सरिता भाग ७०
पोवारी साहित्य अना सांस्कृतिक उत्कर्ष द्वारा आयोजित
पोवारी साहित्य सरिता भाग ७०
💐🚩💐🚩💐🚩💐🚩💐🚩
आयोजक
डॉ. हरगोविंद टेंभरे
मार्गदर्शक
श्री. व्ही. बी.देशमुख
🚩🏵️🕉️🏵️🕉️🏵️🕉️🚩
१. चौरी पर दिवो लगावत चलों
----------------🔥🔥-----------------
घर मा चौरी पर दिवो लगावत चलों l
जग मा कर्मों की खुशबू लुटावत चलों ll
इतिहास का गुण गुणगुणावत चलों l
पहचान पर स्वाभिमान करत चलों l
उत्तम ज्ञान लक महक जासे जीवन,
जग मा कर्मों की खुशबू लुटावत चलों ll
मायबोली आपली रोज बोलत चलों l
मायबोली आपली रोज लिखत चलों l
दिव्य चिंतन लक महक जासे जीवन,
जग मा कर्मों की खुशबू लुटावत चलों ll
संस्कारों ला नित धारण करत चलों l
निज संस्कृति को संवर्धन करत चलों l
अच्छी संगत लक महक जासे जीवन,
जग मा कर्मों की खुशबू लुटावत चलों ll
इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले
शनि.२९/१०/२०२२.
------------------💥💥----------------
२. रानी बनकर जग रही होती
------------------💚💜-----------------
मोरा भी दिन होता
रानी बनकर जग रही होती l
मोरो भी आंचल मा
जगमगाहट दिस रहीं होती l
सारी दुनिया मोला
वंदन करता दिस रहीं होती ll
मोरा भी दिन होता
रजवाड़ाओं मा नांद रही होती l
सबको ओंठो पर
खुशियों लक इठलाय रहीं होती l
सबको दिलों पर
रानी बनके राज कर रहीं होती ll
नवीन जमानों मा
हालत बिगड़ता देख रहीं होती l
सबको ओंठो पर
हिन्दी मराठी खूब खेल रही होती l
मी सबकी नजरों मा
उपहास की शिकार होय रही होती ll
नवी क्रांति को दिनों मा
अनुकूल हवा बहती देख रही होती l
सबकी वाणी लक
मोरी खूब वाहवाही देख रहीं होती l
सबकी लेखनी लक
कविता ना गीत मा ढल रही होती ll
परिवर्तन की हवा
मी आपलो डोरा लक देख रहीं होती l
मोरो मन की वेदना
धीरु धीरु दूर होती देख रहीं होती l
मोरा भी दिन होता
रानी बनकर जग रही रही होती ll
#इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले
#प्रणेता:-पोवारी भाषाविश्व नवी क्रांति अभियान, भारतवर्ष.
#लक्ष्मीपूजन,सोम.२४/१०/२०२२.
--------------------🌴🌴----------------
3.
🌷बोली छत्तीस कुऱ्याकी🌷
(अष्टाक्षरी काव्य)
बोली छत्तीस कुऱ्याकी
आय आमरी पोवारी |
बैनगंगा आँचलमा
फली फुलीसे या न्यारी ||१||
आमी पोवार वंशका
सच्चा वीर वारकरी |
जरी आया मालवालं
कोंब अलग आमरी ||२||
नोको तुमी मिसरावो
पोवारीमा वा भोयरी |
मिटे अस्तित्व दुयीको
नोको जमावो सोयरी ||३||
करो दुयी बोलीसाती
तुमी अलग लिखान |
नोको मिटकावो तुमी
पोवारीकी पयचान ||४||
करो अलग अलग
रीती रिवाज जतन |
दुयी मायबोली साती
करो अलग सृजन ||५||
मायबोली पोवारीको
करो तुमी संवर्धन |
करं बिनती तुमला
हात जोड़ गोवर्धन ||६||
© इंजी. गोवर्धन बिसेन 'गोकुल'
गोंदिया (महाराष्ट्र) मो. ९४२२८३२९४१
********************************
4.
