भयो दुय भगवान मिलन

 


१.       भयो दुय भगवान मिलन

 

दुय देव को होसे मिलन!

भजन मा होयकन मगन।।

सबांग हरि-हर दर्शन:----

 

१)अचल-चलाचल सारो सृष्टि मा!

भूधरा सब ब्रम्हाण्ड मा।।

धरती मा विचलन कम्पन्न:-

सबांग हरि-हर दर्शन*-----दुय देव-

 

२) शंकर जी संग;बिष्णू भगवान!

होसे आपस मा समाधान।

करसेती आपस मा नमन:---

सबांग हरि-हर दर्शन-----दुय देव-

 

३) परशुराम जी; श्री राम को संग!

राम जी होसेत मिलकन दंग।

परशुराम करसे चिंतन:----

सबांग हरि-हर दर्शन-----दुय देव-

 

४) कन्हैया मा ब्रम्हाण्ड अवतरण;

गणेश जी मा;बिष्णू जी को वतन।

सब करसेती भक्त अवलोकन:---

सबांग हरि-हर दर्शन-----दुय देव-

 

५) बदलसे माय मोहमाई काया!

दुनिया वाला माया मा भरमाया।।

पटले रामचरण करसे वन्दन:----

सबांग हरि-हर दर्शन-----दुय देव-

 

*************************

२.       संसार सुख दुख को

 

येव संसार से सुख दुःख को!

येव जीवन आय युग्मन को।

 

१)संत सत्संग मा कह गया!

प्रवचन महात्मा देय गया।

येव भेद आय भगवन को:-

येव जीवन आय युग्मन को*:---

 

२)आत्मा परमात्मा मा मिल जासे!

जसो फूल उपवन मा खिल जासे।

होसे घुसरन येल नर तन को::-

येव जीवन आय युग्मन को **----

 

३)काया मा समायकन मोहमाया!

योगी मुनि कई भरमाया।

चक्र येव सारो जन जन को:::---

येव जीवन आय युग्मन को*---

 

४) अनुभूति होसे महापुरुष ला!

सांगकन सारो दुनिया ला।

भक्ति मा भाव येव मंथन को::::--

येव जीवन आय युग्मन को**---

 

५)पटले रामचरण करसे वन्दन!

होयकन तल्लीन मन मगन।

सारांश से परिवर्तन को:::::----

येव जीवन आय युग्मन को***-

 

६)जय जय हो माय गढ़काली!

तुच माय विभिन्न नाववाली।

भजन गीत तोरो सुमरण को::::::-

येव जीवन आय युग्मन को

 

************************ 

३.       सनातन धर्म की ख्याति


पुस्तक मा पवित्र ग्रंथ गीता!

रामायण मा पवित्र देवी सीता।

पौधा मा शुभ तुलसी माता!

इनमा रमण करसे दुर्गा ज्ञाता।

 

पक्षी मा महान गरुड़ देवता!

पहाड़ मा हिमालय प्रख्याता ।

नदी मा प्रसिद्ध गंगा जी माता!

पुष्प मा कमल की शोभनियता।

 

देव मा अग्रगण्य गणपति!

येमा शिव पार्वती की शक्ति।

सर्वश्रेष्ठ हिन्दू धर्म संस्कृति!

बीज मंत्र ओम की कलाकृति।

 

प्रवाही मा शुद्ध गंगाजल!

बसी माय काशी तीर्थ अंचल।

चढ़से सबला नारियल फल!

जरसे दिप ज्योति उज्जवल।

 

गुरु बिन नहीं मिलसे ज्ञान!

सब देव का भया गुरु महान!

महादेव सबलक मोठो भगवान!

अजन्मेव सृष्टि को पहलों विधान।

 

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४.      अनोखा सिध्दांत

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जेकी जसी भावना;तसोच रव्हसे मन!

जेकी जसी कल्पना;तसोच बगसे तन।

 

जेकी जसी दृष्टि;ओला तसीच दिससे सृष्टि!

सत्संग आध्यात्मिक कथन:-

जेकी जसी कल्पना तसोच बगसे तन:-------

 

जसोच पानी;वसीच वाणी।

येव आध्यात्मिक वचन:--

जेकी जसी कल्पना तसोच बगसे तन::-------

 

जसोच दान;तसोच खान पान!

येव मानव को लक्षण:::----

जेकी जसी कल्पना तसोच बगसे तन:::------

 

जसो कर्म;तसोच धर्म!

से सबला येव अर्पण:::----

जेकी जसी कल्पना तसोच बगसे तन::::--------

 

जसी स्मृति;तसीच स्थिति।

ऐव वृत्ति को उन्मूलन:::-----

जेकी जसी कल्पना तसोच बगसे तन::::--------

 

जसो देश;तसो भेश!

