पयचान या पोवार की

 

दिनांक: २२.०७.२०२२

पयचान या पोवार की

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कर्मपथपरा रूकं नहीं पयचान या पोवार की

मर जाये पर झुकं नहीं पयचान या पोवार की ||धृ||

 

अकड़ जसी हिमालय की सव्वाशेर की दहाड़ से

तीरला चकनाचूर करे ऊर फौलादी पहाड़ से

वार कभी बी हुकं नहीं पयचान या पोवार की ||||

 

आपरो जिदपरा जिये असो अलग एक ढंग से

भुजा वीर क्षत्रिय की रुतबा जेको दबंग से

धर्म निभावन चुकं नहीं पयचान या पोवार की ||||

 

मुखपर तेज डोरा अंगारा आंग आंगमा चपल अदा

बेईमानला धूल चटाये हरेक हुन्नरी सफल सदा

आगला कोनी फुकं नहीं पयचान या पोवार की ||||

 

अगर अड़ावो प्रलयंकारी स्वभाव नदी की धार को

सुरजवानी तेज प्रतापी चमके प्रभाव पोवार को

दुश्मन आगे टिकं नहीं पयचान या पोवार की ||||

 

काटा गोटा तपती रेती चाहे किचड़ को रस्ता हो

सबला कुचलत आगे जाये असो पोवार को दस्ता हो

मंघं पलटकर ढुकं नहीं पयचान या पोवार की ||||

 

वर्तमानमा जगनेवालो बन जासे स्वर्णिम इतिहास

क्षत्रिय धर्म को गुरूर जेला संस्कारित संस्कृती श्वास

गरम खून जो सुकं नहीं पयचान या पोवार की ||||

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डॉ. प्रल्हाद हरिणखेडे 'प्रहरी'

डोंगरगाव/ उलवे, नवी मुंबई

मो. ९८६९९९३९०७




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