नेतृत्वलक आस

 नेतृत्वलक आस

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नेतृत्व करनो से त श्रेष्ठ बनकर करो । नेतृत्व करनो से त् असो काइ करो कि समाज को नाम होये, असो नेतृत्व करो कि समाजकी गरिमा बढ़े । दीन हीन बनकर नेतृत्व करके समाज ला गर्त मा धकेलन को काम नको करो । समाज की पहचान बीघाड़नको सामाजिक काम करनो यानी नेतृत्व नही बल्कि अतिस्वार्थ की निशानी आय ।


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