बोली लक से हमरी पहिचान


 बोली लक से हमरी पहिचान 

पोवारो को बढ़े येको लक मान। 

बोली मा सेत माय का संस्कार 

मन मा नहीं आवत कभी विकार

नोको करो बोली को तिरस्कार 

जिंदगी से फिर हमरी धिक्कार 

बोली को मिलकर बढ़ाओमान पोवार समाज की बढ़े शान। 

हिन्दी अंग्रेजी बोलकर जो इतराहे 

पीढ़िया वोको पर तरस खाये 

समय सेअबो सभल जाओ 

नहीं सभलो तो मिट जाओ। 

जय भारत माता जय राजा भोज।



Comments

Popular posts from this blog

पोवारी साहित्य सरिता भाग ५४

पोवारी साहित्य सरिता भाग ६९

पोवारी साहित्य सरिता