पोवारी साहित्य सरिता भाग ६८



 पोवारी साहित्य अना सांस्कृतिक उत्कर्ष द्वारा आयोजित

पोवारी साहित्य सरिता भाग ६८

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       आयोजक

डॉ. हरगोविंद टेंभरे


        मार्गदर्शक

श्री. व्ही. बी.देशमुख

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🙏🪔शुभकामना🪔🙏


चूल्हों -चक्की ,ओखरी , डोकरी, पूजी गईन दिवारी मा।

 किसान की मेहनत महक रही से, मीठी -खीर सुआरी मा।।


नवती-नवती बहू आई सेत, लक्ष्मी जसी दिवारी मा।

नाच रही सेत मुन्ना मुन्नी, घर आँगन, फुलवारी मा।।


ओरी-ओरी टवरी सुँदर, घर-घर जरिन दिवारी मा।

घर का कोना कोना महक रही सेती धूप बाती की दानी मा।।


घर का सायना सायनी मस्त सेती पुरानी कहानी मा ।

चर्चा होय रही से केतरा पकवान रहेती आज बिरानी मा।।


रंग बिरंगी आतिशबाजी होय रही से रातरानी मा।

बिसर गया पुराना तरीका नवो ज़मानों को शानी मा।।


सजाय के आरती राखी जाहे डार को अगवानी मा।।

अर्धी रात निकल जासे बसकर यादन की कहानी मा।।


मनाओ दिवारी असी बस जाय मन की बानी मा।

रामराज्य की शुभकामना, सबला आज पोआरी मा।।


यशवन्त कटरे

२४/१०/२०२२

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1.

💜 इम्तिहान💜

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या बेला से समाज को इम्तिहान  की  l

या आयी से बेला समाज को निर्माण की ll


या घड़ी से पहचान को जतन की  l

या आयी से घड़ी स्वाभिमान  जतन की l

या बेला से अस्मिता को इम्तिहान की,

या आयी से बेला समाज को निर्माण की ll 


या घड़ी से  समाज  ला बचावन की l

या आयी से घड़ी अस्तित्व बचावन की  l

या बेला से  समाज को इम्तिहान की,

या आयी से बेला समाज को निर्माण की ll


या घड़ी से समस्या को सामना करन की l

या आयी से घड़ी समाज  सुधारण की  l

या  बेला से पुरुषार्थ को इम्तिहान की,

या आयी से बेला समाज को निर्माण की ll


इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

शनि.१५/१०/२०२२

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2.

|| पाप पुण्य ||

सत गुण रजो गुण, तमोगुण को आधार

जसो कर्म तसो फळ, पाप पुण्य से आधार |टेक|


तमोगुणी धरसेती, बेकार का अवगुण

अहंकार गतिरोध, बेफिकर भारिपण

नको करो भुल असी, जीवन होसे बेकार |१|


रजोगुणी का आदमी, थोडा फार सेती बेस

प्रेरणा उनकी शक्ती, ज्ञान को से उपदेश

मानव मिलीसे तन, कर्म को आधार पर |२|


सुंदर रचनाकार, सतोगुणी से मानव

समग्रता संतुलन, पवित्र ठेवसे भाव

जीवन से अनमोल, बनोजी समजदार |३|


व्यवस्था सुर्ष्ठी किसे, त्रिदेवता पर भार

आयुर्वेदीक औषधी, तप तंत्र योग पर

अणू रेणू परमाणू, विज्ञान को चमत्कार |४|


हेमंत पी पटले धामणगाव (आमगाव)

९२७२११६५०१

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3.

 || बनवासी राम ||

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चल कोनी बनवासी राम, घर आये पाहिजे

बिगड़ गयी जिंदगीला, सुधार देये पाहिजे ||टेक||


विकार रूपी रावण राज, को कोन करे नाश

पापी अत्याचारी को मनमा, बळ गयी से जोश

सदाचार सीता रुपी, भय मुक्त करे पाहिजे ||१||


गदाधारी भीम कि गरज, कसी पळ गयी से

भ्रष्ट दुराचारी दुःशासन की, शक्ती बळ गयी से

संस्कृती रुपी द्रोपदिको, सन्मान करे पाहिजे ||२||


घात पात कृत्य कर, खून की होली खेल सेती

आतंकवादी देशद्रोही, खुले आम फिर सेती

अत्याचार पापाचार, भूमिका मिटाये पाहिजे ||३||


पुंजी पती को घर, लक्ष्मी पूजन को बोलबाला

दाणा खानला नही मीलसे गरीब सुदामाला

दिवाळी को सण की खुशी, सबला मिले पाहिजे ||४||


दिवा जगमग करेती, दिवाळीला सबघर 

विजयी बन्या रहो, अज्ञान रुपी अंधारोपर

ज्ञान रुपी प्रकाश सबला, खुशी देये पाहिजे ||५||


हेमंत पी पटले धामणगाव (आमगाव)

९२७२११६५०१

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5.

पोवारी को आत्मनिवेदन

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                        पोवारी  मोरों सुंदर नाव से l                            

सतपुड़ा को आंचल मा निवास से l

                                        आता कर देव मोरों  सोला श्रृंगार ,                                         

मोला भाषा बनन की एकच आस  से ll


पोवारी साहित्यिकों को  साथ से l

दिन-रात सबको एकच ध्यास से  l

                        आता कर देव मोरों सोला श्रृंगार ,                         

 मोला भाषा बनन की एकच आस से ll


                नवो दर्शन को मोला साथ से l                   

साहित्यिकों पर पूरों विश्वास से l

                            आता कर देव मोरों सोला श्रृंगार,                              

मोला भाषा बनन की एकच आस से ll  


मोरी उपेक्षा को वक्त मोला याद से l

लेकिन आता सबको मोला साथ से l

आता कर देव मोरों सोला श्रृंगार,

मोला भाषा बनन की एकच आस से ll


प्राचार्य ओ सी पटले


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6.

