पोवार समुदाय एवं उसका सामाजिक दर्शन
पोवार समुदाय एवं उसका सामाजिक दर्शन
(Powar
Community and it's Social Philosophy)
१. पोवार समुदाय का परिचय
पोवार
समुदाय यह मालवा एवं राजस्थान का निवासी था. १७००के आसपास यह वैनगंगा क्षेत्र में
आकर बस गया. ३६ इसमें कुल है. इस समुदाय
में सजातीय विवाह का प्रचलन है. समुदाय के लोग
समुदाय के भीतर ही वैवाहिक संबंध प्रस्थापित करते है. इसकी अपनी एक विशेष
संस्कृति है,
जिसे सनातन हिन्दू धर्म का अधिष्ठान है.
२. मातृभाषा : इतिहास का स्त्रोत
पोवार
समुदाय की मातृभाषा "पोवारी" है. इस समुदाय के सामाजिक दर्शन इसके
लोकगीत,
वाक्प्रचार, कहावत, मुहावरे एवं
मुख्यतया विवाह के गीतों तथा परंपराओं में छिपा हुआ है.
इस समुदाय
में विवाह संस्कार के समय वर को श्रीराम एवं वधू को जानकी के स्वरुप में देखा जाता है. विवाह गीतों मे राम,सीता, लक्ष्मण, राजा जनक आदि. नामों के दर्शन होते है. इससे स्पष्ट हो जाता
है कि इस समुदाय के प्रमुख आराध्य श्रीराम ही है एवं सनातन हिन्दू जीवन दर्शन ही
इस समुदाय का सामाजिक दर्शन (Social Philosophy)
है.
३.सामाजिक दर्शन की उपेक्षा
पोवार समुदाय
के सामाजिक दर्शन की उपेक्षा के प्रमुख दो कारण निम्नलिखित है -
३-१. इतिहास लेखन का
स्वरुप
पोवार समुदाय
का इतिहास अंग्रेजों द्वारा लिखा गया. यह इतिहास उपनिवेशिक स्वरुप का है. यह
इतिहास लिखते समय इस समुदाय की मातृभाषा पोवारी का एक प्रमुख स्त्रोत के रुप में
उपयोग नहीं किया गया.अब पोवार समाज के बुद्धिजीवी भी अंग्रेजों के पदचिन्हों का
अनुसरण करते हुए समुदाय का इतिहास लखते है. अतः इस इतिहास में समुदाय का सामाजिक
दर्शन पूर्णतः दुर्लक्षित ही रह जाता है.
३-२. वामपंथी विचारधारा का प्रभाव
भारत १९४७ में स्वतंत्र हुआ. यहां की
शिक्षापद्धति पर वामपंथी विचारधारा का प्रभाव है. इस प्रकार की शिक्षापद्धति में
शिक्षित व्यक्तियों के हाथों में जब इस समुदाय की बागडोर गयी तो उन्होंने पोवर
समुदाय के सामाजिक दर्शन को नष्ट करने का प्रयास किया.
इन वामपंथी
विचारधारा से ग्रसित व्यक्तियों ने सबसे पहले श्रीराम को दरकिनार किया. समुदाय की निष्ठा को भटकाया और इसकी मातृभाषा, संस्कृति, पहचान, स्वतंत्र अस्तित्व,
सजातीय विवाह की परंपरा को नेस्तनाबूद करने की साज़िश रची
तथा साजिश को अंज़ाम देने के प्रयास में जुट गये.
४.सामाजिक दर्शन के संरक्षण -संवर्धन के उपाय
पोवार समुदाय
के सामाजिक दर्शन (Social
Philosophy) अथवा इसके जीवन दर्शन (Life Philosophy) के संरक्षण -संवर्धन
के लिए पोवारी भाषा एवं परंपराओं के स्त्रोत का उपयोग करके समुदाय के इतिहास का
पुनर्लेखन करना एवं वामपंथी विचारधारा से ग्रसित लोगों द्वारा समुदाय के सामाजिक दर्शन को तहसनहस करने के जो
हथकंडे अपनाए जा रहे है,
उनपर रोक लगाना नितांत आवश्यक है.
इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले
पोवार समाज वैचारिक क्रांति अभियान, भारतवर्ष.
गुरु.१०/११/२०२२.
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