येव आय कायान्तरण :--

जेकी जसी कल्पना तसोच बगसे तन::::---------

 

आराधना या प्रार्थना:-

ये युक्ति का साधन::------

जेकी जसी कल्पना तसोच बगसे तन::::-------------

 

मनन चिन्तन भजन पठन!

ये पुरुषार्थ का युगल बन्धन::::--

जेकी जसी कल्पना तसोच बगसे तन*:::----

 

रामचरण पटले करसे कविताकरण:!

होयके माय भवानी ला समर्पण:-

जेकी जसी कल्पना तसोच बगसे तन:::----------

 

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५.      महाभारत को नव सूत्र सार शाब्दिक भावार्थ:---

(मायबोली मा):---

*********

 

महाभारत की कहानी; उपयोगी कहलाय!

कर्म धर्म पर सुहानी; धर्मनीति सिखलाय।

हर मानव जीवन मा; कलयुग ला या लुभाय!

आधुनिक या प्रिती ला;जन जन मा या सुहाय।

 

कौरव अना पांडव; क्षत्रिय की खानदान!

धन दौलत साती तांडव; युद्ध भयो घमासान।

अधर्मी धृतराष्ट्र की;अभिमानी कौरव संतान!

पतन भयो कौरव दल;पल मा मिटेव गुमान।

 

संतान की गलत मांग लक; दुर्योधन कदर बढ़ाय!

पतन भयो भगवान लक;भयो धृतराष्ट्र असहाय।

पूत्रमोह मा धृतराष्ट्र;सब कर्म धर्म भूल जाय!

राजा होयकन भी धृतराष्ट्र;वशंज ला ठुकराय।

 

कौरव दल संग कर्ण;होतो बहुत बलवान!

अधर्म ला साथ देयकन; व्यर्थ गंवाईस प्राण।

अधर्म को कारण लक;निष्फल भया सब बाण!

अधर्मी ला वचन देयकन भीष्मपिता भयो अवसान।

 

अंध व्यक्ति ला कभी भी; नहीं सुहाव प्रकाश!

धृतराष्ट्र को पूत्रमोह मा;होय गयो विनाश।

विवेक की बंधी डोर; अर्जुन होय गयो पास!

जीत कभी भी सत्य की;या बात से खास।

 

शकुनी मामा न करीस;कार्य कपट छल!

विद्रोह प्रपंच रचकन ;भय गयो असफल।

युधिष्ठिर धर्म नीति को कारण भय गयो सफल!

महाभारत की संरचना; दुनिया मा भयी प्रबल।

 

जय जय माय भवानी को; चरित्र चित्रण!

आदिकाल पासून जीवन को विवरण।

कर रही से रामचरण पटले संकलन!

माय तोरो भक्ति मा;मन मग्न होयकन।

 

जय जय हो भवानी तोरो वरदान पायकन*:-

 

 

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६.      वेद पुराण ग्रंथ संक्षेपण

**"**"***

 

भागवत गीता लिखेव;मायबोली शब्दांकन!

दुर्गा सप्तशती ला रचेव; सम्पूर्ण पाठ विवरण।

दर्शन शास्त्र ला पढ़ेव;करीसेव मूल्यांकन!

माय भवानी भक्ति मा;भाव विभोर होयकन।

 

दुनिया भयी बांवरी; महाभारत एक प्रतीक!

कलयुग ला जतलायकन; बहुत मिली सीख।

रामायण को बाद मा; महाभारत को आलेख!

देवी गीतकार-रामचरण पटले करसे उल्लेख।

 

पहली माय देवी; सरस्वती ब्रम्हाणी!

दुसरी माय देवी;लक्ष्मी जी कल्याणी।

तीसरी माय देवी; पार्वती जी रुद्राणी!

तीनी एक समागम;बन गई भवानी।

 

भक्त भगवान को साती अवतार ला लेयकन!

संकट हटावन ला अश्त्र शस्त्र ला धरकन।

सब देवता ईनन करीसेन आवाहन!

जगत जननी माय करसे संचालन।

 

लिख रही सेव मायबोली; इतिहास दर्शायकन!

मोरा सब समूह का वरिष्ठ गण ला से नमन।

सत्कार आभार से करुसू सबला वन्दन!

हाथ जोड़कन सबला मी कहूसू कथन

 

 

 

 

 

 

 

७.      लोकगीत

********

प्रकार -नकल टाईप:-

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परहा बढ़ावन चलो जाबिन;भाऊ मयाराम किसान को!

धावत धावत बांधी मा पड़बीन;मिले जेवन घुंघरी खान को।।*:-------टेक:-----

 

१) पन्द्रह दिवस भयो परहा सर रही से;सबला से निमंत्रण!

गंहू;पोपट की घुंघरी मिले;अना साग काटवल को भोजन।

हो आये मज़ा किचड़ मा खेलन को:-घुंघरी संग भात जेवन को:-----

 

२)होल्या आयो बाजा बजावन;भयी परहा बढ़ावन की तैयारी!