पोवार को सपनामा आपली मायबोली 'परी पोवारी' आयेच पायजे.
शिर्षक: 'परी पोवारी'
(चाल: एक कली मेरे ख्वाब मे आयी)
***********
एक परी मोरो सपनमा राती
मोला सुनावं आपबिती ॥
यकि परवाह को अभाव मा आयी
बडी बिकट परिस्थिती ॥धृ॥
झुरझुरक्यानी चेहरापर झुर्री
जरंसे जर्जर काया
मोहनी मुरत प्यारी सुरत पर
ये कसा दिन आया
पेढन पेढी वैभव की राणी की
भई कसी या दुर्गती ॥१॥
एकता को माध्यम समता को साधन
पोवारों की दारोमदार
समाजोत्थान की आधारस्तंभ या
आज लगे निराधार
आबालवृद्ध को मुख मा बसी रवं
वाणी की देवी सरस्वती ॥२॥
दिन परिपाटी मा भरभराटी मा
भ-या रवत येका ढोला
दुध दहिको वान नोहोतो
खंडीभर गोधन खुटोला
राजेशाही की परंपरा येकी
समृद्धशाली संस्कृती ॥३॥
नवीन जमानो को चकाचौंध मा
अनदेखी भयी या बिचारी
येको आंचलमा सिक्या पढ्या अना
मा-या उत्तुंग भरारी
पोवारी बोलनकी सरम आवंसे
'का कहेत संगी साथी?' ॥४॥
जागो पोवारो पयचानो आपलो
जीवन की या बुनियाद
भाषा पोवारी बोलचाल की
आता बढ़ावो तादाद
गर्व करो आमी पोवार आजन
धाकड़ी से आमरी छाती ॥५॥
परी पोवारीनं वचन मांगी सेस
'भूलो नोको मायबोली
पराई भाषा मा करो तरक्की पर
चाटो नोको पदतली
इतिहास खरो बने तुम्हारो
बची रहे पोवार जाती' ॥६॥
नित्य दैनंदिन बोलचाल लका
परी बनी रहे चंगा
पोवारी टिके तं पोवार टिके
बहे विकास की गंगा
बोले प्रहरी बोलो पोवारी
आस्था ठेवो पोवारी प्रति ॥७॥
**********
डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे 'प्रहरी'
डोंगरगांव/ उलवे, नवी मुंबई
मो. ९८६९९९३९०७
*************************
5.
डोलसे मोरो खेत को सोना
( पोवारी बोली)
गीत रचना - रणदीप बिसने
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
येन् साल भई बारिश तूफान
हलको धान को भयेव् नुकसान
सावरेव नहीं अजून किसान
तरी मानसे मनमां समाधान ||1||
पानी पडेव यंदा सबदून जादा
किसान नही कर् कोनिसंग वादा
नहीं लेन को हात मां फांसी को फंदा
जोड मां सुरू करे कोनतो बी धंदा ||2||
जेतरो भयेव् खेतीसाटी खर्चा
सरकार दरबार मां सिरफ चर्चा
मजबूत करजो पैर को कुरचा
आत्मनिर्भर हो रे बळीराजा ||3||
भारी धान की येन् साल मजा
पानी बगावन को बचेव त्रागा
रोग लगेव् जरी कोनतो भागमां
पिवरो सोनो चमक रही से खेतमां ||4||
धान काटन ला नही मिळत कोनी
वली बांदी मां नहीं जमत मशिनी
रोजदार बाई मानूस की से ना कमी
झुरो धान पिवरो झळसे बिनकामी ||5||
धान की खेती किसान को सोना
हरसाल रूलावसे येव् दुखगाना
नहीं फूट कोनीला दया को पाना
किसान मजबूत से मन को मनमां ||6||
•••••••••••••••••••••••••••••••••••
6.