पोवारी द्वारा आभार

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पोवारी से मोरों नांव,नांव मोरो शानदार l

संस्कृति की सार, समाज की मी आधार ll


करके सोला सिंगार, चली मी दरबार l

सहके कई उपहास,आता आयी बहार l

लेयके सबको साथ,भयेव मोरों उद्धार l

जिनका सेती उपकार,उनको से आभार ll


कवि सेती दमदार, लेखक भी जोरदार l

सहके कई तिरस्कार, भयी होती  बेजार l

सहके कई अत्याचार,भई होती लाचार l.

जिनका सेती उपकार उनको से आभार  l


जागेव समाज,अना जाग्या मोरा पक्षकार l 

मिलेव सबको साथ,भया क्रांति ला तैयार l

बीती काली रात, भयेव चैतन्य को संचार l

जिनका सेती उपकार उनको से आभार  ll


 प्राचार्य ओ सी पटले

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7. 

उड़ी उड़ी रे पोवारी उड़ी

------------💚💢❤️----------

उड़ी उड़ी रे पोवारी उड़ी 

साहित्य का पंख लगायके उड़ी l

साहित्यकों की लेखनी लक 

सोला श्रृंगार करके पोवारी उड़ी ll


उड़ी उड़ी रे पोवारी उड़ी 

साहित्य गगन मा पोवारी उड़ी l

           मनोहारी सिंगार करके            

हर्षित मन लक पोवारी उड़ी ll


उड़ी उड़ी रे पोवारी उड़ी 

कथा कविता बनके पोवारी उड़ी l

लेखनी लक सज -धज के 

अना पंख पसार के पोवारी उड़ी ll


उड़ी उड़ी रे पोवारी उड़ी 

धरती लक गगन कर या उड़ी l 

संस्कृति की पताका बनके 

साहित्य को ऊंचों गगन मा उड़ी ll


इतिहासकार ओ सी पटले

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8.

हमी पवार नहीं पोवार आजन। 

आज भी गाँवो मा आड़ी जात हमला पोवार कसेत। आड़ी जात आज भी हमारी जाति ला नहीं बदली किन्तु दुर्भाग्य लक पोवार भाई अपरी जात बदल डाकीन अन पोवार को जाग्हा मा पवार लिखन मा गर्व महसूस करन लगी  बड़ी ही दुखदायी बात  से। पवार लिखन वाला हमारा पूर्वज पुरखा की कोनसी जात आय यो तो पहिले देख लो अपरा पूर्वज पुरखा गिनला शर्मिंदा नोको करो। 

अपरो निहित स्वार्थ ला अपरी जात नोको बदलो। 

हमारी जात पोवार आय। पवार नहीं। अन्य जाति पवार सरनेम या  जाति को रूप मा उपयोग कर सेतीन। जसो कि महाराष्ट्र मा शरद पवार सरनेम को रुप मा उपयोग कर सेत अन छिंदवाड़ा बैतूल जिला मध्यप्रदेश मा भोयर पवार जाति को रूप मा उपयोग कर सेतीन भविष्य मा हमारी आवन वाली पीढ़ी भ्रमित होय जाहे अन अपरी  मूल पहिचान खोय देहे। 

 अबो च लोग पूछन लगिन की हमी कौन आजन। पवार पोवार पंवार प्रमर पँवार। सब भ्रमित होय रही सेतीन। हमी 30 कुर वाला पोवार आजन। 

अन हमारी बोली पोवारी बोली आय। हमारी तीस कुर वाला की जाति पोवार अन बोली पोवारी बोली ही हमारी एकमात्र पहिचान आय। कोई दूसरो को संसर्ग मा आय के उनला खुश करन लाई अपरी जात अन बोली नोको बदलो। वोय अपरो जाग्हा मा ठीक सेत वोय अपरी जात अपरी कुर अपरी बोली नहीं बदलीन। 

हमी च क्यों दुसरो को तुष्टिकरण लाई अपरी जात अन बोली संग खिलवाड़ काहे कर सेजन। 

कोई हमरो मा मिलनो चाव्ह से तो  येको निर्णय कुछ लोग मिलकर नहीं कर सकत। पुरो महाराष्ट्र मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ का पोवार गाँव स्तर लक लेकर जिला अन प्रांत स्तर तक का पोवार बहिन भाई की सहमति जरूरी से। 

जय राजा भोज जय भारत माता। 

🙏🙏🙏🙏🙏


9

समृद्धी


मानवी बिचार का

विवेक अविवेकी बंड

पर जगे पायजे जसो

दूध पासून श्रीखंड


शेषराव येळेकर

१६/१०/२२


10.

🚩 क्षत्रिय धरम् 🚩


धरम की रक्षा, साजरो करम ।।

यव करनो से, क्षत्रिय धरम् .......


आपरो देश की, रक्षा का सत्कर्म।।

यव से हमारो, क्षत्रिय धरम्..........


प्रकृति का भला, सबको करम्।।

मानवता मा से, क्षत्रिय धरम्......


अधर्म का नाश, यव से हुकम्।।

सत् का रक्षण, क्षत्रिय धरम्......


सप् परा दया, सबला पिरम् ।।

यव से हमारो, क्षत्रिय धरम्......


आय जासे ज़ब, पाप का चरम।।

अंत अन्याय को, क्षत्रिय धरम्.....


अनीति का अंत, भाव मा नरम ।।

क्षति लक़ रक्षा, क्षत्रिय धरम् .......


धरम का भाव, समझो मरम् ।।

त्याग अना सेवा ,क्षत्रिय धरम्......


