पयचान या पोवार की
दिनांक: २२.०७.२०२२
पयचान या पोवार की
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कर्मपथपरा रूकं नहीं पयचान या पोवार की
मर जाये पर झुकं नहीं पयचान या पोवार की ||धृ||
अकड़ जसी हिमालय की सव्वाशेर की दहाड़ से
तीरला चकनाचूर करे ऊर फौलादी पहाड़ से
वार कभी बी हुकं नहीं पयचान या पोवार की ||१||
आपरो जिदपरा जिये असो अलग एक ढंग से
भुजा वीर क्षत्रिय की रुतबा जेको दबंग से
धर्म निभावन चुकं नहीं पयचान या पोवार की ||२||
मुखपर तेज डोरा अंगारा आंग आंगमा चपल अदा
बेईमानला धूल चटाये हरेक हुन्नरी सफल सदा
आगला कोनी फुकं नहीं पयचान या पोवार की ||३||
अगर अड़ावो प्रलयंकारी स्वभाव नदी की धार को
सुरजवानी तेज प्रतापी चमके प्रभाव पोवार को
दुश्मन आगे टिकं नहीं पयचान या पोवार की ||४||
काटा गोटा तपती रेती चाहे किचड़ को रस्ता हो
सबला कुचलत आगे जाये असो पोवार को दस्ता हो
मंघं पलटकर ढुकं नहीं पयचान या पोवार की ||५||
वर्तमानमा जगनेवालो बन जासे स्वर्णिम इतिहास
क्षत्रिय धर्म को गुरूर जेला संस्कारित संस्कृती श्वास
गरम खून जो सुकं नहीं पयचान या पोवार की ||६||
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डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे 'प्रहरी'
डोंगरगाव/ उलवे, नवी मुंबई
मो. ९८६९९९३९०७
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