मोरी भाषा, मोरो मान
------------✳️❇️✳️----------
मोरी भाषा, मोरो मान l
पोवारी भाषा, विख्यात से नाम l
समाज की या आय संजीवनी,
आओ, रोज करों येको गुणगान ll
मोरी भाषा, मोरी शान l
पोवारी भाषा, मोरी पहचान l
संस्कृति की या आय संजीवनी,
आओ, रोज करों येको गुणगान ll
मोरी भाषा, मोरी आन l
पोवारी भाषा, समाज की शान l
एकता की या आय संजीवनी,
आओ, रोज करों येको गुणगान ll
मोरी भाषा, मोरों प्राण l
पोवारी भाषा, माता को समान l
जीवन की या आय संजीवनी,
आओ, रोज करों येको गुणगान ll
मोरी भाषा , मोरों काम l
जागो उठो आता , करों उत्थान l
समाज की या आय संजीवनी,
होये, संस्कृति ना समाज को कल्याण ll
#इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले
पोवारी भाषाविश्व नवी क्रांति, अभियान भारतवर्ष.
सोम.३१/१०/२०२२.
-----------------❇️✳️❇️---------------
7.
पायल गौतम को पोवारी गीत गायन : एक अभिप्राय
गीत का बोल- पोवारी बोली बोलू सू मी, बाई मी पोवार
--------------❇️💥❇️------------
पोवार समाज की बेटी "पायल गौतम" जब् पोवारी मा गाना गाव् से तब् -
१. पोवारी भाषा को माधुर्य वातावरण मा घोल देसे. पोवारी भाषा को सौंदर्य वातावरण मा बिखेर देसे.
२. पोवारी भाषा की श्रेष्ठता सहज सिद्ध कर देसे .पोवारी भाषा या अमृतमय से, येकी साक्षात अनुभूति कराय देसे.
३. पोवारी भाषा ला नाव ठेवनेवालों ला गलत साबित कर देसे.
४. पोवारी भाषा को संबंध मा सारी गलतफहमियां धराशाई कर देसे.
५.पोवारी भाषा को प्रति आत्मीयता अना स्वाभिमान एक साथ जागृत कर देसे.
६. पोवारी भाषा को विकास की संभावना को बारा मा आश्वस्त कर देसे.
७.पोवारी भाषा को विकास साती प्रयत्नशील महानुभावों को मन मा नवी आशा, नवी उमंग अना नवो आत्मविश्वास को संचार कर देसे.
८.पोवारी भाषा को विकास संबंधी प्रयासों ला अतुल्य बल देसे.
९. पोवारी भाषा संबंधी बह रही उलटी हवा को रुख बदल देसे. प्रतिकूल हवा भी अनुकूल बन जासे.
१०. पोवारी भाषा को माधुर्य को रसपान करायके मातृभाषा पोवारी की प्रशंसा , स्तुति ,वाहवाही करन प्रत्येक व्यक्ति ला अनुकूल कर लेसे, बाध्य कर देसे.
- इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले
* पोवारी भाषाविश्व नवी क्रांति अभियान, भारतवर्ष.*
सोम ३१/१०/२०२२.
--------------❇️✴️❇️--------------
8
मंडई को जलवा
मंडई को जलवा गावमा रव्हसे भारी
मनोरंजन की इच्छाला करसेती पुरी ||टेक||
आवसेती गावमा इतउतका पाव्हना
गोवारी नाचा देखन की रव्हसे तम्हना
मंडई की पानसुपारी खान किसे न्यारी ||१||
मंदीर चौकमा मंडई को लगसे मेला
दुकान की रेलचेल से झुलसेती झुला
मटक मुटक करसेती शान रव्हसे भारी ||२||
मंडई देखन केतरी जमजासे गर्दी
झगडा तंटा करो नोको रव्हसे हमदर्दी
गावका पुढारी पर जिमेदारी से भारी ||३||
सिंगाडा बतासा जलेबी को रव्हसे नास्ता
खुशी लक जोडसेती बिह्या करन रिस्ता
रात को जेवण संग चर्चा रंगसे भारी ||४||
दंडार ड्रामा नवटंकी देखो रातभर
झाडीपट्टी की नाटक ला गर्दी जमकर
पंचमी की मंडई खडी शायरी भारी ||५||
पोवारी साहित्य सरीता ७०
दिनांक:३१:१०:२०२२
हेमंत पी पटले धामणगाव (आमगाव)९२७२११६५०१
*********************************************
9.