✍🏻ऋषि बिसेन, बालाघाट

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11

मनमाने पानी 

झुन्झुरका दिवस निकलन को पहले बिचार करयव की जरा खेत लका चक्कर लगायके आवु सु ! देखय त झिमुर झिमुर पानी आय रही से ! बटा येन साल त दसरा भयोव , दिवारी आयी , तब बी पानी काई बंद होनको नाम नही लेय रही से ! खेत को धान धनसी देखके डोरा मा पानी आवसे ! सपा मेहनत अकातर गयी ! समझ नही आव असो लक आदमी का रे ! भगवान त कोप च गयी से असो लगसे ! असो कोनतो पाप कर लेइस आदमी न , समझ नही आव् ! डूब्यव धान देखके मन झलाय गयव होतो !  असी दुनिया भर की बडबड करता करता एक हाथ मा छतरी लेयकर पान्धन लक जात होतो ! वोतरो मा असो लग्यव कोणी खेत मा से ! इतन उतन देख्यो त एक जन चोह्यव ! कपड़ा , लिबास से काई अलग च होतो ! असो लग्यव जसो   महाभारत रामायण टीवी सीरियल वालो कोणी आय गयी से !  आम आदमीवानी नोहोतो ! जरा अलग च लग्यव ! बांधी को कोंटा मा बहुतसा झाड़ सेत उतन रीठ परा उभो होतो ! पहले त धास्ती भरी मन मा ! पर खबर त लेनो जरूरी होतो की आखिर यहान का कर रही से ! मी गयव उतन अना कह्यव् , “ भाऊ रामराम जी” का करसेव त उतन रीठ परा झाड़ झुडुप मा ! पहचान्यव नही तुमला , कबी मुलाकात नही भयी ! वोन जवाब देइस इतन पानी देखन आयौ होतो की झाड़इनला बराबर पानी की मात्रा मिल रही से की कम होय रही से !” या बात सुनके मोरो त दिमाग खराब भय गयौ की एक त मनमाने पानी आय रही से अना यव कम त नही होय रही से असो कसे ! मी कह्यौ , - कसी भलती बात करसेव , यहान  किसान मर रही से , सपा फसल बर्बाद होय रही से अना पानी कम होन की बात करसेव !  लिख पढ़ लेयात पर किसानी की समझ नहाय भाऊ तुमला असो लगसे !” वोन कईस की भाऊ,  मी त आपरो काम कर रही  सेव,  तुमिन आपलो काम करयात , आब मोला करनो पड रही से ! तुमि जहान वहान बोर वेल खोद्यात, जमीन को पानी मुरायात  , तरा बोळी मिटायात, बच्या कुच्या झाड सपा काट डाक्यात ! तब बिचार नही आयव ! आब झाडइनला जमीन को अन्दर पानी नहाय ! त वू कौन देये ! मोला सब को बिचार करनो पडसे ! झाड़ , जनवर इनको सबको सोचनो पड़से ! बस एकलाच  नहाव तुमि मनुष्य लोग धरती परा ! बर्बादी सपा तुमि करयात त आब भुगतो ! मोला दोष नको देवो !  वोन बात १६ आना सही बात कहिस पर पानी की परेशानी लक  मोरो दिमाग बी खराब भयौ होतो ! मी कहयव , ओ भाऊ बात असी कर रह्या सेव जसो पानी देनेवालो भगवान तुमि च आव !* वोन कहिस ” गलत नही सोच रह्या सेव तुमि !  मी त वोकोकन देखत रह्य गयौव्  ! वोको आसपास  धीरे धीरे एतरो प्रकाश बढ गयौ की मोरो डोरामा लक आसू आवन लग्या ! मोरो जुबान लक बस एतरो निकलन लग्यो की -  भगवान आब माफी देय देवो ! मी बनावुन तरा बोळी जसो मोरो बाप दादाइनन बनायी होतिन ! मी झाड़ लगावून जसो मोरो दादा बाबा लगायके गया ! मी बोरवेल बंद कर देवू ! वोतरो मा बेबी की माय को जोरदार आवाज आयौ अना मी घबराय गयौ अना तडफडाके उठके मी कह्यो का भयोव ? डोरा कुसकारके देखुसू त बेबी की माय सामने डोरा बटारके उभी !  कवन लगी “उकुड झप मा बहुत जरा तराबोळी बनाय रह्या सेव  आजकल , अर्धो  रात लक  मोबाईल देखनो अना एतरो बेरालक सोवनला होना ! बाकी काई नही ! पहले खेत जाय  के त आव मंग बनाओ तरा बोळी ! बाथरूम को मंग को पानी को पाट बनायके होय नही अना  चल्या तराबोळी बनावनला !  अज त दुय बार दुनियाभरकी खरी खोटी सुनके मन सुन्न भय गयौव् होतो  ! 


महेन  पटले 😌

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12

 वहां को मी क्षत्रिय पोवार रे

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जहां बोव्हं से वैनगंगा की धार रे

वहां को मी क्षत्रिय पोवार रे -१-


सतपुड़ा को आंचल से मोरो मुलूक रे

आबू को अग्निकुंडसीन मोरो सुलूक रे

मोरो तलवारला से पैनी धार रे -२-


मोरा कुलदेव महामाया महाकाल रे

वाग्देवी की किरपा से मोरो पर बहाल रे

मालवाधीश से मोरो सरदार रे -३-


बिपदाइनमा झेली सेव मीनं हाल रे

इंधारोमा जरी सदा मोरी मशाल रे

तबं चमकी उज्जैनी 'ना धार रे -४-


मीच मुर्ती पिरेम वीरता की आग रे

पुरखाइनकी शाही शान मोरो भाग रे

जहां सत्य धर्म ज्ञान का बिचार रे -५-


मोरी शौर्य परंपरा सुनावं हरेक रे

मोरा भाव शुद्ध मोरा आदर्श नेक रे

जेको खाली ना जाये प्रहार रे -६-


देशहित की से मोरो हात मा मशाल रे

पारस गोटा को मोरो हात मा कमाल रे

मोरो कर्तिया से येको प्रमाण रे -७-

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डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे 'प्रहरी'

डोंगरगांव/ उलवे, नवी मुंबई

मो. ९८६९९९३९०७

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13

 || महांगाई डायन ||

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का सांगू भाऊ समजमा आव नही

माहांगाई डायन को भाव से काही ||टेक||


बायको  सांगसे   रोज नवराला

दिवाळी को पहिले करो घर धुसा 

मजूर नही मिलत घर कामला 

कष्ट को काम ला नही कसेत कसा

दिवाळी की खुशी कहा गुम भई ||१||


घर को कचरा करो पहिले दुर

बिन कामकी कबाडीला करो साफ

साफ सफाई मा घर दिसे सुंदर

घर देवता तुम्हला करेती माफ

घर दार की खुशी या लवटकर आयी ||२||


दिवाळी की से सबला शुभ कामना

आतिष बाजिका फोडो नही फटाका

हवा प्रदुर्षण बिन रहे भावना 

प्राण वायू बिन नही जीवन नौका

आपलो घर ठेवो रोजकी सफाई ||३||


पोवारी काव्य स्पर्धा

विषय: घर धूसा

दिनांक:१६:१०:२०२२

हेमंत पी पटले धामणगाव (आमगाव)

९२७२११६५०१

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14

 शॉपिंग


चटकमटक दिसं मोरं शेजार

शॉपिंग करनला चलो ना बजार


सबको घरं से प्रिज टिव्ही

आमरं घरमा काहीच नहीं

सामाईन लेनला देओ होकार

शॉपिंग......


