माय की माऊली
माय की माऊली
************************
माया की माऊली मोरो घर की सावली,
मोरी लाड़ली बेटी कब मोठी भय गयी मोला खबर नही।।१।।
अजी की दुलारी भाऊ की सयानी दादा माय को डोरा को काजर,
बेटी कब मोठी भय गयी मोला खबर नही।।२।।
परायो घर जान की बेरा आई, बेटी से परायो धन या बात समझ आई,
बेटी कब मोठी भयी मोला खबर नही।।३।।
मोरो जीव को टुकडा़ करेजा की कली ,मोरो घर आंगन मा छम छम खेली,
दुध रोटी भात की डोरा मिचौनी,
बेटी कब मोठी भयी मोला खबर नही।।४।।
अजी को हाथ थामत चल ठुमुक ठुमक खेलत कुदत जाने कब मोठी भयी,
बेटी कब मोठी भयी मोला खबर नही।।५।।
जीव घबराव मोरो ,बोह डोरा लक पानी, कसो मिले राजकुवर बेटी ला रात दिवस फिकर मन मा लगी
बेटी कब मोठी भयी मोला खबर नही।।६।।
नहाय मोरो जवर धन, अना दौलत, बेटी से मोरी हीरा वानी, कन्या को दान से सबले मोठो कवसेत गुणी, ज्ञानी,
बेटी कब मोठी भयी मोला खबर नही।।७।।
माय की माऊली मोरो घर की सावली बेटी कब मोठी भयी मोला खबर नही।।
**************
विद्या बिसेन
बालाघाट🚩🙏🚩
Comments
Post a Comment