जय श्री राम🙏
श्री राम जी तुम्हरी छवी लग से अति मनोहारी
लग से अति मनोहारी प्यारी,
राजा राम जी,
तोरो चरण की धुल मिल जाहे गर
तोरो चरण की धुल मिल जाहे गर
होय जाहु मी बलीहारी,
श्री राम जी तुम्हरी छवी लग से अति मनोहारी,
लग से अति मनोहारी प्यारी
राजा राम जी
,
चरण कमल को देजो सहारा,
दुनिया लक हार जाहु देजो तु सहारा,
आस लगाय कर बसी तोरी शरण मा ,
अता सुझ नही काही किनारा,
श्री राम जी तुम्हरी छवी लग से अति मनोहारी,
लग से अति मनोहारी प्यारी
राजा राम जी,
झुट कपट क्षल बल नोको देजो
धन माया को लोभ नोको देजो
देजो धर्म ध्वजा भगवा धारी,
श्री राम जी तुम्हरी छवी लग से अति मनोहारी,
लग से अति मनोहारी प्यारी
राजा राम जी,
क्षमा याचना माग सकु मी ऐतरो देजो मोला भान,
गर्व करु मी अपरो हिन्दु धर्म पर
जब वरी सेत मोरा प्राण,
श्री राम जी राजा राम जी सिया राम जी ,
श्री राम जी तुम्हरी छवी लग से अति मनोहारी
लग से अति मनोहारी प्यारी,
राजा राम जी सिता राम जी🙏
विद्या बिसेन
बालाघाट🙏
*******************
10.
आकर
मोरो गाव को आकर
बसन उठन की जागा
यंज्या होसेती गोष्टी-मास्टी
थकेव भागेव होसे उभा......
खेतकन जान को रस्ता
आकरपर लक च जासे
बंडी गाडी फिरावन साटी
आकर पर की मदत होसे......
दिवस बुडेवपर यंज्या
आवसेत मोहल्ला का लोक
हसी मज्या चलसे मस्त
दरद दुख घटना मां कर शोक...
गाव मा का हाल हवाल
भेटसे येन् आकर परा
कोनघर जनी गाय शेरी
कोन कोंटा मां कटेव बकरा.....
मांदी बससे सब उमर की
बाल गोपाल त् बुजरूग
अनुभव की देवघेव होसे
येन् पिढीकनल पिढीला वोन्....
यंज्या खेलसे गाय वासरू
दिवारी क् या सनला
पोरा क् तोरण मां यंज्या
पूजेव जासे बैलभाऊला.....
असो आकर आमरो गावको
गाव की बढावसे शोभा
स्मृति संभलकन ठेवबी
मार्ग मां आये कोनती आपदा...
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
रणदीप बिसने
11.
पोवारी संस्कृति उत्थान. 🚩
आपरी पोवारी बोली को विकास अना संवर्धन लाई यदि कोनो मंच पर जानो पड़े परा पूर्ण बुलंद आवाज को साथ 36 कुल पोवार को बारे मा मंच पर लका उद्घोष. ताकि मंचाशीन अना उपस्थित जनसमुदाय मा सीधो जागृति होये पायजे.
भोयर जात मिश्रण पर सतर्कता.
जाती नाम, अना कुल नाम को फरक समझावनो.🚩
36 कुर को उल्लेख, अना वर्तमान 31 कुर को उच्चारण.🚩
36 कुल की समान संस्कृति को पुनः पुनः उच्चारण, जसो की मयरी, डोकरी पूजा, दीवारी की खीर अना मुख्य बात चौरी, देव उतारनो.