शान सौकत को से जमाना

तुमला देखनो से कसो कमाना

बचत साठी निकले नयी सकार

शॉपिंग....


आमला से खुदको अभिमान

नोको कापन देव तुमरी जुबान

नही आयकन की से आता नकार

शॉपिंग....

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 दिवारी आय गयी जवर

शॉपिंग करनो से जरूरी

नही भयी से पगार पानी

पैसाकी से बहुत मारामारी.


अंधार मा की दिवारी

किसान साठी अंधारमा

फटाका की आतिशबाजी

दर्द होसे हिरदामा


शेषराव येळेकर

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15.

 आहट दिवारी की

(अष्टाक्षरी काव्य)


आयी आवाज कानमा

भुमसारो भूपारीकी |

भयी आहट मनमा

सुखमय दिवारीकी ||1||


लिपापोती करस्यानी

करो घरकी सफाई |

लेवो नवीन कपड़ा

करो दिवारीकी घाई ||2||


नोको करो मोलभाव 

लेवो मातीकी टवरी |

दुवा देयके कुंभार

करे दिवारी साजरी ||3||


आनो किराणा भरके

करो नास्ताकी तयारी |

खुशी मनावन देखो

आय रहीसे दिवारी ||4||


सुट्टी लगी इस्कुलला

चलो गावला जाबीन |

आयी दिवारी खुशीलं

मस्त पक्वान खाबीन ||5||


भय गयी कोजागिरी

पुढ़ं दिवारीको सन |

आवो बड़ेगांव मोरो

सब मंडई देखन ||6||


Er Govardhan Bisen 'Gokul'

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16.

 🌷आहट दिवारी की🌷

  (अष्टाक्षरी काव्य)


आयी आवाज कानमा

भुमसारो भूपारीकी |

भयी आहट मनमा

सुखमय दिवारीकी ||1||


लिपापोती करस्यानी

करो घरकी सफाई |

लेवो नवीन कपड़ा

करो दिवारीकी घाई ||2||


नोको करो मोलभाव 

लेवो मातीकी टवरी |

दुवा देयके कुंभार

करे दिवारी साजरी ||3||


आनो किराणा भरके

करो नास्ताकी तयारी |

खुशी मनावन देखो

आय रहीसे दिवारी ||4||


सुट्टी लगी इस्कुलला

चलो गावला जाबीन |

आयी दिवारी खुशीलं

मस्त पक्वान खाबीन ||5||


भय गयी कोजागिरी

पुढ़ं दिवारीको सन |

आवो बड़ेगांव मोरो

सब मंडई देखन ||6||


© इंजी गोवर्धन बिसेन 'गोकुल'


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17.

 🐵बंदरा को बिह्या (पोवारी बाल कविता)🐵

(विधा - चौपई छंद)

मात्राभार - १५, अंत्य - गुरू,लघु


मंगल धुन आयी आवाज ।

भालू बजावसे पखवाज ।।

मिठ्ठू बी शहनाई बाज ।

जंगल मा बिह्या से आज ।।१।।


आयी बंदरा की बरात ।

बंदरीन संग फेरा सात ।।

मांडोमाच शिजं से भात ।

सबला भेटी से सौगात ।।२।।


हत्ती घोड़ा खुब उस्ताद ।

चमचलक खासेती सलाद ।।

बाघ शेर बी दुय अपवाद ।

भात को लेसेती सवाद ।।३।।


कोल्या कुत्राला अधिकांस ।

मन मा होतो भेटे मांस ।।

रातभर करीन मस्त डांस ।

मिलेव नही तरी बी चांस ।।४।।


बंदरीन बी करं धमाल ।

पेहरके वा लुगड़ा लाल ।।

मारत बंदरा बी उछाल ।

मावत नोतो उनको ताल ।।५।।


© इंजी. गोवर्धन बिसेन "गोकुल" 

    गोंदिया (महाराष्ट्र), मो. ९४२२८३२९४१

    दि. १६ अक्टुबर २०२२.

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18

सही पहिचान 

 यव लगत दुःखद होतो की आपरी सही पहिचान अना संस्कृति को रक्षण को सुबिचार का विरोध करनो को चक्कर मा आपरी अपनी पहिचान ला मिटावन लग गयीन। विनाश काल मा बुद्धि को बी नाश होय जासे, असो दिस रही से। जिनमा आपरो समाज लाई आदर अना पिरम नहाय, उनको जवर हिरदय नहाय या यव कहव्यों जाय सिक से की वय सुवारथ अना जरन् को भाव मा येतरो बूढाय गयी सेत की आपरी अस्मिता ला आपरो हाथ लक मुराय रही सेत्। लेखक को मन मा यव भाव को दर्शन होय रही से। उनको विचार ला प्रचान करनो अना संग होनो दुही अनुचित आय। असत्य अना अधर्म को साथ सोड़कर धर्म अना सत्य को मार्ग पर चलन को अवसर जीवन पर्यन्त रवहसे परा असत्य को लम्बो संग, आखिर मा येतरो शक्ति हीन कर देहे की व्यक्ति चाहकन बी फिर नही हिट सिक।

ईश्वर सबला सद्बुद्धि दे, असी प्रार्थना आय 🙏🙏🙏

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19.

