आध्यात्मिक चिंतन
आध्यात्मिक चिंतन
सारो त्रिगुणात्मक जगत निरंतर परिवर्तनशील अना क्षणभंगुर से. शरीर संसारकोच अंश आय. वू त अत्यंत क्षणभंगुर से. शरीर को उपयोग से एकोमा रवतो रवतोमाच सारो जड़ दृश्यों को मोह सर्वथा त्याग देनो. पूर्ण निर्मोह चित्तच स्वरूपस्थ होसे. पूर्ण निर्मोही होनो मा कृतकार्य से अना जीवन की सार्थकता से. शरीर को अनखी कई दिन बने रवनो या मंग अजच मिट जानो मा काही अंतर नहीं पड़. जेन आत्मविश्राम पाय लेईस, वू धन्य से.
✒️30-04-2022
Rishikesh Gautam
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