सब मिलकन जेवन करबीन;पहले खाबीन सिदोरी।

हो बाजा बज रही से नाचन को:-मिले भात घुंघरी जेवन को:------

 

३)दारु पियकन नौकर चाकर;भया नशा मा चूर!

रवदांड़ा भयो बांधी मा;बन्यारन होतीन दूर!!

हो भरसे ढोला अन्न धन को:-मिले भात घुंघरी जेवन को:::--------

 

४)पानी खूब रदबद बरससे;डूब जासे परहा!

बोढ़ी तलाब लबालब भरसे;फूट जासेती धूरहा।

उल्टी मसरी चढ़न लगसे; मज़ा आवसे धरन को:-

 

५)किसानी की नकल;रचना करसे पटले रामचरण!

नगदी च प्रस्तुत करसे;करकन भवानी सुमरण!!

हो खेत मा परहा सरावन को::--

किसानी काम तन मन को:------

 

 

सबला हृदय लक नमन से:-

 

चतुर्मास महिमा अपरम्पार

 

 

८.      प्रकार:-गीत:--

"""""""""""""""""""""""""""""""""""""

 

चतुर्मास को महिना;जग मा अपरम्पार!

जप तप मा ध्यानास्त;बिष्णू जी पालनहार।टेक।:------

 

१)शेष शैय्या पर सोयकन;मन मा करसे विचार!

शंकर जी की कृपा पायकन सृष्टि को करतार।:--जप तप मा ध्यानास्त:-------हो*:--

 

२)अष्ट सिद्धि नव निधी को; गणेश विश्व रुप साकार!

माय बाप को आज्ञाकारी; दुनिया को दिलदार।:-जप तप मा ध्यानास्त:-हो :--------

 

३) पहले गणेशजी ला पठावसेत;करनला कष्ट संहार!

होसे दुःख भंजन सबको; सृष्टि को उध्दार।।:-जप तप मा ध्यानास्त::----हो :*------

 

४)मंग आवसे नवरात्रि;माय करकन नव श्रंगार!

चुराड़ा असूरन को करसे;धरकन हाथ मा तलवार।:-जप तप मा ध्यानास्त:-हो:-------

 

५)जगत की माय जगदम्बा; सृष्टि की आधार!

भाव भक्ति मा दुनिया;सब देवन को आभार।।:-जप तप मा ध्यानास्त -हो:-----------

 

६)हो रामचरण पटले;माय देवी को गीतकार!

कृपादृष्टि पायकन;भजन गीत को रचनाकार।।:-जप तप मा ध्यानास्त -हो:------------

 

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९.      संतन का विचार

*****

जाति जाति सब कहे;सब माटी मा समाय!

विकृति या भ्रांति की;पल मा बदलत जाय।

प्रकृति सबमा श्रेष्ठ;सब गुणला दर्शाय!

ईंन्शान नहीं समझ;नाहक टेर लगाय।

 

नाज करनो कर्म पर;धर्म ला ताज लुभाय!

येव तो मन को फेर से; नहीं समझ मा आय।

संत कई बतलाय गया; मर्म सब जतलाय!

काज करनो असो कि दुनिया गुणला गाय।

 

तन काया बदलसे; परिवर्तन ईठलाय!

परिवर्तन भी कर्म;या बात सबला सुहाय।

कृष्ण भगवान; अर्जुन ला ज्ञान पढ़ाय!

वेद पुराण महिमा;सार सत्य सुनाय।

 

बिरला च ग्रहण करे;ओको जीवन तर जाय!

माय भवानी गढ़काली वशंज ला सममझाय।

आम्ही तों गुणगायक; श्रद्धा भक्ति ला पाय:---

रामचरण पटले सूक्ष्म भेद ला जतलाय::----

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१०.   माय भक्त की वाणी

 

******

 

मानव तन मिलसे मुश्किल लक;

करनो जी सत्कर्मी काम!

सब माय बाप की सेवा कर्म लक;

मिलसे संतान ला आराम।

 

माय बाप को चरणन मा सेती;

सब दुनिया का चार धाम!

संत सत्संग मा सांगसेती;

सबका सिद्ध होसेती काम।

 

राम नाम की महिमा न्यारी;

सबला से जी प्रणाम!

माय की किर्ती सबमा प्यारी;

माय को ममता मा तमाम।

 

भवानी भक्त रामचरण;

कसे माय भक्ति आयाम!

हाथ जोड़कन करसे वन्दन;

अजी सबला से पैगाम।

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रचनाकार -रामचरण पटले महाकाली नगर नागपुर मोबाइल नं.९८२३९३४६५६

(जन्म पता:-कटेरा तहसील -कटंगी जिला बालाघाट म.प्र





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