पोवारी चिंतन

नेतृत्व एक शैली आय, एक कला आय ।

नेतृत्वकोलायी भाषा, ज्ञान , वक्तृत्व  आदि पर जबरदस्त पकड़ जरूरी से । 

आमला जबअ कोनतो बी लक्ष्य प्राप्त करनो से त अच्छी जानकारी, पक्की विचारधारा, लोगइनकी  मनःस्थिति  समझन की क्षमता विकसित करनो पड़े । 

अच्छो कार्यलायी अच्छो नेतृत्व की आवश्यकता रव्ह से । जो आमला खुद मा विकसित करनो आवश्यक से । 

जीवन मात्र पेट व प्रजनन लायी नाहाय। बल्कि संसार लायी काइ अच्छो करन लायी से । 

अगर आमी काइ खास  कर पाया त,  जीवन सफल भयौ समझो । जबकि यव आसान नहाय ।  

एक तरफ दिमाग हर कार्य मा  आपरो स्वार्थ ढूंढ से । त

 दूसरो तरफ , मन मा भीतर बस्या आदर्श , मन को  कोंटा मा  छुप्यव देवत्व , मन मा बसी महत्वाकांक्षा आमला वोन आंग खींचकर लेय जासे , जहान वोकि पूर्ति होसे । 

मन को भीतर को घमासान द्वंद मा भयी खींचतान मा वुच जीतसे  जो शक्ति शाली रव्हसे, जेको पलड़ा भारी रव्हसे । 

मन ला जरूरी शक्ति प्राप्त होसे , बचपनालक मिल्या संस्कारको द्वारा , ध्यानको द्वारा,आत्मिक उन्नतिको द्वारा , अध्ययनको द्वारा , चिंतन को द्वारा । 

आमला असो कार्य जरूर करनला होना जो काइ खास रहे। जो दुनिया की जरूरत से। 

आमला असो भलो कार्य करनला होना जिनको उल्लेख मंग होये। जिनलक दूसरोइनला प्रेरणा मिले । 

निश्चित तौर परा सबला एक दिन अदृश्य होनो से ,  पर असी छबि बनायके जानला होना, असो कार्य करके जानला होना , असो आदर्श स्थापित करके जानला होना , जेको कारण भविष्य मा आमरी नवी पीढ़ी मार्गदर्शित होत् रहे, प्रेरित होत् रहे । 

😌महेन पटले

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20.

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झुकनो भी नाहाय अना रुकनो भी नाहाय

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मोरो सजातीय पोवार समाजबंधु इनला हिरदीलाल ठाकरे को सहृदय सादर प्रणाम जय राजा भोज , आमरो पोवार समाजमा भी काही काही खबराकारी षड़यंत्रकारी मिश्रित खबराकरन व अहंकारी प्रवृतीका लोक् सेती ,  उदाहरण साती हम करे सो कायदा और हमने बनाया वो रिवाज , मोरो मुर्गीला एकच टांग , मी नकटा त तु भी नकटा असो मानसिकता वाला समाजगुरु इनको येन् उद्देश्यला नाकाम करन साती व समाजमा एतिहासिक परिवर्तन की शक्त गरज से , अना येव एतिहासिक परिवर्तन आनन् साती आपलोला समाज कल्याण जनकल्याण व राष्ट्र कल्याण करनोमा स्वच्छत अना समृद्धता व पारदर्शिता तसोच लोकप्रियता की गरज से , समाज कल्याण जनकल्याण व राष्ट्र कल्याण करनेवाला समाजसेवक ये जनताका व समाजका सच्चा सेवक आत या भावना समाजको समस्त जनमानसमा निर्माण करन की गरज से अना येव होयेच पायजे ,,,!!

         आपलो धन-संपत्तिको व समाजमा सर्वोच्च पद को गैरवापर करके व समाजद्वारा देयी गयी सर्वोच्च जवाबदारी को गैरवापर करके समाज संगमा विश्वासघात करके समाजकी संस्कृति संस्कार व पौराणिक ओळख नष्ट-भ्रष्ट करके समाजको मातृत्वला व स्वाभिमानला ठेस पहुंचे असो पाखंड करनो व पुरातनकाल पासून चलत आयेव गौरवशाली इतिहास लक समाजला गुमराह करनो , आपलो समाजपर अन्य समाजको अतिक्रमणला बढ़ावा देनो असो अनेकानेक प्रकारका भ्रमित षड़यंत्रला नाकाम करन साती समाजका तमाम सुशिक्षित संस्कारवान प्रयत्नवादी कर्तृत्वनिष्ठ ब्रम्हनिष्ठ निष्ठावान युवा पीढ़ीला सामने आयकर समाजपर होय रही से अन्याय को विरुद्ध लिखन की गरज से , उनको विरुद्ध बोलन की गरज से , जब् आपलीच तलवार आपलोच समाजबंधु पर चलावन को षड़यंत्र होसे तब् येव आमला बर्दाश्त नहीं अना समाजमा मिश्रित षड़यंत्रकारी ( मी नकटा त जग नकटा ) इनकी मनमानी चलन देनो नाहाय येकी आमला सबला दक्षतापूर्वक काळजी लेनकी गरज से ,,,!!

         थोर क्रांतिकारी देशभक्तसहित अनेक थोर माहापुरुष इनला आपलो देशला स्वातंत्र्य करन साती आपलो बलीदान देनो पडेव , इनकोच साकारात्मक एतिहासिक परिवर्तन विचारधारा की मशाल आमला सबला आपलो अंतरात्मामा पेटावन की गरज से , समाजमा एकाधिकार शाही व दबावशाही तसोच लापरवाही( हम करे सो कायदा ) असो मानसिकता वाला समाजगुरु इनको द्वारा लगायेव गयेव असत्यरुपी गवत काटन साती आमला सत्यरुपी इरा हातमा धरन की गरज से , समाजमा समाजोत्थान साती एक समाज एक बिचार या ज्ञानगंगा बोहावन की गरज से , संयमरुपी घड़ी देखकर टाइम को भान ठेवन की भी गरज से , एकमेकला हात मा हात धरके निस्वार्थ साथ देनकी गरज से , या लड़ाई एकटोदुकटो की नोहोय या लड़ाई समस्त समाजबंधु इनकी समस्त समाज की आय , लोकशाही या सब लोक् इन साती होसे मुनस्यारी सब लोक् इनला एकत्र आवन की गरज से ,,,,!!

