हमारी पोवारी आस्था
हमारी पोवारी आस्था
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हमारे समुदाय में हम कुलदेवता को बहुत महत्व देते है ।
हम सात कुलदेव (सप्तर्षि) का पूजन करते है , नौ ग्रह पूजन भी करते है ।
समस्त देवताओं के प्रतिनिधिक रूप में हम चौरी को सदा अपने देवघर में बनाये रखते है ।
ब्रम्हांडीय शिव यानी जड़ तत्व व शक्ति यानी चेतन शक्ति को हम पूजते है ।
हम अग्नि को महत्व देते है ।
हम सूर्य को प्रतिदिन आचमन करते है । प्रकृति के प्रति हमारा आदरभाव है ।
हम पहले शाकाहारी थे यह हमारे पुरखे बता गए । हम आजभी किसी भी पूजा में हत्या नही करते। इस बदले व विपरीत समय मे जो लोग मांसाहारी बन गए , वो लोग आजभी जिन चूल्हों पर नैवेद्य बनता है उन चूल्हों पर कभी मांस नही पकाते ।
हमारे समुदाय में चूल्हे पूजन कर सदा पवित्र रखे जाते है ।
पूजन के दौरान हम अग्नि पर सदैव नैवेद्य अर्पित करते है ।
हम पितरों को पूजते है । यह मातृपितृ पूर्वज पूजन हम श्राध्द आदि के द्वारा पूर्ण करते है । यह परंपरा दरअसल मन मे अपने पूर्वज व बुजुर्गों के प्रति सन्मान श्रध्दा का निर्माण करने वाले संस्कार है ।
हम वास्तव में प्राचीन भारतीय परम्परा के पालनकर्ता है ।
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पोवारी संस्कार चिंतन
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