पोवार राजा महराजा का वंशज आतीन।

 पोवार राजा महराजा का वंशज आतीन। पोवार राज करनवाला क्षत्रिय आत तब तो हमारा पारम्परिक गीत मा हमारी माय बहिन गावत आयीन। (1)

कोन गाँव की आई बरात 

धारनाकलाँ की आई बरात 

झलमा पड़दा की आई गुडूर 

लोखंड की असकुड़ माय किस्धूर 

बैल जूपी सेत धवल पवर 

धुरकोरी बसी सेत राजकुँवर। 

हाथ मा धरी सेतीन ढाल तलवार 

खाँद मा डाकी सेत फुल्की उल्मार

(2)  बेटी बिदाई को बेरा को गीत 

गाँव को आखर पर आमा की अमराई। 

वहाँ उतरों राजा को रनवास 

राजा को रनवास खेल से गोटी 

पिता सौंप अपरी बेटी। 

(3)कटोरी को दूध भात कटोरी मा  रहयो। 

राजकुँवर परनू आयो पिता बेटी सौंपन लगयो। 

आज हमी थोड़ो सो पढ़ लिखकर दस बीस साल लक जानन लग्या की हमारा राजा भोज का वंशज आजन  हमी राजा महाराजा की संतान राज करन वाला आजन। 

लेकिन येको पहिले हमारी माय बहिन बिह्या का होली का गीत छटी का गीत अन पारंपरिक गीत मा हजारो हजारो साल लक गीत को माध्यम लक साँगत गैन कि पोवार भाऊ की तुम्ही राजा महाराजा की संतान आव। 

गीत को माध्यम लक हमारो इतिहास हमला मालूम होत होतो। 

दुर्भाग्य लक हमी इन गीत हीनकी उपेक्षा करन लग्या जो कि दुर्भाग्यपूर्ण से।

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