ये बात बहुत लहान लग सेत, पन मात्र 36 कुल पोवार की धरोहर आय, स्वजातीय की पहचान आय. अना मुख्य बात पोवारी बोली, ब्राम्हस्त्र आय. 🚩
जय श्री राम 🚩
जय राजा भोज.🚩
✒️ऋषिकेश गौतम (1-oct -2022)
************************************
11.
पोवार समाज मा सामाजिक उत्थान अना सामाजिक संगठना
💐🚩💐🚩💐🚩💐🚩💐🚩💐
सबला आपरो अतीत को गौरव अना संस्कृति को जतन का प्रयास करनो चाहिसे। पोवार समाज क़ी आपरी भाषा अना गौरवमयी संस्कृति आय जेला आपरो पुरखाइन ना संजोयकन राखी होतिन। आम्हरी भाषा अना सांस्कृतिक मूल्य इनको धीरू-धीरू लक भुलावनों समाज लाई चिंता को विषय आय। सप् समाजजन इनला येको जतन लाई युद्ध स्तर परा प्रयास करनो पढ़ें।
समाज मा फैली बुराई को विलोपन अना सांस्कृतिक उत्थान लाई १९०० को आसपास प्रबुद्ध जन इनना पंवार जाति सुधारणी सभा को गठन करीन। तसच सनातनी मूल्य को संरक्षन लाई समाज को आराध्य भगवान श्रीराम को मोठो मंदिर, सिहारपाठ, बैहर १९११ मा स्थापित भयो। यहाँ लक़ पोवार समाज ला संगठित रहकन आपरो समाज क़ी संस्कृति अना पहिचान को संरक्षन क़ी शुरुवात भई, जेको मुल्य इनला समाज क़ी सबलक प्रतिष्ठित अना आदर्श संस्था, पंवार राम मंदिर ट्रष्ठ, सिहारपाठ, बैहर समाज मा प्रचारित अना प्रसारित कर रही से।
छत्तीस कुल समाज क़ी संस्कृति अना समाजोत्थान मा अग्रणी संस्था, अखिल भारतीय क्षत्रिय पोवार/पंवार महासंघ यन कार्य ला नवी पीढ़ी तक पंहुचावन का काम मा जुटी से। तसच सबला मिलकन आपरी भाषा अना संस्कृति का रक्षण को समाजोत्थान मा सहयोग करनो ही सच्ची समाजसेवा होहे।
🙏🙏🚩🙏🙏🚩🙏🙏🚩🙏🙏
12
❤️मोरी भाषा मोरों मान❤️
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩,
मोरी भाषा मोरो मान l
छत्तीस कुल को प्राण l
कर लो येको उत्थान,
सहयोग करें सबला, या धरती ना आसमान ll
🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆
माथो को चंदन समान l
एका को बंधन समान l
कर लो येको उत्थान,
सहयोग करें सबला, या धरती ना आसमान ll
🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆
जीवन मा येको मान l
सपना मा ठेओ ध्यान l
कर लो येको उत्थान,
सहयोग करें सबला, या धरती ना आसमान ll
🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆
या से समाज की शान l
येको लक से कल्याण l
कर लो येको उत्थान,
सहयोग करें सबला, या धरती ना आसमान ll
🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆
पूर्वजों को वरदान l
छत्तीस कुल को प्राण l
कर लो येको उत्थान,
सहयोग करें सबला, या धरती ना आसमान ll
🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆
इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले
मंग.१/११/२०२२.
-----------------🚩🚩-----------------
13.