           आता आमला सबला समाज एतिहासिक परिवर्तन को मार्गपर न थांबता , न डगमगावता आपलोला निरंतर चलत रव्हनो से , खालखोदर उतार चढ़ाव आयेती , कही कही धोका दायक प्रसंग भी आयेती , तपण बरसात बादरमा गर्जना भी होयेती व कळकळ बिजली भी चमकेत असा अनेक प्रकार लक अळथळा भी निर्माण होयेत तरी प्रामाणिकता आध्यात्मिकता सहनशीलता व शिष्तपालन लक एतिहासिक परिवर्तन की मशाल पेटावत पेटावत अंधारो रस्ताला प्रकाशित करत करत आमला सबला एकसाथ मिलाकर चलनो से , खबराकारी षड़यंत्रकारी इनको सामने आमला कभी झुकनो नाहाय काही भी भयेव कसो भी भयेव तरी आमला बिल्कुल भी रुकनो नाहाय येव दृढ़संकल्प पर आपलोला अमलबजावणी करनो से , झुकेंगे नही और रुकेंगे भी नहीं येवच आपलो मुलमंत्र होये पायजे , आपलो पोवार समाज को पुरातनकाल पासून चलत आयेव गौरवशाली इतिहास व आपलो पुर्वज इनकी एतिहासिक विरासत तसोच आपलो पोवारी मायबोली को संरक्षण व संवर्धन करके आपली पोवारी संस्कृति संस्कार बचावनो आमरो सबकी नैतिक जिम्मेदारी व जन्मसिद्ध अधिकार भी , जय राजा भोज जय माहामाया गढ़कालिका सबको कल्याण करें,,,!

