सब पोवार भाई बहिन लक मोरो निवेदन

 जयराम जी की जय राजा भोज 

गढ़कालिका माय की जय। 

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सब पोवार भाई बहिन लक मोरो निवेदन 

पोवार समाज की का का सेत पहचान। 

बोली चौरी अन नेग दस्तूर गाना  महान। 

अगल बगल ढूककर नोको करो नकल। 

पीछ लग्गू बनबो तो मिट जाबो सकल। 

अपरी जड़ हीन पर नोको डाको मठ्ठा। 

सकल पोवार समाज को बस जाहे भट्टा। 

बानव बानव कर आन रहा सेजन न ई न ई चाल। 

पुरखा हीन की धरोहर हीन ला  नोको करो बेहाल। 

बोली चौरी नेग दस्तूर अन गाना सेत महान। 

इनको ल बची रहे पोवार समाज की पहिचान। 

हजारो हजारो साल का आत अनुभव चिन्तन। 

ईन सब पर करो शोध चिन्तन अखिन मनन। 

दुसरो ला तुष्ट करन लाई मिटाओ नोको अपरी पहिचान। 

आवन वाली पीढ़ी धिक्कारे पोवारी को मिट जाहे नामोनिशान। 

उठो जागो अपरी अस्मिता ला पहिचानो। 

अपरा पूर्वज पुरखा  हीन की बात सब मानो। 

मी जो कह रही सेव इनको बारे मा सोचो। 

जेला समझ मा नही आय रही से 

त मनभर कोसो। 

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कोमलप्रसाद राहँगडाले कल्याणपुर धारनाकलाँ तहसील बरघाट जिला सिवनी म प्र




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