वैनगंगा क्षेत्र के क्षत्रिय पँवार(पोवार)

 


वैनगंगा क्षेत्र के क्षत्रिय पँवार(पोवार)

मालवा राजपुताना से आये ३६ क्षत्रिय कुलों का संगठन पँवार(पोवार) अपनी वीरता और अपनी उन्नत कृषि कार्यों के लिए जाने जाते है। ये क्षत्रिय मालवा के प्रमार वंश को अपना पूर्वज मानते है और धार पंवारों की कुलदेवी माँ गढ़कालिका को अपनी कुलदेवी मानकर उनकी अराधना करते हैं। राजा भोजदेव, राजा मुंज,  राजा जगदेव पँवार की वीरता, शौर्य और ज्ञान की प्रतिछाया आज भी इन क्षत्रियों में दिखाई देती हैं। मराठा काल में इन क्षत्रियों ने उनके साथ सैन्य भागीदारी की और नगरधन, आम्बागढ़, रामपायली, सानगढ़ी, लांजी आदि किलों से मराठाओं का सहयोग कर कटक और पूर्व के अन्य सैन्य अभियानों के समय कई युद्ध में विजय प्राप्त की। इन्ही विजय के परिणामस्वरूप उन्हें पवित्र वैनगंगा नदी के उपजाऊ क्षेत्र प्राप्त हुए जिसमें आज के बालाघाट,गोंदिया,भंडारा और सिवनी ज़िले शामिल हैं। ३६ कुलों में से अधिकांश कुल इन क्षेत्रों में स्थायी रूप से बस गए और कृषि को उन्नत तरीकों से करके इन क्षेत्रों को धन धान्य से परिपूर्ण कर दिया। आज भी ये पोवार भाई अपनी विशिष्ट पोवारी बोली और संस्कृति को सहेजकर आधुनिकता के साथ सामंजस्य कर हर क्षेत्रों में तेजी से विकास कर रहे हैं। 

जय माँ गढ़कालिका

जय क्षत्रिय पँवार पोवार राजवंश

तथ्य संकलन : सरोज सिंह बिसेन

मोहगांव (खुर्द), तह किरनापुर, जिला -बालाघाट

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