हमरो मध्य प्रदेश🙏
भारत को दील अना जान हमरो मध्य प्रदेश यो से हमारी शान हमरो मध्य प्रदेश ,
भारत को दील अना जान हमरो मध्य प्रदेश,
कारी कारी माटी यहा उगल से सोना,
धन्य धान लक भरया कोना कोना
हमरो देश की बढा़व पहिचान हमरो मध्य प्रदेश,
भारत को दील अना जान अपरो मध्य प्रदेश,
यो से हमारी शान हमरो मध्य प्रदेश,
कारो सोना उगले से माय धरती मेहनत कस मजदुर गिन को पोट माय भरती,
सोयाबीन खेत खेत लहराव, खेती किसानी ला उन्नत बढाव,
स्वाधीनता को से मान अपरो मध्य प्रदेश ,
भारत को दील अना जान हमरो प्रदेश
यो से हमारी शान हमरो मध्य प्रदेश,
शिक्षा, व्यवसाय व्यापार मा अव्वल आव,
देश दुनिया मा अपरो डंका बजाव,
भारत को से अभिमान हमरो मध्य प्रदेश ,
भारत को दील अना जान हमरो मध्य प्रदेश
यो से हमारी पहिचान हमरो मध्य प्रदेश,
स्वास्थ ,स्वच्छता मा सबले आगे वायु प्रदुषण सब दुर भागे,
जंगल पहाडी़ लहर लहराव
पशु पक्षी भी मगन होयके नाचत गावत,
हरियाली की से खान हमरो मध्य प्रदेश,
भारत को दील अना जान हमरो मध्य प्रदेश ,
यो से हमरी शान हमरो मध्य प्रदेश,।।
विद्या बिसेन
बालाघाट🙏
*****************
14.
सनातन
सत् को तन मा वसन बनयो सनातन।
बड़ी गहरी ना अक्षुण से माया तोरी भगवन।।
कई आताताई आया येला मिटावन।
कोई ला भी नहीं मिलयो विजय को जतन।।
चादर वाला आया सनातन ला सिरावन।
पर उनको उल्टो करम मा न्होतो कोई दम।।
फिर फादर वाला आया सनातन जरावन।
माया तोरी देखकर करन लगीन पुजन।।
सनातन को बड़ो गहरो से सार।
चार वेद, अठारह पुराण कर सेती तोरो प्रसार।।
छह शास्ञ सब ग्रंथ मा तोरी बड़ी माया।
तोला भुलावन का कई जतन कराया गया।।
सनातन की रक्षा मा कई भय गया अमर।
सनातन लक जीवन को सफल से सफर।।
हिंदु अवतर जो नही समझया सनातन।
ओको जीवन से पशु लक भी बत्तर।।
एक प्रधान सेवक न उठाइस बीड़ा।
सनातन को पार होय रही से बेड़ा।।
चादर ना फादर को घट गयो मान।
सनातन को सब करन लगीन सम्मान।।
दुनियां मा साजिश वाला पैदा भया भगवान।
बहया रूप का संता आना साई समान।।
राम _कृष्णा ,ब्रह्मा _विष्णु महेश।
सृष्ठी मा कोइ नहाय इनको लक विशेष।।
भरोसा कर लेव ये सब सनातनी देव।।
इनको अलावा कोई नहीं हर सक: भेव।।
मि का करू सनातन को बखान।
मोरो मा नहाय जी येतरो ज्ञान।।
सनातन संस्कृति की आन बान आना शान।
येको लाई हमेशा मोरी जान से कुर्बान।।
व्यक्तिगत फायदा को नही लेव मी सहारा।
सनातन संस्कृति लगाय देहेे मजधार लक किनारा।।
यशवन्त कटरे
जबलपुर
०१/११/२०२२
********************
15
झुंझुरका
भयी झुंझुरका
निकलेव दिवस
आब रातकी
टाक देवो अवस
जमीन पर आया
सोनेरी किरण
उठकन करकमल ला
जावो तुमी शरण
चहूबाजू पक्षींकी
गुंजसे किलबिल
ताजी ताजी हवा मा
ताजो करो दिल
