@ बगड़ा @


@ बगड़ा @

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से मुखमा राम,बगलमा छुरी।

कपटी बगड़ा,कर गयो चोरी।। टेक।।

ढोंग रचसे महात्मा बनकर

उभो रव्हसे एकच पायपर।

कसो मसरीला धोका देयकर

चोचमा खासे मस्त धरकर।

समजमा आयीत करो हुशारी।।१।।

ढोंगी बगड़ा समाज मा भारी

 अनोखीसे इनकी दुनियादारी। 

स्वार्थ पणा इनको खान की भारी

मानुस की मा यव कलंक भारी।

संघटकलक दुर करो बिमारी।।२।।

अच्छो काम मा सबकी भलाई से

किर्ति नाव की अमर होय जासे ।

                          बुरो काम मा बुरी दुर्गती होसे                        

 कलंक बदनामी को लग जासे।  

ज्ञानकीद्रुष्टीआनो,समजदारी।।३।।

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हेमंत पटले धामनगांव आमगाव

९२७२११६५०१

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