माय सीता जसी कोन्ही नहीं

 माय सीता जसी कोन्ही नहीं

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त्रेतायुग मा अवतार भयी!

भगवान राम पत्नि कहायी!!

सीता जी जसी कोन्ही नहीं!

बिकट कठिनाई झेलत रहीं!!


राधा बनन ला हर कोई चाहे;

सीता सी बनन ला कोन्ही नहीं!

सब कृष्ण प्रेम मा मगन भयी;

पर सीता सी शक्ति कोन्ही मा नहीं


काहे कसेत लोग धोका मा रही;

रोय रोय आंसू ला बहावत रहीं!

ना राजभवन की चाहत नहीं;

सीता सो वन पथ कोन्ही नहीं!!


ना ईच्छा काही जिंदगी की;

रट राम जी की लगावत रहीं!

बेटी बन राजा जनक जी की;

वंश कूल की लाज बचाय रहीं।


राजमहल की रहनवाली माई;

उद्देश्य लक डगमगाई नहीं!

दुष्ट रावण लक घबराई नहीं;

दुनिया ला सीख धर्म की देय गई।


सती पत्नि धरम पर चलत रही;

त्रिजटा संगमा ख्याल करत रहीं!

पूत्र लवकुश ला संस्कार देय गई;

सीता सी नारी जग मा नहीं!!


चमत्कार दुर्गा जी करत रहीं!

बेटी सीता पर निगरानी रही!!

सदा राम जी की सीता जी रहीं;

माय कूल की लाज बचावत रहीं।


कलयुग ला ज्ञान सिखाय गई!

माय राधा बनकन हर्षाय गई!!

माय लक्ष्मी जी वा प्रगट भयी!

माय को समान कोन्ही नहीं!!


माय वरदान सबला देय गई***


देवी गीतकार-रामचरण पटले महाकाली नगर नागपुर मोबाइल नं.८२०८४८८०२८

सबला सहृदय लक नमन से:---

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