रांगोली अना सरा
आंगण की शोभा
शांत शितल शोभसे
परिमंडल की आभा
प्रकृती झुंझुरका
रोज खोलसे रहस्य
आवन देव चेहरा पर
चिरस्थायी हास्य
शेषराव येळेकर
सिंदीपार
दि.०२/११/२२
******************
16
बिषय:- मंडई
ढोलकी की थाप
तूनतुना पर तान
मंडई से
झाडीपट्टी की शान
अटक मटक चटक
मंडई को सोला शृंगार
भाऊबीज संग उत्सव
समाज को शिष्टाचार
दुकान अना दंडार
दिवसभर करसे गजर
रात जगावनला पौराणिक
नाटक ड्रामा होसे हजर
दिवाळी बाद को उत्सव
गाव संस्कृती को आरसा
बारिश बाद कला जगायकन
झाडसेत मन को धुसा
आरोग्य संग उत्साह
आनंदी होसे तन मन
दिवारी बादकी मंडई
गाव संस्कृती को धन
शेषराव येळेकर
सिंदीपार
दि.०२/११/२२
**************
17
भारत माता की बेटी
------------🚩🚩-----------
भारत माता की या बेटी पोवारी बोली l
मोरों समाज की लाड़ली पोवारी बोली ll
राजस्थान मा नांदी से या पोवारी बोली l
मालवा मा नांदी से मोरी पोवारी बोली l
पोवार बाल बालाओं की या पहचान से,
हर युग मा नांदी से मोरी पोवारी बोली ll
रजवाडाओं मा नांदी से पोवारी बोली l
रण मैदान मा नांदी से पोवारी बोली l
पोवार बाल बालाओं की या पहचान से,
हर युग मा नांदी से मोरी पोवारी बोली ll
रानी-रनिवास मा नांदी से पोवारी बोली l
खेत-खलिहान मा नांदी से पोवारी बोली l
पोवार बाल बालाओं की या पहचान से ,
हर युग मा नांदी से मोरी पोवारी बोली ll
इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले
#पोवारी भाषिक क्रांति अभियान, भारतवर्ष.
बुध.०२/११/२०२२.
---------------------🔆🔆-----------------
17
कुर (सरनाम)
आजकाल देखनो पढ़नो मा आय रही से कि बहुत सा पोवार समाज का लोग अपरो नाम संग अपरी कुर (सरनाम) नही लिखकर अपरो नाम संग पवार लिख रही सेतीन अन बहुतसा पोवार समाज का संगठन भी अपरो कार्यक्रम मा पत्रक अन बेनर मा भी पवार लिखकर गर्व महसूस कर सेतीन जो बहुत ही गलत अन अनावश्यक से।
भविष्य मा एका भयानक दुष्परिणाम देखन मा मिल्हेत।
(1) भविष्य मा आवन वाली पीढ़ी अपरी कुर अन मूल जाति पोवार पंवार ला भूल जाहे।
(2) जब अपरी मूल जाति अन कुर ला भूल जाहेत त अपरी कुर वाला बहिन भाई संग बिह्या करनो शुरू होय जाहे। जो कि हिन्दू अन पोवार समाज मा वर्जित से ।
(3) भारत देश अन दुनिया भर का देश मा बहुत सा लोग पवार शब्द को उपयोग अपरी जाति अन कुर (सरनेम) अन वर्ग पंथ कौम को रूप मा कर रही सेतीन।
दुनिया को विस्तारिकरण मा पोवार समाज अपरी मूल पहिचान लक दूर होय जाहे।
(4) अबो च लक पोवार समाज का लोग अपरी बोली अपरा रीति रिवाज दस्तूर परम्परा मानबिन्दू आदर्श संस्कार अन संस्कृति ला छोड़कर अन्य पंथ या सम्प्रदाय का की बोली रीति रिवाज अन दस्तूर ला अपनावन मा हिचक नहीं कर रही सेतीन। जसो बिह्या मा रिंग सेरेमनी बिहा को पहिले टुरा टुरी को संग घुमनोअन संग मा रहनो। जन्मदिन मा केक काटने अन मोमबत्ती बुझावनो
