बुराई कसी फैल से

बुराई कसी फैल से

पहले गाव मा कोणी बी एक दुसरो को झाड़ को आंबा नही तोड़त होता । सब ईमानदारी लका रव्हत । आम्बा को झाड़ वालो खुद आम्बा उतारकर घर आनके मंग सबला मोहल्ला मा बाटत होतो । पाड को आम्बा पड़त लक आम्बा झाड़ परा रव्हत होतो ।  एकदूसरो को प्रति बड़ी सदभावना होती । चोरी चकाटी नोहोती । 

बीस साल पहले की बात रहे । गाव मा को एक दुर्जन नावको आदमीकी मति फिर गयी । मति फिरन को कारण होतो गलत संगत । वोन बाजू को गाव को दूसरों कोनिको आम्बा को फर रातोरात उतारकर दूय गाड़ा भरके आनिस ।  मंग झुंझुरका उठके शहर मा जायके बिक टाकीस । आजूबाजू वालो कुटुम ला या बात समझ आय गयी।

दुर्जन न बिचार करीस की अगर वोकि करतूत लका मिल्यव पैसा वु चुपचाप खाय लेये त् गड़बड़ होये । लोग सोडन का नही । मीटिंग भरे । दण्ड होये । वोन दुसरो च दिवस गाव को समाज संघठना ला वोकि आम्बा लका मिली कमाई को 20% हिस्सा दान देइस । संघठन बड़ो खुश भयव । 

मंग कोणी न वोला टोकन की हिम्मत नही करिन । दुर्जन की हिम्मत बढ़ी । वोन अखिन आपलो कार्य सुरु ठेय के बहुत पैसा जमाय लेइस । पैसा देखके वोला दिवारी को मंडई को कार्यक्रमको अध्यक्ष बनाय देइन ।

गाव को टुरु पोटुइनला वोकि करतूत मालूम होती । वय दुर्जन लका प्रेरित भया । उनला लग्यव की गलत करके भी अज दुर्जन सन्मानित भयव त् वोको अनुसरण करनो मा का गलत से । उनन भी तसोच करन को योजना बनाइन । उनको जवर गाड़ा बी नोहोता । मंग उनन बिचार करिन की दुसरो गाव जानकी का जरूरत से । गाव को च आम्बाईन परा हाथ साफ करनो सुरु करिन । धीरे धीरे गाव मा सपा आम्बा झोड़ के ओझड गया । पाड़ आवत लका कोणी को आम्बा टिकके नही रय सकयव । आब गाव मा लोग आपलो आपलो आम्बा की रखवाली करनो मा रात भर जगवाली करनो सुरु करिन । एक दुसरो संग लड़ाई झगडा सुरु भयव । चोरी चकाटी, मार पीट , गाली गलौच लका गाव हैरान भय गयव । एक दुर्जन की करतूत को कारण गाव मा की नीतिमत्ता अना शांति वाया गयी । 

तात्पर्य असो की गलत केतरो च कीमती रहे वोला स्वीकार करनो गलत से ।

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