                                                                    लेखक

श्री हिरदीलाल नेतरामजी ठाकरे नागपुर

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21

विषय:- घरधुसा


कवेलू को घर,मातीकी चूल

कसो मोला देयात करकन भूल


सायंकार टोपलाभर मेरवण

रोज शेण माती को सारवण

आगंण मा उडसे पांढरी धूल

कसो मोला देयात करकन भूल


स्वयंपाक घरमा कारो धूसा

बिचार आवसे काम करू कसा

बिचार न करता, देख्यात कूल

कसो मोला देयात करकन भूल


मी शिकी पडी भयी अराणी

नही जगता आवं बनकन राणी

मोला खेडा नहाय अनुकूल

कसो मोला देयात करकन भूल


आमरो शहरमा मोठो थाट

गॅस चूल्हा अना थाट माट

यहान त् से पूरी बत्ती गूल

कसो मोला देयात करकन भूल


शेषराव येळेकर

दि.१८/१०/२२

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22

 घरधुसा


दिवारी का दिवस

पोतन को से घर

घरमा  उकीरका

बुजावो दर


चूल्हो पर स्वयंपाक

धुवा बसेव भितपर

धुवा धूल लका

कारो कारो दिस् घर


खरी अना चुना

सरावणकी से भीत

दिवारीला पोतनकी

पुरानी से रीत


सफा करकन धुसा

घर लगेव चमकन

रामराज्य आयोव

प्रफुल्लित भयोव मन


शेषराव येळेकर

दि १८/१०/२२

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23

 घरधुसा


धुवा अना धुललका

भीत पर चढसे धुसा

जेको घर गॅस चूल्हा

वू समजे धूसा कसा


घरधुसा गुणकारी

आयुर्वेदिक औषध

आंगपर उमटेव उत

लगावता करसे बाद


घर को चूल्हा से

एक सिद्ध हवन कुंड

अनेक प्रकार का जलसेत 

गुणी काडीका झुंड


असंख्य विषाणू ला

धुसा करसे खतम

चूल्हा पर को रोटीमा

बहुत रवसे दम


घरधुसा गयोपर

लगसे अवदशा गयी

चकाकतो घरमा

सुख शांती आयी


पण यन सुख शांती मंग

घरधुसा का उपकार

प्रकृती सबला देसे

या बात करो स्विकार


शेषराव येळेकर

१८/१०/२२

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24

जत्रा


दुय दिल मिलकन

लिखी गई एक कहाणी

नुसती नजरानजर

नवता कोणी राजा राणी


सकार की कॉलेज

रोज की एक वहिवाट

जवानी की माया

सुगंधीत होती पहाट


आकर्षण का फूल

सबकोच हातमा

सपन भी दिवसा

आवत होता सातमा


बार बार फिरत होती

इतन उतन मुंडी

डोरा थकत नवता

फूल का ढोला खंडो खंडी


नजर ला नजर भिडं

गालमा उठत होती हसी

ओठमा शब्द नवता

पर दिलमा होती खुषी


हवा होती बडबडी

तोंड मा शब्द ऐकच

कोणतो कसो माल

मूडमूडकन देखच


अभ्यास की साधना

मन बैरागी सारखो

फूल को बगीचा मा

सुगंध पोरखो


अंधाधुंद बारिश

होती खरी सखी

संध्या को समय

रात होती सुखी


सपन को मेला

वहान बहुत सारा झूला

हर प्रकार स्टाईल की

खुलत होती कला


सब मोलाच पायजे

ध्येय जागृत होता मनमा

आकाश ऐवढी उर्जा

संचारत होती आंगमा


सडसडतो खूण

हळवी होती भावना

बहारेव झाड

वहा उमली वासना


सखा सखी प्रेम

असी फिरती भोवरी

लखलखीत सोना का

बहुत सारा जोहरी


बागवान को बगीचा मा

हर किसम का फूल

बजार मा आयकन

मांडीन आपली चूल


भुलभलया भोवरा

आमने-सामने मंडराता

नवती कोणती भीती

समय को होतो रायता


डोंगर ला टकरावनकी

ताकत होती मनमा

सबच मार्ग आपला

असो ध्यास होतो जीवनमा


कर्म अना धर्म

यकी नवती जान

हर आसू ला

देत होतो दान


भवंडर भरेव जीवन

सतरंगी चाल

हर मुसीबतकी

हात मा लहराती ढाल


आकर्षण को अंबर

स्वेच्छा की बारिश

कालचक्र का उभरता

महारथी वारिश


जितन उतन फूल

खाल्या होतो वाळवंट

हवा संग बोलतो

एक निरंतर कंठ


बेभान मनकी

तुफानी होती जत्रा

हर नव युवक

स्वेच्छा लक करसे यात्रा


तुफान मा ध्यानस्त

योव तुफानी जीव

इच्छा भरी गंगाला

धारन करसे शीव


शेषराव वासुदेव येळेकर

दि.१९/१०/२२

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23

 मि पोवार की बेटी🙏


मि पोवार की बेटी आव मोला से अभिमान क्षत्रीय कुल मा जन्म भयो मोरो स्वाभिमान,


तन मा पोवारी मन मा पोवारी रग रग मा से पोवारी,

खुन को हर एक कतरा मा से रची बसी पोवारी,

कोनी हासत करत ठिठोली येको नही मोला भान,

मोरो करम से परम ध्रम से माय बोली को स्वाभिमान,

मि पोवार की बेटी आव मोला से अभिमान,


कसी मिटे अना कसी मिटाय जाहे हमरी माय बोली ,

फिकर लगी से मन मा मोरो त जगी सेव सब संग मा जगावन माय बोली की टोली,

मिटन न देबी मिटायो लक यो हमरो सबको से अभियान,

मि पोवार की बेटी आव मोला से अभिमान,


सजग रहो सब होय जाहो सचेत युग  बदलन वालो से,

सत्य धर्म को ध्वज पताका अता फैरन वालो से,

झुठ कपट को मिट जाहे अता जग मा नामोनिशान,

मि पोवार की बेटी सेव मोला से अभिमान,

क्षत्रीय कुल मा जन्म भयो यो मोरो स्वाभिमान,।।


विद्या बिसेन

बालाघाट🙏

************


24.