जन्मदिन मंगलमय होय को जाग्हा मा हेपी बड्डे बोलनो लिखनो। जो कि कोई भी दृष्टि लक ठीक नहाय।
(5) अपरी बोली बोलनो मा हिचक अन शरम महसूस करनो अन अपरी बोली बोलन वालो ला दकियानूसी पिछड़ो अनपढ़ गंवार रूढ़िवादी पुरातन वादी समझनो।
(6) भला च ठीक लक हिंदी अंग्रेजी उर्दू संस्कृत नहीं जानन लेकिन आधी हिन्दी आधी अंग्रेजी अन अन्य बोली भाषा का शब्द मिलायकर बोलनो मा गर्व महसूस करन। जो कि ठीक नहाय।
मोरो समाज का प्रमुख अन अन्यन क्षेत्र मा नेतृत्व मार्गदर्शन करन वाला सीन निवेदन से कि अपरी अस्मिता मौलिकता जड़ पहचान रीति रिवाज दस्तूर परम्परा मान्यता आदर्श तीज त्यौहार अन अपरो इतिहास पर भी ध्यान देत समाजसेवको की मेहनत समय अर्थ अन ज्ञान को समुचित उपयोग होय अन समाज ला लाभ मिल। धन्यवाद।
जय राजा भोज जय भारत माता।
***************
18.
तुलसी विवाह
श्री हरी को खतम भयो विश्राम।
देव करन लगीन मंगल गान।।
चार महिना को हाेतो विश्राम।
आषाढ़ लक कार्तिक को दौरान।।
शिव जी संभाली होतिन भार।
सौप देहेती आता हरि ला प्रभार।।
शिव आना हरि को होए मिलन।
देव दिवारी को तब ले से चलन।।
मंगल काज की आज लक से धूमधाम।
आज को दिन हरी बनया होता सालिग्राम।।
प्रथम मंगल तुलसी संग सालिग्राम।
फिर सबको शुरु होसे शादीकाम।।
तुलसी जी न करी होतिस भारी तप।
तब मिलया होता हरि जसा वर।।
हर घर तुलसी हरि को होतो वरदान।
बिना तुलसी को हरि पुजन नहीं पावन।।
गन्ना को बनसे मंडप हरो हरो।
कलश संग गजानन ला विराजो।।
प्रथम पुजन विघ्ण विनाशक आना राम।
फिर तुलसी _सालिग्राम को धरो ध्यान।।
चढाय कर तुलसी जी ला श्रृंगार।
सात फेरा लेव हाथ मा धरकर देव सालिग्राम।।
करो आरती विष्णु संग तुलसी जी की।
फिर बांटो प्रसाद इनको बिह्या की।।
यशवन्त कटरे
जबलपु ०४/१२०२२
********************
17.
देव श्री हरी भगवान🙏
ऊठो ऊठो श्री हरी भगवान देव
करत गुणगान लगायकर ध्यान,
चार महिना देवा विश्राम होतो तुम्हरो,
संभाली होतीन तब वरी जागा तुम्हरी शिव भोला ना जगत कल्याण,
ऊठो ऊठो श्री हरी भगवान,
अज लक शुभ मांगलिक कार्य शुरु करनो से सब देव करत गुणगान लगायकर ध्यान बजावत म्रदंग अना झांझ, मनावत सब देव मील
दिवारी भगवान,
ऊठो ऊठो श्री हरी भगवान,
पहलो पुजन गणनायक को मग तुलसी संग सालिकराम,
सजो से मांडो हिवरो गन्ना को बिहा मा आओ सकल देव संग सिया राजा राम,
ऊठो ऊठो श्री हरी भगवान,
सात फेरा को बंधन मा बंध गयी जोडी, तुलसी संग सालिगराम जय बोलो भगवान,
विष्णु करत शंख नांद,
ऊठो ऊठो श्री हरी भगवान।।
विद्या बिसेन
बालाघाट🙏
****************
Comments
Post a Comment