 मायबोली पोवारी 

~~~~


बोलीभाषा पोवारीला बचावन

घर,गाव,शहर करो प्रचार

टीके भाषा अन संस्कृती आमरी 

बनबीन भविष्य का शिलेदार.


पोवारी आय मायबोली मधुर

वार्तालाप बनावसे सुमधुर

साहित्य भी प्रभावी बन रहीसे

आगाज भयी से आता दमदार.


पोवारी भाषामा झलकसे मस्त

संस्कृती रिती रिवाज को शृंगार

संस्कृत को अपभ्रंश मखमली

सुंदर मनमोहक शब्दभंडार.


सब साहित्यिक चढावो भाषाला

कविता,लेख, साहित्य को साज

प्रभावी साहित्य को निर्मितीलका

करे बोली आमरी पोवारी राज.

====================

उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरीत)

रामाटोला गोंदिया (श्रीक्षेत्र देहू पुणे)

भ.क्र-९६७३९६५३११

**********************


25

 दिवारी. (तर्ज - तेरे मेरे ओठोपे)

              ***"""

आयी आयी दिवारीsss,मनमा खुशी भारी

घरकी करो सफाई sssमिलकर नरनारी/ध्रु/


त्रेता युग मा रावनलाss रामजी न मारीन

राम आयेब अयोध्या ssसत्कार करीन

खुशी भयी जनताला ssमनाईन दीवारी/१/


घर करो घरधुसा ssपोताई ना सफाई

घर सामने सळा ssकपळालत्ताकी धुलाई

सार घरका बर्तनss दरवाजाखिडकी सारी/२/


पयलो दिवस धनतेरसssधन्वंतरी की पूजा

धनिया क पानीमाssआंग धोवनकी मजा

दिवा लगाओ घरभरssआंगण गलीवरी /३/


दुसरो दिवस चतुर्दशीssमारे गयेव नरकासुर

नमन ओन गा देवलाssवंदन करू बारंबार 

दैत्य दहन करिस ssमहिमा ओकि न्यारी/४/


तिसरो दिवस लक्ष्मीपूजाss मनोमन पूजन

सुखसमृध्दीकी दात्रीssलक्ष्मीमाताला नमन

कोणी फोळो फटाकाssउळाओ फुरफुरी/५/


चवथो दिवस प्रतिपदाssबळीराजा पुजन

जनाओ डोकरी ला ssघरभर चौकचांदन

सुत्रीबंब,घरघुसीssफुट फटाकाकी लळी/६/


आयैव पाचवो दिवसssभाऊबिजको त्योहार

बहीण ओवाळ भाईलाssमनमा खुशी फार

मंग मंडई,डरामाssनाटक, की मारामारी/७/


हासीखुशी की दिवारीssसबांग खुशीखुशी

दिवोकी भरमारssफटाकाकी धळकी कसी

रहो संभलकर जराssनोको नजर धुळभरी/८/

   ***

डी.पी.राहांगडाले

  गोंदिया

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26

साफ सफाई

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दिवारी क् पहले घरकी

क-यो जासे साफसफाई, 

साफसफाईमा निकलसे

कचरा ना धुसाकी मलाई. 


झाडू धरकर झाडे जासे

घर को हर भाग - हिस्सा, 

सफाई का बी कभी कभी

बन जासेती मजेदार किस्सा. 


आजीमाय क् खोली मा

मिलसेती सिक्का पुराना, 

दादाजी क् आलमारीमा

पुरान् डायरीका पाना. 


डायरीक् पानावर मिलसे

सबकी जन्मतारीख लिखी, 

काही पानापर मिल जासे

पुरान् जमाखर्च की लेखी. 


कभी मिल जासेत पुरानी

कहानी किताब, उपन्यास, 

जीनला बाचकर बुझसे

आपली बाचनकी प्यास. 


साथमा निकलसे दुय चार

ओळगा भरकर घरधुसा, 

जेक निकलेवल् साफ सुथरो

होसे घर, जासे अवदसा. 


                          - चिरंजीव बिसेन

                                       गोंदिया

                     **************


27.

आयी दिपावली,पूरी करो आस मोरी

गराभर सोना,साडी पायजे नवी कोरी


उत्साह को सण,जितन उतन चमकधमक

असी करो खरीददारी आयी पायजे रौवनक

दिवारी से चार दिवस,खाली करो झोरी

गराभर सोना,साडी पायजे नवी कोरी


बुडा बुडी भया जुना,मोला पायजे सोना

पूरो घर सजे खूप,बुडा बुडी साठी कोना

चिंता नहाय जमानोकी,मोरो साठी करो चोरी

गराभर सोना, साडी पायजे नवी कोरी



हावूस से लहानशी,पूरो करो तुमी खास

आमी दूय राजा राणी,पूरी भयी पायजे आस

सजनो नटनो मस्त रवनो इच्छा से मोरी

गराभर सोना, साडी पायजे नवी कोरी


शेषराव येळेकर

दि.१९/१०/२२

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28. 

त्योहार


आया त्योहार सुनेहरा

खुशियों को समेटकर

सब मिलेंगे हम

सभी गमों को भूलकर


छोडो रुसवा शिकवा

छोटी मोटी बातें

भुलो वो गमो की 

दुःख की दर्द भरी रातें


आओ हम मिलकर

एक दुजे का थामे हाथ

हट जायेंगे काले बादल 

जब हो हम एक साथ


त्योहार है दिपावली

रौशनाइ से जगमगाते 

हम प्रेम सत्य, शांति

यही विश्व को दिखलाते


शेषराव येळेकर

********


29

सिरोली 

देखो देखो भाऊ नहान सी सिरोली कसी ,

आगे बडी़ देखता देखता पहाड, पर चघी,


नहाय वोको सुर धागा नहाय काही जोर 

होती कमजोर  कसी सनान भगी,

नहान सी सिरोली कसी पहाड़ चघी,


कवत बोलता सब वोला नहानी

सुनत नोहोती वा कोनी की बानी,

करत होती अपरी मनमानी,

देखता देखता सनान भगी,

नहान सी सिरोली कसी पहाड चघी,


अपरी च धुन मा मगन लगी सबको साथ साथ  आगे चघी,

देख चकाचौध वोकी सबकी अकल ठगी,

देखता देखता सनान भगी

नहान सी सिरोली कसी पहाड़ चघी,


सुनत नोहोती कोनी की बुराई

कान मा कपसा धरके चघी,

अपरी धुन मा सनान भगी,

नहान सी सिरोली कसी पहाड़ चघी,।।

🙏

विद्या बिसेन

बालाघाट🙏

***************


30.

 समाजका ऋण 

**********

खुद को वजूद आदमीला

खुदच निर्माण करनोसे|

नाव,प्रतिष्ठा, प्रसस्तीपत्र

ओला समाजनच देनोसे||

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उमेंद्र युवराज बिसेन (प्रेरीत) 

गोंदिया (श्रीक्षेत्र देहू पुणे)

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31.

 वर्दी


मोरो मनला

मोरोच सांत्वन

अमावस्या सारखो

लंगडो जीवन


खुद्दारी दूर लिजासे

दुसरो पासून

मोरो सुख रुसी से

मोरो पासून


जवळका बैमान

दुरका इमानदार

साथ नही देत

मोला मोरा बिचार


दुय किनारा

बिचमा समुद्र

मन मा चल रहीसे

भलताच उपद्रव


जीवन भर साडेसाती

भलती दलीद्री

संभ्रम अवस्थाकी

आंगपर वर्दी

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32

महासंघ : एक नवो सूर्योदय

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छत्तीस कुल को होतो सैनिक संघ l

परस्पर रिश्तेदारी मा बंध गयेव l

समान भाषा ना संस्कृति को कारण,

जाति की संकल्पना मा बदल गयेव ll


धारण करीस एक नवी पहचान l

पोवार नाव ल् जग मा विख्यात भयेव l

सोड़के मालवा मा आपलो वतन,

वैनगंगा अंचल को निवासी बन गयेव ll


बीसवीं सदी मा लग गयेव ग्रहण l

पोवारों की पहचान पर अंधारो छायेव l

इक्कीसवीं सदी मा पहचान बचावन,

महासंघको रुपमा नवो सूर्योदय भयेवll


इतिहासकार प्राचार्य ओ सी पटले

प्रणेता:-पोवारी भाषाविश्व नवी क्रांति अभियान, भारतवर्ष.

शुक्र.२१/१०/२०२२.

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33

 मी जसी आव वसी च रहु सखी🙏


मी जसी आव वसी च सेव सखी नही आव मोला कोनी की देखा सिखी,

मन मोरो पोवारी मा लगयो

माय बोली बचावन को चस्का लगयो,

समाज सेवा साती मोरी लगन जगी

मी जसी आव वसी च सेव सखी नही आव मोला कोनी की  देखा सिखी,

 

समाज मा मान मीलयो त सुखी वानी लगयो,

धन दौलत काही मोला नही येको मघ  जचयो,

मी जसी आव वसी च आव सखी नही आव मोला कोनी की देखा सिखी,


बचपन लक आस होती समाज सेवा  ले जुड़न की  सोचत होती मनसा मोरी कब होहे पुरी,

मी जसी आव वसी च सेव सखी नही आव मोला कोनी की देखा सिखी,


नही मोठो घर की बेटी नही बहु मोठो घर की मोरी कहानी सखी बडी अलबेली,

समझ मा नही आयी मोरो च जीवन की पहेली,

मी जसी आव वसी च सेव सखी नही आव मोला कोनी की देखा सिखी,


पोवार समाज को कर्ज से मोरो पर 

फर्ज निभाहु अता कोनी नोको रोको चाहे टोको,

समाज सेवा की राह  बडी कठीन अलबेली बुझ नही सकयो कोनी येकी पहेली,

मी जसी आव वसी च सेव सखी नही आव मोला देखा सिखी।।


विद्या बिसेन

बालाघाट🙏

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34

 पोवारी की धुरकरी

सरस्वती की विणा बनी

गायक, साहित्यिक

असी विद्याबाई गुणी


समाज बंधु प्रेम

झलकसे हर शब्द मा

पोवारी को प्रसारसाठी

उतरी सेती युद्ध मा


समाज को विकास

रही से उनको ध्यास

समाज अंधश्रद्धा को

तोडण निकल्या भास


मनभरकन बधाई

सफल होये तुमरो काम

असंख्य शुभेच्छा सेती

उजरे पोवारी नाम


बडी बाई विद्याबाई बिसेन ला महिला अध्यक्ष पद नियुक्ती साती बहुत बहुत बधाई💐💐💐


शुभेच्छूक 

शेषराव अना अठरा गाव पोवार

 समाज संघटना सिंदीपार शाखा


जय राजा भोज👏





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